Wednesday, 7 March 2012

टीम अन्ना भी करे आत्ममंथन ....

यूपी समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव प्रक्रिया खत्म हो गई। इस चुनाव मे कौन जीता कौन हारा ये बात तो सामने आ गई। लेकिन चुनाव के नतीजों से कई सवाल खड़े हो गए हैं। बड़ा सवाल ये कि टीम अन्ना की जनता में कितनी विश्वसनीयता बची है। अगर रिजल्ट के हिसाब से देखें तो मुझे लगता है कि ये अन्ना गैंग जबर्दस्ती का भौकाल टाइट किए हुए है, जनता में अब इनकी दो पैसे की पूछ नहीं है। आप कह सकते हैं कि ऐसा क्यों ? मैं बताता हूं कि ये बात में किस आधार पर कह रहा हूं।

अन्ना के जनलोकपाल बिल का अगर कोई राजनीतिक दल खुलकर विरोध कर रहा था, तो वह है मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी। सपा मुखिया ने साफ कहा था कि वो अन्ना के जनलोकपाल बिल से कत्तई सहमत नहीं हैं। क्योंकि ये जनलोकपाल बिल देश के संघीय ढांचे को खत्म करने वाला तो है ही साथ ही राज्य सरकार के समानांतर एक और ताकतवर संस्था को खड़ा कर राज्य के सामान्य कामकाज में अडंगा डालने वाला भी है। अन्ना के जनलोकपाल का खुला विरोध करने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में ऐतिहासिक सफलता हासिल की। यूपी में कई साल बाद ऐसा हुआ है कि किसी एक पार्टी को इतनी बडी संख्या विधानसभा में मिली है।

अच्छा हैरान करने वाली बात ये है कि मुलायम सिंह यादव ने जनलोकबाल बिल का विरोध किया तो उन्हें जनता ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कराई और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूडी ने जनलोकपाल बिल का समर्थन किया और जैसा जनलोकपाल बिल अन्ना टीम चाहती थी, वैसा ही बिल उन्होंने विधानसभा में पास करा दिया, नतीजा क्या हुआ कि बीजेपी तो सत्ता से बाहर हुई ही, बेचारे खंडूडी खुद भी चुनाव हार गए। कम ही ऐसा होता है जब कोई मुख्यमंत्री चुनाव हारता हो। आपको याद होगा कि उत्तराखंड के लोकपाल बिल का टीम अन्ना बहुत समर्थन कर रही थी, वो दूसरे राज्यों के साथ ही केंद्र सरकार को भी नसीहत दे रही थी कि अगर जनलोकपाल बिल पास करना है तो उत्तराखंड राज्य के माडल पर पास किया जाए। अब प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बेवकूफ हैं, जो उत्तराखंड माडल पर बिल पास कराएं और चुनाव में सत्ता से हाथ धो बैठें।

चलिए साहब चुनाव में हार के लिए कांग्रेस में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और खुद दिग्विजय सिंह ने अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। उन्होंने कहा कि पार्टी इस चुनाव परिणामों का मंथन करेगी और जरूरी बदलाव किया जाएगा। बीजेपी ने भी साफ कर दिया कि हां यूपी में जो नतीजे आए हैं, उससे उन्हें धक्का लगा है, पार्टी आत्ममंथन करेगी। लेकिन पंजाब, गोवा में पार्टी का प्रदर्शन बेहतर रहा है और उत्तराखंड में भी उतना खराब प्रदर्शन नहीं रहा है। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी समीक्षा कर ली, सभी ने अपनी गल्ती स्वीकार ली और आत्ममंथन की बात कर दी।

सवाल ये उठता है कि टीम अन्ना खासतौर पर अरविंद केजरीवाल कब आत्ममंथन करेंगे ? क्या आपको अभी भी लगता है कि जनता आपको सुनती है, आप जो चाहोगे वही होगा। उत्तर प्रदेश में जिले जिले घूमते फिर रहे थे, लोगों को यही समझा रहे थे ना कि जनलोकपाल का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों से दूर रहें, उन्हें वोट ना दें। आपने किसी राजनीतिक दल का नाम भले ना लिया हो, लेकिन इशारा तो समाजवादी पार्टी की ओर था ही ना। लेकिन हुआ क्या, जनता ने तो सपा को एतिहासिक जीत दर्ज कराई। उत्तराखंड का मांडल आप देश में स्वीकार करने की बात कर रहे थे, वहां सरकार भी गई और बेचारे मुख्मंत्री खंडूडी खुद भी चुनाव हार गए। मेरा सवाल है कि क्या टीम अन्ना भी आत्ममंथन करने को तैयार है ? मुझे तो कई बार लगता है कि वो जनलोकपाल बिल की आड़ में कुछ बड़ा खेल खेल रहे हैं। बेअंदाज इतने हो गए हैं कि एक नेता के चुनावी दौरे का हिसाब मांग रहे हैं। अब सोचिए कि पूरी अन्ना टीम लगातार हवा में उड़ रही है, टीम के किसी भी सदस्य का पैर जमीन पर नहीं है, कहीं भी जाने के लिए हवाई यात्राएं की जा रही हैं, अरे तुम भी किसी को हिसाब दोगे। आखिर भाई आपके पास इतना पैसा कहां से आ रहा है। कहा तो यही जा रहा है कि कुछ बाहरी संगठनों से टीम अन्ना को फंडिग हो रही है, इस मामले में सब कुछ साफ होना ही चाहिए।

और हां, अब तो केजरीवाल की हकीकत भी सामने आ गई है। दूसरों को नसीहत देने वाले का असली चेहरा क्या है ? ये देश ने देख लिया।  उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान सभा की अनुमति मांगी गई मतदाता जागरूकता के नाम पर। यानि टीम अन्ना लोगों को मतदान के महत्व के बारे में जानकारी देगी। मसलन आपका एक वोट कितना कीमती है। लेकिन खुद भूल गए कि वो भी इसी देश के नागरिक हैं और वोट देना उनका भी अधिकार है। मतदाता सूची में आपका नाम शामिल है या नहीं ये चेक करना भी खुद मतदाता की जिम्मेदारी है। केजरीवाल इतने गंभीर है कि मतदाता सूची में नाम है या नहीं ये जानने की भी उन्हें फुरसत नहीं, फिर वोट वाले दिन बिना वोट डाले ही गोवा जाने के लिए एयरपोर्ट रवाना हो गए, जबकि पत्रकारों ने बताया कि आपको पहले वोट डालना चाहिए, कहने लगे कि मैं गोवा जाने में लेट हो जाऊंगा। लेकिन जब मीडिया ने टीवी पर उनकी क्लास लगानी शुरू की तो उल्टे पांव लौट आए, यहां आकर उन्हें और शर्मिंदगी उठानी पड़ी, क्योंकि सूची में नाम ही नहीं था। मसलन बातें आप भले बड़ी बड़ी कर लो, लेकिन असल जिंदगी में आप मतदान को लेकर कितने गैरजिम्मेदार है, ये साफ हो गया। यानि हांथी के दांत खाने के और दिखाने के और।

टीम अन्ना के तो हर सदस्य का असली चेहरा सामने आ चुका है, लिहाजा अब बात सीधे अन्ना से करना चाहूंगा। अन्ना दा आप अगले आंदोलन के पहले अपना घर जरूर ठीक कर लें। दिल्ली में तो मैने देख लिया कि आप कैसे लोगों के बीच में हैं, मै ही क्या देश भर ने देख लिया। लेकिन अब दिल्ली आएं तो पहले अपने गांव रालेगनसिद्धी को भी करीब से देख लें, क्योंकि हम मानकर चल रहे थे कि आपका गांव एक आदर्श गांव होगा, यहां सब एक दूसरे से बहुत मिल जुल कर रहते होंगे, नशाखोरी का तो नामोनिशान नहीं होगा। पर मुझे दुख है कि आपके गांव में पान गुटका, सिगरेट तो छोड़िए हर ब्रांड की शराब तक आसानी से मिल जाती है, बस पैसे दोगुने से ज्यादा देने होते हैं। आप तो अब गांव से इतना कट चुके हैं कि आपको अपना गांव दिखाई नहीं देता, शाम होते ही तमाम लोग टल्ली होकर गांव में घूमते दिखाई दिए तो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। खैर छोड़िए आपके गांव के बारे में मैं जल्दी आपको विस्तार से जानकारी दूंगा। होली है होली मनाइये, हैप्पी होली।


नोट.. कृपया मेरे दूसरे ब्लाग रोजनामचा पर दस्तक दें...

http://dailyreportsonline.blogspot.in/search?updated-min=2012-01-01T00:00:00-08:00&updated-max=2013-01-01T00:00:00-08:00&max-results=6

14 comments:

  1. करारा जबाब,टीम अन्ना पहले अपनी जमीन टीक करे,फिर दुसरे को नसीहत दे,इन पूरे चुनावों में टीम अन्ना की कहीं नही चली,...

    महेंद्र जी,...होली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,

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  2. बहुत सटीक और बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सपरिवार होली की मंगलकामनाएँ!

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति| होली की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  4. अच्छी प्रस्तुति|

    दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक

    dineshkidillagi.blogspot.com

    होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।

    कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

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  5. होली की शुभकामनायें..

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  6. होली की शुभकामनायें., sarthak post hae manthan to lagatar ho rha hae par aaj shiv koi nahin banna chahata hae ,aabhr|

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    ♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
    ♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥



    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
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  8. एकदम पते की बात कहते हैं आप.प्रभावी व सुन्दर लिखा है..शुभकामनाएं..

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  9. सटीक!!

    अच्छी पोस्ट!


    होली मुबारक!!

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  10. जब कोई भी संगठन या व्‍यक्ति सारी दुनिया को खराब बताकर केवल स्‍वयं को ही अच्‍छा बताता है तब वह जीवन में कभी सफल और विश्‍वसनीय नहीं हो सकता।

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  11. बहुत सही सार्थक विश्लेषण,
    सादर

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  12. सवाल ये उठता है कि टीम अन्ना खासतौर पर अरविंद केजरीवाल कब आत्ममंथन करेंगे ? क्या आपको अभी भी लगता है कि जनता आपको सुनती है, आप जो चाहोगे वही होगा। उत्तर प्रदेश में जिले जिले घूमते फिर रहे थे, लोगों को यही समझा रहे थे ना कि जनलोकपाल का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों से दूर रहें, उन्हें वोट ना दें। आपने किसी राजनीतिक दल का नाम भले ना लिया हो, लेकिन इशारा तो समाजवादी पार्टी की ओर था ही ना। लेकिन हुआ क्या, जनता ने तो सपा को एतिहासिक जीत दर्ज कराई। उत्तराखंड का मांडल आप देश में स्वीकार करने की बात कर रहे थे, वहां सरकार भी गई और बेचारे मुख्मंत्री खंडूडी खुद भी चुनाव हार गए। मेरा सवाल है कि क्या टीम अन्ना भी आत्ममंथन करने को तैयार है ?
    सही सवाल ग़लत आदमियों से
    Welcome to Bloggers meet weekly...

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  13. आपकी पोस्ट आज की ब्लोगर्स वीकली मीट (३४) में शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप इसी तरह मेहनत और लगन से हिंदी की सेवा करते रहें यही कामना है /आभार /लिंक है
    http://hbfint.blogspot.in/2012/03/34-brain-food.html

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  14. सही और सार्थक विश्लेषण...

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।