Wednesday 11 July 2012

बदबू आती है ऐसे नेताओं से ...


च कहूं तो ऐसे नेताओं से बदबू आती है जो जनता की भावनाओं को समझने के बजाए उनकी खिल्ली उड़ाते हैं। पहले हम गृहमंत्री पी चिदंबरम को गंभीर नेता मानते थे, लेकिन कल जिस तरह उन्होंने मंहगाई के मुद्दे पर गैर जिम्मेदाराना बयान दिया, उससे तो चिदंबरम सिर्फ मेरे ही नहीं देश भर के लोगों की नजरों से गिर गए. और मेरा विश्वास है आदमी पहाड़ से गिरने के बाद एक बार उठ सकता है, लेकिन समाज की नजरों से गिरने के बाद उठना मुश्किल है।
जानते हैं चिदंबरम ने क्या कहा। उनसे बात मंहगाई की हो रही थी, चिदंबरम में कहा कि खामखाह देश में मंहगाई को तूल दिया जा रहा है। ये हमारी सोच का फर्क है, आदमी को 15 रुपये की आइसक्रीम खरीदने में जरा भी तकलीफ नहीं होती, जबकि गेहूं की कीमत एक रुपये बढ़ जाती है तो लोग शोर शराबा करते हैं। ये लोगों की गलत सोच भर है, कोई मंहगाई नहीं है। इस बयान से आसानी से समझा जा सकता है कि ये आदमी सत्ता के नशे में कितना मदहोश है, इसे जब शहर के ही 90 फीसदी लोगों की असलियत का अंदाजा नहीं है, तो ये गांव गिरांव के बारे में भला क्या जानता होगा।
मैं दावे के साथ कह सकता हू कि शहर की 10 से 15 फीसदी आबादी ही आइसक्रीम का खर्च उठा पाती है, 90 फीसदी आबादी के लिए आज भी आइसक्रीम बहुत दूर की बात है। गांवों में तो अभी भी 25-50 पैसे वाली आइसक्रीम बेचने वाले आते हैं, जो इन गरीब बच्चों को गर्मी में ठंड का अहसास कराते हैं। ऐसे में मंहगाई का इस तरह बचाव करना ना सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि अमानवीय भी लगता है। ऐसे चिदंबरम से अगर लोगों को बदबू आती है तो मैं कहता हूं ये कत्तई गलत नहीं है। नैतिकता तो रही नहीं के ये इस्तीफा देगें, पर अगले चुनाव में जनता इन्हें जरूर इस मंहगाई का अहसास कराएगी।

नहीं मानता प्रधानमंत्री को ईमानदार ... 
मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ईमानदार नहीं हैं,
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जब भी बात होती है तो उनके लिए सिर्फ एक ही बात कही जाती है कि हमारे प्रधानमंत्री ईमानदार हैं। चलिए मनमोहन सिंह ईमानदार हैं, मेरा एक सवाल है कि कांग्रेस नेता अब खुद ही बताएं कि उनका कौन सा प्रधानमंत्री बेईमान था। कांग्रेसी उनकी ईमानदारी की कसमें खाते फिर रहे हैं, पर उनकी ईमानदारी को जनता ओढे या बिछाए। टू जी घोटाला हो गया, कामनवेल्थ घोटाला, कोयला ब्लाक आवंटन में घोटाला, लोग केंद्र की सरकार को घोटाले की सरकार बता रहे हैं। कांग्रेसी प्रधानमंत्री को ईमानदार कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं।
वैसे मेरा मानना है कि अब प्रधानमंत्री पूरी तरह फेल हो गए हैं। ना उनका सरकार पर नियंत्रण है, न ही व्यवस्था पर, ऐसे में प्रधानमंत्री को खुद को आज की राजनीति के अयोग्य घोषित कर पद छोड़ देना चाहिए। लेकिन प्रधानमंत्री कोई भगवान तो हैं नहीं, वो भी इंशान हैं, और उनमें भी वही लालच है जो आम लोगों में होती है, लिहाजा वो अपने से कुर्सी छोड़ने वाले नहीं है। अमेरिका की चमचागिरी करते करते बेचारे प्रधानमंत्री जी थक गए, पर वहां की मैग्जीन टाइम ने भी मनमोहन को असफल पीएम बताया है। अब तो प्रधानमंत्री को एक सलाह है, कोई चुनाव जरूर लड़ लें, जिससे उन्हें पता लग जाए कि जनता उनके बारे में क्या सोचती है।

 खत्म हो गया राहुल बाबा का जादू ....
हालांकि सलमान खुर्शीद ऐसे नेता नहीं है जिन्हें जनता का समर्थन हासिल हो, लेकिन इस बात के लिए मैं उनकी तारीफ करुंगा कि उन्होंने कम से कम अपने गिरेबान में झांकने की कोशिश की है। कांग्रेस में आज किसी नेता की औकात नहीं है कि राहुल गांधी के बारे में इतना कडुवा सच सार्वजनिक तौर पर कह सके। पर सलमान ने कम से कम सच कबूल किया है। अब राहुल को तय करना है कि वो अपने में कैसे सुधार करते हैं। शुरु में कांग्रेस नेताओं और मीडिया ने कुछ ज्यादा ही राहुल की तारीफों के पुल बांध दिए। कहा गया कि यूपी में चमत्कार होने वाला है, क्योंकि टिकट बंटवारे में राहुल गांधी की महत्पूर्ण भूमिका रही है और वो एक एक उम्मीदवार से इंटरव्यू करके टिकट दे रहे हैं।
चुनाव में राहुल गांधी ने पूरी ताकत झोंक दी। नतीजा राहुल गांधी फिर भी फेल हो गए। हां अब मुझे लगता है कि अगर कांग्रेस को अपनी खोई प्रतिष्ठा को वापस लाना है तो उसके पास ज्याद विकल्प नहीं हैं। हां हो सकता है कि प्रियंका गांधी चुनावों में एक बार जरूर तुरुप का इक्का साबित हो,  लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव में मम्मी और भइया के निर्वाचन क्षेत्र में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी प्रियंका को मायूस होना पड़ा। वैसे प्रियंका राहुल से ज्यादा समझदार है, यही वजह है कि उन्होंने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वो बस राहुल की मदद कर रही हैं, मतलब साफ है कि हार होती है तो ये उनकी नहीं राहुल की ही होगी।

 सोनिया को गुमराह करते हैं उनके सलाहकार ...
हर मौके पर देखा जा रहा है कि सोनिया गांधी के सलाहकार उन्हें गलत राय देते हैं। जिससे पार्टी से कहीं ज्यादा सोनिया की छीछालेदर हो रही है। राष्ट्रपति के चुनाव में अगर कांग्रेस के रणनीतिकारों से सोनिया गांधी को सही सलाह दी होती तो आज प्रणव मुखर्जी निर्विरोध चुनाव जीत कर रायसीना हिल पहुंच चुके होते। आपको याद होगा कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में बीजेपी के नेताओं ने प्रणव दा की खुलकर तारीफ की थी। अगर उम्मीदवार घोषित करने के पहले सोनिया ने बीजेपी से एक छोटी सी मीटिंग कर ली होती तो इतनी छीछालेदर ना होती।
सिर्फ राष्ट्रपति के चुनाव में ही नहीं, राज्यों के मामले में भी सोनिया को कभी सही सलाह नहीं दी गई, बल्कि पार्टी को विवाद में खड़ा किया गया। उत्तराखंड के मामले में ही ले लीजिए। हरीश रावत ने पूरे चुनाव में मेहनत की, उनकी वजह से पार्टी इस मुकाम पर पहुची, बात आई मुख्यमंत्री बनाने की तो विजय बहुगुणा को बना दिया। जिनकी उत्तराखंड में दो पैसे की पूछ नहीं है। आंध्र प्रदेश में पार्टी की थू थी हो रही है। बहरहाल ऐसे तमाम उदाहरण हैं जहां सोनिया के सलाहकारों ने ही उन्हें मुश्किल में डाला है।

 चलते- चलते
स्वामी अग्निवेश को वाकई इलाज की जरूरत है। इनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में हास्टल की वार्डेन ने बिस्तर पर पेशाब करने वाली छात्रा को उसका पेशाब पिलाकर ठीक किया है, ये एक चिकित्सा पद्धति है, यानि अपना पेशाब पीने से बच्चे बिस्तर पर पेशान करना बंद कर देते हैं। स्वामी कहते हैं कि उन्हें खुद बिस्तर पर पेशाब करने की बीमारी थी, और उन्होंने पेशाब पीकर इसे ठीक किया। स्वामी जी अच्छा है आपको बिस्तर पर लैट्रिन करने की बीमारी नहीं थी। 
दरअसल ये देखा जा रहा है कि स्वामी हर मामले में राय जरूर देते हैं, चाहे उनकी राय कोई मायने रखे या ना रखे, जबकि फोन पर जिस तरह से उन्होंने अन्ना के आंदोलन के दौरान कपिल सिब्बल से बात की और इस आंदोलन को कुचलने की साजिश की इससे अब उन्होने देश में अपना भरोसा खो दिया है। लिहाजा पहले उन्हें जनता में वो विश्वास कायम करना होगा, फिर किसी मामले में सलाह दें तो बेहतर है। 

35 comments:

  1. आइस मिलती फ्री में, चिदंबरम को रोज ।
    व्हिस्की का पैसा लगे, दो हजार का भोज ।
    दो हजार का भोज, गरीबी वो क्या जानें ।
    आइसक्रीम का रेट, प्रेस में खूब बखाने ।
    पानी बोतल अगर, गरीबी ले पंद्रह में ।
    राशन कैसे आय, बताओ फिर सत्तरह में ??

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  2. जितने भी पहलू इस पोस्ट के हैं सब बहुत गंभीर हैं .....क्या होगा इस देश का हर कोई भ्रष्ट हो चुका है यहाँ .....!

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  3. सत्ता में मदहोश है, मदहोशी के बोल,
    अपने हाथ लुटा रहे,खोल रहे है पोल,,,,,,

    काव्यान्जलि ...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

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  4. मेरे नेता कैसे कैसे
    जैसा मैं मेरे जैसे ।

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  5. बहुत बहुत आभार संगीता दी

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  6. keval do hi sheershak aapke sahi lage ek to sonia ji se sambandhit aur doosra chalte chalte.chidambaram ji ne kuchh bhi galat nahi kaha aap khud dekh sakte hain ki khane ko roti nahi aur pahanne ko kapde n hone par bhi mobile logo ke hath me hai aur kitne hi paise badh jayen koi babal nahi hota aur vaise mahngai ko roya jata hai.congress hi kya kisi bhi party ne aaj tak logo ki aakankshaon par shayad khara utarne vala p.m. nahi diya aur rahul ji se to shayad kuchh media karmiyon kee chidh hi hai jo hamaesha khilaf likhte hain par ye ek sahi anuman hai ki ve hamare desh ke ek kabil neta hone vale hain.

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    1. आपकी मैं रिस्पेक्ट करता हूं, जानता हू कि आप कांग्रेसी मानसिकता से प्रभावित हैं। इसलिए आपकी किसी बात का कोई जवाब नहीं।



      दो बातें आपने स्वीकार कीं, बहुत बहुत आभार...

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  7. वैचारिक स्तर पर देश की भलाई रही ही नहीं इनके मन में ....तो शब्दों में वही सामने आएगा....

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  8. बहुत ही अच्छी पोस्ट , चुकंदरम तो अब आईसक्रीम खाकर ही जीवन चलाएगें। बकिया भग्नवेश तो पगला गए हैं,इनकी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। आभार

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  9. इन नेताओं के सत्ता मोह को दर्शाता लेख.

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  10. इसीलिए तो भाई हम राजनीति से परहेज रखते हैं , क्योंकि खुशबू वाला ज़माना नहीं रहा ......... राहुल का प्रभाव ! यह सब नेहरु के नाम से था , असलियत तो सब मिटा देगी

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    1. बिल्कुल सही
      शुक्रिया रश्मि दी

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  11. बिल्‍कुल सही कहा है आपने ... अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  12. एक जिम्मेदार मंत्री के ये बयान निश्चय ही आम जनता को आक्रोशित करेंगे .... गरीब बच्चे एक टौफ़ी ही शायद साल में एक बार खाते हों .... 15 रुपए की आइसक्रीम भी शायद कभी एक बार खाई हो ... बहुत से लोगों ने आज तक इसका स्वाद तो छोड़ नाम भी नहीं सुना होगा .... शहर में चीज़ दिखती है तो मन भी ललचता होगा ... उनके मन की पीड़ा न समझ कर यूं ताना मारना अत्यंत अमानवीय है ...

    बाकी विषय भी सटीक कहे हैं ...

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    1. आपकी सभी बातों से सहमत
      बहुत बहुत आभार

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  13. गिर कर वे सम्भलते हैं जो गिरे हुए नहीं हैं,हमारे नेता पहले से ही ’गर्त’ में हैं.
    कोई इनसे यह पूछे,रोटी रोज खाई जाती है या आइसक्रीम?
    देश की त्रासदी पर आपके विचार झझकोरने वाले हैं.
    स्वामी अग्निवेश पर आपकी टिप्पणी पूरी गंभीरता को ऊडा कर ले गई.

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  14. बहुत सटीक लेख |
    आशा

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  15. गिर कर वे सम्भलते हैं जो गिरे हुए नहीं हैं,हमारे नेता पहले से ही ’गर्त’ में हैं.
    कोई इनसे यह पूछे,रोटी रोज खाई जाती है या आइसक्रीम?
    देश की त्रासदी पर आपके विचार झझकोरने वाले हैं.
    स्वामी अग्निवेश पर आपकी टिप्पणी पूरी गंभीरता को ऊडा कर ले गई.

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  16. बदबू आती है---
    गिर कर वे सम्भलते हैं जो गिरे हुए नहीं हैं,हमारे नेता पहले से ही ’गर्त’ में हैं.
    कोई इनसे यह पूछे,रोटी रोज खाई जाती है या आइसक्रीम?
    देश की त्रासदी पर आपके विचार झझकोरने वाले हैं.
    स्वामी अग्निवेश पर आपकी टिप्पणी पूरी गंभीरता को ऊडा कर ले गई.

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  17. नेताओं की बात का, नहीं रहा विश्वास।
    वाह-वाही के वास्ते, चमचे सबके पास।।

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  18. रविकर जी की बात से सहमति है।

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    1. जी उनकी बात से तो मैं भी सहमत हूं

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  19. बढ़िया विश्लेषण सटीक आलेख !
    आभार

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  20. हर राजनेता का दामन ...बदबूदार हैं ...खुद को साफ़ बताने वाले सबसे ज्यादा गंदे और मैले हैं ....गन्दी सोच ...मैला दामन||

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।