आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद कानून मंत्री सलमान खुर्शीद को अब पद पर बने रहने का अधिकार नहीं रह गया है। भाई आपको हो क्या गया है ? हर किसी को धमकी देते फिर रहे हैं, पत्रकार को कोर्ट में देख लेने की धमकी, अरविंद टीम को फर्रुखाबाद में देख लेने की धमकी। एक मंत्री अगर ऐसा कहे कि फर्ऱूखाबाद चले तो जाएंगे, लेकिन लौटने का भी इंतजाम कर लीजिए। ये क्या बात है ? क्या कहना चाहते हैं मंत्री जी, क्या आप ये कह रहे हैं कि जो आपके काले कारनामों की पोल खोलेगा उसकी आप सुपारी दे देंगे ? जो बात कहते हुए आपको देश ने सुना है, उसके बाद तो आप एक मिनट भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहने के काबिल नहीं है। ऐसी धमकी देने वाले की जगह जेल होती है। बिना किसी लाग लपेट के आपको तत्काल देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। वैसे भी जांच में जो प्राथमिक सूचनाएं उत्तर प्रदेश से मिल रही हैं, उससे आपका गोरखधंधा सामने आता जा रहा है।
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद साहब फिलहाल बुरे फंस गए। बेचारे अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार बैठे। खुर्शीद साहब आपको तो हम सब सुलझा हुआ नेता समझते हैं, पर आप भी वही निकले। ( जब तक मामला कोर्ट में है तब तक मैं आपको भ्रष्ट नहीं कह रहा।) पर एक बात बताऊं इस मामले में जितने कागजात मीडिया के पास हैं, उससे तो आप के खिलाफ स्टोरी बनती ही थी और आजतक ने अगर आपको कटघरे में खड़ा किया तो मैं समझता हूं कि कोई गल्ती नहीं की। वैसे सलमान जी एक बात बताइये, आप भी जानते हैं कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फैंकते। आपको ये राय किसने दे दी कि घर पर मीडिया को बुलाकर तेज आवाज में बात कर उनकी आवाज दबाने की कोशिश करो। क्या जरूरत थी प्रेस कान्फ्रेंस में पत्रकारों पर भारी पडने का प्रयास करने की। देखिए ना जो खबर एक दो दिन चल कर हट जाती, वो आज तक चल रही है और उसमें आपकी कितनी फजीहत हो रही है।
वैसे सलमान साहब सब जानते हैं कि चाहे आपका ट्रस्ट हो या फिर किसी और का। कहीं ईमानदारी नहीं है, इसीलिए तो जब नेताओं ने कहा कि लोकपाल के दायरे में नेताओं को डालो तो एनजीओ को भी शामिल कर दो। तो बड़े बड़े लोगों की हवा निकल गई थी, खुद अरविंद केजरीवाल ने भी इसका विरोध किया। बाद में सफाई दी गई कि उन एनजीओ को इसमें शामिल किया जाए जो सामाजिक कार्यों के लिए सरकार से पैसे लेते हैं। देश में 40 फीसदी से ज्यादा ऐसे एनजीओ हैं, जिन्हें विदेशों से पैसा मिलता है। उन्हें लगा कि वो ऐसा बोल कर बच सकते हैं, क्योंकि इस पैसे का दुरुपयोग होता ही है। सरकारी पैसे लेने वाले जो एनजीओ हैं उसमें 90 फीसदी एनजीओ नेताओं और अफसरों की पत्नियों के नाम है। नेता और अफसर अपनी पत्नी को एनजीओ का कर्ताधर्ता बनाकर सरकारी पैसे की लूट करते हैं। ये बात किसी से छिपी नहीं है, इसलिए इस पर ज्यादा चर्चा करना ही बेकार है।
आइये सलमान खुर्शीद साहब से ही बात की जाए। दरअसल सलमान जी देश में चोर वही है जो पकड़ा जाए। गुस्सा मत हो जाइयेगा, पर ये सच्चाई है कि आप पकड़ गए। आपके ट्रस्ट का कच्चा चिट्ठा सार्वजनिक हो चुका है। इसलिए अब ये कहना कि सब कुछ अच्छा भला है तो इस बात को कोई नहीं मानने वाला। सच बताऊं मुझे लगा कि आप लंदन से दिल्ली आने पर जब देखेंगे कि पूरा माहौल आपके खिलाफ है, तो आप कुछ ऐसा निर्णय लेगे, जिससे आपकी किरकिरी होने से बच जाए। आदमी कितना भी बड़ा क्यों ना हो, लेकिन जब वो बेईमानी में फंस जाता है तो उसके लिए आंख मिलाकर बात करना संभव नहीं रहता है। ऐसे में मुझे नहीं पता कि आप किसकी सलाह पर मीडिया से दो दो हाथ करने को तैयार हो गए और प्रेस कान्फ्रेंस में आस्तीन चढ़ाने लगे। सलमान साहब सच में आपने एक अच्छा मौका गवां दिया। आप कह सकते थे कि ये सारा मामला दो तीन साल पुराना है, मैं मंत्री बनने के बाद ट्रस्ट के काम में ज्यादा वक्त नहीं दे पाया। मीडिया ने जो भी आरोप लगाए हैं, मैं चाहूंगा कि उसकी जांच सरकार भी करे और मैं भी करुंगा। दोषी लोग बख्शे नहीं जाएंगे। इससे सांप भी मर जाता और लाठी भी बची रहती। पर आपने उल्टा किया, हालत ये हो गई कि मीडिया ने आपकी जितनी किरकिरी नहीं की, उससे ज्यादा तो आपने अपने आचरण से करा ली।
अच्छा अभी भी आप हास्यास्पद काम कर रहे हैं। मानहानि का मुकदमा दिल्ली, मुंबई और लंदन में कर रहे हैं। अखबारों में पढ़ा कि आपने दो सौ करोड़ रुपये की मानहानि का दावा ठोका है। मैं सोचता था कि आप जैसे नेताओं के मान सम्मान की कोई कीमत नहीं लगा सकता, देश दुनिया में आपका नाम है। लेकिन आपने खुद ही अपने सम्मान की कीमत लगा दी, इसीलिए सब कह रहे हैं कि आपकी कीमत लगाई जा सकती है। खैर मेरा मानना है कि आप सैकड़ों अदालत में मामला दायर करते, लेकिन कीमत टोकन मनी एक रुपया रखते तो आपका सम्मान बहुत ज्यादा बढ़ जाता। सलमान साहब आप वकील हैं, ज्यादा बेहतर कानून समझते हैं। आपको ऐसा नहीं लग रहा है कि आप कई कोर्ट में मामला दर्ज कर मीडिया हाउस पर अनैतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ये तो टीवी टुडे ग्रुप है, कोई हल्का फुल्का ग्रुप होता तो उसका संपादक अब तक आपके चरणों में आ गया होता। आपकी कार्रवाई में इसी अहम की बू आ रही है। अच्छा एक सवाल मेरा भी है, एक ओर आप खुद सरकार को पत्र लिख रहे हैं कि पूरे मामले की जांच करा ली जाए, दूसरी ओर मानहानि का मामला भी दायर कर रहे हैं। अगर जांच रिपोर्ट में ये बात साबित हो जाए कि आपकी संस्था में भ्रष्टाचार हुआ है, तो फिर किस बात की मानहानि। ऐसे में पहले तो जांच रिपोर्ट का इंतजार आप भी कर लेते, उसके बाद कोर्ट जाते। लेकिन साहब आप तो मंत्री है, जांच रिपोर्द में जो लिखा होगा, वो आपको पहले ही पता है, इसीलिए तो जांच की बात भी कर रहे हैं और मानहानि का मुकदमा भी।
सलमान साहब एक शिकायत है आपसे। आप बहुत पुराने नेता हैं और उत्तर प्रदेश में काफी समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, मेरा मानना है कि आपको प्रेस कान्फ्रेंस में अपने व्यवहार पर चेक लगाना चाहिए था। आमतौर पर जब आदमी के पास किसी बात का जवाब नहीं होता है, या उसकी कोई चोरी पकड़ जाती है तो वो सामने वाले पर तेज आवाज में बोलकर हावी होने की कोशिश करता है। इसीलिए ना " चोरी और सीनाजोरी " की कहावत ज्यादा सुर्खियों में रहती है। हो सके तो प्रेस कान्फ्रेंस की सीडी किसी मीडिया हाउस से मंगवा लें, और खुद देंखे कि उस दौरान आप कैसे लग रहे थे। वैसे भी जिस अंदाज में आप प्रेस कान्फ्रेंस में पत्रकार भाई को कोर्ट में देख लेने की चुनौती दे रहे थे, उससे यही मैसेज जा रहा था कि आप कानून मंत्री हैं और उसकी ताकत पत्रकार नहीं समझ रहे हैं।
लक्ष्मण रेखा तो पत्रकार ने भी लांघी ...
मेरा मानना है कि हमें जर्नलिस्ट और एक्टिविस्ट में अंतर करना ही होगा। सलमान की प्रेस कान्फ्रेंस में जिस अंदाज में पत्रकार भाई नजर आए उसे भी सभ्य समाज में हम जायज नहीं ठहरा सकते। सलमान और उनकी पत्नी को अगर इस विषय पर कोई जवाब देना होता तो वो पहले ही दे देते। डेढ़ महीने से मीडिया हाउस इस स्टोरी पर काम कर रहे था। उनके पास कोई जवाब था ही नहीं। इसलिए वो फर्जीवाडा करते रहे। लेकिन प्रेस कान्फ्रेस में चैनल जानबूझ कर कहें या शरारतन हंगामे की स्थिति पैदा करने गया था, क्योंकि जिस तरह से प्रेस कान्फ्रेस मे उस मीडिया हाउस के लगभग दर्जन भर पत्रकार और कैमरामैन थे, उससे ही ये लग गया कि कुछ होने वाला है। फिर एक कैमरा सलमान पर, दूसरा कैमरा पत्रकार पर लगा हुआ था। जब सलमान खुर्शीद बोल रहे थे, उस समय भी चैनल ने दो फ्रेम बनाया, मकसद साफ था, वो जनता को मैसेज दे रहे थे कि यहीं रहें हमारे पत्रकार जी कुछ करने वाले हैं। सलमान के व्यवहार की तो मैं निंदा कर चुका हूं, लेकिन पत्रकार के व्यवहार और अंदाज दोनों की जितनी निंदा की जाए वो कम है।
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद साहब फिलहाल बुरे फंस गए। बेचारे अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार बैठे। खुर्शीद साहब आपको तो हम सब सुलझा हुआ नेता समझते हैं, पर आप भी वही निकले। ( जब तक मामला कोर्ट में है तब तक मैं आपको भ्रष्ट नहीं कह रहा।) पर एक बात बताऊं इस मामले में जितने कागजात मीडिया के पास हैं, उससे तो आप के खिलाफ स्टोरी बनती ही थी और आजतक ने अगर आपको कटघरे में खड़ा किया तो मैं समझता हूं कि कोई गल्ती नहीं की। वैसे सलमान जी एक बात बताइये, आप भी जानते हैं कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फैंकते। आपको ये राय किसने दे दी कि घर पर मीडिया को बुलाकर तेज आवाज में बात कर उनकी आवाज दबाने की कोशिश करो। क्या जरूरत थी प्रेस कान्फ्रेंस में पत्रकारों पर भारी पडने का प्रयास करने की। देखिए ना जो खबर एक दो दिन चल कर हट जाती, वो आज तक चल रही है और उसमें आपकी कितनी फजीहत हो रही है।
वैसे सलमान साहब सब जानते हैं कि चाहे आपका ट्रस्ट हो या फिर किसी और का। कहीं ईमानदारी नहीं है, इसीलिए तो जब नेताओं ने कहा कि लोकपाल के दायरे में नेताओं को डालो तो एनजीओ को भी शामिल कर दो। तो बड़े बड़े लोगों की हवा निकल गई थी, खुद अरविंद केजरीवाल ने भी इसका विरोध किया। बाद में सफाई दी गई कि उन एनजीओ को इसमें शामिल किया जाए जो सामाजिक कार्यों के लिए सरकार से पैसे लेते हैं। देश में 40 फीसदी से ज्यादा ऐसे एनजीओ हैं, जिन्हें विदेशों से पैसा मिलता है। उन्हें लगा कि वो ऐसा बोल कर बच सकते हैं, क्योंकि इस पैसे का दुरुपयोग होता ही है। सरकारी पैसे लेने वाले जो एनजीओ हैं उसमें 90 फीसदी एनजीओ नेताओं और अफसरों की पत्नियों के नाम है। नेता और अफसर अपनी पत्नी को एनजीओ का कर्ताधर्ता बनाकर सरकारी पैसे की लूट करते हैं। ये बात किसी से छिपी नहीं है, इसलिए इस पर ज्यादा चर्चा करना ही बेकार है।
आइये सलमान खुर्शीद साहब से ही बात की जाए। दरअसल सलमान जी देश में चोर वही है जो पकड़ा जाए। गुस्सा मत हो जाइयेगा, पर ये सच्चाई है कि आप पकड़ गए। आपके ट्रस्ट का कच्चा चिट्ठा सार्वजनिक हो चुका है। इसलिए अब ये कहना कि सब कुछ अच्छा भला है तो इस बात को कोई नहीं मानने वाला। सच बताऊं मुझे लगा कि आप लंदन से दिल्ली आने पर जब देखेंगे कि पूरा माहौल आपके खिलाफ है, तो आप कुछ ऐसा निर्णय लेगे, जिससे आपकी किरकिरी होने से बच जाए। आदमी कितना भी बड़ा क्यों ना हो, लेकिन जब वो बेईमानी में फंस जाता है तो उसके लिए आंख मिलाकर बात करना संभव नहीं रहता है। ऐसे में मुझे नहीं पता कि आप किसकी सलाह पर मीडिया से दो दो हाथ करने को तैयार हो गए और प्रेस कान्फ्रेंस में आस्तीन चढ़ाने लगे। सलमान साहब सच में आपने एक अच्छा मौका गवां दिया। आप कह सकते थे कि ये सारा मामला दो तीन साल पुराना है, मैं मंत्री बनने के बाद ट्रस्ट के काम में ज्यादा वक्त नहीं दे पाया। मीडिया ने जो भी आरोप लगाए हैं, मैं चाहूंगा कि उसकी जांच सरकार भी करे और मैं भी करुंगा। दोषी लोग बख्शे नहीं जाएंगे। इससे सांप भी मर जाता और लाठी भी बची रहती। पर आपने उल्टा किया, हालत ये हो गई कि मीडिया ने आपकी जितनी किरकिरी नहीं की, उससे ज्यादा तो आपने अपने आचरण से करा ली।
अच्छा अभी भी आप हास्यास्पद काम कर रहे हैं। मानहानि का मुकदमा दिल्ली, मुंबई और लंदन में कर रहे हैं। अखबारों में पढ़ा कि आपने दो सौ करोड़ रुपये की मानहानि का दावा ठोका है। मैं सोचता था कि आप जैसे नेताओं के मान सम्मान की कोई कीमत नहीं लगा सकता, देश दुनिया में आपका नाम है। लेकिन आपने खुद ही अपने सम्मान की कीमत लगा दी, इसीलिए सब कह रहे हैं कि आपकी कीमत लगाई जा सकती है। खैर मेरा मानना है कि आप सैकड़ों अदालत में मामला दायर करते, लेकिन कीमत टोकन मनी एक रुपया रखते तो आपका सम्मान बहुत ज्यादा बढ़ जाता। सलमान साहब आप वकील हैं, ज्यादा बेहतर कानून समझते हैं। आपको ऐसा नहीं लग रहा है कि आप कई कोर्ट में मामला दर्ज कर मीडिया हाउस पर अनैतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ये तो टीवी टुडे ग्रुप है, कोई हल्का फुल्का ग्रुप होता तो उसका संपादक अब तक आपके चरणों में आ गया होता। आपकी कार्रवाई में इसी अहम की बू आ रही है। अच्छा एक सवाल मेरा भी है, एक ओर आप खुद सरकार को पत्र लिख रहे हैं कि पूरे मामले की जांच करा ली जाए, दूसरी ओर मानहानि का मामला भी दायर कर रहे हैं। अगर जांच रिपोर्ट में ये बात साबित हो जाए कि आपकी संस्था में भ्रष्टाचार हुआ है, तो फिर किस बात की मानहानि। ऐसे में पहले तो जांच रिपोर्ट का इंतजार आप भी कर लेते, उसके बाद कोर्ट जाते। लेकिन साहब आप तो मंत्री है, जांच रिपोर्द में जो लिखा होगा, वो आपको पहले ही पता है, इसीलिए तो जांच की बात भी कर रहे हैं और मानहानि का मुकदमा भी।
सलमान साहब एक शिकायत है आपसे। आप बहुत पुराने नेता हैं और उत्तर प्रदेश में काफी समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, मेरा मानना है कि आपको प्रेस कान्फ्रेंस में अपने व्यवहार पर चेक लगाना चाहिए था। आमतौर पर जब आदमी के पास किसी बात का जवाब नहीं होता है, या उसकी कोई चोरी पकड़ जाती है तो वो सामने वाले पर तेज आवाज में बोलकर हावी होने की कोशिश करता है। इसीलिए ना " चोरी और सीनाजोरी " की कहावत ज्यादा सुर्खियों में रहती है। हो सके तो प्रेस कान्फ्रेंस की सीडी किसी मीडिया हाउस से मंगवा लें, और खुद देंखे कि उस दौरान आप कैसे लग रहे थे। वैसे भी जिस अंदाज में आप प्रेस कान्फ्रेंस में पत्रकार भाई को कोर्ट में देख लेने की चुनौती दे रहे थे, उससे यही मैसेज जा रहा था कि आप कानून मंत्री हैं और उसकी ताकत पत्रकार नहीं समझ रहे हैं।
लक्ष्मण रेखा तो पत्रकार ने भी लांघी ...
मेरा मानना है कि हमें जर्नलिस्ट और एक्टिविस्ट में अंतर करना ही होगा। सलमान की प्रेस कान्फ्रेंस में जिस अंदाज में पत्रकार भाई नजर आए उसे भी सभ्य समाज में हम जायज नहीं ठहरा सकते। सलमान और उनकी पत्नी को अगर इस विषय पर कोई जवाब देना होता तो वो पहले ही दे देते। डेढ़ महीने से मीडिया हाउस इस स्टोरी पर काम कर रहे था। उनके पास कोई जवाब था ही नहीं। इसलिए वो फर्जीवाडा करते रहे। लेकिन प्रेस कान्फ्रेस में चैनल जानबूझ कर कहें या शरारतन हंगामे की स्थिति पैदा करने गया था, क्योंकि जिस तरह से प्रेस कान्फ्रेस मे उस मीडिया हाउस के लगभग दर्जन भर पत्रकार और कैमरामैन थे, उससे ही ये लग गया कि कुछ होने वाला है। फिर एक कैमरा सलमान पर, दूसरा कैमरा पत्रकार पर लगा हुआ था। जब सलमान खुर्शीद बोल रहे थे, उस समय भी चैनल ने दो फ्रेम बनाया, मकसद साफ था, वो जनता को मैसेज दे रहे थे कि यहीं रहें हमारे पत्रकार जी कुछ करने वाले हैं। सलमान के व्यवहार की तो मैं निंदा कर चुका हूं, लेकिन पत्रकार के व्यवहार और अंदाज दोनों की जितनी निंदा की जाए वो कम है।
एक जरूरी सूचना :-
मित्रों आपको पता है कि मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुडा हूं। दिल्ली में रहने के दौरान सियासी गलियारे में जो कुछ होता है, वो तो मैं सबके सामने बेबाकी से रखता ही रहता हूं और उस पर आपका स्नेह भी मुझे मिलता है। अब लगता है कि आप में से बहुत सारे लोग टीवी न्यूज तो देखते हैं, लेकिन इसकी बारीकियां नहीं समझ पाते होगें। मैने तय किया है कि अब आपको मैं टीवी फ्रैंडली बनाऊं। मसलन टीवी के बारे में आपकी जानकारी दुरुस्त करुं, गुण दोष के आधार पर बताऊं कि क्या हो रहा है, जबकि होना क्या चाहिए। इसमें मैं आपको इंटरटेंनमेंट चैनल को लेकर भी उठने वाले सवालों पर बेबाकी से अपनी राय रखूंगा। मेरी नजर प्रिंट मीडिया पर भी बनी रहेगी। इसके लिए मैने एक नया ब्लाग बनाया है, जिसका नाम है TV स्टेशन ...। इसका URL है। http://tvstationlive.blogspot.in । मुझे उम्मीद है कि मुझे इस नए ब्लाग पर भी आपका स्नेह यूं ही मिता रहेगा।
मित्रों आपको पता है कि मैं इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुडा हूं। दिल्ली में रहने के दौरान सियासी गलियारे में जो कुछ होता है, वो तो मैं सबके सामने बेबाकी से रखता ही रहता हूं और उस पर आपका स्नेह भी मुझे मिलता है। अब लगता है कि आप में से बहुत सारे लोग टीवी न्यूज तो देखते हैं, लेकिन इसकी बारीकियां नहीं समझ पाते होगें। मैने तय किया है कि अब आपको मैं टीवी फ्रैंडली बनाऊं। मसलन टीवी के बारे में आपकी जानकारी दुरुस्त करुं, गुण दोष के आधार पर बताऊं कि क्या हो रहा है, जबकि होना क्या चाहिए। इसमें मैं आपको इंटरटेंनमेंट चैनल को लेकर भी उठने वाले सवालों पर बेबाकी से अपनी राय रखूंगा। मेरी नजर प्रिंट मीडिया पर भी बनी रहेगी। इसके लिए मैने एक नया ब्लाग बनाया है, जिसका नाम है TV स्टेशन ...। इसका URL है। http://tvstationlive.blogspot.in । मुझे उम्मीद है कि मुझे इस नए ब्लाग पर भी आपका स्नेह यूं ही मिता रहेगा।
असली यही दबंग है, है असली बलवान |
ReplyDeleteये ही तो बिग बॉस है, वो नकली सलमान |
वो नकली सलमान, मान ले केजरिवाला |
यही *जीर जंजीर, अपाहिज बुद्धि वाला |
कोयल का कोयला, तोड़ता हड्डी पसली |
बड़का नाटकबाज, यही है बन्दा असली ||
*तलवार / शत्रु को हानि पहुँचाने वाला |
शुक्रिया भाई जी, बहुत सुंदर
Deleteसाफ़ सफाई में लगा सारा कुनबा मित्र |
ReplyDeleteबेगम बागम खींचती, ढेर पुराने चित्र |
ढेर पुराने चित्र , ऊंट अब आया नीचे |
वो पहाड़ सा ठाड़, डालता यहाँ किरीचें |
नजरों में सैफई, मुलायम सहित खुदाई |
मोहन इसको रोक, करे जो साफ़ सफाई || |
इस राजनीति के अखाड़े में रोज़ किसी ना किसी का किस्सा सामने आता है ....अब तो आदत सी हो गई है ..कि पता नहीं कब क्या हो जाए यहाँ :)))
ReplyDeleteबिल्कुल सहमत हूं
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ReplyDeleteअरे भाई !चोरी करते पकड़े गएँ हैं तो क्या हुआ .सिद्ध तो करो की चोरी की थी .बहस करो ,कचहरी में आओ वहां देखेंगे चोर बड़ा या कोतवाल .पैरों को
हाथ लगाओगे चोर के कोतवाल साहब .यही सन्देश दे रहें हैं सलमान खुर्शीद .
महेन्द्र जी अब तो आदत पड गयी है इस सबकी जनता को …………जनता जानती है सब चोर हैं और कुछ वक्त का हंगामा है क्योंकि पक्ष हो या विपक्ष सभी हमाम मे नंगे हैं और कोई भी चोर को चोर कहने की हिम्मत नही करता यदि करता तो अब तक यहाँ ऐसे भ्रष्टों का राज ना होता।
ReplyDeleteजी बात तो सही है आपकी
Deleteवाह: बिल्कुल सही कहा..
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया
Deletebahut din apni gagariya dhan se bhare aab bechari ek hi thokar me phutkar saare raaj ugal rahi
ReplyDeleteजी बिल्कुल सही बात
Deleteआम आदमी क्या करे ....उसके तो अपने होशो-हवास गुम हैं मंहगाई में ????
ReplyDeleteबिल्कुल सही सर
Deleteदीपक जब बुझने को होता है तो फड़फड़ा तो है ही!
ReplyDeleteदीपक जब बुझने को होता है तो फड़फड़ाता तो है ही!
ReplyDeleteji bilkul sahi kaha aapne
Deleteaabhar
बिलकुल सही कहा है..
ReplyDeleteशुक्रिया अमृता
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