गुजरात में चुनावी चौपाल की भागमभाग के बीच एक दिन समय निकाल कर हम सब पहुंच गए जूनागढ़ में गीर के जंगलों में। वैसे तो मैं कई बार जिम कार्बेट, नेशनल दुधवा पार्क गया हूं, लेकिन आज तक मैं शेर के दर्शन नहीं कर पाया था। हां पिछली दफा दुधवा नेशनल पार्क में जरूर एक शेर की पूंछ दिखी थी, क्योंकि वो महज 30 सेकेंड में जंगल में गुम हो गया। लेकिन मेरी वर्षों की हसरत पूरी हुई इस गीर कें जंगल में। इस जंगल में इतने शेर देखे कि अगर मैं ये कहूं कि यहां मैने कुत्तों की तरह शेर देखे, मतलब जिस तरह आपको जहां तहां कुत्तों के झुंड दिखाई दे जाते हैं, उसी तरह गीर फारेस्ट में शेरों के साथ है।
अच्छा शेर को देखने का अपना अलग आनंद है, लेकिन आप अंदाज नही लगा सकते कि हम सब उसके कितने करीब थे। हमारे और शेर के बीच फासला महज तीन चार मीटर का रहा है। एक बार तो मुझे लगा कि शेर ये नहीं शेर तो हम हैं जो जानते हुए कि ये मिनट भर में हम सब की ऐसी तैसी कर सकता है, फिर भी हम डटे हुए थे। आज हम सबको लग रहा था कि शायद ऐसा मौका फिर ना मिले, लिहाजा कैमरे रुक ही नहीं रहे थे। शेर को भी ना जाने क्या सूझ रहा था, वो भी कैमरे को देखकर तरह तरह के पोज बना रहा था। पहले तो वह जंगल के बीच था, उसे लगा कि हम सबको तस्वीर लेने मे दिक्कत हो रही है, लिहाजा वो पूरे परिवार के साथ खुद ही सड़क के बीचो बीच आया और लेट गया।
जंगल मे घूमने के दौरान यहां के डीएफओ डा. संदीप कुमार हमारे साथ थे। वो जंगल की बारीकियां हमें बता रहे थे। उनके महकमें के ट्रैकर जंगल मे तैनात थे, जो सभी वाकी टाकी से जुड़े हुए हैं। डा कुमार पूछते कि इस वक्त कहां कहां शेर मौजूद है। कई लोकेशन से मैसेज मिल गया, जिससे शेरो को हमने आसानी से देख सके। इन दिनों टेलीविजन और रेडियो पर एक विज्ञापन आ रहा है। जिसमें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन पर्यटकों को गुजरात आने का न्यौता दे रहे हैं। वे बताते हैं कि गुजरात के गीर के जंगलों में शेर देखने आइये। जहां राजा और प्रजा सब साथ मिलकर रह रहे हैं। वैसे तो ये महज पर्यटक विभाग का एक विज्ञापन भर है, लेकिन बताते हैं कि अमिताभ भी यहां शेरों को देख काफी खुश थे। अमिताभ ने ट्विटर पर लिखा है कि मुझसे केवल पाँच फुट की दूरी से शेर गुजरे.. अमेजिंग..। नर, मादा, शावक.. मेरी ओर आए, मुझे देखा और आगे बढ़ गए। उन्होंने लिखा है कि जो कुछ मैंने देखा, उस पर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ।
वैसे इस जंगल मे कई तरह के अनुभव हुए। मेरे समझ नहीं आ रहा था कि क्या शेर किसी पर रहम कर सकता है? क्या वह किसी को जीवन भी दे सकता है ? क्या उसके सामने आ जाने पर कोई भी अपने स्थान पर यूं ही खड़ा रह सकता है ? उसके पैने नुकीले दांतों और लंबे-लंबे नाखूनों में लगे खून को देखकर भी कोई भयमुक्त हो उसके सामने खड़ा रह सकता है ? क्या शेर शाकाहारी हो सकता है ? ये तमाम ऐसे सवाल हैं, जिनका उत्तर मैं अभी भी नहीं तलाश पाया हूं। अच्छा एक दो जगह नहीं इसी जंगल में कई जगह शेर मिले और सभी के बहुत करीब जाकर हम सबने तस्वीरें लीं। वैसे सच बताऊं मन में तो शैतानी सूझ रही थी कि एक ईंट इसकी ओर दे मारूं, फिर देखूं क्या करता है ? हाहाहहाहा
आपको बता दूं कि दुनिया दुनिया भर मे जहां सरंक्षित वन्य जीवों की संख्या लगातार घट रही है वहीं गुजरात में एशियाई शेरों की संख्या में काफी बढोत्तरी हुई है। गुजरात के इस गीर अभ्यारण और आस पास के इलाकों में शेरों की गिनती का काम पूरा हो चुका है और नतीजे काफी उत्साहजनक आए हैं. पिछले तीस सालों में गीर के शेरों की संख्या दुगनी हो गई है। नई गणना के अनुसार यहां 411 शेर विचरण करते हैं। बताया गया कि 1979 में यहाँ केवल 205 शेर ही बचे थे, लेकिन अब शेरों को बचाने का अभियान अपना असर दिखा रहा है और शेरों की संख्या लगातार बढ रही है।
गीर जंगल के बारे में भी दो चार बातें ना लिखूं तो इस अभ्यारण की कहानी अधूरी रह जाएगी। वन्य जीवों से भरा गिर अभ्यारण्य लगभग 1424 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस वन्य अभ्यारण्य में अधिसंख्य मात्रा में पुष्प और जीव-जन्तुओं की प्रजातियां मिलती है। यहां स्तनधारियों की 30 प्रजातियां, सरीसृप वर्ग की 20 प्रजातियां और कीडों- मकोडों तथा पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है। दक्षिणी अफ्रीका के अलावा विश्व का यही ऐसा एकलौता स्थान है जहां शेरों को अपने प्राकृतिक आवास में रहते हुए देखा जा सकता है। जंगल के शेर के लिए अंतिम आश्रय के रूप में गिर का जंगल, भारत के महत्वपूर्ण वन्य अभ्यारण्यों में से एक है।
बताते हैं कि गिर के जंगल को सन् 1969 में वन्य जीव अभ्यारण्य बनाया गया और 6 वर्षों बाद इसका 140.4 वर्ग किलोमीटर में विस्तार करके इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया। यह अभ्यारण्य अब लगभग 258.71 वर्ग किलोमीटर तक फैल चुका है। वन्य जीवों को सरक्षंण प्रदान करने के प्रयास से अब शेरों की संख्या बढकर 411 हो गई है। कुछ ही लोग जानते होंगे कि गिर भारत का एक अच्छा पक्षी अभ्यारण्य भी है। यहां फलगी वाला बाज, कठफोडवा, एरीओल, जंगली मैना और पैराडाइज फलाईकेचर भी देखा जा सकता है। साथ ही यह अधोलिया, वालडेरा, रतनघुना और पीपलिया आदि पक्षियों को भी देखने के लिए उपयुक्त स्थान है। इस जंगल में मगरमच्छों के लिए फॉर्म का विकास किया जा रहा है जो यहां के आकर्षण को ओर भी बढा देगा । देश में सबसे बड़े कद का हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा और बारहसिंगा भी यहां देखा जा सकता है साथ ही यहां भालू और बड़ी पूंछ वाले लंगूर भी भारी मात्रा में पाए जाते है।
चलते - चलते
मित्रों की सलाह पर हमने एक रात इसी जंगल के रिसार्ट मे गुजारी। बताया गया कि देश में सिर्फ यहां ही नीग्रो की आबादी है। हमने इच्छा जताई कि चलो उनके गांव चलते हैं, थोड़ी देर वहां बिताते हैं, पर सलाह दी गई कि नहीं इनके गांव शाम के वक्त जाना ठीक नहीं है। एक मित्र उनके कुछ लोगों को जानता था, उसने उनसे बात की और हमारे रिसार्ट पर ही सज कई नीग्रो का हंगामा। वो बहुत मस्ती और अलग धुन में डांस करते है, हम सब भी खुद को रोक नहीं पाए। खूब झूमे।
सोच रहा हूं कि दो तीन और तस्वीरें आपके साथ शेयर करूं......
ये तस्वीर बिल्कुल सामने से चार मीटर की दूरी से ली गई है। आप पहचान ही गए होंगे ये बब्बर शेर है।
अब ये मत कहिएगा कि हमने तस्वीर चोरी से ली है, एक नहीं चार चार शेरों के आंख में आंख मिलाकर तस्वीर ली गई है। चलिए आप ही तय कीजिए असली शेर कौन ?
देश में बहुत कम ही जगह नीग्रो रहते हैं। जूनागढ़ में गिरी अभयारण्य के करीब ये कबीला रहता है। शाम की मस्ती इन्हीं के साथ...
मूड मस्ती का था हमने भी नहीं रह गया और थाम लिया उनका ढोलक, दो चार थाम मेरे साथ भी..
गिर के विषय मे सार्थक जानकारी |काफी समय पहले देखा है ,यादें ताज़ा हो गईं |आभार।
ReplyDeleteजी आभार
Deleteसंसद से चालू सड़क, धड़क धड़क गिरि जाय |
ReplyDeleteकुत्तों से ही अनगिनत, रविकर झुण्ड दिखाय |
रविकर झुण्ड दिखाय, इन्हें भी सिंह कहे हैं-
होकर राजा श्रेष्ठ, शेरनी-जुल्म सहे हैं |
रहे बोलती बंद, प्रफुल्लित हम हैं बेहद |
जारी है दृष्टांत, देखनी यह भी संसद ||
जी आभार, बहुत बहुत शुक्रिया
Deletewah ji chunavi choupal ke sath gir forest ke sheron ke bhi darshan karva diye aapne..sach me shero ko pas se dekhna adbhut anubhav hota hai.
ReplyDeleteजी सही कहा आपने
Deleteमैं तो अभी तक हैरान हूं
वैसे सच बताऊं मन में तो शैतानी सूझ रही थी कि एक ईंट इसकी ओर दे मारूं, फिर देखूं क्या करता है ? हाहाहहाहा
ReplyDeleteye kar hi dete aap to shayad ye post bhi kahin aur se hi bhejte.vah vah vah vah
हाहहाहाहा
Deleteआपने खास लाइन पकड़ ही ली.
आभार
क्या बात, आभार
ReplyDeleteमस्ती के मूड में ढोलक बजाना अच्छा लगा,,,
ReplyDeleteबहुत खूब सुंदर प्रस्तुति,,,,
recent post: बात न करो,
हाहाहहा
Deleteआभार
आज हम सबको लग रहा था कि शायद ऐसा मौका फिर ना मिले, लिहाजा कैमरे रुक ही नहीं रहे थे। शेर को भी ना जाने क्या सूझ रहा था, वो भी कैमरे को देखकर तरह तरह के पोज बना रहा था। पहले तो वह जंगल के बीच था, उसे लगा कि हम सबको तस्वीर लेने मे दिक्कत हो रही है, लिहाजा वो पूरे परिवार के साथ खुद ही सड़क के बीचो बीच आया और लेट गया।
ReplyDeleteये सब देखने का मज़ा निराला ही होगा .......आनंद ही आनंद हो ...बाकि सारे के सारे चित्र एक से बढ़ कर एक .....मस्ती का मूड अच्छा लगा
हां जी बिल्कुल
Deleteमुझे तो बहुत अच्छा लगा
बहुत ही रोचक यात्रा विवरण/रिपोर्ट .
ReplyDeleteअद्भुत लग रहा है यह अभ्यारण ,कभी मौका मिलेगा तो ज़रूर जाना चाहूंगी.
नीग्रो बस्ती के बारे में जानकारी नयी है.
बिल्कुल, मैं तो यही कहूंगा कि समय मिले तो यहां जरूर आना चाहिए
Deleteआप के काम में ऐसी मस्ती भी जरूरी है ,इससे काम के प्रति उर्जा बनी रहती है और फिर काम की एक पोस्ट भी ..:-))??
ReplyDeleteनेशनल दुधवा पार्क में मैं भी दो साल पहले गया था ,पर जाना बेकार रहा सारा दिन काफी
अंदर तक कुत्ता भी नही दिखा ...
खुश रहें, मस्त रहें
सर आपका बहुत बहुत आभार
Deleteबहुत ही रोचक यात्रा विवरण.उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
Deleteसुंदर और मनोरंजक चित्रमयी प्रस्तुति.
ReplyDeleteआभार
Deleteshrijan ki tulika me samete manmohak prastuti...
ReplyDeleteआभार, बहुत बहुत आभार
Deleteबड़ी रोचक जानकारी
ReplyDeleteकभी मौका मिलेगा तो मैं भी घुमने जाऊंगा गीर अभ्यारण
मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/12/blog-post.html
बिल्कुल जाना चाहिए, इसके लिए तो समय निकालना होगा...
Deleteलिखते अच्छा हैं .आदाब .
ReplyDelete'गिर अभय आरण्य शेर ही शेर '
बहुत बढ़िया विवरण .अजी शेरों की क्या मजाल चैनालियों से आँख मिलाये .फिर शेर शेर है रंगा सियार नहीं है मुलायम सा माया सा जिसके व्यवहार की प्रागुक्ति न की जा सके .
शुक्रिया आपका
Deleteसच ! मनभावन पोस्ट...
ReplyDeleteशु्क्रिया अमृता
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteलगता है खू्ब मस्ती की.....बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteजी मस्ती तो हुई
Deleteलेकिन काम के साथ