हालांकि मैं इस मत का हूं कि खेल में राजनीतिज्ञों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। क्रिकेट समेत सभी तरह के खेलों की पवित्रता को बनाए रखने के लिए एक सख्त कानून ये भी होना चाहिए कि जो लोग भी खेल से जुड़ी किसी भी संस्था में शामिल हैं, वो लोकसभा, राज्य सभा, विधानसभा या फिर विधान परिषद कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकते। खेल से जुड़ी जितनी भी संस्थाएं है, सभी संस्थाओं में सिर्फ खिलाडियों को ही चुनाव लड़ने की छूट होनी चाहिए। खैर राजनीतिज्ञों से तो बाद में निपट लिया जाएगा, अभी तो क्रिकेट को बचाना है। मुझे सबसे बड़ी शिकायत केंद्र की सरकार से है। जानवर की चमड़ी से बना एक आदमी अगर तमाम गंदगी उजागर हो जाने के बाद यही चिल्लाता रहे कि वो इस्तीफा नहीं देगा तो क्या पूरा देश यूं ही देखता रहेगा ? आज बीसीसीआई धनवान है, ये सही है। लेकिन ये भी सही है कि ये देशवासियों का पैसा है, हम सब क्रिकेट शौक से देखते हैं, टिकट खरीदते हैं, टीवी पर देखते हैं। क्रिकेट देखने की वजह से ही टीवी पर विज्ञापन मिलते हैं। लेकिन अब पता चल रहा है कि खेल का नतीजा मैदान पर तय नहीं होता, बल्कि पांच सितारा होटल में नतीजे तय होते हैं। जाहिर है ये देशवासियों के साथ विश्वासघात है। क्या ये पर्याप्त कारण नहीं है कि बीसीसीआई और आईपीएल मैनेजमेंट को बर्खास्त कर इनके बैंक खाते सीज किए जाएं। श्रीनिवासन का दामाद जो चेन्नई सुपर किंग्स का मालिक है, वो सट्टेबाजी तो कर ही रहा है, उसके पास लड़कियों को भेजा जा रहा है। क्या ये कारण पर्याप्त नहीं है कि चेन्नई की टीम को आईपीएल से बर्खास्त कर दिया जाए ?
रही बात भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की। क्रिकेट प्रेमी धोनी की इज्जत करते रहे हैं, वजह ये कि एक छोटे से शहर से निकल कर धोनी ने ना सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि देश के लिए दो विश्वकप भी जीता। आज मेरी नजर में धोनी और उनके प्रदेश झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधुकोड़ा में कोई अंतर नहीं है। अंतर सिर्फ ये है कि एक जेल के अंदर है दूसरा जेल के रास्ते में। वजह ये कि चेन्नई सुपर किंग के मालिक गुरुनाथ मयप्पन ने पुलिस को जो बयान दिया है, उसमें कहा गया है कि सट्टेबाजी के लिए वो धोनी से सलाह-मशविरा करके पैसा लगाता था। अच्छा धोनी की पत्नी खुद स्टेडियम में सट्टेबाज बिंदु दारा सिंह के साथ दिखाई दीं। क्या ये वजह पर्याप्त नहीं है कि सट्टेबाजी में धोनी की भूमिका की अच्छी तरह जांच हो। चैंपियंस ट्राफी के लिए लंदन रवाना होने से पहले मंगलवार को शाम धोनी पत्रकारों के सामने जिस तरह गूंगे बने हुए थे, उससे तो यही लगा कि वो मीडिया के सामने नहीं बल्कि पुलिस के सामने बैठे हैं। धोनी को देखने से कोई भी आदमी यही कहेगा कि कुछ तो गड़बड़ जरूर है। वैसे भी आज तक इस बात का जवाब नहीं आ पाया है कि धोनी पत्नी साक्षी सट्टेबाद बिंदु दारा सिंह के साथ क्यों मैच देख रहीं थी ? मुझे लगता है कि जांच शुरू करने के पहले धोनी को कप्तानी से हटाया जाना जरूरी है, क्योंकि वो श्रीनिवासन की कंपनी इंडिया सीमेंट में वाइस प्रेसीडेंट हैं। जाहिर है उनका वहां से आर्थिक हित जुड़ा है, ऐसे में श्रीनिवासन और गुरुनाथ मयप्पन के खिलाफ वो कुछ नहीं बोल सकते।
श्रीनिवासन के अड़ियल रूख से तो ऐसा लग रहा है जैसे ये बीसीसीआई के अध्यक्ष ना होकर क्रिकेट इंडिया के अध्यक्ष हैं, इनके ऊपर देश का कोई कानून लागू ही नहीं होता है। क्रिकेट इनकी खुद की और दामाद की प्रापर्टी है। किसी की कुछ सुनने को ये राजी ही नहीं हैं। इतना बड़ा खुलासा हो गया कि खिलाड़ी सट्टेबाजी में शामिल हैं, चेन्नई सुपर किंग का मालिक सट्टेबाजी कर रहा है । यही नहीं इस बात का भी खुलासा हो गया कि खिलाड़ी, टीम के मालिक और अंपायर देह व्यापार में शामिल हैं। उन्हें बकायदा कालगर्ल मुहैय्या कराई जा रही हैं। होटल के सीसीटीवी कैमरे में सब कुछ कैद हो चुका है। ये पाकिस्तानी अंपायर तो पहले भी कालगर्ल के साथ पकड़ा जा चुका है। इसके बाद भी उसे इस बार आईपीएल में बुलाया गया। आखिर इस मामले में किसकी जवाबदेही है? पुलिस की जांच में जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उससे साफ होता जा रहा है कि आईपीएल की आड़ में दूसरा ही धंधा फल फूल रहा है। इस घिनौनी करतूतों के सामने आने के बाद भी अगर श्रीनिवासन कहते हैं कि वो साफ सुथरे हैं, फिर तो अब पुलिस कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं बचा है। मुझे लगता है कि पुलिस को छापा मारकर बीसीसीआई के दफ्तर पर भी तालाबंदी करनी चाहिए।
एक बात जो सबसे ज्यादा हैरान करती है वो ये कि इतना सबकुछ हो जाने के बाद भी बीसीसीआई में शामिल राजनेताओं को कुछ गलत नहीं लग रहा है। चाल,चरित्र और चेहरे की बात करने वाली पार्टी बीजेपी ने तो अपने मुंह पर कालिख ही पुतवा ली है। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जो प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में सबसे आगे चल रहे हैं। लेकिन अभी तक बिल्कुल खामोश हैं। जब सबसे पड़ा नेता ही चुप है तो अरुण जेटली, अनुराग ठाकुर और दूसरे नेताओं से भला क्या उम्मीद की जा सकती है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, कल तक सभी चुप थे, लेकिन लगता है कि राजीव शुक्ला की वजह से पार्टी की हो रही छीछालेदर को अब हाईकमान ने नोटिस किया है। इसके बाद राजीव शुक्ला ने सीधे-सीधे श्रीनिवासन का इस्तीफा तो नहीं मांगा, लेकिन इतना जरूर कहा कि जब तक जांच चल रही है, तब तक वो दूर हो जाएं। इसके पहले कल नैतिकता के आधार पर ज्योतिर्रादित्य सिंधिया ने जरूर मुंह खोला और श्रीनिवासन का इस्तीफा मांगा। मामला बढता देख आज खेलमंत्री ने भी नैतिकता की दुहाई देते हुए श्रीनिवासन के इस्तीफे की मांग की। अब एक-एक कर लोग इशारे-इशारे में अपनी बात कह रहे हैं। इसी क्रम में एनसीपी नेता शरद पवार ने भी उन्हें हट जाने की सलाह दी है। लेकिन हद कर दी श्रीनिवासन ने... कह रहे हैं कि मेरे खिलाफ कोई मामला नहीं है, फिर मैं क्यों इस्तीफा दूं ? हाहाहाहहा । अभी दामाद ने कम गुल खिलाया है क्या ? या ये इंतजार कर रहे हैं कि परिवार के दूसरे सदस्य भी इस धंधे के लपेटे में आएं तो आप हटेंगे।
सच कहूं तो पैसे ने सबका मुंह बंद कर रखा है। मेरा सवाल तो पुराने नामचीन क्रिकेटरों से भी है। पूर्व कप्तान कपिल देव, सुनिल गावस्कर, नवजोत सिंह सिद्दू, श्रीकांत, सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड, अनिल कुंबले, जगावल श्रीनाथ इन लोगों की एक आवाज है। क्यों नहीं खुल कर सामने आते। इन सब को शोहरत इसी क्रिकेट ने दी है, आज क्रिकेट की ही ऐसी तैसी की जा रही है। देश भर के क्रिकेट प्रेमियों को अभी भी खिलाड़ियों से उम्मीदें है, इसीलिए मांग हो रही है कि बीसीसीआई की जिम्मेदारी पूर्व खिलाड़ियों की दी जाए। लेकिन पूरे दिन टीवी पर बकर-बकर करने वाले खिलाड़ी भी आज गांधी जी के बंदर बने बैठे हैं। सचिन को तो लोग क्रिकेट का भगवान कहते हैं, क्या भगवान को आज कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है, या अपने भगवान भी मजबूर हैं। वैसे हम सब जानते हैं कि क्रिकेट में फिक्सिंग कोई नई बात नहीं है। साल 2000 में दिल्ली पुलिस ने दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोन्ये पर भारत के खिलाफ वनडे मैच में फिक्सिंग कराने का आरोप लगाया। हर्शेल गिब्स, पीटर स्ट्राइडम और निकी बोए पर भी उंगलियां उठी थीं। क्रोन्ये ने तो स्वीकार किया कि उन्होंने भारत में खेले गए एक दिवसीय सीरीज के दौरान अहम सूचनाएं 10 से 15 हजार डॉलर में बेचीं थीं।
याद कीजिए इसी साल यानि 2000 में ही मनोज प्रभाकर ने कपिल देव पर आरोप लगाया कि उन्होंने ही 1994 में श्रीलंका में खेले गए मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ खराब प्रदर्शन करने को कहा था। इसी साल जुलाई में आयकर विभाग ने कपिल देव, अजहरुद्दीन, अजय जडेजा, नयन मोंगिया और निखिल चोपड़ा के घरों पर छापे मारे। अक्टूबर में क्रोन्ये पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया। नवंबर में अजहरुद्दीन को फिक्सिंग का दोषी पाया गया जबकि अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा और भारतीय टीम के पूर्व फीजियो अली ईरानी के संबंध सट्टेबाजों से होने की पुष्टि की गई। दिसंबर में अजहरुद्दीन पर आजीवन प्रतिबंध लगाया गया।
चलते-चलते
मेरा एक मित्र क्रिकेट का बहुत बड़ा प्रशंसक है। उससे आज फोन पर बात हो रही थी, बोला श्रीवास्तव जी आप लिखते रहो क्रिकेट के गोरखधंधे के खिलाफ, लेकिन कुछ नहीं होने वाला। हां इस खुलासे से लोगों को एक सुविधा जरूर हो गई है। अभी तक लोग मुंबई जाते थे, अगर उन्हें कालगर्ल या माँडल की जरूरत होती थी, तो बेवजह इधर उधर भटकते थे। अब सबको पता हो गया कि ये सुविधा विंदु दारा सिंह के यहां उपलब्ध है। सीधे फोन करेंगे और उनका काम हो जाएगा। विंदू का भी धंधा अब चमक जाएगा।