Thursday, 9 August 2012

यमुना एक्सप्रेसवे : टोल टैक्स है या गुंडा टैक्स

दिल्ली में हूं, इसलिए आज बात तो रामदेव की होनी चाहिए थी, लेकिन देख रहा हूं कि रामदेव का आंदोलन थका हारा सा है,लिहाजा इस पर ज्यादा बात करने की जरूरत नही है। इसलिए आज मैं आपसे एक गंभीर मामले की चर्चा करुंगा, एक ऐसी सियासी लूट की कहानी, जिसमें माया और मुलायम में कोई अंतर नहीं है। यमुना एक्सप्रेसवे के नाम पर जिस तरह आम आदमी को पीसा गया है, ये कहानी शर्मनाक है। हैरानी इस बात की है कि राजनीतिक दल वैसे तो एक दूसरे पर बरसते रहते हैं, लेकिन जब मामला मलाई का हो, तो एक ही प्लेट को बारी बारी सब चाटने के लिए तैयार दिखते हैं। यमुना एक्सप्रेसवे की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

एक प्रस्ताव आया कि दिल्ली से आगरा की दूरी कम की जा सकती है, इससे पर्यटन को तो बढावा मिलेगा ही, एक्सप्रेसवे बन जाने से आम जनता को भी सहूलियत होगी। वैसे तो ये प्रस्ताव 2001 में ही आ गया था, और कुछ दिन इस पर काम चला भी, लेकिन सूबे की सियासी उठापटक में ये प्रोजेक्ट पिसता रहा। बहरहाल जेपी ग्रुप ने बुद्धिमानी से काम लिया, उन्हें लगा कि किसी एक पार्टी के सहारे ये प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सकता। बताते है कि उन्होंने हर पार्टी को मोटा पतला दाना डाला, और सभी आ गए उनके झंडे के नीचे। लेकिन इसमें पहले बेचारे किसान पिसे और अब जनता की बारी है।

यहां के किसानों से औने पौने दाम में जमीन का अधिग्रहण किया गया और अब वही जमीन यमुना एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद लोगों को मोटी रकम में दी गई। सड़क के किनारे फूड प्लाजा के लिए मनमानी पैसे के वसूली की गई। चूंकि इस सड़क के नाम में एक्सप्रेस जुडा है, तो आम आदमी की ऐसी तैसी करने की तैयारी कर दी गई। सच तो ये है कि इस सड़क के आस पास की जमीन पर जिस तरह से फूड प्लाजा, माल्स, होटल और रेस्टोरेंट प्रस्तावित हैं, उससे होने वाली आमदनी से ही इसका खर्च आसानी से निकाला जा सकता है, टोल टैक्स की वसूली कोई जरूरी नहीं है। फिर टोल टैक्स वसूला ही जाना था तो इसके रेट व्यवहारिक रखने चाहिए थे। चूंकि ये वसूली का काम भी जेपी ग्रुप को ही करना है, लिहाजा नेताओं ने खुली छूट दे दी। इसका नतीजा ये हुआ कि नोएडा से आगरा जाने के लिए एक तरफ से लगभग 350 रुपये टोल टैक्स के रुप में चुकाने होंगे और वापसी मे भी यही रकम अदा करनी है। इतनी बड़ी रकम को टोल टैक्स कहा जाता है, ये टोल टैक्स नहीं गुंडा टैक्स लगता है।

बीएसपी की सरकार के दौरान ही ये चर्चा शुरू हो गई थी कि इस एक्सप्रेस वे पर मनमानी टोल टैक्स की वूसली की साजिश चल रही है, इस बीच सूबे में सरकार बदल गई और कमान संभाली समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने। इसके बाद लोगों को लगा कि कम से कम टोल टैक्स ऐसा होगा जो देखने में ही व्यवहारिक लगे। लेकिन ये सियासत है, यहां गोरखधंधे में सब नंगे हो जाते हैं। कुछ ऐसा ही किया समाजवादी पार्टी की सरकार ने और टोल टैक्स के मामले में खुली छूट दे दी। मुझे हैरानी है कि आखिर इतनी बड़ी रकम टोल टैक्स के रुप में वसूलने की इजाजत सरकार ने दे कैसे दी। अच्छा स्थानीय लोगों की सुविधा का कोई ध्यान नहीं रखा गया है। एक्सप्रेसवे को चालू कराने की इतनी जल्दी थी, लेकिन प्रोजेक्ट में दोनों ओर सर्विस लेन की बात थी, वो अभी अधूरा पडा है।

इतना ही नहीं एक्सप्रेस वे के दोनों ओर केवल तीन फुट ऊंची बाड़ बनाई गई है जो रास्ते पर जानवरों तथा लोगों के अनाधिकृत प्रवेश को रोकने के लिए नाकाफी है। इससे अक्सर जानवर एक्सप्रेस वे पर आ जाते हैं जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। हाल ही में एक दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो भी चुकी है। इसलिए बाड़ की ऊंचाई तो हर कीमत पर बढ़ाई ही जानी चाहिए। एक्सप्रेस वे के साथ पांच स्थानों पर 500 एकड़ के भूखण्ड विभिन्न परियोजानाओं के लिए प्रस्तावित है लेकिन टप्पल और आगरा के किसानों से भूमि का समझौता अभी तक नहीं हुआ है और वहां के किसान इस समय भी आन्दोलित हैं। आज इस एक्सप्रेसवे के शुरु होने पर किसानों ने काले झंडे दिखाए और कई स्थानों पर रास्ता जाम कर दिया।

कब क्या हुआ

-निर्माण के लिए सात फरवरी 2003 को सरकार और जेपी समूह के बीच हुआ करार

-प्रोजेक्ट के लिए भूमि हस्तातरण जुलाई 2003 में शुरू

-प्रोजेक्ट से जुड़ी औपचारिकताओं की जाच के लिए जस्टिस सिद्धेश्वर नारायण की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जाच आयोग अक्टूबर 2003 में गठित

-जाच आयोग ने अक्टूबर 2006 में परियोजना को दी मंजूरी

-मार्च 2007 में एक्सप्रेसवे के संरेखण को अंतिम रूप दिया गया

-एक्सप्रेसवे का निर्माण 2007 से शुरू हुआ

-एक्सप्रेसवे के लिए यमुना एक्सप्रेसवे ने सात अगस्त 2012 को कम्प्लीशन सर्टिफिकेट जारी किया

एक नजर में

-लंबाई-165.5 किमी

-चौड़ाई-छह लेन (जिसे आठ लेन तक बढ़ाया जा सकता है)

-लागत-तकरीबन 12 हजार करोड़ रुपये

-टोल प्लाजा-तीन, इंटरचेंज-छह

-वाहनों के लिए अंडरपास-70

-माइनर ब्रिज-41,पेडेस्ट्रियन/कार्ट/कैटल अंडरपास-76, कल्वर्ट-183

टोल टैक्स की दर

-कार, जीप व हल्के वाहन 2.10 रु. प्रति किमी.

-मिनी बस व हल्के कॉमर्शियल वाहन 3.25 रु. प्रति किमी.

-बस व ट्रक 6.60 रु. प्रति किमी.

-भारी वाहन10.10 रु. प्रति किमी.

-विशाल भारी यान  12.95 रु. प्रति किमी.

मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री को एक बार फिर इसके टोल टैक्स की दरों की समीक्षा करनी चाहिए और इसे व्यवहारिक बनाने की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए। मुझे लगता है कि इस मामले को मीडिया को भी गंभीरता से उठाना चाहिए था, परंतु ऐसा नहीं हो रहा। मै जानना चाहता हूं कि एक रुपये पेट्रोल  की कीमत बढने पर पूरी सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाली मीडिया आखिर इस मामले में खामोश क्यों है ? जनहित के मामले में एक आवाज तो उठनी ही चाहिए..।

 





37 comments:

  1. उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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  2. बहुत ही अधिक शुल्र्क है यह तो .
    वाकई मनमानी है यह .

    ............................
    [कृपया पोस्ट के शीर्षक में वर्तनी जाँच लिजीये.]

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    1. जी, मैने ठीक कर दिया,
      आपका बहुत बहुत आभार

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  3. आपने सही कहा,,,,,
    टोल टैक्स की दरों की सरकार को फिर से समीक्षा करनी चाहिए,,,,
    श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.
    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,..

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    1. इसीलिए मैने कहा ये टोल टैक्स नहीं गुंडा टैक्स जैसा लगता है

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  4. जन हित के मुद्दे की तरफ आपका ध्यान गया है सरकारें मूलतय : बे -ईमान होतीं हैं अखिलेश बनाम मुलायम अलि इसका कैसे अपवाद हो सकतें हैं फिर ये भाई कथित सेकुलर खेमा है जो करें सो कम .जन्म अष्टमी मुबारक -कृपया यहाँ भी देखें -
    बृहस्पतिवार, 9 अगस्त 2012
    औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली
    औरतों के लिए भी है काइरोप्रेक्टिक चिकित्सा प्रणाली

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    1. शुक्रिया सर, चलिए कुछ मुद्दों पर तो आप हमारे साथ हैं...

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  5. आज जब से ये न्यूज़ देखी थी तब से सोच रही थी की इस टोल की वसूली पर एक भी न्यूज़ नहीं हैं ...पर यहाँ ब्लॉग पर आते ही आपकी रिपोर्ट ने सारा सच सामने रख दिया ...
    जहाँ जहाँ आवाज़ उठानी चाहिए वह कोई कुछ नहीं कहता ...पर अब मसला अब ये हैं की ये टोल क्या कभी कम किया जाएगा ...जिस से आने जाने वाले पर टोल का भार कम से कम पड़े ....सोचने वाली बात तो ये हैं बस ????

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    1. बेईमानी के खिलाफ आवाज तो उठनी ही चाहिए

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  6. यू.पी ...सरकार में चाहें कोई भी पार्टी राज़ करे ....वो लोग करते अपनी ही मनमानी हैं 350 का टोल टैक्स ...ये आम जनता के साथ सरासर नाइंसाफी हैं ..

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    1. जी मैं पूरी तरह सहमत हूं आपसे

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  7. सच में लूट ही मची है..... हैरानी तो तब होती है जब ऐसे निर्माण कार्यों में लगे धन से ज्यादा वसूली कर लेने के बाद भी सालों तक ऐसे टैक्स वसूले जाते रहते हैं

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    1. बिल्कुल ये एक गंभीर मामला है। मुझे लगता है कि जब सब लोग खामोश हों, तो सोशल नेटवर्क साइट पर इस मामले को लेकर एक जबर्दस्त अभियान छेड़ा जाना चाहिए। वरना तो कुछ तथाकथित लोग चार पार्टी के नेताओं और कुछ मीडिया को मिलाकर कुछ भी करने लगेंगे....

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  8. आप से पूरी सहमति है "मैं भी महेंद्र श्रीवास्तव "

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    1. शुक्रिया राजेश जी
      इस मामले में सभी को अपने ब्लाग पर आवाज उठाने की जरूरत है..

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  9. सब एक ही थैली के चटटे बटटे हैं

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    1. हां, ये बात तो बिल्कुल सही है

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  10. सच में ये टोल टैक्स तो कतई नहीं लगता ...और इस एक्सप्रेस वे में "कहाँ का आम आदमी" सफ़र करेगा ...??????

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    1. जो ना कराए ये बेईमान राजनीति

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  11. आपके लेख से एक्सप्रेस वे के बारे में अच्छी जानकारी मिली.
    श्रीकृष्णजन्माष्टमी की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  12. मुद्दा टी.आर.पी. रेटिंग वाला होना चाहिए..ये टोल टैक्स ..

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  13. जब ऊपर सभी मि‍ल-बॉंट कर खाने में जुटे हों तो आपके इस तरह के सवाल उठाने को सुनेगा कौन

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    1. बात तो सही कह रहे है,
      लेकिन बात नहीं उटाऊंगा तो पेट में गैस बनती है

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  14. आपने सही कहा..इस मामले में सभी को अपने ब्लाग पर आवाज उठाने की जरूरत है..श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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    1. जी जरूर उठाना होगा
      अगर राहत चाहिए

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  15. 350 रूपये टोल टैक्स ?
    असम्भव सी बात लगती है !

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    1. जी ये असंभव नहीं है, 16 अगस्त के बाद सफर कीजिए ना इस लड़क पर..आपको पता नहीं क्यों असंभव लग रहा है, बहुत मोटी चमडी वाले होते नेता, कुछ भी गिरवी रख सकते है, जमीर तो रहा नहीं..

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  16. abhi to toll tax 350 rs hai ise 6 lane banane ke bad ise badhane ka ek aur bahana mil jayega.toll ke nam par poore desh me hi loot machi hai.
    privatization ke nam par sarkar apni jimmedariyon se palla jhad kar private companies ke sath bandar baant me lagi hai.
    gadiyon ke registration ke samay road tax bharvaya jata hai uske bad bhi toll tax???
    aam janta jaye to kaha jaye?

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    1. बिल्कुल सही,
      जब एक बार गाड़ी खरीदते वक्त रोड टैक्स दे देते हैं, तो फिर काहे का टैक्स.
      इस मामले में अगर कोर्ट की शरण ली जाए तो आम जनता को वाकई एक बड़ी मुश्किल से छुटकारा मिल सकता है

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  17. श्रीवास्तव जी नमस्कार...
    आपके ब्लॉग 'आधा सच' से लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 14 अगस्त को 'एक टोल टैक्स है या गुडं' टैक्स शीर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
    धन्यवाद
    फीचर प्रभारी
    नीति श्रीवास्तव

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।