हर भजन मैच हारा तो तुझे जूनियर अंबानी को उठाना पडेगा, हाहहा |
ब्लाग में हम जैसों को अपनी उपस्थिति बनाए रखने में बहुत मुश्किल होती है। मेरा जो विषय है, आमतौर पर ब्लाग के 70 फीसदी लोग उससे नफरत करते हैं। जो 30 फीसदी लोग राजनीति को समझते हैं, उनकी रुचि है वो बिखरे हुए हैं। वो राजनीति को बाहर से देखकर खुश हो जाते हैं। भीतर घुसने की कोशिश ही नहीं करते। अन्ना और रामदेव भी इसी का फायदा उठा रहे हैं। खैर छोड़िए आज मैं विवादित विषय को छूऊंगा ही नहीं। अन्ना और रामदेव पर फिर लिखूंगा। चलिए सीधे चलते हैं खेल के मैदान और आनंद लेते हैं फटाफट क्रिकेट का।
आईपीएल में खेल तो है ही, यहां मसाला भी खूब है। दर्शक चाहते हैं कि मुझे वहां बैठने को मिलें, जहां से खेल भले दिखाई ना दे, पर चीयर गर्ल्स के करीब रहूं। इन खेल प्रेमियों को चीयर गर्ल्स के ठुमके ही भाते हैं। उन्हें मैदान मे लगने वाले चौके छक्कों से कोई लेना देना ही नहीं। खेल मे वालीवुड का तड़का लोगों में और उत्साह भर देता है। अच्छा सचिन, राहुल और सौरभ गांगुली को खेलते देखना वाकई एक सुखद अनुभव है। ये खिलाड़ी कभी भी मैदान से हट सकते हैं। इसलिए इनके खेल से तो मन ही नहीं भरता।
ये इसी खेल में संभव हो सकता है कि मै इस समय दिल्ली में हूं तो मेरा समर्थन दिल्ली की टीम के साथ होना चाहिए, पर नहीं। मेरी फेवरिट टीम मुंबई इंडियन है। लेकिन मेरा इस समय फेवरिट खिलाड़ी आंजिक्य रहाणे है जो राजस्थान टीम का सदस्य है। मैं उसे भारतीय टीम में देखना चाहता हूं। मेरी पसंद यहीं खत्म नहीं हो जाती, गेल के छक्के का हमेशा इंतजार रहता है, भले ही वो हमारे मुंबई इंडियन के खिलाफ ही क्यों ना खेल रहा हो। वैसे इस बार मुझे सबसे ज्यादा निराश किया है कोलकता नाइट राईडर के खिलाडी युसुफ पठान ने। तरह गयां उसके लंबे शाट्स देखने के लिए।
अच्छा मुझे तो खेल के मैदान में जो चल रहा होता है उससे तो आनंद आता ही है, पर एक एक गेंद पर टीम के मालिकों का रियेक्शन देखना और भी अच्छा लगता है। गेंदबाजों के पिटने पर वालीवुड बादशाह शाहरुख खान के चेहरे पर कैसा तनाव देखा जाता है। अपनी टीम के खिलाडी के लंबे शाट्स पर प्रीटी जिंटा का खुशी से उछल जाना। पूरे उत्साह के साथ शिल्पा सेट्ठी का मैदान में जमें रहना। टीम की जीत पर ना सिर्फ बच्चों की तरह खिलखिलाकर हंसती है मुंबई इंडियन की मालकिन नीता अंबानी, बल्कि वो खिलाड़ियों से भी ज्यादा उत्साह में उछलकर खिलाडियों को गले लगा लेती हैं। आईपीएल से अगर आप जुड़े हैं और रोजाना मैच देख रहे हैं, तो मुझे बहुत ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं... आप खुद इस आनंद को नहीं भुला पाएंगे।
हालांकि अभी तय तो नहीं हुआ है कि कौन कौन सी टीम सेमीफाइनल में रहेगी। लेकिन मैं दिल्ली, कोलकता, मुंबई और राजस्थान को सेमीफाइनल में देखना चाहता हूं। हालाकि मेरे चाहने से कुछ भी होने वाला नहीं, क्योंकि शुरआती मैचों में खराब प्रदर्शन करने वाली चेन्नई की टीम अब बेहतर प्रदर्शन कर रही है। ऐसे में पहले चार में चेन्नई की टीम भी जगह बना ले तो हैरानी की बात नही होगी। पुणे की टीम से मुझे उम्मीद थी, पर मुझे लगता है कि अगले सीजन में दादा को आईपीएल में कमेंट्री ही करनी होगी, वो और उनकी टीम कुछ खास नहीं कर पा रही है, जबकि यही टीम शुरु के कुछ मैंचो में बेहतर प्रदर्शन किया था।
और हां चलते चलते आप इस चित्र का आनंद लीजिए, एक रोमांचक मैच जीतने के बाद नीता अंबानी टीम के कप्तान हरभजन के गले लगने के लिए उछल पड़ी। खैर मौका ही ऐसा होता है खुशी का, जीत की उत्साह का। यहीं नीता के बेटे यानि जूनियर अंबानी भी खड़े दिखाई दे रहे हैं। शायद वो टीम के कप्तान से ये कह रहे हैं कि ठीक है बेटा हरभजन, अगर कोई मैच हारे तो मुझे उठाकर मैदान का चक्कर काटना होगा। हाहाहहाहाह।
जब भी कुछ कहते हो , कुछ लिखते हो खरी - खरी कह देते हो ......! अब मैं इससे ज्यादा क्या कहूँ .....!
ReplyDeleteशुक्रिया भाई जी
Deleteबेटा हरभजन, अगर कोई मैच हारे तो मुझे उठाकर मैदान का चक्कर काटना होगा। हाहाहहाहाह।
ReplyDeleteतब तो समझो सरदार जी गए काम से ...
हाहाहहाहाहहा, अरे फिर मैंच हारेगे ही क्यो ?
Deleteबहुत बढ़िया शीर्षक ...मसाला क्रिकेट ...सच में आजकल क्रिकेट में मसाला भी मिल गया है ....घरों घर आई .पी .एल कि ही धूम है ....!!
ReplyDeleteरोचक आलेख ....
शुभकामनायें ...!!
जी बहुत बहुत आभार
Delete@ पर चीयर गर्ल्स के करीब रहूं
ReplyDeleteजी, आज बिलकुल सहमत हैं आपसे. बिलकुल. सब तरफ गर्म है - मौसम को छोड़ कर... कुछ ऐसा लग रहा है कि तारिख के हिसाब से गर्मी चाहे राजनीति हो, सड़क हो, लाल झंडा मय डंडा (सोरी बन्दूक) हो, राष्ट्रपति हो या फिर बाबा लोग हों, ठीक है पर क्या किया जाए जब मौसम ही तारिख के हिसाब से गर्म नहीं है..
छोडिये,
आई पी एल की एक बात और बताता हूँ, लड़के लोग काम धंधा छोड़ चुके हैं, कुछ जीत रहे हैं, कुछ हर कर जीत की आशा में हैं, जब तक फाइनल होगा इनमे से कितने लोग आत्महत्या करेंगे ये मैं नहीं जानता, क्योंकि माँ बहिन का सोना, बाप का पैसा, रिश्तेदारी से उधारी, किडनेपिंग - ये सभी कर चुके हैं .... ये आई पी एल की दीवानगी है..
लिखिए अभी बहुत से पहलु छूने बाकी हैं आई पी एल के : इसमें शामिल प्रत्यक्ष/अप्रतक्ष रूप से सिनेमा से लेकर राजनीति के के लोग जुड़े हैं, एक फलता फूलता उद्योग है, सरकार क्यों नहीं सट्टेबाजी को कानून के दायरे में लाती, जबकि ये सत्य है कि इस समय शत-प्रतिशत जुआ ही चल रहा हैं,
प्रणाम.
ओह, सच में आपने नई जानकारी दी,
Deleteमुझे वाकई नहीं मालूम था
आपकी जानकारी ने इस लेख कद ऊंचा कर दिया
आभार
:) मजाक की आदत गई नहीं.
Deleteटीप दिख नहीं रही, जबकि लिखा आ रहा था "आपकी टिपण्णी प्रकाशित कर दी गई थी " :) देखिये कहीं गूगल बाबा तो नहीं जीम गए. :)
ReplyDeleteपता नहीं कैसे स्पैम में चली गई थी,
Deleteपर अब आ गई है
bahut khoob likha hai aapne .badhai
ReplyDeleteशुक्रिया शिखा जी
Deleteअरे हमारी टिप्पणी भी गायब .....!!
ReplyDeleteआज जिसको भी टिप्पणी दी मिली ही नहीं ...पता नहीं ये भी मिलती है कि नहीं ...!!
रोचक आलेख ...!!
ना जाने कैसे आपकी टिप्पणी स्पैम में चली गई थी,
Deleteपर अब यहीं है।
आपका आभार
मजेदार रिपोर्टिंग ....वाह जी ..
ReplyDeleteउन ७० फीसदी में मै भी हूँ मेहन्द्र भाई,लेकिन इसका मतलब यह नहीं की कुछ खबर भी न रखूं !
ReplyDeleteयहाँ हैदराबाद में भी खूब गरमी है लेकिन मौसमी, फोटो में सेहतमंद बच्चा देख कर लगता है जूनियर अम्बानी ही है
अच्छी रिपोर्ट मजेदार .......
जी बिल्कुल ठीक, ये जूनियर अंबानी ही है।
ReplyDeleteशुक्रिया
रोचक आलेख..मजेदार रिपोर्ट
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
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