लगता है आप नहीं समझे। चलिए मैं पूरी कहानी बताता हूं। अभी तक लोग निर्मल बाबा की करतूतों को सुनते देखते चले आ रहे थे। अब मार्केट मे धमाकेदार एंट्री की है मुंबई से राधे मां ने। चलिए पहले जान लीजिए कि राधे मां है कौन। बताते हैं कि राधे मां का जन्म पंजाब के होशियारपुर जिले के एक सिख परिवार में हुआ है। इनकी शादी भी पंजाब के ही रहने वाले व्यापारी सरदार मोहन सिंह से हुई है। शादी के बाद इनका वैवाहिक जीवन ठीक ठाक चल रहा था, परंतु एक दिन इनकी मुलाकात शिव मंदिर के पास महंत श्री रामदीन दास से हुई। उन्होंने इनकी धार्मिक प्रतिभा तो पहचाना। महंत रामदीन के प्रभाव में आने के बाद ये राधे मां बन गईं और कथिक रूप से वह लोगों के व्यक्तिगत, व्यापारिक और पारिवारिक समस्याओं को दूर करने लगी। पहले तो इन्हें ज्यादा लोग नहीं जानते थे, लेकिन अब इनकी दुकान लगभग सभी बाबाओं से बड़ी हो गई है।
आज राधे मां का जलवा देश-विदेश में भी फैला हुआ है। मुंबई में उनके लिए बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं। इन्हें उनके अनुयायी दुर्गा का अवतार बता रहे हैं। ये न तो कुछ बोलती हैं और न कोई प्रवचन देती हैं, लेकिन इनकी नजरों का कायल हर कोई है। पंजाबी के होशियापुर की रहने वाली इस महिला के आयोजनों में लाखों लोग शरीक होते हैं। शहर भर में बड़े-बड़े बैनर पोस्टर लगाकर इनका प्रचार किया जाता है। अच्छा राधे मां के आयोजन में श्रद्धालुओं को आनंद बहुत आता है। राधे मां दुल्हन की तरह सज संवर कर आती हैं और पूरे समय तक झूमती रहती हैं। उनके मंच के चारो ओर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी झूमते रहते हैं। इस दौरान राधे मां लोगों को अपनी नजरों से अपने वश में करतीं नजर आतीं है।
किसी भक्त पर मां जब बहुत खुश हो जाती हैं तो वो झूमते झूमते उसकी गोद में कूद जाती हैं। माना जाता है कि जिस भक्त की गोद में मां ने छलांग लगाई है वो बहुत भाग्यशाली है और उसकी सभी मन्नतें तत्काल पूरी हो जाएंगी। राधे मां जब गोद में आ जाती हैं तो भक्त दोगुनी खुशी से मां को लेकर नाचता है। मुंबई में आजकल राधे मां के एक के बाद एक आयोजन हो रहे हैं और खास बात ये है कि इसमें तमाम पढे लिखे लोगों के साथ ही सिनेमा जगत के लोग भी मां के दर्शन को आ रहे हैं।
राधे मां ने जब इस धंधे की शुरुआत की थी तो उन्हें पता नहीं था कि कभी उनकी ये दुकान इतनी बड़ी हो जाएगी। कुछ साल पहले राधे मां ने दिल्ली में कई दिन गुजारा। उस दौरान ये दिल्ली के लाजपतनगर मे जिसके घर रुकी हुई थीं, उनके घर का जीना मुहाल हो गया था। लाल टीशर्ट और लाल ही टाइट सेलेक्स पर जिस तरह फिल्मी धुनों पर घर में रात बिरात फूहड़ डांस करती फिर रहीं थी, घर के लोग परेशान हो गए थे। जब लोग मना करते कि ये क्या हो रहा है तो इनके अनुयायी कहा करते थे की राधे मां खेल रही हैं। वैसे वीड़ियों में राधे मां अपने पिछले हिस्से को जिस फूहड़ तरीके से हिलाती दिखाई दे रही हैं, उस तरह का डांस हम गांव में लगने वाले मेलों में देखते रहे हैं। फूहड़ डांस का ही नतीजा है कि एक आयोजन के दौरान दो लड़के राधे मां को किनारे खड़े घूरते रहे। बाद मे जब ये बात इस राधे को समझ में आई तो इन्होंने माइक थामा और जोर जोर से चिल्लाने लगीं, मुझे देखने मत आओ, बस मेरा दर्शन करो। हाहाहाहहा.. इस बहुरुपिया मां को कौन समझाए कि जब आप देखने की चीज बन गई हो तो दर्शन करने कौन आ रहा है।
और हां अब बात प्रसाद की। इस मां का प्रसाद देने का जो तरीका है, उससे उल्टी आने लगती है। एक भक्त खीर लेकर आता है, ये कथित मां उसमें से एक चम्मच खीर मुंह में रखती है, पांच सेकेंड बाद वो खीर एक भक्त के हाथ पर उगल देती है और लोग एक एक चावल का दाना प्रसाद के रुप मे ग्रहण करते हैं। इसी तरह इसे कोई भी प्रसाद चढता है तो ये उसे जूठा करती है और गंदे तरीके से भक्तों के हवाले कर देती है। बाद में उसे ही लोग प्रसाद के रुप में ग्रहण करते हैं। मैने तो जो कुछ देखा और इसके बारे में सुना है, उससे तो यही लगता है कि ये धर्म की नहीं गंदगी की राधे मां है।
इतना ही नहीं इस मां को धर्म की एबीसीडी नहीं आती है, इसीलिए वो पूरे समय खामोश रहती है। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इंगलिश में दो लाइनें बोल दीं, जिसको लेकर विवाद मचा हुआ है। अब हर मुंबई वासी कह रहा है कि ये तो बाबाओं के बाप की मां निकली राधे मां.।
निर्मल बाबा छोडेगे बाबागिरी ?
कल रात का सपना बड़ा भयावह था, देख रहा था कि मैं निर्मल बाबा के सिंहासन पर चूड़ीदार पैजामा और डिजाइनर कुर्ता पहने बैठा हूं और मेरे सामने खुद निर्मल बाबा घिघियाते हुए कह रहे हैं, बाबा मुझे बचाओ। उनकी आंखो से आंसू निकल रहे थे और मैं कह रहा था कि पहले ये बताओ आप कहां से आए हो ? हाथ जोड़े खड़े निर्मल ने कहा बाबा ने कहा पता मत पूछिए, मेरे पीछे पुलिस लगी है। अरे पुलिस को छोड़ो, अब ये बताओ तुम्हारे सामने मुझे आलू के पराठे क्यों दिखाई दे रहे हैं ? निर्मल बाबा बोले बाबा मैने कल रात पराठा खाया था और चार पांच पराठे गरीबों में बांटे भी थे। मैने कहा आपने पराठा किस चीज के साथ खाया, निर्मल बोले बाबा दही के साथ, और गरीबों को क्या दिया ? वो बोले केवल पराठा, बस यहीं कृपा रुकी हुई है। जाओ गरीबों को भी दही के साथ पराठा खिलाओ..। कृपा आनी शुरू हो जाएगी। निर्मल वापस अपनी कुर्सी पर जाने लगे तो मैने उन्हें फिर बुलाया और कहा ये हमारी मुठ्ठी बंद क्यों हो रही है भाई, एक बात बताओ, आपने दुनिया भर के लोगों से दसवंत निकलवाया, क्या आपने खुद दसवंत निकाला। अब निर्मल बाबा समझ गए थे कि गल्ती कहां हुई है और क्यों रुक गई कृपा। बेचारे चुपचाप जाकर पीछे की सीट बैठ गए। मेरे समागम में अगला श्रद्धालु आया तो मेरे सम्मान में कसीदें पढ़ने लगा। बोला
और मेरा कौन है, जो कुछ हैं सो आप हैं।
आप मेरे बाप के भी बाप के भी बाप हैं।।
मैने अपना बायां हाथ थोडा सा ऊपर करके उसे आशीर्वाद तो दे दिया, लेकिन मन ही मन सोचने लगा कि क्या ये मुझे पहचान तो नहीं गया है। क्योंकि शक्ल से तो ये श्रद्धालु बिल्कुल लुच्चा लग रहा है और मुझे अपने बाप का बाप बता रहा है। खैर नींद खुली तो सपने की बात को बड़ी देर तक सोचता रहा। निर्मल बाबा पर दया भी आ रही थी कि उन्हें क्या दिन देखने पड़ रहे हैं। बहरहाल अब मुझे लगता है कि निर्मल बाबा का खेल खत्म होने को है। अपने अजीबो-गरीब और बेतुके सुझावों से भक्तों पर कृपा बरसाने का दावा करने वाले निर्मल जीत नरूला उर्फ निर्मल बाबा के खिलाफ अब जनता ने पुलिस में रिपोर्ट लिखानी शुरू कर दी है और बाबा पर चार सौ बीसी के तहत गिरफ्तारी का खतरा भी मंडरा रहा है। बाबा अपनी बाबागीरी छोड़ने के मूड में आ गए लगता हैं। अपने चर्चित समागमों के द्वारा करोड़ों रुपये डकार चुके निर्मल बाबा ने पहली बार जून महीने के सभी समागम को अचानक रद्द कर दिया। बताते हैं कि बाबा को डर है कि कहीं श्रद्धालु बनकर पुलिस ही समागम में ना आ जाए और उनकी कृपा की दुकान बंद कर गिरफ्तार कर ले जाए।
निर्मल बाबा .अब राधे माँ ,इसके आगे कौन ????
ReplyDeleteबहुत शिकार हैं ....आपके लिए ..कलम पैनी रखिये ......!
शुभकामनाएँ!:-)))
शुक्रिया सर
Deleteअब पुरुष जब बाबा बन कर पूजे जाने लगे तो स्त्रियां भी अगर मां बन कर अवतरित होती है तो..इसमें बुराई क्या है?...हमारा समाज ही जब ना-समझ होने का स्वांग रच रहा है तो क्या बाबा और क्या मां...सभी की दुकाने चलनी ही है!
ReplyDelete...बहुत अच्छी सामग्री आपने पेश की है...धन्यवाद!
जी बात तो आपकी भी सही है
Deleteपर ऐसा नहीं है कि पुरुष बाबा का मैं हिमायती हू
इसी लेख मे निर्मल बाबा के बारे में भी मैने अपनी बात कही है।
मैं तो ऐसा मज़ाक में कह रही हूँ...जब हर क्षेत्र में स्त्रियां,पुरुषों की बराबरी कर रही है तो बाबा वाले क्षेत्र में क्यों नहीं?
Delete:)) ...वाह! यह भी खूब रही.
ReplyDeleteयह भी पंजाब से ....राधा रानी जी.
वाकई में मूर्ख लोगों की कमी नहीं है दुनिया में जो इन लोगों को सर पर चढ़ा लेते हैं.
यह सारा खेल organised ही लगता है .
हाहाहा, जी
Deleteआपका बहुत बहुत आभार
और भी ना जाने ऐसे कितने बाबा और माता होंगी जिनकी दुकान धड़ल्ले से चल रही होगी... अपनी कलम से वार करते रहिये... शुभकामनायें
ReplyDeleteशुक्रिया संध्या जी
Deleteइस देश का क्या होगा ? यह सोचकर बहुत दुःख होता है ....किसी तरफ से आशा की किरण नजर नहीं आती ....! हर तरफ बाबा नजर आते हैं सब इस देश को लूटने के लिए तत्पर हैं और ऐसे में जनता की भूमिका भी कम नहीं है .....!
ReplyDeleteजी हम सबको लोगों को जागरुक करना होगा
Deleteफिर सबकी मर्जी
निर्मल बाबा ने अपने को हाईटेक प्रचार करके,,,सभी बाबाओं की आँख खोल दी,,
ReplyDeleteRESENT POST,,,,,फुहार....: प्यार हो गया है ,,,,,,
बिल्कुल सही
Deleteपर समय है हम सबको लोगों की आंखे खोलनी होगी
प्रजा तंत्र की धार्मिक karm kaandiy khar patvaar हैं ye tamaam baabaa . yakeen maaniye hamaare ek samdhi bhi inke sammohan jaal me aabaddh hain ab tak aathh das guru badal chuken हैं nemam से dilli tak .ye khel paise से chaltaa hai paisaa faink tamaashaa dekh .zanaab hamse bahut naaraaz हैं kahten हैं aap अपना uddhaar kyon nahin karvaate ?
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -
फिरंगी संस्कृति का रोग है यह
प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति को भी यह रोग लग जाता है .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
ram ram bhai
शुक्रवार, 8 जून 2012
जादू समुद्री खरपतवार क़ा
बृहस्पतिवार, 7 जून 2012
कल का ग्रीन फ्यूल होगी समुद्री शैवाल
http://veerubhai1947.blogspot.in/
सहमत हूं
Deleteप्रजा तंत्र की धार्मिक कर्म कान्डीय खर पतवार हैं ये तमाम बाबा . यकीन मानिए हमारे एक समधी भी इनके सम्मोहन जाल में आबद्ध हैं अब तक आठ दस गुरु बदल चुकें हैं नेमं से दिल्ली तक .ये खेल पैसे से चलता है पैसा फैंक तमाशा देख .ज़नाब हमसे बहुत नाराज़ हैं कहतें हैं आप अपना उद्धार क्यों नहीं करवाते ?
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -
फिरंगी संस्कृति का रोग है यह
प्रजनन अंगों को लगने वाला एक संक्रामक यौन रोग होता है सूजाक .इस यौन रोग गान' रिया(Gonorrhoea) से संक्रमित व्यक्ति से यौन संपर्क स्थापित करने वाले व्यक्ति को भी यह रोग लग जाता है .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
ram ram bhai
शुक्रवार, 8 जून 2012
जादू समुद्री खरपतवार क़ा
बृहस्पतिवार, 7 जून 2012
कल का ग्रीन फ्यूल होगी समुद्री शैवाल
http://veerubhai1947.blogspot.in/
samaj in babaon aur maaon ke sath kin mansik vikrutiyon ki aur badh raha hai ye sochniya hai...aashchary janak hai ki log is mansik vikruti ko na samjh kar kaise aise behude babaon aur maaon ke bahkave me aa jate hain.
ReplyDeleteaankhe kholane vali post..
थैक्स कविता
Deleteवाह महेंद्र जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया खुलासा ...वाह री दुनिया ...!!ताज्जुब ही होता है लोगों की समझ पर ...मुंबई में राधे माँ के बैनर्स लगे हुए देखे हैं .....जिसकी जैसी चल जाये ...!!
जी, यही हो रहा है, जैसे भी चल जाए और सीधी साधी जनता की जेब पर हमला कर दें..
Deleteकोई माँ बने या बाबा .....मुझे तो यह समझ नहीं आता की भीड़ में शामिल ये लोग कौन होते हैं ? जो इन्हें बढ़ावा देते हैं
ReplyDeleteसबसे अहम सवाल तो यही है
Deleteऐसे लोग पनपते भी तो हमारी ही वजह से हैं।
इन बाबाओ और माताओ से दूर ही रहना अच्छा है..मुझे इन पर बिल्कुल विश्वास नही है..
ReplyDeleteखुद तो दूर रहना ही है, लोगों को जागरूक भी करना होगा
Deleteकुछ कुछ तो सुन रहे थे राधे माँ के बारे में पर आज आपने पूरा वर्णन किया. धन्य है धर्मभीरू हिंदू.
ReplyDeleteजब से इन बाबाओं पर संकट आया है,
मेरी भी दुकानदारी (ब्लॉग) डौल गयी है...
वक्त वक्त की बात है. :)
हाहाहहा, बहुत बहुत आभार
Deleteमहेंद्र जी ...आपके ब्लॉग पर आकार जाना कि ये राधा माँ कौन हैं ....अजीब हैं ये भारत की पढ़ी लिखी जनता ....जो ऐसे लोगो को माँ ...बाप ...और ना जाने क्या क्या बना देती हैं ...पढ़े लिखे मूर्ख हाँ यहाँ ....विश्वास का सारे आम कत्ल हो रहा हैं ...और हम सब तमाशा बने देखते ही रह जाते हैं ......पता नहीं लोग कब अपनी बुद्धि खोल कर सब समझेगें...
ReplyDeleteजब तक हम सब आंखे बंद किए रहेंगे, कुछ लोग इसी तरह हमारे विश्वास के साथ धोखा करेंगे। धर्म के नाम पर अंधभक्ति बंद होनी ही चाहिए..
Deleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
ReplyDeleteसूचनार्थ!
शुक्रिया सर
Deleteबाबा और बाबाओं की बाप. किस्सा मजेदार. इन्हें इस मुकाम तक पहुचने वाले भी हम सब ही हैं.
ReplyDeleteजी ये बात तो सही है
Deleteनारी शक्ति :)
ReplyDeleteनारी शक्ति को तो मैं भी प्रणाम करता हूं
Deleteलेकिन राधे मां को नहीं
bura hal ha logo ki mansikta ajeeb ha, andhe log kisi ke bhi piche chal dete hai
ReplyDeletebura hal ha logo ki mansikta ajeeb ha, andhe log kisi ke bhi piche chal dete hai
ReplyDeleteथैंक्स श्वेता
Deleteबधाई ...
ReplyDeleteआपके कार्य प्रभावशाली हैं !
बहुत बहुत आभार सतीश जी
Deleteराधे मां की जय हो...
ReplyDeleteहाहहाहाह
Deleteशुक्रिया
आपकी कलम और उसकी खोज़ यूँ ही अनवरत चलती रही ... यही शुभकामनाए
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteसंसार में दुःख ही दुःख है ... मेरे दुःख तेरे दुःख छोटा कैसे .... लग रहा है ये देश भगवानो कि जगह अब बाबाओ की फैक्ट्री बन गया है
ReplyDeleteआशीर्वाद लो या प्रसाद दो
ReplyDeleteतुमको खुद इन पाखंडियो से खतरा है
राधे हो आसाराम हो रामपाल हो सब आश्रम के नाम पर अय्यासी का अड्डा चला रहे.राधे माँ आस्था के नाम पर अश्लीलता फैला रही है।।
ऐसे पाखंडी लोगो को तुरंत कारागार में डाल देना चाहिए।
आजकल लोग मेहनत से काम नहीं करना चाहता कोई बाबा तो कोई डॉन बन रहा है। इंसान कोई नहीं बन रहा है।। भाइयो सच है मैंनेABPp न्यूज़ देखा ।
दग रह गया
ये किसी कॉल गर्ल की भाषा बोल रही थी...
इससे क्या फर्क परता है ये तो इनके इंस्टिट्यूट के शक्ति का प्रदर्शन है
ReplyDeletehttps://rajpootsandy101.blogspot.in/2017/09/voxbox-marital-rape-in-india.html