Monday 2 April 2012

निर्मल बाबा का दरबार बोले तो लाफ्टर शो ...


भाई साधु संतो से तो मैं भी डरता हूं, इसलिए मैं पहले ही बोल देता हूं निर्मल बाबा के चरणों में मेरा और मेरे परिवार का कोटि कोटि प्रणाम। वैसे मैं जानता हूं कि साधु संत अगर आपको आशीर्वाद दें तो उसका एक बार फायदा आपको हो सकता है, पर वो चाहें कि आपको अभिशाप देकर नष्ट कर दें तो ईश्वर ने अभी उन्हें ऐसी ताकत नहीं दी है। इसलिए ऐसे लोगों से ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन मेरा उद्देश्य सिर्फ लोगों को आगाह भर करना है, मैं किसी की भावना को आहत नहीं करना चाहता। चलिए आपको एक वाकया सुनाता हूं शायद आपकी समझ में खुद ही आ जाए।

पिछले दिनों मुझे लगभग 11 घंटे ट्रेन का सफर करना था, इसके लिए मैं रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म के बुक स्टाल पर खड़ा देख रहा था कि कोई हल्की फुल्की किताब ले लूं, जिससे रास्ता थोड़ा आसान हो जाए। बहुत नजर दौड़ाई तो मेरी निगाह एक किताब पर जा कर टिक गई। किताब का नाम था धन कमाने के 300 तरीके। मैने सोचा इसी किताब को ले लेते हैं इससे कुछ ज्ञान की बातें पता चलेंगी, साथ ही बिजिनेस के तौर तरीके सीखने को मिलेगें और सबसे बड़ी बात कि ट्रेन का सफर आसानी से कट जाएगा। लेकिन दोस्तों सफर आसानी से भले ना कटा हो पर जेब जरूर कट गई । 280 रुपये की इस किताब में माचिस, टूथपेस्ट, पालीथीन पैक, जूते की पालिस, मोमबत्ती, आलू चिप्स, पापड, मसाले के पैकेट तैयार करने जैसी बातें शामिल थीं। पूरी किताब पढ़ने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा धन कमाने का सबसे कारगर तरीका तो इसमें शामिल है ही नहीं, यानि मेरी नजर में धन कमाने के 300 तरीके वाली किताब छाप कर जितनी कमाई की गई है, किताब में शामिल तरीकों को अपना कर उसका आधा भी नहीं कमाया जा सकता।

बस जी भूमिका समझा दिया ना आपको, क्योंकि आजकल कुछ ऐसा ही कहानी चल रही है निर्मल बाबा के समागम यानि टीवी के लाफ्टर शो में। निर्मल बाबा की खास बात ये है कि उनके भक्तों की किसी भी तरह की समस्या हो, ये बाबा हर समस्या का समाधान वो पलक झपकते बता देते हैं। अब देखिए ना हम बीमार होते हैं तो डाक्टर के पास जाते हैं, पढाई लिखाई में कामयाब होने के लिए कोचिंग करते हैं, नौकरी पाने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की गंभीरता से तैयारी करते हैं, किसी ने मकान या जमीन पर कब्जा कर लिया तो पुलिस की मदद लेते हैं, दुर्घटना हो जाने पर जल्दी से जल्दी अस्पताल जाने की कोशिश करते हैं, बेटी की शादी तय नहीं होने पर दोस्तों और रिश्तेदारों की मदद लेते हैं, नौकरी में प्रमोशन हो इसके लिए अपने काम को और मन लगाकर करते हैं, व्यापारियों का कहीं पेमेंट फंस जाए तो तगादा और ज्यादा करते हैं, बाल झड़ने लगे तो कुछ दवाएं लेते हैं, सुंदरता बनाए रखने के लिए ब्यूटिशियन की मदद लेते हैं, बुढापे में चलने फिरने  में तकलीफ ना हो तो व्यायाम और सुबह टहलने जाते हैंलेकिन अब आपको ये सब करने की जरूरत नहीं है, बल्कि आप बिना देर किए चले आएं निर्मल बाबा के दरबार में। 

बाबा के पास तीसरी आंख है, वो सामने आने वाले भक्त को 100 मीटर दूर से जान जाते हैं कि इसे क्या तकलीफ है और उसका इलाज क्या है। बाबा का मानना कि जीवन में अगर कुछ गड़बड़ होता है तो ईश्वर की कृपा आनी बंद हो जाती है और बाबा तीसरी आंख के जरिए बता देते हैं कि कृपा के रास्ते में कहां रुकावट है और इस रुकावट का इलाज क्या है।  हालांकि बाबा कब क्या बोल दें, कोई भरोसा नहीं है। एक ओर तो वो खुद ही लोगों को बताते हैं कि पाखंड से दूर रहें। साधु संतों के ड्रामें में नहीं फंसना चाहिए, खुद पूजा करो, क्योंकि ईश्वर भावना देखते हैं, सच्चे मन से भगवान को याद करें तो कृपा खुद आ जाएगी। ये बात मैं नहीं कह रहा हूं, खुद निर्मल बाबा कहते हैं, फिर मेरी समझ में नहीं आता कि ये बाबा पाखंडी किसे बता रहे हैं। पाखंड की सारी बाते तो उनके समागम में होती हैं और ये ज्ञान की बाते किसे समझा रहे हैं।

अब देखिए दो दिन पहले निर्मल बाबा एक नवजवान भक्त से पूछ रहे थे - तुम अपनी कमीज़ की बटन कैसे खोलते हो जल्दी जल्दी या देर से। सकपकाया भक्त बोला कभी जल्दी तो कभी देर से भी। बाबा बोले आराम आराम से खोला करो। कृपा आनी शुरू हो जाएगी। अब भला ये भी कोई प्रश्न है? एक भक्त से उन्होंने पूछा बाल कहां कटवाते हो, भक्त बोला नाई से कटवा लेता हूं। बाबा बोले कभी पारर्लर जाने का मन नहीं होता, भक्त संकोच करते हुए बोला होता तो है, तो जाओ पारर्लर में एक बार बाल कटवा लो, कृपा आनी शुरू हो जाएगी। एक गरीब महिला कुछ गंभीर समस्याओं से घिरी हुई थी, उनके सामने आई, वो बाबा से कुछ कहती, उसके पहले बाबा ही बोल पड़े, अरे भाई तुम्हारे सामने से मुझे कढी चावल क्यों दिखाई दे रहा है। वो बोली मैने कल कढी चावल ही खाया था, बाबा क्या बोलते, कहा अकेले ही खाया तुमने। वो बोली नहीं पूरे परिवार ने खाया। हां यही तो गल्ती है तुमने किसी बाहर के लोगों को नहीं खिलाया, जाओ चार दूसरे लोगों को कढी चावल खिला देना, कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

कुछ और वाकये का जिक्र करना जरूरी समझ रहा हूं। बाबा कहते हैं कि पूजा में भावना होनी चाहिए, लेकिन जब बिहार की एक महिला को देखते ही उन्होंने कहाकि तुम छठ पूजा करती हो। वो बोली हां बाबा करती हूं, बाबा ने कहा कितने रुपये का सूप इस्तेमाल करती हो, वो बोली दस  बारह रुपये का। बाबा ने कहा बताओ दस बारह रुपये के सूप से भला कृपा कैसे आएगी, तुम 30 रुपये का सूप इस्तेमाल करो। कृपा आनी शुरू हो जाएगी। बात यहीं खत्म नही हुई। एक महिला भक्त को उन्होंने पहले समागम में बताया था कि शिव मंदर में दर्शन करना और कुछ चढावा जरूर चढाना। अब दोबारा समागम में आई उस महिला ने कहा कि मैं मंदिर कई और चढावा भी चढाया, लेकिन मेरी दिक्कत दूर नहीं हुई। बाबा बोले कितना पैसा चढ़ाया, उसने कहा कि 10 रुपये, बाबा ने फिर हंसते हुए कहा कि दस रुपये में कृपा कहां मिलती है, अब की 40 रुपये चढाना देखना कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

अब देखिए इस महिला को बाबा ने ज्यादा पैसे चढाने का ज्ञान दिया, जबकि एक दूसरी महिला दिल्ली से उनके पास पहुंची, बाबा उसे देखते ही पहचान गए और पूछा शिव मंदिर में चढ़ावा चढ़ाया या नहीं। बोली हां बाबा चढा दिया। बाबा ने पूछा कितना चढ़ाया, वो बोली आपने 50 रुपये कहा था वो मैने चढ़ा दिया, और मंदिर परिसर में ही जो छोटे छोटे मंदिर थे, वहां दस पांच रुपये मैने चढ़ा दिया। बस बाबा को मौका मिल गया, बोले फिर कैसे कृपा आनी शुरू होगी, 50 कहा तो 50 ही चढ़ाना था ना, दूसरे मंदिर में क्यों चली गई। बस फिर जाओ.. और 50 ही चढ़ाना। क्या मुश्किल है, ज्यादा चढ़ा दो तो भी कृपा  रुक जाती है, कम चढ़ाओ तो कृपा शुरू ही नहीं होती है। निर्मल बाबा ऐसा आप ही कर सकते हो, आपके चरणों में पूरे परिवार का कोटि कोटि प्रणाम।
एक भक्त को बाबा ने भैरो बाबा का दर्शन करने को कहा। वो भक्त माता वैष्णों देवी पहुंचा और वहां देवी के दर्शन के बाद और ऊपर चढ़ाई करके बाबा भैरोनाथ का दर्शन कर आया। बाद में फिर बाबा के पास पहुंचा और बताया कि मैने भैरो बाबा के दर्शन कर लिए, लेकिन कृपा तो फिर भी शुरू नहीं हुई। बाबा ने पूछा कहां दर्शन किए, वो बोला माता वैष्णों देवी वाले भैरो बाबा का। बाबा ने कहा कि यही गड़बड़ है, तुम्हें तो दिल्ली वाले भैरो बाबा का दर्शन करना था। अब बताओ जिस बाबा ने कृपा रोक रखी है, उनके दर्शन ना करके, इधर उधर भटकते रहोगे तो कृपा कैसे चालू होगी। भक्त बेचारा खामोश हो गया।

यहां मुझे एक कहानी याद आ रही है। एक आदमी बीबी से हर बात पर झगड़ा करता था। उसकी बीबी ने नाश्ते में एक दिन उबला अंडा दे दिया, तो पति ने बीबी को खूब गाली दी और कहा कि आमलेट खाने का मन था, और तुमने अंडे को उबाल दिया। अगले दिन बेचारी पत्नी ने अंडे का आमलेट बना दिया, तो फिर गाली सुनी। पति ने कहा आज तो उबला अंडा खाने का मन था। तुमने आमलेट बना दिया। तीसरे दिन बीबी ने सोचा एक अंडे को उबाल देती हूं और एक का आमलेट बना देती हू, इससे वो खुश हो जाएंगे। लेकिन नाश्ते के टेबिल पर बैठी पत्नी को उस दिन भी गाली सुननी पड़ी। पति बोला तुमसे कोई काम नहीं हो सकता, क्योंकि जिस अंडे को उबालना था, उसका तुमने आमलेट बना दिया और जिसका आमलेट बनाना था, उसे उबाल दिया। कहने का मतलब मैं नहीं समझाऊंगा। आप मुझे इतना बेवकूफ समझ रहे हैं क्याकि निर्मल बाबा से सारे पंगे मैं ही लूंगा, कुछ चीजें आप अपने से भी तो समझ लो।

बहरहाल दोस्तों तीसरी आंखे क्या क्या चीजें देखतीं है, मैं तो ज्यादा नहीं जानता। पर परेशान हाल आदमी से ये पूछा जाए कि आपने मटके का पानी कब पिया, भक्त कहे कि मटका तो बाबा मैने कब देखा याद ही नहीं, फिर बाबा बोले कि याद करो, भक्त कहता है कि हां कुछ याद आ रहा है कहीं प्याऊ पर रखा देखा था। बाबा कहते है कि हां यही बात मैं याद दिलाना चाहता था, आप प्याऊ पर एक मटका दान दे आओ और उस मटके पानी खुद भी पियो और दूसरों को भी पिलाओ। एक दूसरे भक्त को बाबा कहते हैं कि आप के सामने मुझे सांप क्यो दिखाई दे रहा है। भक्त घबरा गया, बोला बाबा सांप से तो मैं बहुत डरता हूं। बाबा बोले तुमने सांप कब देखा, भक्त ने कहा मुझे याद नहीं कब देखा। बाबा बोले याद करो, बहुत जोर डालने पर उसने कहा एक सपेरे के पास कुछ दिन पहले देखा था। बस बाबा को मिल गया हथियार, बोले कुछ पैसे दिए थे सपेरे को, भक्त ने कहा नहीं पैसे तो नहीं दिए। बस वहीं से कृपा रुक रही है। अगली बार सपेरे को देखो तो पैसे चढ़ा देना, कृपा आनी शुरू हो जाएगी। वैसे तो बाबा के किस्से खत्म होने वाले ही नहीं हैपर एक आखिरी किस्सा बताता हूं। एक भक्त को उन्होंने कहाकि आपके मन में बड़ी बड़ी इच्छाएं क्यों पैदा होती हैं ? बेचारा भक्त खामोश रहा। बाबा बोले आप कैसे चलते हो, साईकिल, बाइक या कार से। वो बोला बाइक से। इच्छा होती है ना बडी गाड़ी पर चलने की, उसने कहा हां, बस बाबा ने तपाक से कह दिया कि यही गलत इच्छा से कृपा रुकी है। आप बड़ी गाड़ी रास्ते पर देखना ही बंद कर दें। अब बताओ भाई कोई आदमी रास्ते पर है, अब बड़ी गाड़ी आ जाए तो बेचारा क्या करेगा। आंख तो बंद नहीं करेगा ना। इसीलिए कहता हूं कि मुझे तो लगता है कि बाबा के सामने मूर्खो की जमात लगती है । आप अगर उनके प्रश्न और सलाह सुन लें तो हँस-हँस कर लोटपोट हो जाएँ। जय हो इस निर्मूल बाबा की !

चलिए बात खत्म करें, इसके पहले मैं आपको बता दूं कि कुछ लोगों ने अपने निर्मल बाबा की कृपा को ही रोक लिया और उन्हें सवा करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। बात लुधियाना की है। बाबा को बैंक ने जो चेक बुक दी है, उसकी हूबहू कापी तैयार करके एक व्यक्ति ने सवा करोड़ रुपये बाबा के एकाउंट से निकाल लिया । हालाकि इस मामले में रिपोर्ट दर्ज हो गई है, पुलिस को फर्जीवाड़ा करने वालों की तलाश है। पर मेरा सवाल है कि जब बाबा के खुद के एंकाउंट में सेंधमारी हो गई और बाबा बेचारे कुछ नहीं कर पा रहे तो वो दूसरों के एकाउंट की रक्षा कैसे कर पाएंगे। वैसे भी निर्मल बाबा के जीवन या उनकी पृष्ठभूमि के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। उनकी आधिकारिक वेबसाइट nirmalbaba.com  पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस वेबसाइट पर उनके कार्यक्रमों, उनके समागम में हिस्सा लेने के तरीकों के बारे में बताया गया है और उनसे जुड़ी प्रचार प्रसार की सामग्री उपलब्ध है। झारखंड के एक अखबार के संपादक ने फेसबुक पर निर्मल बाबा की तस्वीर के साथ यह टिप्पणी की है, ‘ये निर्मल बाबा हैं। पहली बार टीवी पर उन्हें देखा। भक्तों की बात भी सुनी। पता चला..यह विज्ञापन है. आखिर बाबाओं को विज्ञापन देने की जरूरत क्यों पड़ती है? सुनने में आया हैये बाबा पहले डाल्टनगंज (झारखंड) में ठेकेदारी करते थे?’। मित्रों आप बाबा पर भरोसा करें, मुझे कोई दिक्कत नहीं, पर जरा संभल कर और हां बाबा जी आपकी कृपा बनी रहनी चाहिएदेखिए ज्यादा लंबी लंबी मत छोड़िएगा, क्योंकि ये पब्लिक है, सब जानती है।



116 comments:

  1. बहुत सुन्दर आलेख!
    बाबा भगवान नहीं हो सकते!
    जो इन्सानों से धन उगाही करें वो उनका क्या कल्याण करेंगे!

    ReplyDelete
    Replies
    1. सहमत हूं आपसे पूरी तरह

      Delete
    2. भगवान सिर्फ एक ही है..और भगवान के नाम पर लूटने वाला हैवान होता है..जिस दिन इसकी दुकान बंद हो गई ..उस दिन खुद भगवान के चरणों में आकर कोटि कोटि प्रणाम करेगा...
      बहुत खूब लिखा महेंद्र सिर आपने..ग्रेट

      Delete
    3. Sunil Prakash Pal13 April 2012 at 11:57

      सहमत हूं आपसे पूरी तरह

      Delete
  2. हा हा हा, ऐसे निर्मूल बाबाओं की मौज हो रही है और एक से एक दुखियारे कृपा की आस में चले जाते है और लुटते रहते हैं। इन पर कृपा हो या न हो पर बाबा पर कृपा आनी शुरु हो जाती है। ऐसे पाखंडियों को लोग सुनते और झेलते भी हैं। ये तो टीवी पर दिख कर कृपा बरसाते हैं। हद हो गयी लोगों की मुर्खता की…………… बढिया मौज ली है महेन्द्र जी :))

    ReplyDelete
  3. आभार ।

    बढ़िया प्रस्तुति ।।

    ReplyDelete
    Replies
    1. इ'स्टेटस सिम्बल बना, नवधनाढ्य का एक ।
      मस्त दुकानें चल रहीं, बाबा बैठ अनेक ।

      बाबा बैठ अनेक, दलाली करते आधे ।
      फँसते ग्राहक नए, सभी को बाबा साधे ।

      सपना मिडिल क्लास, देखता कैसे कैसे ।
      चाहत बने अमीर, लुटा के अपने पैसे ।।

      Delete
    2. क्या बात है, बहुत बढिया

      Delete
  4. अंधविश्वासियों की आँखें खोलता आलेख है सर!



    सादर

    ReplyDelete
  5. जब पढे-लिखे लोग भी पाखंड और अंध विश्वास मे उलझे रहेंगे तो साधारण जनता से कोई उम्मीद ही व्यर्थ है। वैसे पढे-लिखे विद्वान हैं भी इसी काबिल कि कोई ठग उन्हें लूटे जब वे सही बातें मानने को तैयार ही नहीं हैं तो उन्हें लूटा ही जाना चाहिए।

    ReplyDelete
  6. इस बाबा के बारे में कई दिनों से जानने की इच्‍छा थी, आज आपने पूरी कर दी। असल में हमारा समाज बिना काम किये ही सबकुछ पाना चाहता है। इसी बात का ऐसे बाबा फायदा उठाते हैं। अभी सारे ही चैनलों पर चल रहे हैं, किसी सीबीआई की निगाह इनपर नहीं गयी है, जब दुनिया को लूट लेंगे तब घोड़े दौड़ाएंगे। अपने यहाँ कोई ब्‍लागर बाबा नहीं बनता है क्‍या?

    ReplyDelete
    Replies
    1. कोशिश करता हूं बाबा बनने की..हाहाहाहा

      Delete
    2. नामा बाढ़े जेब से, बढे तिजोरी होय |

      बढ़े तिजोरी से रकम, फॉरेन बैंक सँजोय |




      फॉरेन बैंक सँजोय, पूर इच्छा जगदीश्वर |

      शत-प्रतिशत हो ग्रोथ, करें कुछ धंधा मिलकर |



      नेता, दुष्ट, दलाल, बना या बाबा रामा |

      मन्दिर अपना भव्य, बढ़ेगा रामा-नामा ||

      Delete
  7. पाखंड का पर्दाफाश करता अच्छा लेख ...

    ReplyDelete
  8. इन अंधविश्वासियों और पाखंडियों का पर्दाफाश करना जरूरी है...सुन्दर आलेख..!

    ReplyDelete
  9. महेंद्र जी नाराज़ हुए ,बाबा जी पर कृपा रुक गई ....बाबा जी लुट गए !
    उपाय ! बाबा जी ,महेंद्र जी को खुश करें कैसे? ये महेंद्र जी बताएं|कृपा वापस आ जायेगी ...
    वाह! क्या लेख है और कितने समझेगे अब ये किस बाबा जी से पता करें !
    शुभकामनाये !:-))))

    ReplyDelete
  10. बढिया कटाक्ष किया है आपने ..
    ताज्‍जुब है आज इक्‍कीसवीं सदी में दुनिया इस कदर बेवकूफ बन रही है ..
    टीवी चैनल वालों को अपनी जिम्‍मेदारी का कुछ भी तो अहसास होना चाहिए ..

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया
      टीवी चैनल पर तो ये बाबा का विज्ञापन है।

      Delete
  11. बहुत बढ़िया आलेख,बाबा भगवान नही हो सकते,सिर्फ वेवकूफ बनाकर पैसा कमा रहे है बेहतरीन पोस्ट,....

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...

    ReplyDelete
  12. शानदार लेख ... बाबा जी की तीसरी आँख का तो पता नहीं ... पर आपका यह लेख पढ़ कर बहुतों की आँख खुल जाये यही दुआ है मेरी ! सार्थक ब्लॉगिंग के लिए आपको साधुवाद !

    ReplyDelete
  13. आज भी लोग इस तरह के अन्धविश्वास में लगे हुए हैं देखकर बड़ा आश्चर्य होता है... सार्थक आलेख के लिए आभार

    ReplyDelete
  14. अनपढ़ रखे गए राष्ट्र में अनपढ़ लोग ही नहीं अब पढ़े लिखे भी अपने बच्चों की शिक्षा पर खर्च न करके और बच्चों का पेट काट कर इन बाबा लोगों को चढ़ावा चढ़ाते हैं. गृहस्थियों को लूटने वाले ये बाबा नरक कुंड के भागी होंगे, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए.

    ReplyDelete
  15. too good mahendra ji... baba ka sirf ek yogdaan hai. khana khane ke baad jab office mein bahut neend aa rahi hoti hai to inke show ke bahane thodi comedy dekhne ko mil jaati hai :-)

    ReplyDelete
  16. ye nirmal baba ab logo ke sath bachchon ke dimag par bhi ghuspaith kar rahe hai..abhi annual exam ki copies check karte samay ek copy me likha mila NIRMAL BABA KI JAI lekin us bachche ki krupa shayad ruki hui thi kyonki use koi khas number nahi mile the....

    ReplyDelete
    Replies
    1. हाहाहहाहा
      चलिए बच्चों को पता चल जाएगा कि मामला फर्जी है।

      Delete
  17. ही ही ही ..बहुत सही भाईसाहब ,पहले बाबा को प्रणाम किया फिर बाबा को धड़ाम किया..अच्छा पोस्ट मोरटम किया ... वैसे सीरीअस्ली ये जितने बाबा टाईप लोग दिख रहे हैं टी वी, अखबारों में ये सिर्फ दुखी और हारे लोगों को मूर्ख बनाते है...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बिल्कुल मूर्ख बनाने से ज्यादा कुछ भी नहीं..

      Delete
  18. बहुत बढिया आलेख|

    ऐसे पाखंडियों के बारे में जितना हो सके लोगों को आगाह करना चाहिए|
    सरकार को भी ऐसे अंधविश्वास फैला कर लोगों की जेब ढीली करने वालों के खिलाफ उचित कार्यवाही करणी चाहिए!
    ऐसे टीवी शो बंद करवाने चाहिए!

    ReplyDelete
    Replies
    1. रतन जी ये टीवी का शो नही है, ये तो बाब का विज्ञापन है।

      Delete
    2. MAHENDRA JI SABHI CHENAL WALE NIRMAL BABA KA PROGRAM CHENAL PAR DIKHATE HAI KAHI NAHI LAGTA HAI KI YAH VIGYAPAN HAI SIVAY SONI CHENAL KE. SABSE PAHALE TO SABHI CHENAL WALO KO YAH CLEAR KARNA CHAHIYE KI YAH VIGYAPAN HAI KOI CHENAL PROGRAM NAHI HAI. GOVT. KO BHI LEGAL ACTION LENA CHAHIYE KI VIGYAPAN KO VIGYAPAN KI TARAH HI DIKHAVE NA KI PROGRAM KI TARAH.
      MAHENDRA PANWAR

      Delete
  19. इश्वर की तलाश में इश्वर बन गया
    इल्म बांटता है जो इल्म से मुकर गया /
    अभी जनमानस में भ्रम और निराशा गहराई तक जमीं है ऐसे पाखंडियों का जन्म लेना स्वाभाविक ही है अवसाद बाँटते हैं प्रकारांतर से सुनहरे स्वप्नों से... समीचीन लेख .बधाईयाँ जी /

    ReplyDelete
  20. ....n banane waalon ki kami hai n banne walon ki..kya kahen.. samjh to tabhi aayegi n jab khud koi samjhna chahega....
    bahut badiya jaagruk karate aalekh prastuti hetu aabhar!

    ReplyDelete
  21. hahaha.ise sanyog hi kahiye ki kal hi maine pahli baar nirmal baba ka ye show dekha aur sach kahti hu pet pakadkar hasne ka mn kar raha tha aur hasi bhi...accha lekh

    ReplyDelete
  22. क्या ज़बरदस्त आर्टिकल लिखा है ... पढ़ते पढ़ते हस वक़्त चेहरे पर मुस्कराहट थी ... वैसे शो देखने में मज़ा बड़ा आता है ... लाफ्टर शो ... :D

    ReplyDelete
  23. चलिए एक और बाबा को भी यहाँ की जनता झेल ही लेगी .बहुत सुन्दर..

    ReplyDelete
    Replies
    1. आगे आगे देखिए अभी
      बेचारे बाबा

      Delete
  24. आप ने जो लिखा उस से सहमत हूँ ...मैं ने अभी कुछ दिन हुए ही इनके बारे में सुना और टी वी पर सिर्फ एक एपीसोड देखा और हँसते- हँसते बुरा हाल जब हाल में बैठे सारे लोग अपेन पर्स और बटुवे खोल कर दिखा रहे हैं और बाबा हाथ दिखाकर कर उस में कृपा भेज रहे हैं.....हद्द है लोगों की बेवकूफी की कि जो कीमती समय और पंजीकरण की रकम के नाम पर पैसे बर्बाद कर रहे हैं....हिन्दुस्तान के ऐसे पढ़े लिखे अंधविश्वासियों पर तरस आता है जो इतना नहीं समझ सके कि जो बाबा अपने खुद के पैसे नहीं बचा सका वो भला कैसे किसी पर कृपा करेगा? यह बाबा तो तीसरी आँख वाले हैं एक और आये हैं छठी आँख वाले....सच कहूँ तो मुझे तो बाबागिरी/अम्मा जी माता जी .. के व्यवसाय से बढ़कर फायदेमंद और सरलतम व्यापार और कोई आज की तारीख में नहीं लगता ....लानत है ..धिक्कार है ऐसे लोगों पर जो इन कथित भगवानो पर पैसे लुटाते हैं मगर किसी ज़रूरतमंद के लिए एक पैसा नहीं निकाल सकते ...इन 'अंध भक्तों' से यही कहना है कभी किसी बीमार की चार दिन ही सेवा कर दें --उसी से ढेरों दिली दुआ मिल जायेंगी..

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी, इसीलिये कहा ना कि ये है टीवी का लाफ्टर शो

      Delete
  25. अरे भाई आपको औरत जाति से डर नहीं लगता? बाबा नाख़ुश हों न हों औरतें अवश्य नाराज हो जाएंगी। आख़िर उनका उनपर अटूट या अन्धविश्वास जो है घर की रोटी न बन्द हो जाय इस पर कभी सोचा महोदय!

    ReplyDelete
  26. wastut:insan jaisi bhawna banata hai vaisa use milta hai par sara shrey babao ki jholi me chala jata hai ...

    ReplyDelete
  27. ek comment kal main ne bhi likha tha...ab dikhaayee nahin de raha??

    ReplyDelete
  28. जितनी तारीफ की जाए कम है....मैं भी प्रयास में हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक असलियत बता सकूं...पर फेसबुक में कोई मजेदार पोस्ट लिखो तो कई कमेंट्स आ जाते हैं...पर नीरा मल बाबा के खिलाफ लिखो तो कोई नहीं फटकता...दरअसल लोग डरते हैं कि उनके और उनके परिवार में कोई अनिष्ट न हो जाए...बताइये इतना खौफ है लोगों में इन पाखंड़ी बाबाओं को लेकर..बहरहाल आपने तो खुश कर दिया...और आपके मित्रों ने कमेंट्स कर आपका साथ भी दिया...बधाई..और धन्यवाद...ऐसे ही लिखते रहे...

    ReplyDelete
  29. श्रीवास्तव जी .....जय हो

    एक कटु अनुभव हमें भी हो चुका हैं .....निर्मल बाबा के भक्त द्वारा .....क्या अन्धविश्वास पर ये दुनिया के लोग जीते हैं ...अपनी आँखों से देख चुकी हूँ


    आपकी हर बात सत्य हैं .....जय हो

    ReplyDelete
  30. समस्याओं को चुटकियों में निर्मूल करते निर्मल बाबा !
    वाह बढ़िया कटाक्ष किया है लेख में,
    महेंद्र भाई, आजकल इन बाबाओं की बाढ़ सी आ गई है !

    ReplyDelete
  31. meri kisi samaysa ka samadhan kai varshon se nahi ho raha aur aap to jante hai..salah dene valo ki koi kami nahin...kisi ne nirmal darbar mein jane ki salah de di...main aadambar mein jara bhi bharosa nahin karti isliye is salah ko ansoona kar dia par mere papa roj nirmal baba ka program dekhte hai aur bahut prabhavit bhi hote hai...mere dimag mein hamesha prashn chalte rahte hai ki aisa kaise ho sakta hai...agar koi insaan sach mein dusron ki kamai badva sakta hai to use apne yahan aane valo se fees lene ki kya jarurat hai...aur ye bhi kabhi samajh nahin paati ki agar bhagwan bhi paiso se khush hote hai to insaan aur bhagwan mein kya antar hai..aaj aap ka lekh padhkar bahut khushi huyi kyonki mere man ke vicharo ko yahan shabd mile hai..ghar mein sabko padhkar suna rahi hun :)

    welcome to माँ मुझे मत मार

    ReplyDelete
    Replies
    1. वो सब ठीक है, सभी को सुनाइये,पर पापा मत सुनाना भाई, उनकी आस्था है तो बनी रहनी चाहिए।

      Delete
  32. Dekheeye-----aap ki post chori ho kar Facebook par pahunch gayee hai.
    https://www.facebook.com/photo.php?fbid=113132385485306&set=at.106173829514495.7964.100003656353018.100002843162047.100003602945962&type=1&ref=nf

    ReplyDelete
  33. Replies
    1. जी आपका शुक्रिया, मैने देखा कोई ममता गुप्ता है, जिसे मै जानता नहीं हूं। उसने इस पूरे लेख को ही अपने फेसबुक वाल पर डाल दिया है। उसकी तस्वीर से तो लगता है कि पढ़ी लिखी है, पर जैसा काम किया है उससे इतना साफ है कि कपड़ों के आधार पर किसी के बारे में अच्छी राय नहीं बनानी चाहिए, कई बार अच्छे कपड़ों के भीतर शातिर चोर घुसे होते हैं।

      Delete
  34. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी आपने कमेंट क्यों डिलीट किया, पता चला मुझे
      कोई बात नहीं आपको लेख पसंद आया, ये अच्छी बात है।
      मित्रों के दबाव में करना पड़ता है ऐसा..

      Delete
  35. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  36. आखिर ये सब लाफ्टर शो से ज्यादा ते है ही क्या !
    धन्य हैं दरबार में जाने वाले :)
    -
    -
    मेरे यहाँ आने से पहले तक 75 कृपा (प्रतिक्रियाएं) प्राप्त हुयीं !
    बस आप यहीं चूक गए !
    आपने यह पोस्ट सोमवार को प्रकाशित की है, अगर आपने मंगलवार को यह पोस्ट डाली होती तो भरपूर कृपा आती !

    ReplyDelete
    Replies
    1. हाहहाहाहहाहा

      सही कहा आपने,कृपा आनी रुकी हुई है

      Delete
  37. जी हाँ महेंद्र जी
    ममता गुप्ता जी का वो लेख मैंने फेसबुक पर देखा है
    https://www.facebook.com/photo.php?fbid=113132385485306&set=at.106173829514495.7964.100003656353018.100002843162047.100003602945962&type=1&ref=nf
    पूरा लेखा आपके यहाँ से कापी किया गया है !
    आप उनको आगाह करें और हिदायत दें कि कम से कम मूल लेखक के नाम का तो उल्लेख कर दें !
    यह बहुत निंदनीय कृत्य है !

    ReplyDelete
  38. mahendra ji bahut hi dhansu article likha he sahab ab to public ko jagne ki jarurat he

    ReplyDelete
  39. mahendra ji bahut hi dhansu article likha he sahab ab to public ko jagne ki jarurat he

    ReplyDelete
  40. आपने श्रद्धेय बाबाजी की मजाक उड़ाई, आप पर कृपा भी खत्म हुई और दंड स्वरूप आपकी पोस्ट चोरी हुई।
    अभी पुन: कृपा प्राप्‍त करने के लिए पौने चार दिन तक बाबाजी के फोटो को अपने फेसबुक और ब्लॉगर के हैडर पर लगाना होगा।
    :)
    मजेदार आलेख, एकाद बार यह लाफ्टर शो मैने भी देखा, और हंसी आ गई। गुजराती में एक कहावत है लोभिया होय त्यां धुतारा (ठग) भूखे ना मरे..

    ReplyDelete
  41. सागर जी की प्रतिक्रिया पढ़कर हंस रहा हूँ ...........
    उन्होंने बहुत ही बढ़िया लोकोक्ति कही !
    हमारे यहाँ शुद्ध भाषा में कहते हैं कि - "जब तक चूतिया जिन्दा हैं, चतुर भूखा नहीं मर सकता"

    ReplyDelete
  42. nice article .....jai hind

    ReplyDelete
  43. mahener ji kya likha hai apne..humare Himachal me kahawat hai ...kauwa jitna bhi chalak ho khata wo shit hi hai....ab iss baba ke din bhi kam reh gaye hai...janta itni bhi ullu nhi hai ji ...jai Hind..

    ReplyDelete
    Replies
    1. हाहहाहाहहा
      आपका बहुत बहुत आभार

      Delete
  44. बेहतरीन प्रस्तुति,सुन्दर आलेख ...मैंने बाबा का लाफ्टर शो देखा,पता नही लोग कैसे बाबा के प्रति आकर्षित होते है,.....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

    ReplyDelete
  45. बहुत बढ़िया आलेख,

    ReplyDelete
  46. Ka bhaiya baba ki pol khol di..unko kain ka nhi choda..haha..jai ho nirmal baba ki

    ReplyDelete
  47. wah kya lekh likha hai . aapako bahut bahut dhanywad

    ReplyDelete
  48. किरपा रूक ना जाए
    इसलिए अब टीवी शो में ऊपर 'विज्ञापन' लिखा दिखने लगा है वरना पहले तो चैनल वाले ही कोटि कोटि प्रणाम करते थे :-)

    ReplyDelete
  49. kya baat hai baba ji k peechhey haath dho k; nahi nahi purey naha waha k pad gaye ho....... khuda kare kuchh logo par iska asar ho ! kab log apna bhavishya khud main dekhna shuru karenge.

    ReplyDelete
    Replies
    1. अच्छा लगा कि आपने इस लेख को पढा
      जी सही है

      Delete
  50. महेंद्र जी, आपने बाबा पर लिखा.
    बाबा की कृपा हुई आप पर और यह पोस्ट
    आपकी सर्वाधिक लोकप्रिय हो गयी.

    देख लिया न आपने
    'हाथ कंगन को आरसी क्या....'

    यूँहीं बाबाओं पर लिखते रहिएगा, कृपा बरसती रहेगी.

    ReplyDelete
  51. बाबा तो अब अंडर ग्राउंड हो गए.....इनके जैसे गेरुआ वस्त्रधरी ढोंगी बाबाओं को अब जनता पहचान चुकी है......... इस वेबलॉग पर यह मेरी पहली विजिट सार्थक साबित हुई.....मैं ब्लॉगिंग में नया हूँ...........कृपया मेरे ब्लॉग का भी अवलोकन कर मुझे अपनी प्रतिक्रियाओं से अवगत कराएँ.....
    आकाश कुमार

    ReplyDelete
    Replies
    1. हां जी बाबा तो अंडरग्राउंड हो चुके हैं,
      लेकिन दरबार अभी भी लग रहा है..

      Delete
  52. Replies
    1. आप ऐसा क्यों कह रहे हैं, मैं नहीं समझ पाया।
      आप भी लिखिए साहब...कौन रोकेगा..

      Delete
  53. Bahot pasand aya . dhanyawad

    ReplyDelete
  54. निर्मल बाबा , इनके साथ तो मेरा बहुत करीबी रिश्ता रहा है | असल में मैं जिस कमरे में सोता था , उसी कमरे में टी.वी. रखा था | रोज सुबह पिता जी या माँ जोर-जोर से इनका समागम सुनना शुरू कर देते थे और रोज मेरी नींद खराब हो जाती थी | तब से मेरा और इनका ३६ का आंकड़ा है |
    फिर हमारी मुलाक़ात भी बहुत रोचक थी , जब पहली बार मैंने इनका समागम सुना तो इन्होने किसी महिला से पुछा था कि ब्यूटी पार्लर जाती हो , उसने जवाब दिया - हाँ , इन्होंने फिर सवाल किया - सस्ते या महंगे | महिला बोली - सस्ते तो इन्होंने समाधान बताया कि महंगे वाले जाया करो कृपा होगी | मुझे बहुत इंट्रेस्टिंग लगे फिर तो हरी चटनी के साथ समोसा , महंगे ब्रांडेड काले पर्स आदि आदि |
    फिर जैसे ही मैं कॉलेज वापस आया मैंने इन्टरनेट पर इनके बारे में खोज-बीन शुरू की | वहीँ मुझे पता चला कि इनका असली नाम निर्मलजीत सिंह नरूला है | ये यही सब कांड अपने गांव में भी करते थे , वहाँ आज भी इनके खिलाफ फ्रॉड का आरोप है | इनके जीजा जी का भी साक्षात्कार सुना | फिर इनकी वेबसाईट का विश्लेषण देखा | वहाँ का नजारा देखकर तो मेरी आँखें फटी रह गयीं |
    अगले ६ महीने के लिए बाबा का कार्यक्रम हाउसफुल था , एक सीट भी खाली नहीं | मतलब राजधानी में रिजर्वेशन लेना आसान है , बाबा के समागम का टिकट लेना नहीं | हर सीट का शायद २००० रुपये और ३ साल से बड़े बच्चे/बच्ची का पूरा किराया देना होगा | हर समागम में कुल ५००० सीट होती थीं | इस हिसाब से अगर आप १८० दिन मानकर भी हिसाब लगाएं तो इनकी अगले ६ महीनों के लिए कुल जमा राशि १८०००००००० रुपये हुई और ये टैक्स कितना देते होंगे भगवान ही जाने !
    वो सारे वीडियो मैंने अपने घर में दिखाए | अब जाकर मैं चैन से सो पाता हूँ | :)

    अगर व्यक्ति पर कृपा हो रही है वो भी ईश्वर की मर्जी है और अगर नहीं हो रही तो वो भी ईश्वर की ही मर्जी है | भक्ति में प्रेम का स्थान होना चाहिए , न कि भय का |

    सादर

    ReplyDelete
  55. निर्मल बाबा का शो ( लाफ्टर शो ) आज फिर देखा तो हैरान रह गया। कुछ इधर उधर के चैनलों पर बाबा ने शो शुरू कर दिया है

    ReplyDelete
  56. माननीय महोदय,
    सादर नमन
    आज शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ..आपकी कई सारी पोस्ट पढ़ीं, बहुत अच्छी लगीं...ज्ञानवर्धक भी..सामयिक विषयों को आप बड़ी गंभीरता से तथ्यो के साथ उठाते हैं...हार्दिक बधाई और आभार!
    सादर/सप्रेम
    डॉ. सारिका मुकेश
    Dr. Sarika Mukesh
    https://www.facebook.com/antarmankilaharen
    http://sarikamukesh.blogspot.com
    http://hindihaiku.blogspot.in

    ReplyDelete
  57. Reverse cell phone lookup Hello Dear, are you in fact visiting this
    web site daily, if so afterward you will without doubt take nice know-how.
    phone number lookup

    Here is my webpage - reverse phone lookup

    ReplyDelete

जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।