Sunday 17 March 2013

हकीकत : दिल्ली से भीख मांगते रहे नीतीश !


बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिल्ली आए तो थे अधिकार मांगने लेकिन भीख मांगकर चले गए। उनके पूरे भाषण में एक बार भी ऐसा नहीं लगा जैसे वो अपने अधिकार की मांग कर रहे हों। उन्हें न ही केंद्र की सरकार से कोई शिकायत थी, न ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह या कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से। शिकायत करना तो दूर अलबत्ता वित्तमंत्री पी चिदंबरम की तो वो वाह-वाही करते रहे। उनके पूरे भाषण का लब्बोलुआब अगर कहें तो वो ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि अभी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दिया तो ये बिहार पर केंद्र सरकार का एहसान होगा, वरना 2014 यानि चुनाव के बाद तो वो ले ही लेंगे। मसलन वो दिल्ली को कम बल्कि बिहार को ज्यादा संदेश दे रहे थे कि अगर दिल्ली अभी उनकी मांग को नहीं मानती है तो बिहार की जनता लोकसभा चुनाव में जेडीयू को और ताकतवर बनाए। क्यों नीतीश जी ! यही बात आप समझाने की कोशिश कर रहे थे ना ? मै कोई गलत तो नहीं कह रहा हूं ? नीतीश जी एक बात आपको बताऊं, वैसे तो ये अंदर की बात है, लेकिन आप जान लीजिए। जिस कांग्रेस ने अपने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सिर्फ पद दिया हो, पद का अधिकार नहीं, उस बेचारे मजबूर आदमी से आप बिहार का अधिकार मांग रहे हैं।

रामलीला मैदान में अगर आज आपने नीतीश कुमार की बाँडी लंग्वेज को पढ़ा हो तो उनमें साफ-साफ घमंड नजर आ रहा था। बिहार में वो बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री हैं और ये भी नहीं बीजेपी की संख्या कोई कम है, बल्कि बीजेपी विधायकों की संख्या ठीक ठाक है। ऐसे में अगर वो दिल्ली में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करने आए थे तो बीजेपी से दूरी क्यों बनाए रहे ? इसकी वजह कम से कम मेरे समझ में तो नहीं आई। खैर सच ये है कि दिल्ली में आज कल सब कुछ उल्टा पुल्टा चल ही रहा है। अब देखिए ना केंद्र सरकार के कानून में तंबाकू इस्तेमाल करने की उम्र 18 साल, मतदान करने की उम्र 18 साल, शादी करने की उम्र 18 साल लेकिन सेक्स करने की उम्र 16 साल। अब ये क्या है ? एक कांग्रेसी नेता से मैने पूछा कि ये क्या माजरा है ? आंख दबा कर कहने लगे की शादी के पहले दो साल तैयारी की छूट दी गई है। मुझे तो नीतीश का काम भी कुछ ऐसा ही लग रहा है, अरे भाई मुख्यमंत्री के नाते आप बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं और जिस बीजेपी की वजह से मुख्यमंत्री हैं, उसे दूर रख रहे हैं ? भला ये कैसे संभव है। अब सच्चाई ये है कि बीजेपी में भी इतनी गुटबाजी है, वरना तो जिस वक्त नीतीश कुमार  दिल्ली में थे, उस दौरान पटना में बीजेपी विधायकों को राज्यपाल के पास समर्थन वापसी का पत्र सौंपना चाहिए था।

नीतीश कुमार कई महीने से बिहार के विभिन्न इलाकों मे दौरा कर लोगों को समझा रहे थे कि दिल्ली में अधिकार रैली क्यों करने जा रहे हैं। इसके लिए वो एक बार पटना में भी बड़ी रैली कर चुके हैं। नीतीश का मानना है कि बिहार के साथ दिल्ली न्याय नहीं करती है, बिहार को उसका वाजिब हक नहीं दिया जा रहा है। यही वजह है कि दूसरे राज्यों के मुकाबले बिहार पिछड़ा है। कुमार का दावा है कि बिहार को भी विकास का पूरा अधिकार है। बिहार का  रोना रोते हुए मुख्यमंत्री कहते हैं कि बिहार के लोग मजबूरी में अपने प्रदेश को छोड़ते हैं, सही बात है, मजबूरी ना हो तो भला कोई रोजी रोटी के लिए अपना घर क्यों छोड़ेगा ? एक सवाल उठाया गया कि जिस बिहार की एक गौरवशाली परंपरा रही है, आजादी के आंदोलन में जिस राज्य ने अहम भूमिका निभाई, आखिर वो राज्य इतना पीछे क्यों हो गया ? अगर नीतीश दिल्ली में आकर ये सवाल पूछते हैं तो लगता है कि वो भी ईमानदार नहीं हैं। इस सवाल का जवाब तो आपको पटना के गांधी मैदान में ही मिल सकता है। जमा कर लीजिए पूरे सूबे की जनता को गांधी मैदान में। बिहार में अब तक के सभी मुख्यमंत्रियों का लेखा जोखा वहां रखिए। लोग खुद बता देंगे कि मुख्यमंत्री चाहे जगन्नाथ मिश्र रहे हों या लालू यादव या फिर आप ही क्यों ना हों। किससे कहां-कहां चूक रही है, सब पता चल जाएगा। नीतीश जी, क्या आपको लगता है कि आपकी सरकार में छेद नहीं है, अगर ऐसा लगता है तो आप गलत फहमी में हैं। इसीलिए कह रहा हूं कि बिहार के पिछड़ने के लिए जिम्मेदार तो वहां के नेता हैं, ऐसे में इसका जवाब दिल्ली नहीं पटना ही दे देगी।

रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री ने गिडगिड़ाते हुए दिल्ली की गूंगी और बहरी सरकार को बताने की कोशिश की कि देखिए सुविधाओं के मामले में भी बिहार की उपेक्षा हुई है। बिहार में प्रति व्यक्ति आय देश की आय से कम है, कृषि विकास के लिए जो पैसा उन्हें मिला है, वह भी नाकाफी है। हमारी जरूरत के हिसाब से हमें पैसा नहीं मिलता है। नीतीश बोले बिहार में जनसंख्या का घनत्व भी ज्यादा है। ऐसे में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला तो यहां विकास होगा। विशेष दर्जे के मानदंडों में भी बदलाव होना जरूरी है। रैली से पहले बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा है कि आज यानि उनके जमाने में बिहार पहले से ज्यादा तरक्की कर रहा है और अगर केंद्र की ओर से राज्य को सहयोग मिले तो वह जल्द ही विकसित राज्यों में शामिल हो जांएगे। अच्छा नीतीश के सामने जो लोग थे, उनमें से एक बड़ी संख्या उन लोगों की थी जो दिल्ली आकर बस गए हैं और मजदूरी करके परिवार चलाते हैं। आपको पता है दिल्ली में बिहार के लोगों की संख्या 35 से 40 लाख के करीब है। नीतीश को लगा कि अगर उनकी बात नहीं की गई तो ये निराश होंगे, लिहाजा उन्होंने दिल्ली की सरकार का नाम लिए बगैर कहा कि बिहार के लोग दिल्ली में भी जहां रहते हैं वहां उन्हें बहुत तकलीफ में रहना पड़ता है, मसलन  बुनियादी सुविधाएं यहां भी नहीं मिलती। खैर ये सब तो ठीक है।

बड़ा सवाल ये है कि नीतीश कुमार दिल्ली क्यों आए थे ? उन्हें अगर मांगने से अधिकार मिल रहा होता तो कब का मिल चुका होता, क्योंकि वो कई बार पटना में रैली कर चुके हैं, दिल्ली में प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष से व्यक्तिगत तौर पर मिल चुके हैं। सच कहूं तो वो कांग्रेस के सामने घुटने टेकते हुए यहां तक कह चुके हैं कि जो बिहार का साथ देगा, उसे उनका साथ मिलेगा। नीतीश पुराने नेता हैं, लेकिन मुझे उनकी सोच पर हैरानी होती है। नीतीश जी क्या आपको पता  नहीं है?  कांग्रेस को इंतजार है आपकी एक गलती का, उसके बाद जहां सीबीआई में आपकी एक फाइल खुली, बस फिर तो आप भी कतार में खड़े हो जाएंगे। देख रहे है ना, माया मुलायम एक दूसरे के कट्टर विरोधी, लेकिन कांग्रेस को दोनों का समर्थन, वजह दोनों की फाइल है सीबीआई में। लालू यादव बेचारे सीबीआई की वजह से ही तो कांग्रेस की हां में हां मिला रहे हैं। डीएमके सुप्रीमों करुणानिधि के मंत्री ए राजा ही नहीं बेटी कनिमोझी तक को जेल भेज दिया, पर समर्थन जारी है। सब सीबीआई का खेल है। कांग्रेस को महज एक गलती भर मिल जाए आपकी, बस फिर क्या मुलायम और माया की तरह पता चला कि बिहार  से लालू और नीतीश भी कांग्रेस के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं।

बहरहाल मेरा अभी भी यही सवाल है कि आप दिल्ली क्यों आए ? जब आपको कांग्रेस की सरकार में सबकुछ  गुडी-गुडी नजर आ रहा है तो ये करोड़ो रुपये फूंकने की जरूरत क्या थी ? नीतीश जी अगर आपको केंद्र सरकार को कुछ खरी खरी नहीं सुनानी थी तो आपने  पटना में ही ये जलसा क्यों नहीं कर लिया ? जब बिहार में जेडीयू और बीजेपी गठबंधन की सरकार है तो अधिकार रैली से बीजेपी को दूर क्यों रखा ? आपने कहाकि हम यहां अधिकार मांगने आए हैं। जिस तरह से आप अधिकार मांग रहे थे, उससे तो देश में यही संदेश जा रहा था कि आप "भीख" मांग रहे हैं। अधिकार की बात तो  आक्रामक शैली में की जाती है, गिडगिड़ाकर तो भीख ही मांगा जाता है। आपने कई बार वित्त मंत्री की पीठ थपथपाई। अरे उन्होंने अभी क्या दे दिया बिहार को ? वित्तमंत्री ने तो एक जनरल बात की है कि विशेष दर्जा देने के जो मापदंड है उसमें बदलाव जरूरी है। क्या बदलाव होगा, ऐसा कुछ तो कहा नहीं गया है। ये भी नहीं कहा गया है कि बिहार को इसमें शामिल ही कर लिया जाएगा। फिर भी आप जिस शान  की बात कर रहे थे, वो शान दिखाई नहीं दी। मुझे तो लगता है कि आपकी कांग्रेस से अंदरखाने कुछ बात हो गई है। नीतीश जी एक शेर सुनाऊं ?

अल्लाह ये तमन्ना है जब जान से जाऊं। 
जिस शान से आया हूं, उसी शान से जाऊं।।

खैर कांग्रेस के लिए अच्छी खबर है। बिहार बीजेपी में टकराव हो गया है। कई धड़े बन गए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अविश्वसनीय हो गए हैं। बीजेपी के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी बेपेंदी के लोटा हैं, उनकी कोई हैसियत ही नहीं दिखाई दे रही है। अभी जो हालात हैं उसे देखते हुए तो ऐसा ही लग रहा है कि 2014 में कांग्रेस तो अपने लिए वोट मांगती ही फिरेगी, लालू यादव, राम विलास पासवान और अब नीतीश कुमार भी चुनाव भले अलग लड़ें, लेकिन सब काम कांग्रेस के लिए ही करेंगे। झारखंड में सियासी समीकरण बदल रहे हैं, अगर सब सही रहा तो वहां झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ कांग्रेस गठबंधन की सरकार बन सकती है। ऐसे में 2014 में शिबु सोरेन भी कांग्रेस के लिए काम करते दिखाई देंगे।

चलते - चलते

राजनाथ जी आपरेशन बिहार शुरू कीजिए, वरना ऐन  मौके पर ऐसा धोखा खाएंगे कि चारो खाने चित्त हो जाएंगे। अच्छा ज्यादा कुछ करना भी नहीं है, बस नीतीश सरकार से समर्थन वापस लीजिए, सुशील मोदी को किसी जिले का अध्यक्ष बनाकर पैदल कीजिए, बिहार में पार्टी  के गुटबाजों को बाहर कीजिए। अब इंतजार बहुत हो गया, सुशील मोदी ने पार्टी को नीतीश सरकार में गिरवी रख दिया है। अब तैयार हो जाइये, अगर बिहार में कुछ करना है ....



29 comments:

  1. खरी - खरी कह दी आपने इस देश का क्या होगा ? यह समझ नहीं आता .....!!!

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    1. हां, सच में ये तो चिंता का विषय है..

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  2. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 18-03-2013 को सोमवारीय चर्चा : चर्चामंच-1187 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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    1. शुक्रिया भाई चंद्रभूषण जी...

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  3. shirsh satta ka ganda khel,kendriy sahayta me rajniti galat bat

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    1. बात तो आपकी सही है, पर आपको पता है कि केंद्रीय सहायता के जरिए ही राजनीति होती है..

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  4. बहुत ही सार्थक आलेख लिखे हैं,आभार.पर चलते चलते वाला मैसेज से किसी को लाभ नही होने वाला.

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    1. मुझे लगता है कि बीजेपी को अपमानित होने से बचने के लिए अब खुद पहल करनी चाहिए और जेडीयू से नाता तोड़ना चाहिए..

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  5. कमाल की रिपोर्टिंग है ..आपकी महेन्द्र भाई जी ..एक ही सांस में पढ़ गया और आँखे फाड़ .आप की बताई सच्चाई में गड़ गया ...
    निचोड़ ये समझ में आया ...अपना-अपना गिरेबान झांको ..दुसरे को मत ताको |
    स्वस्थ रहें!

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    1. हां सर, मुझे लगता है कि बीजेपी को अब आत्म सम्मान बचाने के लिए आगे आना चाहिए.. नीतीश ने इतनी पार्टी को पिल्ला बना रखा है। लगता है कि उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को बिस्कुट बहुत पसंद है, बस वो तो इसी बिस्कुट पर चिपका रहता है..खत्म करना चाहिए ये रिश्ता..

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  6. पटना पटनायक सरिस, नीति सही नीतीश |
    चालाकी में भैंस से, पड़ते हैं इक्कीस |
    पड़ते हैं इक्कीस, सदी इक्कीस भुनाते |
    ले विशेष अधिकार, ख़्वाब ये हमें दिखाते |
    रविकर से है रीस, उधर चालू है सटना |
    दो नावों पर पैर, बड़ा मुश्किल है पटना ||

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    1. बिल्कुल सही कहा आपने..
      सच कहूं तो टिप्पणी के इस अंदाज का कोई जवाब नहीं।
      मेरे ब्लाग की टीआरपी में आपकी ऐसी टिप्पणी की भी अहम भूमिका है।

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  7. नितीश की पूरी जन्म कुंडली के साथ साथ लाजबाब रिपोर्टिंग ,,,,

    Recent Post: सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार,

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  8. बहुत सही और खरी बातें कही हैं.'
    टी वी पर देख रही थी कि न जाने कितने लोग बिहार से दिल्ली 'लाये 'गए थे सिर्फ़ इस रैली के लिए..अब ये कौन बताएगा कि कितने वापस गए..इन रैलियों का एक अलग पहलू भी है..जो दिल्ली की जनसँख्या बढाने का जिम्मेदार है ...आशा है उस पर भी किसी का कभी ध्यान जाए!

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  9. हमें तो यहाँ के अखबारों में कुछ और ही पढने को मिलता है..

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    1. जी वो भी पढिए, और हमें भी पढिए.
      फिर अंतर कीजिए... आभार

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  10. भाई, अभी सिर्फ उपस्थिति दर्ज करा रही हूँ ....बस अभी आकर पढूंगी !

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  11. हमेशा की तरह बढ़िया सार्थक लेख !

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  12. कमाल की खोजपरक विवेचना .....

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  13. पता नहीं कब और कैसे राजनीति और नेता इतने स्वार्थी कैसे हो गए....जो सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं / देश और यहाँ के लोगों के हितों का उन्हें ज़रा भी ध्यान नहीं है ||

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  14. एक बार एक लड़का बहुत जोश में एक लड़की को छेड़ने जाता है , लेकिन जैसे ही उसे लगता है कि मामला सीरियस होने को है तुरंत ये चिल्ला के अपना सर बचाता है कि "दीदी डर गयीं , दीदी डर गयीं |", वही हालत उस दिन नितीश के दिल्ली में लग रहे थे | आये थे हरि भजन को ओटन लगे कपास |
    कोई भी सीधा दुश्मनी नहीं लेना चाहता , हर किसी के दामन में दाग हैं और यही बात सत्तारूढ़ पार्टी (मैंने कांग्रेस नहीं कहा) की ताकत का काम करती है , क्यूंकि सी.बी.आई. को तो वही पालते हैं | आप मुलायम को ही लीजिए , आज कल कितना जहर उगल रहे हैं लेकिन कोई आश्चर्य नहीं अगर ये २०१४ में फिर उसी पार्टी को समर्थन देते फिरें |
    और रही जहां तक बी.जे.पी. की बात, मैं वाकई इस पार्टी की दुर्दशा को देखकर बहुत दुखी हूँ , जब तक एक पार्टी में आपस में ही संगठन नहीं है , उसमे एकसुर में कुछ सख्त कदम लेने की सहमति/साहस नहीं है , उस पार्टी में फ़िलहाल कोई सम्भावना नहीं है | इनकी एक सबसे बड़ी समस्या अटल जी के जाने से पैदा हुआ शून्य है जिसे ये आज तक नहीं भर पाए |

    सादर

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।