Saturday 27 April 2013

अमेरिका : मां डायन तो बेटा भी होगा राक्षस !


भारत माता को सार्वजनिक रूप से नंगा करने वाले नेता जब खुद नंगे होते हैं तो कैसी तिलमिलाहट होती है, दो दिन से ये देख रहा हूं। भारत माता को डायन कहने वाले यूपी के मंत्री आजम खां ने आज तक अपने विवादित बयान के लिए माफी नहीं मांगी। ऐसे में हम अमेरिकी एयरपोर्ट के अधिकारियों को भला बुरा क्यों कहें, उन्होंने भी सोचा होगा कि जब मां डायन है, तो बेटा भी राक्षस ही होगा। इसीलिए उन्होंने इस कद्दावर नेता के कपड़े उतार लिए और अच्छी तरह से जांच पड़ताल की। मीडिया को मसाला मिल गया, अब दो दिन से ये खबर सुर्खियों में है, खबर क्या है, अमेरिका गए यूपी के नगर विकास मंत्री आजम खां से सुरक्षा अधिकारियों ने कुछ ज्यादा पूछताछ कर ली। खां साहब का कहना है कि वो मुसलमान हैं, इसलिए उनसे इस तरह से पूछताछ की गई। मुझे लगता है कि उनकी बात पूरी तरह सही है। लेकिन खां साहब एक बात बताइये, क्या आपको पहले नहीं पता था कि अमेरिकी एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच कुछ ज्यादा ही सख्त है। आपको याद होना चाहिए कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब को भी वहां अपमानित होना पड़ा था, इतना ही नहीं अभिनेता शाहरुख खान को देश और दुनिया में भला कौन नहीं पहचानता, लेकिन वो भी वहां रोके जा चुके हैं, उन्हें भी सुरक्षा अधिकारियों की बदसलूकी से दो चार होना पड़ा। यहां तक की समाजवादी नेता जार्ज फर्नाडीज और अमेरिका में भारत के राजदूत रहीं मीरा शंकर राव को भी ऐसे हालात से गुजरना पड़ा है।

खां साहब सच कहूं तो मैं भी इस मत का हूं कि आज इतने अत्याधुनिक उपकरण मौजूद हैं, जिससे शरीर के भीतर भी अगर कुछ छिपाया गया हो तो उसका पता आसानी से चल जाता है, ऐसे में एयरपोर्ट पर एक-एक कपड़े उतरवा कर यानि पूरी तरह नंगा कर जांच पड़ताल करना सही नहीं है। लेकिन फिर सवाल उठता है कि जब सुरक्षा के मामले में अमेरिकी नागरिक को कोई तकलीफ नहीं है, वो अपनी सरकार के साथ खड़े हैं और जांच में पूरी तरह सहयोग करते हैं, फिर आप कौन सा वहां रोज रोज जा रहे हैं कि आपको तकलीफ है। अमेरिका की चुस्त व्यवस्था का ही नतीजा है कि वहां आतंकी हमले आसान नहीं है। मुझे तो उनकी सुरक्षा व्यवस्था से कोई तकलीफ नहीं है। अमेरिका पर जैसा आतंकवादी हमला हो चुका है, अगर उसके बाद वो सतर्क है तो इसमें तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। सबको पता है कि वहां सुरक्षा को लेकर कई बार वीआईपी को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। अगर नेताओं को सुरक्षा अधिकारियों के सामने नंगे होने में शर्म लगती है तो उन्हें अमेरिका जाने से बचना चाहिए। क्यों देश और दुनिया में अपनी किरकिरी कराते फिर रहे हैं।  

मुझे हसी आती है क्योंकि खां साहब को लगता है कि उनके पास राजनयिक पासपोर्ट है, इसलिए उन्हें हर प्रकार की जांच से छूट है, वो कुछ भी कर सकते हैं। दरअसल जो लोग खां साहब को करीब से जानते हैं, उन्हें पता होगा कि जब वो मंत्री बनते हैं तो मंत्री कम दरोगा ज्यादा दिखाई देते हैं। अपने शहर रामपुर में तो उनका ऐसा आतंक हो जाता है कि तमाम लोग रात बिरात घर से निकलना बंद कर देते हैं। गलत ढंग से गाड़ी चलाई तो आजम साहब अपने शहरवालों को रोक कर पिटाई तो करते ही हैं, बीच चौराहे पर मुर्गा बनाते हैं। कई बार अपने साथ चलने वाले सुरक्षा गार्डों से लोगों को पिटवाते हैं। उनके लिए ट्रेन में सफर के दौरान हंगामा भी सामान्य बात है। बात पुरानी है लेकिन बता दें कि एक बार उन्होंने ट्रेन के "कोच अटेंडेंट" को खुद भी मारा और अपने साथ चल रहे समर्थकों से भी पिटवाया। जानते हैं अटैंडेंट की गलती क्या थी, बस ये कि खान साहब के साथ बिना टिकट जो लोग सफर कर रहे थे  उन्हें दोबारा चिकन करी देने से उसने इनकार कर दिया था। अब आजम साहब को कौन बताए कि ईश्वर के यहां देर है, अंधेर नहीं। आप ट्रेन में,  अपने शहर में तमाम लोगों को रोजाना नंगा करते रहते हैं, बस ईश्वर ने आपके लिए नंगा होने का स्थान अमेरिका के बोस्टन शहर को चुना।

अमेरिका में सुरक्षा जांच

अच्छा सबसे जरूरी बात तो बताने से ही रह गया। आपको पता है कि ये जनाब अमेरिका गए क्यों हैं ? यूपी सरकार को कुछ भ्रम हो गया हैं, इनका दावा है कि इलाहाबाद का महाकुंभ इनकी  व्यवस्था के चलते कामयाब हुआ। अब कौन बताए कि यहां पहली बार तो महाकुंभ था नहीं, हर बार कुंभ होता है और एक पुराने ढर्रे पर व्यवस्था चली आ रही है। नया क्या कर दिया इस बार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने या फिर आजम साहब ने। फिर खान साहब बताइये ना कि आपने रेलवे स्टेशन पर हादसे में तमाम लोगों की मौत के बाद जनता के आक्रोश को देखते हुए महाकुंभ तैयारी समिति के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था। देश भर में आप सब की थू थू हुई, सूबे की सरकार पर उंगली उठी। इसके बाद भी आप अपनी पीठ खुद ही थपथपाए जा रहे हैं। खान साहब आपको इन बातों में भरोसा नहीं होगा लेकिन मैं बताता हूं कि महाकुंभ क्यों कामयाब हुआ। इसकी कामयाबी की वजह गंगा और यमुना मइया हैं, इसकी कामयाबी की वजह वो सरस्वती नदी है जो खुद विलुप्त हो जाने के बाद भी  इस स्थान को त्रिवेणी बना गई। कुंभ की कामयाबी की वजह देश भर के साधु- संतो और अखाड़ों का पुण्य प्रताप है, जो यहां पूरे समय जमें रहते हैं। कामयाबी की वजह देश और दुनिया के करोड़ों श्रद्धालुओं की महाकुंभ में आस्था है। जो मुख्यमंत्री महाकुंभ की कामयाबी  की वजह खुद को मानता है वो "मूर्ख" है। यही वजह है कि अमेरिका पहुंचने के बाद भी विश्वविद्यालय में व्याख्यान नहीं दे पाए। इन मूर्खों से सिर्फ एक सवाल पूछा जाए कि आप सरकार में कब आए और महाकुंभ की तैयारी कब से चल रही थी ?

आजम साहब, अब आपको पता चला ना कि सार्वजनिक रुप से किसी को अपमानित करने से कैसी तिलमिलाहट होती है? बीएसपी की सरकार के दौरान तो आपकी बोलती बंद रहती है, लेकिन जैसे ही आप सत्ता में आते हैं आग उगलते हैं। चलिए वो आपका स्वभाव है, एक बार में नहीं जाने वाला। खैर बोस्टन में लोगान अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पर आपके साथ हुई बदसलूकी को भारत सरकार ने गंभीरता से लिया है, इस मामले को भारतीय दूतावास ने अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों के सामने उठाया है। लेकिन मैं अभी भी इस मत का हूं कि अमेरिका के विदेश विभाग को शिकायत करने के बजाए, अमेरिका की तर्ज पर ही अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मुकम्मल बनाया जाना चाहिए। जब अमेरिकियों की भी यहां पैंट उतारी जाएगी, तब इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू होगी। लेकिन हम तो अमेरिका के सामने गीदड़ बन जाते हैं,  ऐसे में करते रहिए शिकायत, सुन कौन रहा है।

आपको बता दूं कि हवाई अड्डों की सुरक्षा को लेकर केवल भारत सरकार ही नहीं बल्कि दुनिया भर की सरकारें काफी गंभीर रहती हैं। क्योंकि कहीं भी अगर कोई लापरवाही हो गई तो हवाई जहाज के जरिए संदिग्ध व्यक्ति कहीं भी जा सकता है। इसलिए देश में विभिन्न एयर लाइंस की सिक्योरिटी विंग और सीआईएसएफ  के अधिकारियों को सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी सौंपने के पहले एक 15 दिन की परीक्षा ली जाती है। जिससे ये पता चल सके कि जिन अफसरों को लगाया गया है वो सुरक्षा संबंधी नियमों और बारीकियों से वाकिफ हैं या नहीं। हैरानी की बात ये है कि कुछ दिन पहले हुई परीक्षा में एयर इंडिया के 21 अफसर शामिल हुए, जिसमें सभी फेल हो गए। डायल एयरलाइंस के 20 अफसरों में 18 फेल हो गए, जबकि स्पाइस जेट के 7 अफसरों मे चार फेल हो गए। सबसे बड़ी बात कि सभी हवाई अड्डों की सुरक्षा इन दिनों सीआईएसएफ के पास है, इसके 35 अफसरों ने परीक्षा दी, जिसमें 22 फेल हो गए। परीक्षा में खासतौर पर टर्मिनल के प्रवेश और निकास, इन लाइन बैगेज सिस्टम, फ्रिक्सिंग, एक्सरे और बोर्डिंग गेट आदि शामिल हैं। आप जानते ही हैं कि इनमें से कहीं भी चूक हुई तो उसके कितने गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इसके पहले एक परीक्षा आठ से 21 जनवरी 13 के बीच हुई थी। इसमे एयर इंडिया, इंडिगो, स्पाइस जेट और सीआईएसएफ के कुल 103 सुरक्षा अधिकारी शामिल हुए। पता है 103 में 97 अफसर फेल हो गए। जब हवाई अड्डे की सुरक्षा का ये हाल है तो आप यहां रेलवे स्टेशन या फिर बस स्टेशन की सुरक्षा व्यवस्था का हाल आसानी से समझ सकते हैं।

अमेरिका में सुरक्षा जांच 

बहरहाल ज्यादा हल्ला मचाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आजम साहब आपको पता होना चाहिए कि अपने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज तक ऐसी हैसियत ही नहीं बनाई कि वो अमेरिका से आंख मिलाकर बात कर सकें। इस मामले में मैं आज भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ करूंगा, जिन्होंने तमाम विरोध के बाद भी परमाणु परीक्षण किया और अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भी डट कर खड़े रहे। आज के प्रधानमंत्री में शरीर की सबसे महत्वपूर्ण रीढ की हड्डी ही नहीं है। मुझे तो कोई आश्चर्य नहीं होगा जब कुछ दिन बाद पता चले कि अमेरिका ने अपने प्रधानमंत्री की भी उसी तरह जांच की थी, जैसे और लोगों की होती है। वैसे भी प्रधानमंत्री और उनका पूरा मंत्रीमंडल देश में जितना नंगा हो चुका है, उसके बाद बचा क्या है जिस पर वो शर्मिंदा हों। ये मंत्रीमंडल कभी  अमेरिका जाएगा तो हवाई जहाज से उतरते ही खुद नंगे हो जाएंगे और वहां अखबारों में इनकी तस्वीर छपेगी कि ये सुरक्षा में कितनी मदद करते हैं। शर्म, शर्म, शर्म !

चलते-चलते

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव युवा हैं, सियासी तजुर्बा कम है, इसलिए पागलपन कर जाते हैं। उन्हें मैं हतोत्साहित नहीं करना चाहता, लेकिन उन्हें अपने चाचा लालू यादव का हाल देखना चाहिए ना। अमेरिकी उन्हें "मैनेजमेंट गुरु" बता रहे थे। उन्होंने भी अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों जाकर प्रबंधन का गुर सिखाया। आज क्या हालत है लालू यादव की ? चाचा वाली बेवकूफी से बचना होगा अखिलेश यादव जी, लोकसभा चुनाव है, उसकी तैयारी में जुट जाइये। अमेरिका जाना हो तो डिम्पल मैडम के साथ जाइये, कहां आजम खां और अभिषेक के चक्कर में पड़ जाते हैं। अब ऐसा मत कीजिएगा।





29 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (28-04-2013) अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो : चर्चामंच १२२८ में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. साहब जी किसी से कोई बदसलूकी नहीं हुई है और मुझे गर्व है कि हम ऐसे जगह रह रहे है जहा कोई बड़ा और छोटा नहीं है सब ह्यूमन है. भारत में लोगो को अलग से सुविधाए मौजूद है इसीलिए इनलोगो को आदत है. जब कभी इनको आम जनता कि तरह काम करना पड़ता है तिलमिला जाते है. लोग डॉक्टर कलाम का नाम लेते है उनके साथ तो भारतीय धरती पर बदसलूकी हुई क्या किया भारतीय सरकार ने क्या किया भारतीय जनता ने. और आपको बताना चाहता हो कि सारे दुनिया के एयरपोर्ट ग्राउंड स्टाफ सलीके से ब्यवहार करता है पर हमें खेद के साथ कहना पड़ रहा कि सबसे गन्दा और अनप्रोफेस्नल लोग न्यू डेल्ही एअरपोर्ट पर है. जिस तरीके से एयर फ्रांस आदि के कर्मचार्री बात करते है वैसे इस देश में कर दे तो उसी दिन उनकी कम्पनी बंद हो जाएगी पर ये हमारे नेताओ और प्रसासको को नहीं दिखती है. मैंने येहा आकर एयर फ्रांस के खिलाफ रिपोर्ट किया और एक हफ्ते में माफीनामा आ गया. हमने न्यू डेल्ही लिखा आज तक जबाब कि प्रतीक्षा कर रहे है. नागरिक उड्डयन विभाग को लैटर लिखा आज तक जबाब नहीं आया. हम लोगो को अपने देश में ही आमनित होना पड़ता है. अगर माननीय आजम खान को इतना ही ख़राब लगा तो वही से भारत वापस आ जाते. जैसे माननीय सोमनाथ जी ने किया था.

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    1. आपकी सभी बातों से मैं सहमत हूं,
      आप लेख पढ़ें, वही मैने भी कहा है।

      लेकिन आप पहचान छिपा कर बात कर रहे हैं, ये अच्छा नहीं लगा।

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  3. बहुत बेबाकी से लिखा है .... आभार !

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  4. बेबाकी से लिखा गया सच !!

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  5. नमस्कार
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (29-04-2013) के चर्चा मंच अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
    सूचनार्थ

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  6. jake pair na fati vibaai vo kya jaane peer parai ...ab jab unt pahaad ke neeche aaya to apna kad dekh tilmila gaya ..steek aalekh ..

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  7. महेंद्र जी मुझे आपका लेख बहुत अच्छा लगा ........सब यहीं का यहीं है ..
    आगे -पीछे अपने हिस्से का सबको मिलता है ...................बधाई

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  8. कुछ मित्रों ने एसएमएस और मेल के जरिए मुझे संदेश भेजा है, उन्हें लेख में शामिल एक तस्वीर पर आपत्ति है। मैं आप सभी की भावनाओं का आदर करता हूं, इस बात के लिए आभार भी व्यक्त करता हूं कि ब्लागर सामाजिक सरोकारों को सबसे ऊपर रखते हैं। कुछ लोगों का मत है कि इस तस्वीर के जरिए मैं "चीप पापुलरिटी" लेने की कोशिश कर रहा हूं। मैं साफ कर दूं कि ये तस्वीर यहां होनी चाहिए या नहीं, ये एक मुद्दा हो सकता है, इस पर बहस हो सकती है। लेकिन मैं साफ कर दूं कि अगर मुझे "चीप पापुलरिटी" लेनी होती तो इस तस्वीर को सबसे ऊपर लगाता, जिससे ये तस्वीर मेरे सभी फालोवर मित्रों के डेशबोर्ड पर चमकती रहती। लेकिन मैने ऐसा नहीं किया, ये तस्वीर सबसे नीचे इसीलिए है कि मैं बताना चाहता हूं कि अमेरिका सुरक्षा को लेकर सख्त है, कई बार विपरीत हालातों में वहां एयरपोर्ट पर मौजूद सभी यात्रियों के पूरे कपड़े इसी तरह उतरवा दिए जाते हैं। ये चित्र सिर्फ एक रेफरेंस के तौर पर है, मुझे नहीं लगता कि किसी को अन्यथा लेने की जरूरत है।

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  9. बेबाकी से लिखी गई लेख सोते हुए को जगाने में काफी है पर वे जागे जब न ?
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest postजीवन संध्या
    latest post परम्परा

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    1. आपका बहुत बहुत आभार.
      बिल्कुल, मैं आपको पढ़ता हूं।

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  10. महेंद्र जी ....काश अमेरिका की तरह यहाँ की सुरक्षा एजंसी भी वैसा ही काम करती ...तो यहाँ पर(इंडिया में ) भी अपराध कम होते ...अपनी खामियों को ढंकने के लिए हर दोष अम्रेरिका के सर डाल देने यहाँ के नेताओं की पुरानी आदत है

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    1. बिल्कुल सहमत हूं आपकी बातों से
      सुरक्षा किसी भी कीमत पर समझौता नहीं होना चाहिए

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  11. खरी खरी सुना दी आपने ... मज़ा आ गया पढ़ने के बाद ...
    पर इतनी मोती चमड़ी है इन नेताओं की इन्हें फरक नहीं पड़ने वाला ...

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    1. जी, ये तो सही है कि इन पर कोई असर पड़ने वाला नहीं,
      लेकिन सच कहू तो मुझे इनसे ऐसी उम्मीद भी नहीं है।
      लेकिन हां अपनी बात कह लेने से आत्मसंतुष्टि मिलती है।

      आभार

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  12. जैसी करनी वैसी भरनी फिर आज़म खान दुखी और अपमानित क्यों

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  13. हम सही हैं तो दुःख किस बात का करने दो जांच लेकिन हमारे कोई काम राष्ट्र विरोधी न हों ******

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    1. यही तो अहम सवाल है कि जांच से क्यों भागते हो ?

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  14. सार्थक आलेख ...आभार !

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।