उत्तर प्रदेश के नतीजे सामने आ गए हैं। नतीजों को लेकर कोई हैरानी नहीं है, क्योंकि ये तो पहले ही माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में सामने आएगी और आई भी। हां ये सच है कि मैं भी ये अंदाज नहीं लगा पाया कि समाजवादी पार्टी इतनी बड़ी संख्या में सीटें जीत रही है। इस चुनाव में तरह तरह के नेता अपना किरदार निभा रहे थे। एक ऐसा राष्ट्रीय पार्टी के नेता का ऐसा भी किरदार था कि उसे बात बात पर गुस्सा आ जाता था।
मैं हैरान था कि यूपी की हालत खराब है, यहां जनता परेशान है,युवओं के हाथ में रोजगार नहीं है, किसानों को उनकी पैदावार का उचित दाम नहीं मिल रहा है, मंहगाई के चलते लोगों के घर में दोनों टाइम चूल्हे नहीं जल रहे हैं और चुनाव के दौरान लोगों के इस घाव पर मरहम लगाने के बजाए इस नेता को बात बात पर गुस्सा आ जाता है। मैं यूपी में 40 दिन तक लगातार घूमता रहा, लेकिन मेरी समझ में नहीं आया कि गुस्सा करके आखिर इस समस्या का समाधान कैसे निकल सकता है।
बार बार जब एक ही बात सुनता रहा तो मैने एक बुजुर्गवार से पूछा दादा क्या किसी समस्या का समाधान गुस्से से भी हो सकता है। उन्होंने कहा बिल्कुल नहीं। फिर मैने उन्हें इस नेता के बारे में उन्हें बताया कि इसे तो बात बात पर गुस्सा आता है। यहां की समस्याओं को देखकर ये कहता है कि मुझे तो भारतीय होने पर शर्म आती है। पहले तो बुजुर्गवार ने कहा कि बच्चा है, कोई बात नहीं, सुधर जाएगा। बाद में उन्होने एक कहानी सुनाई।
कहने लगे कि जंगल के राजा शेर से जानवर परेशान हो गए। बाद में सभी जानवरों ने फैसला किया कि इस बार चुनाव में जंगल के राजा को हराना है और हम अपना नेता किसी और को चुन लेते हैं। सभी जानवरों ने हां में सिर हिलाया और कहाकि ये ठीक है। हम सब एक हैं और अब अपना नया राजा चुन लेगें। लेकिन मुश्किल ये कि शेर के सामने चुनाव लड़ने की किसी की हिम्मत ही नहीं हो रही थी। बहरहाल काफी विचार के बाद एक बंदर खड़ा हुआ और बोला कि अगर आप सब साथ देने को तैयार हैं तो हम शेर के खिलाफ चुनाव लडे़गें। सभी ने हां में सिर हिलाया और बंदर चुनाव को तैयार हो गया। इतना ही नहीं वो चुनाव जीत भी गया।
बंदर राजा बन गया, खूब जश्न मना जंगल में। लेकिन एक दिन गजब हो गया। शेर ने एक बकरी के बच्चे को अपने पंजे में जकड़ लिया, घबराई बकरी तुरंत जंगल के राजा बंदर के पास पहुंची और कहा कि देखो शेर ने मेरे बच्चे को जकड़ रखा है और वो उसे खा जाएगा। बंदर तेजी से गुर्राया, ऐसा कैसे हो सकता है, मेरे राज में ये सब बिल्कुल नहीं चलेगा। बकरी बोली तुम चलो साथ और उसे छुड़ाओ। बंदर बोला हां हां क्यों नहीं। बंदर कूदता फांदता बकरी के साथ निकल पड़ा। बकरी ने उसे वो दिखाया कि उस पेड़ के नीचे देखो वहां शेर मेरे बच्चे को जकड़े बैठा है। बंदर दौड़कर गया और पेड पर चढ़ गया, कभी वो इस पेड पर कूदता, कभी दूसरे पेड़ पर, कभी यहां भागता, कभी वहां भागता। काफी देर तक वो ऐसे ही दौड़ भाग करता रहा, लेकिन बकरी का बच्चा यूं ही शेर के पंजे में जकड़ा रहा। बकरी नाराज हो गई, बोली अरे मेरे बच्चे को छुडाओगे भी या बस ऐसे ही कूदते फांदते रहोगे।
बंदर बोला देखो जी आपने मुझे राजा बनाया है, मैं तो आपके काम के लिए भागदौड़ करने से पीछे नहीं रहूंगा, अगर मेरी कोशिश में कोई कभी हो तो बताओ, अगर वो नहीं छोड़ रहा है तो मैं क्या कर सकता हूं, आखिर वो शेर है और मै हूं तो बंदर ही ना। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सकता अब तुम्हारा बच्चा छूटे या ना छूटे। कुछ ऐसा ही किरदार निभाया यूपी के चुनाव में एक नेता ने। उसे भी बहुत गुस्सा आता रहा, लेकिन समस्या का समाधान नहीं था उसके पास। खैर नया नया मामला है सीखते सीखते सीखेगा ना।
मैं हैरान था कि यूपी की हालत खराब है, यहां जनता परेशान है,युवओं के हाथ में रोजगार नहीं है, किसानों को उनकी पैदावार का उचित दाम नहीं मिल रहा है, मंहगाई के चलते लोगों के घर में दोनों टाइम चूल्हे नहीं जल रहे हैं और चुनाव के दौरान लोगों के इस घाव पर मरहम लगाने के बजाए इस नेता को बात बात पर गुस्सा आ जाता है। मैं यूपी में 40 दिन तक लगातार घूमता रहा, लेकिन मेरी समझ में नहीं आया कि गुस्सा करके आखिर इस समस्या का समाधान कैसे निकल सकता है।
बार बार जब एक ही बात सुनता रहा तो मैने एक बुजुर्गवार से पूछा दादा क्या किसी समस्या का समाधान गुस्से से भी हो सकता है। उन्होंने कहा बिल्कुल नहीं। फिर मैने उन्हें इस नेता के बारे में उन्हें बताया कि इसे तो बात बात पर गुस्सा आता है। यहां की समस्याओं को देखकर ये कहता है कि मुझे तो भारतीय होने पर शर्म आती है। पहले तो बुजुर्गवार ने कहा कि बच्चा है, कोई बात नहीं, सुधर जाएगा। बाद में उन्होने एक कहानी सुनाई।
कहने लगे कि जंगल के राजा शेर से जानवर परेशान हो गए। बाद में सभी जानवरों ने फैसला किया कि इस बार चुनाव में जंगल के राजा को हराना है और हम अपना नेता किसी और को चुन लेते हैं। सभी जानवरों ने हां में सिर हिलाया और कहाकि ये ठीक है। हम सब एक हैं और अब अपना नया राजा चुन लेगें। लेकिन मुश्किल ये कि शेर के सामने चुनाव लड़ने की किसी की हिम्मत ही नहीं हो रही थी। बहरहाल काफी विचार के बाद एक बंदर खड़ा हुआ और बोला कि अगर आप सब साथ देने को तैयार हैं तो हम शेर के खिलाफ चुनाव लडे़गें। सभी ने हां में सिर हिलाया और बंदर चुनाव को तैयार हो गया। इतना ही नहीं वो चुनाव जीत भी गया।
बंदर राजा बन गया, खूब जश्न मना जंगल में। लेकिन एक दिन गजब हो गया। शेर ने एक बकरी के बच्चे को अपने पंजे में जकड़ लिया, घबराई बकरी तुरंत जंगल के राजा बंदर के पास पहुंची और कहा कि देखो शेर ने मेरे बच्चे को जकड़ रखा है और वो उसे खा जाएगा। बंदर तेजी से गुर्राया, ऐसा कैसे हो सकता है, मेरे राज में ये सब बिल्कुल नहीं चलेगा। बकरी बोली तुम चलो साथ और उसे छुड़ाओ। बंदर बोला हां हां क्यों नहीं। बंदर कूदता फांदता बकरी के साथ निकल पड़ा। बकरी ने उसे वो दिखाया कि उस पेड़ के नीचे देखो वहां शेर मेरे बच्चे को जकड़े बैठा है। बंदर दौड़कर गया और पेड पर चढ़ गया, कभी वो इस पेड पर कूदता, कभी दूसरे पेड़ पर, कभी यहां भागता, कभी वहां भागता। काफी देर तक वो ऐसे ही दौड़ भाग करता रहा, लेकिन बकरी का बच्चा यूं ही शेर के पंजे में जकड़ा रहा। बकरी नाराज हो गई, बोली अरे मेरे बच्चे को छुडाओगे भी या बस ऐसे ही कूदते फांदते रहोगे।
बंदर बोला देखो जी आपने मुझे राजा बनाया है, मैं तो आपके काम के लिए भागदौड़ करने से पीछे नहीं रहूंगा, अगर मेरी कोशिश में कोई कभी हो तो बताओ, अगर वो नहीं छोड़ रहा है तो मैं क्या कर सकता हूं, आखिर वो शेर है और मै हूं तो बंदर ही ना। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सकता अब तुम्हारा बच्चा छूटे या ना छूटे। कुछ ऐसा ही किरदार निभाया यूपी के चुनाव में एक नेता ने। उसे भी बहुत गुस्सा आता रहा, लेकिन समस्या का समाधान नहीं था उसके पास। खैर नया नया मामला है सीखते सीखते सीखेगा ना।
गनीमत है जनता ने यहाँ उस नेता को राजा नहीं बनाया ... ;)
ReplyDeleteबन्दर के बहाने बहुत कुछ कह दिया।
ReplyDeleteसीखते सीखते ही सीखेगा न..और क्या.
ReplyDeletekahani ke maadhyam se up ka haal bayaan kar diya yahan to raja sher bane ya bandar sabhi ka vahi haal hai dhaak ke teen paat kaun bhrashtachar khatm karne ki baat karta hai??
ReplyDeleteholi ki bahut bahut shubhkamnayen.
ReplyDeleteसपा का स्पष्ट बहुमत आना ,कांग्रेस के अनुमान से कम स्थान पाना,दोनों परिणाम आश्चर्य चकित कर देने वाले रहे,...राष्ट्रीय पार्टीयों के नेताओं को गहराई से आत्म मंथन करना होगा......
ReplyDeleteहोली की बहुत२ बधाई शुभकामनाए...महेंद्र जी ..
RECENT POST...काव्यान्जलि ...रंग रंगीली होली आई,
सीखना तो राजा चुनने वालों को ही होगा ...?
ReplyDeleteऐसे ही सीखेंगे !
होली मुबारक!
:)
ReplyDeleteइन्द्रधनुष से लेकर सात रंग
घोला है इसमें मैंने आठवां रंग - स्नेह का , दुआओं का , आशीषों का
हैप्पी होली
सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
रंगों की बहार!
छींटे और बौछार!!
फुहार ही फुहार!!!
रंगों के पर्व होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!
नमस्कार!
सुन्दर प्रस्तुति |
ReplyDeleteहोली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।
कांग्रेस और मायावती सरकार पर करारा व्यंग्य ...अब अगले ५ साल देखते हैं क्या होता हैं
ReplyDeleteहोली की ढेरो शुभकामनएं
अच्छी लगी पोस्ट, बन्दर के बहाने बहुत कुछ कह दिया आपने
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आना हुआ आपकी पोस्ट पर !
होली की सहपरिवार हार्दिक बधाई आपको भी !
अच्छी कहानी सुनायी। अब तो बन्दर केवल खीसें निपोर रहा है।
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