अगले तीन दिनों तक टीवी न्यूज चैनलों पर गुजरात
चुनाव का रंग दिखेगा, मेरे ख्याल से इसके अलावा कोई
और खबर चैनल पर अपनी जगह नहीं बना पाएगी। अखबार भी गुजरात चुनाव और नरेन्द्र मोदी से
पटे रहेंगे। सच कहूं तो मीडिया ने जिस ऊंचाई पर गुजरात चुनाव को पहुंचा दिया है,
उससे राजनीति में थोड़ी सी भी रुचि और दखल रखने वालों की जुबान पर सिर्फ
एक ही सवाल है क्या नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार चुनाव जीत कर सरकार बना पाएंगे
? क्या कांग्रेस गुजरात में वापसी करेगी ? क्या गुजरात के दिग्गज नेता केशुभाई पटेल अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब
होंगे ? तीनों सवाल महत्वपूर्ण है और इसका जवाब वाकई आसान नहीं
है। लगभग 23 दिन तक गुजरात के विभिन्न जिलों में लोगों की नब्ज टटोलने के बाद मैं जरूर
एक निष्कर्ष पर पहुंचा हूं और वो ये कि चुनाव के नतीजे ऐसे नहीं आने वाले है,
जिससे नरेन्द्र मोदी की आसानी से ताजपोशी हो सके। मसलन मुझे नहीं लगता
है कि 20 दिसंबर को गुजरात में मोदी दीपावली मना पाएंगे।
मैं दिल्ली में था तो लग रहा था कि अरे गुजरात
में कोई मोदी का कोई मुकाबला ही नहीं है। यहां मीडिया ने भी मोदी को सातवें आसमान पर
चढ़ा रखा है। दिल्ली की मीडिया का कहना है कि ये चुनाव गुजरात का नहीं,
बल्कि ये चुनाव दिल्ली की कुर्सी का असली वारिस तय करेगा। दिल्ली की
मीडिया ने अपनी आंखों पर ऐसा चश्मा चढ़ा रखा है कि उसे गुजरात का असली रंग दिखाई नहीं
दे रहा है। चुनाव के नतीजे मोदी के पक्ष में होंगे या नहीं, इसका
फैसला तो 20 दिसंबर को होगा, लेकिन मैं कहता हूं कि गुजरात के
मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी तो ये चुनाव पहले ही हार चुके हैं। यही वजह है कि मोदी को
ना अपने किए गए विकास कार्यों पर भरोसा है, ना अपने विधायकों
पर भरोसा रह गया है।
मैं कहता हूं कि चुनाव के नतीजों में विधायकों
की संख्या के आधार पर मोदी भले जीत जाएं, पर मोदी भाई
जिस नैतिकता और ईमानदारी की बात करते रहे हैं, उस पर वो खरे नहीं
उतरे। चुनाव के पहले दावा किया गया था कि दागी, भ्रष्ट,
बेईमान विधायक और मंत्रियों को पार्टी का टिकट नहीं दिया जाएगा। नरेन्द्र
भाई बताइये ना आप किस बेईमान मंत्री का टिकट काटने का साहस आप जुटा पाए ? किस दागी विधायक को आपने टिकट नहीं दिया ? कई जगह तो
ऐसे भी आरोप लग रहे हैं कि पार्टी के वफादार कार्यकर्ता को टिकट ना देकर टिकट बेच दिए
गए। जिन चेहरों को लेकर नरेन्द्र भाई चुनाव मैदान में हैं, उसे
देखकर तो यही लगता है कि मोदी को चुनाव हारने का डर सता रहा था, लिहाजा उन्हें समझौता करना पड़ा। दागी, भ्रष्ट और बेईमानों
के चुनाव लड़ने की वजह से ही मोदी इस बार पूरी तरह बैकफुट पर हैं, वो अपनी चुनाव जनसभाओं में भी बार-बार एक बात दुहराते हैं कि गुजरात की जनता
नरेद्र मोदी को देखकर वोट करे।
मोदी की अपील का मतलब आपको समझाना जरूरी है। चुनाव
के वक्त मोदी किसी सवाल का जवाब नहीं देना चाहते। वो इन सवालों से बचना चाहते हैं कि
भ्रष्ट मंत्रियों को दोबारा उम्मीदवार क्यों बनाया गया,
वो इस बात से भी बचना चाहते हैं कि दागी नेताओं को उम्मीदवार क्यों बनाया
गया ? इस समय वो इस सवाल से भी पीछा छुटाना चाहते हैं कि वफादार कार्यकर्ताओं
को टिकट ना देकर पैसे वालों को टिकट कैसे दे दिए गए ? ऐसे ही
सवालों से बचने के लिए मोदी कहते हैं कि जनता उम्मीदवार को बिल्कुल ना देखे, वो नरेन्द्र
मोदी को देखे और पार्टी के चुनाव निशान कमल का फूल देखे और वोट करे। अब मुझे तो नहीं
लगता कि गुजरात की जनता मोदी और फूल देखकर वोट कर देगी। आज गुजरात में हालत है ये है
कि मोदी सरकार के मंत्रियों का चुनाव जीतना मुश्किल हो गया है। वैसे तो मोदी की जनसभाओं
में काफी भीड़ु हुआ करती है, लेकिन इस बार कई मौकों पर मोदी लोगों के ना जुटने से खासा नाराज
हुए, उन्होंने जाते समय अपने उम्मीदवार को लताड़ा और कहा कि
अगर भीड़ नहीं जुटा सकते तो टिकट लेने क्यों आ गए ?
मुझे पता है कि आप जानना चाहते हैं कि मैं मोदी
को कितनी सीट दे रहा हूं, पहले इस पर चर्चा
करूं, पर थोड़ा इंतजार
कीजिए, इस पर भी बिल्कुल चर्चा करूंगा, पर थोड़ी बात बीजेपी की चुनावी राजनीति पर हो जाए। वैसे तो सही यही है कि गुजरात
में बीजेपी का मतलब सिर्फ नरेन्द्र मोदी हैं, वहां पार्टी का
कोई और नेता कितनी ही सभा कर ले, किसी को दूसरे नेताओं में कोई
इंट्रेस्ट नहीं है। लेकिन मोदी का हर जगह पहुंचना संभव नहीं हो पा रहा था, लिहाजा उन्होंने आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए थ्रीडी के जरिए सभाएं करनी
शुरू कीं, लेकिन उनके इस हाई प्रोफाइल प्रचार पर कांग्रेस हमला
बोला तो मोदी बैकफुट पर आ गए, वैसे भी थ्रीडी सभाएं कोई असरदार
साबित नहीं हो रही थीं।
अच्छा एक बात और...। 2007 के चुनाव में सोनिया गांधी ने नरेन्द्र मोदी के
लिए जो काम किया था, वही काम इस बार क्रिकेटर बीजेपी
नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने केशुभाई पटेल के लिए किया। मोदी का नाम लिए बगैर सोनिया
ने उन्हें "मौत का सौदागर" बताया
था, बस इसी एक शब्द को भुना ले गए नरेन्द्र मोदी और उन्होंने
सोनिया गांधी और कांग्रेस पर ऐसा हमला बोला कि गुजरात में कांग्रेस हाशिए पर चली गई।
इस बार केशुभाई पटेल को बीजेपी नेता नवजोत सिद्धू ने "देशद्रोही" कहा तो गुजराती पटेल बिल्कुल भड़क गए। केशुभाई जिन्हें गुजराती "बप्पा" यानि बड़ा मानते हैं, उन्होंने सार्वजनिक मंच से कहा कि हां अगर मैं देशद्रोही हूं तो "मुझे पत्थर मारो" । केशुभाई के इस हमले पूरी बीजेपी
हिल गई। सच तो ये है कि केशुभाई की गुजरात परिवर्तन पार्टी जो महज तीन चार सीट जीत
सकती थी, अब वो आठ नौ तक पहुंच जाए तो किसी को हैरानी नहीं होनी
चाहिए।
कुल मिलाकर मैं कह सकता हूं कि देश के बाकी हिस्से
में लोग भले मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीसरी जीत को लेकर आशान्वित हों,
पर खुद मोदी पूरी तरह कत्तई आश्वस्त नहीं है। बहरहाल मेरा स्पष्ट मत
है कि कोई चमत्कार ही मोदी के विधायकों की संख्या तीन अंकों में पहुंचा सकता है,
वरना इस बार मोदी 85 से 95 यानि
बहुमत से एक कम ही सीट जीतने की स्थिति में हैं। मोदी के खिलाफ नाराजगी की हालत ये
है कि अगर बहुमत से पांच छह सीटें मोदी की कम रहीं तो उनके लिए ये नंबर जुटाना बहुत
मुश्किल होगा। अच्छा मै मोदी को जो 95 सीटें बता रहा हूं इसलिए नहीं कि उन्होने बहुत
अच्छा काम किया है, जिसकी वजह से उन्हें ये सीटें मिलेंगी,
बल्कि कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल ने कांग्रेस को इतना नुकसान
पहुंचा दिया है, वरना कांग्रेस की हालत यहां और बेहतर हो सकती
थी।
मेरा मानना है कि इस चुनाव के बाद कम से कम कांग्रेस
नेता सोनिया गांधी को अपने राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल की छुट्टी कर देनी चाहिए। मेरा
मानना है कि मोदी को गुजरात चुनाव में पटखनी देने के लिए कांग्रेस को ज्यादा मेहनत
नहीं करनी थी, सिर्फ दो काम करने थे, पहला शंकर सिंह बाघेला को प्रस्तावित नेता घोषित कर देते और चुनाव तक पार्टी
के दूसरे नेता अहमद पटेल को गुजरात जाने पर रोक लगा देते। इतना करके कांग्रेस यहां
कम से कम 98 सीटें यानि बहुमत हासिल करने की स्थिति में पहुंच जाती।
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सच में
गलत सलाह दी जा रही है, जिसकी वजह से पार्टी को खासा नुकसान
हो रहा है। गुजरात में कांग्रेस नेताओं में अहम के टकराव की वजह से पार्टी की हालत
पतली है। शंकर सिंह बाघेला जिस तरह से गुजरात में पार्टी को मजबूत करने में लगे थे,
अगर उन्हें केंद्र सपोर्ट मिलता तो मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि
गुजरात की कमान कांग्रेस के हाथ में होती। लेकिन पार्टी के दूसरे नेता अहमद पटेल को
लगा कि अगर ऐसा हुआ तो उनकी अहमियत घट सकती है, लिहाजा चुनाव
के ठीक पहले तमाम ऐसे काम हुए जिससे पार्टी को बहुत नुकसान हुआ। कांग्रेस में गलत लोगों
को टिकट दिए गए हैं, वो भी दो चार नहीं बल्कि बीसियों ऐसे लोग
टिकट पाने में कामयाब हो गए, जिनकी इलाके में दो पैसे की पूछ
नहीं हैं। ऐसे में पार्टी के सीनियर नेता घर बैठे हुए हैं।
सच्चाई
तो ये है कि गुजरात चुनाव के पहले जिस
तरह से सोनिया गाधी और राहुल गांधी को सक्रिय होकर आक्रामक तेवर दिखाना चाहिए था,
उसमें कहीं ना कहीं कमी रही। लगता है नेतृत्व को समझाया गया था कि गुजरात
में पार्टी कामयाब नहीं हो सकती, इसीलिए सोनिया और राहुल को दूर
रखा गया। लेकिन जब बीजेपी नेताओं ने शोर मचाना शुरू किया कि कांग्रेस के बड़े नेता
चुनाव मैदान छोड़कर गायब हो गए, तब जाकर सोनिया और राहुल की सभाएं
लगाईँ गईं। बहरहाल चुनाव के आखिरी हफ्ते में कांग्रेस ने गुजरात में तेजी से वापसी
की, सच कहूं कि यही तेवर कांग्रेस ने कुछ पहले दिखाए होते तो
कांग्रेस आज सहज स्थिति में होती। वैसे भी जब पार्टी नेता अहमद पटेल ने देखा की कांग्रेस
की स्थिति बेहतर हो रही है तो श्रेय लेने के लिए उन्होंने खुद भी सभाएं करनी शुरू कर
दीं। वैसे उनके इलाके में भी टिकट बंटवारे
को लेकर लोगों मे खासी नाराजगी है।
जहां तक कांग्रेस की सीटों का सवाल है मैं तो उन्हें 80 + रखूंगा।
फिर दुहरा रहा हूं एक बात कि अगर कांग्रेस ने यहां शुरू से मेहनत की होती, मेहनत ना भी सही लेकिन कांग्रेस नेता शंकर सिंह बाघेला को ताकत दी गई होती
तो यहां पार्टी की स्थिति कुछ और ही होती। कम लोगों को ही मालूम होगा कि यहां कांग्रेस
नेता मोहन प्रकाश कई महीने से डेरा डाले हुए थे, उन्होंने भी
जमीन तैयार करने में काफी मशक्कत की, लेकिन उनकी भी सीमाएं थी,
बेचारे अहमद पटेल के आगे वो भी असहाय हो गए। यहां दो एक सीटें एनसीपी
और एक सीट जेडीयू के खाते में भी जा सकती है। चलिए जी बातें हो गई, अब इंतजार
करते हैं 20 तारीख का, जब सभी की किस्मत का फैसला हो जाएगा। वैसे
दुहरा दूं चमत्कार ही मोदी को इस बार मुख्यमंत्री बनाएगा।
अभी टीवी पे ये ही न्यूज़ फ्लेश हो रही हैआंकडे, आंकलन का दोर शुरू हो चुका है ...हर किसी कि नज़र अब नतीजों पर हैं ...हम भी इंतज़ार कर रहें हैं :)
ReplyDeleteहां ! मतदान हो चुका है, सभी के अपने अपने आंकड़े हैं। देखिए क्या होता है परिणाम..
Deleteबहुत बढ़िया...
ReplyDeleteजी आभार
Deletebada sateek vishleshan hai ye vaise iske adhar par to unt kis karvat baith jaye kahna mushkil hi hai..aur hamara desh to chamatkaaro ki bhoomi hai hi .baki 20 ko..
ReplyDeleteहां बात सही है, चमत्कार तो होता है खास तौर पर राजनीतिक चमत्कार
Deleteटीवी पर सबकी नजरें जमी हैं...क्या होता है !!
ReplyDeleteजी हर टीवी पर अलग अलग राय दिखाई दे रही है
Deleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 18/12/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका इन्तजार है
ReplyDeleteजी आपका बहुत बहुत आभार
Deleteटी॰वी पर तो अभी से एकसिस्ट-पोल मोदीजी की हेट्रिक बता रहे है और इससे भी ज्यादा सीट आएगी मोदीजी की।
ReplyDeleteहां जी मैं भी देख रहा हूं सर्वे के नतीजे
Deletehe should hatrik.....100% more then 125 seats.
ReplyDeleteइंशाल्लाह, आपकी बात सही हो
Deleteमेरी और यहाँ रहने वाले मेरे कई गुजराती मित्रों की दिली इच्छा है और ईश्वर से प्रार्थना है कि चमत्कार हो और मोदी बहुमत से जीतें . फिर से सरकार बनायें.
ReplyDeleteबाकि उमीदवारों के बारे में पता नहीं लेकिन मोदी जैसे नेता को ज़रूर जीतना चाहिए.हमारे कई मित्र जो गुजरात चले गए थे नौकरी के लिए वे वहाँ इतने खुश हैं कि अब वापस नहीं आना चाहते .
अच्छी बात है, आप सभी की इच्छा पूरी हो..
Deleteरही बात नौकरी की तो मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि वो किस जगह पर नौकरी पा गए जहां से वापस नहीं जाना चाहते..
Jee ve log Ahsmdabad mei hain.
Delete------------------------
lijeeye chamtkaar ho gya Mahendra ji...
We are here so happy to see Modi back in power.
God give him more strength .
जी आपको बहुत बहुत बधाई
DeleteUTKRIST PRASTUTI,CHARCHA HONI BHI CHAHIYE THI AUR HO B RAHI HAI,BADHAYEE
ReplyDeleteजी चर्चा हो रही है, सच क्या है 20 को ही पता चलेगा
Deleteमोदी जी के विधायकों की संख्या तीन अंकों पहुचनना मुझे मुश्किल लगता है,,,,,
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति,,,,
recent post: वजूद,
जी मुझे तो ऐसा ही लगता है, अब देखिए 20 को
Deleteएग्ज़िट पोल तो मोदी के पक्ष में है....
ReplyDeleteहेटट्रिक होती दिखती है...
सादर
अनु
देखिए क्या होता है
Deleteमुझे तो सबकुछ ठीक नहीं लग रहा
अच्छी विस्तृत रिपोर्ट है ....
ReplyDeleteजिस प्रकार उनके द्वारा गुजरात के विकास की बात हो रही है हैट्रिक
होने के च्यान्सेस है..देखते है 20 को क्या होता है !
जी मुझे भी इंतजार है
Deleteबेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
Deleteमोदी राजनीति के सुलझे हुए खिलाडी हैं.
ReplyDeleteदेखना है गेंद किस ओर गई है.
सहमत हूं आपसे
Deleteपोस्ट का शीर्षक गलत साबित हुआ है क्योंकि चमत्कार एक बार होता है लगातार तीन-चार बार नहीं, ठीक वैसे जैसे बंगाल में ज्योतिबसु का दौर आया था, यह उनकी भूल है जो इसे मोदी का दौर नहीं मान रहे है।
ReplyDeleteमैं खुद गुजरात में दस दिन तक घूमा हूँ उसके बाद पता लगा कि गुजरात महान क्यों है।
गुजरातियों ने केशु को भी उसकी हैसियत बता दी है। जहाँ तक मुझे याद है कि शंकर सिंह घाघ भी कभी बीजेपी में हुआ करता था। जनता ने क्या इनको मोदी जितना समर्थन दिया है?
कुछ तो बात है अकेले मोदी में, जो अपने दम पर (बसु जैसे)बार-बार जीत रहे है।
हां, सही कहा आपने, मेरा आंकलन गलत निकला..
ReplyDeleteजी चमत्कार भी हो गया और हेट्रिक भी... अब देखते हैं आगे - आगे क्या होता है...
ReplyDeleteबिल्कुल ठीक कहा आपने
Deleteमोदी जी ने आज मुख्यमंत्री पद की शपत ले ली। आपको आज रात को नींद आएगी या नहीं ??
ReplyDeleteअच्छा ऐसा हो गया,
Deleteमैं कोशिश करुंगा की नींद आ जाए..
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDelete