ममता और मुलायम ने सोनिया गांधी और सरकार का पेंच थोड़ा ज्यादा कस दिया है। पहले तो सोनिया के साथ बैठक में हुई बातचीत का उन्होने मीडिया के सामने खुलासा कर दिया, बाद में उनकी बात मानने से इनकार कर दिया। सरकार के लिए शर्मनाक बात ये है कि ममता बनर्जी सरकार में शामिल होने के बाद भी यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी की बात को मानने से तो इनकार किया ही, यह भी कहा कि वो अंतिम फैसला समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ बात करके करेंगी। इससे उन्होंने एक तीर से दो निशाना साधा। पहला ये कि मुलायम सिंह को भरोसा हो गया कि ममता उनकी भरोसेमंद है, दूसरा कांग्रेस को ये सबक भी मिल गया कि ममता की अनदेखी कर मुलायम को अपने साथ नहीं किया जा सकता।
खैर मुलायम ममता ने बातचीत के बाद राष्ट्रपति के लिए तीन नाम सुझाए। उन्होंने तीन नाम सुझाए ये बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात ये है कि सोनिया के दोनों नाम यानि प्रणव मुखर्जी और हामिद अंसारी के खारिज कर दिए। उन्होंने तो तीन नाम गिनाए हैं, उसमें एपीजे अबुल कलाम, सोमनाथ चटर्जी और मनमोहन सिंह शामिल हैं। एपीजे कलाम का नाम तो हमे सिरे से खारिज कर देना चाहिए, क्योंकि अगर बंगामी राष्ट्रपति नहीं बना तो ममता का कोलकता में रहना मुश्किल हो जाएगा। अब बचे सोमनाथ दा और मनमोहन सिंह। सोमनाथ दा अभी लंदन में हैं, और उनसे किसी भी राजनीतिक दल ने राष्ट्रपति पद के लिए कोई बातचीत नहीं की है। वो खुद हैरानी जता रहे हैं। तीसरा नाम बहुत चौंकाने वाला है, और हां अगर तीसरे नाम में दम है, तो इसके पीछे की रणनीति और किसी की नहीं खुद प्रणव मुखर्जी की हो सकती है।
मनमोहन की छीछालेदर हो रही है, अगर उन्हे ग्रेसफुल एक्जिट देना तो ये सबसे बेहतर होगा कि उन्हें राष्ट्रपति बनाकर 7 आरसीआर यानि प्रधानमंत्री आवास से राष्ट्रपति भवन यानि रायसिना हिल शिफ्ट कर दिया जाए। बात यहीं खत्म नहीं होगी, इससे तो बंगाल में और तूफान आ जाएगा। बंगाल को खुश करने के लिए प्रणव दादा को प्रधानमंत्री बनाना ही होगा। आज जिस तरह से सरकार का परफारमेंस है, उसे देखते हुए मनमोहन को हटाने में किसी को कोई दिक्कत नहीं है। फिर उन्हें सम्मान के साथ राष्ट्रपति भी तो बनाया जा रहा है। रही बात इसके आगे क्या ? इसके आगे ये होगा कि समाजवादी पार्टी को सरकार में शामिल कर लिया जाएगा। मुलायम सिंह को एक बार फिर रक्षामंत्रालय का आफर दिया जाएगा,क्योंकि वैसे ए के एंटोनी सेना को संभालने में नाकाम रहे हैं।
ममता मुलायम के एक होने से सरकार के सामने गंभीर संकट है। इसलिए इन दोनों की अनदेखी करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। कहा जा रहा है कि प्रणव के लिए तमाम लाबी यहां काम कर रही है। मुलायम जो बोल रहे हैं वो उनकी भाषा नहीं है, बल्कि तमाम उद्योगपति कई दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, जो इस रणनीति के पीछे काम कर रह हैं।
अब गेंद सोनिया के पाले यानि यूपीए के पाले में है। वैसे सोनिया गांधी को कांग्रेस के रणनीतिकार कब क्या सलाह दे दे, इस पर तो अंतिम समय तक सस्पेंस बना रहता है। कांग्रेस के रणनीतिकार वाहवाही लूटने के लिए इधर उधर की सलाह देते रहते हैं। हमने उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के सवाल पर देखा कि जिसने मेहनत की, उसे आखिरी समय में किनारे कर के दूसरे आदमी को मुख्यमंत्री बना दिया गया, जिससे पार्टी की थू थू हुई। अब इस मामले में पार्टी से ज्यादा सोनिया की किरकिरी होने वाली है।
सबको पता है कि सोनिया गांधी कई दिनों से यूपीए में शामिल दलों के नेताओं से राष्ट्रपति के मसले पर बात कर रही हैं। ज्यादातर पार्टियों ने प्रणव के नाम पर मुहर लगा दी है। अब टीएमसी और एसपी के विरोध के बाद सोनिया ने जहां से मुहिम की शुरुआत की थी, फिर वहीं आ गई हैं। अब अगर उन्हें किसी नए नाम पर आमसहमति बनानी हुई तो पूरी प्रक्रिया उन्हें दोबारा शुरू करने होगी। फिलहाल राष्ट्रपति पद पर उम्मीदवार के चयन को लेकर पिछली बार की तरह इस बार भी कुत्ता फजीहत शुरू हो गई है।
राजनीति गलियारे में फिर से गरमा-गर्मी का मौहल हैं
ReplyDeleteहां तवा गरम है
Deleteअल्प मत और मिली जुली सरकार हो,ऐसी परिस्थियां बनती रहती है,
ReplyDeleteMY RECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: विचार,,,,
बिल्कुल सही
Deleteमुलायम ममता' की गुगली !:D
ReplyDeleteहाहाहाहाह सही कहा आपने
Deleterajneeti me kisiki masha aakhir tak ujagar nahi ho pati..dekhana hai unt kis karvat baithta hai..
ReplyDeleteजी मुझे भी इंतजार है
Deleteमनमोहन सिंह के बारे में सही अनुमान लगता है .... अब देखना है कि होता क्या है ?
ReplyDeleteनहीं मनमोहन को बहुत मौका मिल चुका है।
Deleteसभी मामलों में फेल रहे हैं
बहुत सार्थक प्रस्तुति!
ReplyDeleteपोस्ट के हैडिंग में पेंच की जगह पेंज हो गया है, सुधार दीजिए!
आभार सर
Deleteजी हैंडिग को दुरुस्त कर दिया..
राजनीति में नहले पर दहला पड़ता ही रहता है.
ReplyDeleteसभी ईमानदारी से सोंचें तो 'कलाम' साहिब
एक बार फिर से राष्ट्रपति होने चाहियें.
आपका क्या ख्याल है,महेंद्र भाई.
जी मैं सहमत हूं कि कलाम साहब को राष्ट्रपति बनना चाहिए..
Deleteपर यहां उन्हें काबिलियत के आधार पर राष्ट्रपति बनाने की बात नहीं हो रही है, बल्कि मुसलमान होने के नाते ये चर्चा चल रही है।
ये राजनीति तो हमारे समझ से बाहर है..यहाँ कुछ भी होसकता है..
ReplyDeleteजी, जब मैं इन लोगों के बीच में हू नहीं समझ पा रहा तो आपको वाकई मुश्किल होगी
Deleteमहेंद्र जी राजनीति का 'क','ख','ग'जानने वाला भी जानता है कि मनमोहन सिंह जी अपनी पार्टी की अध्यक्षा की मर्जी के खिलाफ नीतियाँ चला रहे हैं इसलिए उनको हटाना था। तभी उन्होने देशी-विदेशी कारपोरेट घरानों और भाजपा/RSS से मिल कर 'अन्न'/'रामदेव'को आगे खड़ा कर दिया और एक्सटेंशन पा गए। यह सुनहरा मौका है जब सोनिया जी उन्हें बाइज्जत हटा सकती हैं और वही होगा। पिछली बार ए बी वर्धन साहब ने डी राजा साहब से प्रतिभा पाटिल का नाम सुझाया और वही राष्ट्रपति बनीं। इस बार उस भूमिका मे मुलायम जी और ममता जी हैं। सब कुछ सोनिया जी की सहमति से है उनको कोई झटका नहीं है।
ReplyDeleteजी सबकुछ जल्दी ही सामने आ जाएगा
Delete@मनमोहन की छीछालेदर हो रही है,
ReplyDeleteकब नहीं हो रही थी खासकर यु पी ए - २ में. बाकि एक तीर से कई निशाने लगाने की जुगत में राजमाता. अभी वर्तमान में जैसे ये महामहीम निकल कर आयी, राजनीति है - कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता.
राष्ट्र को ऐतिहासिक फैसले के लिए तैयार रहना चाहिए ओर मीडिया को भी गर्मागर्म बहस के लिए :)
हाहाहाहा
Deleteजी देखते रहिए क्या क्या राजनीति के रंगे देखने को मिलते हैं