आमतौर पर देश में राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर ज्यादा हो हल्ला होते नहीं देखा जाता था, लेकिन पिछले चुनाव यानि यूपीए वन के दौरान दस दिन तक जो ड्रामा चला, उसी से साफ हो गया कि आने वाले समय में राष्ट्रपति के चुनाव में भी वो सब चलने लगेगा जो आमतौर पर और चुनावों में चलता है। पूर्व राष्ट्रपति डा. ए पी जे अब्दुल कलाम साहब का कार्यकाल पूरा होने के पहले नए राष्ट्रपति के चुनाव की बात शुरू हुई तो उस समय भी एक बड़ा तपका इस पक्ष में था कि कलाम साहब को ही दोबारा राष्ट्रपति बना दिया जाना चाहिए। लेकिन कांग्रेस को ये बात मंजूर नहीं थी। यूपीए वन के सहयोगी रहे लालू यादव और राम विलास पासवान की भी इस समय तूती बोलती थी। लिहाजा राष्ट्रपति की जाति पर चर्चा होने लगी। कहा गया कि इस बार किसी दलित को क्यों ना राष्ट्रपति बनाया जाए ?
कुछ दलित नेताओं के नाम पर विचार विमर्श शुरू भी हो गया था, परंतु कांग्रेस नेताओं ने छीछालेदर से बचने के लिए बीच का रास्ता निकाला और कहा कि इस बार किसी महिला को राष्ट्रपति बनाते हैं। चूंकि बीजेपी और उनके सहयोगियों ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत का नाम सामने किया था, उनकी छवि पर भी कोई दाग धब्बा नहीं था। अगर पार्टी लाइन से हट कर कांग्रेस भी सोचती तो शेखावत राष्ट्रपति के बेहतर उम्मीदवार थे, लेकिन कांग्रेस ने घटिया राजनीति करते हुए यहां शेखावत परिवार की दूर कि रिश्तेदार प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को उम्मीदवार बना दिया। कहा गया कि अभी तक महिला राष्ट्रपति नहीं हुई हैं, तो पहली दफा महिला राष्ट्रपति होनी चाहिए। खैर प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति चुनाव जीत गईं। उसके बाद उन्होंने जो कुछ किया, किसी से छिपा नहीं है। जमीन कब्जाने से लेकर, मनमानी विदेश यात्रा, करोडों का उधार जैसे तमाम आरोपों से वो आज भी घिरी हुई हैं। खैर राष्ट्रपति पद की गरिमा है, इसलिए मैं भी श्रीमति पाटिल को छूट दे दे रहा हूं। पर आप सबको अभी से बता रहा हूं कि ये परिवार आगे भी सुर्खियों में बना ही रहेगा।
आइये अब बात करें होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव की। यूपी समेत पांच राज्यों में अभी हाल में खत्म हुए चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहा है, ये आप सब जानते हैं। कांग्रेस को लगता है कि इसकी वजह और कुछ नहीं बल्कि मुस्लिम मतदाताओं का भरोसा नहीं जीत पाना है। ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं को खुश करने के लिए जरूरी है कि उन्हें अपने पाले में लाया जाए। इसके लिए अभी से कोशिशें तेज हो गई हैं। कांग्रेस की कोशिश कि किसी मुस्लिम को ही राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया जाए। अंदरखाने जो खबर मिल रही है कांग्रेस उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को प्रमोट करना चाहती है। राजद सुप्रीमों लालू किसी तरह केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होना चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस जो कुछ सोचती है, तब तक लालू उसके क्रियान्वयन मे लग जाते हैं। उन्होंने तड़ से हामिद का नाम मीडिया में उछाल दिया। ये जाने बगैर कि इस चुनाव में मुलायम सिंह यादव और ममता बनर्जी की भूमिका महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर डा. ए पी जे अब्दुल कलाम का नाम सामने किया है। मुझे लगता है कि आज भी कलाम साहब के नाम पर कांग्रेस को छोड़कर और किसी को ज्यादा एतराज नहीं होगा।
बहरहाल आज सबसे बडा सवाल ये है कि राष्ट्रपति के चुनाव को कब तक हम जातिवाद के इस घटिया तराजू पर तौलते रहेगे। मुझे पक्का विश्वास है कि अगर कलाम साहब जितने आज कामयाब है, उससे ज्यादा कामयाबी हासिल कर लेते, पर वो मुसलमान ना होते तो मुझे नही लगता है कि ये नेता उन्हें राष्ट्रपति चुनते। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का शिक्षाविद् होना उतना मायने नहीं रखता, जितना उनका मुसलमान होना। आपको पता है आज भी राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति पद के लिए किसी महान उम्मीदवार की तलाश नहीं है, बल्कि 24 कैरेट के मुसलमान की तलाश है।
ऐसा मुसलमान जिसे राष्ट्रपति बनाया जाए तो देश का मुसलमान पार्टी को हाथो हाथ ले। बहरहाल मेरा व्यक्तिगत रुप से आज भी ये मानना है देश में जितने भी राष्ट्रपति हुए है, उनमें स्व. डा राजेन्द्र प्रसाद के बाद अगर कोई राष्ट्रपति दुनिया भर में लोकप्रिय रहा है तो वो हैं अब्दुल कलाम ही। मुझे कहा जाए कि आप किस राष्ट्रपति के कार्यकाल को एक बुरा सपना मानकर भूल जाना चाहेंगे तो मेरा जवाब होगा प्रतिभा देवी पाटिल और ज्ञानी जैल सिंह। इनके कार्यकाल को याद करके देशवासी खुद को शर्मिंदा ही महसूस करेंगे।
दरअसल ऐसी स्थिति तब पैदा होती है, जब किसी सरकार में अलग अलग हांथों मे पावर हो। कहने को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह है, मुझे लगता है कि वो अपने मन से बस घर का खाना खा सकते हैं। उन्हें हर छोटे मोटे काम के लिए भी 10 जनपथ की ओर ताकना होता है। प्रणव दा समेत तमाम ऐसे वरिष्ठ मंत्री हैं जिनके सामने प्रधानमंत्री आंख मिलाकर बात नहीं कर सकते। कांग्रेसी सोनिया गांधी की ओर देखते रहते हैं, सोनिया सलाहकारों पर भरोसा करती हैं, कुल मिलाकर हालत ये है कि ये अच्छा काम करने की सोचते हैं, पर वो काम भी लोगों की कटौसी पर खरा नहीं उतरता। अब देखिए सचिन जैसे सीधे साधे खिलाडी को इन कांग्रेसियों ने विवादों में फंसा दिया। देश में मांग हो रही थी सचिन को भारत रत्न देने की बेचारे को थमा दिया राज्यसभा की सदस्यता। सचिन भले कह रहे हों कि उनका राजनीति से कोई लेना देना नहीं है, पर ये कांग्रेस है हुजूर, इन्हें पता है कि किस आदमी के नाम का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है। अब सचिन पर संविधान के जानकारों ने भी सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका कहना है कि राज्यसभा में साहित्य,कला, समाजसेवा और विज्ञान के क्षेत्र में ही अतुलनीय काम करने वाले को मनोनीत किया जा सकता है। कांग्रेसियों के पास इसका क्या जवाब है कि क्रिकेट को वो साहित्य,कला, समाजसेवा और विज्ञान में क्या समझते हैं।
वैसे अच्छा हो कि देश में राष्ट्रपति का चुनाव गरिमापूर्ण तरीके से हो,लेकिन कांग्रेस की हरकतों को देखने से तो नहीं लगता कि चुनाव में गरिमा का ख्याल रखा जाएगा। जिनकी दो पैसे की पूछ नहीं है वो चुनाव में ज्यादा उछलकूद करके माहौल खराब करने में लगे हैं। लेफ्ट और लालू चुनाव पर बोल रहे हैं। आपको पता है कि लेफ्ट कोई अच्छा नाम भी सुझाए तो ममता बनर्जी को उसका विरोध करना पडेगा। लेफ्ट के मुकाबले ममता ज्यादा मजबूत हैं, तो फिर क्यों उम्मीदवार को लेकर ज्यादा बोल रहे हैं। बीजेपी से सुषमा स्वराज ने आज सारी मर्यादा ही खत्म कर दी, उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद का जो स्तर है, उसके काबिल हामिद अंसारी नहीं है। सुषमा की बात पर एनडीए संयोजक शरद यादव ही भड़क गए। कहाकि कि जो बात कही जा रही है वो सुषमा की निजी राय है, एनडीए में ऐसी कोई चर्चा नहीं हुई। मतलब साफ है कि अभी और छीछालेदर बाकी है।
चुनाव को कब तक हम जातिवाद के इस घटिया तराजू पर तौलते रहेगे।
ReplyDeleteलेकिन राष्ट्रपति चुनाव में तलाश है 24 कैरेट के मुसलमान की,आपने बिलकुल सही फरमाया,...महेंद्र जी,
शुक्रिया धीरेन्द्र जी
Deleteएक नए सच के साथ ....आपके लेख का पूरा सच .....इस नई जानकारी के लिए आभार महेंद्र जी
ReplyDeleteएक नए सच के साथ ....आपके लेख का पूरा सच .....इस नई जानकारी के लिए आभार महेंद्र जी
ReplyDeleteशुक्रिया अनु जी
Deleteपूरा सच
ReplyDeleteधन्यवाद कुलवंत जी
Deleteअच्छा आलेख।
ReplyDeleteथैंक्स अजित मैम
Deleteआपकी बात शत-प्रतिशत सही है...
ReplyDeleteशुक्रिया भाई
Deleteमहेंद्र जी आपके लेख का आधा सच अच्छा लगा........
ReplyDeleteशुक्रिया कनेरी मैम
Deleteबहुत ही मार्मिक एवं सारगर्भित प्रस्तुति एवं विचारणीय पोस्ट। मेरे पोस्ट पर आपके एक-एक शब्द मेरा मनोबल बढ़ाने के साथ-साथ नई उर्जा भी प्रदान करने में समर्थ होंगे । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteशुक्रिया प्रेम जी
Deleteआपकी पोस्ट 3/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 868:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
शुक्रिया
Deleteबढ़िया लेख ........
ReplyDeleteजी शुक्रिया
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