मुंबई से दिल्ली की उड़ान में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर से मुलाकात हो गई। संयोगवश मेरी बगल वाली सीट सचिन की थी, वो आए और बगल में ही बैठ गए। सचिन को लग रहा था कि अगर लोग उन्हें पहचान लेगें तो सब आटोग्राफ लेने के लिए उन्हें घेर लेगें, लिहाजा वो फ्लाइट के अंदर आने के बाद भी ठंड की वजह से मंकीकैप पहने रहे। लेकिन कुछ देर बाद उन्हें गर्मी लगी तो उन्हें कैप उतारनी पड़ गई। सचिन को लगा कि अब उन्हें हवाई जहाज में बैठे प्रशंसकों को तो आटोग्राफ देना ही पडेगा, लिहाजा वो कोट की जेव से पेन निकाल कर आटोग्राफ देने को तैयार हो गए। पर ये क्या सचिन को देखने के बाद भी जहाज में कोई सुगबुगाहट नहीं, सभी लोग अपनी जगह पर ही बैठे रहे। हवाई जहाज में ऐसा कोई प्रशंसक ही नही था, जो उनसे आटोग्राफ लेता। इस बीच एक आठ साल का बच्चा कापी लेकर सचिन की ओर आता दिखाई दिया तो सचिन का चेहरा खिल गया। सचिन को लगा चलो एक बच्चा तो आटोग्राफ लेने आ रहा है, पर वो बच्चा सचिन के पास आकर बोला, अंकल आप कुछ काम नहीं कर रहे हैं तो थोडी देर के लिए पेन मुझे दे दीजिए, मैं तब तक मैथ के कुछ सवाल कर लेता हूं। बेचारे सचिन की क्या करते, उन्होंने बच्चे को पेन थमाया और आंख बंद कर नींद का दिखावा करने लगे।
हालांकि नींद तो मुझे भी आ रही थी, लेकिन मुझसे सचिन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। बताइये कोई सेलेबिटी पेन लेकर बैठा इंतजार कर रहा हो कि कोई आए और आटोग्राफ ले, लेकिन कोई आटोग्राफ लेने ही ना आए। इस बीच मैने देखा कि सचिन ने अपने बैग से एक किताब निकाली और उसे पढने लगे। किताब का नाम था " धन कमाने के तीन सौ तरीके ''। ये किताब देखकर मैं हैरान रह गया, मैं खुद सोच में पड़ गया कि क्या ये सच में सचिन ही है या फिर और कोई। मैने एक बार फिर उसे ऊपर से नीचे तक देखा, तय हो गया कि ये तो सचिन ही है। मैं सोचता रहा कि आखिर सचिन के सामने ऐसी क्या मुसीबत है कि ये धन कमाने के तरीके तलाश रहा है। मुझसे रहा नहीं गया मैने पूछ ही लिया, सचिन सब ठीक है ना। मैं पहला आदमी था, जिसने कम से कम सचिन से बात करने की कोशिश की। सचिन ने मायूस होकर कहाकि नहीं अभी तो जरूरत नहीं है, लेकिन क्या भरोसा आगे जरूरत पड़ जाए। मैने कहा ऐसा क्यों कह रहे हो, तुम्हें तो देश क्रिकेट का भगवान कहता है, और भगवान को किस बात की कमी हो सकती है। ईश्वर की कृपा से आपका बेटा अभी से अच्छा कर रहा है। सचिन ने कहा हां ये तो ठीक है, लेकिन अभी हमारे अंदर भी बहुत क्रिकेट बाकी है।
ये बात सुनकर मुझे थोडा़ गुस्सा आ गया। मैने कहा काहे का क्रिकेट बाकी है। डेढ साल से ज्यादा समय हो गया, आज तक एक शतक ठोक कर शतकों का शतक लगा नहीं पा रहे और बोल रहे हो अभी तुम्हारे भीतर क्रिकेट बाकी है। मैने सचिन को समझाने की कोशिश की और कहा देखो भगवान का दिया सब कुछ तुम्हारे पास है, रिटायर हो जाओ, देश के कुछ और बच्चों को भारतीय टीम में खेलने का मौका मिल जाए और तुम्हारे अंदर जो क्रिकेट बाकी है वो बेटे को दे दो। मैने देखा कि सचिन को मेरी बात अच्छी नहीं लगी। इतनी खरी खोटी आज तक किसी ने सचिन को नहीं सुनाई थी, सचिन हक्का बक्का थे। उसने कहा लगता है कि आप क्रिकेट के बहुत दिवाने है, मैने कहा काहे का दीवाना। न्यूज चैनल में हूं, थक गया लिखते लिखते कि कि ''आज खत्म होगा महाशतक का इंतजार'' । सचिन ने जैसे ही सुना कि मैं जर्नलिस्ट हूं वो एक दम से ढीला हो गया, कहने लगा कि अब आप भी ऐसे बोलेगे तो फिर कैसे काम चलेगा। हमने कहा मतलब हम क्यों नहीं कह सकते। बेचारा सचिन बहुत सीधा और शरीफ है, उसने कहा कि हमें तो शतक बनाने से मीडिया ने ही रोका है।
मैं हैरान रह गया कि अरे हमारी मीडिया को क्या हो गया है। सचिन को शतक बनाने से क्यों रोका। मैने सचिन से कहा आप बिल्कुल मत डरो, सारी बातें साफ साफ बताओ। सचिन ने कहा कि मैं तो कब का शतक ठोक कर आगे निकल गया होता। लेकिन क्रिकेट के जर्नलिस्ट ऐसा करने से रोक रहे हैं, वो कहते हैं कि उन्हें एक स्टोरी में बिल्कुल मेहनत नहीं करनी पड़ती, सब लिखते हैं "खत्म होगा महाशतक का इंतजार"। सचिन ने कहा कि स्टोरी लिखते हैं कि इंतजार खत्म होगा और हमसे फोन पर कहते हैं कि इस बार नहीं। उन्होंने मुझे कहा है कि जब तक आप शतक नहीं बनाओगे तब तक हम हर मैच के पहले "न्यूज की हेडलाइन " में भी मुझे स्थान देगें। सचिन ने कुछ अखबार निकाले और कहा कि देख लीजिए मेरे शतक ना बनाने के बावजूद आज तक किसी ने मेरे खिलाफ एक बात नहीं लिखी है। मैच शुरु होने के पहले दिन मेरी फुल साइज तस्वीर भी छपती है। अब कई खेल पत्रकारों ने मेरे बेटे को भी लांच करना शुरू कर दिया है। मैं तो मीडिया की वजह से शतक नहीं बना रहा हूं और आप मीडिया में होने के बाद भी मेरी खिंचाई कर रहे हैं।
मैं हैरान रह गया कि आखिर ये सब हो क्या रहा है। मैं कुछ सोच रहा था कि सचिन ने मुझसे कहा आपको पता है मीडिया ने ये ही मुझे भरोसा दिलाया है कि मेरी ओर से वो ही मुझे "भारत रत्न " दिलाने की लड़ाई लडेगें। अब देखिए आधा काम तो उन्होंने कर भी दिया। पहले खेल में आप कितना अच्छा काम कर लें, लेकिन किसी को भारत रत्न नहीं दिया जाता था। स्व. ध्यानचंद्र का नाम तो सुना होगा, उन्होंने देश का नाम रोशन किया, पर आज तक उनके लिए किसी ने भारत रत्न की मांग नहीं की। पर मीडिया ने मेरे लिए भारत रत्न के नियम में बदलाव करा दिया, अब किसी भी क्षेत्र में अच्छा काम करने पर भारत रत्न मिलेगा। चूकि मीडिया के लोग मेरा काम कर रहे हैं, लिहाजा मुझे भी उनका कुछ कहना मानना होता है। सचिन की बात से लग रहा था कि वो मीडिया से बहुत प्रभावित और खुश भी हैं। अब हों भी क्यों ना, वो देश के सबसे बडे़ सम्मान भारत रत्न से सिर्फ उतना ही दूर हैं जितना अपने शतकों के शतक से। उन्हें कभी भी भारत रत्न मिल सकता है और वो कभी भी शतकों का शतक बना सकते हैं।
वैसे सचिन की एक बात के लिए तारीफ मैं भी करुंगा कि वो सच बात को स्वीकार कर लेते हैं। मैने सचिन से कहा कि अब आप ही बताइये कि अगर हमें अगले वर्ल्ड कप की तैयारी करनी है तो भविष्य की टीम बनानी होगी ना और क्या उस टीम में आपकी जगह बनती है ? सचिन ने कहा ये बात तो आपकी बिल्कुल सही है, लेकिन उन्होंने इसके लिए बीसीसीआई को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि हम कभी भी भविष्य की योजना बनाकर चलते ही नहीं, उस समय जो बेहतर फार्म में होता है, उसे शामिल कर लेते हैं। बहरहाल मैने सचिन को समझाया कि देखिए आप महान खिलाड़ी हैं और बीसीसीआई ने साफ कर दिया है अपने रिटायरमेंट का फैसला सचिन खुद लेगें, तो देश में ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि आप खुद को देश से बडा़ समझते हैं। अब देखिए पूर्व कप्तान सुनील गावास्कर का भी मानना है कि आपको ऐसे समय में संन्यास ले लेना चाहिए, जब लोग आप से पूछें कि अरे ये क्या..आपने सन्यास क्यों ले लिया? ऐसा मौका नहीं देना चाहिए कि लोग खिलाड़ी से सवाल पूछने लगें कि भइया संन्यास कब ले रहे हो। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान ने 1992 में वर्ल्ड कप शुरू होने के पहले कह दिया कि ये मेरा आखिरी वर्ल्डकप है। उन्हें उस समय पता भी नहीं था कि पाकिस्तान की टीम फाइनल में पहुंचेगी, जब पाकिस्तान फाइनल में पहुंचा तो एक दिन पहले इमरान ने ऐलान किया कि ये उनका आखिरी वनडे है।
बहरहाल सचिन से बात करके मुझे ये तो लगा कि सचिन हर बात को गंभीरता से लेते और समझते हैं, और वो अपने बारे में कभी फैसला कर सकते हैं। हमारा सफर समाप्त हो चुका था। हवाई जहाज से उतरने के दौरान सचिन ने हाथ मिलाया और कहाकि आपके साथ अच्छा सफर कट गया, वो बार-बार इधर उधर देख रहे थे, शायद उन्हें इंतजार था कि जो बच्चा उनका पेन ले गया था वो वापस करने आएगा, पर भइया दिल्ली वाले जो चीज एक बार ले लेगें भला वो वापस कैसे कर सकते हैं। अब हम एयरपोर्ट से बाहर आ चुके थे, आफिस की गाडी़ मुझे लेने आई हुई थी, सचिन यहां किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे, वो इधर उधर देख रहे थे कि उन्हें कोई लेने आया है या नहीं, बहरहाल यहीं से हम अलग हो गए। हम सचिन से अलग तो हो गए पर मै ये जानकार बहुत हैरान था कि सचिन मीडिया के प्रभाव में हैं और इसीलिए शतक नहीं बना रहे हैं। चूंकि ये बात मुझसे किसी और ने नहीं खुद सचिन कहा तो मैने तय कर लिया कि इस बात की जानकारी अपने संपादक को जरूर दूंगा, क्योंकि हमारे संपादक खेल के बहुत अच्छे जानकार ही नहीं बल्कि खिलाड़ी भी रहे हैं। एयरपोर्ट से मुझे आफिस आना था, मेरी कार जैसे ही आफिस के गेट पर आई, संयोगवश संपादक जी सामने खड़े थे, उन्हें देखते ही मेरी नींद खुल गई। सामने घडी़ पर नजर गई तो देखा सुबह के आठ बज गए थे, फिर क्या सोचना, आफिस की तैयारी में लग गए और सचिन से मिलने और बतियाने की सारी खुमारी भी देखते देखते उतर गई।
हालांकि नींद तो मुझे भी आ रही थी, लेकिन मुझसे सचिन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। बताइये कोई सेलेबिटी पेन लेकर बैठा इंतजार कर रहा हो कि कोई आए और आटोग्राफ ले, लेकिन कोई आटोग्राफ लेने ही ना आए। इस बीच मैने देखा कि सचिन ने अपने बैग से एक किताब निकाली और उसे पढने लगे। किताब का नाम था " धन कमाने के तीन सौ तरीके ''। ये किताब देखकर मैं हैरान रह गया, मैं खुद सोच में पड़ गया कि क्या ये सच में सचिन ही है या फिर और कोई। मैने एक बार फिर उसे ऊपर से नीचे तक देखा, तय हो गया कि ये तो सचिन ही है। मैं सोचता रहा कि आखिर सचिन के सामने ऐसी क्या मुसीबत है कि ये धन कमाने के तरीके तलाश रहा है। मुझसे रहा नहीं गया मैने पूछ ही लिया, सचिन सब ठीक है ना। मैं पहला आदमी था, जिसने कम से कम सचिन से बात करने की कोशिश की। सचिन ने मायूस होकर कहाकि नहीं अभी तो जरूरत नहीं है, लेकिन क्या भरोसा आगे जरूरत पड़ जाए। मैने कहा ऐसा क्यों कह रहे हो, तुम्हें तो देश क्रिकेट का भगवान कहता है, और भगवान को किस बात की कमी हो सकती है। ईश्वर की कृपा से आपका बेटा अभी से अच्छा कर रहा है। सचिन ने कहा हां ये तो ठीक है, लेकिन अभी हमारे अंदर भी बहुत क्रिकेट बाकी है।
ये बात सुनकर मुझे थोडा़ गुस्सा आ गया। मैने कहा काहे का क्रिकेट बाकी है। डेढ साल से ज्यादा समय हो गया, आज तक एक शतक ठोक कर शतकों का शतक लगा नहीं पा रहे और बोल रहे हो अभी तुम्हारे भीतर क्रिकेट बाकी है। मैने सचिन को समझाने की कोशिश की और कहा देखो भगवान का दिया सब कुछ तुम्हारे पास है, रिटायर हो जाओ, देश के कुछ और बच्चों को भारतीय टीम में खेलने का मौका मिल जाए और तुम्हारे अंदर जो क्रिकेट बाकी है वो बेटे को दे दो। मैने देखा कि सचिन को मेरी बात अच्छी नहीं लगी। इतनी खरी खोटी आज तक किसी ने सचिन को नहीं सुनाई थी, सचिन हक्का बक्का थे। उसने कहा लगता है कि आप क्रिकेट के बहुत दिवाने है, मैने कहा काहे का दीवाना। न्यूज चैनल में हूं, थक गया लिखते लिखते कि कि ''आज खत्म होगा महाशतक का इंतजार'' । सचिन ने जैसे ही सुना कि मैं जर्नलिस्ट हूं वो एक दम से ढीला हो गया, कहने लगा कि अब आप भी ऐसे बोलेगे तो फिर कैसे काम चलेगा। हमने कहा मतलब हम क्यों नहीं कह सकते। बेचारा सचिन बहुत सीधा और शरीफ है, उसने कहा कि हमें तो शतक बनाने से मीडिया ने ही रोका है।
मैं हैरान रह गया कि अरे हमारी मीडिया को क्या हो गया है। सचिन को शतक बनाने से क्यों रोका। मैने सचिन से कहा आप बिल्कुल मत डरो, सारी बातें साफ साफ बताओ। सचिन ने कहा कि मैं तो कब का शतक ठोक कर आगे निकल गया होता। लेकिन क्रिकेट के जर्नलिस्ट ऐसा करने से रोक रहे हैं, वो कहते हैं कि उन्हें एक स्टोरी में बिल्कुल मेहनत नहीं करनी पड़ती, सब लिखते हैं "खत्म होगा महाशतक का इंतजार"। सचिन ने कहा कि स्टोरी लिखते हैं कि इंतजार खत्म होगा और हमसे फोन पर कहते हैं कि इस बार नहीं। उन्होंने मुझे कहा है कि जब तक आप शतक नहीं बनाओगे तब तक हम हर मैच के पहले "न्यूज की हेडलाइन " में भी मुझे स्थान देगें। सचिन ने कुछ अखबार निकाले और कहा कि देख लीजिए मेरे शतक ना बनाने के बावजूद आज तक किसी ने मेरे खिलाफ एक बात नहीं लिखी है। मैच शुरु होने के पहले दिन मेरी फुल साइज तस्वीर भी छपती है। अब कई खेल पत्रकारों ने मेरे बेटे को भी लांच करना शुरू कर दिया है। मैं तो मीडिया की वजह से शतक नहीं बना रहा हूं और आप मीडिया में होने के बाद भी मेरी खिंचाई कर रहे हैं।
मैं हैरान रह गया कि आखिर ये सब हो क्या रहा है। मैं कुछ सोच रहा था कि सचिन ने मुझसे कहा आपको पता है मीडिया ने ये ही मुझे भरोसा दिलाया है कि मेरी ओर से वो ही मुझे "भारत रत्न " दिलाने की लड़ाई लडेगें। अब देखिए आधा काम तो उन्होंने कर भी दिया। पहले खेल में आप कितना अच्छा काम कर लें, लेकिन किसी को भारत रत्न नहीं दिया जाता था। स्व. ध्यानचंद्र का नाम तो सुना होगा, उन्होंने देश का नाम रोशन किया, पर आज तक उनके लिए किसी ने भारत रत्न की मांग नहीं की। पर मीडिया ने मेरे लिए भारत रत्न के नियम में बदलाव करा दिया, अब किसी भी क्षेत्र में अच्छा काम करने पर भारत रत्न मिलेगा। चूकि मीडिया के लोग मेरा काम कर रहे हैं, लिहाजा मुझे भी उनका कुछ कहना मानना होता है। सचिन की बात से लग रहा था कि वो मीडिया से बहुत प्रभावित और खुश भी हैं। अब हों भी क्यों ना, वो देश के सबसे बडे़ सम्मान भारत रत्न से सिर्फ उतना ही दूर हैं जितना अपने शतकों के शतक से। उन्हें कभी भी भारत रत्न मिल सकता है और वो कभी भी शतकों का शतक बना सकते हैं।
वैसे सचिन की एक बात के लिए तारीफ मैं भी करुंगा कि वो सच बात को स्वीकार कर लेते हैं। मैने सचिन से कहा कि अब आप ही बताइये कि अगर हमें अगले वर्ल्ड कप की तैयारी करनी है तो भविष्य की टीम बनानी होगी ना और क्या उस टीम में आपकी जगह बनती है ? सचिन ने कहा ये बात तो आपकी बिल्कुल सही है, लेकिन उन्होंने इसके लिए बीसीसीआई को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि हम कभी भी भविष्य की योजना बनाकर चलते ही नहीं, उस समय जो बेहतर फार्म में होता है, उसे शामिल कर लेते हैं। बहरहाल मैने सचिन को समझाया कि देखिए आप महान खिलाड़ी हैं और बीसीसीआई ने साफ कर दिया है अपने रिटायरमेंट का फैसला सचिन खुद लेगें, तो देश में ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि आप खुद को देश से बडा़ समझते हैं। अब देखिए पूर्व कप्तान सुनील गावास्कर का भी मानना है कि आपको ऐसे समय में संन्यास ले लेना चाहिए, जब लोग आप से पूछें कि अरे ये क्या..आपने सन्यास क्यों ले लिया? ऐसा मौका नहीं देना चाहिए कि लोग खिलाड़ी से सवाल पूछने लगें कि भइया संन्यास कब ले रहे हो। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इमरान खान ने 1992 में वर्ल्ड कप शुरू होने के पहले कह दिया कि ये मेरा आखिरी वर्ल्डकप है। उन्हें उस समय पता भी नहीं था कि पाकिस्तान की टीम फाइनल में पहुंचेगी, जब पाकिस्तान फाइनल में पहुंचा तो एक दिन पहले इमरान ने ऐलान किया कि ये उनका आखिरी वनडे है।
बहरहाल सचिन से बात करके मुझे ये तो लगा कि सचिन हर बात को गंभीरता से लेते और समझते हैं, और वो अपने बारे में कभी फैसला कर सकते हैं। हमारा सफर समाप्त हो चुका था। हवाई जहाज से उतरने के दौरान सचिन ने हाथ मिलाया और कहाकि आपके साथ अच्छा सफर कट गया, वो बार-बार इधर उधर देख रहे थे, शायद उन्हें इंतजार था कि जो बच्चा उनका पेन ले गया था वो वापस करने आएगा, पर भइया दिल्ली वाले जो चीज एक बार ले लेगें भला वो वापस कैसे कर सकते हैं। अब हम एयरपोर्ट से बाहर आ चुके थे, आफिस की गाडी़ मुझे लेने आई हुई थी, सचिन यहां किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे, वो इधर उधर देख रहे थे कि उन्हें कोई लेने आया है या नहीं, बहरहाल यहीं से हम अलग हो गए। हम सचिन से अलग तो हो गए पर मै ये जानकार बहुत हैरान था कि सचिन मीडिया के प्रभाव में हैं और इसीलिए शतक नहीं बना रहे हैं। चूंकि ये बात मुझसे किसी और ने नहीं खुद सचिन कहा तो मैने तय कर लिया कि इस बात की जानकारी अपने संपादक को जरूर दूंगा, क्योंकि हमारे संपादक खेल के बहुत अच्छे जानकार ही नहीं बल्कि खिलाड़ी भी रहे हैं। एयरपोर्ट से मुझे आफिस आना था, मेरी कार जैसे ही आफिस के गेट पर आई, संयोगवश संपादक जी सामने खड़े थे, उन्हें देखते ही मेरी नींद खुल गई। सामने घडी़ पर नजर गई तो देखा सुबह के आठ बज गए थे, फिर क्या सोचना, आफिस की तैयारी में लग गए और सचिन से मिलने और बतियाने की सारी खुमारी भी देखते देखते उतर गई।
जय हो…………ऐसे सपने रोज आते रहें मन लुभाते रहें………देखने मे क्या हर्ज़ है :)))))))))))
ReplyDeleteक्या बात है सर!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया :))))
सादर
आधा पढकर मैंने फटाफट अपने बेटे को लिंक भेज दिया ... अंत में सपना हुआ - धत् तेरे की , पर मज़ा आया
ReplyDeleteये है आपके मन की बात ..
ReplyDeleteसपने ऐसे ही तो नहीं आ जाते !!
सुंदर वार्त्ता,....किन्तु आधा सच..
ReplyDelete"काव्यान्जलि":
मैं तो शुरू से ही सोच रहा था कि आप नींद में
ReplyDeleteही बडबडाते हुए लिखे जा रहे हैं.अच्छा हुआ नींद खुल गई.
पर संपादक जी को देखकर खुली तब क्या सोचा
आपने 'दाल भात में मूसल चंद'?
कहने का अंदाज निराला है ......!
ReplyDeleteसपने तो सपने होते हैं......
ReplyDeleteबढिया सपना देखा आपने.......
मजेदार.......
क्या बात है जी ...सपने ही सपने में सचिन और मीडिया का सच सबके सामने रख गए ....जय हो आपकी ...और आपके आधे सच की
ReplyDeleteआधा सच इतना मज़ेदार! वाह! वाह!
ReplyDeleteनव-वर्ष की मंगल कामनाएं ||
ReplyDeleteधनबाद में हाजिर हूँ --
सदी के महानतम बलीबाज ने आराम से (मतलब जब थक गए तो आराम कर लिया) जितने शतक बनाए हैं, उतने ही आराम से शतकों का शतक भी बना लेंगे!! वैसे भी विज्ञापन के फील्ड में तो शतक ठोंक ही लेंगे!!
ReplyDeleteबहुत ही शानदार पोस्ट!!!
sachin ka shatak sach me sapna hi hota ja raha hai...ab to is par chid si aane lagi hai...behtar hai ham ek shatak ka intajar karne ke bajay aur achchhe khiladiyon ko aage laye...
ReplyDelete:))))
ReplyDeleteशानदार और रोचक !!!
ReplyDeleteशायद ये ही आधा सच हो ???
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-749:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
बहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर मजेदार आलेख ......
ReplyDeletewelcome to new post--जिन्दगीं--
sapne bhi sukhkar hote hain, bhale hi kuch pal ke liye hon..
ReplyDeleteek din sapna sach hoga bus yahi ummeed rakh sakte hain ham to..baaki sachin par chhodte hain...
Bahut badiya rochak prastuti..
बहुत बढ़िया
ReplyDelete