तालीबान में युवक युवतियां एक साथ दिखाई दिए तो उन पर सरेआम पत्थर बरसाए जाते हैं, लड़की ने कुछ अनैतिक कर्म किया तो उस पर सरेआम कोडे बरसाए जाते हैं। कई बार तो प्यार करने वाले लड़के लड़कों को सरेआम गोलियों से भून दिया जाता है। तब टीवी चैनलों का एंकर सुबह से ही चीखना शुरू करता है तालीबानी आतंक की कहानी। 15 से 20 सेकेंड के बिजुअल को कई एंगिल से स्लो और फास्ट करके दिखाया जाता है। चैनल फरमान सुना देते हैं कि ये सब गलत हो रहा है और शाम तक तो चैनल के लोग अपनी अपनी तरह से किसी नतीजे पर पहुंच जाते हैं और सजा तक सुनाने पीछे नहीं हटते।
आइये हम सिर्फ एक लाइन में कसाब की बात कर लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि मुंबई हमला एक तरह से देश पर हमला था और पकड़ा गया अपराधी छोटा मोटा अपराधी नहीं आतंकवादी है तो उसे मौत की सजा देने के लिए कोई जल्दबाजी में क्यों नहीं है। चलिए टीवी चैनल को छोड़ दीजिए, देश की सबसे ज्यादा फिक्र करने वाले बाबा रामदेव को ही ले लीजिए। कसाब को फांसी दी जाए, इस मामले में बाबा ने अभी तक कुछ नहीं कहा। रामदेव ही क्या उनके जैसे और लोग भी इस मुद्दे पर खामोश ही रहते हैं। ये मसला आता है तो कहते हैं सियासी मसलों पर हम नहीं बात करेंगे।
आइये बताता हूं कि बाबा क्या चाहते हैं। बाबा जी तीन बड़ी चीज मांग रहे हैं। पहला विदेशों में जमा काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित की जाए और इसे देश में लाया जाए। मैं समझता हूं कि पूरा देश उनकी इस बात का समर्थन करेगा। दूसरी बात वो कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार करने वाले को फांसी पर चढा दिया जाए। इस मामले में मैं ही नहीं देश के ज्यादातर लोग उनके खिलाफ होंगे। आपको पता होगा कि दुनिया भर के दूसरे देश इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि फांसी की सजा को ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये अमानवीय है। लेकिन बाबा मौत के हिमायती है। बाबा का ये रूप मेरी समझ के परे है। बाबा की तीसरी बात से भी मैं सहमत नहीं हूं। कह रहे हैं कि देश का प्रधानमंत्री सीधे जनता से चुना जाए।
संसद की गरिमा को नमन करते हुए सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कि कई बार लफंगे चुनाव जीत कर लोकसभा और विधानसभाओं में पहुंचे हैं। ऐसे ऐसे लोग चुनाव जीत कर आएं हैं, जिन पर हत्या, डकैती, चोरी, बलात्कार जैसे तमाम संगीन मामले चल रहे होते हैं। बाबा जी चुनावी सिस्टम में दोष है और अगर कभी कोई गुंडा प्रधानमंत्री चुन लिया गया तो.....। पांच साल देश कैसे बर्दाश्त करेगा। वैसे भी देश के प्रधानमंत्रियों पर कभी कभार कुछ आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ऐसा आदमी प्रधानमंत्री नहीं बना है जो इतना भ्रष्ट हो कि जनता त्राहि त्राहि कर रही हो। सवाल उठता है कि इस मांग के पीछे बाबा क्या देख रहे हैं.. कहीं ऐसा तो उनकी भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नजर हो। उन्हें लग रहा हो कि देश भर में उनके योग के अनुयायी हैं और उनके जरिए कभी वो भी चुनाव जीत कर देश पर राज कर सकते हैं। कहीं बाबा का इस आंदोलन के पीछे कोई छिपा एजेंडा तो नहीं।
वैसे बाबा जी जब मौत की बात करते हैं तो हैरत होती है। मुझे लगता है कि उनकी बात को अगर मान ली जाए, तो देश में बडे राजनेताओं से लेकर छोटे कर्मचारियों तक को मिलाकर कम से कम एक करोड से ज्यादा लोगों को तो तुरंत फांसी पर चढाना होगा। वीआईपी भ्रष्ट ए राजा, सुरेश कलमाडी टाइप लोगों को बाबा के हवाले कर दिया जाए,वही इन्हें फांसी पर चढाएं और अपने इस पुनीत मांग की शुरुआत करें। सच कहूं तो जब से बाबा ने मौत की मांग की है, लग रहा है कि इस बाबा को हो क्या गया है।
बाबा आरामदेव
चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे बाबा सीधे उस रामलीला मैदान गए, जहां उन्हें अनशन पर बैठना है। रामलीला मैदान में पांच सितारा सुविधाओं की तैयारी चल रही है। बाबा को कोई दिक्कत न हो इसके लिए यहां उनके पेड कार्यकर्ता पूरी शिद्दत से लगे हैं। आम कार्यकर्ताओं के लिए पंखे का इंतजाम और बाबा के लिए एसी का। कार्यकर्ता निगम के टैंकर का पानी पीएंगे और बाबा ठंडा पानी।
भीड़ जुटाने का नायाब तरीका
बाबा ने भीड़ जुटाने का नायाब तरीका इस्तेमाल किया। दिल्ली और आसपास करोडों पर्चे बांट कर कहा गया है कि चार जून से रामलीला मैदान में निशुल्क योग शिविर का आयोजन किया गया है। अब योग शिविर के नाम पर तो दिल्ली क्या देश के किसी कोने से लोगों को बुलाया जा सकता है।
और अंत में
बाबा जी आपको पता होगा, देश में चुनाव के दौरान बूथ लूटने वालों को देखते ही गोली मारने का कानून है। चुनाव के दौरान हर जिले का डीएम ये आदेश जारी भी करता है। यूपी, बिहार समेत देश के कई हिस्सों में बूथ लूटे जाते हैं, किसने गोली मार दी। ऐसा कभी नहीं हुआ। बाबा जी कुछ चीजें कानून से नहीं आत्मचिंतन से ठीक होंगी। इसके लिए लोगों को नैतिक रूप से मजूबत करना होगा।
आइये हम सिर्फ एक लाइन में कसाब की बात कर लेते हैं। अगर हम मानते हैं कि मुंबई हमला एक तरह से देश पर हमला था और पकड़ा गया अपराधी छोटा मोटा अपराधी नहीं आतंकवादी है तो उसे मौत की सजा देने के लिए कोई जल्दबाजी में क्यों नहीं है। चलिए टीवी चैनल को छोड़ दीजिए, देश की सबसे ज्यादा फिक्र करने वाले बाबा रामदेव को ही ले लीजिए। कसाब को फांसी दी जाए, इस मामले में बाबा ने अभी तक कुछ नहीं कहा। रामदेव ही क्या उनके जैसे और लोग भी इस मुद्दे पर खामोश ही रहते हैं। ये मसला आता है तो कहते हैं सियासी मसलों पर हम नहीं बात करेंगे।
आइये बताता हूं कि बाबा क्या चाहते हैं। बाबा जी तीन बड़ी चीज मांग रहे हैं। पहला विदेशों में जमा काले धन को राष्ट्रीय सम्पत्ति घोषित की जाए और इसे देश में लाया जाए। मैं समझता हूं कि पूरा देश उनकी इस बात का समर्थन करेगा। दूसरी बात वो कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार करने वाले को फांसी पर चढा दिया जाए। इस मामले में मैं ही नहीं देश के ज्यादातर लोग उनके खिलाफ होंगे। आपको पता होगा कि दुनिया भर के दूसरे देश इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि फांसी की सजा को ही समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये अमानवीय है। लेकिन बाबा मौत के हिमायती है। बाबा का ये रूप मेरी समझ के परे है। बाबा की तीसरी बात से भी मैं सहमत नहीं हूं। कह रहे हैं कि देश का प्रधानमंत्री सीधे जनता से चुना जाए।
संसद की गरिमा को नमन करते हुए सिर्फ एक बात कहना चाहता हूं कि कई बार लफंगे चुनाव जीत कर लोकसभा और विधानसभाओं में पहुंचे हैं। ऐसे ऐसे लोग चुनाव जीत कर आएं हैं, जिन पर हत्या, डकैती, चोरी, बलात्कार जैसे तमाम संगीन मामले चल रहे होते हैं। बाबा जी चुनावी सिस्टम में दोष है और अगर कभी कोई गुंडा प्रधानमंत्री चुन लिया गया तो.....। पांच साल देश कैसे बर्दाश्त करेगा। वैसे भी देश के प्रधानमंत्रियों पर कभी कभार कुछ आरोप लगते रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ऐसा आदमी प्रधानमंत्री नहीं बना है जो इतना भ्रष्ट हो कि जनता त्राहि त्राहि कर रही हो। सवाल उठता है कि इस मांग के पीछे बाबा क्या देख रहे हैं.. कहीं ऐसा तो उनकी भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नजर हो। उन्हें लग रहा हो कि देश भर में उनके योग के अनुयायी हैं और उनके जरिए कभी वो भी चुनाव जीत कर देश पर राज कर सकते हैं। कहीं बाबा का इस आंदोलन के पीछे कोई छिपा एजेंडा तो नहीं।
वैसे बाबा जी जब मौत की बात करते हैं तो हैरत होती है। मुझे लगता है कि उनकी बात को अगर मान ली जाए, तो देश में बडे राजनेताओं से लेकर छोटे कर्मचारियों तक को मिलाकर कम से कम एक करोड से ज्यादा लोगों को तो तुरंत फांसी पर चढाना होगा। वीआईपी भ्रष्ट ए राजा, सुरेश कलमाडी टाइप लोगों को बाबा के हवाले कर दिया जाए,वही इन्हें फांसी पर चढाएं और अपने इस पुनीत मांग की शुरुआत करें। सच कहूं तो जब से बाबा ने मौत की मांग की है, लग रहा है कि इस बाबा को हो क्या गया है।
बाबा आरामदेव
चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंचे बाबा सीधे उस रामलीला मैदान गए, जहां उन्हें अनशन पर बैठना है। रामलीला मैदान में पांच सितारा सुविधाओं की तैयारी चल रही है। बाबा को कोई दिक्कत न हो इसके लिए यहां उनके पेड कार्यकर्ता पूरी शिद्दत से लगे हैं। आम कार्यकर्ताओं के लिए पंखे का इंतजाम और बाबा के लिए एसी का। कार्यकर्ता निगम के टैंकर का पानी पीएंगे और बाबा ठंडा पानी।
भीड़ जुटाने का नायाब तरीका
बाबा ने भीड़ जुटाने का नायाब तरीका इस्तेमाल किया। दिल्ली और आसपास करोडों पर्चे बांट कर कहा गया है कि चार जून से रामलीला मैदान में निशुल्क योग शिविर का आयोजन किया गया है। अब योग शिविर के नाम पर तो दिल्ली क्या देश के किसी कोने से लोगों को बुलाया जा सकता है।
और अंत में
बाबा जी आपको पता होगा, देश में चुनाव के दौरान बूथ लूटने वालों को देखते ही गोली मारने का कानून है। चुनाव के दौरान हर जिले का डीएम ये आदेश जारी भी करता है। यूपी, बिहार समेत देश के कई हिस्सों में बूथ लूटे जाते हैं, किसने गोली मार दी। ऐसा कभी नहीं हुआ। बाबा जी कुछ चीजें कानून से नहीं आत्मचिंतन से ठीक होंगी। इसके लिए लोगों को नैतिक रूप से मजूबत करना होगा।
यहाँ जो आता है अपनी रोटी सेंकने की कोशिश करता है ...लेकिन शायद देश हित में किसी ने सोचा हो जो देश हित में सोचता है वह अपने लिए नहीं बल्कि उस आम व्यक्ति के बारे में सोचता है जो बिना खाना खाए रात को सोता है और जिसके पास रहने के लिए घर नहीं .....लेकिन आज आम व्यक्ति की बात करता कौन है उसकी चिंता किसे है ......आपका कहना सही है ..आपका आभार
ReplyDeletebaba ji ki maya baba ji hi jane .ham to bas itna jane RAJNEETI ka khel bahut kutil hai .chhupa agenda hone ki bat me 100% pratishat sachchhai ho sakti hai .bahut sarthak aalekh .
ReplyDeleteaab baba ramdev apni roti sek rahe hai.
ReplyDelete"भूतकाल के सत्ता हथियाने के चक्र और कुचक्र महिमा-मंडित हो कर धर्म का रूप लेता है। वही क्रिया जब वर्तमान में दोहरायी जाती है तो राजनीति कहलाती है।" आगे-आगे देखिए होता है क्या?
ReplyDelete-डंडा लखनवी
बाबा भ्रष्टाचार की बात करते हैं, काले धन की बात करते हैं। सबसे पहले तो बाबा को खुद अपनी संपत्ति, अपने ट्रस्ट की संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करना चाहिए, साथ ही संपत्ति के सभी स्रोतों को भी जाहिर करना चाहिए। शुरूआत तो घर से ही करनी होती है।
ReplyDeleteबाबा के हिडन एजेंडा वाली बात सही कही आपने। बाबा के साथ वो कनेक्ट महसूस नहीं होता जो कि अन्ना ह़ज़ारे के साथ महसूस हो रहा था। इस बात का सबूत ये है कि अभी अनशन शुरु नहीं हुआ कि उसके विरोध में बातें होने लगी है।
ReplyDeleteहमें बात कहीं से शुरू करना है... अब बात शुरू करनेवाले पर ही आरोप थोप दिए जाएं तो बात कहां बनेगी। हर आदमी हमाम में नंगा है। हम भी कहीं न कहीं भ्रष्ट है... तो क्या इस मुद्दे को तर्क कर दिया जाय?
ReplyDeleteचंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी, अन्ना का आंदोलन इसलिए कामयाब हो गया कि वो सही मायने में फकीर हैं, उनकी कुल जमा पूंजी 68 हजार थी। ये बाबा बिजनेसमैन है। स्वदेशी की आड मे पांच रुपये का चूरन 50 में बेचते हैं। 11 सौ करोड का बाबा लड़ाई नहीं लड़ सकता। आप देखिएगा 24 घंटे में दम निकल जाएगा। ये महात्वाकांक्षी बाबा है।
ReplyDeleteबाबा जी कुछ चीजें कानून से नहीं आत्मचिंतन से ठीक होंगी। इसके लिए लोगों को नैतिक रूप से मजूबत करना होगा।
ReplyDelete:-) :-) kamal hai, ek patrkaar ek 'baba' ko atmchintan ki salaah de rahe hain aur 'baba' marne-maarne ki baat kar rahe hain....
Excellent post, Mahendra ji! I hope baba can learn something from you.
mujhe to lagta hai jo baba kar rahe the yog vahi kana chahiye ye rajniti bahut buri chij hai kali aur bhrasht
ReplyDeleterachana
अभी तक बाबा रामदेव ने कुछ भी ऐसा नहीं किया है जिससे मैं उनको समर्थन नहीं दूँ|
ReplyDeleteऔर फिलहाल बाबा का उद्देश्य अच्छा है मुझे लगता है उनको हम सभी का समर्थन मिलना चाहिए,
यह समय इस प्रकार की पोस्ट लिखने का नहीं है, जब बाबा के आंदोलन की हवा निकलेगी तब निकलेगी अभी तो हमें उनका समर्थन करना चाहिए
महात्वाकांक्षी बाबा महामाया ठगनी के चपेट में ...अच्छा लिखा है...
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