आज बात करेंगे देश को शर्मशार करने वाले एक स्पोर्टस इवेंट की। ये है फार्मूला वन इंडियन ग्रां प्री प्रतियोगिता। इसका आयोजन अगले महीने यानि अक्टूबर में दिल्ली के पास ही ग्रेटर नोएडा में होना है। आपको ये जानना जरूरी है कि इस रेस को सिर्फ अपने देश में ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों में भी अभी तक "खेल" का दर्जा हासिल नहीं है, ये एक "मनोरंजक आयोजन" भर है। इस रेस का आयोजन पहली बार देश में हो रहा है। इसका आयोजन कराने वाली कंपनी के हाथ बहुत लंबे हैं और सत्ता के गलियारे में इसकी धमक है। यूपी की सरकार तो इसके ऊंगलियों के इशारे पर नाचती ही है, अब तो लगता है कि केंद्र सरकार भी दूध की धुली नहीं है।
चलिए आपको पूरा मामला समझाते हैं। इस रेस के लिए बहुत ज्यादा सामान विदेशो से यहां लाया जाना है। यहां तक की जिस ट्रैक पर ये रेस होनी है, वो ट्रैक भी विदेशों से यहां लाई जानी है। इसके अलावा कई तरह के उपकरण भी लाए जाने है। इस पर कस्टम अधिकारियों ने आयोजकों को बता दिया कि उन्हें लगभग 150 करोड रुपये कस्टम ड्यूटी का भुगतान करना होगा। वैसे तो ये भुगतान आयोजकों को और जो प्रतियोगी आ रहे हैं, उन्हें अपनी कार और अन्य सामान का कस्टम ड्यूटी देना है, लेकिन भारी भरकम ड्यूटी से प्रतियोगियों ने आयोजकों से कहा है कि अगर ड्यूटी माफ नहीं होती है तो उनका इस प्रतियोगिता में भाग लेना मुश्किल हो सकता है। चूंकि आयोजकों ने भारी भरकम कीमत में इसकी टिकटें बेच दी हैं, इसलिए वो नहीं चाहते कि किसी तरह ये आयोजन खटाई में पडे।
बस फिर क्या था, आयोजकों ने केंद्र सरकार के मंत्रियों पर डोरे डालने शुरू कर दिए। खेल मंत्रालय का ये मामला नहीं है, क्योंकि फार्मूला वन प्रतियोगिता को देश में खेल का दर्जा हासिल ही नहीं है। फिर भी मंत्रालय ने एक एनओसी जारी कर दी। इसके आधार पर कस्टम विभाग ने लगभग 150 करोड की ड्यूटी माफ कर दी है।
आइये इसका नियम भी बता दूं। नियम के मुताबिक राष्ट्रीय महत्व वाले खेल आयोजनों के लिए खेल मंत्रालय एक प्रमाण पत्र जारी करता है, इसके आधार कस्टम विभाग सीमाशुल्क में छूट देता है। राष्ट्रमंडल खेलों और क्रिकेट विश्वकप के दौरान ये प्रमाण पत्र जारी किए गए थे, इसके आधार पर कुछ छूट दी गई थी। अब बडा़ सवाल ये है कि जब फार्मूला वन प्रतियोगिता को देश में खेल का दर्जा हासिल ही नहीं है, तो खेल मंत्रालय ने ये प्रमाण पत्र कैसे जारी कर दिया। इतना ही नहीं देश में फार्मूला वन रेस का राज्य या फिर राष्ट्रीय स्तर पर कोई आयोजन भी नहीं होता है। फिर इस रेस को किस आधार पर राष्ट्रहित में माना जा रहा है।
इस मामले में खेल मंत्रालय और सीमा शुल्क विभाग पर उंगली उठने लगी तो बचाव में उतरे अधिकारियों का कहना है कि इसमें ज्यादातर सामान जो यहां लाया जाएगा, वो प्रतियोगिता खत्म होने के बाद वापस भेज दिया जाएगा। कुछ ऐसे सामान हैं जो यहां इस्तेमाल हो जाएंगे, उन पर लगभग आठ करोड़ रुपये सीमाशुल्क लगना है, वो आयोजकों से वसूला जाएगा। चलिए मैं कस्टम विभाग की इस दलील को स्वीकार कर लेता हूं, लेकिन इन्हीं अफसरों से मेरा एक सवाल है। क्रिकेट विश्वकप के दौरान दुबई से यहां लाए गए "वर्ल्ड कप" को इन्हीं निकम्में अफसरों ने मुंबई एयरपोर्ट पर रोक लिया था और 20 लाख रुपये सीमा शुल्क की मांग की। आयोजकों ने उस समय भी बताया था कि ये "वर्ल्ड कप" विजेता टीम को दी जाती है, उसके बाद इसे भी यहीं से आईसीसी के दुबई मुख्यालय वापस भेज दिया जाएगा। लेकिन तब इन्होंने बिना शुल्क के कप को एयरपोर्ट से बाहर नहीं जाने दिया और भारत को "नकली वर्ल्ड कप" कप दिया गया। यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि क्रिकेट को देश में खेल का दर्जा भी हासिल है।
150 करोड रुपये माफ करने के पीछे मुझे तो दाल में कुछ काला नजर आ रहा है। अभी मैं ये नहीं कह सकता कि इसमें खेल मंत्रालय के साथ किन किन मंत्रियों और अफसरों का हाथ है, लेकिन पक्का भरोसा है कि इस गोरखधंधे में केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारों के मंत्री और अफसर शामिल हैं।
आपको यह भी बता दूं कि कस्टम विभाग और भी तमाम सहूलियत इन आयोजकों को दे रहा है। मसलन एयर कार्गो से जो भी सामान आएगा, उसे एयरपोर्ट पर खोल ये अफसर चेक नहीं करेंगे। बल्कि कुछ अफसरों की तैनाती ग्रेटर नोएडा के स्पोर्टस सिटी में की गई है, वहां कार्गो को खोले जाने के दौरान चेक किया जाएगा। भाई ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
अगर हम ये कहें कि फार्मूला वन रेस को देश में बढावा देने के लिए ऐसा किया जा रहा है तो आपको हैरानी होगी इसके टिकट के दाम सुनकर। इसमें 35 हजार का टिकट है, ये टिकट लेने पर आप को वीआईपी सुविधा होगी। यहां पर आपके लिए लंच और दारू का इंतजाम भी होगा, जो आप अतिरिक्त पैसे देकर ले सकते हैं। हां अगर आप तीन टिकट लेते हैं तो एक कार पार्किंग भी मिलेगी और दो टिकट लेने पर एक बाइक की पार्किंग आपको मिलेगी। इसके बाद जनरल टिकट हैं, जिसकी कीमत 12,500 से लेकर 2500 तक है। यहां आपको किसी तरह की खास सुविधा नहीं होगी। आप आसानी से समझ सकते हैं कि इस कीमत पर टिकट से क्या आम आदमी की पहुंच यहां हो सकती है। प्रधानमंत्री जी मुझे तो दाल में काला नजर आ रहा है।
मित्रों इस पूरे आयोजन में बडे़ बडे़ उद्योगपति, केंद्र और राज्य सरकार के मंत्री और अफसरों की सांठ-गांठ है। इस पर मैं आगे भी आपको खास जानकारी देता रहूंगा। मैं चाहता हूं कि इस विषय पर आप सभी ब्लागर साथी भी, नई जानकारी के साथ ब्लाग पर जरूर उपस्थिति दर्ज कराएं।
सरकार की धांधली ...खुले आम
ReplyDeleteमहेन्द्र जी ब्लाग का नाम भले आधा सच हो लेकिन बात तो पूरी सच की करते हैं
गतिमय तो है।
ReplyDeleteसब सच कुछ नहीं छिपा है।
ReplyDeleteबेसर्मी की हद है.
ReplyDeleteक्या देश हित सधेगा ऐसे आयोजन से सभी जानते है.
सच्ची और अच्छी जानकारी देने के लिए आभार,महेंद्र जी.
समय मिलने पर मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
बहुत सही जानकारी दी है आपने ....देश किस गर्त में जा रहा है यह सभी को मालूम है लेकिन इसके बारे में सजगता से कदम कौन बढ़ाएगा और विचार कौन करेगा यह विचारणीय है ...!
ReplyDeleteनयी जानकारी मिली..लेकिन इन बातों को उठाने से भी सरकार पर कोई प्रभाव नहीं होगा.
ReplyDelete**खेल का दर्ज़ा न होने पर भी इतनी सहूलियतें /छूटें!आयोजकों की मौज है ..
Mahendra ji bahut achchi jaankari di hai aapne is baat ki tah tak jaaiye aur agrim jaankari bhi dete rahiye.is article ko hum face book aur twitter ke dwara to aage badha sakte hain.
ReplyDeleteचूंकि फार्मूला वन रेस का देश में पहली बार आयोजन हो रहा है, इसलिए इसके बारे में लोगों को कम जानकारी है।
ReplyDeleteमैने इस रेस की टेक्नलिटीज को किनारे रखते हुए आसान भाषा में आप सबके सामने रखने की कोशिश की, जिससे कम से कम इस रेस की बेसिक जानकारी सब को हो सके।
पहली बार के आयोजन में इसे इतना साफ सुथरा रखना चाहिए था, जिससे लोगों के दिल मे ये रेस जगह बना सके।
लेकिन इसमें जिस तरह का गोरखधंधा चल रहा है, उससे अभी से इसके आयोजक सवालों के घेरे में आ गए हैं।
बहरहाल एक अच्छी बात है कि खेल मंत्रालय को अपनी गलती का अहसास हो गया है और वो अपने एनओसी पर दोबारा विचार करने को तैयार है।
एक और घोटाला का शुभारम्भ..
ReplyDeleteमहेन्द्र जी बिल्कुल सच, इस बारे में आगे भी जानकारी देते रहें।
ReplyDeleteसब गोलमाल है सर!
ReplyDeleteसही कहा आप ने ...सच्ची और अच्छी जानकारी देने के लिए आभार,महेंद्र जी.
ReplyDeleteSahi baat sir...
ReplyDeletebahut badhiya jankari ....
ReplyDeleteमहेन्द्र जी, आपने जरूरी चीज की ओर ध्यान खींचा है। इस सार्थक पोस्ट के लिए आभार।
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कभी देखा है ऐसा साँप?
उन्मुक्त चला जाता है ज्ञान पथिक कोई..
महेन्द्र जी, शायद आपने ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।
ReplyDeleteगोलमाल ||
ReplyDeleteनयी जानकारी मिली.
ReplyDeleteविस्तृत जानकारी .... १५० करोड़ माफ़- बात हजम नहीं हुई !
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