Monday, 11 June 2012

बद्जुबान क्यों हो रही है टीम अन्ना ...


मैं जब भी टीम अन्ना की गलत बातों का विरोध करता हूं तो इस टीम के चंपू बिना कुछ जाने समझे मुझे कांग्रेसी बताकर अपनी झेंप मिटाते हैं। इसलिए अन्ना टीम की बात करने से पहले मैं केंद्र सरकार की बात ही कर लूं। इससे कम से कम टीम अन्ना के चंपू शायद आत्म मंथन करने को मजबूर हों। अगर मुझसे कोई पूछे कि केंद्र सरकार के बारे में मेरी क्या राय है। मेरा सीधा जवाब होगा ये है "अलीबाबा चालीस चोर"। अगर आप मनमोहन सिंह के बारे में मेरी राय पूछें तो मेरा फिर जवाब होगा "चोरों की कैबिनेट के सरदार"। मुझे हैरानी होती है जब लोग प्रधानमंत्री के रुप में मनमोहन सिंह को ईमानदार बताते हैं और सारा दोष केंद्रीय और राज्यमंत्रियों पर थोप देते हैं। भाई प्रधानमंत्री सभी मंत्रालयों के प्रधान होते हैं और केबिनेट मंत्री या फिर राज्यमंत्री उनके बिहाफ पर मंत्रालय का कामकाज करते हैं। प्रधानमंत्री को ये अधिकार है कि जब कोई मंत्री उनके  मनमाफिक काम ना करें, तो उसे मंत्रिमंडल से हटा सकते हैं। ऐसे में जितने भी घोटाले हुए हैं, उसमें प्रधानमंत्री के पास उसका हिस्सा भले ना आया हो, पर वो भी बराबर के भागीदार हैं। मुझे लगता है कि अब इससे ज्यादा इस मरी गिरी सरकार के बारे में सभ्य भाषा में भला क्या कहा जा सकता है।

आइये अब मुद्दे पर आते हैं। क्या ऐसा नहीं लगता है कि टीम अन्ना और रामदेव बद्जुबान हो गए हैं। प्रधानमंत्री के लिए शिखंडी और धृटराष्ट्र शब्द इस्तेमाल करना क्या किसी सभ्य समाज में जायज है? क्या सरकार का सख्त विरोध का मतलब गाली गलौज की भाषा इस्तेमाल करना है? इस टीम में शामिल एक पूर्व महिला आईपीएस जो खुद दागी है। वो चर्चा में बने रहने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाती रहती हैं। पहले उन्होंने अन्ना के अनशन स्थल पर बने सार्वजनिक मंच से सिर पर डुपट्टा डाल कर फूहड और भद्दा नृत्य करने के साथ सांसदों की नकल उतारी। आज उन्होंने सारी मर्यादाओं को ताख पर रखते हुए प्रधानमंत्री को धृटराष्ट्र कहा। मुझे लगता है कि जो महिला हवाई जहाज के किराए में हेराफेरी करती हो और पकड़ जाए, कम से कम उसे तो ईमानदारी पर भाषण देने का अधिकार कत्तई नहीं है। क्योंकि मेरा मानना है कि उन्हें बड़ा हाथ मारने का मौका नहीं मिला, वरना जैहनियत में बेईमानी तो भरी ही हुई है, वरना हवाई जहाज के किराए में जानबूझ कर धांधली क्यों करती ?

कश्मीर पर विवादास्पद बयान देकर देश भर की आंखों की किरकिरी बने वकील साहब को लगता है कि वो दुनिया के सबसे ज्यादा समझदार आदमी हैं। हालाकि मैं मारपीट को जायज नहीं ठहराता, लेकिन मुझे लगता है कि युवाओं के दिलो दिमाग से अगर ज्यादा खिलवाड़ किया गया तो पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट परिसर में ही जिस तरह से वकील साहब के साथ हाथापाई की गई, वैसी घटनाएं आम हो जाएंगी। बहरहाल इनके टैक्स चोरी के कितने मामले सामने आ चुके हैं और कितनों में इन्होंने टैक्स चुकाया भी। अब ये जनाब प्रधानमंत्री को शिखंडी बता रहे हैं। इस टीम का दिमाग इतना खराब हो गया है कि ये प्रधानमंत्री और मंत्रियों के लिए ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं सुनते ही मन करता है कि इनके मुंह पर ......।

ताजा मामला और सुन लीजिए। इस टीम में एक महिला पत्रकार भी हैं। दरअसल न्यूज चैनल इतने ज्यादा हो गए हैं, कि सभी को रात में एक आदमी को गेस्ट के तौर पर चैनल पर बैठाना होता है। इससे इम महिला की लाटरी खुल गई है। टीम अन्ना की कोर कमेटी में शामिल इस महिला पत्रकार का नाम प्रधानमंत्री कि विदेश यात्रा में शामिल पत्रकारों की सूची में शामिल था। लेकिन अब इनका पत्ता कट गया है। वैसे भी या तो आप प्रधानमंत्री के साथ सरकारी यात्रा का मजा ले लीजिए या फिर सड़क पर आकर विरोध कर लीजिए। दरअसल ऐसे लोगों पर सरकार भरोसा भी नही कर सकती। दूसरे देश में जाकर वहां अपने ही प्रधानमंत्री की ऐसी तैसी करने लगें तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। यही वजह है कि इनका नाम प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा में उनके साथ जाने वाले पत्रकारों की सूची से काट  दिया गया। अब बेवजह हाय तौबा मचा रही हैं। अरे भाई जिस  आदमी को आप चोर लूटेरा, बेईमान बता रहे हैं, जिसे सुबह से शाम तक गरियाते नहीं थक रहे हैं, उसके साथ सफर क्यों करेंगी ? चलिए इसका फैसला आप खुद कीजिए।

वैसे टीम अन्ना की बौखलाहट की अंदरुनी वजहें कुछ और हैं। अन्ना और रामदेव की दोस्ती अन्ना की टीम को अच्छी नहीं लग रही है। लेकिन अन्ना इस मामले में स्पष्ट कर चुके हैं कि वो रामदेव का साथ नहीं छोड़ेगे। रामदेव के अभियान को भी अन्ना राष्ट्रहित में मानते हैं। टीम को लग रहा है कि रामदेव की फालोइंग अन्ना के मुकाबले कहीं ज्यादा है। अन्ना और रामदेव अगर मिल गए तो इसका सीधा असर टीम अन्ना के खजाने पर पडेगा। क्योंकि देश विदेश में रामदेव के ट्रस्ट भारत स्वाभिमान को ज्यादा लोग जानते हैं, जबकि इंडिया अंगेस्ट करप्सन की पहुंच अभी उतनी नहीं है। ऐसे में चंदे की राशि में सेंधमारी हो जाने का डर भी टीम अन्ना को सता रहा है। वैसे भी अगर टीम अन्ना के खातों की जांच की मांग उठ रही है तो इसमें टीम को सहयोग करना चाहिए और साफ करना चाहिए कि क्या वाकई उन्हें अमेरिका की कुछ संस्थाओं से चंदा मिल रहा है ? वैसे अमेरिका से चंदा लेने का आरोप काफी समय से टीम अन्ना पर लगता रहता है, और इसका आज तक कोई ठोस जवाब टीम अन्ना नहीं दे पाई है।

और हां टीम अन्ना की बौखलाहट की असल वजह कुछ और है। ये बेचारे 25 जुलाई से आमरण अनशन का ऐलान कर फंस गए हैं। पूरे दिन खान पान का मजा लेने वाली ये टीम दो टाइम भूखी नहीं रह सकती, मजाक मजाक में आमरण अनशन की बात मुंह से निकल गई। अन्ना तो समझ गए कि ये उन्हें भूखा रख खुद टीवी चैनलों के एयर कंडीशनर मे बैठ कर बड़ी बड़ी बातें करते रहते हैं। लिहाजा उन्होंने अपनी खराब सेहत का हवाला देते हुए अनशन करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में अब अरविंद केजरीवाल, किरन बेदी, प्रशांत भूषण और मनीष शिशोदिया को आमरण अनशन पर बैठना है। इन्हें लगता है कि गाली गलौच की भाषा इस्तेमाल कर ऐसा माहौल बना दिया जाए कि सरकार उन्हें आमरण अनशन की इजाजत ही ना दे। लेकिन सरकार भी सोच रही है कि इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता, इन्हें इजाजत दी जाएगी और ऐसी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था भी होगी कि ये अनशन छोड़कर भाग भी नहीं सकते। इस टीम के बदजुबान होने की एक वजह ये भी है।

अब चलते-चलते

दिल्ली के सियासी गलियारे मे आजकल एक चर्चा गरम है। अगर किसी सूबे मे ऐतिहासिक जीत दर्ज करनी है तो टीम अन्ना का बाजा बजाओ। खुल कर जनलोकपाल का विरोध करो। वजह भी जो बताई जा रही है उसमें दम है। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जनलोकपाल का खुला विरोध किया और नतीजा ये हुआ कि उन्होंने यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। इतना ही नहीं अपनी बहू डिंपल को निर्विरोध लोकसभा में भेज कर टीम अन्ना की रही सही कसर भी पूरी कर दी। टीम अन्ना सरकार को चेतावनी देती फिर रही है कि 2014 में उसका पत्ता साफ कर देगे, लेकिन ये क्या कर पाएंगे, डिंपल के खिलाफ एक उम्मीदवार तो मैदान में उतार नहीं पाए। निर्विरोध निर्वाचित होकर डिंपल ने इतिहास रच दिया। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूडी को लगा कि लोकपाल बिल लाकर वो जनता का दिल जीत लेगें, इसलिए आनन फानन मे बिल पास करा दिया। बेचारे की सरकार तो गई ही खुद भी चुनाव हार गए। जय हो हाहाहाहहहाहा



20 comments:

  1. राजनीति के गलियारे पर आपकी पकड़ बहुत अच्छी हैं महेंद्र जी ....आपके लेखन का कोई तोड़ नहीं हैं .....आप जब लिखते हैं तो हर शब्द में सच्चाई नज़र आती हैं पढ़ने वाले को ......

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  2. खिसियानी बिल्ली और क्या करे?
    कल मंगलवार के चर्चा मंच पर भी इस पोस्ट की चर्चा होगी!
    सूचनार्थ!

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  3. सही आकलन किया है आपने वर्तमान परिस्थिति का ....बदजुबान होना भी भ्रष्टाचार का एक हिस्सा है ....आज न तो अन्ना आदर्श रहे न रामदेव ....सब एक ही थैली के चट्टे - बट्टे हैं .....!

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  4. सत्य पर से पर्दा उठता लगता है.....

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  5. हम तो शुरू से ही अन्ना को DIR मे बंद करने की मांग कर रहे थे यदि आपका समर्थन हो जाये तो वह भी संभव है।

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  6. क्या कहा जाए ..ऐसा भी होता है या ऐसा ही होता है..

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    1. हां जी मेरे ख्याल से तो यहां ऐसा ही होता है...

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  7. महेंद्र भाई,
    अच्छा विश्लेषण किया है आभार !

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  8. बेहद सशक्‍त लेखन ... आभार

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।