जी.. हां. अब सड़े गले सरकारी तंत्र से बदबू आने लगी है। अगर हम भ्रष्ट्राचार पर नजर डालें तो देश में इसकी शुरुआत कब हुई, इसका अंदाजा ही लगाना मुश्किल है। नेता, अफसर जिसे जब और जहां मौका मिला, वो हाथ साफ करने से पीछे नहीं रहे। हम कह सकते हैं कि आज इस गोरखधंधे में किसी का दामन बेदाग नहीं है. यहां तक की मीडिया का भी। देश की हालत ये हो गई है कि लोगों ने भ्रष्ट्राचार को कानून मान लिया और उसका पालन करने में लगे। आप हैरान हो सकते हैं, लेकिन सच ये है कि आज भी अगर लोग किसी काम से अफसर या नेता से मिलने जाते हैं और नेता ने बात सुनने के बाद कहा कि ठीक है आप जाएं, काम हो जाएगा, तो लोगों को भरोसा ही नहीं होता है कि उनका काम हो जाएगा, क्योंकि नेता ने पैसे की बात तो की ही नहीं, और बिना पैसे के भला काम कैसे हो जाएगा। नेता और अफसर ने जनता में ये भरोसा ही खो दिया है कि बिना पैसे के भी काम हो सकता है। इसलिए लोग पता करते हैं कि इस अफसर और नेता का खास कौन है और उस खास के जरिए जब तक पैसे नहीं पहुंचा देते हैं, चैन से नहीं बैठते। ईमानदारी की बात तो ये है कि आज सबको पता है कि किस काम का क्या रेट है।
सवाल उठता है कि जब लोग खुद पैसे देने को तैयार हैं तो आखिर गडबड़ी कहां हुई। क्यों इतना बड़ा आंदोलन सड़कों पर आ गया। मै बताता हूं, गडबड़ी इसलिए हुई लोग की बढ़ती लालच ने देश में भ्रष्ट्राचार को भी भ्रष्ट्र कर दिया। आप नहीं समझे, मैं समझाता हूं। उदाहरण के तौर पर हमने किसी काम के लिए नेता या नौकरशाह को पैसे दिए.. ये तो हुआ भ्रष्ट्राचार। लेकिन पैसे लेने के बाद भी उसने काम नहीं किया और पैसा भी डकार गया। ये हुआ भ्रष्ट्राचार को भ्रष्ट्र करना। मुझे लगता है कि अगर भ्रष्ट्राचार में ये नेता और नौकरशाह ईमानदारी बरतते तो उनकी चांदी कटती रहती। लेकिन बेईमानों सावधान हो जाओ..अब देश की जनता जाग गई है।
सरकारी तंत्र में जब ईमानदार की तलाश की जाती है तो बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि एक भी नहीं मिलता, जिसे दावे के साथ ईमानदार कहा जा सके। यहां तो सब चोर हैं, फर्क महज बड़े और छोटे का रह गया है। कुछ ईमानदार आईएएस हैं भी तो वो सरकारी तंत्र से इतना उकता चुके होते हैं कि सरकारी नौकरी छोड़कर किसी मल्टीनेशनल में सीईओ बन जाते हैं। एक जमाना था की गांव में बड़े बुजुर्गों को जब आप प्रणाम करते थे तो आशीर्वाद मिलता था "बेटवा दरोगा बन जा "। ये आशीर्वाद अब क्यों नहीं ? क्योंकि खाकी वर्दी पर अब हमारा भरोसा ही नहीं रहा। ये वर्दी डीजीपी की हो या फिर कांस्टेबिल की। सब जानते हैं कि ये वर्दी दागदार है जो बदमाशों को संरक्षण देती है।
आइये.. देश के इंजीनियरों की भी बात कर लें, क्योंकि विकास के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी इन्ही की है। आसानी से समझाने के लिए एक छोटी सी कहानी सुनाता हूं। भगवान श्री राम जब लंका पर चढ़ाई करने जा रहे थे, तो एक समय ऐसा आया जब वो भी फेल हो गए। ये मुश्किल घड़ी थी कि समुंद्र को कैसे पार किया जाए ? भगवान राम की समझ में ये नहीं आ रहा था। फिर यहां उनकी मदद की नल और नील ने। वो अपने हाथ से पत्थर उठा कर भगवान श्रीराम को देते और भगवान उस पत्थर को फूंक मारकर समुंद्र में डालते तो वो पत्थर तैरने लगते थे और इस तरह समुंद्र पर पुल का निर्माण हुआ। जिससे भगवान राम की सेना समुद्र् पार कर पाई। कहते हैं उसी समय भगवान राम ने नल और नील को आशीर्वाद दिया कि जाओ कलयुग तुम दोनों जेई और एई बनकर राज करोगे, कैसा भी पुल बनाओगे, तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। तब से इंजीनियर मस्त हैं।
ये संघर्ष आमआदमी का संघर्ष है, क्योंकि भ्रष्ट्राचार से सबसे ज्यादा आम आदमी ही प्रभावित है। अन्ना जी, देश आपके साथ है, मैं भी आपके साथ हूं। लेकिन कई बार डर लगता है, वो इसलिए कि हम "लोकपाल" बना भी लिए, तो इस बात की क्या गारंटी है वो ईमारदार ही होगा। सुप्रीम कोर्ट को हम न्याय का मंदिर मानते है, लेकिन यहां भी के जी बालाकृष्णन जैसे लोग चीफ जस्टिस बन रहे हैं। निर्वाचन आयोग को अगर टीएन शेषन ने सम्मान दिलाने का काम किया तो दूसरे निर्वाचन आयुक्त नवीन चावला ने इस संस्था को कांग्रेस पार्टी का गिरवी बना दिया। सीबीआई से ईमानदारी की अपेक्षा करना अब चुटकुला लगता है। इसलिए मुझे लगता है कि जब तक लोगों में नैतिक बल मजबूत नहीं होगा, ईमानदारी की उम्मीद नहीं की जा सकती। 121 करोड़ की आबादी को कानून के दायरे में नहीं बांधा जा सकता। आज केंद्रीय मंत्रिमंडल चोरों की जमात है, और मनमोहन उसके सरदार। पीएम मानते ही है गठबंधन की बहुत कुछ मजबूरी होती है, लेकिन मनमोहन जी चोरों का सरदार बने रहने की कोई मजबूरी नहीं। आप चाहें तो हट सकते हैं, लेकिन नहीं कुर्सी बगैर तो आप भी नहीं रह सकते।
वैसे मनमोहन जी आपको भी सावधान करना चाहता हूं, मुझे लगता है कि मंत्रिमंडल में कुछ लोग ऐसे हैं जो सरकार के खिलाफ काम करते रहते हैं। अन्ना के आंदोलन को कैसे सावधानी के साथ खत्म कराया जा सके, ये जिम्मेदारी आपने तो अपने प्रमुख सहयोगी कपिल सिब्बल को दी। लेकिन बातचीत वो जरूर करते रहे, पर जिस अंदाज में वो मीडिया के सामने आ रहे थे, उससे लगता था कि वो आंदोलन को शांत नहीं बल्कि और भड़काना चाहते हैं। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रणव मुखर्जी के हस्तक्षेप से जब मामला सुलट गया तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रस्तावित जन लोकपाल बिल का माखौल बनाया। हांलाकि अन्ना के तत्काल पलटवार से वो अगले ही दिन जमीन पर आ गए, लेकिन उनकी भूमिका पर उंगली उठने लगी है।
प्रधानमंत्री जी, आप अपने मंत्रियों को चोर और भ्रष्ट्र तो नहीं कह सकते, लेकिन एक पत्र सभी मंत्रियों को जरूर लिख सकते हैं। वो यह कि वही मंत्री अपने आफिस में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चित्र लगाए, जो वाकई ईमानदारी से काम कर रहा है। वरना गांधी जी के चित्र को वापस कर दे। देखिए क्या वाकई आपके मंत्री ईमानदारी से चित्र वापस करते हैं, या फिर इंतजार करते हैं कि जब तक न्यायालय उन्हें चोर नहीं कहता है तो भला वो चोर कैसे हो गए। वैसे सच्चाई यह है कि हर मंत्री, हर नेता, हर अफसर और हर जज के बारे में सभी को पता है कि कौन अन्ना है और कौन ए.राजा, क्योंकि ये पब्लिक है सब जानती है।
aapki kalam ko salam hai...tikhi pratikriya yahi kahti hai aab bahut ho gaya...sahan shilta hamara goon hai to...aakhir kab tak sahan karna hoga...kahi to buraiyon ka aant ho...aapka pryas aur aapki kalam saksham hai aawaz uthane mai....badhai
ReplyDeletebhrashtachar aam aadami ki ladai ban gaya hai aur jab aam aadami jag jaye to use us ladai me hara pana mushkil hota hai....libiya mistra ka harsh dekhane ke bad bhi ye neta nahi jage iska matlab hi hai ki ye is daldal me itane gahre doob chuke hai ki bahar aana inke liye namumkin hai....is muhim ko har aam aadami ka samrthan hai..
ReplyDeleteआज भ्रष्टाचार की परिधि इतनी व्यापक हो गई है कि यदि कोई भी इसके खिलाफ आवाज उठाता है तो लोगों को एक बार तो यकीन नहीं आता है कि वो ये काम बिना किसा मतलब के निस्वार्थ भाव से कर रहा है। आज अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के प्रयासों से जिस तरह से पूरे देश से जनलोकपाल बिल को समर्थन प्राप्त हुआ है वो अपने आप में एक अदभुत मिसाल है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत नेतृत्व और कमाल की रणनीति कम समय में जनता का भरपूर समर्थन और लामबंदी हासिल कर सकती है।
ReplyDeletenice one
ReplyDeletecan i post this posting in inqlaab.com
ओके अग्निमन जी। ये संदेश जहां तक पहुंचे।
ReplyDelete....अब तो भ्रष्ट्राचार भी हो गया भ्रष्ट. एक ही वाक्य में आपने सब कह दिया. बहुत सही. बस आप ऐसे ही लिखते रहें. आपकी लेखनी और व्यंग्य को सलाम.
ReplyDeleteब्लाग में ये मेरा पहला विचार था। इसमें कविता पांडेया, कविता वर्मा, रजनीश और रोशनी जी ने मेरा उत्साह वर्धन ना किया होता तो सच में आगे लिखेने का हौसला नहीं रह जाता। आप सभी का शुक्रिया
ReplyDeleteकल 06/06/2012 को आपके ब्लॉग की प्रथम पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.
ReplyDeleteआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
'' क्या क्या छूट गया ''
मित्रों ये लेख मेरे ब्लाग का पहला लेख है, जो लगभग 14 महीने पुराना है। तब से ये आंदोलन बहुत आगे आ चुका है।
Deleteकृपया पुराने रेफरेंस में ही लीजिएगा।
कहते हैं उसी समय भगवान राम ने नल और नील को आशीर्वाद दिया कि जाओ कलयुग तुम दोनों जेई और एई बनकर राज करोगे, कैसा भी पुल बनाओगे, तुम्हारा कुछ नहीं बिगड़ेगा। तब से इंजीनियर मस्त हैं।.....
ReplyDeleteअब ये उस समय को भुना रहे हैं
.दोनों हाँथो से करोड़ों कमा रहे हैं
सादर