मित्रों क्या भूलूं और क्या याद करूं, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। दरअसल इस पोस्ट को लेकर मैं काफी उलझन में था। मैं समझ ही नहीं पा रहा हूं कि अपनी 200 वीं पोस्ट किस विषय पर लिखूं। वैसे तो आजकल सियासी गतिविधियां काफी तेज हैं, एक बार मन में आया कि क्यों न राजनीति पर ही बात करूं और देश की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी कांग्रेस से पूछूं कि 2014 में आपका प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन है ? फिर मुझे लगा कि इन बेचारों के पास आखिर इसका क्या जवाब होगा ? क्यों मैं इन पर समय बर्बाद करूं। बाद में मेरी नजर तथाकथित तीसरे मोर्चे पर गई, ममता, मायावती, मुलायम और नीतीश कुमार, इनमें से क्या कोई गुल खिला सकता है ? पहले तो लगा कि इस पर लिखा जा सकता है, लेकिन फिर सोचा कि मुलायम पर भला कौन भरोसा कर सकता है ? देखिए ना राष्ट्रपति के चुनाव में ममता को आखिरी समय तक गोली देते रहे, बेचारी कैसे बेआबरू होकर दिल्ली छोड़कर कलकत्ता निकल भागी। ऐसे में थर्ड फ्रंट पर तो किसी तरह की बात करना ही बेमानी है। एक बात और की जा सकती है, आजकल तमाम नेता सस्ते भोजन का ढिंढोरा पीट रहे हैं, कोई 12 रुपये में भोजन करा रहा है, कोई 5 रुपये में, एक नेता तो एक ही रुपये में भरपेट भोजन की बात कर रहे हैं। क्या बताऊं, एक रूपये में तो कुत्ते का बिस्कुट भी नहीं आता। अब नेताओं की तरह मैं तो सस्ते भोजन पर कोई बात नहीं कर सकता।
विषय की तलाश अभी भी खत्म नहीं हुई। मैने सोचा कि देश में एक बड़ा तबका खेल को बहुत पसंद करता है। इसलिए खेल पर ही कुछ बातें करूं। लेकिन आज तो देश में खेल का मतलब सिर्फ क्रिकेट है। बाकी खेल तो हाशिए पर हैं। अब क्रिकेट की आड़ में जो आज जो कुछ भी चल रहा है, ये भी किसी से छिपा नहीं है। मैं तो अभी तक क्रिकेट का मतलब सुनील गावस्कर, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर समझता था, लेकिन अब पता लगा कि मैं गलत हूं। आज क्रिकेट का मतलब है बिंदु दारा सिंह, मयप्पन और राज कुंद्रा। आईपीएल के दौरान टीवी चैनलों पर जितनी चर्चा खेल की नहीं हुई, उससे कहीं ज्यादा चर्चा सट्टेबाजी की हो गई। वैसे बात सिर्फ सट्टेबाजी तक रहती तो हम एक बार मान लेते कि इसमें गलत क्या है, कई देशों में तो सट्टेबाजी को मान्यता है। हमारे देश में भी ऐसा कुछ शुरू हो जाना चाहिए। लेकिन यहां तो क्रिकेट की आड़ में हो रहा ऐसा सच सामने आया कि इस खेल से ही बदबू आने लगी। बताइये खिलाड़ियों को लड़की की सप्लाई की जा रही है, चीयर गर्ल को भाई लोगों ने कालगर्ल बना कर रख दिया। खिलाड़ी मैदान के बदले जेल जा रहे हैं। फिर जिस पर क्रिकेट को बचाए रखने की जिम्मेदारी है, उसी श्रीनिवासन की भूमिका पर उंगली उठ रही है। टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की पत्नी स्टेडियम में उस बिंदु दारा सिंह के साथ मौजूद दिखी, जिस पर गंभीर ही नहीं घटिया किस्म के आरोप लग रहे हैं। अब ऐसे क्रिकेट पर लिख कर मैं तो अपना समय नहीं खराब कर सकता। क्रिकेट आप सब को ही मुबारक !
खेल को खारिज करने के बाद मैने सोचा कि चलो मीडिया पर चर्चा कर लेते हैं। आजकल मीडिया बहुत ज्यादा सुर्खियों में है। हर मामले में अपनी राय जाहिर करती है। फिर कुछ दिन पहले बड़ा भव्य आयोजन भी हुआ है, पत्रकारों को उनके अच्छे काम पर रामनाथ गोयनका अवार्ड से नवाजा गया है। इसलिए मीडिया को लेकर कुछ अच्छी-अच्छी बाते कर ली जाएं। सच बताऊं मुझे तो यहां भी बहुत निराशा हुई। इस अवार्ड में भी ईमानदारी का अभाव दिखाई देने लगा है। मेरा व्यक्तिगत मत है कि ये अवार्ड पत्रकारों को सम्मानित नहीं करता है, बल्कि कुछ बड़े नाम को बेवजह इसमें शामिल कर खुद ये अवार्ड ही सम्मानित होता है। अंदर की बात ये है कि जब बड़े नाम शामिल होते हैं, तभी तो ये खबर टीवी चैनलों पर चलती है। मैं इस बिरादरी से जुड़ा हूं इसलिए ज्यादा टीका टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन मुझे दो बातें जरूर कहनी है। पहला तो मैं ये जानना चाहता हूं कि किस ईमानदार जर्नलिस्ट की पसंद थे सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा। ये विवादित हैं, इनकी ईमानदारी संदिग्ध है, इनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को "तोता" तक कह दिया। रामनाथ गोयनका अवार्ड एक "तोता" बांटेगा और वो "तोता" सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के बराबर खड़ा है। मैने जब इन्हें मंच पर पत्रकारों को पुरस्कार देते हुए देखा तो सच में मन बहुत खिन्न हुआ। एक बात और जो मुझे ठीक नहीं लगी। मैं एनडीटीवी के रवीश कुमार का प्रशंसक हूं, लेकिन मैं प्रशंसक उनकी रिपोर्टिंग के लिए बल्कि उनके प्राइम टाइम एंकरिंग के लिए हूं। दिल्ली की एक बस्ती खोड़ा की दिक्कतों पर स्टोरी करने के लिए उन्हें ये अवार्ड दिया गया। मुझे लगता है कि एनडीटीवी में ही एक कम उम्र का रिपोर्टर है, उसने दिल्ली की तमाम कालोनियों की मुश्किलों को और बेहतर तरीके से जनता तक पहुंचाया है। अब देखिए मैं तो जर्नलिस्ट हूं, जब मुझे ही इस रिपोर्टर का नाम नहीं मालूम है तो भला रामनाथ गोयनका अवार्ड देने वालों को ये नाम कैसे याद हो सकता है। ये हाल देख मैने मीडिया से भी किनारा कर लिया।
अब सोचा कि बात नहीं बन रही है तो चलो सामयिक विषय पर एक चार लाइन की कविता लिखते हैं, वैसे भी 200 वीं पोस्ट को भला कौन गंभीरता से पढ़ता है। सब पहली लाइन पढ़ कर 200 वीं पोस्ट की बधाई देकर निकल जाते हैं। अच्छा है कि चार छह लाइन की अच्छी सी कविता लिख दी जाए। लेकिन जब भी बात कविता की होती है, मेरे रोंगटे खडे हो जाते हैं। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या है कि कविता पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्यों ना खड़े हों, अब ब्लाग पर कविता ही ऐसी लिखी जा रही है। आलू, बैगन, टमाटर, गाजर, मूली, खीरा, तरबूज, गर्मी, ठंड, बरसात, लू जब कविता का विषय हो तो आसानी से समझा जा सकता है कि कविता कितने निचले पायदान तक पहुंच गई है। कुछ लोगों ने बहुत कोशिश की तो कविता की आड़ में आत्मकथा परोस दी। ब्लाग पर प्यार पर बहुत सारी कविताएं मिलती हैं, लेकिन ज्यादातर कविताओं में प्यार से जुड़े शब्दों की तो भरमार होती है, लेकिन कविता में वो अहसास नहीं होता, जो जरूरी है।
इन्हीं उलझनों के बीच मेरी निगाह काठमांडू गई। मैंने सोचा चलो 200 वीं पोस्ट अपने ब्लागर मित्रों को समर्पित करते हैं और उन्हें बेवजह ठगे जाने से बचने के लिए पहले ही आगाह कर देते हैं। क्योंकि यहां कुछ लोग एक बार फिर बेचारे सीधे-साधे ब्लागरों को सम्मान देने के नाम पर उनका बाजा बजा रहे हैं। हालाकि जैसे ही मैं इनके चेहरे से नकाब उतारूंगा, ये गाली गलौज पर उतारू हो जाएंगे, ये सब मुझे पता है। लेकिन अगर सच जानने के बाद एक भी ब्लागर ठगे जाने से बचता है तो मैं समझूंगा कि मेरी कोशिश कामयाब रही। आपको पता ही है कि एक गिरोह जो अपने सम्मान का कद बढाने के लिए इस बार उसका आयोजन देश से बाहर कर रहा है। अब क्या कहा जाए! इन्हें लगता है कि सम्मान समारोह देश के बाहर हो तो इसका दर्जा अंतर्राष्ट्रीय हो जाता है। हाहाहाहाहाह....। इस सम्मान की कुछ शर्तें है, सम्मान उन्हें मिलेगा जो वहां जाएंगे, वहां वही लोग जा पाएंगे जो पहले अपना पंजीकरण कराएंगे, पंजीकरण वही करा पायेगा जिसके पास 4100 रुपये होगा। सम्मानित होने वालों को कुछ और जरूरी सूचनाएं पहले ही दे दी गई हैं। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण ये कि एक कमरे में तीन लोगों को रहना होगा। इसके अलावा आधा दिन उन्हें नान एसी बस से काठमांडू की सैर कराई जाएगी, लेकिन यहां प्रवेश शुल्क सम्मानित होने वालों को खुद देना होगा।
पता नहीं आप जानते है या नहीं भारत का सौ रुपया नेपाल में लगभग 160 रुपये के बराबर होता है। हो सकता है कि पैसे वाले ब्लागर चाहें कि वो आलीशान होटल में रहें, वो क्यों तीन लोगों के साथ रुम शेयर करेंगे। पैसे से कमजोर ब्लागर किफायती होटल में रहना चाहेगा। मेरा एक सवाल है कि जब लोग अपने मनमाफिक साधन से नेपाल तक का सफर कर सकते हैं, तो उनके रुकने का ठेका आयोजक क्यों ले रहे हैं ? अब देखिए कुछ लोग वहां हवाई जहाज से पहुंच रहे होंगे, कुछ बेचारे ट्रेन से गोरखपुर जाकर वहां से बार्डर क्रास कर सकते हैं, उत्तराखंड वाले बनबसा से बस में सफर कर सकते हैं। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि ये ब्लागर सम्मेलन है या किसी कंपनी के एजेंट का सम्मेलन है ? कोई जरूरी नहीं है कि सभी ब्लागर 4100 रुपये पंजीकरण शुल्क दे सकते हों, ब्लाग लिखने के लिए नौकरी करना जरूरी नहीं है। बहुत सारे स्टूडेंट भी ब्लागर हैं। वो भारी भरकम पंजीकरण शुल्क नहीं दे सकते। फिर आने जाने के अलावा दो तीन हजार रूपये जेब खर्च भी जरूरी है। ऐसे में जिसकी जितनी लंबी चादर है वो उतना ही पैर फैलाएगा ना। ऐसे में भला इसे ब्लागर सम्मान समारोह कैसे कहा जा सकता है ?
हास्यास्पद तो ये है कि बेचारे सम्मानित होने वालों की सूची एक साथ जारी नहीं कर सकते। वजह जानते हैं, जिनका पंजीकरण शुल्क नहीं आया है, उनके नाम पर विचार कैसे किया जा सकता है? अभी पंजीकरण 13 अगस्त तक खुला हुआ है, मतलब सम्मानित होने वालों के नाम का ऐलान तब तक तो चलता ही रहेगा। मैं देख रहा था कि जो नाम जारी हुए हैं, ये वो नाम हैं जो मई में ही सम्मान समारोह में जाने का कन्फर्म कर शुल्क भी जमा कर चुके थे, इसलिए सम्मान की सूची में उनके नाम आने लगे हैं। वैसे सम्मान की सूची वहां जब जारी होगी तब देखा जाएगा, लेकिन कुछ नाम तो मुझे भी पता है जिनका नाम जल्दी ही जारी होने वाला है। हां अगर आपको भी नाम जानना है तो उस पोस्ट पर चले जाएं, जहां बताया गया था कि इन-इन ब्लागरों ने आना कन्फर्म कर दिया है, जिनके नाम कन्फर्म समझ लो सम्मान तय है। क्योंकि एक्को ठो ऐसा ब्लागर नहीं मिलेगा जिसको सम्मान ना मिल रहा हो, फिर भी ऊ काठमाडू जा रहा हो।
अब देखिए, जो ब्लागर देर से पंजीकरण करा रहे हैं वो बेचारे तो बड़े वाले सम्मान से चूक गए ना, जिसमें कुछ रकम भी मिलनी है। लेकिन है सब घपला। ध्यान देने वाली बात ये है कि सम्मान कार्यक्रम में बाकी सब बता दिया, ये किसी को नहीं मालूम कि निर्णायक मंडल में कौन कौन है ? अच्छा निर्णायक मंडल के पास ब्लाग का नाम भेजा गया है, ब्लागर का नाम भेजा गया है या फिर ब्लागर का लेख, कहानी, कविता क्या भेजी गई है, जिस पर अदृश्य निर्णायक मंडल निर्णय ले रहा है। ये तो आप जानते हैं कि कोई निर्णायक मंडल पूरा ब्लाग तो देखने से रहा। अगर उनके पास रचनाएं भेजी गईं है, तो सवाल उठता है कि ये रचनाएं ब्लागरों से आमंत्रित किए बगैर कैसे भेजी जा सकती है। दरअसल इन सब के खेल को समझ पाना बड़ा मुश्किल है। अच्छा हिंदी वाले तो ज्यादातर लोग समझ गए हैं इनकी चाल को, तो अब इसका दायरा बढ़ाना था। इसलिए कह रहे हैं कि इस बार भोजपुरी, मैथिल और अवधी को भी सम्मान दिया जाएगा। लग रहा है कुछ नए ब्लागर और फस गए हैं। वैसे इनकी नजर में नेपाली भाषा भी क्षेत्रीय भाषा है, इसमें भी सम्मान की संभावना है।
खैर छोड़िए, जिसकी जैसे चले, चलती रहनी चाहिए। इतनी बातें लिखने का मकसद सिर्फ ये है कि आप सब कोई मूर्ख थोड़े हैं, सजग रहिए। आप ब्लागर है, पढे लिखे लोग है। आपको अपनी बौद्धिक हैसियत नहीं पता है ? अब तक सम्मान के लिए कुछ नाम जो सामने आए है, दो एक लोगों को छोड़ दीजिए, बाकी लोग दिल पर हाथ रख कर सोचें कि क्या उनकी लिखावट में इतनी निखार है कि वो सम्मान के हकदार हैं। नेपाल जाना है, बिल्कुल जाइए, लेकिन इस फर्जीवाड़े के लिए नहीं, बच्चों को साथ लेकर बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन कीजिए, हो सकता है कि उनके आशीर्वाद से लेखनी में और निखार आ जाए। हैराऩी इस बात पर भी हो रही है कि कुछ ब्लागर मित्र जो पिछले सम्मान के दौरान मुझे इसकी खामियां गिनाते नहीं थकते थे और आयोजकों को गाली दे रहे थे वो आज उनके सबसे बड़े प्रशंसक हैं। चलिए आज बस इतना ही इस मामले में तो आगे भी आपसे बातें होती रहेंगी।
विषय की तलाश अभी भी खत्म नहीं हुई। मैने सोचा कि देश में एक बड़ा तबका खेल को बहुत पसंद करता है। इसलिए खेल पर ही कुछ बातें करूं। लेकिन आज तो देश में खेल का मतलब सिर्फ क्रिकेट है। बाकी खेल तो हाशिए पर हैं। अब क्रिकेट की आड़ में जो आज जो कुछ भी चल रहा है, ये भी किसी से छिपा नहीं है। मैं तो अभी तक क्रिकेट का मतलब सुनील गावस्कर, कपिल देव, सचिन तेंदुलकर समझता था, लेकिन अब पता लगा कि मैं गलत हूं। आज क्रिकेट का मतलब है बिंदु दारा सिंह, मयप्पन और राज कुंद्रा। आईपीएल के दौरान टीवी चैनलों पर जितनी चर्चा खेल की नहीं हुई, उससे कहीं ज्यादा चर्चा सट्टेबाजी की हो गई। वैसे बात सिर्फ सट्टेबाजी तक रहती तो हम एक बार मान लेते कि इसमें गलत क्या है, कई देशों में तो सट्टेबाजी को मान्यता है। हमारे देश में भी ऐसा कुछ शुरू हो जाना चाहिए। लेकिन यहां तो क्रिकेट की आड़ में हो रहा ऐसा सच सामने आया कि इस खेल से ही बदबू आने लगी। बताइये खिलाड़ियों को लड़की की सप्लाई की जा रही है, चीयर गर्ल को भाई लोगों ने कालगर्ल बना कर रख दिया। खिलाड़ी मैदान के बदले जेल जा रहे हैं। फिर जिस पर क्रिकेट को बचाए रखने की जिम्मेदारी है, उसी श्रीनिवासन की भूमिका पर उंगली उठ रही है। टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की पत्नी स्टेडियम में उस बिंदु दारा सिंह के साथ मौजूद दिखी, जिस पर गंभीर ही नहीं घटिया किस्म के आरोप लग रहे हैं। अब ऐसे क्रिकेट पर लिख कर मैं तो अपना समय नहीं खराब कर सकता। क्रिकेट आप सब को ही मुबारक !
खेल को खारिज करने के बाद मैने सोचा कि चलो मीडिया पर चर्चा कर लेते हैं। आजकल मीडिया बहुत ज्यादा सुर्खियों में है। हर मामले में अपनी राय जाहिर करती है। फिर कुछ दिन पहले बड़ा भव्य आयोजन भी हुआ है, पत्रकारों को उनके अच्छे काम पर रामनाथ गोयनका अवार्ड से नवाजा गया है। इसलिए मीडिया को लेकर कुछ अच्छी-अच्छी बाते कर ली जाएं। सच बताऊं मुझे तो यहां भी बहुत निराशा हुई। इस अवार्ड में भी ईमानदारी का अभाव दिखाई देने लगा है। मेरा व्यक्तिगत मत है कि ये अवार्ड पत्रकारों को सम्मानित नहीं करता है, बल्कि कुछ बड़े नाम को बेवजह इसमें शामिल कर खुद ये अवार्ड ही सम्मानित होता है। अंदर की बात ये है कि जब बड़े नाम शामिल होते हैं, तभी तो ये खबर टीवी चैनलों पर चलती है। मैं इस बिरादरी से जुड़ा हूं इसलिए ज्यादा टीका टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन मुझे दो बातें जरूर कहनी है। पहला तो मैं ये जानना चाहता हूं कि किस ईमानदार जर्नलिस्ट की पसंद थे सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा। ये विवादित हैं, इनकी ईमानदारी संदिग्ध है, इनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को "तोता" तक कह दिया। रामनाथ गोयनका अवार्ड एक "तोता" बांटेगा और वो "तोता" सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के बराबर खड़ा है। मैने जब इन्हें मंच पर पत्रकारों को पुरस्कार देते हुए देखा तो सच में मन बहुत खिन्न हुआ। एक बात और जो मुझे ठीक नहीं लगी। मैं एनडीटीवी के रवीश कुमार का प्रशंसक हूं, लेकिन मैं प्रशंसक उनकी रिपोर्टिंग के लिए बल्कि उनके प्राइम टाइम एंकरिंग के लिए हूं। दिल्ली की एक बस्ती खोड़ा की दिक्कतों पर स्टोरी करने के लिए उन्हें ये अवार्ड दिया गया। मुझे लगता है कि एनडीटीवी में ही एक कम उम्र का रिपोर्टर है, उसने दिल्ली की तमाम कालोनियों की मुश्किलों को और बेहतर तरीके से जनता तक पहुंचाया है। अब देखिए मैं तो जर्नलिस्ट हूं, जब मुझे ही इस रिपोर्टर का नाम नहीं मालूम है तो भला रामनाथ गोयनका अवार्ड देने वालों को ये नाम कैसे याद हो सकता है। ये हाल देख मैने मीडिया से भी किनारा कर लिया।
अब सोचा कि बात नहीं बन रही है तो चलो सामयिक विषय पर एक चार लाइन की कविता लिखते हैं, वैसे भी 200 वीं पोस्ट को भला कौन गंभीरता से पढ़ता है। सब पहली लाइन पढ़ कर 200 वीं पोस्ट की बधाई देकर निकल जाते हैं। अच्छा है कि चार छह लाइन की अच्छी सी कविता लिख दी जाए। लेकिन जब भी बात कविता की होती है, मेरे रोंगटे खडे हो जाते हैं। आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्या है कि कविता पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। क्यों ना खड़े हों, अब ब्लाग पर कविता ही ऐसी लिखी जा रही है। आलू, बैगन, टमाटर, गाजर, मूली, खीरा, तरबूज, गर्मी, ठंड, बरसात, लू जब कविता का विषय हो तो आसानी से समझा जा सकता है कि कविता कितने निचले पायदान तक पहुंच गई है। कुछ लोगों ने बहुत कोशिश की तो कविता की आड़ में आत्मकथा परोस दी। ब्लाग पर प्यार पर बहुत सारी कविताएं मिलती हैं, लेकिन ज्यादातर कविताओं में प्यार से जुड़े शब्दों की तो भरमार होती है, लेकिन कविता में वो अहसास नहीं होता, जो जरूरी है।
इन्हीं उलझनों के बीच मेरी निगाह काठमांडू गई। मैंने सोचा चलो 200 वीं पोस्ट अपने ब्लागर मित्रों को समर्पित करते हैं और उन्हें बेवजह ठगे जाने से बचने के लिए पहले ही आगाह कर देते हैं। क्योंकि यहां कुछ लोग एक बार फिर बेचारे सीधे-साधे ब्लागरों को सम्मान देने के नाम पर उनका बाजा बजा रहे हैं। हालाकि जैसे ही मैं इनके चेहरे से नकाब उतारूंगा, ये गाली गलौज पर उतारू हो जाएंगे, ये सब मुझे पता है। लेकिन अगर सच जानने के बाद एक भी ब्लागर ठगे जाने से बचता है तो मैं समझूंगा कि मेरी कोशिश कामयाब रही। आपको पता ही है कि एक गिरोह जो अपने सम्मान का कद बढाने के लिए इस बार उसका आयोजन देश से बाहर कर रहा है। अब क्या कहा जाए! इन्हें लगता है कि सम्मान समारोह देश के बाहर हो तो इसका दर्जा अंतर्राष्ट्रीय हो जाता है। हाहाहाहाहाह....। इस सम्मान की कुछ शर्तें है, सम्मान उन्हें मिलेगा जो वहां जाएंगे, वहां वही लोग जा पाएंगे जो पहले अपना पंजीकरण कराएंगे, पंजीकरण वही करा पायेगा जिसके पास 4100 रुपये होगा। सम्मानित होने वालों को कुछ और जरूरी सूचनाएं पहले ही दे दी गई हैं। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण ये कि एक कमरे में तीन लोगों को रहना होगा। इसके अलावा आधा दिन उन्हें नान एसी बस से काठमांडू की सैर कराई जाएगी, लेकिन यहां प्रवेश शुल्क सम्मानित होने वालों को खुद देना होगा।
पता नहीं आप जानते है या नहीं भारत का सौ रुपया नेपाल में लगभग 160 रुपये के बराबर होता है। हो सकता है कि पैसे वाले ब्लागर चाहें कि वो आलीशान होटल में रहें, वो क्यों तीन लोगों के साथ रुम शेयर करेंगे। पैसे से कमजोर ब्लागर किफायती होटल में रहना चाहेगा। मेरा एक सवाल है कि जब लोग अपने मनमाफिक साधन से नेपाल तक का सफर कर सकते हैं, तो उनके रुकने का ठेका आयोजक क्यों ले रहे हैं ? अब देखिए कुछ लोग वहां हवाई जहाज से पहुंच रहे होंगे, कुछ बेचारे ट्रेन से गोरखपुर जाकर वहां से बार्डर क्रास कर सकते हैं, उत्तराखंड वाले बनबसा से बस में सफर कर सकते हैं। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि ये ब्लागर सम्मेलन है या किसी कंपनी के एजेंट का सम्मेलन है ? कोई जरूरी नहीं है कि सभी ब्लागर 4100 रुपये पंजीकरण शुल्क दे सकते हों, ब्लाग लिखने के लिए नौकरी करना जरूरी नहीं है। बहुत सारे स्टूडेंट भी ब्लागर हैं। वो भारी भरकम पंजीकरण शुल्क नहीं दे सकते। फिर आने जाने के अलावा दो तीन हजार रूपये जेब खर्च भी जरूरी है। ऐसे में जिसकी जितनी लंबी चादर है वो उतना ही पैर फैलाएगा ना। ऐसे में भला इसे ब्लागर सम्मान समारोह कैसे कहा जा सकता है ?
हास्यास्पद तो ये है कि बेचारे सम्मानित होने वालों की सूची एक साथ जारी नहीं कर सकते। वजह जानते हैं, जिनका पंजीकरण शुल्क नहीं आया है, उनके नाम पर विचार कैसे किया जा सकता है? अभी पंजीकरण 13 अगस्त तक खुला हुआ है, मतलब सम्मानित होने वालों के नाम का ऐलान तब तक तो चलता ही रहेगा। मैं देख रहा था कि जो नाम जारी हुए हैं, ये वो नाम हैं जो मई में ही सम्मान समारोह में जाने का कन्फर्म कर शुल्क भी जमा कर चुके थे, इसलिए सम्मान की सूची में उनके नाम आने लगे हैं। वैसे सम्मान की सूची वहां जब जारी होगी तब देखा जाएगा, लेकिन कुछ नाम तो मुझे भी पता है जिनका नाम जल्दी ही जारी होने वाला है। हां अगर आपको भी नाम जानना है तो उस पोस्ट पर चले जाएं, जहां बताया गया था कि इन-इन ब्लागरों ने आना कन्फर्म कर दिया है, जिनके नाम कन्फर्म समझ लो सम्मान तय है। क्योंकि एक्को ठो ऐसा ब्लागर नहीं मिलेगा जिसको सम्मान ना मिल रहा हो, फिर भी ऊ काठमाडू जा रहा हो।
अब देखिए, जो ब्लागर देर से पंजीकरण करा रहे हैं वो बेचारे तो बड़े वाले सम्मान से चूक गए ना, जिसमें कुछ रकम भी मिलनी है। लेकिन है सब घपला। ध्यान देने वाली बात ये है कि सम्मान कार्यक्रम में बाकी सब बता दिया, ये किसी को नहीं मालूम कि निर्णायक मंडल में कौन कौन है ? अच्छा निर्णायक मंडल के पास ब्लाग का नाम भेजा गया है, ब्लागर का नाम भेजा गया है या फिर ब्लागर का लेख, कहानी, कविता क्या भेजी गई है, जिस पर अदृश्य निर्णायक मंडल निर्णय ले रहा है। ये तो आप जानते हैं कि कोई निर्णायक मंडल पूरा ब्लाग तो देखने से रहा। अगर उनके पास रचनाएं भेजी गईं है, तो सवाल उठता है कि ये रचनाएं ब्लागरों से आमंत्रित किए बगैर कैसे भेजी जा सकती है। दरअसल इन सब के खेल को समझ पाना बड़ा मुश्किल है। अच्छा हिंदी वाले तो ज्यादातर लोग समझ गए हैं इनकी चाल को, तो अब इसका दायरा बढ़ाना था। इसलिए कह रहे हैं कि इस बार भोजपुरी, मैथिल और अवधी को भी सम्मान दिया जाएगा। लग रहा है कुछ नए ब्लागर और फस गए हैं। वैसे इनकी नजर में नेपाली भाषा भी क्षेत्रीय भाषा है, इसमें भी सम्मान की संभावना है।
खैर छोड़िए, जिसकी जैसे चले, चलती रहनी चाहिए। इतनी बातें लिखने का मकसद सिर्फ ये है कि आप सब कोई मूर्ख थोड़े हैं, सजग रहिए। आप ब्लागर है, पढे लिखे लोग है। आपको अपनी बौद्धिक हैसियत नहीं पता है ? अब तक सम्मान के लिए कुछ नाम जो सामने आए है, दो एक लोगों को छोड़ दीजिए, बाकी लोग दिल पर हाथ रख कर सोचें कि क्या उनकी लिखावट में इतनी निखार है कि वो सम्मान के हकदार हैं। नेपाल जाना है, बिल्कुल जाइए, लेकिन इस फर्जीवाड़े के लिए नहीं, बच्चों को साथ लेकर बाबा पशुपतिनाथ के दर्शन कीजिए, हो सकता है कि उनके आशीर्वाद से लेखनी में और निखार आ जाए। हैराऩी इस बात पर भी हो रही है कि कुछ ब्लागर मित्र जो पिछले सम्मान के दौरान मुझे इसकी खामियां गिनाते नहीं थकते थे और आयोजकों को गाली दे रहे थे वो आज उनके सबसे बड़े प्रशंसक हैं। चलिए आज बस इतना ही इस मामले में तो आगे भी आपसे बातें होती रहेंगी।
२००-मुबारक
ReplyDeleteमजा लीजिये पोस्ट का, परिकल्पना बिसार |
शुद्ध मुबारकवाद लें, दो सौ की सौ बार |
दो सौ की सौ बार, मुलायम माया ममता |
है मकार मक्कार, नहीं आपस में जमता |
दिग्गी दादा चंट, इन्हें ही टंच कीजिये |
होवें पन्त-प्रधान, और फिर मजा लीजिये ||
बहुत बहुत आभार
Deleteशुक्रिया
सब जगह गडबडझाला ही चल रहा है !
ReplyDeleteआप भी सही कह रहे हैं,
Deleteलेकिन इसे मिनिमाइज तो किया जा सकता है ना..
बढ़िया विवेचना है ...
ReplyDeleteमैं परिकल्पना व्यवस्थापकों को दोष नहीं देता क्योंकि वे कुछ चहल पहल बनाए रखने में कामयाब हैं ! ब्लोगर कम्यूनिटी में ईनाम का लालच साफ़ नज़र आता है और शायद इसी कारण, इन्हें गंभीरता से नहीं लिया जाता !
घूमने का शौक और वह भी साहित्य सेवा के लिए ट्रोफी के साथ , सौदा बुरा नहीं है !
चूंकि बहुतायत इन्हीं लोगों की है अतः यह चलता रहे क्या हर्ज़ है ..
आभार आपका !
सतीश जी, बहुत बहुत आभार..
Deleteजी अगर ये सौदा है, तब कोई बात नहीं।
मै सम्मान समझ रहा था।
अरे बाप रे..खैर छोड़िए २००वी पोस्ट की आप को बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteजी, आपका बहुत बहुत आभार
Deleteमहेंद्र जी ...आपकी इसी बेबाक लेखनी के हम शुरू से कायल है ....आगे आगे देखते हैं होता है क्या ??? आप राजनीति,मीडिया,सरकार या ब्लॉग ...कोई भी हो किसी को नहीं छोड़ते ...दिल खुश हो जाता है आपकी हर पोस्ट को पढ़ कर ||
ReplyDeleteब्लॉग की २०० पोस्ट की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
गलत को गलत न कहना माना जाता है कि आप गलत के साथ हैं...
Deleteआपका आभार
बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteगल्ती किसी की नहीं ..आज के लोगों के सोंच की है ... पैसों के बिना कोई काम नहीं हो सकता.. रहीम के दोहे को इस तरह पढा जा सकता है .....
ReplyDeleteरहिमन पैसा राखिये, बिन पैसे सब सून।
पैसे दिए न दिखाई दे ,बुद्धि ,बल या गुण।।
बस यही मैं भी कह रहा हूं कि यहां भी सबसे बड़ा पैसा ही है ना..
Deleteबहुत बहुत आभार
सर्वप्रथम आपकी 200 वी पोस्ट की बहुत बहुत बधाई। मै तो शुरू से ही आपकी लेखनी का प्रशंसक रहा हू। आज ब्लॉग की बात आपने कही तो बहुत कुछ याद आ गया। ब्लॉग का मजा कुछ और ही है। पर मेरे लिए अब था हो गया है। फेसबुक के चक्कर मे ब्लॉग से दूर हो गया था। लेकिन अब लौटना है वापस। खैर ऐसे सम्मान/पुरस्कार समारोह दिखावा है। कौन अच्छा है कौन नहीं यही फैसला चंद लोग ले लेते है। यह भी हो सकता है की कुछ ब्लॉगर ऐसे हो जिन बेचारों का वेतन ही 4100 हो। और वे अच्छा लिखते भी हो पर जाएंगे कैसे।
ReplyDeleteखैर छोड़िए आपने सिर्फ ब्लॉग और ब्लॉगर की बात नहीं लिखी बल्कि अपनी इस 200 वी पोस्ट मे खेल राजनीति सभी को अच्छी तरह धोया है। और लगातार इसी तरह धोते रहे। शुभकामना।
सर्वप्रथम आपकी 200 वी पोस्ट की बहुत बहुत बधाई। मै तो शुरू से ही आपकी लेखनी का प्रशंसक रहा हू। आज ब्लॉग की बात आपने कही तो बहुत कुछ याद आ गया। ब्लॉग का मजा कुछ और ही है। पर मेरे लिए अब था हो गया है। फेसबुक के चक्कर मे ब्लॉग से दूर हो गया था। लेकिन अब लौटना है वापस। खैर ऐसे सम्मान/पुरस्कार समारोह दिखावा है। कौन अच्छा है कौन नहीं यही फैसला चंद लोग ले लेते है। यह भी हो सकता है की कुछ ब्लॉगर ऐसे हो जिन बेचारों का वेतन ही 4100 हो। और वे अच्छा लिखते भी हो पर जाएंगे कैसे।
ReplyDeleteखैर छोड़िए आपने सिर्फ ब्लॉग और ब्लॉगर की बात नहीं लिखी बल्कि अपनी इस 200 वी पोस्ट मे खेल राजनीति सभी को अच्छी तरह धोया है। और लगातार इसी तरह धोते रहे। शुभकामना।
शुक्रिया हरीश जी
Deleteसवाल ही ये है कि ब्लागर पढ़े लिखे हैं वो क्यों ऐसे दिखावे के चक्कर में फंसते है..
बहुत खूब बेबाक लेखनी ,,,
ReplyDeleteRECENT POST: तेरी याद आ गई ...
आभार....
Delete200 वीं पोस्ट की शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteमहेंद्र जी ,सबसे पहले २०० वां पोस्ट की बधाई स्वीकार करें.एक पत्रकार होने के नाते जो प्रखरता आपकी लेखनी में होनी चाहिए ,वो है और मैं उसका कायल हूँ..जहांतक अवार्ड की बात है .आपने सही कहा है की इसमें निर्णायकों के नाम का पता नहीं है ,किसको कौन से रचनाओं के आधार पर अवार्ड दिया गया ,रचनाओं को चुनने का आधार क्या है ,कुछ भी किसी को पता नहीं.जागरूक व्यक्ति को यह एक व्यवसायी कार्य लगता है और व्यवसायिक कार्य का उद्द्येश्य सबको विदित है. .
ReplyDeletelatest post हमारे नेताजी
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महेंद्र जी ,सबसे पहले २०० वां पोस्ट की बधाई स्वीकार करें.एक पत्रकार होने के नाते जो प्रखरता आपकी लेखनी में होनी चाहिए ,वो है और मैं उसका कायल हूँ..जहांतक अवार्ड की बात है .आपने सही कहा है की इसमें निर्णायकों के नाम का पता नहीं है ,किसको कौन से रचनाओं के आधार पर अवार्ड दिया गया ,रचनाओं को चुनने का आधार क्या है ,कुछ भी किसी को पता नहीं.जागरूक व्यक्ति को यह एक व्यवसायी कार्य लगता है और व्यवसायिक कार्य का उद्द्येश्य सबको विदित है. .
ReplyDeletelatest post हमारे नेताजी
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
बहुत बहुत आभार..
Deleteमेरी बात आपको आपने सही संदर्भों में लिया है। मेरी शिकायत ही ये है।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ५ रुपये मे भरने का तो पता नहीं खाली हो जाता है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया...
Deleteप्रिय ब्लागर मित्रों !
ReplyDeleteकुछ समय ऐसे होते हैं जब आपको कड़ा फैसला लेना होता है। आपको तय करना होता है कि आप सच के साथ हैं या झूठ से डरकर मुंह बंद किए हुए हैं। मैने ये लेख शाम लगभग सवा छह बजे पोस्ट किया है। मुझे तमाम ब्लागर साथी एसएमएस और फोन कर मेरे लेख और मेरी हिम्मत की सराहना कर रहे हैं।
मित्रों आपसे विनम्र अनुरोध करना चाहता हूं कि यहां हिम्मत जैसी आखिर क्या बात है, पढे लिखों का मंच है, यहां कोई कुश्ती का दंगल तो है नहीं कि मैं किसी दारा सिंह से टकरा रहा हूं। अगर यहां आप अपने ब्लाग पर भी ईमानदार नहीं हो सकते तो फिर तो ब्लागिंग बंद कर दीजिए।
मैं कोई चुनाव भी नहीं लड़ रहा हूं कि आपके समर्थन से मेरी कोई सरकार बन जाएगी या आपके साथ ना रहने से मेरी सरकार गिरने वाली है। मैं जर्नलिस्ट होने के बाद भी बड़े-बड़े पत्रकारों की गलत बात को खुल कर कहता हूं। सच कहूं सच्चाई और ईमानदारी में बहुत ताकत है।
प्लीज अगर आपको भी लगता है कि उठाए गए मुद्दे आपकी मन की आवाज है तो यहीं पर अपनी बात कीजिए, इससे शायद गंदगी दूर हो सके। सम्मान को व्यवसाय मत बनने दीजिए। और अगर यहां नहीं कह पा रहे हैं, तो मुझे एसएमएस करके क्यों अपने 50 पैसे खराब कर रहे हैं। प्लीज
200वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई।। सदा ऐसे ही आगे बढ़ते रहें :)
ReplyDeleteनये लेख : प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक : डॉ . सलीम अली
जन्म दिवस : मुकेश
शुक्रिया
Delete२०० वीं पोस्ट की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें स्वीकार करें ... :)
ReplyDelete२०० वीं पोस्ट का विषय आपने बिलकुल सटीक चुना ... जब ब्लॉग की २०० वीं पोस्ट का जश्न हो तो बात फिर भला ब्लॉगिंग की कैसे न हो ... और बात की खास बात यह होती है कि जब बात निकलती है तो फिर दूर तलक जाती है ... ;)
बात बात मे अपनी बात कहने का यह सफर चलाये रहिए ... एक बार फिर हार्दिक शुभकामनायें !
शुक्रिया भाई
Deleteफिर शुक्रिया भाई
मुझे लगता है ये गंदगी तब तक खत्म नहीं होगी जब तक ब्लागर जागरूक नहीं होगें। पढे लिखे होने के बाद भी जाहिलों जैसी हरकत क्यों करते हैं।
२००वी पोस्ट की आप को बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार ..
Delete२०० वी पोस्ट के लिएय बधाई.
ReplyDeleteआप के बेबाक लेखन और स्पष्टवादिता के कायल शुरू से ही हैं.
हमारे समाज में 'सब चलता है' की धुन पर हर कोई मस्त है.कौन इस झगड़े में पड़े या हमें क्या लेना- देना //के सिद्धांत अक्सर लोग अपनाते हुए सच्चाई से आँखें मूंदे रहते हैं..
लेखन की गुणवत्ता/अदृश्य निर्णायक ...बहुत सही प्रश्न उठाये हैं.
आप ने ब्लोगर सम्मान समारोह के नाम पर हो रहे खेल की सच्चाई से रूबरू करवाया.आशा है , नए और इन सब के सालाना खेल से अनजान ब्लोगर इस झांसे में न फंसे.
अब तक कि हर पोस्ट में एक पत्रकार की ही नहीं एक भारतीय नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी आप ने बखूबी निभाई है इस के लिए एक बार फिर से बधाई...आगे भी ऐसे ही लिखते रहें.शुभकामनाएँ.
आप ने ब्लोगर सम्मान समारोह के नाम पर हो रहे खेल की सच्चाई से रूबरू करवाया.आशा है , नए और इन सब के सालाना खेल से अनजान ब्लोगर इस झांसे में न फंसे....
Deleteमैं आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूं। दिक्कत यही है ब्लागर सब जानता है, लेकिन वो झूठे नाम के चक्कर में इस जाल में फसंता चला जाता है।
बेबाक लेखन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteशुक्रिया वंदना...
Deleteबहुत बढ़िया सर...!
ReplyDelete200वीं पोस्ट की बधाई हो!
उच्चारण पर हमारी भी आज 1800 पोस्ट हो जायेंगी!
आभार सर
Deleteआपको भी 1800 पोस्ट की ढेर सारी शुभकामनाएं..
कल मोबाइल पर ही आपकी पोस्ट पढ़ी और उसी से टिप्पणी भी कर दी। लेकिन टिप्पणी यहां पोस्ट नहीं हुई। साहित्य जगत में सम्मान का पागलपन चरम पर है। एक सर्टिफिकेट लेने के चक्कर में हम कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। कोई भी संस्था, कहीं भी कार्यक्रम कर सकती है, लेकिन पुरस्कार और सम्मान के लालच में लोगों का वहां जाना पागलपन के सिवाय कुछ नहीं है। जिस व्यक्ति को कोई भी संस्था सम्मानित कर रही है और उसे अपना किराया खर्च करके जाना पड़ रहा है तो फिर काहे का सम्मान है? वैसे भी सम्मान एक या दो हों तभी अच्छे लगते हैं, जितने भी प्रतिभागी आए हैं, उनका सभी का सम्मान होने पर सम्मान का औचित्य समझ से बाहर हो जाता है। आयोजक अपनी दुकानदारी चलाते हैं और पढ़े-लिखे साहित्यकार उनकी चाल में आ जाते हैं। फिर हम काहे को बेचारे गरीब आदमी को कोसते हैं कि वह अशिक्षा के कारण लोगों के झांसे में आ जाता है।
ReplyDeleteआपको जब से पढ़ना प्रारम्भ किया है, तभी से एक जुझारू पत्रकार की छवि बनी है। आप श्रेष्ठ लिख रहे हैं, इसलिए आपको बधाई।
आयोजक अपनी दुकानदारी चलाते हैं और पढ़े-लिखे साहित्यकार उनकी चाल में आ जाते हैं। फिर हम काहे को बेचारे गरीब आदमी को कोसते हैं कि वह अशिक्षा के कारण लोगों के झांसे में आ जाता है।
Deleteयही मेरा भी कहना है कि पढे लिखे होने के बाद भी ऐसी बेवकूफी करते हैं लोग...आपने मेरी भावना को अच्छी तरह समझा है।
बहुत बहुत आभार
बहुत बहुत आभार सर
ReplyDeleteआपकी २०० वीं पोस्ट के लिए मेरी तरफ से बहुत बहुत शुभकामना!!
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार ...
Deleteबहुत बहुत बधाई हो भाई २०० वी पोस्ट के लिए !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार..
Deleteयह तो आधा नहीं पूरा सच लिख दिया है आपने,सहमत हूँ आपकी बातों से … आभार हमेशा की तरह अच्छी लगी पोस्ट सच्चाई से रूबरू कराती पोस्ट है !लेकिन क्या करे
ReplyDeleteसब कुछ समझते हुए सत्य स्वीकार करते हुए चलना तो है इसके बिना कोई चारा भी तो नहीं है, हम अपने लेखन धर्म से मजबूर है !
यही मुश्किल है कि लोग सब समझ रहे हैं कि ये सब क्या चल रहा है, लेकिन मूक बधिर बने रहते हैं। ब्लागिंग में गिरावट की वजह भी यही है..
Deleteआपका बहुत बहुत आभार
दो सौवीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई महेन्द्र जी
ReplyDeleteआपने तो वाकई ब्लॉगर कर्ता को अच्छी नसीहतें दे डालीं हैं ,बहुत से टॉपिक्स को छुआ है ,काफी सारे पहलूओं पर रौशनी डाली है तो 200 का आंकड़ा तो बनता है और बधाई पुनः
आपका बहुत बहुत आभार...
Deleteमैं नसीहत नहीं दे रहा हूं , मैं तो बस आगाह कर रहा हूं, ब्लागर अंगूठा छाप नहीं है, कम से कम सही-गलत तो उसे जानना ही चाहिए।
sabse pahle to badhai ............mahendar ji aapki lekhni ne bahut kuch kah diya hai aur likhne ka andaj bhi itna behtar hai ki mai shuru se ant tak padh gayi aur mudde ko uthakar aapne aachha kiya ........
ReplyDeleteजी, आपका बहुत बहुत आभार,
Deleteमेरा मानना है पढ़े लिखे ब्लागर आखिर कैसे इस तरह की बेवकूफी में फंसते हैं। इसलिए मैने तो बस सबको आगाह किया है।
तीखी धार को खुद में समेटे... डंके की चोट पर लिखा गया प्रभावी लेख
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार राजीव जी..
Deleteमुझे दो कमेंट्स बेनामी मिले हैं, जिसमें आयोजकों के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है। मित्रों मेरा हमेशा से ये मानना रहा है कि कड़ी से कड़ी बात कही जा सकती है, लेकिन भाषा की मर्यादा में रहकर। मैं ऐसे किसी कमेंट को पब्लिश नहीं करूंगा, जिसमें गाली गलौज होगी।
ReplyDeleteकौन सी बात कब, कहां, कैसे कही जाती है,
ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है ।।
२०० वीं पोस्ट के लिए बहुत -बहुत शुभकामनायें …
ReplyDeleteसम्मान के बारे में हमारी सोच यही कहती है जो इसका सच्चा हक़दार हो उसे ही मिलना चाहिए … बाकि आजकल सब जगह धन धना धन चलता है
बहुत बहुत आभार ...
Deleteजी सहमत हूं आप से.. लेकिन पैसे से सम्मान का क्या मतलब है ?
पैसे से सम्मान का तो कोई मतलब ही नहीं...
ReplyDeleteजी,यही मेरा भी मानना है..
Deleteआदरणीय महेंद्र सर कमाल की 200 वीं पोस्ट, 200 वीं पोस्ट के साथ साथ लेख पर भी हार्दिक बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteशुक्रिया भाई अरुण ..
DeletePerfectly written !
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteशुक्रिया भाई..
ReplyDeleteना ना करते, कितनी ही चीजों को बड़ी ही खूबसूरती से समेट लिया आपने
ReplyDeleteसोचने को विवश करती, सार्थक प्रस्तुति
२०० वीं पोस्ट के लिए बधाई व हार्दिक शुभकामनाएं !
साभार!
शुक्रिया भाई
Deleteबहुत बहुत आभार
महेन्द्र भाई ..खुश और स्वस्थ रहें !आप की ये बेबाकी कायम रहें...मेरी और से भी मुबारक और शुभकामनायें ..बहुत कुछ आपने कहा...खूब कहा...किसने क्या सोचा ..क्या टिप्पणी की ..सब पढ़ा ,आनंद लिया !
ReplyDeleteशुक्र है ! हम जैसे या मुझ जैसा इस किसी भी कतार की शोभा बढ़ाने लायक ही नही ...
बस आप जैसों को पढ़ते है ...कुछ जानकारी हासिल होती है ..संतुष्ट हो जाते है !
बस अपने दिल की सुनते रहें ..और दिमाग की मानते रहें !
पुनः शुभकामनायें!
सर प्रणाम..
Deleteबहुत बहुत आभार
मुझे पूरा भरोसा है आपका आशीर्वाद इसी तरह मेरे लिए हमेशा सुरक्षित रहेगा।
२०० वी पोस्ट पर हार्दिक बधाई । विषय ढूंढते ढूंढते सभी लपेट लिया ।
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार..
Deleteजय हो महेंद्र भैया | बहुत खूब पोल खोल की | आनंद आ गया | हा हा हा हा हा हा .....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार तुषार जी
Delete"आपको पता ही है कि एक गिरोह जो अपने सम्मान का कद बढाने के लिए इस बार उसका आयोजन देश से बाहर कर रहा है। अब क्या कहा जाए! इन्हें लगता है कि सम्मान समारोह देश के बाहर हो तो इसका दर्जा अंतर्राष्ट्रीय हो जाता है। हाहाहाहाहाह....।"
ReplyDeleteबहुत गूढ़ बात कह दी आपने ! कुछ साल पहले एक बार कुछ ऐसा ही ऑफर मेरे लिए भी आया था! :) तब शायद जगह लखनऊ थी !
बात गूढ नहीं, मुझे लगता है बहुत आसान है और सभी को समझ में भी आ जानी चाहिए। लेकिन क्या कहूं, झूठी शान के चक्कर में पढा लिखा ब्लागर धोखा खा रहा है।
Deleteहां पिछली बार आपको आफर था, इस बार तो अवधि, मैथिल और भोजपुरी में लिखने वालों को फांसने की साजिश चल रही है।
बहुत बहुत आभार
आपकी कविता में भावों की गहनता व प्रवाह के साथ भाषा का सौन्दर्य भी है .उम्दा पंक्तियाँ
ReplyDeleteशायद आप कहीं और कमेंट कर रहे थे जो गलती से यहां पोस्ट हो गया।
Deleteसर्वप्रथम आपको २०० चरण के लिये ढेरों शुभकामनायें, बस लिखते रहिये, जहाँ भी मन करे, जितना भी मन करे।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया..
Deleteसमय के साथ आगे बढ़ रहें हैं आप महेंद्र भाई। हर जगह सटीक पैनी टिप्पणी की है आपने। ब्लागर सम्मान तो कुछ पार्टियों के टिकट जैसा हो गया जो पैसे देने पर मिलता है। आपकी टिपण्णी के लिए आपका विशेष शुक्रिया। चैनलियों के भीड़ से आप भिन्न और विशिष्ठ हैं ये आपकी २०० वीं पोस्ट पुष्ट करती है। बधाई !बधाई !बधाई !ॐ शान्ति।
ReplyDeleteब्लागर सम्मान के बारे में आपकी राय से बिल्कुल सहमत हूं ....
Deleteबाकी उम्मीद करता हूं कि आपका स्नेह यूं ही बना रहेगा।
आभार..
गप-शाप तो बाद में कभी ...
ReplyDeleteपहले २०० पोस्ट पूरे होने की बधाई और शुभकामनायें ...
जी, ये भी सही
Deleteबहुत बहुत आभार..
हूँ....
ReplyDeleteहाहाहा..
Deleteआपने खामोश रह कर सबकुछ कह दिया..
आभार
200 वीं लेख की शुभकामनाएं..
ReplyDeleteमैने तो आज ही ब्लाग बनाया है,
मुझे तो इस सम्मान के बारे में
कुछ भी जानकारी नहीं है। लेकिन जैसा
कि आपने बताया है, उसे देखते हुए
तो ये गंभीर मामला लगता है।
आपको शुभकामनाएं..
Deleteदूर ही रहिए इन सबसे तो बेहतर है।
बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteब्लाग चिट्ठा पर अपना ब्लाग कैसे देखा जाता है, मेरी तो समझ में ही नहीं आया। बहुत कोशिश की पर नहीं पहुच पाया।
ReplyDeleteसर्वप्रथम तो आपको 200वीं पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई...
ReplyDeleteमैं आलोचना को कभी भी गलत नहीं मानता हूँ, जब तक कि उसके द्वारा सुधार के प्रयास की जगह केवल आरोप लगाने के मक़सद मात्र के लिए आरोप-प्रत्यारोप ना हों... मेरा यह मानना है कि आलोचना को हमेशा सकारात्मक लेना चाहिए, यह हमेशा ही और अच्छा करने की प्रेरणा देती है।
जहाँ तक परिकल्पना सम्मान समारोह की बात है, मुझे आपके तर्क एक तरफ़ा लग रहे हैं और महसूस हो रहा है कि बिना दूसरी तरफ की बात सुने सही-गलत का फैसला नहीं कर पाउँगा... क्योंकि व्यक्तिगत तौर पर अपने पिछले अनुभव में मैंने यह बाते नहीं पायीं हैं।
बहरहाल, आपकी बाकी बातों और बेबाकी भरे लेखन को पढ़कर अच्छा लगा। समाज के हित में खूब लिखें, रब से यही दुआ है।
शुक्रिया..
Deleteसही बात सभी आसानी से पचा पाएंगे, ऐसा कहां संभव है। आपका नजरिया है,उसका भी मैं स्वागत करता हूं।
ईद की ढेर सारी शुभकामनाएं..