कल से ही सोच रहा हूं कि कम से कम अंतर्रराष्ट्रीय हिंदी ब्लागिंग दिवस पर कुछ तो लिखा जाए, मित्र भी लगातार याद दिला रहे हैं, पूछ रहे हैं कहां गायब है, इन दिनों दिखाई नहीं दे रहे , न ही ब्लाग पर पहले की तरह सक्रिय है । मैने भी महसूस किया कि तीन चार सालों में ही ब्लागिंग में एक अच्छा खासा परिवार बन गया था, उन दिनों हफ्ते दो हफ्ते में ब्लागर मित्रों से बात न हो तो कुछ खालीपन सा महससू होता था, पर बीच में अपनी व्यस्तता, इसके अलावा ब्लागिंग के प्रति कुछ ब्लागरों के नकारात्मक रवैये से मन खिन्न हुआ और यहां से थोड़ी दूरी बन गई । वैसे एक बात बताऊं ये सच है कि काफी समय से ब्लाग पर सक्रिय नही रहा, लेकिन ऐसा भी नहीं रहा कि मैने आप लोगों को पढ़ा नहीं । आप सब जानते हैं कि इन दिनों ज्यादातर ब्लागर अपने नए लेख का लिंक ट्विटर या फेसबुक पर जरूर शेयर करते है, इससे आसानी से उनके ब्लाग तक पहुंचा जा सकता है, हां ये अलग बात है कि मोबाइल पर पढने से कमेंट करनें में जरूर असुविधा होती
है।
अब बात शुरू ही हो गई है तो पुरानी बात याद करना भी जरूरी है । आपको पता है कि हिंदी ब्लागिंग के दुश्मन कोई और नहीं कुछ हिंदी के ही अल्प जानकार ब्लागर रहे हैं । वो खुद ही ब्लागिंग के शिरोमणि बन बैठे और यहां अपनी नकली सरकार चलाने लगे। इतना ही नहीं वो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का सम्मान समारोह भी आयोजित करने लग गए । हैरानी तब हुई जब मैने देखा कि इस सम्मान समारोह के आयोजन के नाम पर धनउगाही शुरू हो गई । बेचारे नए ब्लागर जो इस आभासी दुनिया की हकीकत को नहीं जानते थे, वो इनके जालसाजी में फंस गए। पहले तो इन तथाकथित ब्लागिंग शिरोमणियों ने उन ब्लागरों को छांटना शुरू किया जिन्हें आसानी से जाल में फंसाया जा सकता है, इन नामों की सूची तैयार करने के बाद साजिश के तहत एक माहौल बनाया जाता था कि सम्मान के लिए विजेताओं के नाम जल्दी घोषित किए जाएंगे। यही बातें ब्लागिंग शिरोमणि के चेले चापड भी अपने ब्लाग पर लिख कर पूरा जाल बिछाया करते थे। बाद में सम्मान के लिए कुछ लोगों के नाम का बहुत ही धूमधाम ऐलान किया जाता था । मजेदार बात तो ये है कि इस सम्मान सूची में कई ऐसे ब्लागर की जिक्र होता था, जिसके ब्लाग पर एक भी लेख नहीं होते थे । मुझे याद है कि एक बार मैने सवाल उठाया कि सम्मान के लिए जिन लोगों के नाम तय किए गए है, आखिर उसकी क्राइट एरिया क्या है ? इस सवाल पर ब्लागिग जगत में तूफान मच गया, लेकिन किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं था। ऐसे में हमें हिंदी ब्लागिंग के कलंक को पहचानना होगा ।
सम्मान की सूची में महिलाओं खासतौर पर ऐसी महिलाओं को शामिल किया जाता था जो घरेलू हुआ करती थीं, और इस आभासी दुनिया के मुहाने पर खड़ी होती थी । इन्हें तरह तरह के लालच दिए जाते थे, बेचारी महिलाएं इन ढोगी ब्लागरों का दुपट्टा ओढने के चक्कर मे अपना दुपट्टा घर छोड़ आती थी। तीन चार साल तो ये बाजार खूब चला, लेकिन महिलाएँ उतना मूर्ख नहीं जितना इन्हें समझा जा रहा था। कुछ समय बीता तो इस सम्मान समारोह के खिलाफ कई महिला ब्लागर ही मुखर हो गईं। अच्छा एक बात और मजेदार होती थी, ब्लागरों में भी कुछ गुंडे ब्लागर है, जिन्हें खेल बिगाडने में महारत हासिल है। ऐसे ब्लागरों को साधने के लिए ब्लाग शिरोमणि पहले ही जाल बिछा लेते थे। उन्हें कुछ ऐसा साहित्यिक सम्मान देने का ऐलान किया जाता था जो सम्मान पद्मश्री टाइप लगता था। इन्हें बताया जाता था कि उन्हें कोई धनराशि नहीं देनी है, सिर्फ समारोह में शामिल होने की सहमति भर दे दें। उनके लिए आने जाने का किराया ही नहीं होटल खाना पानी सब फ्री रहेगा। इसके अलावा उनका आसन भी मंच पर रहेगा। ये बेचारे इसी में खुश हो जाते थे। अच्छा ऐसा भी नहीं है कि ये बातें मैं आज याद कर रहा हूं, जी नहीं ! पहले भी लोगों को इस दुकान के बारे में आगाह करता रहा हूं, लेकिन होता ये था कि ब्लागर शिरोमणि के चंपू मुझे गाली गलौज करते थे, कुछ लोग मेरा भी समर्थन करते थे । कुछ लोग फोन करके के सलाह देते थे कि इन नंगों के मुंह लगने से क्या फायदा ? यहां सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा।
बहरहाल आज अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागिंग दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएं देना महज औपचारिकता होगी। मुझे लगता है कि कुछ नहीं तो आत्ममंथन करना जरूरी है । हम सभी ब्लागरों को सोचना होगा कि हमने इस ब्लागिंग के सफर की शुरुआत कहां से की थी और आज कहां पहुंचे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं जाना कहां हैं, ये तय किए बगैर ही सफर की शुरुआत कर दी और चले जा रहे हैं, मंजिल का कोई अता पता ही नहीं। फिलहाल मित्रों की सलाह को मानते हुए एक बार फिर ब्लाग पर वापसी कर रहा हूं, कोशिश होगी कि यहां नियमित रहूं। आधा सच के साथ ही मेरे दो अन्य ब्लाग रोजनामचा और TV स्टेशन को भी अपने जेहन में याद रखें। प्लीज ।
महेन्द्र श्रीवास्तव
है।
अब बात शुरू ही हो गई है तो पुरानी बात याद करना भी जरूरी है । आपको पता है कि हिंदी ब्लागिंग के दुश्मन कोई और नहीं कुछ हिंदी के ही अल्प जानकार ब्लागर रहे हैं । वो खुद ही ब्लागिंग के शिरोमणि बन बैठे और यहां अपनी नकली सरकार चलाने लगे। इतना ही नहीं वो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर का सम्मान समारोह भी आयोजित करने लग गए । हैरानी तब हुई जब मैने देखा कि इस सम्मान समारोह के आयोजन के नाम पर धनउगाही शुरू हो गई । बेचारे नए ब्लागर जो इस आभासी दुनिया की हकीकत को नहीं जानते थे, वो इनके जालसाजी में फंस गए। पहले तो इन तथाकथित ब्लागिंग शिरोमणियों ने उन ब्लागरों को छांटना शुरू किया जिन्हें आसानी से जाल में फंसाया जा सकता है, इन नामों की सूची तैयार करने के बाद साजिश के तहत एक माहौल बनाया जाता था कि सम्मान के लिए विजेताओं के नाम जल्दी घोषित किए जाएंगे। यही बातें ब्लागिंग शिरोमणि के चेले चापड भी अपने ब्लाग पर लिख कर पूरा जाल बिछाया करते थे। बाद में सम्मान के लिए कुछ लोगों के नाम का बहुत ही धूमधाम ऐलान किया जाता था । मजेदार बात तो ये है कि इस सम्मान सूची में कई ऐसे ब्लागर की जिक्र होता था, जिसके ब्लाग पर एक भी लेख नहीं होते थे । मुझे याद है कि एक बार मैने सवाल उठाया कि सम्मान के लिए जिन लोगों के नाम तय किए गए है, आखिर उसकी क्राइट एरिया क्या है ? इस सवाल पर ब्लागिग जगत में तूफान मच गया, लेकिन किसी के पास इस सवाल का जवाब नहीं था। ऐसे में हमें हिंदी ब्लागिंग के कलंक को पहचानना होगा ।
सम्मान की सूची में महिलाओं खासतौर पर ऐसी महिलाओं को शामिल किया जाता था जो घरेलू हुआ करती थीं, और इस आभासी दुनिया के मुहाने पर खड़ी होती थी । इन्हें तरह तरह के लालच दिए जाते थे, बेचारी महिलाएं इन ढोगी ब्लागरों का दुपट्टा ओढने के चक्कर मे अपना दुपट्टा घर छोड़ आती थी। तीन चार साल तो ये बाजार खूब चला, लेकिन महिलाएँ उतना मूर्ख नहीं जितना इन्हें समझा जा रहा था। कुछ समय बीता तो इस सम्मान समारोह के खिलाफ कई महिला ब्लागर ही मुखर हो गईं। अच्छा एक बात और मजेदार होती थी, ब्लागरों में भी कुछ गुंडे ब्लागर है, जिन्हें खेल बिगाडने में महारत हासिल है। ऐसे ब्लागरों को साधने के लिए ब्लाग शिरोमणि पहले ही जाल बिछा लेते थे। उन्हें कुछ ऐसा साहित्यिक सम्मान देने का ऐलान किया जाता था जो सम्मान पद्मश्री टाइप लगता था। इन्हें बताया जाता था कि उन्हें कोई धनराशि नहीं देनी है, सिर्फ समारोह में शामिल होने की सहमति भर दे दें। उनके लिए आने जाने का किराया ही नहीं होटल खाना पानी सब फ्री रहेगा। इसके अलावा उनका आसन भी मंच पर रहेगा। ये बेचारे इसी में खुश हो जाते थे। अच्छा ऐसा भी नहीं है कि ये बातें मैं आज याद कर रहा हूं, जी नहीं ! पहले भी लोगों को इस दुकान के बारे में आगाह करता रहा हूं, लेकिन होता ये था कि ब्लागर शिरोमणि के चंपू मुझे गाली गलौज करते थे, कुछ लोग मेरा भी समर्थन करते थे । कुछ लोग फोन करके के सलाह देते थे कि इन नंगों के मुंह लगने से क्या फायदा ? यहां सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा।
बहरहाल आज अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लागिंग दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएं देना महज औपचारिकता होगी। मुझे लगता है कि कुछ नहीं तो आत्ममंथन करना जरूरी है । हम सभी ब्लागरों को सोचना होगा कि हमने इस ब्लागिंग के सफर की शुरुआत कहां से की थी और आज कहां पहुंचे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं जाना कहां हैं, ये तय किए बगैर ही सफर की शुरुआत कर दी और चले जा रहे हैं, मंजिल का कोई अता पता ही नहीं। फिलहाल मित्रों की सलाह को मानते हुए एक बार फिर ब्लाग पर वापसी कर रहा हूं, कोशिश होगी कि यहां नियमित रहूं। आधा सच के साथ ही मेरे दो अन्य ब्लाग रोजनामचा और TV स्टेशन को भी अपने जेहन में याद रखें। प्लीज ।
महेन्द्र श्रीवास्तव
शुभ प्रभात
ReplyDeleteये आधा नही पूरा सच है
हैं ऐसे...मैं समझती हूँ और जानती भी हूँ
सादर
नमस्ते
Deleteजी, कुछ हिंदी ब्लागरो ने पूरा माहौल खराब किया है !
निहायत ही नकारात्मक ,निराशावादी और तथ्यहीन पोस्ट |सर्वथा असहमति
ReplyDeleteआपका स्वागत है , थोड़ा ब्लॉगरो की जानकारी करे ! बहरहाल
Deleteनमस्कार महेन्दर जी ...कैसे हैं और कहाँ हैं आप ...खुश और स्वस्थ रहें |
ReplyDeleteमुझे तो आप की साफगोई भाती है ..मुझ जैसो को आप की बहुत ज़रुरत है ....शुभकामनायें जी |
सर
Deleteनमस्ते
कोशिश होगी की आपका आशीर्वाद मिलता रहे !
सटीक आकलन करती पोस्ट ..........ब्लॉग वापसी पर आपका स्वागत है
ReplyDeleteहम सब इस विषय पर लगातार चर्चा पहले भी करते रहे है !
Deleteवाकई सच बात कही है, हो रहा है इस तरह का
ReplyDeleteआँखें खोलती पोस्ट
शुभकामनाएं
सर
Deleteनमस्ते
मै अनुभव के आधार पर ये बात कह रहा हूँ ! बहुत से लोगो ने सम्मान का धंधा किया !
सच बात कही है, आपसे सह्मत !
ReplyDeleteसर
Deleteनमस्ते
मै अनुभव के आधार पर ये बात कह रहा हूँ ! बहुत से लोगो ने सम्मान का धंधा किया !
वाह
ReplyDeleteशुक्रिया !
Deleteजय हो
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteपहले भी पढ़ते थे अब भी पढ़ते हैं भले आधा सच हो 😊
ReplyDeleteजी नमस्ते !
Deleteमैं कभी तथ्यहीन बाते नही करता, इस मामले में एक एक ब्लॉगर का नाम गिना सकता हूँ ! फ़िलहाल तो मेरा जोर है कि ऐसे लोग आत्ममंथन करे !
एकांगी हो गयी पोस्ट, ब्लाॅगिंग के पतन का कारण इकलौते पुरस्कार शिरोमणि नहीं हैं और भी बहुत कुछ है जिसका जिक्र शायद पूर्वाग्रह के कारण छोड़ दिए/भूल गये। बाकी जो है सो तो हैइए है। मेरी शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteभाई ललित जी,
Deleteनमस्कार
आपका सकारात्मक सुझाव पहले भी मेरी पोस्ट पर मिलता रहा है !
हो सकता है ये पोस्ट एकतरफा लग रही हो, वैसे मैंने पहले ही पैराग्राफ में साफ कर दिया है कि अपनी अलग व्यस्तता और यहॉ नकारात्मक लोगो की गदगी से मन खिन्न हो चुका था, जिसकी वजह से मैं ही सक्रिय नही रहा ! ऐसे में कुछ और वजह भी हो सकती है, लेकिन मैं पक्का ये मानता हूँ की गलत लोगो का प्रभाव बढ़ा, गाली गलौच शुरू हुई, इससे यहाँ न रहना ही ज्यादातर लोगो ने बेहतर समझा !
नाइस
ReplyDeleteथैंक्स !
Deleteअपन तो कभी सम्मान के और मठाधीशों के चक्कर में पड़े ही नहीं
ReplyDeleteअच्छा किया, आगे भी सावधान रहें !
Deletesaty
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा आपने
ReplyDeleteAcha likha sir apne bht acha likha hai
ReplyDelete"बेचारी महिलाएं इन ढोगी ब्लागरों का दुपट्टा ओढने के चक्कर मे अपना दुपट्टा घर छोड़ आती थी। तीन चार साल तो ये बाजार खूब चला, लेकिन महिलाएँ उतना मूर्ख नहीं जितना इन्हें समझा जा रहा था। कुछ समय बीता तो इस सम्मान समारोह के खिलाफ कई महिला ब्लागर ही मुखर हो गईं"
ReplyDeleteसाँच को आंच नहीं साहब, तमाचा जड़ दिया, सादर
nice article apne bhaut hi achchi jankari di best collage Name India
ReplyDeleteBahut badiya yar bhai jan
ReplyDeleteDev bhavh
ReplyDeleteLajavab apka koi javab nhi bhai jan
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