एक लाइन की खबर ये है कि राष्ट्रपति के चुनाव के बाद मध्यप्रदेश सरकार में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना काफी बढ़ गई है। इस मसले पर बाकी बातें बाद में लेकिन बता दूं कि मूर्खाना हरकतों से हमेशा सुर्खियों में रहने वाले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर चर्चा में हैं । दूसरे सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को मंदसौर जाने पर रोक लगाने वाले सीएम खुद वहां पहुंच गए और फुल ड्रामा किया । पहले तो जाते ही कुर्सी के बजाए वो जमीन पर बैठ गए , बाद में तथाकथित मृतक किसान के चार साल के बेटे को गोद मे बैठाया उसके पिता से आत्मीयता दिखाते हुए उनके दुख में खुद को शामिल बताया । सच्चाई ये है कि अब सूबे की जनता ही नहीं बल्कि पार्टी नेतृत्व का शिवराज से पूरी तरह मोहभंग हो चुका है, उनकी सरकार पर बेईमानी के कई गंभीर आरोप है, इन गंभीर आरोपों में कई के तार उनके परिवार - रिश्तेदारों से भी जुड़े हुए हैं। लिहाजा अब शिवराज की पूरी कोशिश यही हैं कि वो क्या करें, जिससे अगले साल होने वाला चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में लड़ा जाए, जबकि पार्टी आलाकमान पूरी तरह बदलाव का मन बना चुका है।
सूबे के हालात को नियंत्रित करने में पूरी तरह फेल रहे शिवराज कर क्या रहे हैं ये वो खुद ही नहीं जानते । सवाल ये है कि पुलिस की गोली में छह किसानों की मौत का जिम्मेदार कौन है, इस पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए हैं और ये जांच शुरू भी हो गई है। सब ने देखा कि सड़कों पर उपद्रवियों ने सैकडों वाहनों में आग लगाई। पुलिस पर पथराव किया,कहा तो ये भी जा रहा है कि अगर पुलिस ने सख्त कार्रवाई यानि गोली न चलाई होती तो कई पुलिस वाले भी मारे जाते। खुद मुख्यमंत्री ने कहाकि किसानों के आंदोलन के नाम पर विपक्ष और उपद्रवी तत्वों ने हालात बिगाड़े। अगर ऐसा है तो फिर सरकारी खजाने को क्यों लुटाया जा रहा है। जो लोग मारे गए हैं वो सड़क पर खेती करने नहीं उतरे थे, वो हिंसा भडका रहे थे, ऐसे लोगों की मौत पर सूबे की सरकार आँसू क्यों बहा रही है ये भी जांच का विषय हो सकता है।
अब देखिए जब राज्य में आग लगी है, जब मुख्यमंत्री को लगातार कानून व्यवस्था पर नजर रखनी चाहिए, सख्त फैसले लेने चाहिए , अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ मीटिंग कर शांति बहाली की रणनीति पर काम करना चाहिए, कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ लगातार हालात की समीक्षा की जानी चाहिए, उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पत्नी के साथ फाइव स्टार उपवास पर बैठ गए। 24 घंटे के उपवास के लिए सरकारी खजाने से करोडो रुपये पानी की तरह बहा दिए, समझ में अभी तक नहीं आया कि आखिर इससे हल क्या निकला। उपवास से किसे पिघलाना चाहते थे। सच तो ये है चौहान साहब आपको किसान, किसानी और उनके गुस्से का अँदाजा ही नहीं था। आप पूरी तरह फेल रहे हैं , इसलिए नैतिक रूप से आपको सरकार में रहने का हक नहीं है। वैसे राष्ट्रपति चुनाव के बाद आप की कुर्सी पर खतरा है।