Thursday, 14 June 2012

मुश्किल में पार्टी, कहां गायब हो राहुल बाबा ...


राहुल बाबा आप इस वक्त कहां गायब हैं। यूपीए सरकार, कांग्रेस पार्टी ही नहीं सबसे ज्यादा आपकी मां सोनिया गांधी इस वक्त मुश्किल में है। उन्हें आपकी बहुत सख्त जरूरत है। आप जहां कहीं भी हैं, बिना देरी किए सीधे घर आ जाइये। ना जाने ऐसा क्यों है, जब कांग्रेस मुश्किल में होती है, देश को राहुल की जरूरत होती है, उस समय इनका कोई पता ही नहीं होता कि ये हैं कहां। जबकि राहुल बाबा कांग्रेस पार्टी में सबसे मजबूत राष्ट्रीय महासचिव हैं। इनके सामने बड़े बड़े कांग्रेसी दिग्गज सीधे खड़े भी नहीं हो पाते। वैसे भी पार्टी में राहुल प्रधानमंत्री के सबसे मजबूत दावेदार माने जाते हैं। ऐसे में जब भी सरकार या पार्टी क्राइसेस में हो, तब तो आपको महत्वपूर्ण भूमिका निभानी ही चाहिए।
मैने कांग्रेस के एक बड़े नेता से पूछा कि जब पार्टी विपरीत हालातों से गुजर रही होती है तो आप लोग राहुल बाबा को कहां छिपा देते हैं। बड़ी मासूमियत से बोले श्रीवास्तव जी आप क्यों हमारी पार्टी की ऐसी तैसी करना चाहते हैं। मैने अरे मैने तो कुछ कहा नहीं, मैं तो सिर्फ ये जानना चाहता हूं कि इस मसलों से भी निपटने की ट्रेनिंग बाबा को होनी चाहिए ना। वो वोले यूपी चुनाव में आपने नहीं देखा, उन्हें तो बात बात में गुस्सा आता है। चलिए चुनावी जनसभा में गुस्सा आ गया कोई बात नहीं। लेकिन यहां गुस्सा आ गया तो सरकार कल जाने वाली होगी तो आज चली जाएगी। भाई आज सरकार चलाना आसान है क्या ? कितने समझौते करने पड़ते हैं। इसलिए जानबूझ कर राहुल को पूरे मामले से दूर रखा गया है। मैने नेता जी से कहा कि चलिए ये बात आपने हमें समझा दिया और हम समझ भी गए, पर जनता को क्या समझाएंगे। उन्हें भी यही बताएंगे कि उन्हें गुस्सा आ जाता है और वो गुस्से में कुछ भी कर सकते हैं, इसलिए उन्हें अलग रखा गया है।  नेता जी बोले श्रीवास्तव जी आप बेफिक्र रहें, ये पब्लिक है, सब जानती है।
खैर राहुल वैसे भी जब समय आया है, तो राहुल फेल रहे हैं। अस्वस्थता के चलते जब सोनिया गांधी विदेश में इलाज करा रहीं थीं, तो राहुल के साथ एक कमेटी बना दी गई थी। उसी दौरान अन्ना का आंदोलन जोर पकड़ा। सरकार पर तरह तरह के आरोप लगे। देश भर के लोग सड़कों पर आ गए। सरकार गले तक फंस गई थी, इस आंदोलन से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा था, लेकिन राहुल गांधी टस से मस नहीं। जैसे उन्हें पता ही नहीं कि देश में चल क्या रहा है। एक ओर पार्टी में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की बात हो रही है, दूसरी ओर राहुल देश की राजनीति में अपनी भूमिका बहुत ही सीमित बनाए हुए हैं। वजह सिर्फ यही कि वो बेवजह के विवाद में अभी से फंसकर आगे का खेल खराब नहीं करना चाहते।

चलते चलते
मुझे लगता है कि यूपीए गठबंधन से बाहर जाते जाते ममता बनर्जी कई और लोगों की नौकरी भी लेना चाहती हैं। उन्होंने लोकसभाध्यक्ष मीरा कुमार से बात की और उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रुप में उनकी राय पूछी। मीरा कुमार ने उनसे कहा होगा कि ठीक है, मैं तैयार हूं। अब ममता ने मीरा कुमार का नाम भी राष्ट्रपति के रुप में उछाल दिया और ये भी कह रहीं हैं। अरे भाई सोनिया गांधी मीरा कुमार को नहीं चाहती हैं, क्यों उन्हें बेवजह बलि का बकरा बनाने पर तुली हैं।  

22 comments:

  1. आपकी पोस्ट की शुरुआत कुछ यूँ लगी मानो राजमाता ने विज्ञापन निकलवाया है...

    इश्तियारे-शोर-गोगा.

    या फिर
    बेटा जल्दी आ जाओ, मैं अब ज्यादा जी नहीं पायुंगी,

    ओर अंत में ऐसा लगा, कि राहुल ने सारे तीर चला कर देख लिए, जो फसेबुक माफिक थे, अब उन्हें ब्लॉग्गिंग शुरू कर देनी चाहिए :)

    आप ये कीजये , आप ये मत कीजिए,
    आदरणीय ....
    आपका ये कार्य पसंद आया, कृपा जारी रखिये,
    सादर
    राहुल,


    :)

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  2. ममता ने सोमनाथ चटर्जी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए उछाला,



    :) उन्हें अब मजाक की आदत हो गयी है .

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  3. और हाँ, एक बात अब याद आयी, अगर कुछ महीने पहले ब्लॉग्गिंग शुरू कर देते तो दशक के ब्लोग्गर का पुरूस्कार भी उन्हें मिल सकता था, चाहे परदे के पीछे से वही स्पोंसर करते. और अब भी क्या दिक्कत है, वो ब्लॉग्गिंग शुरू करें तो सहीं,


    सदी का ब्लोग्गर का खिताब उन्हें दिया ही जा सकता है.

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  4. मुश्किल में तो हैं अब राहुल बाबा .....४० की उर्म पार कर लेने के बाद भी आज भी बाबा (a baby boy ....mother's boy )की छवि से नहीं उभार पाए हैं ...तो वो देश के काम कब आएँगे ...जरुरत पर तो कभी वो सामने आए ही नहीं ...आपका लेखन बहुत सार्थक हैं ..

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  5. अरे वाह...!
    यहाँ भी राष्ट्रपति पद की धूम है।
    एक नया नाम यहाँ भी हवा में उछाल दिया आपने।
    मेरे विचार से पं. नारायण दत्त तिवारी से उपयुक्त कोई भी इस पद के लिए नहीं हो सकता। आप इनकी व्यक्तिगत जिन्दगी पर मत जाइए। पितृत्व विवाद में ये पाक-साफ ही निकलेंगे।

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  6. vaise aapko nahi lagta ki rahul gandhi rashtrapati pad ke shashkt davedar ho sakte hain....ek bar vichar kar ke to dekhiye..

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    1. अरे आपको क्या हो गया है
      राहुल को मैं नगर पालिका के वार्ड मेंबर लायक नही मानता

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  7. डा० मनमोहन सिंह से अच्छा राष्ट्रपति पद के लिये कोई दूसरा हो नही सकता,,,,,,

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  8. राहुल बाबा बस मम्मा का बेटा ही बना रहेगा .... मनमोहन सिंह ही सोनिया की दुविधा को दूर करने के काम आएंगे

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  9. राहुल बाबा अभी गहरी नींद में हैं.....

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  10. सार्थकता लिए सटीक लेखन ...आभार

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  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  12. राहुल बाबा, अमूल बेच रहे हैं :))
    मिलिए सुतनुका देवदासी और देवदीन रुपदक्ष से रामगढ में

    जहाँ रचा कालिदास ने महाकाव्य मेघदूत।

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  13. राहुल ऐसे मौकों पर गायब होकर जाहिर कर देते हैं कि अभी उनमे परिपक्वता नहीं है...

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।