Saturday 11 May 2013

सोनिया से नाराज प्रधानमंत्री को मनाने की कोशिशें तेज !


सोनिया गांधी और पार्टी के रवैये से नाराज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मनाने की कवायद शुरू हो गई है। इसी क्रम में आज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जनार्दन दि्वेदी ने सफाई दी कि कानून मंत्री अश्वनी कुमार और रेलमंत्री पवन कुमार बंसल को हटाने का फैसला सिर्फ सोनिया गांधी का नहीं बल्कि प्रधानमंत्री का भी था। राष्ट्रीय महासचिव को ये सफाई इसलिए देनी पड़ी है कि प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले 7  आरसीआर पहुंची सोनिया गांधी से इस बात को लेकर सख्त नाराजगी जताई थी कि उनके खिलाफ पार्टी के कुछ नेता मीडिया  में माहौल बना रहे हैं। मीडिया के जरिए देश में ऐसा संदेश जा रहा है कि सोनिया गांधी तो दागी मंत्रियों का इस्तीफा लेना चाहती  हैं, जबकि प्रधानमंत्री ही उन्हें बचा रहे हैं। पार्टी नेताओं के इस रवैये से प्रधानमंत्री इतने ज्यादा भड़के हुए थे कि उन्होंने सोनिया गांधी से साफ कह दिया कि अब वो मंत्रियों से इस्तीफा नहीं लेंगे, पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए खुद प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे देंगे। प्रधानमंत्री की दो टूक बातों से सोनिया हैरान हो गईं थी और उल्टे पांव 10 जनपथ लौट गईं। बाद में उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के जरिए इस मामले में फिलहाल तात्कालिक हल तो निकाला गया है, लेकिन अभी अंदरखाने खेल चालू है। प्रधानमंत्री की नाराजगी को कम करने के लिए फिलहाल जनार्दन दि्वेदी ने ये बयान देकर पहल शुरू कर दी है।

सच्चाई ये है कि सोनिया गांधी को लग रहा था कि अगर दागी मंत्रियों से इस्तीफा लिया गया तो देश में ऐसा मैसेज जाएगा कि सरकार ने विपक्ष के सामने घुटने टेक दिए। इसलिए सोनिया ने ही साफ-साफ कहा था कि सरकार और पार्टी को आक्रामक रुख अपनाना होगा, और विपक्ष के आगे कत्तई नहीं झुकना है। अंदर की बात तो ये है कि जब सफाई देने के लिए पूर्व रेलमंत्री पवन कुमार बंसल ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के सामने अपनी बात रखी और कहाकि उनके ही रिश्तेदारों ने उनकी पीठ में छुरा  भोका है, उनका इस रिश्वतखोरी में कोई हाथ नहीं है, तो बंसल के साथ ही सोनिया गांधी भी भावुक हो गईं थी। वो तो भला हो मीडिया का जिसने बंसल और उनके परिवार की अकूत संपत्ति का खुलासा किया और बताया कि कुछ सालों  में ही बंसल अकूत संपत्ति के मालिक कैसे हो गए ? तब जाकर सोनिया गांधी की आंख खुली और तय हुआ कि रेलमंत्री का इस्तीफा लिया जाना चाहिए।

आपको बता दूं प्रधानमंत्री की नाराजगी कि ये खबर अभी तक बाहर नहीं आ सकी है, लेकिन अगर आप मेरे ब्लाग "आधा सच"  के नियमित पाठक हैं तो आपने देखा होगा कि ये बात दो दिन पहले ही मेरे ब्लाग पर मौजूद है। आज कांग्रेस की ओर से आई सफाई से ये बात साफ हो गई है कि प्रधानमंत्री अब आक्रामक हैं और वो किसी तरह की बुराई अपने सिर लेने के लिए तैयार नहीं हैं। 


प्रधानमंत्री ने सोनिया गांधी को सुनाया खरी-खरी 

रेलमंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्वनी कुमार का इस्तीफा लेने में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के पसीने छूट गए। सियासी गलियारे में चर्चा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब अपना पाप धोना चाहते हैं, इसलिए आज पूरे रंग में थे। इसीलिए मंत्रियों के इस्तीफे के सिलसिले में 7 आरसीआर यानि प्रधानमंत्री आवास पहुंची सोनिया गांधी को मनमोहन सिंह ने धीरे-धीरे ही सही लेकिन खूब खरी-खरी सुनाई। वैसे जब मैने सुना कि प्रधानमंत्री आज गरम हो रहे थे तो मुझे पहले तो बिल्कुल यकीन नही हुआ। लेकिन सोनिया के जाने के बाद भी जब तीन घंटे बीत गए और मंत्रियों का इस्तीफा नहीं हुआ तो लगा कि  मामला गड़बड़ है। बताते हैं कि प्रधानमंत्री इस बात से खासे नाराज थे कि सोनिया गांधी के करीबी नेताओं ने न्यूज चैनलों के जरिए एक साजिश के तहत देश भर में ये संदेश पहुंचाने की कोशिश की कि वो यानि प्रधानमंत्री दागी मंत्रियों को बचा रहे हैं, जबकि सोनिया चाहती हैं कि  इन मंत्रियों का तुरंत इस्तीफा ले लिया जाए। गुस्से से लाल प्रधानमंत्री ने यूपीए अध्यक्ष को साफ कर दिया कि इससे सरकार की और पार्टी छवि तो खराब हुई ही है, साथ ही लोग उनके ऊपर भी उंगली उठा रहे हैं। जनता को लग रहा है कि बेईमान मंत्रियों को प्रधानमंत्री आवास से संरक्षण मिलता है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि मनमोहन सिंह ने तय कर लिया है कि अब कुर्सी कल जाती हो तो आज चली जाए, लेकिन वो अपनी ईमानदारी पर किसी प्रकार का बट्टा नहीं लगने देंगे। सब को पता है कि कांग्रेस का चरित्र रहा है कि 10 जनपथ यानि गांधी परिवार के निवास को वो मंदिर की तरह पूजते हैं जबकि 7 आरसीआर उनकी नजर में एक ऐसा धर्मशाला है जहां कोई भी आ सकता है और कितनी भी गंदगी कर सकता है। लेकिन मनमोहन सिंह अब 7 आरसीआर को धर्मशाला बनाने के लिए तैयार नहीं है।


दिल्ली में शुक्रवार को राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलता रहा। आप सब जानते हैं कि कोल ब्लाक आवंटन के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने केंद्र सरकार को बैकफुट पर ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि सीबीआई तोते की तरह काम कर रही है, वो वही भाषा बोलती है जो उसके मालिक यानि सरकार के मंत्री उसे सिखाते हैं। अब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सरकार का तोता कह दिया तो इतना हाय तौबा मच गया, पूरा देश जानता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए तोते ही तो हैं। बेचारे ये भी तो उतना ही बोला करते हैं जितना सिखाया और सुनाया जाता है। खैर मामला इस लिए बिगड़ा कि कोल ब्लाक आवंटन के मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दी थी और साफ किया था कि ये रिपोर्ट सीधे उसे ही सौंपी जाए। लेकिन कांग्रेस कल्चर में चंपुई तो बहुत जरूरी है ना। बस फिर क्या, 10 जनपथ के गुडबुक में आने के लिए कानून मंत्री ने सीबीआई अधिकारियों को ड्राफ्ट रिपोर्ट के साथ तलब कर लिया और इस रिपोर्ट में तमाम हेरा फेरी करा दी। बात खुली तो सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि रिपोर्ट में उसकी आत्मा के साथ छेडछाड़ किया गया है। चूंकि इसमें पीएमओ यानि प्रधानमंत्री कार्यालय भी शामिल था, लिहाजा आरोप प्रधानमंत्री पर भी लगा। हालात ये हुई कि विपक्ष ने प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांग लिया। अभी ये मामला चल ही रहा था कि रेलवे में बड़े पदों पर तैनाती को लेकर पवन बंसल मुश्किल में फंस गए। उनका भांजा घूस लेते रंगे हाथ पकडा गया। बस फिर क्या था, विपक्ष को मौका मिल गया और उसने दोनों मंत्रियों के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद को ठप कर दिया।

बताते हैं कि पार्टी और सरकार की लगातार किरकिरी से सोनिया गांधी परेशान हो गईं। जैसा कि गांधी परिवार की आदत है कि जो कुछ अच्छा हो वो गांधी परिवार के खाते में और जो बुरा हो वो 7 आरसीआर के खाते में डाल दिया जाता है। अब देखिए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत का सेहरा पार्टी के नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सिर बांधते रहे, जबकि दो दागी मंत्रियों को बचाने का आरोप प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर मढ़ते रहे। हालांकि प्रधानमंत्री की ओर से इस मामले में कोई प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई, लेकिन जब  सभी न्यूज चैनलों पर ये खबर चली कि सोनिया गांधी चाहती हैं कि दोनों दागी मंत्रियों को इस्तीफा दे देना चाहिए,  इसे लेकर सोनिया गांधी काफी दुखी हैं। उन्होंने सरकार के कामकाज से नाराजगी भी जाहिर की है। बताते हैं कि 10 जनपथ के हवाले से न्यूज चैनलों पर एकतरफा खबरें चलने से प्रधानमंत्री हैरान हो गए। उन्हें लगा कि पार्टी के नेता एक साजिश के तहत 7 आरसीआर यानि प्रधानमंत्री निवास पर हमला करा रहे हैं, जबकि 10 जनपथ की वाहवाही की की जा रही है। हालाकि सच्चाई क्या है, ये सोनिया ही नहीं कांग्रेस के सभी नेता जानते हैं। बताते है इस खबर से प्रधानमंत्री ना सिर्फ आहत थे, बल्कि उन्होंने अपनी नाराजगी भी कांग्रेस मुख्यालय और 10 जनपथ तक पहुंचा दी।

दरअसल सच ये है कि जब इन दोनों मंत्रियों का विपक्ष ने इस्तीफा मांगा तो उसके बाद कांग्रेस की एक के बाद एक कई बैठकें हुई। इसमें सोनिया समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे। बैठक में सोनिया ने ही साफ किया कि इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता, विपक्ष को राजनैतिक स्तर पर आक्रामक शैली में जवाब देने की जरूरत है। सोनिया जी ! एक ओर आप पार्टी नेताओं को आक्रामक शैली में जवाब देने की बात कर रही हैं, दूसरी ओर ये संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि आप दागी मंत्रियों का इस्तीफा ना होने से दुखी हैं। आखिर दोनों बातें कैसे सही हो सकती हैं ?  सच ये है कि जब कांग्रेस नेताओं ने देखा कि दागी मंत्रियो को लेकर देश भर में पार्टी की क्षवि खराब हो रही है और अब तो इसकी छींटे 10 जनपथ तक पहुंच रही हैं। इससे पार्टी के दरबारी नेताओं को लगा कि अब गांधी परिवार को यहां से बेदाग बाहर निकालना जरूरी है, वरना अगले साल चुनाव में ये दाग लेकर जनता के बीच जाना मुश्किल होगा। बस फिर क्या था ? माहौल बनाने के लिए मीडिया का सहारा लिया गया और जनता में ये संदेश देने की कोशिश हुई कि सोनिया बहुत नाराज हैं। वो चाहती हैं कि मंत्रियों का तुरंत इस्तीफा हो जाए। लेकिन प्रधानमंत्री इसके लिए तैयार नहीं तीन दिन तक तो ये खबर न्यूज चैनलों पर चलने से एक माहौल बन गया कि वाकई सोनिया सरकार से बहुत नाराज है। सोनिया ने देखा अब लोहा गरम है तो वो शुक्रवार शाम को प्रधानमंत्री आवास पहुंच गईं। राजनीतिक गलियारे की चर्चा को अगर सही माना जाए तो  प्रधानमंत्री आवास में जो कुछ हुआ, उससे तो खुद सोनिया गांधी ना सिर्फ हैरान रह गईं, बल्कि मनमोहन सिंह के तेवर से उनके पसीने छूट गए।

कहा जा रहा है कि आज की मुलाकात में वो गर्माहट नहीं थी। पता चला है कि प्रधानमत्री इस आरोप से काफी आहत थे कि वो दागी मंत्रियों को बचा रहे हैं, जबकि सोनिया गांधी चाहती हैं कि इनका इस्तीफा हो। शुक्रवार को शाम जब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री आवास पहुंची तो सभी न्यूज चैनलों पर खबर चली कि अब दागी मंत्रियों को इस्तीफा देना ही होगा, क्योंकि सोनिया गांधी प्रधानमंत्री से नाराजगी जाहिर करने उनके आवास पर गई हैं। इस खबर से प्रधानमंत्री और भी भड़के  हुए थे। बताते हैं कि उन्होंने पूरी तरह मन बना लिया कि अब वो दागी मंत्रियों का इस्तीफा नहीं लेंगे, बल्कि खुद ही इस्तीफा दे देंगे। बस फिर क्या था, जैसे ही सोनिया उनके निवास पहुंची, प्रधानमंत्री ने अपनी नाखुशी का इजहार कर दिया। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शायद इसके पहले कभी भी सोनिया गांधी से इस अंदाज में तो बात नहीं ही किया होगा, जैसे उन्होंने आज बात की। उन्होंने सोनिया से साफ कर दिया कि जब आप ही सरकार और प्रधानमंत्री के कामकाज से खुश नहीं हैं तो मेरा प्रधानमंत्री के पद पर बने रहना ठीक नहीं है। इसलिए मैने तय कर लिया है कि मैं खुद ही इस्तीफा दे देता हूं।

सियासी गलियारे में चर्चा है कि मनमोहन सिंह की बात सुनकर सोनिया गांधी हैरान रह गईं। उन्हें लगा कि प्रधानमंत्री की कुर्सी को भला मनमोहन सिंह कैसे ठुकरा सकते हैं, वो तो वही करते रहे हैं जो कहा जाता रहे है, पर इन्हें आज क्या हो गया है ? लेकिन सच ये है कि आज हालात बदले हुए थे, मनमोहन सिंह आक्रामक थे और सोनिया गांधी की हालत "बेचारी" जैसी बनी हुई थी। खैर सोनिया गांधी ये कहकर चली गईं कि दोनों मंत्रियों का इस्तीफा ले लीजिए । बताया जा रहा है कि मनमोहन सिंह ने उन्हें जाते जाते भी यही कहा कि वो मंत्रियों से इस्तीफा नहीं लेंगे, बल्कि खुद इस्तीफा देने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के रुख से सोनिया गांधी फक्क पड़ गईं, लेकिन उन्हें समझ में नहीं आया कि आखिर किया क्या जाए? निराश होकर सोनिया गांधी चुपचाप यहां से 10 जनपथ पहुंची। यहां पहुंच कर उन्होंने अपने राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को बुलाया और उनके साथ काफी देर तक पूरे मसले पर चर्चा की। उन्हें बताया कि आज मनमोहन सिंह काफी नाराज हैं, कह रहे हैं कि वो खुद इस्तीफा दे देंगे, लेकिन मंत्रियों से इस्तीफा नहीं लेंगे। दरअसल प्रधानमंत्री ने सोनिया को समझाने की कोशिश की अगर इस्तीफा लेना ही था तो पहले ले लिया जाना चाहिए था, इससे संसद की कार्रवाई भी बाधित ना होती और उन्हें तमाम जरूरी बिल पास कराने में विपक्ष का सहयोग भी मिलता। लेकिन उस समय कहा गया कि विपक्ष की मांग के आगे झुकना नहीं है। संसद को भी समय से पहले स्थगित कर दिया गया। अब कहा जा रहा है कि मंत्रियों का इस्तीफा लिया जाए।

खैर सोनिया गांधी से बात करने के बाद अहमद पटेल प्रधानमंत्री आवाज पहुंचे और उन्होंने मनमोहन सिंह से सभी मसलों पर विस्तार से बात की। मनमोहन सिंह की शिकायत जायज थी। बहरहाल अहमद पटेल से बात करने के बाद कुछ बीच का रास्ता निकाला गया और तय हुआ कि ठीक है वो दोनों मंत्रियों से इस्तीफा ले रहे हैं। रात नौ बजे के करीब पवन बंसल और अश्वनी कुमार प्रधानमंत्री निवास पहुंचे और अपना इस्तीफा उन्हें सौंप दिया। कहा जा रहा है कि तीन घंटे तक प्रधानमंत्री ने 10 जनपथ की चूलें हिला कर रख दीं। उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी कुर्सी कल जाती हो तो आज चली जाए, लेकिन वो प्रधानमंत्री आवास की गरिमा के साथ समझौता नहीं कर सकते। अब अंदर क्या बात हुई ये तो सोनिया और मनमोहन ही जाने, पर जिस तरह से सोनिया गांधी प्रधानमंत्री आवास से वापस हुईं, उसके तीन चार घंटे बाद तक मंत्रियों का इस्तीफा नहीं हुआ, इससे तो लगता है कि दाल में कुछ काला है। बहरहाल ये समाधान भी अस्थाई है, प्रधानमंत्री का गुस्सा कम नहीं हुआ है, वो खुद को ठगा हुआ था महसूस कर रहे हैं, ऐसे में कुछ दिन बाद देश की राजनीति क्या करवट लेती है, इसका हम सबको इंतजार रहेगा।



( नोट : इसी से जुड़ी एक और खबर आपको जरूर पढ़नी  चाहिए, जिससे आज की मीडिया कैसे सोनिया गांधी की भोपूं बन गई है। शीर्षक है " ये मैडम सोनिया की मीडिया "  इसे पढ़ने के लिए लिंक है http://tvstationlive.blogspot.in/2013/05/blog-post.html    )






39 comments:

  1. yadi aisa hua hai to pradhanmantri ji ka der se uthaya gya sahi kadam mane jane me kisi ko koyee aapatii nahi honi chahiye , vastav me desh bhashtachar, anyay ki sharansthali ban gya hai

    ReplyDelete
    Replies
    1. मुझे तो लगता है कि अब मनमोहन सिंह अपने पाप धोना चाहते हैं।

      Delete
  2. बात चाहे जो पर प्रधानमंत्री की ईमानदारी पर अब सवाल उठ ही चुके है और इसका जबाब देने के लिए उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। आखिर मुखिया तो वहीं है भले ही नाम के ही सही

    ReplyDelete
    Replies
    1. इस बात से मैं पूरी तरह सहमत हूं कि प्रधानमंत्री चोरों के सरदार नजर आ रहे हैं, उन्हें पद छोड़ देना चाहिए।

      Delete
  3. अब तो इस्तीफा हो गया ..... आपके ही लेख से पता चला कि मनमोहन सिंह गुस्सा भी थे :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. यही तो बड़ा सवाल है कि मनमोहन सिंह गुस्सा और वो भी सोनिया गांधी से..

      Delete
  4. अंदरखाने राजनितिक दावपेंचों को आजमाया जा रहा है !!
    सुन्दर आलेख !!

    ReplyDelete
  5. बहुत बहुत आभार शास्त्री जी

    ReplyDelete
  6. बहुत सही कहा है
    बढ़िया आलेख !

    ReplyDelete
  7. हद ही हो गई जी ....किसी गूंगे को पहले बार बोलते देखा है ...या ये भी देश को दिखाने के लिए एक नाटक मात्र है....समझना बहुत मुश्किल है

    ReplyDelete
    Replies
    1. राजनीति है, कुछ भी भरोसे के साथ कहना मुश्किल है.. बस आगे आगे देखिए, हम भी देख रहे हैं..

      Delete
  8. बहुत सही कहा है

    ReplyDelete
  9. "गुस्से में लाल प्रधान मंत्री की यह लालिमा" कुछ पहले दिखी होती तो देश का ऐसा भयंकर कल्याण न हुआ होता.अब इस चला-चली की बेल में लाली बेमानी

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी ये बात तो बिल्कुल सही है...

      Delete
  10. मुझे तो एक ही थैली के चट्टे-बट्टे लगते हैं ... जनता को पागल बनाने का प्रपंच रच रहे हैं .. मीडिया साथ देता है ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. कुछ हद तक आपकी बात बिल्कुल सही है...

      Delete
  11. महेन्द्र भाई जी ....पूरा सच !
    काश! मनमोहन जी ने अपने गुस्से को पूरा कर इस्तीफा भी दे दिया होता ..तो अपनी सारी आजतक की गलतियों का सूद समेत भुगतान कर दिया होता ....
    देखतें हैं... आगे क्या है ????

    ReplyDelete
  12. लेकिन भाजपाई और संघी लोग तो सारी मर्यादा छोड़ कर यह खबर फैला रहे हैं सरकार और संघटन में कोई मत भेद नहीं है .आप का विश्लेषण मन गढ़ंत संघी प्रोपोगंडा है .

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्वीकार ...
      आपके ही शब्दों में .. सब कुछ सीखा हमने, ना सीखी होशियारी ।

      Delete
  13. पद की गरिमा को देखते हुए उनकी भागीदारी बहुत बड़ी है | उनकी प्रतिक्रिया ज़रूरी है

    ReplyDelete
    Replies
    1. बिल्कुल सही, जरूरी है, उन्हें आगे आना चाहिए।

      Delete
  14. भारतीय राजनीतिज्ञों से इस्तीफे की बात बेमानी है. मेरे ख़याल से शास्त्री जी के अलावा और कोई उदाहरन भी नहीं है.

    ReplyDelete
  15. भारतीय राजनीतिज्ञों से इस्तीफे की बात बेमानी है. मेरे ख़याल से शास्त्री जी के अलावा और कोई उदाहरन भी नहीं है.

    ReplyDelete
    Replies
    1. अब चली चला की बेला है, कुछ भी कर सकते हैं मनमोहन

      Delete
  16. सोच ही रुक जाती है ..सोचकर..

    ReplyDelete
    Replies
    1. सावधान ! ये भारत की राजनीति है.

      Delete
  17. der aayad durust aayad... badiya aalekh..

    ReplyDelete
  18. राजनीति उस चिड़िया का नाम है-जो किसी डाल पर नहीं बैठती
    सच को उजागर करता आलेख
    बधाई

    आग्रह है पढ़े "अम्मा"

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी बिल्कुल सहमत हूं आपसे..
      आभार

      Delete
  19. maunmauhan ji se kuch na hua hai na hoga :)

    ReplyDelete
    Replies
    1. हाहाहहाहहा... कुछ हद ये बात भी सही है..

      Delete
  20. Ahaa, its good conversation about this post here at this weblog,
    I have read all that, so at this time me also commenting here.

    ReplyDelete
    Replies
    1. भाई Anonymous आपका कमेंट तो यहां है, पर मुझे मजबूरी में आपके अश्लील लिंक को हटाना पड़ा।

      Delete
  21. यही तो हो ही रहा है

    पाकिस्तान - दो तस्वीर "
    को पढ़े मेरे ब्लॉग डायनामिक पर

    ReplyDelete

जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।