Sunday, 30 December 2012

आप बताएं ! नायक या खलनायक ...


दिल्ली गैंगरेप पीड़ित बेटी की मौत ने देश को हिलाकर रख दिया है। इस पूरे घटनाक्रम को देखता हूं तो मुझे बलात्कारियों से कहीं ज्यादा गुस्सा देश की कमजोर सरकार से है। सोनिया गांधी महिला हैं, मैं उन पर सख्त टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन मुझे पक्का भरोसा है कि देश के बर्बादी की जब भी कभी कहानी लिखी जाएगी तो सोनिया गांधी का  नाम सबसे ऊपर  होगा। उन्होंने देश के प्रमुख पदों पर ऐसे कमजोर, गिजगिज, निरीह आदमी को बैठा दिया, जिससे देश की ऐसी तैसी हो जाए। प्रधानमंत्री बनाया मनमोहन सिंह को और गृहमंत्री बना दिया सुशील कुमार शिंदे को। अब ये दोनों कितने सक्षम है, देश की जनता जानती है। बहरहाल इन बदबूदार चेहरों की कल्पना मात्र से सिर शर्म से झुक जाता है पर ये चिकने घढ़े इस सब से बेपरवाह अपने राजनीतिक दाँव-पेचों से असल मुद्दों से जनता को भटकाने का खेल खेलते रहे हैं।

नाराणय दत्त तिवारी
आइये आज आपको मिलाते हैं कुछ ऐसे लोगों से जो हमारे बीच में ही हैं। ये देश की अगुवाई करते रहे हैं, इनके नाम के आगे हमें माननीय लगाने को मजबूर होना पड़ता है। ये ऐसे शख्स हैं जो होने वाले मुख्यमंत्री को शपथ दिलाते हैं। पहले इन्हीं की बात कर लें, नाम है नारायण दत्त तिवारी। इन्हें अगर हम रसिया तिवारी कहें तो गलत नहीं होगा। आंध्र प्रदेश का राज्यपाल रहते हुए इनका ऐसा वीडियो बाहर आया, जिससे पूरा देश सन्न रह गया। आपको  पता है इनकी उम्र 80 के पार हो चुकी है। हम सब जानते हैं कि उज्जवला शर्मा और उनके बेटे रोहित शर्मा को न्याय के लिए कानून का सहारा लेना पड़ा। आखिर में डीएनए टेस्ट के बाद ये साफ हो गया कि रोहित शेखर कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता नारायण दत्त तिवारी का बेटा है। तिवारी की करतूतों पर देश भले शर्मिंदा हो, पर तिवारी शर्मिंदा होंगे, लगता नहीं है।

गोपाल कांडा
हरियाणा के पूर्वमंत्री गोपाल कांडा सत्ता के गलियारे का काफी रसूखदार शख्स है। आलीशान हवेलियों में शानो शौकत से रहने के आदी कांडा ने देश की बेटी गीतिका का जीना मुहाल कर दिया था। इसके व्यवहार से वो इतना परेशान हो गई थी कि इसके कंपनी की नौकरी छोड़कर चली गई। लेकिन इस हैवान ने उसे परेशान करना नहीं छोड़ा। हालत ये हो गई कि बेचारी गीतिका फांसी के फंदे पर झूल गई। हालाकि बेटी गीतिका ने जाते जाते एक सुसाइड नोट छोड़ दिया, जिससे इस काले करतूतों वाले मंत्री का असली चेहरा देश के सामने आ जाए। गोपाल कांडा का असली चेहरा सामने आया, उसे हरियाणा के मंत्रिमंडल से बाहर किया गया, बाद में वो जेल गया। लेकिन जेल में इसके लिए वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध थीं। एक ओर देश बलात्कारियों के लिए फांसी मांग रहा है, वहीं देश के अफसर ऐसे लोगों को जेल में भी वीआईपी सुविधा देकर जी हजूरी करते रहते हैं।

चंद्र मोहन उर्फ चांद मोहम्मद
ये शख्स किसी पहचान को मोहताज नहीं है। हरियाणा के उप मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन उप मुख्यमंत्री के तौर पर इन्होंने क्या काम किया, ये तो देश को नहीं पता। लेकिन शादी शुदा होते हुए भी दूसरी शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन किया और चंद्र मोहन से बन गए चांद मोहम्मद। इन्होंने अपनी प्रेमिका अनुराधा बाली का भी धर्म परिवर्तन कराया और वो हो गई फिजा। दोनों ने शादी कर ली। मगर ये शादी ज्यादा दिन नहीं चली, महीने दो महीने में ही तलाक हो गया। शादी टूटने के बाद कुछ दिन तक तो अनुराधा उर्फ फिजा काफी आक्रामक रही। वो चंद्रमोहन और उसके परिवार को लगातार कठघरे में खड़ा करती रही। बाद मे ना जाने क्या हुआ कि फिजा का शव उसके घर में ही पंखे से लटका मिला। आज अनुराधा बाली उर्फ़ फिज़ा की संदिग्ध मौत ने राजनेताओं की चाल, चेहरा और चरित्र को बेपर्दा कर दिया ! अपनी हवस और मौजमस्ती के लिये ये नेता अपने माँ-बाप,भाई बहन , बीवी बच्चे और यहाँ तक कि दीन और इमान को भी छोडने में रति भर नही झिझके, तो सोचिये कि किस तरह के शासन/प्रशासन की हम इनसे उम्मीद लगाए बैठे हैं ?

अमर मणि त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के बड़े और ताकतवर नेताओं में अमरमणि त्रिपाठी का नाम भी शुमार है। कवियित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में अमरमणि और उनकी पत्नी दोनों आरोपी हैं। कोर्ट ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी और जांच में यह बात सामने आई कि हत्या के वक्त मधुमिता गर्भवती थी और अमरमणि के इशारे पर ही उनके गुर्गे पांडेय और राय उसके घर जाकर मधुमिता को गोली मारी थी। सुनवाई के दौरान सीबीआई ने जो तथ्य अदालत में रखे थे, कोर्ट ने उससे सहमति जताई थी। इसी आधार पर कोर्ट ने अमरमणि उनकी पत्नी और उनके दो गुर्गों कुल मिलाकर चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। तत्कालीन सरकार में मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी से मधुमिता के काफी करीबी रिश्ते थे। बताया जाता है कि मधुमिता मां बनने वाली है यह बात जैसे ही अमरमणि को पता चली उसने अपनी पत्नी संग मिलकर उसकी हत्या करवा दी। क्योंकि मधुमिता को अमरमणि के काले कारनामों का पता था, उसने धमकी दी थी कि अगर वो उनसे शादी नहीं करते तो उनके सारे राज उगल देगी। जिसके बाद मधुमिता को खतरनाक मौत मिल गयी।

स्वामी नित्यानंद
खद्दरधारी नेताओं पर तो बलात्कार के आरोप काफी समय से लगते रहे हैं, लेकिन बलात्कार के मामले में भगवाधारी भी पीछे नहीं रहे हैं। इसमें स्वामी नित्यानंद की तो बकायदा सीडी बाहर आ गई थी, जिसमें वो एक अभिनेत्री के साथ अश्लील हरकत करते हुए कैमरे में कैद हो गए थे। इस सीड़ी के बाद काफी बवाल मचा था, उनके खिलाफ हजारों लोग गुस्से में सड़कों पर निकल आए, जगह जगह उनका पुतला  फूंका जाने लगा। उनके आश्रम में छापे पड़े, लेकिन स्वामी नित्यानंद भूमिगत हो गए थे। वैसे नित्यानंद पर महिलाओं के साथ अश्लीलता का आरोप कोई नया नहीं है। उन पर अमेरिकी महिला के साथ पांच साल पहले उसका यौन शोषण करने का आरोप लगा था। इस आरोप से भी जनता भड़क गयी थी और कन्नड़ संगठनों ने प्रदर्शन भी किया था। नित्‍यानंद उस अमेरिकी महिला से कहते थे कि हम भगवान है तुम भगवान के साथ सेक्‍स कर रही हो, यह पाप नहीं है। तुमको स्‍वर्ग प्राप्‍त होगा। हम शंकर है तुम मेरी पार्वती। वाह रे स्वामी जी...


एसपीएस राठौर
सीनियर आईपीएस अफसर एसपीएस राठौर हरियाणा के पूर्व डीजीपी रहे हैं। इन पर जिस तरह का आरोप लगा है, अगर मजबूत कानून होता तो हो सकता  है कि अब तक ये वाकई सजा पा चुके होते।  एक नाबालिग लड़की रुचिका इनके उत्पीड़न से इतना परेशान हो गई कि उसे आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ गया। आरोप तो यहां तक है कि राठौर हमेशा पुलिस के रौब में रहे, यही वजह है कि उनके इशारे पर रुचिका के भाई को भी कई बार थाने पर बुलाकर प्रताड़ित किया जाता रहा है। रुचिका के भाई आशु ने आरोप लगाया था कि छेड़छाड़ मामले के बाद राठौड़ के इशारे पर उसके खिलाफ वाहन चोरी का झूठा मुकदमा दर्ज किया गया और हरियाणा पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया। राठौर उस समय आईजी रैंक का आधिकारी था। इस मामले में सीबीआई की भूमिका पर भी उंगली उठी। मामले की जांच सीबीआई को ही सौंपी गई थी, लगभग सभी आरोपों में सीबीआई ने रटारटाया जवाब दिया कि जो आरोप  लगाए गए हैं, उनका कोई साक्ष्य नहीं मिला। वो तो भला हो रुचिका की सहेली और उसके परिवार का जो बगैर डरे, इस मामले  में लड़ते रहे, जिससे कुछ दिन के लिए ही सही कम से कम राठौर को जेल की हवा तो खानी पड़ी, वैसे तो राठौर पर कोई असर नहीं, वो तो कोर्ट में भी मुस्कुराता खड़ा रहता था।


स्वामी चिन्मयानंद
नित्यानंद का तो वीडियो मार्केट में आ गया था, लेकिन स्वामी चिन्मयानंद का मामला बिल्कुल अलग है। यहां तो स्वामी की शिष्या ने ही बकायदा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। रिपोर्ट में स्वामी पर बलात्कार, अपहरण और गला दबाकर जान से मारने की बात कही गई है। अब इन स्वामी को भी जान लें, ये स्वामी कोई और नहीं बल्कि बीजेपी नेता, पूर्व गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद हैं। इन पर गंभीर आरोप लगाने वाली इनकी ही शिष्या है, जिनका नाम है साध्वी चिदर्पिता। साध्वी बनने से पहले इनका नाम कोमल गुप्ता था। कोमल की बचपन से ही ईश्वर में अटूट आस्था थी। ये मां के साथ लगभग हर शाम मंदिर जाती थी। इसी बीच मां की सहेली ने हरिद्वार में भागवत कथा का आयोजन किया और इन्हें भी वहां मां के साथ जाने का अवसर मिला। उसी समय कोमल गुप्ता का स्वामी चिन्मयानन्द से परिचय हुआ। स्वामी जी उस समय जौनपुर से सांसद थे। तब कोमल की उम्र लगभग बीस वर्ष थी। स्वामी को ना जाने कोमल में क्या बात नजर आया कि वे कोमल को संन्यास के लिये मानसिक रूप से तैयार करने लगे। मैं कह नहीं सकता कि कोमल नासमझ थी या वो सन्यास लेकर नई दुनिया में खो जाना चाहती थी। बहरहाल कुछ भी हो कोमल ने स्वामी की बातों में हामी भरी और सन्यास के लिए राजी हो गई। स्वामी चिन्मयानंद ने कोमल को दीक्षा देने के साथ ही उसका नाम बदल कर साध्वी चितर्पिता कर दिया। दीक्षा के बाद साध्वी का नया ठिकाना बना शाहजहांपुर का मुमुक्ष आश्रम। चिन्मयानंद ने साध्वी को दीक्षा तो दी पर उसके सन्यास की बात को टालते रहे। ऐसा क्यों, इस रहस्य से स्वामी और साध्वी ही पर्दा हटा सकते हैं, बहरहाल स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार का रिपोर्ट लिखाने के बाद कोमल ने एक पत्रकार से शादी कर ली और वैवाहिक जीवन में हैं।

शशिभूषण सुशील
शशिभूषण सुशील सामान्य व्यक्ति नहीं है, ये आईएएस अधिकारी हैं और उत्तर प्रदेश में तैनात हैं। इन अफसरों की जिम्मेदारी  होती है कि कानून की रक्षा कराएं और कानून तोड़ने वालों को सजा दिलाएं। लेकिन इस अफसर ने तो मर्यादा की सारी सीमाएं ही तोड़ दीं। यूपी में तकनीकी शिक्षा विभाग में विशेष सचिव के पद पर तैनात वर्ष 2001 बैच के आईएएस अधिकारी शशिभूषण सुशील के खिलाफ एक युवती की शिकायत पर भारतीय दंड विधान की धारा 354, 376, 506 और 511 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। पीडित लडकी के साथ ही सफर कर रही उसकी मां द्वारा दर्ज करायी गयी रिपोर्ट के मुताबिक भूषण गाजियाबाद स्टेशन से लखनऊ मेल ट्रेन के एसी सेकेंड डिब्बे में सवार हुए। आरोप है कि सूचना-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाली महिला की मां जब शौचालय गयी तो भूषण ने अकेली पाकर उस युवती से बलात्कार की कोशिश की, इसकी शिकायत ट्रेन में तैनात सुरक्षा जवानों तथा कंडक्टर से भी की गयी। ट्रेन के लखनऊ पहुंचने पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने भूषण से करीब चार घंटे तक पूछताछ की और फिर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्हें बाद में स्थानीय रेलवे अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। सबसे ज्यादा शर्मनाक  बात तो ये रही कि इस आरोपी आईएएस  को बचाने के लिए यूपी के दर्जनो आईएएस स्टेशन पहुंच गए। इसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आरोपी को बचाने के लिए स्टेशन गए आईएएस की रिपोर्ट मांगी तो सब बगले झांकने लगे।

महिपाल मदेरणा
राजस्थान के पूर्वमंत्री महिपाल मदेरणा का नाम भी उनके काम की वजह से लोग नहीं जानते, बल्कि उनका नाम भी भंवरी देवी हत्याकांड के बाद चर्चा में आया। मॉडल से नर्स बनी भंवरी देवी के हत्‍याकांड ने पूरे देश की राजनीति को हिला कर रख दिया था। पहले सेक्‍स फिर ब्‍लू फिल्‍म की सीडी बनाकर ब्‍लैकमेल करने की बात को लेकर भंवरी देवी की हत्‍या कर दी गई। कहा जा रहा  है कि उसके शव को चूना बनाने वाले भट्ठे में फेंक दिया गया था। भंवरी देवी के लापता होने के बाद जब इसकी जांच शुरु हुई तो परत दर परत सारे मामले सामने आ गये। पुलिस की छानबीन के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने इस मामले में राजस्‍थान के जल संस्‍थान मंत्री महिपाल मदेरणा और कांग्रेस विधायक मलखान सिंह को गिरफ्तार किया। सीबीआई ने जब भंवरी के बैंक एकाउंट को खंगला तो उसके होश उड़ गये। भंवरी देवी के बैंक लॉकर से सैकड़ों सीडियां बरामद हुई जिसमें राजस्‍थान के बड़े नेता और अधिकारियों के आपत्तिजनक फिल्‍म थे। इतना ही नहीं राजस्‍थान के बड़े नेताओं के साथ भंवरी देवी विदेश यात्रा पर भी जा चुकी थी। मगर भंवरी का अंजाम क्‍या हुआ यह पूरा देश जानता है । सीबीआई के ह‍त्‍थे चढ़े भाड़े के अपराधियों ने कबूला कि मदेरणा और मलखान के कहने पर ही उन लोगों ने भंवरी की हत्‍या की थी।


रवींद्र  प्रधान
मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की प्रवक्ता कविता रानी बुलंदशहर स्थित घंसुरपुर गांव में दीवाली की छुट्टी बिताकर 23 अक्टूबर 2006 को मेरठ के लिए रवाना हुई थी, लेकिन वह इंदिरा गांधी वर्किंग विमिन हॉस्टल नहीं पहुंची। उसका मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ हो गया था। इस संबंध में कविता रानी के भाई सतीश ने हॉस्टल पहुंचकर पता किया तो उसके कमरे के दरवाजे पर ताला लगा था। सतीश ने 31 अक्टूबर 2006 को बुलंदशहर स्थित स्याना कोतवाली में कविता की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। बाद में स्याना पुलिस ने मामला मेरठ पुलिस के पास स्थानांतरित कर दिया। पुलिस ने मेरठ स्थित हॉस्टल में कविता के कमरे का ताला उसके भाई सतीश की मौजूदगी में तोड़ा। जहां धमकी भरे लेटर और एक डायरी मिली। जिसमें कुछ राजनेताओं के नाम और नंबर थे। पुलिस ने रवींद्र प्रधान, सुलतान, योगेश, अशोक और रवींद्र को गिरफ्तार किया। इनकी गिरफ्तारी के बाद कुछ राजनेताओं के नाम भी उछले। जिसकी वजह से राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया था। 10 जनवरी 2007 को केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने रवींद्र प्रधान, सुलतान, योगेश,अशोक और रविन्द्र के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में पेश कर दी। केस की सुनवाई के दौरान 29 मई 2008 को डासना जेल में रवींद्र प्रधान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। गिरफ्तारी के बाद आरोपी सुलतान ने पुलिस और सीबीआई के सामने कविता की हत्या करने का जुर्म कबूल किया। शव को गाजियाबाद स्थित नहर में फेंकने की बाद बताई थी। पुलिस ने कविता का शव बरामद करने के लिए नहर में कई दिनों तक छानबीन की थी। मगर शव बरामद नहीं हुआ था। ( तस्वीर उपलब्ध नहीं )

आनंद सेन
फैजाबाद में कानून की छात्रा शशि भी एक मंत्री आनंद सेन के प्रेम के चंगुल में फंस गयी थी। जिसका खामियाजा भी शशि को अपनी दर्दनाक मौत से चुकाना पड़ा। 22 अक्टूबर 2007 को फैजाबाद में अपने घर से गायब हुई शशि के बारे में लंबी छानबीन के बाद पता चला कि उसकी हत्या कर दी गई है। शशि के पिता एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे। राजनीतिक पृष्ठभूमि के परिवार की तेज तर्रार शशि की आंखों में विधानसभा से चुनाव लड़कर विधायक बनने का सपना था, और इस सपने को साकार करने का सपना शशि को दिखाया खुद आनंद सेन ने। इसी सपने के जरिए शशि आनंद सेन के करीब होती चली गई। नतीजा ये हुआ उसकी दर्दनाक मौत हो गई। फिलहाल आनंद सेन को सजा हुई और वह जमानत पर बाहर भी निकल आये हैं मगर आजतक शशि का शव तक बरामद नहीं हो सका।

सुशील शर्मा
नैना साहनी केस ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। हालांकि यह मामला राजनीति से ज्‍यादा जुड़ा हुआ नहीं था मगर नैना का मित्र सुशील दिल्ली प्रदेश युवक कांग्रेस का अध्यक्ष था। घटना वर्ष 1995 की है। सुशील ने नैना की हत्‍या कर दी और उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर डाले। उसके बाद सुशील ने नैना के शव के टुकड़ों को तंदूर में डालकर जला दिया। फिलहाल इस मामले में सुशील को सजा हो चुकी है।

ये तो सिर्फ चुनिंदा घटनाएं हैं। इन घटनाओं से साफ है कि सत्‍ता से नजदीकियां रखने वाली महिलाओं का अंजाम हमेशा बुरा ही हुआ है। पिछले कुछ सालों में जिन महिलाओं की कहानियां सामने आईं हैं वो सत्‍ता और राजनेताओं के करीब तो रहीं मगर उनका अंजाम काफी बुरा हुआ। यहां तक की इन दरिंदे राजनेताओं ने उन्‍हें अपनी जिंदगी से ही हाथ धोने को मजबूर कर दिया। कुछ मामलों में अदालत ने नेताओं को सजा सुनाई तो कुछ पर मुकदमा अभी जारी है। कुछ की तो अभी पुलिसिया जांच चल रही है। दिल्ली गैंगरेप के बाद देश भर में गुस्सा है। बलात्कारियों को फांसी की बात की जा रही है। मेरा भी मानना है कि इन्हें वाकई सख्त सजा होनी चाहिए, लेकिन मैं इस मत का हूं कि अगर कानून पहले से सख्त होता तो ये लोग भी बच नहीं पाते। इन सबको सजा होती तो आज लोगों की हिम्मत ना होती कि वो देश की बेटी के साथ ऐसा सुलूक करते। बहरहाल अब एक उम्मीद जगी है कि सख्त कानून बनेगा और देश की बेटियां सुरक्षित रहेंगी।







41 comments:

  1. ऐसे महारथियों की लेखाजोखा लिखने लगें तो महागाथा तैयार हो जाएगी हमारे निकम्मी बेशर्म भ्रष्ट प्रशासन की..शासन चलाने वालो की..ऐसा होता रहेगा..जब तक हमारा समाज कुछ कड़े फैसले लेकर नेताओं को शासन में भेजना बंद नहीं करेगा।

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    1. हा जी बात तो सही है, लेकिन ये मौका जब इन्हें भी याद किया जाना चाहिए, इनका असली चेहरा देश के सामने होना चाहिए..

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  2. आँखें खोलनेवाली सारगर्भित पोस्ट!

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  3. चेहरे पर पूरा सच है, आधा सच क्यूँ कहते भाई ?

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  4. aise hi kam se kam 400 vidhayk sansad rajneeti me hai..hame mil kar justice verma aayog ko sujhav dena chahiye ki balatkaar ke liye banaye jane vale kade kanoon ke tahat aise logo ko tikit diya jana nishedh ho jin par kabhi bhi balatkaar ya chhedchhad ke aarop lage hon.
    jab aam aadami ke liye kanoon ban sakta hai ki chhed chhad karne par licence radda kiya jayega to in netao ke liye aisa kanoon kyon nahi???

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    1. मैं आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूं...
      सख्त कानून हो और सभी के लिए हो...

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  5. अंधेर नगरी ...चौपट राजा

    अब आगे और क्या क्या होगा
    जो देखना बाकि है
    जो आग जली है हर दिल में
    वो जलती रहें बस ये ही काफी है ||

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    1. हां बिल्कुल
      वैसे अब ये आग बुझने वाली नहीं..

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  6. जितने भी चेहरे आपने दिखाए ...ये सब जाने माने चेहरे है ..पर कहीं कोई शर्मिंदगी या पछतावा नजर नही आता ...क्यों ???? इस कानून की वजह से ये सब आज भी मज़े में हैं ....जब तक ऐसे जल कर भस्म न हो जाएँ ..ये आग बुझनी भी नही चाहिए ...

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    1. जी सर, यही बताने की कोशिश है कि नेता, अफसर, साधु सब तो एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं.. आम आदमी कहां जाए..

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  7. सही कहते हैं आप.
    नेता, अफसर, साधु सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं.
    आम आदमी कहाँ जाए?

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  8. मेरा मानना है कि इन्हें भारत के बजाय सऊदी अरब के कानून के मुताबिक सजा दी जानी चाहिए।

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  9. मेरा मानना है कि इन्हें भारत के बजाय सऊदी अरब के कानून के मुताबिक सजा दी जानी चाहिए।

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    1. सजा तो जितनी सख्त हो, कम ही है.

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  10. इन्हे सऊदी अरब के कानून के मुताबिक सजा दी जानी चाहिए, भारतीय कानून के मुताबिक नहीं।

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  11. चिरनिद्रा सोकर,जगा गई देश को दामिनी,,,
    जल्द ही निश्चित रूप से कडा क़ानून बनेगा,,,,
    ==============================
    नव-वर्ष की बहुत२ शुभकामनायें! महेंद्र जी,,,
    recent post : नववर्ष की बधाई

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    1. सही कहा धीरेंद्र जी
      आपको भी नए वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति है ...और उससे सुन्दर बात आपने अपने वक्तव्य में कही है ..

    " इन घटनाओं से साफ है कि सत्‍ता से नजदीकियां रखने वाली महिलाओं का अंजाम हमेशा बुरा ही हुआ है। पिछले कुछ सालों में जिन महिलाओं की कहानियां सामने आईं हैं वो सत्‍ता और राजनेताओं के करीब तो रहीं मगर उनका अंजाम काफी बुरा हुआ"

    ---अधिकाँश मामलों में ...कुछ को छोड़कर... लड़कियों--महिलाओं की अपनी महत्वाकांक्षा ही उनकी मुसीबत का कारण बनी है...
    ----महिलाओं को सोचना होगा कि अपनी अति-महत्वाकांक्षा हेतु पुरुषों को सीढ़ी की भाँति उपयोग करना अनुचित है...
    -----पुरुषों को नादान/ भोली-भाली महिलाओं को समझाना चाहिए न कि उन्हें फुसलाना यह उनका नैतिक दायित्व है..
    ---ताली दोनों ओर से बजती है....

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    1. ---ताली दोनों ओर से बजती है....

      बात में दम है,

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  13. अच्छी पोस्ट के लिए बधाई !
    किसी पत्रकार का नाम न देखकर संतोष हुआ कि कम से कम एक वर्ग तो अभी इस तरह के आरोप से बचा हुआ है शायद ?

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    1. नहीं नहीं, ऐसा नहीं है पत्रकार भाई दूध के धुले हैं। लेकिन अभी बात जान लेने देने तक नहीं पहुंची है। वरना तो यहां कांडा ही कांडा हैं।

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  14. दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए,
    मुट्ठी में बंद कुछ रेत-कण,
    ज्यों कहीं फिसल गए।
    कुछ आनंद, उमंग,उल्लास तो
    कुछ आकुल,विकल गए।
    दिन तीन सौ पैसठ साल के,
    यों ऐसे निकल गए।।
    शुभकामनाये और मंगलमय नववर्ष की दुआ !
    इस उम्मीद और आशा के साथ कि

    ऐसा होवे नए साल में,
    मिले न काला कहीं दाल में,
    जंगलराज ख़त्म हो जाए,
    गद्हे न घूमें शेर खाल में।

    दीप प्रज्वलित हो बुद्धि-ज्ञान का,
    प्राबल्य विनाश हो अभिमान का,
    बैठा न हो उलूक डाल-ड़ाल में,
    ऐसा होवे नए साल में।

    Wishing you all a very Happy & Prosperous New Year.

    May the year ahead be filled Good Health, Happiness and Peace !!!

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    1. आपको भी नया साल बहुत बहुत मुबारक

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  15. मंगलमय नव वर्ष हो, फैले धवल उजास ।
    आस पूर्ण होवें सभी, बढ़े आत्म-विश्वास ।

    बढ़े आत्म-विश्वास, रास सन तेरह आये ।
    शुभ शुभ हो हर घड़ी, जिन्दगी नित मुस्काये ।

    रविकर की कामना, चतुर्दिक प्रेम हर्ष हो ।
    सुख-शान्ति सौहार्द, मंगलमय नव वर्ष हो ।।

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  16. उम्मीदों पे उतरे खरे सारे तंत्र, समाज में आये ऐसा बदलाव.
    नए साल के पहले दिन से हमारा हो इस तरफ सार्थक प्रयत्न.

    शुभकामनाओं के साथ...

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  17. talkh sacchayeeon se rubroo karanta vajandar lekha -jokha

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  18. चिंगारी राख में दबी ना रह जाए हवा उसे शोला बनाकर परिणति तक पहुंचाए यही कामना है

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  19. उफ़ कितने घिनौने चेहरों को बेनकाब किया है आपने
    ये हमारे देश के नेता हैं सोच कर घिन आती है .....

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    1. सच में इन नेताओं का हिसाब कब होगा
      आभार

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  20. अब तो आधा सच भी सहने की शक्ति नहीं है ..

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  21. उम्मीद करता हूँ कि ये आग अपने अंजाम तक पहुँचने से पहले बुझे नहीं |
    यहाँ साथ ही ये उल्लेख करना भी आवश्यक है कि असली जिम्मेदारी कानून बनने के बाद शुरू होगी , उसका सख्ती से पालन करने की |

    सादर

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।