Wednesday, 21 August 2013

रिटायर होकर आराम करने आया है आतंकी टुंडा !

मुझे देश में बढ़ रहे आतंकवाद के बारे में तो अच्छी जानकारी है, लेकिन आतंकवादियों इनके ठिकाने, इनके संगठन के बारे में बस सुनी सुनाई बातें ही पता हैं। देख रहा हूं तीन चार दिन से एक सेवानिवृत्त आतंकवादी अब्दुल करीम टुंडा को लेकर दिल्ली पुलिस इधर उधर घूम रही है। हालाकि इसने अकेले ही पुलिस के पसीने छुड़ा दिए हैं। पुलिस उसे आतंकवाद की पांच घटनाओं में शामिल होने की बात करती है, टुंडा पुलिस की जानकारी में इजाफा करते हुए दावा करता है कि वो पांच और यानि आतंकवाद की 10 घटनाओं में शामिल रहा है। खुद को अंडरवर्ल्ड डाँन दाउद इब्राहिम का सबसे करीबी भी बता रहा है। इतना ही नहीं खुद ही कह रहा है कि वो लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का बड़ा आतंकवादी है। पुलिस बहुत मेहनत से सवाल तैयार करती है, उसे लगता है कि टुंडा सही जवाब देने से हिचकेगा, लेकिन वो पुलिस को बिल्कुल निराश नहीं कर रहा है, आगे बढ़कर अपने अपराध कुबूलता जा रहा है। जानते हैं टुंडा खाने पीने का भी काफी शौकीन है, वो खाने में सिर्फ ये नहीं कहता है कि उसे बिरयानी चाहिए, बल्कि ये भी बताता है कि जामा मस्जिद की किस दुकान से बिरयानी मंगाई जाए। टुंडा के हाव भाव से साफ है कि वो यहां पुलिस से टांग तुडवाने नहीं बल्कि जेल में रहकर मुर्गे की टांग तोड़ने आया है।

सुना है कि भारत - नेपाल सीमा यानि उत्तराखंड के बनबसा से दिल्ली पुलिस ने इसे गिरफ्तार किया है। देखिये ये तो पुलिस का दावा है। लेकिन मुझे नहीं लगता है कि टुंडा पुलिस के बिछाए जाल में फंसा है, मेरा तो मानना है कि पुलिस इसके जाल में फंसी है। अंदर की बात बताऊं ? टुंडा की जो तस्वीर पुलिस के रिकार्ड में है, उस तस्वीर से तो पुलिस सात जन्म में भी टुंडा को तलाश नहीं सकती थी। हो सकता है कि ये बात गलत हो, पर मेरा तो यही मानना है कि टुंडा ने खुद ही पुलिस को अपनी पहचान बताई है। आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैं क्या कहता जा रहा हूं। भला टुंडा क्यों पुलिस के हत्थे चढ़ेगा ? उसे मरना है क्या कि वो दिल्ली पुलिस के पास आएगा ? हां मुझे तो यही लगता है कि वो बिल्कुल आएगा, क्योंकि इसकी ठोस वजह भी है। दरअसल टुंडा अब बूढा हो गया है और इस उम्र में वो पुलिस के साथ आंखमिचौनी नहीं खेल सकता। ऐसे मे हो सकता है कि आतंकवादी गैंग से ये रिटायर हो गया हो। साथियों ने उसे सलाह दी हो कि अब तुम्हे आराम की जरूरत है।

किसी आतंकवादी को आराम की जरूरत हो तो उसके लिए भारत की जेल से बढिया जगह भला कहां मिल सकती है। मुझे तो लगता है कि वो यहां पूरी तरह आराम करने के मूड में ही आया है। यही वजह है कि वो किसी भी मामले में अपना बचाव नहीं कर रहा है। आतंकवाद से जुड़ी जिस घटना के बारे में भी पुलिस उससे पूछताछ करती है, वो सभी अपने को शामिल बताता है। इतना ही देश के दूसरे राज्यों में भी हुई आतंकी घटनाओं में भी वो अपने को शामिल बताने से पीछे नहीं हटता। हालत ये है कि दिल्ली पुलिस से उसकी पूछताछ पूरी होगी, फिर उसे एक एक कर दूसरे राज्य की पुलिस रिमांड पर लेकर अपने यहां ले जाएगी। ऐसे में टुंडे का पर्यटन भी होता रहेगा। टुंडा को इस बात का दुख होगा कि पर्यटक स्थलों के लिए प्रसिद्ध राज्य की पुलिस अपने यहां की आतंकी वारदात में उसका नाम शामिल क्यों नहीं कर रही है ? केरल, जम्मू कश्मीर, पोर्ट ब्लेयर, सिक्किम और मिजोरम, मेघालय में भी कुछ मामले निकल आएं तो टुंडा की चांदी हो जाए । घूमने फिरने का टुंडा वैसे भी शौकीन है, अब सरकारी खर्चे पर उसे ये सुविधा मिलेगी, तो भला उसे क्या दिक्कत है।

70 साल का ये बूढा आतंकी अपने को खुंखार साबित करने का कोई मौका नहीं चूक रहा है। कह रहा है कि जब वो स्कूल में पढ़ रहा था, तब वह एक चूरनवाले से बहुत प्रभावित हुआ, क्योंकि चूरनवाला पोटाश, चीनी और तेजाब की मदद से बच्चों को आकर्षित करने के लिए हल्की आतिशबाजी किया करता था। इसी से प्रभावित होकर बम बनाना शुरू किया। वो कहता है कि आसानी से मिलने वाली सामग्री ही वो बम बनाने में इस्तेमाल करता है। मसलन  यूरिया, नाइट्रिक एसिड, पोटैशियम क्लोराइड, नाइट्रोबेंजीन और चीनी की सहायता से बम बनाता था। मुझे तो इसकी बात में झोल नजर आ रहा है। क्योंकि इसने बम बनाने की किसी से ट्रेनिंग नहीं ली, लेकिन ये आतंकवादी गिरोहों का सबसे बड़ा ट्रेनर जरूर बन गया। अपने को बड़ा खिलाड़ी बताने के लिए ये अपना संबंध पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी बता रहा है। दिल्ली के दरियागंज में एक गरीब परिवार में जन्मा टुंडा वैसे तो गाजियाबाद के पिलखुवा में बढ़ईगिरी करता था। बाद में इसने कबाड़ का काम शुरू किया । इसमें भी फेल हो जाने के बाद कुछ समय तक कपड़े का कारोबार में रहा। भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल में जिस तरह ये अपना आना जाना बता  रहा है, उससे तो लगता है कि इन देशों के बीच कोई लोकल ट्रेन चलती है, जिससे ये बिना देरी पहुंच जाता था।

बहरहाल मुझे ना जाने क्यों लग रहा है कि 70 साल की उम्र में टुंडा यहां एक रिटायरमेंट प्लान के तहत आया है। आसानी से समझा जा सकता है कि इतने बूढे आतंकी का खर्च दाउद या फिर पाकिस्तानी क्यों उठाएंगे ? इसलिए टुंडा किसी साजिश के तहत तो यहां नहीं आया है ! ये भी देखा जाना चाहिए । वैसे भी सब जानते  हैं कि देश की पुलिस पद, प्रमोशन और पदक के लिए पागल रहती है। जाहिर है इतने बड़े आतंकी को पकडने वाली पुलिस टीम को पद भी मिलेगा, प्रमोशन भी मिलेगा और पदक भी। इसलिए टुंडा पुलिस की हर बात बिना दबाव के खुद ही मान ले रहा है। उसे ये भी पता है कि  कोर्ट में उसका जितने साल मुकदमा चलेगा, उतनी तो उसकी उम्र भी नहीं बची है। अब टुंडा इतना बड़ा आतंकी है तो उसे कड़ी सुरक्षा में रखा भी जाएगा। टुंडा जानता कि यहां कसाब के रखरखाव पर मुंबई सरकार ने कई सौ करोड रुपये खर्च किए हैं। कसाब को उसकी मन पसंद का खाना मिलता था, अब इस उम्र में टुंडा और क्या चाहिए ? लेकिन टुंडा ने कुछ जल्दबाजी कर दी, अभी पुलिस की पूछताछ चल ही रही है कि उसने पुलिस से लजीज खाने की मांग रखनी शुरू कर दी। एक सलाह दे रहा हूं टुंडा, थोड़ा तसल्ली रखो, जेल में अच्छी सुविधा मिलेगी। अभी अगर बिरयानी वगैरह मांगने लगे तो आगे मुश्किल हो जाएगी।








26 comments:

  1. you are absolutely correct.....tunda is the chief guest of delhi govt.

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  2. जित्ता ज्यादा जघन्यता, जित्ते ज्यादा जंग |
    उत्ती ज्यादा मुर्गियां, उत्ते ज्यादा रंग |
    उत्ते ज्यादा रंग, हुआ मेहमान हमारा |
    होय पुलसिया जीत, नहीं पर टुंडा हारा |
    बदले नहीं प्रवृत्ति, निवृत्ति सेवा से प्यादा |
    मुर्ग मुसल्लम खाय, दगे बम जित्ता ज्यादा ||

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    1. जन्नत में देखो गया, टुंडा कर्म करीम |
      काफिर मारे चार सौ, लड़वा राम-रहीम |
      लड़वा राम-रहीम, मिलेंगे नौकर-चाकर |
      सुख सुविधाएँ ढेर, रखे लाकर में लाकर |
      करिए रविकर मौज, होयगी पूरी मन्नत |
      करवा बम विस्फोट, मिले भारत में जन्नत ||

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  3. बढ़िया विश्लेषण है.

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  4. महेंद्र जी , आपकी एक एक बात से सहमत हूँ क्योंकि मुझे भी ऐसा ही लगता है कि टुंडा यहाँ अपनें रिटायरमेंट प्लान के तहत ही आया है और भारत तो बैठा ही है ऐसे लोगों को घरजमाई बनाकर खातिरदारी करनें के लिए !

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  5. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।। त्वरित टिप्पणियों का ब्लॉग ॥

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  6. महेंद्र जी , आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ,,,

    RECENT POST : सुलझाया नही जाता.

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  7. महेंद्र जी! मुझे भी लगता है की टुंडा पुलिश को उल्लू बनाकार सरकारी दामाद बन्ने आया है.कम्प्लीट सुरक्षित रिटायरमेंट प्लान
    latest post नेताजी फ़िक्र ना करो!
    latest post नेता उवाच !!!

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  8. इन्हें भी भारत के कानून की कमज़ोर रग का पता है.फायदा ये लोग भी उठाने में पीछे क्यूँ रहें.

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  9. किताब का सही पन्ना खोला है आपने ....आपकी बात में दम है ..
    हम महान है और मेह्मानो के कद्रदान भी !:-))

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  10. बहुत संजीदगी से विचार करने की जरूरत है इस बात पर.

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    1. मै जो बात कह रहा हूं बहुत जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं।

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  11. नया जूमला है क्या -- ''आतंकी देवो भव:''

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  12. kasab ke samy police ne jo good will banayee hai usako bhuna raha hai tunda ...

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  13. टुंडा को ब्लागरों के हवाले नहीं किया जा सकता क्या ??

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।