Thursday, 28 April 2011

प्यास





प्यास ही प्यास है जमाने में,
एक बदली कहां कहां बरसे।
ना जाने कौन कौन उसे छलकाएगा,
कौन दो घूंट के लिए तरसे।

कोई राहत की भीख मांगे,
तो आप संगीन तान लेते हैं।
और फौलाद के शिकंजे में,
फूल का इम्तहान लेते हैं।

यार तू रो रो कर मांग मत
खैरियत बसेरे की,
भीख की रोशनी से बेहतर है,
तेरे घर में घुटन अंधेरे की।

22 comments:

  1. mahendra bhai,bahut achchhi kavita hai.

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  2. प्यास ही प्यास है जमाने में,
    एक बदली कहां कहां बरसे...

    Excellent creation !

    .

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  3. कोई राहत की भीख मांगे,
    तो आप संगीन तान लेते हैं।
    और फौलाद के शिकंजे में,
    फूल का इम्तहान लेते हैं।

    bhut badhiya ....yahi hota hai...

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  4. यार तू रो रो कर मांग मत
    खैरियत बसेरे की,
    भीख की रोशनी से बेहतर है,
    तेरे घर में घुटन अंधेरे की।

    आपकी संपूर्ण रचना बहुत अच्छी है , लेकिन अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही प्रभावशाली हैं, जान डाल देती हैं, रचना में ...
    शानदार अभिव्यक्ति के लिए आभार..

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  5. महेंद्र जी स्वागत है आपका ......
    अच्छी रचना ......
    ये अँधेरे मुझे इसलिए हैं पसंद ....
    इनमें साया भी अपना दिखाई न दे ....

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  6. कोई राहत की भीख मांगे,
    तो आप संगीन तान लेते हैं।
    और फौलाद के शिकंजे में,
    फूल का इम्तहान लेते हैं।

    बहुत खूब कहा है आपने !...स्वागत है!

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  7. कोई राहत की भीख मांगे,
    तो आप संगीन तान लेते हैं।
    और फौलाद के शिकंजे में,
    फूल का इम्तहान लेते हैं।


    आदरणीय महेंद्र जी
    हिंदी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है ...आशा है आप अपने लेखन से ब्लॉग जगत को समृद्ध करेंगे ..शुभकामनाओं सहित ..केवल राम
    आपकी यह रचना बहुत सशक्त भावों को संजोये है ....!

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  8. achi rachna ke sath swagat hai apka........
    shubhkamanaye....

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  9. हरेक पंक्ति दिल को छू जाती है...लाज़वाब प्रस्तुति

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  10. कोई राहत की भीख मांगे,
    तो आप संगीन तान लेते हैं।
    और फौलाद के शिकंजे में,
    फूल का इम्तहान लेते हैं।

    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! हार्दिक शुभकामनायें !

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  11. यार तू रो रो कर मांग मत
    खैरियत बसेरे की,
    भीख की रोशनी से बेहतर है,
    तेरे घर में घुटन अंधेरे की।.....aadarniye sir...namaste...mere blog se jurne ke lie thanku...aapko hmari rachna pasand aai iske lie bhi aabhari hu...aapki rachna bahut acchhi lagi...

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  12. mahendra ji
    bahut hi gahan abhivyakti ke saath haqikat ko charitarth karti hui aapki post man me utar gai .ek bahut hi sudar v samyik post .
    bahut hi badhiya lagi
    behad yatharthata ke kareeb
    bahut bahut badhai
    poonam

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  13. बहुत खूब . ! हार्दिक शुभकामनायें आपको !

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  14. sunder rachana...

    भीख की रोशनी से बेहतर है,
    तेरे घर में घुटन अंधेरे की।
    bahut khoob
    shubhkamnae!

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  15. लाज़वाब, प्रभावशाली ,शानदार शुभकामनायें..

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  16. Mahendra ji sarv pratham shukriya.aapke precias comment ke maadhyam se aapke itne achche blog ka pata chala.aapki itni behatreen poem padhne ko mili.really this creation is superb.i m following you.achchi rachnaayen padhne ko milengi.

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  17. यार तू रो रो कर मांग मत
    खैरियत बसेरे की,
    भीख की रोशनी से बेहतर है,
    तेरे घर में घुटन अंधेरे की।...vaah shabd kam pad rahe hain in panktiyon ki prashansa me.

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  18. भीख की रोशनी से बेहतर है,
    तेरे घर में घुटन अंधेरे की।
    स्वाभिमानी सोच को नमन!

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  19. भीख की रोशनी से अँधेरे बेहतर ..सुन्दर भावपूर्ण रचना

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  20. और फौलाद के शिकंजे में,
    फूल का इम्तहान लेते हैं।

    वाह! वाह!
    बहुत उम्दा रचना...
    सादर

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  21. मांगने से कभी प्यास बुझी नहीं है...अपना कुआँ खुद खोद दीजिये...

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  22. The Prime Minister revealed the unlikely aspiration during a question-and-answer session at
    Nazarbayev University, in which 19, 000 have died. And not just
    to fix the rules internationally, not unilaterally", adding he would like to, as it controls its own currency means little. Mr Cameron, who with wife Samantha went up for sale.

    Here is my site incompetent - ,

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।