मैदान में पानी ना मंगवाया तो धोनी नहीं |
देश की 121 करोड़ की आबादी जो क्रिकेट को धर्म की तरह मानती है और उससे प्यार करती है। यहां होने वाले हर फैसले से हम सब प्रभावित होते हैं। क्योंकि क्रिकेट से हमारी भावना जुड़ी हुई है। यही वजह है कि न्यूज चैनल भी मैच के कई दिन पहले से लेकर बाद तक हर पहलू की समीक्षा करते रहते हैं। ऐसे में एक अब बड़ा सवाल ये है कि टीम के कप्तान के पास कितना अधिकार होना चाहिए ? क्या उसकी पसंद नापसंद के आधार पर देश की टीम चुनी जानी चाहिए ? अगर एक आदमी को किसी खिलाड़ी की सूरत पसंद नहीं है तो उसे बाहर बैठा दिया जाना चाहिए ? क्या धोनी को इतना अधिकार दे दिया जाना चाहिए कि वो ओपनर बल्लेबाज को 12 खिलाड़ी बनाकर उससे मैदान में पानी को बोतल और तौलिए मंगवाए। फिर अगर आपने एक आदमी को इतना अधिकार दे दिया है और उसका फैसला गलत साबित होता है तो उसके लिए क्या कोई सजा का प्रावधान किया गया है ? मुझे तो लगता है कि उसके लिए सख्त सजा भी होनी चाहिए।
मैं ही नहीं पूरा देश जानता है कि ओपनर बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग और महेन्द्र सिंह धोनी के बीच कुछ अनबन है। अनबन की वजह कोई ज्यादा बड़ी नहीं है। बस सहवाग ने एक इंटरव्यू में ये कह दिया कि धोनी की अगुवाई में जितने मैच जीते गए हैं उसका पूरा क्रेडिट कप्तान को मिले, इसमें बुराई नहीं है, लेकिन ये टीम अफर्ट है, खिलाड़ियों के योगदान को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब इसमें सहवाग ने ऐसा क्या कह दिया कि धोनी उससे इस कदर नाराज हो जाएं कि सहवाग का कैरियर खत्म करने का संकल्प ले लें। सच ये है कि धोनी की मनमानी की वजह से अब टीम बर्बाद हो रही है। धोनी टीम में खेल से कहीं ज्यादा गुटबाजी को हवा दे रहे हैं।
धोनी को कौन समझाए कि आईपीएल और वर्ल्ड कप में बहुत अंतर है। आईपीएल में आप जिसे चाहें उसे प्लेइंग 11 रखे, जिसे चाहें 12 वां खिलाड़ी बनाकर उससे मैदान में पानी मंगवाएं। बताइये हर बड़े मैच के पहले अभ्यास सत्र का आयोजन किया जाता हैं। क्या अभ्यास सत्र के दौरान हमने वीरेंद्र सहवाग के विकल्प के बारे में विचार किया था ? अगर वीरेंद्र सहवाग को चोट ही लग जाती है तो गौतम गंभीर के साथ ओपनिंग कौन करेगा ? मैं समझता हूं बिल्कुल विचार नहीं किया गया। अव वहां एक मैच में वीरेंद्र सहवाग का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा तो उसे 12 वां खिलाड़ी बना दिया और इरफान पठान से ओपनिंग करा रहे हैं। पहले मैच में तो इरफान आठ ही रन बना पाए। खैर अच्छा ये हुआ कि 12 बाल यानि दो ओवर ही खराब किया।
कल आस्ट्रेलिया के साथ मैच की हार में एक बड़ी वजह इरफान पठान ही रहा। बताइये बीस ओवर के मैच में 11 ओवर तक इरफान पठान मैदान में रहा और महज 30 रन बना पाए। बाद में जो खिलाड़ी आए, उन पर रन बनाने का इतना दबाव हो गया कि वो जल्दी जल्दी विकेट गवां बैठे। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं कि इरफान ने सबसे ज्यादा रन बनाया तो आप गलत हैं। दरअसल आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जानबूझ कर इरफान पठान को आउट नहीं कर रहे थे। उन्हें लगा कि इसका मैदान पर रहना ही ज्यादा बढिया है। खेल पा नहीं रहा है और गेंद भी बर्बाद कर रहा है। जब दसवें ओवर के बाद इरफान ने थोड़ा हिम्मत कर गेंद को बाउंड्रीलाइन के बाहर किया तो आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने उसे आउट कर पवैलियन भेज दिया। आपको पता है कि सहवाग को ये कहकर धोनी ने बाहर बैठाया कि ओपनिग इरफान से करा लेगें और सहवाग के स्थान पर एक गेंदबाज को टीम में जगह दी जाएगी। 20 ओवर के मैच में गेंदबाज के रुप में जहीर खान, इऱफान पठान, आर अश्विन, हरभजन सिंह और पीयूष चावला यानि कुल पांच गेंदबाज मैदान में उतारे गए। हालत क्या हुई, सब पिटते रहे और धोनी को रोहित शर्मा, विराट कोहली और युवराज सिंह से भी गेंदबादी करानी पड़ी।
अब मैं जानना चाहता हूं कि धोनी किस बात के कप्तान है ? वहां कई दिन बिता चुके हैं। उन्हें हर मैदान का रुख पता होना चाहिए है, उन्हें मालूम होना चाहिए कि किस मैदान पर उनका कौन सा गेंदबाज कामयाब हो सकता है। अगर इतने दिन में आप ये भी नहीं पता कर पाए तो मेरी एक सलाह है। जिस तरह आपने वीरेंद्र सहवाग को बाहर बैठा दिया है, क्यों ना आपको भी नान प्लेइंग कप्तान बना दिया जाए ? आपको बाहर बैठाने की ठोस वजह भी है। जब हर गेंदबाज पिट रहा है, तो विकेट के पीछे आपकी जरूरत क्या है ? 20 ओवर यानि कुल 120 गेंद में कितनी गेंद विकेट के पीछे आप रोकते हो ? इससे बेहतर है कि नान प्लेइंग कप्तान रहो। बताइये हमारे टाप बल्लेबाज पवैलियन में मौजूद हैं और ओपनिग के लिए इरफान पठान मैदान में हैं, ये तो किसी सुलझे हुए कप्तान का फैसला नहीं हो सकता। ऐसा फैसला मेरी नजर में मूर्ख कप्तान ही कर सकता है।
दरअसल धोनी इस समय सेफ जोन में है। उसे पता है कि आईपीएल में जिस टीम से वो जुडा है, उसके मालिक की क्रिकेट वर्ल्ड में तूती बोलती है। उसके रहते इसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। दो दिन पहले सहवाग की पैरवी करने पर वरिष्ठ खिलाड़ी मोहिन्दर अमरनाथ को बीसीसीआई ने पैदल कर दिया। यानि उनकी चयन समिति से छुट्टी कर दी गई। इसके पहले आपको पता है कि धोनी के व्यवहार से खून के आंसू रो कर सीनियर खिलाड़ी वीवीएस लक्ष्मण ने क्रिकेट को ही अलविदा कह दिया। धोनी को लगता होगा कि ये उनकी जीत है, पर ये जीत नहीं है। देश के लोग पूरी टीम को प्यार करते हैं, फिर वीरेंद्र सहवाग जैसे खिलाड़ी हमेशा नहीं निकलते। ये खिलाड़ी हमारे देश के धरोहर हैं। इनके साथ अभद्रता कोई भी करे, क्रिकेट प्रेमी उसे माफ नहीं कर सकते।
धोनी फिर समझाने की कोशिश कर रहा हूं। आप विश्वकप के मैच खेल रहे हो। ऐसे फैसले से खुद को दूर रखो, जिससे स्वदेश वापसी पर जवाब ना दे सको। एयरपोर्ट से भी चोर रास्ते से निकलना पड़े। जिन लोगों के बल पर आप बेलगाम हो रहे हैं, वो आपको टीम में जगह दे सकते हैं, देश की जनता के दिलों में नहीं। अगर देश की जनता के दिलों पर राज करना है तो व्यक्तिगत खुंदस को दूर करके देश के लिए खेलो। अब गल्ती की गुंजाइस खत्म हो चुकी है। अगर विश्वकप की चुनौती में बने रहना है तो टीम को एक रख कर अच्छा प्रदर्शन करना होगा। ऐसा ना हो कि विश्वकप तो हाथ से जाए ही और लोग आपकी कप्तानी को मूर्खों का दर्जा दे दें। मुझे लगता है कि देशवासियों की भावना समझ गए होगे।
एक जरूरी सूचना :-
मित्रों आपको पता है कि मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुडा हूं। दिल्ली में रहने के दौरान सियासी गलियारे में जो कुछ होता है, वो तो मैं सबके सामने बेबाकी से रखता ही रहता हूं और उस पर आपका स्नेह भी मुझे मिलता है। मुझे लगता है कि आप में से बहुत सारे लोग टीवी न्यूज तो देखते होंगे, लेकिन इसकी बारीकियां नहीं समझ पाते होगें। मैने तय किया है कि अब आपको मैं टीवी फ्रैंडली बनाऊं। मसलन टीवी के बारे में आपकी जानकारी दुरुस्त करुं, गुण दोष के आधार पर बताऊं कि क्या हो रहा है, जबकि होना क्या चाहिए। इसके लिए मैने एक नया ब्लाग बनाया है, जिसका नाम है TV स्टेशन ...। इसका URL है। http://tvstationlive.blogspot.in । मुझे उम्मीद है कि मुझे इस नए ब्लाग पर भी आपका स्नेह यूं ही मिता रहेगा।