दिल्ली में देश की बेटी के साथ गैंगरेप की घटना ने लोगों को हिला कर रख दिया है। सच कहूं तो दिल्ली अभी भी इस घटना से उबर नहीं पाई है। भारी ठंड और 2 डिग्री के आसपास तापमान में भी पूरी दिल्ली कई दिनों तक सड़कों पर रही। सबकी एक ही मांग कि बलात्कारियों को फांसी दी जाए और रेप के मामले में तुरंत सख्त कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू हो। हालांकि मैं इस मसले को राजनीतिक नहीं बनाना चाहता, लेकिन एक बात जरूर कहूंगा कि बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने इस गंभीर मसले पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। मेरा अपना मानना है कि सरकार को इस मांग पर वाकई गंभीरता से विचार करना चाहिए था और संसद के विशेष सत्र में कानून बनाने पर चर्चा करनी चाहिए थी। इससे देश में एक संदेश जाता कि बलात्कार के मामले में सरकार गंभीर है, लेकिन इस सरकार के साथ सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि वो अच्छी राय को भी महज इसलिए स्वीकार नहीं करती, जनता में कहीं ये संदेश ना चला जाए कि सरकार झुक गई। मैं जानता हूं कि ऐसी घटिया सोच कम से कम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नहीं हो सकती, निश्चित ही ये यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की सोच होगी।
सरकार के कामकाज के तरीकों को देखकर मैं बहुत हैरान हूं। दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद मेरे जहन मे एक सवाल उठा कि क्या देश की कानून व्यवस्था सही हाथो में हैं। यानि जिन हाथों में कानून व्यवस्ता है, वो इसके काबिल हैं ? अब जम्मू-कश्मीर के मेंढर सेक्टर में कोहरे और अंधेरे का फायदा उठा कर कुछ पाकिस्तानी सैनिक कई सौ मीटर तक भारतीय सीमा में घुस आए। यहां दो भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी और उनमें से एक का सिर काट ले गए। यह निहायत बर्बरतापूर्ण कार्रवाई है। दूसरे देश के सैनिकों के साथ किस तरह बर्ताव किया जाए, इस बारे में जेनेवा समझौता नाम से एक वैश्विक कायदा बना हुआ है। पाकिस्तानी सैनिकों ने जो किया वह दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम के साथ-साथ जेनेवा समझौते के भी खिलाफ है। इसके बाद भी सरकार के ठंढे रियेक्शन से ये सवाल उठ रहा है कि क्या देश वाकई मजबूत और सुरक्षित हाथो में हैं। मुझे नहीं लगता कि इसका जवाब देने की जरूरत है। सब जानते हैं कि देश में लुंज पुंज सरकार है, जो हर मोर्चे पर फेल रही है। चाहे मसला घरेलू हो या फिर अंतर्राष्ट्रीय, सरकार का रुख क्या है, वही साफ नहीं है। हम भीतर से कमजोर है, लोग ये समझ चुके है। यही वजह है कि पिद्दी सा पड़ोसी देश इस तरह की हिमाकत कर रहा है। पाकिस्तान आंखे तरेर रहा है और हम मटरू की बिजली का मन्डोला गाकर खुश हैं।
पाकिस्तान की इस कार्रवाई की पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई। होना तो ये चाहिए था कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री ऐसी प्रतिक्रिया देते कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त को खुद अपने आकाओं के पास भागकर जाना पड़ता और वो वहां जाकर बताता कि अब सबकुछ ठीक नहीं है, अगर पाकिस्तान ने अपने कुकृत्यों को काबू में नहीं रखा तो कुछ भी हो सकता है। लेकिन हुआ क्या? ये देखकर सिर शर्म से झुक जाता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त को मंत्रालय में तलब किया, पचासौं के कैमरे के बीच वो मुस्कुराता हुआ कार से आया और चला गया। बाद में बताया गया कि भारत ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जाहिर कर दी है। सवाल ये है कि क्या इतने से हो गई बात खत्म? वो संघर्ष विराम को तोड़कर भारतीय सैनिकों पर कहर बरपाते रहे हैं और हम गुस्सा जाहिर कर मामले को रफा दफा कर दें।
मैं जानना चाहता हूं भारत की सरकार से क्या उन्होंने पाकिस्तान सरकार से ये जानने की कोशिश की कि जिन सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुस कर ये वारदात की, वो कौन हैं, और उन्हें भारत को कब तक सौंपा जाएगा ? या फिर क्या भारत ने ये दबाव बनाया कि पाकिस्तान अपने दोषी सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई करे ? सच तो ये है कि इस बारे में पहले के अनुभव भी काफी निराशाजनक रहे हैं। करगिल लड़ाई के दौरान कैप्टन सौरभ कालिया के साथ भी पाकिस्तानी फौज ने बर्बर सलूक किया था। उनके परिवार को उनका क्षत-विक्षत शव ही सौंपा गया था। जांच से साफ हुआ था कि कैप्टन कालिया को काफी यातना दी गई थी। इस मामले में कालिया के पिता दोषियों को सजा दिलाने के लिए पाकिस्तान सरकार से लेकर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं तक सबसे गुहार लगा चुके हैं पर अब तक उनकी कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है।
मेरा मानना है कि जब भी भारत की ओर से शांति बहाली और दोनों देशों के बीच अमन की पहल की जाती है, तब पड़ोसी मुल्क से उसका नकारात्मक जवाब मिलता है। हमारी बातचीत की पहल का जवाब हमें गोलाबारी से दी जाती है। आप सबको पता है कि देश में एक बड़ा तपका इस बात के खिलाफ था कि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भारत आए। लेकिन दोनों देशों में सौहार्द को बढाने के लिेए सरकार ने टीम को यहां आने के लिए हरी झंडी दे दी। यहां तक कि क्रिकेटर दाउद इब्राहिम के करीबी रिश्तेदार जावेद मियांदाद को भी भारत आने के लिए वीजा दे दिया गया। सौहार्द की हमारी कोशिशों के बदले हमें क्या मिला? हमें नफरत मिली, हमारे सैनिकों की हत्या की गई, उनके शव के साथ बर्बर व्यवहार किया गया। गुस्सा तब और बढ़ जाता है जब पाकिस्तान की ऐसी कार्रवाई के बाद भी देश के प्रधानमंत्री गूंगे, बहरे, मुर्ख बने तमाशा देखते रहते हैं। वैसे सामरिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे आतंकियों की घुसपैठ कराने की पाकिस्तानी सेना की सोची-समझी रणनीति होती है। ये बात सरकार को भी पता है, फिर भी सरकार की चाल देखिए.. शर्म आती है।
हैरानी तब और बढ़ जाती है जब चेतावनी के बाद भी ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। पता चला है कि कुछ दिन पहले मल्टी एजेंसी सेंटर ने चेतावनी दी थी कि जम्मू क्षेत्र में सेना की किसी चौकी पर आतंकी हमला हो सकता है। चेतावनी के बाद सेना को एलर्ट भी किया गया था, फिर भी ये घटना हुई। जानकार बताते हैं कि यह संघर्ष विराम के उल्लंघन का ये कोई सामान्य मामला नहीं है। इसलिए जवाबदेही तय करने और वहशियाना कृत्य करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सर्वोच्च स्तर पर पहल होनी चाहिए। दोनों देशों ने आवाजाही के नियमों को उदार बनाने से लेकर व्यापार बढ़ाने तक के लिए कई दोस्ताना फैसले किए हैं। शायद पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को यह रास नहीं आया है। यह भी किसी से छिपा नहीं रहा है कि कट्टरपंथी दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने के प्रयासों को पलीता लगाना चाहते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या पाकिस्तानी सेना का भी ऐसा ही इरादा है? या सेना में भी कट्टरपंथियों की घुसपैठ है और यह उन्हीं की कारगुजारी थी? इन सवालों का जवाब भी देश को मांगना होगा।
बहरहाल तीन दिन बाद ही सही लेकिन शनिवार को जब एयरचीफ मार्शल ने आंखे तरेरते हुए चेतावनी दी कि पाकिस्तान की ओर अगर ऐसी कार्रवाई फिर दोहराई गई तो दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। फौज की ये चेतावनी सुनकर सीना चौड़ा हो गया। सरकार की चुप्पी से देश खुद को शर्मशार महसूस कर रहा था, लेकिन फौज की चेतावनी ने आज भारतीयों को सीना चौड़ाकर घर से बाहर निकलने का मौका दिया है। सरकार का बस चले तो वो फौज को भी बंधुआ मजदूर बनाकर रख देगी, लेकिन एयरचीफ मार्शल ने जिस अंदाज में भारत की ओर से चेतावनी दी,इससे साफ हो गया है कि सेना कठपुतली सरकार की बंधुआ मजदूर नहीं है। वैसे अब समय आ गया है जब सेना को अपनी शान बनाए रखने के लिए भारत पाकिस्तान सीमा पर अहम फैसले खुद लेने होंगे।
सरकार के कामकाज के तरीकों को देखकर मैं बहुत हैरान हूं। दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद मेरे जहन मे एक सवाल उठा कि क्या देश की कानून व्यवस्था सही हाथो में हैं। यानि जिन हाथों में कानून व्यवस्ता है, वो इसके काबिल हैं ? अब जम्मू-कश्मीर के मेंढर सेक्टर में कोहरे और अंधेरे का फायदा उठा कर कुछ पाकिस्तानी सैनिक कई सौ मीटर तक भारतीय सीमा में घुस आए। यहां दो भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी और उनमें से एक का सिर काट ले गए। यह निहायत बर्बरतापूर्ण कार्रवाई है। दूसरे देश के सैनिकों के साथ किस तरह बर्ताव किया जाए, इस बारे में जेनेवा समझौता नाम से एक वैश्विक कायदा बना हुआ है। पाकिस्तानी सैनिकों ने जो किया वह दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम के साथ-साथ जेनेवा समझौते के भी खिलाफ है। इसके बाद भी सरकार के ठंढे रियेक्शन से ये सवाल उठ रहा है कि क्या देश वाकई मजबूत और सुरक्षित हाथो में हैं। मुझे नहीं लगता कि इसका जवाब देने की जरूरत है। सब जानते हैं कि देश में लुंज पुंज सरकार है, जो हर मोर्चे पर फेल रही है। चाहे मसला घरेलू हो या फिर अंतर्राष्ट्रीय, सरकार का रुख क्या है, वही साफ नहीं है। हम भीतर से कमजोर है, लोग ये समझ चुके है। यही वजह है कि पिद्दी सा पड़ोसी देश इस तरह की हिमाकत कर रहा है। पाकिस्तान आंखे तरेर रहा है और हम मटरू की बिजली का मन्डोला गाकर खुश हैं।
पाकिस्तान की इस कार्रवाई की पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई। होना तो ये चाहिए था कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षामंत्री ऐसी प्रतिक्रिया देते कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त को खुद अपने आकाओं के पास भागकर जाना पड़ता और वो वहां जाकर बताता कि अब सबकुछ ठीक नहीं है, अगर पाकिस्तान ने अपने कुकृत्यों को काबू में नहीं रखा तो कुछ भी हो सकता है। लेकिन हुआ क्या? ये देखकर सिर शर्म से झुक जाता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त को मंत्रालय में तलब किया, पचासौं के कैमरे के बीच वो मुस्कुराता हुआ कार से आया और चला गया। बाद में बताया गया कि भारत ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जाहिर कर दी है। सवाल ये है कि क्या इतने से हो गई बात खत्म? वो संघर्ष विराम को तोड़कर भारतीय सैनिकों पर कहर बरपाते रहे हैं और हम गुस्सा जाहिर कर मामले को रफा दफा कर दें।
मैं जानना चाहता हूं भारत की सरकार से क्या उन्होंने पाकिस्तान सरकार से ये जानने की कोशिश की कि जिन सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुस कर ये वारदात की, वो कौन हैं, और उन्हें भारत को कब तक सौंपा जाएगा ? या फिर क्या भारत ने ये दबाव बनाया कि पाकिस्तान अपने दोषी सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई करे ? सच तो ये है कि इस बारे में पहले के अनुभव भी काफी निराशाजनक रहे हैं। करगिल लड़ाई के दौरान कैप्टन सौरभ कालिया के साथ भी पाकिस्तानी फौज ने बर्बर सलूक किया था। उनके परिवार को उनका क्षत-विक्षत शव ही सौंपा गया था। जांच से साफ हुआ था कि कैप्टन कालिया को काफी यातना दी गई थी। इस मामले में कालिया के पिता दोषियों को सजा दिलाने के लिए पाकिस्तान सरकार से लेकर अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं तक सबसे गुहार लगा चुके हैं पर अब तक उनकी कोशिशों का कोई नतीजा नहीं निकला है।
मेरा मानना है कि जब भी भारत की ओर से शांति बहाली और दोनों देशों के बीच अमन की पहल की जाती है, तब पड़ोसी मुल्क से उसका नकारात्मक जवाब मिलता है। हमारी बातचीत की पहल का जवाब हमें गोलाबारी से दी जाती है। आप सबको पता है कि देश में एक बड़ा तपका इस बात के खिलाफ था कि पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भारत आए। लेकिन दोनों देशों में सौहार्द को बढाने के लिेए सरकार ने टीम को यहां आने के लिए हरी झंडी दे दी। यहां तक कि क्रिकेटर दाउद इब्राहिम के करीबी रिश्तेदार जावेद मियांदाद को भी भारत आने के लिए वीजा दे दिया गया। सौहार्द की हमारी कोशिशों के बदले हमें क्या मिला? हमें नफरत मिली, हमारे सैनिकों की हत्या की गई, उनके शव के साथ बर्बर व्यवहार किया गया। गुस्सा तब और बढ़ जाता है जब पाकिस्तान की ऐसी कार्रवाई के बाद भी देश के प्रधानमंत्री गूंगे, बहरे, मुर्ख बने तमाशा देखते रहते हैं। वैसे सामरिक विश्लेषकों का मानना है कि इसके पीछे आतंकियों की घुसपैठ कराने की पाकिस्तानी सेना की सोची-समझी रणनीति होती है। ये बात सरकार को भी पता है, फिर भी सरकार की चाल देखिए.. शर्म आती है।
हैरानी तब और बढ़ जाती है जब चेतावनी के बाद भी ऐसी घटनाएं हो जाती हैं। पता चला है कि कुछ दिन पहले मल्टी एजेंसी सेंटर ने चेतावनी दी थी कि जम्मू क्षेत्र में सेना की किसी चौकी पर आतंकी हमला हो सकता है। चेतावनी के बाद सेना को एलर्ट भी किया गया था, फिर भी ये घटना हुई। जानकार बताते हैं कि यह संघर्ष विराम के उल्लंघन का ये कोई सामान्य मामला नहीं है। इसलिए जवाबदेही तय करने और वहशियाना कृत्य करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सर्वोच्च स्तर पर पहल होनी चाहिए। दोनों देशों ने आवाजाही के नियमों को उदार बनाने से लेकर व्यापार बढ़ाने तक के लिए कई दोस्ताना फैसले किए हैं। शायद पाकिस्तान के कट्टरपंथियों को यह रास नहीं आया है। यह भी किसी से छिपा नहीं रहा है कि कट्टरपंथी दोनों देशों के रिश्तों को बेहतर बनाने के प्रयासों को पलीता लगाना चाहते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या पाकिस्तानी सेना का भी ऐसा ही इरादा है? या सेना में भी कट्टरपंथियों की घुसपैठ है और यह उन्हीं की कारगुजारी थी? इन सवालों का जवाब भी देश को मांगना होगा।
बहरहाल तीन दिन बाद ही सही लेकिन शनिवार को जब एयरचीफ मार्शल ने आंखे तरेरते हुए चेतावनी दी कि पाकिस्तान की ओर अगर ऐसी कार्रवाई फिर दोहराई गई तो दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा सकता है। फौज की ये चेतावनी सुनकर सीना चौड़ा हो गया। सरकार की चुप्पी से देश खुद को शर्मशार महसूस कर रहा था, लेकिन फौज की चेतावनी ने आज भारतीयों को सीना चौड़ाकर घर से बाहर निकलने का मौका दिया है। सरकार का बस चले तो वो फौज को भी बंधुआ मजदूर बनाकर रख देगी, लेकिन एयरचीफ मार्शल ने जिस अंदाज में भारत की ओर से चेतावनी दी,इससे साफ हो गया है कि सेना कठपुतली सरकार की बंधुआ मजदूर नहीं है। वैसे अब समय आ गया है जब सेना को अपनी शान बनाए रखने के लिए भारत पाकिस्तान सीमा पर अहम फैसले खुद लेने होंगे।
सरकार को अबतक जबाबी कार्यवाही कर देनी चाहिए,,,,
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
जी मैं आपकी बात से सहमत हूं...
Deletemahendra ji jab tak kisi vyakti ko vyaktigat roop se aap n jante hon aapko aisa nahi kahna chahiye jahan tak soniya ji ki bat hai keval videshi hone ke karan aap unhe asamvedansheel nahi kah sakte mother teresa bhi videshi thi kintu ek bhartiy maa jaisee thi sonia ji bhi ek bhartiy bahu hain aur usse bhi kahin badhkar unke prati duragrah ko tyagte hue aap jo bhi likhenge bahut shandar likhenge kyonki kalam to aapki sevika hai .बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक अभिव्यक्ति भारत सदा ही दुश्मनों पे हावी रहेगा .
ReplyDelete@ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
कोई बात नहीं, मैं आपकी और आपकी भावनाओं का आदर करता हूं। किसी तरह के विवाद पर विराम लगाते हुए मैं आपकी बात पर अपनी सहमति का मुहर लगा रहा हूं...
Deleteपर उनके अनुशासित क़दमों को उसी ढंग से इस्तेमाल करते हैं
ReplyDeleteजी बिल्कुल, अनुशासन तो बहुत जरूरी है..
Deleteकायरता की हद है!
ReplyDeleteईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए!
जी, इच्छा तो यही है ....
Deleteआपके विचारों से एकदम सहमत सर जी ! तभी मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों के बीच ये पंक्तियाँ बन पडीं;
ReplyDeleteहे मातृ भूमि!
पड़ोसी की कायराना हरकत
लेती रहेगी कब तक
तेरे सपूतों की जान
कर लेते हैं "इति श्री" कहकर केवल
"कृत्य है निन्द्य"
"नहीं जायगा व्यर्थ बलिदान शहीदों का"
देश के बड़े बड़े मुखिया श्रीमान
..........बहुत बहुत शुक्रिया ...
बढिया, बहुत बहुत आभार
ReplyDeletemujhe ek bat aaj tak samjh nahi aayee .jab samjhouta tut hi gaya hai to unke ghar me ghus kar unke 100-50 ko mar kar kyon nahi aati hamari sena.ye khud ki aur se kiya gaya yudh thodi hai apni jan bachane ke liya ki gayee javabi karyavahi hai..
ReplyDeleteaur ye kisi bhi tarah se kisi bhi samjhoute kaulanghan nahi ho sakta..vaise sahi hai ki ab seema par sena ko apne faisale khud lene honge kyonki ye neta ye sarkaar to koi nirnay lene ke kabil hi nahi hai..
sarthak chintan..
देश की और आपकी चिंता जायज है। बहरहाल सरकार पर तो हमें बिल्कुल भरोसा नहीं है, लेकिन फौज हमारा, आपका और देश का भरोसा बरकरार रहना चाहिए।
Deleteagar har sainik ki jan ke badale 50 jaan na lee to lanat hai
ReplyDeletekyon fir seema par apni jaan dene jayega
unhe bharosa to hona chahiye na ki unki jaan desh ke liye kitani kemati hai
ya yu hi koi kheere ki tarah sir uda le jayega
sena me saikado javan honge lekin patni ka to ek hi pati hai bachcho ka ek hi pita aur maa baap ka ek beta
sena me saikado javan honge lekin patni ka to ek hi pati hai bachcho ka ek hi pita aur maa baap ka ek beta..
Deleteजी बिल्कुल मैं आपकी भावनाओं से सहमत हूं, आपकी इस सोच का आदर करता हूं..
सच तो ये है कि अब अपने यहाँ लोकतंत्र की जगह एक ऐसे तानाशाह शासन की जरुरत है,जिस की छाँव तले भ्रष्ट नेता से लेकर पडोसी मुल्क तक डरे
ReplyDeleteवैसे इस वक्त पाकिस्तान को जवाब देने का वक्त है ,सेना ने धमकी दी ..सुन कर-पढ़ कर अच्छा लगा....अब आगे देखते है कि क्या होता है
जब तक हमारे जवानों का हौसला बरकरार है, हमें फिक्र करने की जरूरत नही है, लेकिन ये सही है कि लुंज पुंज सरकार और मंत्री के चलते जो कड़ा संदेश पाकिस्तान को मिलना चाहिए, कहीं ना कहीं वो मिसिंग हैं।
Deleteपकिस्तान ने बहुत कायरतापूर्ण घटना की है , मानता हूँ | लेकिन क्या हमारी सरकार ने कायरता दिखने में कोई कमी छोड़ी | दो शख्स जो आपकी और आपके जैसे करोड़ों देशवासियों की सुरक्षा के लिए सीमा पर खड़े थे , दिल्ली को उनकी हत्या इतनी मामूली घटना लग रही है कि उनका कोई भी नुमाइंदा देश को आश्वासन देने / जवाबी कार्यवाही की उम्मीद बंधाने या कोई और सख्त कदम उठाने और उनके परिवारीजनों को सांत्वना देने के लिए अपने आरामदायक राजमहलों से बाहर भी निकला होता |
ReplyDeleteभारतीय सेना एक ऐसी संस्था है जिसकी इज्जत सबसे पहले होनी चाहिए और अगर ये सरकार ये भी नहीं कर सकती तो धिक्कार है इन पर और इनकी भारतीयता पर |
सादर
बिल्कुल सही कहा आपने, मैं आपकी भावनाओं से पूरी तरह सहमत हूं..
Deleteबहुत बहुत आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति के अवसर पर
उत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई!
बहुत बहुत आभार सर
Deleteबढ़िया प्रस्तुति ! मकर संक्राति की मंगलमय कामनाये !
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteआपको मकरसंक्राति की शुभकामनाएं
महेन्द्र भाई देश आज उस हालात में पहुँच गया है की अब तक सिर्फ आदेश लेने वाली सेना खुद फैसला कर ले तो देश अन्दर से खुश ही होगा .इस राजनीतिक प्रबंध ने उस दो कौड़ी के प्रवक्ता को जिसने देश की सर्वोच्च सत्ता एवं शौर्य के प्रतीक सर्वोच्च कमांडर (तत्कालीन वी के सिंह जी )के लिए कहा -वह है क्या एक सरकारी नौकर भर है .सोनिया इंतजाम ने उस बित्ते से प्रवक्ता को आज सूचना प्रसारण मंत्रालय खुश होकर सौंप दिया .क़ानून में सैंध लगाके विकलांगों की बैसाखी खा जाने वाले क़ानून मंत्री को खुश होकर विदेश मंत्री बना दिया है वह आदमी आज इत्मीनान से कहता है .सरकार बात ही तो कर सकती है वह बात कर रही है .आज ज़नाब इस बात से बहुत खुश हैं दोनों तरफ के फ्लेग कमांडरों की मीटिंग तो हुई .स्तर देखिये इनके संतोष का .
ReplyDeleteअलबत्ता हर स्तर पर सरकार की नालायकी ने इधर उधर बिखरे लोगों को एक जगह लाकर खड़ा कर दिया है जहां वह इस स्वाभिमान हीन सरकार से कैसे भी छुटकारा पाना चाहेगी .सेना पहल करे देश उसके साथ है देश का स्वाभिमान उसके साथ है .सरकार को गोली मारो .
गूंगा राजा बहरी रानी ,दिल्ली की अब यही कहानी .
गूंगा राजा बहरी रानी ,दिल्ली की अब यही कहानी
Deleteएक लाइन में आपने पूरी बात कह दी।
मकरसंक्रांति की बहुत बहुत शुभकामनाएं..
ReplyDeleteमंगल मय हो संक्रांति पर्व .देश भी संक्रमण की स्थिति में है .सरकार की हर स्तर पर नालायकी ने देश को इकठ्ठा कर दिया है .शुक्रिया आपके इस बेहतरीन आलेख का .