Friday 29 July 2011

भगवा को बख्श दो बाबा.......

आइये आज एक बार फिर चलते हैं हरिद्वार के पतंजलि योग पीठ और बात करते है बाबा रामदेव के साथ ही उनके सहयोगी बालकृष्ण की। चोर पुलिस के खेल में जिस तरह बाबा रामदेव और बालकृष्ण के आगे पीछे पुलिस, सीबीआई दौड भाग कर रही है, इससे लगता है कि बाबा ने भगवा को भी दागदार कर दिया। इसलिए प्लीज बाबा इस कपडे पर रहम करो। मैं कोई ज्ञान की बात नहीं बता रहा हूं, ये सभी जानते हैं कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वो दूसरों पर पत्थर नहीं फैंकते, लेकिन लगता है कि ये बाबा इस मूलमंत्र से भी नावाकिफ हैं।
पहले मैं बाबा की मांगो के बारे में आपको बता दूं कि विदेशों में जमा काला धन वापस आना चाहिए। मुझे लगता है कि जिनके पैसे बाहर हैं, उनके अलावा देश का कोई भी व्यक्ति इस मांग का विरोध नहीं करेगा। मैं भी बाबा के इस मांग का समर्थक हूं, लेकिन उनकी दूसरी मांग भ्रष्ट्राचारियों को फांसी पर लटका दो, मैं इसका विरोधी हूं। दुनिया भर के दूसरे देशों में आज एक बहस छिड़ी हुई है कि फांसी की सजा को खत्म कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये अमानवीय है। हां सजा सख्त होनी चाहिए, इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन हर आदमी को सुधरने का मौका जरूर मिलना चाहिए।
जब मैं कहा करता था कि अन्ना के साथ बाबा रामदेव का नाम जोड़कर अन्ना को गाली नहीं दिया जाना चाहिए, तो तमाम बाबा समर्थक मेरे लिए अनर्गल बातें कर रहे थे। अब देखिए बाबा योग भूल गए हैं, पूरे दिन अपने ट्रस्टों और कंपनियों का लेखा जोखा दुरुस्त करने में लगे हैं। अब पूरी तरह से बचाव की मुद्रा में हैं। घबराए इतना हैं कि भाषा की मर्यादा भी बाबा भूल चुके हैं। मेरी समझ में एक बात नहीं आ रही है कि अगर बाबा रामदेव पाक साफ हैं तो सवालों से भागते क्यों हैं। जो कुछ जानकारी पुलिस चाहती है, उसे देने में आखिर क्या गुरेज है। बाबा जी आप पुलिस को क्यों नहीं बता देते कि आपके गुरु महाराज कहां हैं। वो अब इस दुनिया में हैं या नहीं। अगर हैं तो कहां हैं, नहीं हैं तो उन्होंने कैसे प्राण त्याग दिया ?
आजकल बाबा टीवी पर योग करते तो कम दिखाई देते हैं, अपने और बालकृष्ण पर लगे आरोपों पर सफाई देने में ही उनका समय कटता है। इतना ही नहीं बाबा से बात करो राम की तो वो रहीम की सुनाते हैं। यानि जब उनसे पूछा जाता है कि ये हजारों करो़ड़ का साम्राज्य आपने कैसे खडा किया, तो बाबा इसकी जानकारी नहीं देते, वो कहते हैं कि जो कुछ भी किया है, वो सौ प्रतिशत प्रमाणिकता के साथ किया है। बाबा जी सवाल का ये तो कोई जवाब नहीं है। ऐसे तो देश में जितने भी चोट्टे हैं, किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करना संभव नहीं होगा। कालेधन का मामला आपने उठाया है तो पहले साफ कीजिए ना कि आपके साम्राज्य में काले धन का इस्तेमाल नहीं हुआ है। वैसे तो एक दिन आपने हिसाब देने की कोशिश की और अपने छह ट्रस्टों के बारे में कुछ पेपर पत्रकारों के सामने पेश कर दिया। लेकिन जब पत्रकारों ने उन 39 कंपनियों के बारे में जानकारी की तो आप बगले झांकने लगे। ऐसे में सवाल तो उठेगा ही एक संत को इतनी कंपनियां बनाने की जरूरत क्यों पडी, जाहिर है टैक्स चोरी करने के लिए।
बैसे भी बाबा रामदेव जी आजकल आपकी बाडी लंग्वेज भी बताती है कि आप सामान्य नहीं हैं। हमेशा तल्ख टिप्पणी, गुस्से से तमतमाया चेहरा, नेचुरल हंसी भी गायब है, चाल में भी आक्रामकता आ गई है। सच कहूं बाबा जी तो आप जब तक सामान्य ना हो जाएं प्लीज भगवा कपड़े पहनना छोड़ दीजिए। भगवा कपडे में आज करोड़ों हिंदुस्तानियों की आत्मा बसती है, लोग इस कपडे का सम्मान करते हैं। वैसे भी पुलिस से बचने के लिए आपने जिस तरह से महिलाओं का सलवार सूट पहना, उससे आपका भगवा वस्त्र पहनने का व्रत टूट चुका है। भगवा वस्त्र का व्रत टूटने के बाद इसे ऐसे ही दोबारा नहीं पहन सकते हैं। अब आपको कोर्ट, कचहरी, पुलिस, सीबीआई का सामना करना पड रहा है, हो सकता है जेल तक जाना पडे, ऐसे में इस भगवा का तब तक त्याग कर दें, जब तक आप सभी मामलों से पाक साफ बरी ना हो जाएं। देखिए नेताओं को जिन्हें आप पानी पी पी कर कोसते हैं, वो भी इतने नैतिक हैं कि आरोप लगने पर कुर्सी छोड़ देते हैं। मुझे लगता है कि आपको भी एक उदाहरण पेश करना चाहिए, लेकिन बाबा जी आप से ऐसी उम्मीद करना बेमानी है, क्योंकि आप में कानून के प्रति श्रद्धा होती तो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने वाले बालकृष्ण की पैरवी ना करते।

मुझे बालकृष्ण से ज्यादा शिकायत नहीं है। फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर तमाम लोग पायलट बन गए, कुछ दिन पहले इनकी पहचान हुई और इन्हें गिरफ्तार किया। मुझे पता है कि ये बालकृष्ण नेपाली है, उसका जन्मतिथि प्रमाण पत्र फर्जी है, उसकी डिग्रियां फर्जी हैं, इतना ही नहीं उसने फर्जी कागजातो के आधार पर पासपोर्ट तक हासिल कर लिया। ऐसा नहीं है कि बाबा रामदेव के धरने के बाद ये मामला खुला है, सच ये है कि इसकी जांच तीन साल पहले उत्तराखंड पुलिस ने की थी और अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया था कि बालकृष्ण नेपाली नागरिक है और गलत प्रमाण पत्रों के आधार पर इन्होंने पासपोर्ट लिया है। लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है, जिसे बाबा रामदेव लाखों रुपये चंदा देते हैं। इसलिए इस मामले में वहां की सरकारने कोई कार्रवाई नहीं की। खैर बालकृष्ण जैसे आरोपी के बारे में ज्यादा चर्चा क्या करूं, इसकी जगह जेल है, और जाना भी तय है, जिस तरह से भागता फिर रहा है, उससे तो उस पर तरस आ रही है।
मित्रों बालकृष्ण की डिग्री फर्जी होने से ज्यादा शर्मनाक ये है कि बाबा रामदेव एक गलत आदमी के लिए सफाई दे रहे हैं। पुलिस जाती है सीबीआई की नोटिस लेकर, कहा जाता है कि बालकृष्ण आश्रम में नहीं हैं। पुलिस को नोटिस आश्रम में बालकृष्ण के कमरे के बाहर चस्पा करना पड़ता है, दो घंटे बाद भगवाधारी रामदेव आते हैं, वो कहते हैं कि बालकृष्ण आश्रम में ही हैं। बताइये संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति इनकी डिग्री को फर्जी बताते हैं, बाबा रामदेव कहते हैं कि इस सर्टिफिकेट से नौकरी तो नहीं मांग ली। इससे घटिया सोच भला क्या हो सकती है, एक बाबा ऐसी बातें करे, इससे भद्दा, फूहडपन भला क्या हो सकता है। बाबा जी अब आपके मुंह से सच्चाई, ईमानदारी, राष्ट्रवादी बातें बेईमानी नहीं गाली लगती हैं।

15 comments:

  1. जब बुरे दिन आते हैं तो चौतरफ़ा मार पड़ती है।

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  2. कुछ समय पहले सोनिया जी की डिग्रीयों और नागरिकता के विषय में ऐसा ही कुछ पढ़ा है.....

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  3. लगता तो यही है कि 'काजल की कोठरी में कैसा भी जतन करो ,काजल का दाग भैया लागे ही लागे'
    आजकल का मिडिया क्या से क्या कहानी बना दे, कुछ कहा नहीं जा सकता.हर चीज बिकाऊ है न.
    किस पर विश्वास करें?

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  4. मुझे पता है कि जब भी मैं बाबा की बात करता हूं, लोग मुझ पर कांग्रेसी होने का ठप्पा लगा कर मूल विषय को भटकाने की कोशिश करते हैं। इसलिए प्लीज कांग्रेसी कहने के पहले मेरे पिछले लेख जो कांग्रेस के बारे में है, उस पर एक नजर जरूर मार लें।

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  5. जय हो.......एक और सच को जान कर अच्छा लगा...
    कोई कुछ भी कहें....आप लिखते रहे...
    आभार.......

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  6. कभी पुलिस के ओर इन काग्रेसियो के हत्थे चड गये तो इस सब सवालो के जबाब भी मिल जायेगे,काग्रेस चाहती हे लोगो का ध्यान इस बाबा ओर अण्णा हजारे से हटे, ओर वो इन्हे चोर साबित करने पर झुठा साबित करने पर तुली हे, एक शरीफ़ आदमी पर जब कोई ऎसॆ लक्ष्ण लगता हे तो आम आदमी घबरा ही जाता हे, बाबा का योग उन जगहो पर नही चल रहा जहां इस काग्रेस या इस के चम्चो का राज हे....चलिये आप सच को झुठा साबित करते रहे, ओर इस कागेस की जय जय कार करे...

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  7. क्या कहें महेन्द्र जी लोगों की मानसिकता पर जो सच बोलने पर भी गालियाँ देती है। बाबा जरूर किन्हीँ ताकतों के लिये काम कर रहे हैं जो देश को अस्थिर करना चाहते हैं हमारी बिल्ली हमी से म्यायौँ वाली बात है उनकी लोगों का धन दान का और उनसे देसी दवायें बना कर दस गुणा दाम पर बेचना। मुझे लगता है अब लोगों को भगवा रंग पर आस्था छोड देनी चाहिये जिसे भी देखो वो इसे पहन कर अपने महल खडे कर ऐशो आराम की ज़िन्दगी जी रहा है। अगर हर सही को सही कहने मे लोग काँग्रेसी कहते हैं तो मै काँग्रेसी बन कर फक्र महसूस करूँगी। बताईये कैसे काँग्रेसी बना जाता है? न जाने क्यों भगवा की गलत बात भी लोगों को क्यों सही लगती है?जहाँ बालकृ्श्णौर रामदेव जैसे लोग हों वहाँ उनके गुरू का क्या हुया होगा समझा जा सकता है आदमी लालच मे क्या नह्4एए करता?
    धन्यवाद आपने सच बोलने का साहस तो किया? अभी तो आने वाले दिनों मे और सच सामने आने वाले हैं तब ये लोग कहाँ मुँह छिपायेंगे? शुभकामनायें।

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  8. काफ़ी विचारोत्तेजक, सटीक प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  9. सही मुद्दे को लेकर आपने बहुत सुन्दरता और शानदार रूप से प्रस्तुत किया है! सार्थक लेख!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  10. इस विषय पर अभी कोई टिप्पणी नहीं कर सकती क्योंकि इस विषय में मुझे अभी और पढ़ना/जानना होगा.
    मैं रामदेव जी की इज्ज़त करती हूँ और उनके लिए अथाह सम्मान है.
    हाँ ,अगर सच जानते हुए बालकृष्ण को कानून से छुपाने की चेष्टा रामदेव जी कर रहे हैं तो वह गलत है.

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  11. मित्रों,
    मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। सबकी अपनी अपनी सोच और आस्था है। लेकिन मैंने जो देखा है और जो समझ रहा हूं, उसे व्यक्त करने की कोशिश की है।

    मेरा सिर्फ एक ही मानना है कि अब बाबा और उनके सहयोगी के पीछे पुलिस लगी हुई है। बाबा का भगवा वस्त्र का व्रत भी टूट चुका है। ऐसे में बाबा जब तक पाक साफ नहीं हो जाते है, तब तक के लिए भगवा वस्त्र त्याग दें।
    अगर वो सभी मामलों में बरी हो जाते हैं और अदालत उन्हें दोषमुक्त कर देती है, तो एक बार फिर अपना शुद्धिकरण करके ये वस्त्र धारण करें। क्योंकि मेरी ही तरह देश के करोडों लोगों का भगवा वस्त्र में बहुत ही आस्था है, वो इसे दागदार होते नहीं देख सकते।

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  12. रामदेव जी ने जब योग का प्रचार करना शुरू किया तब से मुझे यही लगता था कि यह व्यक्ति सच्चा योगी नहीं हो सकता ..क्योँकि योग के जो नियम और कायदे हैं वह उन पर खरे उतरते नहीं दीखते थे ...लोग तो वास्तविकता को जाने बगैर कुछ भी पाल लेते हैं लेकिन वास्तविकता उससे कोसों दूर होती है ....आपकी हर पोस्ट सच्चाई को सामने लाती है ....आपका आभार

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  13. ranjan zaidi said...

    बाबा रामदेव प़र अभी बात करना जल्दबाजी होगी. कानून अपना काम कर रहा है. बाबा रफ्ता-रफ्ता कानून के शिकंजे में कसते जा रहे हैं. बहुत से मामले उनसे जुड़े हुए हैं. उनकी राजनीतिक कथित महत्वाकांक्षा ने ही उन्हें घेरे में लिया है. बाबा को सोचना चाहिए कि जब देश बौद्ध मतावलंबियों के अधीन हो गया था तो शंकराचार्य ने शैविज्म की पुनर्स्थापना के लिये क्या किया था. आज भी शंकराचार्य के पास ५ लाख नागाओं की सेना है. बाबा रामदेव एक योगाचार्य हैं, उन्हें वही रहना चाहिए क्योंकि राजनीति-शास्त्र में पारंगत होने के लिये उन्हें चाणक्य बनने की ज़रूरत है जो कि संभव नहीं है. वह यदुवंशी कृष्ण भी नहीं हैं. कृष्ण बनने के लिये उनके पास एक धनुषधारी सारथी अर्जुन की ज़रूरत पड़ेगी. अपने अस्तित्व के लिये बाबा को कौरवों से लड़ना होगा, लेकिन लड़ाई से पहले खुद से भी पूछना होगा कि कौरव कौन हैं? भीड़ राजा नहीं बनाती, विध्वंस को जन्म देती है. संगठन सिंहासन देता है, बाबा को ये अंतर मालूम हो जान चाहिए.

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  14. aapkee post ne prabhavit kiya...

    jo itane dhan kee maya me lipta ho aur dhan kee hee bate karta ho .......adhik chanda dene walo ko aage baithata ho.....celebrities ke haal chaal poochane sabse pahile hospital pahuchata ho......millions ikatthe kar cruise par yogabhyas sikhata ho....vo rashtr prem kee bate karata pakhandee hee lagta hai.... unhe namaskar

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।