मनमोहन सिंह जी मैं आपके साथ हूं, मैं कह रहा हूं कि आप चोर नहीं है, आप चोरों के सरदार हैं। अगर विपक्ष कहता है कि प्रधानमंत्री चोर हैं तो मान लिया जाना चाहिए कि विपक्ष की जानकारी कम है। वैसे आप भावुक व्यक्ति है, जज्ज़बाती हो गए और संसद में बोल गए कि विपक्ष प्रधानमंत्री को चोर कहता है, बताइये अब ये बात संसद की कार्रवाई में दर्ज हो गई ना। ऐसे तो देश अपने नेताओं के कितने बड़े-बड़े दाग भूल जाता है। आपकी ही की पार्टी की पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बारे में देश भर में क्या - क्या नारे नहीं लगते थे ? एक नारा ये भी लगा करता था " गली-गली में शोर है, इंदिरा गांधी .......... है। आपने सुना कभी कि इंदिरा जी या राजीव गांधी ने कोई जवाब दिया हो। उन्होंने कभी रियेक्ट नहीं किया। ये ऐसे मामले थोड़े होते हैं कि इस पर प्रतिक्रिया दी जाए। बस एक कान से सुनिए और दूसरे निकाल दीजिए। चलिए कोई बात नहीं गलती हो गई, अब आगे देखिए। वैसे पता नहीं आपके सलाहकार कौन हैं, लेकिन सच में आपको सलाह गलत मिल रही है। ये कहने की क्या जरूरत थी कि आप कोल ब्लाक से जुड़े फाइल के संरक्षक नहीं है, मुझे तो लगता है कि ये गैरजिम्मेदाराना वक्तव्य है।
खैर प्रधानमंत्री जी, आप बेशक चोर ना हों, लेकिन आपकी सरकार ने चोरी के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। सरकारों पर एक आरोप हो, दो हो, बात समझ में आती है। आपकी सरकार के लगभग हर मंत्री पर कोई ना कोई आरोप लगता ही जा रहा है। बात टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले की हुई तो आपकी सफाई आई कि गठबंधन की सरकारों में कुछ दिक्कतें रहती हैं। मतलब आपने समर्थन दे रही पार्टी पर इसका ठीकरा फोड़ दिया। लेकिन काँमनवेल्थ घोटाला, आदर्श घोटाले के बारे में आप क्या कहेंगे ? आपके रेलमंत्री ने क्या गुल नहीं खिलाया। कोल ब्लाक आवंटन के मामले ने तो आपकी सरकार को नंगा ही कर दिया। इसकी जांच रिपोर्ट में हेराफेरी के मामले में आपके कानून मंत्री को इस्तीफा देना पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह की टिप्पणी सरकार और सीबीआई के बारे में की वो भी सरकार के लिए शर्मनाक रही है। आप ही बताइये जिस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में चल रही हो, उसकी फाइल गायब हो जाए, और ये मसला उस वक्त का हो, जब कोल मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास हो, ऐसे में आप भला जिम्मेदारी से कैसे बच सकते हैं ? खैर इस मामले में सच्चाई सब को पता है।
चलिए प्रधानमंत्री जी हम आपके शुभचिंतक हैं, इसलिए कुछ बात आपसे सीधे पूछ रहे हैं। क्या आपको लगता है कि वाकई आप देश के प्रधानमंत्री हैं ? हां आप कानून और संविधान की बात करते हुए कह सकते हैं कि मैं देश का प्रधानमंत्री हूं। फिर मेरा सवाल होगा कि देश के प्रधानमंत्री के पास जो अधिकार हैं, क्या वो आपके पास है ? आप फिर कहेंगे कि हां वो अधिकार मेरे पास है। मैं फिर सवाल करूंगा कि आपकी सरकार में जो लोग मंत्री हैं, क्या आपको लगता है कि वो आपकी मर्जी यानि आपकी पसंद के हैं ? इस सवाल पर आप खामोश हो जाएंगे, कुछ नहीं बोलेंगे। बुरा मत मानिएगा, एक सवाल और पूछ रहा हूं। सोनिया गांधी ने आपको ही प्रधानमंत्री क्यों बनाया ? कभी इस पर विचार किया आपने ? अब ये मत कह दीजिएगा कि मैं लोकप्रिय नेता हूं और मेरी वजह से चुनाव में पार्टी को फायदा पहुंचता है। मैं बताता हूं आपको प्रधानमंत्री इसलिए बनाया गया क्योंकि सोनिया को पता था कि शरीर में जो सबसे जरूरी हड्डी यानि रीढ़ की हड्डी है, वो आपके पास नहीं है। आपकी सबसे बड़ी क्वालिटी सोनिया जी की नजर में यही थी कि आपको उंगली इशारे पर आसानी से नचाया जा सकता है। आपने कभी सोचा नहीं की प्रणव दा जब वित्तमंत्री थे तो आप वित्त विभाग के सचिव थे। क्या आपको प्रणव दा की काबीलियत पर किसी तरह का संदेह है? मेरे ख्याल से नहीं होगा। कड़वी बात कह रहा हूं, गुस्सा मत हो जाइयेगा। आप नौ साल पहले भी देश के प्रधानमंत्री नहीं थे और आज भी नहीं हैं। आप सिर्फ प्रधानमंत्री पद के केयरटेकर हैं, जैसे ही राहुल इसके काबिल हो जाएगें, आपकी छुट्टी हो जाएगी।
चूकि आज आपने खुद बात छेड़ दी, इसलिए एक आम आदमी की तौर पर मैं आपसे सीधे बात करना चाहता हूं। आपने राज्यसभा में कहा कि दुनिया में कहीं भी विपक्ष के नेता देश के प्रधानमंत्री को चोर नहीं कहते। मैं आपकी इस बात से सहमत हूं, लेकिन ज्यादा दूर की बात नहीं करूंगा, चीन में ही उसके एक मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध हुआ तो अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई है। अपने देश में कितने चोट्टे हैं, उन्हें फांसी तो दूर वो आपकी सरकार में मंत्री बने बैठे हैं। इसलिए आप विदेशों से अपनी तुलना मत किया कीजिए। बात आपने शुरू की है तो एक सवाल और पूछ लेते हैं। किस देश में मुलायम सिंह यादव और मायावती जैसी नेता और उनकी जैसी पार्टी है। बहुत गरज कर बोल रहे थे, बताइये अगर सीबीआई का डर ना हो तो ये दोनों आपकी सरकार को समर्थन दे सकते हैं ? नीतिगत विरोध पर आप अपने ईमानदार सहयोगियों को किनारे कर देते हैं। वामपंथी आपसे क्या मांग रहे थे ? कोई सौदेबाजी कर रहे थे ? नहीं ना । ममता बनर्जी क्या भ्रष्ट हैं, उनकी पार्टी की कुछ सोच है, जिससे वो समझौता नहीं कर सकतीं। आपने दोनों को किनारे कर दिया। आपको मुलायम और मायावती का साथ रास आ रहा है। प्रधानमंत्री जी आपकी सरकार की बुनियाद ही बेईमानी और भ्रष्टाचार पर टिकी है, इसलिए आपके मुंह से अच्छी बातें भी बहुत बुरी लगती हैं।
अब बहुत ज्यादा लंबी बात करने का मन नहीं है। क्या आपको अभी भी लगता है कि आप एक ईमानदार सरकार चला रहे हैं ? आपको पता है ना कि आपके समय में ये संसद भी कलंकित हो गई, जहां सांसदों की खरीद फरोख्त का मामला सामने आया। राज्यसभा में जब आप आक्रामक होने की कोशिश कर रहे थे और नेता विपक्ष अरुण जेटली ने आपको तीखा जवाब दिया कि दुनिया के दूसरे देशों में सांसदों की भी खरीद फरोख्त भी नहीं होती, उस वक्त आप का चेहरा देखने लायक था। ऐसा लगा कि सरेआम किसी चौराहे पर प्रधानमंत्री के कपड़े उतार लिए गए हों। आप भौचक रह गए, आपको उम्मीद भी नहीं थी कि विपक्ष से ऐसा तीखा जवाब मिलेगा। आमतौर पर प्रधानमंत्री की भाषा बहुत संयमित होती है, जिससे उनकी बातों के बीच सदन में टीका टिप्पणी ना हो, लेकिन आज तो सदन में भी आप चारो खाने चित्त हो गए। वैसे मेरी समझ में नहीं आया कि आप खड़े तो हुए थे चौपट हो रही अर्थव्यवस्था पर अपनी बात कहने, कई महीने पहले आपको सदन में चोर कहा गया था, उस वक्त तो आप खामोश थे, इतनी पुरानी बात आज कहां से याद आ गई ?
आखिर में एक ही बात कहूंगा कि प्रधानमंत्री रहते हुए रिटायरमेंट ले लीजिए, आपके लिए ज्यादा बेहतर होगा। वजह पहले तो मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस के नेतृत्व में अगली सरकार बन सकती है। मान लीजिए बन भी गई तो सौ फीसदी गारंटी है कि आप प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। वैसे तो कांग्रेस की कोशिश होगी कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाकर घाघ कांग्रेसी नेता मजे लूटें, अगर किसी वजह से राहुल तैयार नहीं हुए तो विकल्प की तलाश होगी। अंदर की बात बता दूं, बहुत सारे कांग्रेसी सोनिया जी के करीब आने के चक्कर में आपरेशन कराकर अपने शरीर में मौजूद रीढ़ की हड्डी निकलवा रहे हैं। इसलिए अच्छा मौका है अभी आप पर कमजोर प्रधानमंत्री का ही आरोप सिद्ध हुआ है, भ्रष्ट प्रधानमंत्री का नहीं। चुपचाप शानदार एक्जिट ले लीजिए, शुकून में रहेंगे। वरना चुनाव में पार्टी की हार का ठीकरा आप पर ही फोड़ी जाएगी, और आप सख्त होकर जवाब भी नहीं दे पाएंगे।
खैर प्रधानमंत्री जी, आप बेशक चोर ना हों, लेकिन आपकी सरकार ने चोरी के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। सरकारों पर एक आरोप हो, दो हो, बात समझ में आती है। आपकी सरकार के लगभग हर मंत्री पर कोई ना कोई आरोप लगता ही जा रहा है। बात टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले की हुई तो आपकी सफाई आई कि गठबंधन की सरकारों में कुछ दिक्कतें रहती हैं। मतलब आपने समर्थन दे रही पार्टी पर इसका ठीकरा फोड़ दिया। लेकिन काँमनवेल्थ घोटाला, आदर्श घोटाले के बारे में आप क्या कहेंगे ? आपके रेलमंत्री ने क्या गुल नहीं खिलाया। कोल ब्लाक आवंटन के मामले ने तो आपकी सरकार को नंगा ही कर दिया। इसकी जांच रिपोर्ट में हेराफेरी के मामले में आपके कानून मंत्री को इस्तीफा देना पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह की टिप्पणी सरकार और सीबीआई के बारे में की वो भी सरकार के लिए शर्मनाक रही है। आप ही बताइये जिस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में चल रही हो, उसकी फाइल गायब हो जाए, और ये मसला उस वक्त का हो, जब कोल मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास हो, ऐसे में आप भला जिम्मेदारी से कैसे बच सकते हैं ? खैर इस मामले में सच्चाई सब को पता है।
चलिए प्रधानमंत्री जी हम आपके शुभचिंतक हैं, इसलिए कुछ बात आपसे सीधे पूछ रहे हैं। क्या आपको लगता है कि वाकई आप देश के प्रधानमंत्री हैं ? हां आप कानून और संविधान की बात करते हुए कह सकते हैं कि मैं देश का प्रधानमंत्री हूं। फिर मेरा सवाल होगा कि देश के प्रधानमंत्री के पास जो अधिकार हैं, क्या वो आपके पास है ? आप फिर कहेंगे कि हां वो अधिकार मेरे पास है। मैं फिर सवाल करूंगा कि आपकी सरकार में जो लोग मंत्री हैं, क्या आपको लगता है कि वो आपकी मर्जी यानि आपकी पसंद के हैं ? इस सवाल पर आप खामोश हो जाएंगे, कुछ नहीं बोलेंगे। बुरा मत मानिएगा, एक सवाल और पूछ रहा हूं। सोनिया गांधी ने आपको ही प्रधानमंत्री क्यों बनाया ? कभी इस पर विचार किया आपने ? अब ये मत कह दीजिएगा कि मैं लोकप्रिय नेता हूं और मेरी वजह से चुनाव में पार्टी को फायदा पहुंचता है। मैं बताता हूं आपको प्रधानमंत्री इसलिए बनाया गया क्योंकि सोनिया को पता था कि शरीर में जो सबसे जरूरी हड्डी यानि रीढ़ की हड्डी है, वो आपके पास नहीं है। आपकी सबसे बड़ी क्वालिटी सोनिया जी की नजर में यही थी कि आपको उंगली इशारे पर आसानी से नचाया जा सकता है। आपने कभी सोचा नहीं की प्रणव दा जब वित्तमंत्री थे तो आप वित्त विभाग के सचिव थे। क्या आपको प्रणव दा की काबीलियत पर किसी तरह का संदेह है? मेरे ख्याल से नहीं होगा। कड़वी बात कह रहा हूं, गुस्सा मत हो जाइयेगा। आप नौ साल पहले भी देश के प्रधानमंत्री नहीं थे और आज भी नहीं हैं। आप सिर्फ प्रधानमंत्री पद के केयरटेकर हैं, जैसे ही राहुल इसके काबिल हो जाएगें, आपकी छुट्टी हो जाएगी।
चूकि आज आपने खुद बात छेड़ दी, इसलिए एक आम आदमी की तौर पर मैं आपसे सीधे बात करना चाहता हूं। आपने राज्यसभा में कहा कि दुनिया में कहीं भी विपक्ष के नेता देश के प्रधानमंत्री को चोर नहीं कहते। मैं आपकी इस बात से सहमत हूं, लेकिन ज्यादा दूर की बात नहीं करूंगा, चीन में ही उसके एक मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध हुआ तो अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई है। अपने देश में कितने चोट्टे हैं, उन्हें फांसी तो दूर वो आपकी सरकार में मंत्री बने बैठे हैं। इसलिए आप विदेशों से अपनी तुलना मत किया कीजिए। बात आपने शुरू की है तो एक सवाल और पूछ लेते हैं। किस देश में मुलायम सिंह यादव और मायावती जैसी नेता और उनकी जैसी पार्टी है। बहुत गरज कर बोल रहे थे, बताइये अगर सीबीआई का डर ना हो तो ये दोनों आपकी सरकार को समर्थन दे सकते हैं ? नीतिगत विरोध पर आप अपने ईमानदार सहयोगियों को किनारे कर देते हैं। वामपंथी आपसे क्या मांग रहे थे ? कोई सौदेबाजी कर रहे थे ? नहीं ना । ममता बनर्जी क्या भ्रष्ट हैं, उनकी पार्टी की कुछ सोच है, जिससे वो समझौता नहीं कर सकतीं। आपने दोनों को किनारे कर दिया। आपको मुलायम और मायावती का साथ रास आ रहा है। प्रधानमंत्री जी आपकी सरकार की बुनियाद ही बेईमानी और भ्रष्टाचार पर टिकी है, इसलिए आपके मुंह से अच्छी बातें भी बहुत बुरी लगती हैं।
अब बहुत ज्यादा लंबी बात करने का मन नहीं है। क्या आपको अभी भी लगता है कि आप एक ईमानदार सरकार चला रहे हैं ? आपको पता है ना कि आपके समय में ये संसद भी कलंकित हो गई, जहां सांसदों की खरीद फरोख्त का मामला सामने आया। राज्यसभा में जब आप आक्रामक होने की कोशिश कर रहे थे और नेता विपक्ष अरुण जेटली ने आपको तीखा जवाब दिया कि दुनिया के दूसरे देशों में सांसदों की भी खरीद फरोख्त भी नहीं होती, उस वक्त आप का चेहरा देखने लायक था। ऐसा लगा कि सरेआम किसी चौराहे पर प्रधानमंत्री के कपड़े उतार लिए गए हों। आप भौचक रह गए, आपको उम्मीद भी नहीं थी कि विपक्ष से ऐसा तीखा जवाब मिलेगा। आमतौर पर प्रधानमंत्री की भाषा बहुत संयमित होती है, जिससे उनकी बातों के बीच सदन में टीका टिप्पणी ना हो, लेकिन आज तो सदन में भी आप चारो खाने चित्त हो गए। वैसे मेरी समझ में नहीं आया कि आप खड़े तो हुए थे चौपट हो रही अर्थव्यवस्था पर अपनी बात कहने, कई महीने पहले आपको सदन में चोर कहा गया था, उस वक्त तो आप खामोश थे, इतनी पुरानी बात आज कहां से याद आ गई ?
आखिर में एक ही बात कहूंगा कि प्रधानमंत्री रहते हुए रिटायरमेंट ले लीजिए, आपके लिए ज्यादा बेहतर होगा। वजह पहले तो मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस के नेतृत्व में अगली सरकार बन सकती है। मान लीजिए बन भी गई तो सौ फीसदी गारंटी है कि आप प्रधानमंत्री नहीं बन सकते। वैसे तो कांग्रेस की कोशिश होगी कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाकर घाघ कांग्रेसी नेता मजे लूटें, अगर किसी वजह से राहुल तैयार नहीं हुए तो विकल्प की तलाश होगी। अंदर की बात बता दूं, बहुत सारे कांग्रेसी सोनिया जी के करीब आने के चक्कर में आपरेशन कराकर अपने शरीर में मौजूद रीढ़ की हड्डी निकलवा रहे हैं। इसलिए अच्छा मौका है अभी आप पर कमजोर प्रधानमंत्री का ही आरोप सिद्ध हुआ है, भ्रष्ट प्रधानमंत्री का नहीं। चुपचाप शानदार एक्जिट ले लीजिए, शुकून में रहेंगे। वरना चुनाव में पार्टी की हार का ठीकरा आप पर ही फोड़ी जाएगी, और आप सख्त होकर जवाब भी नहीं दे पाएंगे।
aapki salaah ekdam sahi hai ,sach me pradhnmantri ji ko sab maan lena chahiye ..
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
DeleteKuchh Kahne Ko Nahi Bacha..
ReplyDeleteBas Ye Anmol Sujhao Bhara Khat PM Ji Tak Pahunch Jaye.....
शुक्रिया
Deletebahut sahi
ReplyDeleterecent post
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थैक्स
Deleteकाश आपकी बात मौनी बाबा तक पहुंचे ।
ReplyDeleteजी, आभार
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - रविवार -01/09/2013 को
ReplyDeleteचोर नहीं चोरों के सरदार हैं पीएम ! हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः10 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया आप भी पधारें, सादर .... Darshan jangra
शुक्रिया भाई
Deleteचिंता मत कीजिए.
ReplyDeleteफिर से वही नारा गूंजने वाला है.
गली गली में शोर है....
मुझे भी लगता है
Deleteसटीक और सुन्दर सवाल जबाब !!
ReplyDeleteशुक्रिया भाई
Deleteक्या बात!
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteनहीं कहीं भी लगता नारा ।
ReplyDeleteपी एम चुप्पा चोर हमारा ॥
चोर चुहाड़ कमीना बोले ।
राज राज का बाहर खोले॥
सत्ता सांसद यहाँ खरीदें ।
रखे तभी जिन्दा उम्मीदें ॥
नौ दिन चले अढ़ाई माइल ।
होय काँख से गायब फ़ाइल ॥
जहाँ निकम्मे हैं अधिकारी ।
प्रवचनकर्ता तक व्यभिचारी ॥
जन गन मन मुद्रा में मस्ती ।
होती जाती मुद्रा सस्ती ।।
क्या बात है,
Deleteआपने लेख में कमेंट के जरिए चार चांद लगा दिया
ReplyDeleteकरारा व्यंग के साथ सटीक सलाह
latest postएक बार फिर आ जाओ कृष्ण।
बहुत बहुत आभार
Deleteऔर क्या धकेले जाने की ज़रूरत ही क्यों पड़े !
ReplyDeleteऔर क्या, धकेलेजाने की ज़रूरत ही क्यों पड़े !
ReplyDeleteजी, यही तो मैं भी समझा रहा हूं।
Deleteआभार
MAHENDR JI -DON'T YOU THINK THAT YOU ARE MISUSING SOCIAL MEDIA FREE WRITING POWER .
ReplyDeleteआपकी परेशानी और बेचैनी जायज है।
Deleteदेखता हूं आपकी राजनीतिक समझ काफी
दुरुस्त है।
इसी फ्री राइटिंग पावर के चलते आप यहां
ऐसा कमेंट भी कर गईं !
mahendr ji ,free writing power ke chalte nahi balki ek sahi vyakti ko apne siddhanton se bhatkte dekhna achchha nahi laga isliye sadbhavna me ye salah de gayi shikha ji
ReplyDeleteसही है....
Deleteजागो मोहन प्यारे जागो ...
ReplyDeleteपर नहीं जागेंगे ... जब तक लोग बाहर नहीं फेंकेंगे ...
बिल्कुल सहमत हूं..
Deleteहमारा दुर्भाग्य है जो इतने निष्क्रिय प्रधानमंत्री को सह रहे हैं हम....
ReplyDeleteहां जी, ये बात तो है
Deleteकाश! आप की मुफ्त और कीमती सलाह पर गौर फरमा लें ...हमारे मन मोहन जी.....
ReplyDeleteशुभकामनायें !
नहीं मानेंगे, ये मैं जानता हूं।
Delete