Tuesday, 7 June 2011

बाबा रामदेव- ना बाबा ना


 बाबा रामदेव पर दो लेख लिखने के बाद सोचा था कि अब बस करते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि चार जून के बाद के घटनाक्रम पर अगर अपनी राय न रखूं तो कुछ अधूरा सा लग रहा है। मित्रों मैं इस बात से सहमत हूं कि देर रात में पुलिस की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी, एक तरफ तो केंद्र सरकार उसी दिन रात 11.30 बजे बाबा को लिखित मसौदा भेज रही है और उसके घंटे भर बाद ही पुलिस कार्रवाई। बाबा के जवाब आने का भी इंतजार नहीं किया गया, यहां मैं सरकार की कारगुजारी से पूरी तरह असहमत हूं। अब हर मुद्दे पर छोटी छोटी बात रखता हूं, जिससे आपको पूरे घटनाक्रम को समझने में आसानी होगी।

दिल्ली में सरकार है ना
बाबा के साथ किए गए दुर्व्यवहार के बारे में मित्रों से बात हो रही थी। सबके अलग अलग विचार थे। मेरी भी राय पूछी गई। मैने साफ कहा कि दिल्ली में मुझे पहली बार लगा कि यहां कोई सरकार काम करती है। सत्याग्रह के नाम यहां जमें नौटंकीबाजों को देर रात में हटाना सही है, या गलत ये बहस का मुद्दा हो सकता है, लेकिन मैं सरकार के इस साहस की तारीफ करुंगा कि उन्होंने इतनी बड़ी भीड़ को बलपूर्वक हटाने का फैसला किया। इससे उन लोगों को सबक मिलेगा जो भीड़ को आगे कर सरकार को बंधक बनाने की कोशिश करते हैं। इस फैसले के बाद अब बीजेपी कमजोर सरकार और कमजोर पीएम का राग अलापना तो बंद कर ही देगी।  
 संतों ने बाबा से किया किनारा.
 अनशन के पहले सिर्फ एक धर्मगुरु श्री श्री रविशंकर जी बाबा का समर्थन कर रहे थे, लेकिन बाबा की हरकत देख बाद में उन्होंने भी किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके अलावा देश में तमाम धर्मगुरु हैं, पर कोई भी धर्मगुरु बाबा के साथ खड़ा क्यों नहीं हो रहा है। क्या बाबा के साधु धर्म की असलियत की जानकारी सभी धर्मगुरुओं को हो गई है। एक डाक्टर पिट जाता है, देश भर के डाक्टर एक जुट हो जाते हैं, एक इंजीनियर की पिटाई होती है, सभी इंजीनियर हड़ताल पर चले जाते हैं, पत्रकार की पिटाई के खिलाफ पत्रकार एकजुट हो जाते हैं। लेकिन ये बात बाबा को सोचनी चाहिए क्यों आज उनके साथ धर्मगुरू नहीं हैं।
बाबा की कारस्तानी..
बाबा रामदेव सरकार से कुछ बातें करते रहे और लोगों को दूसरी बात बता रहे थे। हुआ ये कि एयरपोर्ट पर जब मंत्रियों के ग्रुप से बाबा की बातचीत हुई, तभी ज्यादातर मामले में सहमति बन गई थी। लेकिन बाबा सभी मामलों में लिखित आश्वासन चाहते थे, लिहाजा तय हुआ कि तीन जून को फिर मिलते हैं और सभी बिंदुओं पर लिखित आश्वासन दे दिया जाएगा। अगले दिन सरकार की ओर से बाबा को फोन कर बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया तो, बाबा कुछ बेअंदाज लहजे में बात कर रहे थे। जैसे मैं नार्थ ब्लाक में बात नहीं करुंगा। नार्थ ब्लाक या साउथ ब्लाक  में केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण आफिस हैं। यहां बातचीत की एक अलग गरिमा होती है। बहरहाल बाद में बाबा बात के लिए होटल में मिलने को तैयार हो गए। यहां बातचीत से बाबा पूरी तरह समहत हो गए और सहमति का पत्र भी कपिल सिब्बल को तीन जून को ही थमा दिया और सरकार से बाबा ने आग्रह किया कि अब वो अनशन नहीं करेंगे, लेकिन उन्हें एक दिन तप करने की अनुमति दी जाए। चार जून को दोपहर ढाई बजे तक मैं सब समाप्त कर दूंगा।
वादे से पलटे बाबा 
वादे के मुताबिक बाबा को दोपहर ढाई बजे तप खत्म करना था। इस दौरान भी उनकी लगातार सरकार से फोन पर बातचीत होती रही। और वो अब तब करते रहे। आखिर में बाबा को चेतावनी दी गई कि अगर वो तप खत्म नहीं करते हैं तो सरकार के साथ जो समझौता उन्होंने तीन जून को किया है, उसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। इस पर बाबा रामदेव हिल गए और उन्होंने शाम को लगभग सात बजे ऐलान किया कि उनकी सभी मांगे मान ली गई हैं, बस कुछ चीजें लिखित में आनी है और उसके बाद हम अपनी जीत मनाएंगे। यहां तक की बाबा समेत सभी लोग मंच पर जयकारा भी करने लगे थे। 
सरकार का रुख सख्त
एयरपोर्ट पर बाबा से मंत्रियों के मिलने से सरकार की काफी छीछालेदर हो चुकी थी। दरअसल मीडिया और बीजेपी ने इस मुलाकात को ऐसे पेश किया जैसे सरकार बाबा के आगे नतमस्तक हो गई है। बाबा को सम्मान देने को जब सरकार की कमजोरी समझी जाने लगी तो सरकार सख्त हो गई और तय किया गया कि अब कोई मुरव्वत नहीं बरती जाएगी। जो बात बाबा से लगातार हो रही है, अगर वो उसे मानते हुए तप खत्म नहीं करते हैं, तो सख्ती बरती जाएगी। बाबा को ये बात पहले बताई भी गई थी। लेकिन बाबा भीड़ देख बेअंदाज थे, उन्हें लग रहा था कि इतनी बडी संख्या में लोग यहां है, पुलिस उनका कुछ नहीं कर पाएगी।

 बाबा और सलवार सूट
 बाबा शाम को काफी देर तक आक्रामक तेवर में बात कर रहे थे। वो शिवाजी और भगत सिंह की बात कर रहे थे। लेकिन पुलिस को देख 15 फीट ऊंचे मंच से बाबा महिलाओं के बीच में कूद गए। उन्हें लगा कि महिलाओं की आड़ लेकर वो यहां से चंपत हो सकते हैं। लेकिन लगातार कैमरे उन्हें कवर किए हुए थे, इसलिए भाग नहीं पाए। लेकिन जैसे ही अंधेरे का आड मिला, बाबा अपना भगवा त्याग कर एक महिला के पहने हुए सलवार सूट को पहन कर भागने की कोशिश की। बाबा जी आप तो मरने से नहीं डरते, लेकिन पुलिस को देखते ही आपने अपना भगवा धर्म तो भंग किया ही, सत्याग्रहियों को उनके हालत पर छोड़ भागने की कोशिश की।
बाबा ने पिटवाया सत्याग्रहियों को
बाबा के पास जव पुलिस पहुंची और उन्हें बताया कि रामलीला मैदान में योग कार्यक्रम की अनुमति रद्द कर दी गई है तो बाबा अगर पुलिस को सहयोग करते तो यहां कोई उपद्रव नहीं होता। पुलिस अधिकारी चाहते थे कि बाबा लोगों को खुद संदेश दें की वो यहां शांति बनाए रखें और पुलिस जैसा कहती है वैसा ही करें, क्योंकि पुलिस ने तमाम बसों का इंतजाम किया था जिससे लोगों को रेलवे स्टेशन या बस अड्डे तक पहुंचाया जा सके। लेकिन बाबा जब महिलाओं के बीच में कूद गए, तब पुलिस को हरकत में आना मजबूरी हो गई। इस तरह से बाबा के सहयोग ना करने के कारण ही वहां लाठी चली, और हां जिस तरह से बाबा ने उतनी ऊंचाई से छलांग लगाई वो कोई साधु संत तो नहीं लग सकता। 
अनशन की हकीकत
हालाकि ये बात बहुत ही भरोसे से नहीं कही जा सकती, लेकिन बाबा के करीबियों में ही कुछ लोग बाबा के बचकानी हरकतों से खफा हैं। उनका कहना है कि बाबा खुद मंच से कहते रहे कि 99 फीसदी मांगे मान ली गई हैं, तो फिर इन्हें तप नहीं करना चाहिए था। वैसे तप करने के पीछे एक वजह करोडों के चेक थे। बताते हैं कि दानदाताओं ने चेक अनशन के लिए दिया था। जब अनशन होता ही नहीं तो बाबा को डर था कि लोग चेक को बैंक से स्टाप पेमेंट ना करा दें। 
झूठ दर झूठ बोलते रहे बाबा
मुझे लगता है कि कम से कम साधु संतो से इतनी अपेक्षा तो की ही जानी चाहिए कि वो झूठ नहीं बोलेगें, लेकिन ये बाबा तो झूठ का पुलिंदा है। अनशन शुरु करने से पहले ही सरकार से सभी बातें कर चुके थे, लेकिन अपने ही भक्तों को इस बात की जानकारी नहीं दी। लोगों को उकसाने के लिए सत्याग्रहियों से कहते रहे, मुझे दबाने की कोशिश की जा रही है। मेरी हत्या की साजिश की जा रही थी। मेरा एनकाउंटर होने वाला था। डुपट्टे से मेरा गला घोंटने की तैयारी थी। वाह रे बाबा जी..
मुंबई में राजा दिल्ली में बाबा तड़ीपार
एक्टर राजा चौधरी सुधरने का नाम ही नहीं ले रहा था, लिहाजा मुंबई पुलिस ने उसे मुंबई से तड़ीपार कर दिया। इसी तरह बाबा ने दिल्ली में उपद्रव मचा रखा था। सरकार से बातचीत में सब कुछ ठीक रहता था, बाद में उन्हें कोई पंप कर देता था और वो फिर अड़ जाते थे। आखिर दिल्ली पुलिस ने उन्हें रास्ते पर लाने का फैसला किया और तमाम गंभीर धाराओं में मुकदमें दर्ज करने के बाद दिल्ली से तड़ीपार कर दिया। मुझे लगता है इतने बडे साधु संत को पहली बार किसी शहर से तड़ीपार किया गया है।
 राजघाट को शर्मशार किया
जब सब नाटक में व्यस्त हों तो बीजेपी भला क्यों पीछे रहती। उसे लगा कि बाबा के मामले को देश भर में गरमाने से सरकार के खिलाफ एक आंदोलन खड़ा किया जा सकता है। बाबा के खिलाफ कार्रवाई के गम में नहीं अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ने की खुशी में भाजपाई 24 घंटे के सत्याग्रह पर राजघाट पहुंच गए। यहां जिस तरह से पार्टी के बडे नेताओं ने ठुमके लगाए, उससे कई सवाल खड़े कर दिए। सबसे बड़ा सवाल आखिर ये ठुमका किस खुशी में था । 







13 comments:

  1. Baba stands a good chance in Bollwood.जिस तरह से घायल महिला की एक्टिंग कर रहे थे ... कमाल है । ऐसे versatile बाबा कहां देखने को मिलेंगे :-P

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  2. सबसे अलग और सच को सामने लाती है आपकी यह पोस्ट ....आपकी हर पोस्ट में जीवंत सत्य उभर कर सामने आते हैं ....कृपया ईसे बनाएं रखें ....आपका आभार

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  3. satya ka virodh karna logo aur samaj ki purani aadat hai..
    aap usmen jiwantata banaye rakhen hain...

    ye padhne ke baad bhi maaen sonia madam wah wah nahi kahunga...
    5 sal ka baccha aur 70 sal ka bujurg dono pakhandi hai..men patrkar nahi hun magar ek nishpach patrkarita ka namuna dekh raha hun...

    ishwar aap ki lekni ko prakhar banaye..

    jay baba ramdev

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  4. बाबा का ये अनशन काले धन को वापस देश में लाने और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए नहीं था बल्कि अपनी फजीहत और जगहंसाई करने के लिए था। बाबा की राजनीतिक महत्वाकांक्षा एक न एक दिन उन्हें हवालात जरूर पहुंचा देगी।

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  5. आशुतोष जी पिछले दिनों जब मैं राहुल गांधी को लेकर कुछ टिप्पणी की तो आप जैसे विचारधारा के तमाम लोगों ने मुझे बहुत सराहा था। अब बाबा की बारी आई तो मेरी निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। खैर मैं जानता हूं कि आप एक खास विचारधारा का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए मुझे आपसे इसी तरह की टिप्पणी की उम्मीद थी। लेकिन आशु आप देखिएगा जल्दी ही इस बाबा की कारगुजारियां देश के सामने आ जाएंगीं।

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  6. aadarniy sir
    aapki post hamesha sachchai ko hi samne latai hai . yah ham nagriko ka bhi farz banta hai ki ham sabhi aapki hi tarah nishpaxhta se likhne waleaur sach ke paxh me awaaz uthayen.
    aap jaise nirbhik patrakaar tatha desh bhakt
    ko hamara naman
    dhanyvaad sahit
    poonam

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  7. आपका यह आरोप झूठ दर झूठ बोलते रहे कुछ अति लगता है। दर असल सिब्बल ने विश्वासघात किया है। राजनीतिक बातचीत में कुछ समझौते होते हैं जो उस समय तक आम नहीं किए जाते जब तक समझौता पूरा नहीं होता। बाबा की चिट्ठी बताना ऐसा ही विश्वास्घात था।

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  8. अच्छा लगा पोस्ट.. सही कहा है...

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  9. बहुत बढ़िया और सटीक लिखा है आपने! सच्चाई को बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  10. सब एक ही थाली के चट्टे- बट्टे हैं | फिर राजनीति की बराबरी कौन करे और जब बात की जाती है तो मेरे ख्याल से सभी पहलूँओं पर नज़र ढालना बेहद जरूरी है क्युकी एक हाथ से तली कभी नहीं बजती :)
    बहुत सटीक और विस्तार से लिखी गई पोस्ट आपकी लेखनी को सलाम :)

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  11. पोस्ट में आपने विश्लेषण अच्छा किया है किन्तु
    बाबा की देशहित में जो भावनाएं है उसे
    नजरअंदाज नहीं किया जा सकता !
    यह सच है राजनीती में चाणक्य निति
    चलती है इसमें बाबा की सोच थोड़ी
    अपरिपक्व लगती है ! lekin bhavnaye nahi.....

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  12. भावना और कार्यप्रणाली में लोग फर्क करना कब सीखेंगे?

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।