Wednesday 14 November 2012

आसान नहीं है "आम आदमी" बनना !


सोच रहा था कि दीपावली का दिन है, किसी का दिल नहीं दुखाऊंगा, लेकिन बात जब देश की हो तो संवेदना पर सच्चाई बहुत भारी पड़ जाती है। हकीकत ये है कि जब कोई खास आदमी आम बनने के लिए मुहिम चलाता है तो उससे साजिश की बू आती ही है। जहां तक मेरी जानकारी है आम आदमी वो है जो सुबह दो रोटी अपने गमछे में बांध कर मजदूरी के लिए घर से निकलता है और अगर उसे दिन भर में कोई काम नहीं मिलता है तो उसके घर शाम का चूल्हा नहीं जलता। लेकिन अरविंद केजरीवाल वो आम आदमी हैं जिन्होंने अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी, फिर भी घर में दोनों वक्त की रोटी इत्मीनान से बन रही है। अगर देश का आम आदमी कुछ किए बगैर अरविंद जैसे मौज में रह सकता है , तो हमें किसी खुशहाली की जरूरत नहीं है, बस डेढ़ रुपये की टोपी से काम चल जाएगा। दरअसल केजरीवाल को पता है कि उन्हें कोई आम आदमी तो मानने से रहा, इसीलिए उन्हें आम आदमी लिखी टोपी पहननी पड़ती हैं। सच्चाई ये है कि अरविंद केजरीवाल टोपी पहनते नहीं है बल्कि देश की जनता को पहनाते हैं। आज कल उनके निशाने पर उद्योगपति हैं, हों भी क्यों ना, बिना उद्योगपतियों की मदद के कोई राजनीतिक पार्टी चलती है क्या ? लेकिन इसका जो तरीका केजरीवाल ने अपनाया है, मुझे तो नहीं लगता कि उससे उनका काम बनने वाला है, उल्टे जहां से आर्थिक मदद हो रही है, कहीं वो भी बंद ना हो जाए ? आप सबको पता ही है कि समाज सेवा से हटकर राजनीति करने पर इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने केजरीवाल की संस्था पब्लिक कॉज रिसर्च फाऊंडेशन को दी जा रही आर्थिक मदद को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है।

केजरीवाल साहब दुनिया भर से जवाब और हिसाब मांगते हैं। वैसे हिसाब तो आज नहीं कल आपको भी देना ही होगा कि आखिर ये पैसे कहां से आ रहे हैं जिससे पूरी टीम हवा में उड़ रही है। लेकिन इसके पहले मैं कुछ सवाल पूछना चाहता हूं। तीन दिन पहले कुछ उद्योगपतियों के विदेशी बैंक खाते को लेकर केजरीवाल ने मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, नरेश गोयल समेत कुछ और लोगों के नाम लिए और कहा कि इनके विदेशी खातों में करोड़ो रुपये जमा हैं। इस बात पर ध्यान देना जरूरी है,  केजरीवाल ने ऐलान किया कि ये सभी जानकारी उन्हें किसी और ने नहीं बल्कि कांग्रेस के ही एक बड़े नेता ने दी है। अब मेरा सवाल है केजरीवाल साहब ऐसा नहीं लग रहा है कि कांग्रेस के किसी नेता ने आपको इस्तेमाल किया है ? आपने ये जानने की कोशिश की कि जो नेता आपको ये जानकारी मुहैया करा रहा है आखिर उसमें उसका क्या स्वार्थ है ? उस नेता से आपने ये जानने की कोशिश की कि उसने इस मामले में कभी पार्टी फोरम पर बात की या नहीं ? अच्छा जो बात ये नेता कह रहा है वो सही ही है इसकी क्या गारंटी है ? दरअसल चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी सभी जगह कुछ लोग नाराज होते ही है, क्योंकि सभी की इच्छा पूरी नहीं हो सकती। इसी तरह नौकरशाही में भी तमाम अफसर मलाईदार पोस्टिंग चाहतें हैं, जिनकी ये ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाती है वो सरकार के बजाए केजरीवाल को रिपोर्ट करते हैं। खैर मैं ये कहूं कि पार्टी, सरकार से नाराज नेताओं और नौकरशाहों की अगुवाई केजरीवाल कर रहे हैं तो गलत नहीं होगा।

महत्वपूर्ण सवाल ये है कि केजरीवाल ने ये तो बताया कि अंबानी समेत तमाम लोगों के विदेशों में खाते हैं और उसमें सौ करोड़ या सवा सौ करोड़ जमा है। लेकिन मैं केजरीवाल से जानना चाहता हूं कि इसमें गलत क्या है ? मतलब क्या मुकेश अंबानी ने गलत जानकारी देकर विदेश में खाता खुलवा लिया है ? या उसमें  जो 100 करोड़ रुपये जमा हैं वो गलत है ? केजरीवाल अंबानी से क्या जानना चाहते हैं। ये कि अंबानी के पास सौ करोड़ रुपये कहां से आया ? इसी तरह दूसरे जो भी नाम उन्होंने लिए हैं, ये तो बताया कि उनके विदेशी खाते में करोड़ो रुपये जमा है, लेकिन ये नहीं बता रहे हैं कि इसमें एकाउंट खुलवाना गलत है या फिर जो पैसा उसमें जमा है वो गलत है। आधी अधूरी जानकारी का ही नतीजा है कि मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी की कंपनी की ओर से एक बयान जारी कर केजरीवाल के आरोपों को खारिज कर दिया गया और साफ किया गया है कि अंबानी या फिर उनकी केपनी का दुनिया के किसी भी देश में गैरकानूनी बैंक खाता नहीं है। दोनों की ओर से ये भी कहा गया है कि एचएसबीसी बैंक की जनेवा शाखा में तो कोई एकाउंट भी नहीं है। अंबानी बंधुओं की ओर से आरोपों को खारिज कर दिए जाने के बाद केजरीवाल ने चुप्पी साध ली है। केजरीवाल साहब आपको पता है ना कि आप जो बोलते हैं तो मीडिया उसका सीधा प्रसारण करता है, ऐसे ही दो चार बार हल्के बयान और दे दिए तो सभी आपको गंभीरता से लेना ही बंद कर देंगे।

एक मजेदार बात और बताता हूं, केजरीवाल ने सरकार पर आरोप लगाया कि फ्रांस की सरकार ने भारत सरकार को कुल 700 नामों की सूची दी थी, लेकिन भारत सरकार ने महज सौ सवा सौ लोगों के यहां ही छापे मारे। बाकी रसूखदार लोगों को महज नोटिस भेज कर खानापूरी कर दी। केजरीवाल साहब पहले तो मैं आपको एक बात बता दूं कि जिनके भी विदेशों में खाते हैं वो सभी रसूखदार ही हैं, वहां कोई टोपी लगाकर आम आदमी नहीं पहुंच सकता। दूसरी बात ये कि भारत सरकार ने तो फिर भी 700 लोगों में सवा सौ लोगों के यहां छापेमारी की, लेकिन आपने तो सिर्फ आठ दस लोगों के ही नाम लिए। जब कांग्रेसी नेता ने आपको सूची मुहैया करा दी तो आप किस दबाव में हैं कि सारे नामों का खुलासा नहीं कर रहे है। अच्छा अगर आपके पास पूरी सूची नहीं है तो आप किस आधार पर सात सौ लोगों की बातें कर रहे हैं। अच्छा आठ दस नामों का जिक्र करने के बाद आप वित्त मंत्री से सवाल पूछ रहे हैं कि जो नाम आपने लिए हैं, वो फ्रांस की सूची में  हैं या नहीं ? ये बात तो हास्यास्पद है ना कि पहले तो आप किसी का नाम उछाल दो, फिर सरकार से पूछो कि ये नाम उसमें शामिल है या नहीं।

 वैसे मुकेश अंबानी व्यस्त रहते हैं, उनका दुनिया भर में कारोबार फैला है। अगर अंबानी की जगह मैं होता तो आपको इसी बात के लिए कोर्ट में लाता कि मेरे नाम पर सिर्फ सौ करोड़ रुपये की बात कर रहे हैं जबकि हमारी एक कंपनी की डायरेक्टर अनु टंडन के खाते में सवा सौ करोड़ बता रहे हैं। अंबानी के लिए सौ करोड़ रुपये आखिर क्या मायने रखता है। सच कहूं तो मैं इसी बात के लिए मानहानि का मुकदमा दायर करता। केजरीवाल साहब क्या आप बता सकते हैं कि आपने कुछ गिने चुने लोगों का ही नाम क्यों लिया ? आप तो ईमानदारी की बड़ी बड़ी बातें करते हैं, फिर आप या तो सभी का नाम लेते या फिर किसी का ना लेते।  केजरीवाल ने जेट एयरवेज के नरेश गोयल का भी नाम लिया कि उनके खाते में 80 करोड़ रुपये जमा हैं। वहां से सफाई आई है कि स्विस बैंक की किसी भी शाखा में उनका कोई एकाउंट नहीं है, विदेशी बैंक में जो एकाउंट हैं, उनके बारे में आयकर विभाग को जानकारी दी गई है। केजरीवाल जी आप तो आयकर महकमें के अधिकारी रहे हैं, आपको ये बात तो पता ही होगी कि अगर किसी उद्योगपति का देश विदेश में कारोबार फैला है तो वहां भी बैंक में खाते खुलवा सकता है। जब तक ये साबित ना हो कि बैंक खाता गलत जानकारी के आधार पर खुलवाया गया है या इसमें जमा राशि ब्लैक मनी है, तब तक किसी का नाम लेना मेरी समझ से तो पूरी तरह गलत है। अच्छा भाई केजरीवाल को अंबानी परिवार से ऐसी खुंदस कि उन्होंने अंबानी की मां श्रीमती कोकिला धीरूभाई अंबानी का नाम भी लिया, कहा कि उनका भी खाता है, लेकिन इस खाते में कोई रकम नहीं है। अरे भाई वो स्व. धीरूभाई अंबानी की पत्नी है, सबको पता है कि उनका कारोबार दुनिया भर में फैला है, ऐसे में एकाउंट होना कौन सा अपराध है। इसी तरह यशोवर्धन विड़ला के बैंक एकाउंट का जिक्र कर कहा गया है कि उसमें कोई पैसा नहीं है।


इसीलिए मन में सवाल उठता है कि आखिर केजरीवाल साबित क्या करना चाह रहे थे ? जिन लोगों के देश विदेश में कारोबार हैं, उनका दुनिया के किसी भी देश मे एकाउंट होना कैसे गलत हो सकता है ? जब तक ये साबित ना हो कि इन खातों में भारी रकम है और ये रकम आयकर विभाग की जानकारी में नहीं है। जब तक केजरीवाल के पास इस आशय का पुख्ता सबूत ना हो, तब वो भला किसी उद्योगपति का नाम कैसे उछाल सकते हैं ? लेकिन नहीं केजरीवाल पर देश का कोई कानून लागू ही नहीं होता। ये संसद का अपमान कर सकते हैं, ये न्यायालय को धता बता सकते हैं। ये देश के प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री नहीं मानते, ये किसी   पर भी कीचड़ उछाल सकते हैं, लेकिन अपने साथियों की गंदगी इन्हें दिखाई नहीं देती, उन्हें डेढ़ रुपये की टोपी पहना कर ईमानदारी का प्रमाणपत्र दे देते हैं। अब केजरीवाल पर तो ईमानदारी का ठप्पा लगा है,  इसलिए वो कुछ भी कर सकते हैं, उन पर कोई सवाल खड़ा नहीं कर सकता। सोशल साइट पर उनके  पेड कार्यकर्ता मौजूद हैं, जिनका काम है, केजरीवाल के क्रियाकलापों की चर्चा करने वालों को दिग्गी के खानदान का बताकर गंभीर विषय से लोगों का ध्यान हटाना।

वैसे सच्चाई तो कुछ और ही है। दरअसल जब तक अरविंद सामाजिक आंदोलन चला रहे थे, इन्हें तमाम उद्योगपति करोड़ों का चंदा दे रहे थे। लेकिन जब इन्होंने समाज सेवा के बजाए राजनीति करना शुरू कर दिया तो उद्योगपतियों ने चंदा देने से इनकार कर दिया। इस क्रम में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने भी साफ कर दिया कि उन्होंने केजरीवाल को राजनैतिक गतिविधियों के लिए कोई चंदा नहीं दिया। दो महीने पहले अरविंद की ओर से आर्थिक मदद के लिए आवेदन किया गया था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। हम सब  जानते हैं कि राजनीतिक पार्टी चलाना आसान नहीं है। मुझे लगता है कि इसीलिए केजरीवाल एक साजिश के तहत उद्योगपतियों को निशाना बना रहे हैं, जिससे वो उनकी पार्टी को भी मोटा माल दे। अरविंद के एनजीओ को विदेशी मदद मिलती है, लेकिन वो इस पैसे का इस्तेमाल राजनीति में नहीं कर सकते। इसलिए उन्हें देश से बड़ी आर्थिक मदद जरूरी है।

अब देखिए टीम अन्ना की अहम सदस्य किरण बेदी ने साफ कर दिया कि अरविंद केजरीवाल इंडिया अंगेस्ट करप्सन (आईएसी) के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकते। ये संगठन अन्ना के पास है। केजरीवाल कह रहे हैं कि जब उनका राजनीतिक दल अस्तित्व में आ जाएगा, तब इस्तेमाल करना बंद कर देंगे। सबको पता है कि इंडिया अगेंस्ट करप्सन के खाते में मोटा मालहै, जब तक इसका वारा न्यारा ना हो जाए, भला इसे कैसे छोड़ सकते हैं। अन्ना साफ कर चुके हैं कि उनके नाम का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, लेकिन जनाब केजरीवाल कहते हैं कि अन्ना उनके गुरु हैं, वो उनके दिल में बसते हैं, भला कैसे उन्हें भूल सकते हैं। दरअसल सच्चाई ये है कि केजरीवाल राजनीति में भी अन्ना के नाम का सौदा करना चाहते हैं। उन्हें लगता है कि अन्ना एक ऐसा चेहरा है, जो देश में ईमानदारी का प्रतीक बन चुका है, ऐसे में इस चेहरे के बिना उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। इसलिए वो अन्ना के लाख मना करने के बाद भी उनके नाम का मोह नहीं त्याग पा  रहे हैं।
बहरहाल अरविंद केजरीवाल दुनिया में अकेले शख्स होगें, जिन्हें ये बताना पड़ता है कि वो आम आदमी हैं। इसके लिए उन्हें अंग्रेजी पैट शर्ट पर गांधी की टोपी लगानी पड़ती है। अब देखिए इसके बाद भी लोग उन्हें आम आदमी नहीं मानते। लिहाजा बेचारे को आम आदमी साबित करने के लिए टोपी पर लिखवाना पड़ गया कि वो आम आदमी है। वैसे केजरीवाल साहब फटी कमीज हवाई चप्पल पहन कर अगर आम आदमी बना जा सकता तो, राहुल गांधी को दलितों के घर का भोजन और उनकी टूटी चारपाई पर रात ना बितानी पड़ती। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आप देश के प्रधानमंत्री तो बन सकते हैं, पर आम आदमी कभी नहीं बन सकते, इसके लिए आप चाहे कितना ही ड्रामा क्यों ना कर लें।   








23 comments:

  1. सच ही तो लिखा है आपने!
    बहुत कठिन है डगर पनघट की।
    --
    दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
    आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
    लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
    उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
    --
    ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
    (¯*•๑۩۞۩:♥♥ :|| दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
    ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ

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    1. बहुत बहुत आभार सर

      आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं

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  2. आम आदमी को यूँ टोपी पर लिखकर प्रचार करना पड़ता है...:)
    दीपावली की शुभकामनाएँ!!

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  3. केजरीवाल द्वारा पूजीपतियों के नाम उछालकर पार्टी के लिए फंड जमा करने की साजिस है, टोपी पहनने या पहनाने से कोई आम आदमी नही बन सकता,,,,,

    दीपों की यह है कथा,जीवन में उजियार
    संघर्षो के पथ रहो, कभी न मानो हार,

    RECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,

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    1. जी सहमत हूं

      आपको भी दीपावली की शुभकामनाएं

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  4. आम आदमी को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि किसके कितने सौ करोड़ रुपए कहाँ जमा हैं .... बस सरकार महंगाई पर रोक लगाए , उसकी रोज़ी रोटी कमानी आसान हो

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    1. बिल्कुल सहमत हूं आपकी बातों से
      आभार

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  5. aam ensan apni roti ke liye paresan hai,use rozmarra ki zindgi etni vajni pahad se bhi bhari lagne lagi hai tabhi to main aaj post kiya "naya ghar banayenge"

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    1. आपका बहुत बहुत आभार,
      मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूं

      दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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    2. sateek bat..aam aadami to bechara apne hi jeevan sangharsh se pareshan rahta hai..uska topi pahan kar uska prachar nahi karta...kejariwal sab lagta hai ab boukhlahat me bayan dene lage hai...

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  6. १...आम आदमी टोपी पहन कर सड़क पर ऐसे नहीं निकलता जैसे कि केजरीवाल ...
    २...आम आदमी राहुलगांधी की तरह गाँव गाँव जा कर झोंपड़ी में खाना नहीं खाता ....उसके लिए दो वक्त की रोती का जुगाड़ ही सबसे अहम् होता है ...
    ३...आम आदमी एक एक पैसा जोड़ता है ता उम्र ...बिना किसी बैंक खाते के ...
    और यहाँ इन आम आदमी के तो पता नहीं कहाँ कहाँ खाते हैं और कहाँ से इन्हें आम आदमी बनने के लिए पैसे सप्लाई होता है ....काश ऐसे आम आदमी हम सब होते :))))

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    1. सच है, आपकी सभी बातों से सहमत हूं।

      दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  7. आम आदमी होना बहुत कठिन है भाई ...

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    1. जी मै यही बात समझाने की कोशिश कर रहा हूं कि आम आदमी बनना बिल्कुल आसान नहीं...

      दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  8. sahi likha aapne janta kejariwal ji se bhi jabab mangegi

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    1. आभार,
      जी ये बात तो है, जवाब तो केजरीवाल को भी देना होगा

      दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  9. sateek bat aam aadami apne jeevan sanghrsh se hi pareshan rahta hai use topi par likh kar uska prachar nahi karta...
    kejariwal sab lagta hai ab boukhlahat me bina vichare bayan dene lage hai....

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    1. मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूं। यही बात मैं भी कहने की कोशिश कर रहा हूं कि आखिर आम आदमी है कौन, क्या है उसकी परिभाषा ?

      आभार

      दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  10. बहुत ही बढिया ... लिखा है आपने
    आभार

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    1. बहुत बहुत आभार

      दीपावली की शुभकामनाएं

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  11. बढ़िया लेख ...

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।