मन में एक सवाल हमेशा उठता रहता है कि क्या किस्मत में जो लिखा है वो होकर रहेगा ? या उसे बदला जा सकता है ? मेरी राय तो स्पष्ट है कि जो कुछ होना है, जब होना है वो होकर रहेगा। मुझे लगता है कि ऐसा मानने वाला सिर्फ मैं ही नहीं हूं, बल्कि देश में एक बड़ा तपका भी यही मानता है। लेकिन देश में कुछ लोग हैं जिन्हें लगता है कि ज्योतिष से सब कुछ पलक झपकते ही मनमाफिक किया जा सकता है। मसलन ज्योतिषाचार्य अगर चाहे तो विधाता के लिखे भाग्य को भी बदल सकता है। अब मेरा सवाल है, क्या आप भी ऐसा ही समझते हैं कि ज्योतिषी विधाता के लिखे भाग्य को उलट पलट कर सकता है? क्या वो गति को रोक सकता है ? क्या वो समय में परिवर्तन ला सकता है ? आपके जीवन के अशुभ फलों को क्या कोई टोना टोटका करके शुभ में बदल सकता है? जब हम ज्योतिष पर चर्चा करते हैं तो ऐसे ही तमाम सवाल खुद बखुद सामने आ खड़े होते हैं।
दरअसल कुछ तथाकथित अनाड़ियों ने इस ज्योतिष विज्ञान की ऐसी तैसी कर दी और इसे एक व्यवसाय बना डाला है। यानि लाभ हानि को वो शुभ अशुभ के रूप में देखने लगे हैं। वैसे हो सकता है कि मेरी जानकारी अधूरी हो, पर जहां तक मैं समझता हूं ज्योतिष भी वेदों जितनी ही प्राचीन है। इसके गणित के हिस्से के बारे में बहुत साफ साफ कहा जा सकता है, क्योंकि वेदों में इसकी स्पष्ट गणना मौजूद है। वैसे प्राचीन समय में खगोलीय पिंडों, ग्रह और नक्षत्रों के अध्ययन के विषय को ही ज्योतिष माना जाता था, लेकिन अब इसे लोगों के जीवन के विश्लेषण विषय तक सीमित कर संकीर्ण बना दिया गया है। यही वजह है कि ये बहुत कुछ अविश्वसनीय लगने लगा है। अच्छा अनाड़ियों और अपात्रों की वजह से ज्योतिष की प्रतिष्ठा भी दांव पर लग गई है।
हालत ये हो गई है कि तमाम लोग ईश्वरीय सत्ता को चुनौती देने लगे हैं। ये दो चार विधि विधान बताकर दावा करते हैं कि मनुष्य का भाग्य चमका सकते हैं। मैं कई जगह ये बात पढ़ चुका हूं कि अगर विधि के विधान को बदला जा सकता, तो भगवान श्रीराम को 14 साल के लिए वनवास पर नहीं जाना पड़ता। भगवान राम के साथ मइया सीता और लक्ष्मण भी वनवास न भोगते। अगर विधाता का लिखा बदला ही जाता तो महाभारत का युद्ध कत्तई ना होता। सती माता पार्वती जी भला सती कैसे हो जातीं। श्री गणेश जी का सिर न कटता। भगवान विष्णु जी का सिर धड़ से अलग भी नहीं हो सकता था। आपको पता है ना ब्रह्मा जी का एक सिर धड़ से अलग न होता तो आज वे पंचमुखी होते। लक्ष्मी जी विष्णु जी को छोड़कर न जातीं । भगवान विष्णु को घोड़े का सिर न लगाना पड़ता। ये सवाल उठना तो स्वाभाविक है ना। जो ईश्वर सब कुछ कर सकते हैं वो तो विधान भी बदल देते। अगर विधि के विधान के लिखे को बदलने की क्षमता ईश्वर में होती, तो क्या ये सब घटनाएं हो सकती थीं ? मुझे तो लगता है बिल्कुल नहीं।
मेरा आशय आप समझ गए होंगे, यानि विधि के विधान को खुद ईश्वर भी नहीं बदल सकते, फिर एक साधारण आदमी भला इसे कैसे बदल सकता है? जो हमेशा छल-कपट का सहारा लेता है, वो कैसे किसी के भाग्य को बदलने दावा कर सकता है? सच बताऊं ! अगर आप कहते हैं कि आप का भाग्य किसी ज्योतिषी ने बदल दिया है, तो ये एक बहुत बड़ी भूल है। क्योंकि ये तो पहले से तय है तो जो होना है। हां ज्योतिष को एक मार्गदर्शक के रुप मे लेते हैं तो ठीक है, ये एक सच्चा मित्र हो सकता है। वरना ज्योतिष एक जहर है और इससे बड़ा दुश्मन आपका कोई नहीं हो सकता। मेरी व्यक्तिगत राय में तो ज्योतिष और त्योतिषी दोनों मीठे जहर के समान हैं, जिसके भी जीवन में ये घुल जाते हैं, उसे कहीं का नहीं छोड़ते। ज्योतिष भय प्रधान है जो मुख्य कर्म में हमेशा बाधक बनता है। मैं देखता हूं कि ज्योतिषी हमेशा राय देते हैं आप ये करो, ये मत करो, ऐसा करो, वैसा ना करो, इससे आपका भाग्य बदल जाएगा। मैं मानता हूं कि ईश्वर के विधान को कोई नहीं बदल सकता। मेरा तो यही मानना है कि आज शनि, राहू, मंगल, केतु आदि ग्रहों का भय दिखाकर ज्योतिषी महज अपने झूठ और फरेब का कारोबार चला रहे हैं।
यहां आपको ये भी बता दूं कि नोबेल पुरस्कार विजेता डा. वेंकटरमन रामा कृष्णन ने पूरे ज्योतिष शास्त्र को ही फर्जी बता दिया है। उनका कहना है कि ये सिर्फ सलाहों की शक्ति पर आधारित है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार ही नहीं है। हालाकि उनके इस बयान के बाद काफी विवाद हुआ, लेकिन वो अपनी बात पर आज भी कायम हैं। अच्छा आप सब एक बात बताइये । भगवान ने आदमी की किस्मत भी कहां कहां लिख दी है। कोई हाथ की रेखा देख कर भूत भविष्य बताता है, कोई मस्तक की रेखाओं से किस्मत बता देता है। मैं आज तक नहीं समझ पाया कि क्या वाकई हाथ और मस्तक पर आदमी की किस्मत का लेखा जोखा है।
एक और अहम बात। आज कल अपात्र ज्योतिषाचार्यों से तो मुश्किल है ही, फर्जी कुंडली का भी जोर है। पांच फीसदी लोग ही ऐसे होंगे जिन्होंने अपने बच्चों की कुंडली उनके जन्म के तुरंत बाद बनवाई होगी। वरना तो कई साल गुजर जाने के बाद लोग कुंडली बनवाते हैं, जिसमें समय वगैरह अनुमान के मुताबिक होता है। आपको पता होना चाहिए कि ज्योतिष के गणित में सेकेंड के हजारवें हिस्से की भी गणना होती है, ऐसे में अगर आपके जन्म का समय एक सेकेंड भी गलत बताया तो वो कुंडली बेमानी है। ऐसी ही कुंडली पर ज्योतिषाचार्य बड़ी बड़ी बातें करते हैं।
अब सवाल ये है कि आखिर हमारा भला कौन कर सकता है ? फिलहाल इसका जवाब तो एक ही है। ईश्वर ही हमारा भला कर सकते हैं। प्रभु को याद करें वो भी मन से, तब तो सब शुभ-शुभ ही होगा। वैसे आपने कभी सोचा है कि आप तो हजारों किलोमीटर का सफर तय करके जाते हैं माता वैष्णो देवी, कामाख्या देवी, विंन्ध्याचल देवी, मनसा देवी, महामाया देवी या ऐसे ही तमाम और मंदिर में देवी का दर्शन करने के लिए। लेकिन मूर्ति के सामने पहुंच कर हम सब हाथ जोड़कर आंखे बंद कर लेते हैं। आखिर ऐसा क्यों ? भाई अगर आप दर्शन करने गए हैं तो आंखे खोलकर दर्शन कीजिए। पर ऐसा होता नहीं है। आप ने कभी ये सोचा कि जब हम आंखे बंद कर लेते हैं तो फिर जाते कहां हैं ? मैं बताता हूं। आंखे बंद करने के बाद हम अपने ही भीतर जाते हैं। ऐसा क्यों ये भी जान लीजिए।
हम देवी की आरती गाते हैं तो एक लाइन पढ़ते हैं " तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पती " यानि तुम ना दिखाई देने वाली ऐसी ताकत हो जो सबके प्राणों में विराजमान हो। इसीलिए हम आंखे बंद कर अपने ही भीतर जाते हैं। लिहाजा मन को शुद्ध रखिए और पूरी श्रद्धा से ईश्वर को याद कीजिए। बस इसी से कल्याण तय है। मन को इधर उधर मत भटकने दीजिए, भगवान के चरणों में मन लगाएं। ज्योतिषियों के चक्कर में जितना फंसेंगे उतना ही आप ईश्वर से दूर होते चले जाएंगे।
अच्छा आज ज्योतिषियों की भविष्यवाणी का हाल क्या है, एक उदाहरण देता हूं। देश में करोड़ो लोग क्रिकेट के प्रेमी हैं। 23 सितंबर को टी 20 वर्ल्डकप में भारत और पाकिस्तान का मुकाबला होना था। एक ज्योतिषाचार्य ने फेसबुक वाल पर लिखा कि रात आठ बजे से 10.30 तक भारत का समय खराब है। अब बताइये मैच का फैसला ही रात दस सवा दस के करीब होना था, मतलब साफ की भारत की पराजय होनी है। लेकिन भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह से हरा दिया। वाह रे ज्योतिष और ज्योतिषाचार्य..
मैं गुवाहाटी में 1989 से 91 तक वहां के एक स्थानीय समाचार पत्र में काम कर रहा था। उस दौरान मैं अक्सर माता कामाख्या देवी के दर्शन करने जाया करता था। यहां मेरी मुलाकात एक पहुंचे हुए औघड़ संत से हुई। माता में मेरी श्रद्धा को देखते हुए उन संत ने मुझे कुछ मंत्र देना चाहा। मुझसे पूछा बताओ तुम क्या चाहते हो। मैने कहा कि मुझे कुछ ऐसी चीज दें, जिससे मैं दूसरों की सेवा कर सकूं। इस पर उन्होंने मुझे पहले नजर झाड़ने का मंत्र दिया। फिर एक मंत्र दिया जिससे अगर लोगों के आधे सिर में दर्द हो तो उसे मंत्र के जरिए ठीक किया जा सकता है। दो मंत्र के बाद मैने उनसे कहा कि बाबा हमारे गांव में अक्सर लोगों को सांप काट लेता है, मैं चाहता हूं कि वो मंत्र भी दें, जिससे मैं ऐसे लोगों की मदद कर सकूं।
इस पर उन्होंने साफ मना कर दिया, कहा कि इस मंत्र के साथ आप न्याय नहीं कर पाओगे। मतलब ये मंत्र जिसके पास होता है, उसे अगर पता भी चल जाए कि कहीं, कितनी भी दूर किसी को सांप ने काट लिया है, तो आंधी तूफान, बाढ की चिंता किए बगैर खुद वहां पहुंच कर पीड़ित व्यक्ति की मदद करनी होती है। अगर आप नहीं जाते हैं तो इस मंत्र का असर अपने आप खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि ये कठिन काम है और आप नहीं कर सकते। सच कहूं तो मुझे भी लगा कि शायद मैं ये ना कर पाऊं और मैने वो मंत्र नहीं लिया। हैरानी इस बात की हुई कि मंदिर जाने के दौरान रास्ते में दो साल तक जिस संत से मेरी हमेशा मुलाकात हुआ करती थी, दो मंत्र मुझे देने के बाद उनसे फिर कभी मुलाकात नहीं हुई, जबकि मैं मंदिर उसके बाद भी जाता रहा हूं।
इस बात का जिक्र मैं महज इसलिए कर रहा हूं कि आपको पता चल सके कि अगर आप अपने ज्ञान का दुरुपयोग करते हैं तो आपका ज्ञान स्वत: समाप्त हो जाता है। उसमें असर नहीं रह जाता है। खास बात तो ये कि आपको पता भी नहीं चलता कि आपका ज्ञान समाप्त हो चुका है। ऐसे में लोग दूसरों के लिए कुछ भी बातें करते रहें, उसका आभास तो होता नहीं, लेकिन जब मुश्किल अपने परिवार पर आती है, तब आदमी हैरान होता है कि आखिर मेरा ज्ञान बेअसर क्यों हो गया है, लेकिन तब तक तो काफी देर हो चुकी होती है।
एक जरूरी सूचना :-
मित्रों आपको पता है कि मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुडा हूं। दिल्ली में रहने के दौरान सियासी गलियारे में जो कुछ होता है, वो तो मैं सबके सामने बेबाकी से रखता ही रहता हूं और उस पर आपका स्नेह भी मुझे मिलता है। अब लगता है कि आप में से बहुत सारे लोग टीवी न्यूज तो देखते हैं, लेकिन इसकी बारीकियां नहीं समझ पाते होगें। मैने तय किया है कि अब आपको मैं टीवी फ्रैंडली बनाऊं। मसलन टीवी के बारे में आपकी जानकारी दुरुस्त करुं, गुण दोष के आधार पर बताऊं कि क्या हो रहा है, जबकि होना क्या चाहिए। इसमें मैं आपको इंटरटेंनमेंट चैनल को लेकर भी उठने वाले सवालों पर बेबाकी से अपनी राय रखूंगा। मेरी नजर प्रिंट मीडिया पर भी बनी रहेगी। इसके लिए मैने एक नया ब्लाग बनाया है, जिसका नाम है TV स्टेशन ...। इसका URL है। http://tvstationlive.blogspot.in । मुझे उम्मीद है कि मुझे इस नए ब्लाग पर भी आपका स्नेह यूं ही मिता रहेगा।
मित्रों आपको पता है कि मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुडा हूं। दिल्ली में रहने के दौरान सियासी गलियारे में जो कुछ होता है, वो तो मैं सबके सामने बेबाकी से रखता ही रहता हूं और उस पर आपका स्नेह भी मुझे मिलता है। अब लगता है कि आप में से बहुत सारे लोग टीवी न्यूज तो देखते हैं, लेकिन इसकी बारीकियां नहीं समझ पाते होगें। मैने तय किया है कि अब आपको मैं टीवी फ्रैंडली बनाऊं। मसलन टीवी के बारे में आपकी जानकारी दुरुस्त करुं, गुण दोष के आधार पर बताऊं कि क्या हो रहा है, जबकि होना क्या चाहिए। इसमें मैं आपको इंटरटेंनमेंट चैनल को लेकर भी उठने वाले सवालों पर बेबाकी से अपनी राय रखूंगा। मेरी नजर प्रिंट मीडिया पर भी बनी रहेगी। इसके लिए मैने एक नया ब्लाग बनाया है, जिसका नाम है TV स्टेशन ...। इसका URL है। http://tvstationlive.blogspot.in । मुझे उम्मीद है कि मुझे इस नए ब्लाग पर भी आपका स्नेह यूं ही मिता रहेगा।
क्या बात है महेंद्र जी ....आज कोई बहुत ही कड़वा अनुभव हुआ है आपको ...या आपने ऐसा कुछ देख लिया है जिस से आपका मन ज्योतिष से उठ गया है ...ख़ैर ...बात आपकी १००% सही है क्यों कि हिन्दुस्तान का हर आम इंसान आज कल इन्ही बातों से दो चार हो रहा है .....और मैं भी इन सब से अलग नहीं हूँ ...ये अलग बात है कि कुछ कड़वे अनुभव मेरे भी रहे जिसकी वजह से इस ज्योतिष को मानने का मन नहीं करता .....
ReplyDeleteजी फिर तो समझ लीजिए कि मैने आपकी बात को शब्द दे दिए हैं।
Deleteवैसे ये समस्या गंभीर होती जा रही है..
ज्योतिष गहन विश्लेषण है...सवेरे टीवी खोलते ही सभी चैनलों पे ज्योतिषाचार्य बैठे नजर आते है...'आज का राशिफल' के साथ
ReplyDeleteसब जगहों पर अलग अलग बातें बताई जाती हैं-किसका विश्वास किया जाए?
जब चन्द्र या सूर्यग्रहण लगता है तब तो देखते ही बनता है...तरह तरह के मंत्र, तरह तरह के उपाय...जबकि यह एक भौगोलिक प्रक्रिया है|
जी मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं।
Deleteऐसे लोग के डिजाइनर ड्रेस भी होते है, सुबह सुबह जो टीवी पर दिखाई देते हैं। हाहाहहा
ऊपर स्थित ग्रह नक्षत्र हमारी शादी, नौकरी, पुत्र-पुत्री, व्यवसाय, बीमारी,,,,,,अब तो क्रिकेट भी :)............तय करते हैं ... यह सोचना भी बेहद मूर्खतापूर्ण लगता है ... लेकिन इनका मायाजाल इतना तगड़ा है कि अधिकाँश लोग ज्योतिष--तंत्र--मन्त्र--रत्न--ताबीज से घिरे नजर आते हैं ! क्या कहा जाए !
ReplyDeleteजय हो !!!
शुक्रिया प्रकाश जी
Deleteबहुत बहुत आभार
कुल मिलकर कहना क्या चाहते इस लम्बे पोस्ट का सारांश और इससे हमें क्या शिक्षा मिलती है पता नहीं लगा ,तानि खोलकर बतावल जाये
ReplyDeleteसारी राजेश जी, आपकी समझ में ये लेख नहीं आया।
Deleteआगे से कोशिश होगी कि ऐसा लिखा जाए जिससे कम से कम सब लोगों की समझ में तो आ ही जाए।
पूजा,प्रार्थना को ज्योतिषी से जोड़कर नहीं देखना है,क्योंकि प्रार्थना यानि पूजा प्रभु के आगे याचक की तरह खड़ा होना है .... होनी,अनहोनी जो भी है-वह इश्वर के हाथ में है-जिसके लिए हम दुआ कर सकते हैं मन के सुकून के लिए,पर मूल्य के हिसाब से उसमें रद्दो बदल हास्यास्पद है . ऐसा होना होता तो गुरु वशिष्ठ राम को वन नहीं जाने देते , अपनी विद्या से रावण को छू कर देते .
ReplyDeleteआलेख बहुत ही बढ़िया है
जी बिल्कुल, इसी बात का जिक्र मैने भी करने की कोशिश की है।
Deleteमुझे लगता है कि ईश्वर की सत्ता को चुनौती देने वाला अभी धरती पर कोई नहीं होगा। विधि का विधान बदलना संभव नहीं है।
वो तो कभी नहीं होगा ....
Deleteसमय बिताने के लिए, करते लोग बेगार ।
ReplyDeleteगप्पे मारें चौक पर, करें व्यर्थ तकरार ।
करें व्यर्थ तकरार, समय का चक्कर चलता ।
बुझती बौद्धिक प्यास, हमें बिलकुल ना खलता ।
जिज्ञासा गर शांत, मारना फिर क्या ताने ।
बातें लच्छेदार, चलो कुछ समय बिताने । ।
क्या कहने,
Deleteबहुत बहुत आभार
आपकी बात से सौ फ़ीसदी सहमत और यह आधा नहीं पूरा सच है.
ReplyDeleteजी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteअब तो आस्था का बाजारीकरण का युग है..चलिए इसी बहाने ज्योतिषी अपना चाँदी तो काट रहे हैं न.
ReplyDeleteहां बात तो आपकी भी सही है..
Deleteमन को तसल्ली देने के लिए 'आज का राशिफल'देखने का ख्याल अच्छा है..
ReplyDeleteजी ये बात तो है
Deleteवाह!
ReplyDeleteआपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 15-10-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1033 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
शुक्रिया भाई चंद्रभूषण जी
Deleteमहेंद्र भाई .एक है ग्रहों की आकाशीय स्थिति उनकी गति का प्रेक्षण और अध्ययन यह खगोल विज्ञान है , एक प्रेक्षण आधारित विज्ञान हैं .दूसरा है इसका भविष्य कथन या प्रागुक्ति अंग ,predictional part .,पूर्वानुमान सम्बन्धी .ग्रहों के स्थिति के आधार पर प्रागुक्ति फलित ज्योतिष के तहत की जाती है .यह ज्योतिष शास्त्र एक विज्ञान इसलिए नहीं है इसकी कोई स्वीकृत मानक पद्धति नहीं है कोई भविष्य कथन गणनाएं नौ ग्रहों को आधार मानके कर रहा है कोई बारह को .जबकि यम यानी प्लुटो से अब ग्रह का दर्जा छीना जा चुका है .यह एक लघु ग्रह है ,प्लेंने - टोइड है ,आकार में चन्द्रमा से भी छोटा है .ज्योतिष शास्त्र के अध्ययन को आगे बढाया जाए ,एक सर्व स्वीकृत पद्धति भविष्य कथन सम्बन्धी गणनाओं की विकसित की जाए .जब तक ऐसा नहीं होता तब तक -
ReplyDeletewhat quackery is to medicine so is astrology to astronomy .Astronomy is an observational science and its predictional part is called astrology .
नीम हकीमी ही कही जायेगी फलित ज्योतिष .
एक प्रतिक्रिया -लिंक 13-
ज्योतिष यानि मीठा जहर -महेन्द्र श्रीवास्तव
पर ------.वीरू भाई
आपकी इस पोस्ट को पढ़कर बस इतना ही कहना है कि,
ReplyDeleteएक मोहल्ले में दो ज्योतिष मित्र रहते थे जब सुबह अपने धंदे
पर निकलते एक दुसरे का हाथ देख लेते कि, आज धंदे का दिन कैसे गुजरेगा !
सार्थक पोस्ट ....
बिल्कुल सही कहा है आपने ... सार्थकता लिये सशक्त प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
ISHWAR ki MAYA me sab BHRAMIT hue pade hain.
ReplyDeleteबिल्कुल सच
Deleteसार्थक और प्रभावी आलेख ,सही हसे कि हम ज्योतिष पर भरोसा कर सकते हैं पर स्वयं के प्रयास पर नहीं ,आभार आपका |मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |
ReplyDeleteसार्थक और प्रभावी आलेख ,सही हसे कि हम ज्योतिष पर भरोसा कर सकते हैं पर स्वयं के प्रयास पर नहीं ,आभार आपका |मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteज्योतिष विद्या पर यकीन करूँ न करूँ असमंजस है..सो जो अच्छे प्रेडिक्शन है उन्हें मान लिया बाकी को बकवास कहकर छुट्टी पाली...
ReplyDeleteहाँ ज्ञान का दुरूपयोग किया तो वो नष्ट होता है..पूर्ण सहमत..
बढ़िया लेखन
आभार
अनु
जी बिल्कुल, सही कहा आपने
Deleteआभार
मुझे लगता है कि हमे उन्ही विषयो पर लिखना या टिपण्णी करनी चाहिये जिसके बारे मे कुछ समझ रखते हो। ज्योतिष सही है या गलत इस संबंध मे आपने किसी ज्योतिषी की राय नही ली कि आखिर आधार क्या है योटिश का। बेहतर होता आप राय लेकर के उसे तर्को के सहारे कातते । रह गई ग्रह नक्षत्रो की बाद तो ज्वार भाटा के आने का कारण चंद्र्मा की स्थिति मे परिवर्तन है। इन गर्हो के मुमवेंट का असर आदमी के मन और दिमाग पर भी पडता है जिससे बहुत सारे काम और काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। क्षमा करे , परन्तु आपका यह लेख सतही है।
ReplyDeleteमदन भाई साहब आप यहां आए स्वागत है।
Deleteआप बताएं फिर तो सबसे पहले मीडिया हाउस को बंद कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि हम मेडिकल के बारे में बारे में लिखते है, मैं एमबीबीएस तो है नहीं, रेलवे की इंजीनियरिंग सिस्टम पर हम लिखते हैं हमने इंजीनियरिंग भी नहीं की है। सेना को कवर करने जाते हैं किसी ने सैन्य प्रशिक्षण तो लिया नहीं।
खैर लेख लिखने के पहले हमने ज्योतिष के बारे में पढने के बाद ही लिखा है। अच्छा होता कि आप लेख में जहां खामियां है उस पर मेरा ध्यान केंद्रित करते।
फिर भी आपने वक्त दिया ब्लाग पर मैं आभारी हूं..
महेंद्र जी, आप सन्दर्भ बिलकुल सही है और शायद हमें इसी तरह के लेख की जरुरत आज के समय में है. लेकिन एक शिकायत जो आप के साथ साथ सभी मीडिया के साथियों से है वो यह की आप कृपया अपने लेख के शीर्षक का ध्यान रखें. ज्योतिष यानि मीठा जहर का अर्थ एक सामान्य मनुष्य को येही आएगा की आप ज्योतिष को को गलत बता रहे हैं. पर आपने इसने नाम पे जो बुराइयाँ उजागर की हैं वो अति सुन्दर है. शेष अति सुन्दर...
ReplyDeleteमहेंद्र जी, आप सन्दर्भ बिलकुल सही है और शायद हमें इसी तरह के लेख की जरुरत आज के समय में है. लेकिन एक शिकायत जो आप के साथ साथ सभी मीडिया के साथियों से है वो यह की आप कृपया अपने लेख के शीर्षक का ध्यान रखें. ज्योतिष यानि मीठा जहर का अर्थ एक सामान्य मनुष्य को येही आएगा की आप ज्योतिष को को गलत बता रहे हैं. पर आपने इसने नाम पे जो बुराइयाँ उजागर की हैं वो अति सुन्दर है. शेष अति सुन्दर...
ReplyDeleteआप यहां तक आए, यही काफी है।
Deleteबाकी आप मीडिया के बारे में कितना जानते हैं, मुझे नहीं पता।