बीजेपी अध्यक्ष नीतिन गड़करी अब भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में घिर गए हैं। गडकरी भले कहें कि वो किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हैं, लेकिन नैतिकता की दुहाई देने वाले गडकरी को अब पार्टी का अध्यक्ष पद तुरंत छोड़ देना चाहिए । वैसे तो संघ चाहता था कि गड़करी को पार्टी के अध्यक्ष पद का दूसरा कार्यकाल भी दिया जाए, इसके लिए रास्ता भी बना दिया गया, लेकिन जिस तरह से नितिन के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं, उससे उन्हें दूसरी बार अध्यक्ष बनाना पार्टी के लिए आत्महत्या करने जैसा होगा। संघ भी अब इतनी आसानी से उन्हें दूसरा कार्यकाल देने को तैयार नहीं होगा। अगर बीजेपी को 2014 में कांग्रेस के भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाना है तो उसे गड़करी को ना सिर्फ अध्यक्ष पद बल्कि जांच होने तक पार्टी से भी बाहर का रास्ता दिखाना ही होगा। जानकार तो यहां तक कह रहे हैं कि पार्टी में नए अध्यक्ष की तलाश भी शुरू हो गई है।
एक-एक कर आजकल नेताओं का असली चेहरा जनता के सामने आने लगा है। बीजेपी अध्यक्ष किसानों की जमीन हथियाने के आरोपों से पहले ही घिरे थे, इसी बीच अब एक और विवाद उनके नाम जुड़ गया है। ये आरोप हल्का फुल्का नहीं है, बल्कि एक अंग्रेजी अखबार ने खुलासा किया है कि उनकी कंपनी को घाटे से उबारने के लिए आईआरबी कंपनी ने 164 करोड़ रुपये का लोन दिया। आपको हैरानी होगी कि ये वही कंपनी है जिसे महाराष्ट्र में तमाम कार्यों का ठेका दिया गया, और ये ठेके उस समय दिए गए, जब गडकरी वहां के लोकनिर्माण मंत्री थे। आरोप तो ये भी है कि लोन में दिए गए पैसे का स्रोत भी साफ नहीं है।
इस खुलासे के बाद बीजेपी नेताओं की बोलती बंद है। आरोप है कि 16 अन्य कंपनियों के एक समूह के गडकरी की कंपनी में शेयर हैं। लेकिन इन 16 कंपनियों के जो डायरेक्टर हैं, उनके नाम का खुलासा होने से गड़करी का असली चेहरा जनता के सामने आ गया है। आपको हैरानी होगी कि उनका ड्राइवर जिसका नाम मनोहर पानसे, गडकरी का एकाउंटेंट पांडुरंग झेडे, उनके बेटे का दोस्त श्रीपाद कोतवाली वाले और निशांत विजय अग्निहोत्री ये सभी इन विवादित कंपनियों के डायरेक्टर हैं। ताजा जानकारी के अनुसार गड़करी के नियंत्रण वाली पूर्ति पावर एंड शुगर लिमिटेड 64 करोड़ रुपये के घाटे में चल रही थी । 30 मार्च 2010 को आइडियल रोड बिल्डर्स यानी आईआरबी ग्रुप की फर्म ग्लोबल सेफ्टी विजन ने उसे 164 करोड़ रुपये लोन दिया। आईआरबी ग्रुप को 1995 से 1999 के बीच महाराष्ट्र में तमाम सरकारी ठेके दिए गए। उस दौरान गडकरी ही लोक निर्माण मंत्री थे। आईआरबी ने पूर्ति पावर एंड शुगर लिमिटेड के तमाम शेयर भी खरीदे। मसला वही सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता का लगता है।
गडकरी महाराष्ट्र के लोक निर्माण मंत्री थे तो आईआरबी को भारी मुनाफा हुआ और जब गडकरी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए तो उनकी घाटे की कंपनी को उबारने के लिए वही आईआरबी सामने आ गई। इसके बाद भी गडकरी दावा कर रहे हैं कि वे जांच के लिए तैयार हैं। वो ये भी कह रहे हैं कि 14 महीने पहले कंपनी के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे चुके हैं। उनके पास अब कंपनी के केवल 310 शेयर हैं जिनकी कीमत महज 3100 रुपये है। सच तो ये है कि देश की जनता गोरखधंधे की बारीकियों में नहीं जाना चाहती। मोटी-मोटी बात लोगों के समझ में आती है। यानि गड़करी के घाटे वाली कंपनी को कोई भी 164 करोड़ रुपये लोन यूं ही तो देने वाला नहीं है, जाहिर उसने कुछ अपना फायदा देखा होगा। आईआरबी को जो फायदा हुआ है, अब वो भी सबके सामने है, यानि गड़करी के लोक निर्माण मंत्री रहते हुए उसे बहुत सारे कामों के ठेके मिले।
इस खुलासे के बाद गड़करी खेमा सफाई देने में जुट गया है। कहा जा रहा है कि वो हर तरह की जांच का सामना करने को तैयार हैं। बीजेपी का ये भी दावा है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार है, अगर बीजेपी अध्यक्ष की कंपनी में कुछ भी गडबड़ है तो वो उसकी जांच करा लें। हालांकि राजनीतिक स्तर पर कुछ भी कहा जाए, पर अहम सवाल ये है कि पूर्ति ग्रुप को आईआरबी या ग्लोबल सेफ्टी विजन ने लोन किस मद से दिया। मसलन पैसे का स्रोत क्या है ? 2009 के रिकॉर्ड बताते हैं कि पूर्ति में निवेश करने वाली 16 कंपनियों में चार ही लोग ही घूम-घुमाकर डायरेक्टर के पद पर हैं। नितिन गडकरी के बेटे निखिल को 22 फरवरी 2011 को पूर्ति का एमडी बनाया गया था। ऐसे में ये कहना कहां तक ठीक है कि गडकरी का कंपनी से रिश्ता नाममात्र का है।
जब राजनीति के किसी पूर्णकालिक कार्यकर्ता की जगह कारोबारी दिमाग के लिए जाने जाने वाले गडकरी को बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था, तो आरएसएस की वजह से ही उन पर ज्यादा सवाल नहीं उठ पाए थे। इस बीच पार्टी में पहले ही एक खेमा नितिन को अध्यक्ष पद का दूसरा कार्यकाल दिए जाने के खिलाफ था, अब गड़करी के खिलाफ गंभीर आरोप लगने से उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनाना पार्टी के लिए आत्मघाती कदम साबित हो सकता है। देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक माहौल बना हुआ है, अगर बीजेपी को 2014 में कांग्रेस को दिल्ली से उखाड़ फेंकना है, तो उसे ये साहस भी दिखाना होगा कि वो वाकई भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। इसके लिए कोई कितने बड़े पद पर क्यों ना हो, उसे बाहर का रास्ता दिखाने में कोई हिचक नहीं है।
अगर बात बीजेपी के अंदर चल रहे घटनाक्रम की करें, तो एक तपका चाहता है कि नितिन गड़करी को तत्काल अध्यक्ष पद से हटा दिया जाना चाहिए। इस समय हिमाचल के साथ ही गुजरात में भी विधान सभा के चुनाव चल रहे हैं। बीजेपी के लिए गुजरात बहुत ही अहम है। दोनों ही राज्यों में पार्टी अध्यक्ष को चुनाव प्रचार के लिए जाना है। अब सवाल उठता है कि गड़करी जब खुद गंभीर आरोपों का सामना कर रहे है तो वो सरकार के भ्रष्टाचार की बात भला कैसे कर सकते हैं। हिमाचल में कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह को कटघरे में खड़ा करना भी उनके लिए आसान नहीं होगा। इन हालातों में अगर नितिन गडकरी का दो एक दिन में त्यागपत्र हो जाए तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। पता चला है कि चुनावों को देखते हुए इस मामले में संघ पर भी जल्दी फैसला लेने का दबाव बढ़ रहा है। पार्टी और संघ के भीतर नए अध्यक्ष के मसले पर मथन भी शुरू हो चुका है। हालांकि अभी इस मामले में पार्टी का कोई भी नेता कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।
वैसे भी बीजेपी में चाल, चरित्र और चेहरे की बात अब पुरानी हो गई। आप ये भी कह सकते हैं कि बात पुरानी नहीं बल्कि खत्म हो गई है। अगर कोई मुझसे पूछे कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है, तो मैं पार्टी के दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेई और लाल कृष्ण आडवाणी को ही कटघरे में खड़ा करुंगा। आप हमारी बात से सहमत होंगे बीजेपी को मजबूत बनाने में इन्हीं दोनों नेताओं की मेहनत रही है, लेकिन ये पार्टी को संघ के चंगुल से बाहर नहीं निकाल पाए। यही वजह है कि आज पार्टी में ना अनुशासन है, ना मजबूती है ना ईमानदारी और ना ही पार्टी के प्रति समर्पण। देश जानता है कि बीजेपी अध्यक्ष नितिन गड़करी संघ की पसंद है, सच कहूं तो उन्हें पार्टी पर थोपा गया है, क्योंकि वो पार्टी में बहुत जूनियर हैं। सच्चाई तो ये है कि उन्हें अध्यक्ष बनाया ही नहीं जाना चाहिए था, लेकिन उन्हें दूसरा कार्यकाल दिए जाने का रास्ता बनाया दिया गया। बहरहाल अब उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं और अगर बीजेपी 2014 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करना चाहती है तो उसे गड़करी को बाहर करना ही होगा।
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सही आँकलन..सटीक लेख..
ReplyDeleteआभार
Deleteविजयदशमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं..नए ब्लांग की बधाई..
ReplyDeleteआपको भी शुभकामनाएं,
Deleteशुक्रिया
आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें ..
ReplyDeleteअभी थोड़ी देर में पढूंगी पोस्ट !
जी शुक्रिया
Deletesir mai to bjp se hi juda hu, lekin mujhe bhi lagata hai ki gadkari ji ko party se
ReplyDeletehat jana chahiye.
party ki chavi kharab ho rahi hai
सहमत हूं आपकी बात से
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबी.जे.पी..के अध्यक्षों का यह हाल होना पुरानी परम्परा का हिस्सा है!
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♥(¯*•๑۩۞۩~*~विजयदशमी (दशहरा) की हार्दिक शुभकामनाएँ!~*~۩۞۩๑•*¯)♥
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बहुत बहुत आभार सर
Deleteजिसकी पूँछ उठाकर देखो वही ,,,,,,,,,,,
ReplyDeleteविजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
RECENT POST...: विजयादशमी,,,
बहुत बहुत आभार सर
Deleteसार्थकता लिये सशक्त लेखन ...
ReplyDeleteआभार
बहुत बहुत आभार
Deleteआज की हर राजनीति पार्टी अपने घोटालों की वजह से बदनाम हो चुकी है
ReplyDeleteफिर भी अपने कामों से शर्मसार नहीं है ....अफ़सोस होता है अपने यहाँ की कानून व्यवस्था पर ...जो ऐसे लोगों के लिए कोई भी कठोर नियम नहीं बनाए गए
बिल्कुल सही,
Deleteदुख तब ज्यादा होता है जब चाल चरित्र और चेहरा का दावा करने वाली पार्टी के नेता भ्रष्टाचारी निकलते हैं..
ajeeb haal ho gaya hai,kis party par bharosa kare ?!
ReplyDeleteहां, ये बात तो है
Deleteयह तो वही बात है कि चोर चोर मौसेरे भाई. सब एक जैसे हैं इसी लिये कोई नेता यह सब प्रश्न नहीं उठाता.
ReplyDeleteजी बिल्कुल सही
Deleteसहमत हूं
ReplyDeleteसटीक आकलन .बधाई .
शुक्रिया
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