फिलहाल तो आज की ताजा खबर यही है कि राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाकर कहा गया है कि अगर 2014 में प्रधानमंत्री बनना है तो अभी से मेहनत करो। अंदर की बात तो ये है कि राहुल गांधी कांग्रेसियों की इस चाल को बखूबी समझते हैं, लिहाजा पहले तो वो इसके लिए कत्तई राजी नहीं थे, लेकिन बहन प्रियंका की बात वो टाल नहीं पाए और मां की मदद के लिए बड़ी जिम्मेदारी उन्होंने स्वीकार कर ली। जैसे ही ये खबर बाहर आई, मीडिया ने इसे हांथो हाथ लिया और दुनिया भर में बात पहुंच गई राहुल नंबर दो बने, राहुल नंबर दो बन गए। बहरहाल मुझे तो इस फैसले पर कोई ज्यादा हैरानी नहीं हुई, क्योंकि मेरा पहले से मानना रहा है कि राहुल गांधी सामान्य कार्यकर्ता नहीं है, उनकी हैसियत पार्टी में पहले नंबर की है, हां अब जरूर अधिकारिक रूप से वो नंबर दो हो गए हैं। अब ये तो पार्टी समझे, लेकिन मुझे लग रहा है कि कांग्रेस में एक अकेला नौजवान था जो थोड़ा बहुत काम कर लेता था, मसलन मजदूरों के साथ मिट्टी उठाकर खुद को सामान्य व्यक्ति बताना। दलित के साथ भोजन कर अखबारों की सुर्खियां बटोरने का काम कभी कभार कर लेते थे। वैसे राहुल चालाक बहुत है, दलितों के यहां तो बहुत बार भोजन कर लिया, लेकिन अपने यहां उन्हें भोजन पर कभी नहीं बुलाया। खैर अब तो राहुल भी साहब बन गए हैं, देखिए पार्टी का क्या होता है।
साहब बनने के बाद जयपुर में पहला भाषण ! साउथ वालों के लिए अंग्रेजी में नार्थ वालों के लिए हिंदी में और कुछ इमोशनल बातें भीं। पहले राहुल गांधी ने अपनी दादी इंदिरा गांधी की हत्या का जिक्र किया और फिर पिता राजीव गांधी का जिक्र करना भी नहीं भूले। लेकिन अंत में उन्होंने बताया कि कल उनकी मां सोनिया गांधी उनके कमरे में आईं और रोने लगीं। उन्होंने कहा कि सत्ता जहर के समान है। सच है एक मां के तौर पर सोनिया का भावुक होना स्वाभिवाक है, उन्होंने घर में दो लोगों की हत्या देखी है। ऐसे में आंखे भर आना स्वाभाविक है। पर सोनिया जी को उन आंसुओं का भी अहसास होना चाहिए जो 84 के दंगे में बेवजह मारे गए। कितनी मां की गोद सूनी हो गई, कितनी बहनों की मांगे सूनी हो गईं। लोगों को टायरों में बांध कर सरेआम जला दिया गया। सबसे ज्यादा शर्मनाक तो ये कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से इस मामले में सवाल किया गया तो उनका जवाब था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती ही है। खैर ये समय नहीं है इन बातों का, लेकिन आंसू सिर्फ सोनिया की आंखों में नहीं है, दिल्ली और देश के तमाम हिस्सों मे रहने वाली मां और बहनों के आंखो में भी हैं।
काम करने वाला 1 नेता कम हुआ |
अब आज राहुल गांधी अपनी ही पार्टी कांग्रेस के संगठन पर हस रहे हैं तो जाहिर है वो अपने पर और मां सोनिया गांधी के काम पर ही हस रहे होंगे। या फिर वो सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लेते कि आगे से अपने मन से काम करेंगे। वरना देश में तो यही संदेश है कि फिलहाल दिग्विजय सिंह उनके राजनीतिक गुरू हैं, जो बातें दिग्गी गुरु उन्हें समझाते हैं, वहीं से वो आगे बढ़ते हैं, तो क्या अब राहुल उनसे अलग हो रहे हैं। वैसे भी दिग्विजय अपने बयानों को लेकर विवादित हो गए हैं कि राहुल गांधी से उनका नाम जुड़ना ठीक भी नहीं है। अच्छा राहुल ने आज ये तो बता दिया सबको कि अब वो बर्दाश्त नहीं करेंगे, बल्कि बदलाव करेंगे। ऐसा भी नहीं है कि वो सिर्फ नवजवानों की बात सुनेगें, कह रहे हैं कि पार्टी में सभी की बात सुनेंगे। खैर अच्छी बात है, लेकिन सच बताऊं राहुल को लेकर देशवासियों का अनुभव बहुत खराब रहा है।
राहुल जी अब आपको अपना पुराना ढर्रा भी बदलना होगा। पार्टी के नेता और देशवासियों को भी पता है कि जब सोनिया गांधी इलाज के लिए बाहर गई थीं तो चार नेताओं की एक टीम बनाई गई थी, जिसमें आप भी शामिल थे। कहा गया था कि ये टीम पार्टी का कामकाज चलाएगी। हुआ क्या ? याद दिलाऊं आपको ? अन्ना का आंदोलन शुरू हो गया, हजारों लोग कई दिनों तक सड़कों पर रहे, लेकिन आपने एक बार भी मुंह नहीं खोला। चुनाव में टिकट वितरण में धांधली की बात कह कर आप कार्यकर्ताओं की ताली ले रहे हैं, मुझे बताइये कि पिछले दिनों तो चुनाव समन्वय समिति का अगुवा आपको ही बनाया गया था, आप ने इसे रोकने के लिए किया क्या ? दिल्ली गैंगरेप के मामले में पूरे देश में गुस्सा देखा गया। आपका कहीं पता नहीं चला कि आप हैं कहां। हालाकि मुझे सच में नहीं पता है लेकिन कहा जा रहा कि आप छुट्टी पर गोवा में थे। अब ये सब नहीं चलेगा। खैर भइया राहुल ये आप भी जानते हैं और ये पब्लिक है ये भी सब जानती है। राहुल एक बात आपको कान में बता दूं। क्या जरूरत थी डीएनए वगैरह की चर्चा करने की। बोले जा रहे हो कांग्रेसियों में हिंदुस्तान का डीएनए है। कराऊं जांच, इन सब मामलों में खामोश रहना चाहिए। 127 साल पुरानी कांग्रेस के आप तीसरे उपाध्यक्ष हैं, इन्ज्वाय कीजिए। लेकिन हां आपको पता है ना कि आपको करना क्या है ? नहीं पता ! कोई बात नहीं हम बता देते हैं। दरअसल नौ साल में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जितना गोबर किया है, आपको उसी गोबर से गैस बनानी है और उससे गुब्बारा फुलाकर बच्चों को बांटना है। दरअसल बच्चे खुश दिखते हैं देश खुशहाल दिखता है।
सोनिया गांधी :
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जयपुर के चिंतन शिविर में तमाम जोक्स सुनाकर लोगों की खूब ताली बटोरी। उन्होंने कहाकि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बहुत अच्छी सरकार चल रही है। हाहाहाहाह । सोनिया जी इतनी अच्छी सरकार चल रही है तो चिंतन शिविर क्यों ? फिर तो मौज मस्ती शिविर होना चाहिए था ना। बेचारे प्रधानमंत्री की मुश्किल से तो लोग हंसते हंसते लोटपोट हो गए। उन्होंने कहाकि पैसा हम देते हैं, योजनाएं हम बनाते हैं और राज्य सरकारें काम अपने नाम से करा लेती हैं। प्रधानमंत्री जी आप तो समझदार आदमी हैं, कोई दिग्विजय सिंह तो हैं नहीं कि कुछ भी बोलें। अरे आप पैसा अपने घर से नहीं देते हैं, देश की जनता के टैक्स के पैसे ही आप विकास कार्यों के लिए देते हैं। आप पैसे की बात ऐसे कहते हैं, जैसे आप घर की खेती की पैदावार को बेचकर जो पैसे मिलते हैं वो राज्यों को दे रहे हैं। प्रधानमंत्री जी अपनी और पद की गरिमा के अनुरूप बोला कीजिए।
वाह!
ReplyDeleteआपकी यह प्रविष्टि को कल दिनांक 21-01-2013 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
शुक्रिया भाई गाफिल जी
Deleteaage-aage dekhiye hota hai kya..........
ReplyDeleteजी बिल्कुल, हम सब को इंतजार है इसका
Deletemahendra ji ,kaise kahoon ki aapki kisi bhi post me ek aam hindustani ka dil nahi dikhta nahi dikhta ki is parivar ne jitna desh se liya hai usse kahin jyada desh ko diya hai ''pyar''aur aam nagrik is pyar ko samjhta hai aur isliye vah is parivar par jan chhidakta hai aur yahi bat unke virodhiyon ko khatakti hai shayad aapko bhi par aap to sabhi ke virodhi hain isliye aapse nyay kee aasha kee ja sakti hai .
ReplyDeleteजी मै आपकी बात कोई रियेक्ट नहीं करूंगा, मैं इन राजनीतिज्ञों के चक्कर में अपने लोगों को बेवजह नाराज नहीं कर सकता।
Deleteइस परिवार ने जितना लिया उससे जादा दिया ...... क्या मजाक है ?? लगभग 57 साल सत्ता का सुख भोगने के बदले क्या दिया जनता को। भारत में बोहोत सी जगह ऐसी भी है जहा पीने का साफ़ पानी तक नहीं है। मैं सिंगापुर में हूँ जब से आया हूँ आज तक कभी पानी खरीद के नहीं पिया आप बताईये आपने भारत में पानी कितने बार खरीदा है। जो 57 साल सत्ता सुख भोगने के बाद पीने का साफ़ पानी नहीं दे पाए उनसे आप जैसे चापलूस ही उम्मीद कर सकते है। बाकी रही राहुल के भाषण की बात तो जो नेहरू मर वो क्या वरुण गाँधी का पर-नाना नहीं था ?? इंदिरा वरुण की कोई नहीं थी क्या ?? वरुण के पिता की भी मौत असमय हुयी थी वो हत्या थी या दुर्घटना इसकी जाँच तक नहीं करवाई गयी क्यूँ ?? अगर सारा श्रेय गाँधी परिवार को ही देना है तो वरुण गाँधी और उसकी माँ भी उसी परिवार का हिस्सा है उनका नाम कभी क्यूँ नहीं लिया जाता है कांग्रेस और कांग्रेसी चमचो द्वारा।
Deleteबहुत खूब सर जी। मैंने भी थोडा लिखने की कोशिश ककी है। एक बार अवश्य देखें। http://www.aakashgauttam.com/2013/01/blog-post_20.html
ReplyDeleteओके, बढिया
Deleteदेखता हूं
MEHENDR JI -KYA KARAN HAI KI JAB BHI GANDHI PARIVAR KA KOI VYAKTI RAJNEETI ME SAKRIY HOTA HAI US PAR VANSHVAD KA ILZAM LAGA DIYA JATA HAI JABKI JANTA HI CHUNKAR UNHE BHEJTI HAI .JAB GANDHI PARIVAR LOGON KI AAKANKSHAON PAR KHARA UTARTA HAI TAB BHI UNHE LANCHHIT KIYA JATA HAI .HAM GANDHI PARIVAR KE BALIDAON KO BHOOL JAYE -AISA KAISE SAMBHAV HAI ?
ReplyDeleteअच्छी अच्छी जानकारी देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार..
Deleteवैसे बेहतर होता कि लेख के विषय पर भी कुछ बात कर लेंती।
लकीर का फकीर बनने से बचिए.. प्लीज
गाँधी परिवार लोगो की आकान्शाओ पर खरा उतरता है ...... क्या मजाक है ?? लगभग 57 साल सत्ता का सुख भोगने के बदले क्या दिया जनता को। भारत में बोहोत सी जगह ऐसी भी है जहा पीने का साफ़ पानी तक नहीं है। मैं सिंगापुर में हूँ जब से आया हूँ आज तक कभी पानी खरीद के नहीं पिया आप बताईये आपने भारत में पानी कितने बार खरीदा है। जो 57 साल सत्ता सुख भोगने के बाद पीने का साफ़ पानी नहीं दे पाए उनसे आप जैसे चापलूस ही उम्मीद कर सकते है। बाकी रही राहुल के भाषण की बात तो जो नेहरू मर वो क्या वरुण गाँधी का पर-नाना नहीं था ?? इंदिरा वरुण की कोई नहीं थी क्या ?? वरुण के पिता की भी मौत असमय हुयी थी वो हत्या थी या दुर्घटना इसकी जाँच तक नहीं करवाई गयी क्यूँ ?? बाकी रही गाँधी परिवार के बलिदानों की बात तो अगर सारा श्रेय गाँधी परिवार के बलिदान को ही देना है तो वरुण गाँधी और उसकी माँ भी उसी परिवार का हिस्सा है उनको आप जैसे कांग्रेसी चमचे क्यूँ भूल जाते है।
Delete:) देखें २०१४ तक क्या कर पाते हैं ये 'साहब'!
ReplyDeleteजी सबको इसी का इंतजार
Deleteक्या पता भविष्य के गर्भ में क्या है...
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने
Deleteदेखिए क्या होता है..
चूहों को भरमाने के लिए मांसाहारी बिल्ले ने नाखून छिपा लिए हैं! मगर .....?
ReplyDeleteसही है सर
Deleteबढ़िया विश्लेषण आदरणीय-
ReplyDeleteबधाई -
आभार रविकर भाई जी
Deleteउ चिंतन सिबिर मा चिंता न हो के 'पंजा' की 'पंडवानी' हो रही थी
ReplyDeleteपंडवानी मा एक ठो बिसेषता है उ जे की इसमें पाँच ठो बिधा के
प्रदर्सन एके साथ होत है: -- गायन, बादन, नृत्य, अभिनय, अउर
संबाद संचार,
राजू के पड़ोस के 42 बरस के ताऊ कहत रहीं, गुरूजी
हमका तो इ बिबाह समारोह लागत है किन्तु इहा दुलहनिया के
कोहू अता पता नई ए.....
हाहाहहाहाहाह
ReplyDeleteपता करता हूं..
84के दंगो का मंज़र मैं आज तक नहीं भूली हूँ ....हर तरफ आग ही आग थी...बटवारे के वक्त के किस्से सुने थे ...पर ८४ में सब कुछ अपनी आँखों से देखा था
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट पर शालिनी कौशिक जी की टिपण्णी से सहमत नहीं हूँ ....गांधी परिवार ने इस देश के लिए क्या किया?????
१...क्या ८३ में सर उठा चुका पंजाब में आंतक वाद को रोक पाए
२...८४ में दंगे क्यों होने दिए गए ....सब जानते है कि इन दंगो में गाँधी परिवार का ही हाथ था
३....और आज का अहम मुद्दा ...इतनी महंगाई क्यों बढ़ रही है ...इस पर गाँधी परवारी की चुप्पी समझ नहीं आती
अगर कुछ गलत कहा गया हो तो क्षमा मांगती हूँ
काफी हद तक मैं आपकी बात से सहमत हूं..
Deleteबहरहाल राजनीति है और सभी की कहीं ना कहीं प्रतिबद्धता है।
मैम आपको माफ़ी मांगने की जरुरत नहीं है। शालिनी जी की बात से शायद ही कोई सहमत हो सके। वैसे मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ।
Deleteबढ़िया कहा है..
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआगे आगे देखे होता क्या है..
ReplyDeleteजी हम सबको आगे का इंतजार है
Deleteवैसे कांग्रेस और बीजेपी में कितना अंतर हैं आप सब जानते हैं ...मैं एक छोटा सा अंतर बताता हु
ReplyDeleteकांग्रेस की रैली की शुरुवात ऐसे होती हैं ...सोनिया गाँधी जिंदाबाद ....स्वर्गीय राजीव जी अमर रहे ...राहुल गाँधी जिंदाबाद ...कांग्रेस जिंदाबाद
और बीजेपी की रैली ऐसे शुरू होती हैं
भारत माँ की जय .....वन्दे मातरम् .....जय हिन्द ..........
वैसे कांग्रेस और बीजेपी में कितना अंतर हैं आप सब जानते हैं ...मैं एक छोटा सा अंतर बताता हु
ReplyDeleteकांग्रेस की रैली की शुरुवात ऐसे होती हैं ...सोनिया गाँधी जिंदाबाद ....स्वर्गीय राजीव जी अमर रहे ...राहुल गाँधी जिंदाबाद ...कांग्रेस जिंदाबाद
और बीजेपी की रैली ऐसे शुरू होती हैं
भारत माँ की जय .....वन्दे मातरम् .....जय हिन्द ..........
ये क्या बात है, वहां भी कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय गान से होती है
ReplyDelete'आसमान गिर रहा है',जंगल में शोर मचा और सभी जानवर भागने लगे , काश कि किसी ने सर उठा के देखा होता तो शायद हकीकत पता चलती , सिर्फ सुनी सुनाई बात की लीक पीटना ठीक नहीं है :)
ReplyDeleteये ऊपर की बात मैंने आपके विश्लेषण के विषय में नहीं कही हैं , आपका विश्लेषण पूरी तरह से तथ्यपरक है , ये बात मैंने ऊपर के कुछ कमेंट्स(सिर्फ किसी एक व्यक्ति के नहीं , एक से कुछ ज्यादा) को पढ़ के कही है , जो सिर्फ और सिर्फ भावनात्मकता में बहे जा रहे हैं | मेरा मानना है कि आम नागरिक को हमेशा हंस की तरह तटस्थ और विश्लेष्णात्मक होना चाहिए जिससे वो दूध और पानी में बिना भेद भाव के फर्क कर सके |
आज दूध की धुली कोई पार्टी नहीं है , सभी ने अपने तिरंगे को पीछे की तरफ से काला रंग के रखा है |
(प्लीज कोई इसे व्यक्तिगत मत लीजियेगा)
और रही राहुल गाँधी की बात तो अब तो इन पर हंसी आती है | अब अगर राहुल बाबा किसी गरीब के घर में खाना खाने जाते होंगे तो गरीब दूर से उन्हें देख के अपने लड़के से कहता होगा "ए छोटू , दरवज्जा लगा रे | नहीं तो अभी रोटी मांगेगा|"
सादर