हां! पहली नजर में आपको ये बात अटपटी लग सकती है कि भगवान की शरण में भगवान.. इसके मायने क्या है। मैं बताता हूं। एक हैं सत्य साईं जिन्होंने खुद को भगवान बताया और दूसरे सचिन तेंदुलकर जिन्हें लोग क्रिकेट का भगवान कहते हैं। दोनों में फर्क है, एक को लोग भगवान नहीं मानते और दूसरा खुद को भगवान नहीं मानता। एक ने कहा कि वो 96 साल तक जिंदा रहेंगे, पर इसके पहले ही उन्हें शरीर छोड़ना पड़ा, दूसरे को लोग सोचते थे उन्हें 21 साल के पहले क्रिक्रेट छोड़ना पड़ सकता है, पर वो आज भी बल्ला घुमा रहे हैं। हां दोनों भगवान में एक समानता है, दोनों ने अपने "खेल" से देश और दुनिया में करोडों प्रशंसक जरूर बनाए हैं।
सत्य साईं अब हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन वो एक ऐसी शख्सियत बन चुके हैं कि उनके न रहने पर भी उनके बारे में चर्चा होती रहेगी। देश विदेश में लाखों लोग उन्हें सच में "भगवान" मानते हैं। वैसे सच ये है कि उन्हें खुद को भगवान साबित करने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी। शुरू में तो वो खाली हाथ से भभूत निकाल कर लोगों को प्रसाद के तौर पर देते रहे। कुछ सम्भ्रांत और बड़े भक्त आए तो भगवान ने उन्हें सोने की चेन तक हवा से निकाल कर थमा दी। वैसे ये तो भगवान का फैसला है कि किसे क्या देना है, इससे मेरा कोई लेना देना नहीं, पर मैने देखा जिसे भभूत की जरूरत थी भगवान ने उसे सोने की चेन थमा दी और जिसे सोने की चेन की चाहत थी, उसे भभूत से संतोष करना पड़ा। यानि गरीब आदमी के हिस्से में भभूत और अमीरों के हिस्से में सोने की चेन।
सत्य साईं ने जब खुद को भगवान बताया तो सभी हैरान रह गए, उन पर तरह तरह के सवाल खड़े किए जाने लगे। चारो ओर से हमला होता देख बाबा साईं ने अपनी बात में थोड़ा सुधार किया और कहा कि " ऐसा नहीं है कि सिर्फ मैं ही भगवान हूं, भगवान तो आप भी हैं। फर्क बस इतना है कि मैं जानता हूं और आप इससे अनजान हैं। " बाबा ने यह कह कर आग पर पानी डालने का काम जरूर किया, पर उन पर हमला होना बंद नहीं हुआ।
कुछ साल पहले एक मैग्जीन ने तो सत्य सांई के बारे में पूरा परिशिष्ट ही निकाल दिया। इसमें जो बातें लिखी गईं थीं, अगर वो सच है तो बाबा की जगह आश्रम नहीं जेल थी। विदेशी भक्तों के साथ अश्लील हरकत करने तक की बातें सत्य साईं के बारे में की गईं। एक टीवी चैनल ने तो सत्य साईं के खेल को बेनकाब करने की कोशिश की और चैनल ने अपने स्टूडियो में ही एक जादूगर को बुलाया और जिस तरह से सत्य साईं खाली बर्तन से भभूत निकालते हैं, उसी तरह जादूगर ने भी भभूत निकाल दिया। कुल मिलाकर कर ये साबित करने की कोशिश की गई बाबा भगवान नहीं हैं वो हल्के फुल्के जादूगर हैं जो कुछ वो करते हैं वो चमत्कार भी नहीं है, उसे कोई भी कर सकता है।
बहरहाल इन आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए सत्य साईं अपने रास्ते पर आगे बढ़ते रहे। वो इस बात से बेफिक्र रहे कि कोई उनके बारे में क्या कहता है या फिर सोचता है। यही वजह है कि आज जब बाबा ने शरीर छोड़ दिया तो दो दिन से सभी चैनल और अखबार बाबा की प्रशंसा से रंगे हुए हैं। सभी चैनलों में एक प्रतियोगिता शुरू हो गई है कि कौन कितना ज्यादा समय तक बाबा की खबरों पर बना रहता है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस प्रतियोगिता में वो चैनल भी शामिल हैं जो कुछ समय पहले तक बाबा को जादूगर बता रहे थे।
सत्य साईं की पार्थिव शरीर को देख क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी हिल गए और एक बार तो उनकी आंखों से आंसू भी छलक गया, पर अगले ही पल सचिन ने खुद को संभाल लिया और वो पूरी मजबूती के साथ वहां बैठे रहे। लेकिन चैनल खुद को नहीं संभाल पाए, और पूरे दिन वो इस क्रिकेट के भगवान को रुलाते रहे।
सत्य साईं को नमन करते हुए मैं भी उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा हूं, पर एक बात मुझे बार बार कचोट रही है। आज बाबा के उन कार्यों की प्रशंसा तो हो रही है कि जिसमें उन्होंने अस्पताल और स्कूल खुलवाए, जहां हजारों बच्चों को पढाई की सुविधा मिल सकी है, पर जिस चीज के लिए बाबा जाने जाते थे, वो जगह कौन लेगा, ये साफ नहीं है। ऐसा क्यों है कि बाबा ने अपनी आध्यात्मिक ताकत को किसी के हवाले नहीं किया, जिससे इस गद्दी पर कोई और बैठ सके। आज बार बार चर्चा उनके 40 हजार करोड के साम्राज्य पर हो रही है कि इसका वारिस कौन है। वैसे तो आंध्र सरकार ने साफ कर दिया है कि ट्र्स्ट पहले की तरह काम करता रहेगा, लेकिन लगता नहीं कि ये इतना आसान है। आने वाले दिनों में ट्रस्टियों के बीच कोई विवाद हो और इस साम्राज्य पर सरकारी नियंत्रण हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। बाबा साईं को एक बार फिर नमन...
सत्य साईं अब हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन वो एक ऐसी शख्सियत बन चुके हैं कि उनके न रहने पर भी उनके बारे में चर्चा होती रहेगी। देश विदेश में लाखों लोग उन्हें सच में "भगवान" मानते हैं। वैसे सच ये है कि उन्हें खुद को भगवान साबित करने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी। शुरू में तो वो खाली हाथ से भभूत निकाल कर लोगों को प्रसाद के तौर पर देते रहे। कुछ सम्भ्रांत और बड़े भक्त आए तो भगवान ने उन्हें सोने की चेन तक हवा से निकाल कर थमा दी। वैसे ये तो भगवान का फैसला है कि किसे क्या देना है, इससे मेरा कोई लेना देना नहीं, पर मैने देखा जिसे भभूत की जरूरत थी भगवान ने उसे सोने की चेन थमा दी और जिसे सोने की चेन की चाहत थी, उसे भभूत से संतोष करना पड़ा। यानि गरीब आदमी के हिस्से में भभूत और अमीरों के हिस्से में सोने की चेन।
सत्य साईं ने जब खुद को भगवान बताया तो सभी हैरान रह गए, उन पर तरह तरह के सवाल खड़े किए जाने लगे। चारो ओर से हमला होता देख बाबा साईं ने अपनी बात में थोड़ा सुधार किया और कहा कि " ऐसा नहीं है कि सिर्फ मैं ही भगवान हूं, भगवान तो आप भी हैं। फर्क बस इतना है कि मैं जानता हूं और आप इससे अनजान हैं। " बाबा ने यह कह कर आग पर पानी डालने का काम जरूर किया, पर उन पर हमला होना बंद नहीं हुआ।
कुछ साल पहले एक मैग्जीन ने तो सत्य सांई के बारे में पूरा परिशिष्ट ही निकाल दिया। इसमें जो बातें लिखी गईं थीं, अगर वो सच है तो बाबा की जगह आश्रम नहीं जेल थी। विदेशी भक्तों के साथ अश्लील हरकत करने तक की बातें सत्य साईं के बारे में की गईं। एक टीवी चैनल ने तो सत्य साईं के खेल को बेनकाब करने की कोशिश की और चैनल ने अपने स्टूडियो में ही एक जादूगर को बुलाया और जिस तरह से सत्य साईं खाली बर्तन से भभूत निकालते हैं, उसी तरह जादूगर ने भी भभूत निकाल दिया। कुल मिलाकर कर ये साबित करने की कोशिश की गई बाबा भगवान नहीं हैं वो हल्के फुल्के जादूगर हैं जो कुछ वो करते हैं वो चमत्कार भी नहीं है, उसे कोई भी कर सकता है।
बहरहाल इन आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए सत्य साईं अपने रास्ते पर आगे बढ़ते रहे। वो इस बात से बेफिक्र रहे कि कोई उनके बारे में क्या कहता है या फिर सोचता है। यही वजह है कि आज जब बाबा ने शरीर छोड़ दिया तो दो दिन से सभी चैनल और अखबार बाबा की प्रशंसा से रंगे हुए हैं। सभी चैनलों में एक प्रतियोगिता शुरू हो गई है कि कौन कितना ज्यादा समय तक बाबा की खबरों पर बना रहता है। हैरान करने वाली बात तो ये है कि इस प्रतियोगिता में वो चैनल भी शामिल हैं जो कुछ समय पहले तक बाबा को जादूगर बता रहे थे।
सत्य साईं की पार्थिव शरीर को देख क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर भी हिल गए और एक बार तो उनकी आंखों से आंसू भी छलक गया, पर अगले ही पल सचिन ने खुद को संभाल लिया और वो पूरी मजबूती के साथ वहां बैठे रहे। लेकिन चैनल खुद को नहीं संभाल पाए, और पूरे दिन वो इस क्रिकेट के भगवान को रुलाते रहे।
सत्य साईं को नमन करते हुए मैं भी उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहा हूं, पर एक बात मुझे बार बार कचोट रही है। आज बाबा के उन कार्यों की प्रशंसा तो हो रही है कि जिसमें उन्होंने अस्पताल और स्कूल खुलवाए, जहां हजारों बच्चों को पढाई की सुविधा मिल सकी है, पर जिस चीज के लिए बाबा जाने जाते थे, वो जगह कौन लेगा, ये साफ नहीं है। ऐसा क्यों है कि बाबा ने अपनी आध्यात्मिक ताकत को किसी के हवाले नहीं किया, जिससे इस गद्दी पर कोई और बैठ सके। आज बार बार चर्चा उनके 40 हजार करोड के साम्राज्य पर हो रही है कि इसका वारिस कौन है। वैसे तो आंध्र सरकार ने साफ कर दिया है कि ट्र्स्ट पहले की तरह काम करता रहेगा, लेकिन लगता नहीं कि ये इतना आसान है। आने वाले दिनों में ट्रस्टियों के बीच कोई विवाद हो और इस साम्राज्य पर सरकारी नियंत्रण हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा। बाबा साईं को एक बार फिर नमन...
बातें तो सारी विचारणीय हैं.... बाबा को नमन ...
ReplyDeleteahsas ya anubhav hi atma hai , sharir marta hai to ahsas bhi marte hain.
ReplyDelete:) क्या कहूँ? आपके लेखन को नमन. और बाकि उनके परम भक्तों को नमन जो दिमाग से नहीं दिल से काम लेते हैं और सत्य साईं बाबा उनकी..... आगे न कहना ही ठीक रहेगा. :)
ReplyDeleteविचारणीय, सत्य साईं को नमन......
ReplyDeleteJab main chhoti thi to baba se jura vivad mukhya samachar hua karta tha..yaad hai...logon ki aastha hil gayi thi...main abhi tak ubar nahi paayi.aapke post se mere sansay ko pusti mili..aabhar..
ReplyDeleteबहुत अच्छा आलेख पर इन सब बाबा के बारे हमारे विचार जादा ही कटु है ...
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