Saturday 23 February 2013

दमन बोले तो गुजरातियों का दारु अड्डा !


दो दिन बाद रेल और आम बजट पर आपसे लंबी बात करनी है, और पहले हम भ्रष्टाचार के साथ ही आतंकियों के मास्टर माइंड अफजल गुरू पर काफी बात कर चुके हैं। मुझे लगा कि आप कहीं मेरे ब्लाग के तेवर से ऊब कर यहां आना ही ना बंद कर दें, इसलिए ब्लाग पर बने रहने के लिए मैं दे रहा हूं आपको एक बढिया टूर पैकेज। मैने सोचा कि आप सबको दिल्ली से कहीं दूर ले चलें। चलिए फिर देर किस बात की, तैयार हो जाइये, हम चलते हैं देश के केंद्र शासित प्रदेश दमन की सैर करने। अच्छा पहले मैं दमन के अपने मित्रों से माफी मांग लेता हूं, क्योंकि उनके साथ मेरा तो प्रवास वहां ठीक ठाक ही रहा, लेकिन सच कहूं मुझे दमन बिल्कुल पसंद नहीं आया और मैं तो किसी को दमन जाने की सलाह भी नहीं देने वाला। अगर कोई मुझसे पूछे कि आपकी नजर में दमन क्या है ? तो मेरा यही जवाब होगा दमन बोले तो गुजरातियों का दारू अड्डा।

मैं जानता हूं कि आपको मेरी बात पर आसानी से भरोसा नहीं होगा। आपको लगेगा कि ये मैं कह क्या रहा हूं। चूंकि आप सबके मन में दमन को लेकर एक शानदार तस्वीर है। आप सोचते होंगे कि समुद्र के किनारे बसा ये शानदार शहर होगा, जहां आकर आप गोवा को भूल जाएंगे, लेकिन माफ कीजिएगा ऐसा कुछ नहीं है। मुझे लग रहा है कि आप आंख मूंद कर मेरी बात पर यकीन करने वाले नहीं है इसलिए आप दमन को जानने के लिए गुगल का सहारा जरूर लेगें, और दमन का इतिहास भूगोल खंगालने में लग जाएंगे। इसीलिए मैं सोच रहा हूं कि जो मैने देखा वो तो आपको दिखाऊंगा ही, थोड़ा दमन के इतिहास भूगोल की चर्चा मैं खुद ही कर दूं, जिससे आपको बेवजह अतिरिक्त मेहनत न करनी पड़े।

दरअसल इसका इतिहास जरूर कुछ रोचक है। केंद्र शासित प्रदेश दमन पहले पुर्तगालियों के कब्‍जे में था, इसीलिए इसकी राजधानी एक समय में गोवा की राजधानी हुआ करती थी। 1961 में गोवा और दमन को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया। पुर्तगालियों ने यहां के हिन्दुओं को इसाई बनाकर भव्य चर्च खड़े किए, जिसमें सबसे प्रसिद्ध चर्च है- कैथेडरल बोल जेसू। मोती दमन में इस तरह के अनेक चर्च है। नानी दमन में संत जेरोम का किला जो 1614 ई. से 1627 ई. के बीच बना था। दरअसल, मुगलों से बचने के लिए इसका निर्माण हुआ था। 1987 में इसे अलग से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। वैसे इसमें दीव को भी शामिल किया गया है। इतिहास की बात करें तो दमन दो हजार साले से भी अधिक की समृद्ध ऐतिहासिक विरासत वाला भारतीय सूबा है। हां मौसम तो यहां पूरे वर्ष सुहाना बना रहता है। इसके अलावा सुरक्षित मनोरंजन पार्क अपने संगीतमय फव्‍वारों से जरूर आने वाले पर्यटकों का सप्‍ताहांत सुखद बनाते हैं। बच्‍चों के लिए भी कई तरह की मनोरंजक गतिविधियां हैं। यहां एक विशाल दमनगंगा नदी है, जो दमन को दो भाग में बांटती है। नानी दमन यानि छोटा दमन तथा मोती दमन जिसे बड़ा दमन के नाम से भी जाना जाता है।

इतना ही नहीं दमन की काफी समृद्ध और बहुरंगी सांस्‍कृतिक विरासत है। यहां नृत्‍य और संगीत दमनवासियों के दैनिक जीवन का जरूरी हिस्‍सा है। दमन में संस्‍कृतियों का अद्भुत सम्मिश्रण पाया जाता है। जनजातीय, शहरी, यूरोपीय और भारतीय। यह अनोखा संगम दमन के पारम्‍परिक नृत्‍यों में भी दिखाई देता है। विभिन्‍न पुर्तगाली नृत्‍य यहां अच्छी तरह संरक्षित किए गए हैं और अब भी बड़े पैमाने पर इसका प्रदर्शन भी होता है। सामाजिक टिप्‍पणियों के साथ जनजातीय नृत्‍य भी यहां प्रचलित हैं । दमन में पर्यटकों के रूकने, घुमने और समुद्र में सैर करने की सभी तरह की सुविधाएं और व्यवस्थाएं हैं। यहां पर प्रमुख दो तट है- देविका तट और जैमपोरे तट। देविका तट पर स्‍नान नहीं करना चाहिए क्‍योंकि यहां के पानी के अंदर बड़े और छोटे सभी तरह के पत्‍थर ही पत्थर है। यहां पर दो पुर्तगाली चर्च भी हैं। यह तट दमन से 5 किलोमीटर उत्तर में स्थित है। इसके साथ ही जैमपोरे तट पिकनिक स्‍पॉट के लिए प्रसिद्ध है जो नानी दमन के दक्षिण में स्थित है।

माफ कीजिएगा अब इससे ज्यादा दमन की तारीफ मैं नहीं कर सकता। गुजरात के सूरत शहर से जब मैं दमन के लिए रवाना हुआ तो मैं काफी उत्साहित था, मुझे लगा कि दो तीन दिन थोड़ा अलग ही आनंद में बीतने वाला है। वैसे भी दमन में मेरा प्रवास तीन दिन का था। दमन में प्रवेश करते ही मुझे लगा कि ये क्या है ? मन में सवाल उठा कि हम कहां आ गए। यहां के हर रास्ते पर शराब की दुकानों के अलावा और कुछ भी नहीं। शराब की दुकानों पर लंबी चौड़ी कारें खड़ी हैं, 95 फीसदी कारों पर गुजरात की नंबर प्लेट है। यहां कोई शराब की एक दो बोतल खरीदते दिखाई ही नहीं दे रहा है, जो भी खरीद रहा है वो शराब की सात आठ पेटी खरीदता दिखाई दे रहा है। मन में सवाल उठा आखिर ऐसा क्या है यहां कि इतनी दुकानें है और उससे कहीं ज्यादा खरीददार। सुबह से दुकानों पर भीड़ शुरू हो जाती है और देर तक यूं ही ये बाजार में रौनक रहती है।

जानकारी की तो पता चला कि दमन की आय का एक प्रमुख संसाधन शराब की बिक्री है। कहने को तो गुजरात में शराब बंदी है, लेकिन असल तस्वीर बिल्कुल उलट है। जितनी शराब एक सामान्य प्रदेश यानि जहां शराब की बिक्री होती है, वहां पी जाती है, उससे कम शराब गुजरात में नहीं पी जाती है। वहां भी एक बड़ी आबादी खासतौर पर नौजवान शराब के शौकीन हैं और दमन से तस्करी करके बड़ी मात्रा में शराब गुजरात में लाई जाती है। गुजरात में आप किसी होटल में रुकें, घटिया से लेकर पांच सितारा तक, आपको शराब के लिए कोई मारा-मारी नहीं करनी है, बस होटल के स्टाफ को अपनी जरूरत बता दीजिए, आपकी ब्रांड आपके कमरे में पहुंच जाएगी। हां लेकिन कीमत ज्यादा चुकानी होगी। ओह! ज्यादा नहीं मैं कहूं बहुत ज्यादा तो गलत नहीं होगा। दिल्ली में शराब की जो बोतल आपको पांच सौ रुपये में मिलेगी वो गुजरात में 15 से 18 सौ रुपये में मिलेगी। जिस गुजरात की तरक्की का दावा सीना ठोक कर वहां के मुख्यमंत्री करते हैं, मैं कहता हूं कि वहां का ज्यादातर नौजवान या तो शराब पीता घूम रहा है या फिर शराब की तस्करी कर रहा है। खैर गुजरात की बात फिर कभी...।

मैं बात कर रहा हूं दमन की और दमन को अगर मैं गुजरातियों का दारु अड्डा कहूं तो गलत नहीं होगा। कहने को दमन समुद्र के किनारे बसा है। खूबसूरत है, लेकिन बीच की जो हालत है, यहां खड़े होना मुश्किल है। पूरा बीच कीचड़ से सना हुआ है, यहां चलना मुश्किल है। कीचड़ में लगभग दो किलोमीटर से ज्यादा चलने के बाद आपको समुद्र का पानी मिलेगा, और समुद्र में बालू नहीं नुकीले और खतरनाक पत्थर मिलेंगे। इसके अंदर घुसना ही काफी मुश्किल है। मैं तो आपको भी सुझाव दूंगा कि अगर कभी वहां जाना हो गया तो भूलकर भी समुद्र के भीतर घुसने की कोशिश मत कीजिएगा। हां एक बात जो मुझे अच्छी लगी, अगर आप सी-फूड के शौकीन हैं तो आपको कुछ फिश की कई अच्छी डिश मिल जाएगी। बहरहाल मैं कुछ तस्वीरों के साथ आपको छोड़ जाता हूं। मेरा सुझाव तो यही होगा कि घूमने के लिए अगर आप दमन जाने की सोच रहे हैं तो रुक जाइये, कहीं और का प्लान बना लीजिए।


  दमन का विहंगम दृश्य














दमन  का चर्च की बाउंड्रीवाल













ऐतिहासिक चर्च











ये तो रहा दमन। वैसे मेरी कोशिश होगी मैं जल्दी ही आपको गुजरात  के कच्छ के मांडवी बीच पर ले चलूं। इस बीच की जितनी भी तारीफ की जाए वो कम है। सच कहूं तो बीच पर धार्मिक माहौल मैने तो पहली ही बार देखा है वो भी गुजरात के मांडवी बीच पर। यहां ना आपको बीच के किनारे कोई शराब  पीता मिलेगा और ना ही कोई खास खान-पान का इंतजाम। ये काफी साफ सुथरा बीच है। यहां पक्षी भी सैलानी से कम नहीं हैं। लेकिन थोड़ा इंतजार कीजिए..।


33 comments:

  1. दमन के बारे में काफी जानकारी मिली ...

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  2. daman ke bahane gujrat ki asal tasveer bata di aapne...daman ka itihaas to interesting hai..lekin lag raha hai vakai vaha jaana theek nahi hoga..agali post ka intajaar rahega...abhar..

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    1. हाहाहाहा,
      जी ये तो सही समझा आपने वहां जाना तो मेरी समझ से ठीक नहीं है

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  3. स्प्रिंग को जितना जोर से दबाएँ वो उतना जोर से उछलता है , क्या फायदा इस तरह से गुजरात को शराब मुक्त प्रदेश कहने का , कहना ही है तो कहना चाहिए 'खुलेआम शराब विक्री रोक प्रदेश'| और बीच अगर २ किलोमीटर कीचड़ में चलने के बाद मिलता है तो अच्छा किया आपने बता दिया | प्रशासन और जनता दोनों शराब पी के सो रहे हैं शायद |
    वैसे कच्छ की पोस्ट का बेसब्री से इन्तजार रहेगा , बहुत सुना है कच्छ के सफ़ेद रण के बारे में

    सादर

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  4. चित्रमय दमन के बारे जानकारी देती उम्दा प्रस्तुति,,,

    Recent post: गरीबी रेखा की खोज

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  5. आपकी बात से पूर्णतया सहमत. यह आधा नहीं पूरे का पूरा सच है. दमन आने का यह कारण भी है गुजरातिओं के लिये.

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  6. darubajo se Modi sarkar ko kadayee se niptna chahiye ,chintniy

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    1. हाहाहाह,
      अंदर की बात तो ये है कि वही दारुबाज सरकार बनवाने और चलवाने में अहम भूमिका निभाते हैं..

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  7. aapki baten kuch kuch purane waqt ki yaad dilati,or apne daman ka example de kar pure gujrat ko lapete me le liya.
    kya aap daru ka example de kar kisi state ko acha or kharab kah sakte hai

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    1. मैने तो किसी को अच्छा खराब नहीं कहा। मैं तो सिर्फ ये कह रहा हूं कि अगर आप घूमने के लिए दमन जाने की बात सोच रहे हैं तो कृपया एक बार फिर सोच लीजिए, बस इतना ही। रही बात दारू की तो वो प्रशंगवश है जो बहुत जरूरी था बताना।

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    2. एक बार आधी रात को राजधानी दिल्ली से सटे गुडगाँव का चक्कर लगाइए ..... दवा की दुकान नहीं मिलेगी , पर दारू की दुकान हर तरफ है .... फिर दिन के तो कहने ही क्या ? फिर दमन की बात शराब के सन्दर्भ में ही क्यों ? मुझे तो लगता है पूरे देश का यही हाल है |

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    3. वैसे मुझे लग रहा है कि चर्चा पटरी से उतर रही है, फिर भी मैं आपको बता दूं कि दिल्ली और गुडगांव ( हरियाणा) दोनों ही प्रदेशों में शराबबंदी नहीं है। इसलिए यहां शराब की बिक्री हो ना हो मायने नहीं रखती। गुजरात में शराबबंदी है और दमन सूरत से बिल्कुल सटा हुआ है। मैंने ये बताने की कोशिश की दमन एक अलग प्रदेश नहीं बल्कि गुजरातियों के शराब का अड्डा भर लगता है। बाकी बातें लेख में हैं।

      इसी तरह मैने वहां के बीच के बारे में जानकारी दी है कि वो इस लायक नहीं है कि वहां घंटा भर भी बिताया जा सके।

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  8. बहुत कुछ जानकारी मिली दमन के बारे में ...........धन्यवाद

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  9. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 25-02-2013 को चर्चामंच-1166 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  10. आपको पढ़ना आनंदपूर्ण होता है और कई गहरे राज़ से भी सामना होता है . आपका आभार ..

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  11. सटीक अभिव्यक्ति ।

    आभार स्वीकारें ॥

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  12. आदरणीय सर पहली बार यह जानकारी आपसे प्राप्त हुई है आपका आभार एवं धन्यवाद.

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  13. बहुत ही अच्‍छी जानकारी दी है आपने ...
    आभार

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  14. दमन के बारे में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद।

    नया लेख :- पुण्यतिथि : पं . अमृतलाल नागर

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  15. आज कुछ राजनीति से हट कर बात हुई ...:)

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  16. दमन तो हम भी इसी काम से हो आये थे. :)

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।