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Thursday, 3 July 2014

हाई स्पीड ट्रेन के नाम पर धोखा !

ई सरकार को रेल अधिकारी लगातार मूर्ख बना रहे हैं, इसकी मुख्य वजह कमजोर रेलमंत्री है। संभवत: वो रेल अफसरों की चापलूसी को समझ नहीं पा रहे हैं, इसी वजह से उन्हें अधिकारी गुमराह कर रहे हैं ।

एक ओर रेल अधिकारी प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए यात्रियों की सुरक्षा की अनदेखी कर  कटरा तक ट्रेन चलाने जा रहे हैं, जबकि रेलवे के ही एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने निरीक्षण रिपोर्ट में साफ कहा है कि जल्दबाजी में ट्रेन चलाना खतरनाक होगा, दूसरी ओर " सेमी हाईस्पीड ट्रेन " के नाम पर रेलवे को एक बार फिर करोडों का चूना लगाने की तैयारी है।

याद कीजिए 15 फरवरी 2006 तत्कालीन रेलमंत्री लालू यादव ने दिल्ली से आगरा के बीच 150 किलोमीटर की रफ्तार से शताब्दी ट्रेन चलाने का दावा करते हुए नई दिल्ली स्टेशन से शताब्दी ट्रेन को हरी झंडी भी दिखाई थी।

दरअसल रेल अफसरों ने लालू को समझाया कि दिल्ली भोपाल शताब्दी ट्रेन को आगरा तक 150 किलोमीटर की स्पीड से चलाते हैं। इस काम के लिए उस समय भी रेल की पटरी पर लगभग 20 करोड रुपये से ज्यादा खर्च भी किए गए।

आप जानकर हैरान होंगे रेल मंत्रालय ने उस दौरान भी यही दावा किया था कि दिल्ली से आगरा 195 किलोमीटर की दूरी को सिर्फ 90 मिनट में पूरा किया जा सकेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका।

रेलवे टाइम टेबिल के हिसाब से ये शताब्दी ट्रेन सुबह 6 बजे नई दिल्ली से रवाना होती है और सुबह 8.06 बजे आगरा पहुंचती है। मतलब साफ है कि कई करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी शताब्दी ट्रेन आज तक 150 किलोमीटर की रफ्तार से नहीं चल सकी।

अब आठ साल बाद फिर रेल अधिकारियों ने " मोटा माल "  बनाने का रास्ता खोज निकाला है। इसी रेल पटरी पर " सेमी हाईस्पीड " ट्रेन चलाने के लिए ट्रायल रन किया जा रहा है, ये ट्रेन 160 किलोमीटर की रफ्तार से चलेगी और 90 मिनट में आगरा पहुंचेगी ।

अब रेल अफसरों से ये पूछने वाला कोई नहीं है कि क्या शताब्दी एक्सप्रेस 150 किलो मीटर की रफ्तार से चल रही है ? अगर चल रही है तो इसे आगरा पहुंचने में 2.06 घंटे क्यों लगते हैं ? नहीं चल रही है तो 2006 में करोड़ों रुपये खर्च हुए, उसका जिम्मेदार कौन है ?

अच्छा एक बात रेल अफसरों से ये भी पूछना चाहता हूं कि जिस ट्रैक पर 150 किलो मीटर की रफ्तार से एक ट्रेन चल रही थी, उस पर 160 किलोमीटर की रफ्तार से एक और ट्रेन चलाने में आठ साल लग गए ?

मैं जानना चाहता हूं कि 150 की रफ्तार को अपग्रेड कर 160 किलोमीटर करने के लिए क्या क्या काम किया गया ? इस पर कितना पैसा खर्च हुआ ? अब रेल मंत्रालय का कौन सा अफसर गारंटी देगा कि दिल्ली से आगरा के बीच इस खास ट्रेन की स्पीड 160 किलोमीटर रहेगी ही ?

बहरहाल मेरा पुख्ता दावा है कि इस पूरे रेल खंड पर 160 किलोमीटर की रफ्तार से ट्रेन को चलाना अभी संभव नहीं है। इस रेल खंड में 45 से 50 किलोमीटर ही ऐसी दूरी है जहां 160 की स्पीड  से ट्रेन चल सकती है।

चूंकि रेल के इतिहास में पहली बार इतना अधिक किराया बढ़ाया गया है, इसलिए रेल मंत्रालय " फेस सेविंग " के लिए लुभावनी घोषणाएं करने में लगा है। रेलमंत्री अनुभवहीन है, वो मंत्री की नहीं बोर्ड के चेयरमैन की भाषा बोल रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी,

प्लीज
रेल मंत्रालय से ये जरूर पूछा जाना चाहिए कि लालू यादव ने जिस शताब्दी को 150 किलो मीटर रफ्तार से चलाने के लिए 8 साल पहले हरी झंडी दिखाई थी, उसकी असल रफ्तार क्या है ? रेल मंत्रालय पर अगर सख्ती नहीं की गई तो ये यूं ही सरकार को मूर्ख बनाते रहेंगे।