Monday, 18 June 2012

कलाम को मुसलमान बना दिया नेताओं ने ...


देश के जाने माने वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अबुल कलाम को इन नेताओं ने मुसलमान बनाकर रख दिया है। देश ही नहीं दुनिया कलाम साहब की योग्यता का लोहा मानती है। उनकी काबिलियत के आधार पर ही वो 2002 में देश के 11 वें राष्ट्रपति बने। इसके पहले उन्हें उनके काम की वदौलत देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी सम्मानित किया जा चुका है। अब दो कौड़ी नेता उन्हें इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं। देश का आम नागरिक भी जानता है कि श्री कलाम ऐसे सख्शियत हैं, जो जिस पद को ग्रहण करेंगे, उस पद की गरिमा बढेगी।
अब देखिए मुसलमानों के सबसे बड़े हितैषी बनने वाले मुलायम सिंह यादव अंदरखाने कुछ और ही खेल खेल रहे थे। एक ओर तो वो ममता बनर्जी के साथ प्रेस कान्फ्रेस कर एपीजे अबुल कलाम की उम्मीदवारी का ऐलान कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर वो कांग्रेस नेताओं के न सिर्फ संपर्क में थे, बल्कि ममता बनर्जी की बातचीत और ममता की रणनीति का ब्यौरा भी उन्हें दे रहे थे। मुलायम की हालत ये हुई कि रात होते ही मीडिया के कैमरों से छिपते छिपाते सोनिया के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच गए और उन्हें आश्वस्त कर दिया कि कुछ भी हो वो कांग्रेस का समर्थन करेंगे। इधर वो ममता बनर्जी से भी मीठी मीठी बातें करते रहे। खैर ये सब चाल तो मुलायम की रही।
अब ममता की भी सुन लीजिए। ऐसा नहीं है कि ममता बनर्जी कलाम साहब के काम से बहुत खुश हैं, इसके लिए वो उन्हें राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाना चाहती हैं। दरअसल ममता बनर्जी को मैं देख रहा हूं कि पिछले दो साल से वो मुसलमानों की सबसे बड़ी मददगार और खैरख्वाह बनने की कोशिश कर रही हैं। उनको लगता है कि अगर मुसलमानों की आवाज उठाई जाए तो इसका उन्हें सियासी फायदा होगा। पर ममता को कौन बताए कलाम साहब मुसलमान सबसे आखिर में हैं, इसके पहले वो 1962 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में शामिल हुए। यहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाया। जुलाई 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हीं को जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया। डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षामंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव भी रहे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलकर इन्होंने किया। इससे भारत परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता हासिल की। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल और पृथवी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।
ऐसे कलाम को देश के नेताओं ने महज एक मुसलमान बनाकर रख दिया है। सच कहूं तो मैं भी चाहता हूं कि कलाम को राष्ट्रपति बनना चाहिए, लेकिन मैं ममता बनर्जी की अपील को खारिज करता हूं। उनकी अपील के पीछे गंदी, फूहड़ राजनीति छिपी हुई है। चूंकि कांग्रेस उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, लिहाजा उससे अपील करना तो बेईमानी है। लेकिन एनडीए समेत सभी सियासी दलों को वाकई चाहिए वो कलाम साहब के नाम पर सहमति बनाने की कोशिश करें। पर कलाम को राष्ट्रपति बनाएं तो इसलिए कि वो जाने माने वैज्ञानिक हैं, देश आत्मनिर्भर बनाने में उनका अहम योगदान है और सबसे बढिया ये कि वो कामयाब ही नहीं काबिल इंशान भी हैं।
सलाहकारों को बदलना जरूरी सोनिया जी ...

सोनिया गांधी को सबसे पहले अपने सलाहकारों को तत्काल प्रभाव से हटा देना चाहिए। ये बात तो सोनिया को भी पता है कि उन्हें लगातार गलत राय देकर विवाद खड़े किए जा रहे हैं। उत्तराखंड का मामला हो, आंध्रप्रदेश का मामला हो या फिर अब राष्ट्रपति के उम्मीदवार घोषित करने का मामला हो। हर मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की किरकिरी हुई है। उत्तराखंड में बस सोनिया की बात रखने के लिए लोगों ने वहां विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री स्वीकार कर लिया, वरना वहां कांग्रेस का टूटना तय था। आंध्र में जगन के साथ बातचीत करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, अगले चुनाव में आंध्र से कांग्रेस का पूरी तरह सफाया तय है।
अब कांग्रेस ने रायसीना हिल का चेहरा बिगाड़ कर रख दिया है। मेरा तो यही मानना है कि राष्ट्रपति का चुनाव खुले दिमाग और आम सहमति के आधार पर ही होना चाहिए। लेकिन कांग्रेस को पता नहीं क्या हो गया है कि उसका हर खेल विवादों में आ जाता है। पता किया जाना चाहिए कि कांग्रेस के किस सलाहकार ने सोनिया गांधी को ये सलाह दी कि सहयोगी दलों के साथ राष्ट्रपति के दो नाम शेयर किए जाएं। यानि प्रणव मुखर्जी के साथ हामिद अंसारी का नाम क्यों शामिल किया गया। क्या इसके पहले कभी लोगों  को दो नाम दिए गए थे। ऐसा आज तक पहले कभी नहीं हुआ, फिर ये किसकी सलाह थी दो नाम पर चर्चा करने की।
अक्सर देखा गया है कि सरकार के सहयोगी दलों के साथ ही सत्तारुढ पार्टी विपक्ष से भी मशविरा करती है। मैं पूरी तरह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर सोनिया गांधी ने प्रणव मुखर्जी को उम्मीदवार बनाने के पहले एनडीए के नेताओं के साथ भी विचार विमर्श किया होता तो श्री मुखर्जी सर्वसम्मति से राष्ट्रपति चुन लिए जाते। ये इसलिए भी किया जाना जरूरी था कि लोकसभा और राज्यसभा में सत्र के दौरान विपक्ष ने प्रणव दा की जमकर प्रशंसा की और यहां तक कहा कि आप से बेहतर और कोई उम्मीदवार हो ही नहीं सकता। अन्य नेताओं के साथ ही लाल कृष्ण आडवाणी ने भी खुले मन से प्रणव दा की तारीफ की थी। मगर कांग्रेस इसका फायदा उठाने से चूक गई।
हालत ये है कि कांग्रेस को उसके सहयोगी तो निशाने पर लिए ही हैं, दूसरे छोटे मोटे दल भी आंख दिखा रहे है। ये अलग बात है कि कांग्रेस अपने गणित के आधार पर चुनाव में कामयाब हो जाए और मुखर्जी रायसीना हिल पहुंच जाएं, पर सच ये है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने गलत सलाह को अपनाया, जिसकी वजह से राष्ट्रपति चुनाव की, कांग्रेस की, सोनिया गांधी की छीछा लेदर हो रही है।


चलते - चलते
हंसी आती है टीम अन्ना पर। बड़बोले अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर मुंह खोला। इस बार उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए प्रणव मुखर्जी उन्हें मंजूर नहीं है। अरे भाई आपको मंजूर नहीं हैं लेकिन हमें तो हैं ना। अब हमारी आपकी लड़ाई का कोई मतलब नहीं, क्योंकि ना आप वोटर हैं और ना मैं वोटर हूं। लिहाजा जो वोटर हैं, उन्हें ही इस मामले को देखने दीजिए। वैसे भी जरूरी नहीं कि हर मुद्दे पर आप का मुंह खोलना जरूरी है।



17 comments:

  1. सही कहा... ये राजनैतिक उठापटक है .देखते है क्या होता है?

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    1. मैं तो चाहता हूं बस नेता लोग एक शरीफ आदमी कलाम को बख्श दें

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  2. बड़ी अजीब हैं ये राजनीति भी ...कब क्या हो जाए ...कुछ नहीं पता रहा ...यहाँ कोई किसी का दोस्त नहीं ....सब के सब ...एकदूसरे के दुश्मन हैं ...
    इस बार राष्ट्रपति चुनाव भी ...संशय के घेरे में ..कमाल हैं ||

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    1. जी संशय नहीं, बल्कि गंदी राजनीति हो रही है

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  3. sahi bat yahi to raj...niti hai....

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  4. बिल्‍कुल सही कहा है आपने ... आभार

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  5. योग्यता के मापदंड तो खो ही दिए हैं भारतीय राजनीति ने .....

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  6. राजनीति जो न काराए वो कम है ...

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  7. पिछले कुछ सालो से जब भी राष्ट्रपति पद के चुनाव की बात आती है तो कलाम साहब का नाम ही क्यों उछाला जाता है? राजनीती की इन ओछी हरकतों से क्या उनकी गरिमा का हनन नहीं होता? वह एक बार राष्ट्रपति बन चुके हैं, अच्छा होता कि उन्हें दोबारा राष्ट्रपति बनाया जाता.... परन्तु जब पिछली बार ऐसा संभव नहीं हो सका तो अब उनको फिर से राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उतरना या उतारना कम से कम मुझे तो ठीक नहीं लगा...

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    1. मैं आपकी बात से सहमत हूं। हां अगर आमसहमति बन जाए तो मेरा मानना है कि कलाम साहब को फिर राष्ट्रपति बनना चाहिए।

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  8. देश के जाने माने वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अबुल कलाम को इन नेताओं ने मुसलमान बनाकर रख दिया है। देश ही नहीं दुनिया कलाम साहब की योग्यता का लोहा मानती है।
    bahut achha lekh likha hai.

    shubhkamnayen

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।