पांच दिन उपवास के बाद बाबा रामदेव आज बोरिया बिस्तर समेट कर हरिद्वार चले गए, लेकिन जाते जाते उन्होंने कहा कि उनकी जीत हुई है। अब ये पेंच फंसाकर वो तो दिल्ली से खिसक लिए, यहां लोग यही सोच रहे हैं अगर बाबा की जीत हुई है तो हार किसकी हुई, क्योंकि ये तो संभव ही नहीं है कि किसी के हारे बगैर किसी की जीत हो जाए। मैने जो देखा अगर उसके आधार पर आंदोलन को देखा जाए तो मैं कह सकता हूं कि अगर बाबा की जीत हुई है तो उनके चेलों की ही हार हुई होगी। आप कहेंगे वो कैसे ? मैं बताता हूं। बेचारे इतनी दूर से यहां आए थे कि बाबा कुछ बढिया बातें करेंगे, आंदोलन को और आगे कैसे ले जाएं इसका मंत्र देंगे, लेकिन ये क्या ? ना कोई नई बात, ना कोई मंत्र, ना कोई विजन बस पांचो दिन पागलपन, पागलपन और पागलपन। मैने एक आंदोलनकारी से पूछा आप यहां से क्या लेकर जा रहे हैं, बड़ा ही साधारण सा दिखने वाले इस आदमी ने कहा "कुच्छो नहीं, बस दू ढाई सौ सीडी ले जा रहे हैं।" मैने कहा सीडी ले जा रहे हैं ? बोला "हां हम आश्रम की दवाएं बेचते हैं, केवल उसके बिकने से पेट नहीं भरता है, तो सीडी वीडी भी बेच लेते हैं।"
हां एक नई बात मुझे जरूर दिखाई दी। इस बार बाबा थोड़ा नंगई पर उतारू दिखे। भाषा की मर्यादा की तो उन्हें कत्तई फिक्र थी ही नहीं। कहने लगे कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर उन्हें शर्म महसूस होती है और फर्जीवाड़े में फंसे अपने चेले बालकृष्ण पर उन्हें गर्व होता है। हैरानी तो इस बात की कि बालकृष्ण की तुलना वो शहीदों से करते रहे और कहा कि जेल जाना तो आंदोलनकारियों का सपना होता है। अरे बाबा कम से कम ऐसी बातें करो जिससे लोगों में तुम्हारी विश्वसनीयता बनी रहे। अभी भी नहीं मान रहे हैं कि बालकृष्ण फर्जीवाडे में फंसा है। वो पढा लिखा नहीं है, गलत ढंग से खुद को आचार्य बता रहा है। गलत नागरिकता बताकर उसने ना सिर्फ पासपोर्ट हासिल किया है, बल्कि इसी पासपोर्ट से कई बार विदेशों की यात्रा भी की है, और अब उसी फर्जीवाड़े के पकड़े जाने के बाद वो जेल की सजा काट रहा है। सच तो ये है कि ऐसे आदमी से तो बाबा को अलग हो जाना चाहिए था, लेकिन कैसे अलग हो सकते हैं। कहावत है ना चोर- चोर मौसेरे भाई। दरअसल इसके पीछे कुछ दूसरे ही राज है। आपको पता होगा कि अगर बालकृष्ण चाहे तो रामदेव को पतंजलि आश्रम से बेदखल कर सकता है, क्योंक आश्रम, विश्वविद्यालय से लेकर सभी कंपनियां उसी के नाम से है। बस यही वजह है कि बालकृष्ण कितना बड़ा अपराध क्यों ना कर लें, बाबा उसका साथ नहीं छोड़ सकते।
अब देखिए ना आंदोलन स्थल यानि रामलीला मैदान में तमाम ऐसे बैनर लगाए गए जिसमें शहीदे आजम भगत सिंह, चंद्रशेखर समेत अन्य के चित्र छोटे थे और बीच में फर्जीवाडे में फंसे बालकृष्ण की तस्वीर और वो भी शहीदों से बड़ी साइज में लगा दी गई। इतना ही नहीं इसी बैनर में हत्या के आरोप में जेल जा चुके जयेन्द्र सरस्वती की तस्वीर भी लगाई गई थी। इस बैनर को जो भी देखता वही हैरान हो जाता था। सब को लगने लगा कि अब बाबा अपने चेले को लेकर कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो रहे हैं। कुछ भी हो बालकृष्ण ने अपराध किया है और वो किसी राजनीतिक या सामाजिक आंदोलन में जेल नहीं गया है, बल्कि फर्जीवाडा यानी 420 में जेल गया है। ऐसे में शहीदों की तरह सम्मान करना बचकानी हरकत है। लेकिन भाई बाबा की मजबूरी है, वो अपराधी ही क्यों ना हो, बाबा गले लगाए रखेंगे और ईमानदारी पर भाषण भी देंगे। बाबा को अपने इस दोहरे चरित्र पर शर्म नहीं आती, बालकृष्ण की पैरवी करने पर भी उन्हें शर्म नहीं आती, शर्म आती है मनमोहन सिंह पर।
वैसे इस बार बाबा डरे हुए थे। हालांकि उसकी वजह खुद बाबा है। पिछली बार दिल्ली की पुलिस ने बाबा को पीटा नहीं था, बस धक्का मुक्की कर उन्हें जीप में डाल दिया था। लेकिन बाबा ने पूरे देश में हल्ला मचाया कि पुलिस ने उन्हें खूब पीटा। इतना ही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पुलिस के जरिए उनकी हत्या कराना चाहती थी। बाबा ये अनाप शनाप बोल तो गए, अब एक बार फिर वो दिल्ली पुलिस के पास थे। रामदेव को खुद ये लग रहा था कि कही पुलिस वाले उनकी पिछली गल्तियों का बदला ना लें और इस बार सच मे ही ना लठिया दें। यही वजह थी कि पहले तीन दिन बाबा सरकार के सामने याचक की भूमिका में थे। आप भी सुनिए क्या कहते थे बाबा.. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाधीं को पूज्यनीया माता जी और राहुल गांधी को आदरणीय भाई राहुल गांधी का संबोधन देकर अपने मंच पर आमंत्रित कर रहे थे। बार बार कहा कि वो यहां किसी पार्टी या सरकार के खिलाफ उपवास नहीं कर रहे हैं। सरकार बाबा के प्रति आक्रामक ना हो जाए, इसलिए पहले ही घोषणा कर दी कि इस बार उनका आंदोलन सांकेतिक है, इसलिए महज तीन दिन उपवास रखा जाएगा। सरकार के करीब आने के लिए यहां तक कहा कि सरकार लोकपाल बिल पास करें और उसमें जो कमियां रह जाएंगी, उसे बाद में संशोधित कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री को अन्ना के सहयोगी बेईमान बता रहे थे, लेकिन रामदेव खुले मंच से उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे रहे थे।
इन सबके बावजूद कांग्रेस और सरकार ने तय कर लिया था कि रामदेव से बात करनी ही नहीं है, क्योंकि ये आदमी विश्वसनीय नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बातचीत मे बताया कि हम रामदेव के योग और उनके संत होने की वजह से उनका आदर करते थे। यही वजह है कि पहले आंदोलन के दौरान उनसे मिलने एयरपोर्ट पर प्रणव दा जैसे वरिष्ठ मंत्री भी गए। लेकिन ये बाबा दूसरे राजनीतिक दल और संगठन के लिए काम कर रहे हैं,लिहाजा इनसे बात करने का कोई मतलब ही नहीं है। तीन दिन तक लगातार बाबा अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से सरकार को लुभाने की कोशिश करते रहे, लेकिन सरकार ने तय कर लिया था कि इनसे कोई बात नहीं की जाएगी, इनसे जो भी बात होगी वो सिर्फ और सिर्फ पुलिस करेगी। वही हुआ भी, वर्दीधारी ही रामदेव के पास जाते रहे और उन्हें याद दिलाते रहते कि उन्हें पुलिस से किया हुआ वादा याद रखना चाहिए। दरअसल बाबा से जब कोई बात करने नहीं आया, तो बाबा को लगा कि देश को जवाब क्या दें, फिर उन्होंने माहौल थोड़ा गरमाने की साजिश रची और तय किया कि संसद का घेराव करने का ऐलान करते हैं। ये तय है कि पुलिस वहां तक जाने नहीं देगी और सभी को हिरासत में ले लिया जाएगा। जहां हिरासत में लिया जाएगा, हम वहीं धरना देखर बैठ जाएंगे और फिर शोर शराबे के बीच कार्यक्रम का समापन कर दिया जाएगा।
लिखी हुई स्क्रिप्ट की तरह कल सोमवार को बाबा लोगों के साथ संसद की ओर निकले, फिर रास्ते में रोक लिए गए और रामलीला मैदान से निकल कर अंबेडकर पार्क में आ गए। अब पार्क में भी उन्होंने पूरा माहौल खराब करने की कोशिश की, वो चाहते थे कि यहां भी हल्का फुल्का पुलिस सीन क्रिएट करे, इसके बाद यहां से रवानगी हो। पहले उन्होंने मांग रखी कि सभी आंदोलनकारियों को खाना और पानी दें। सवाल ये है कि हिरासत में लेने के आधे घंटे बाद जब पुलिस ने सभी को मुक्त कर दिया तो किस बात का खाना पानी ? फिर बाबा जी आप तो अनशन करने आए हो, आपकी मांग कालेधन को वापस लाने की है, लेकिन ये क्या सारी मांगे पीछे छोड़ आप खाना पानी की मांग पर अड़ गए। खैर पुलिस को ना देना था ना ही दिया गया। बाद में बाबा के चेलो ने ही कुछ इंतजाम किया, फिर भारी मच्छरों के बीच किसी तरह रात बीती।
आज सुबह बाबा पूरी तरह पटरी से उतरे नजर आए। वजह सरकार की ओर से पुलिस के अलावा कोई उनसे बात करने को तैयार ही नही था। एक मंत्री से तो जब पूछा गया कि रामदेव की मांग पर कोई विचार हो रहा है तो मंत्री ने उल्टा पत्रकारों से ही पूछा कौन रामदेव। आप समझ सकते हैं कि जब मंत्री ये पूछने लगे कि कौन रामदेव, तब ये जान लेना चाहिए कि सरकार इनसे कोई बात करने वाली नहीं है। जैसे जैसे समय बीत रहा था रामदेव की खिसियाहट बढ़ती जा रही थी,जो उनके चेहरे पर दिखाई दे रही थी। जब उन्हें लगा कि कांग्रेस या फिर सरकार से कोई बात नहीं करने वाला तो उन्होंने सुर बदल लिया। अब उनकी पूज्यनीय सोनिया गांधी पूज्यनीय नहीं रह गईं। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री होने पर उन्हें शर्म आती है। फिर उन्होंने नारे लगवाए कि कांग्रेस हराओ और देश बचाओ। यानि अब ये बाबा पूरी तरह बेनकाब हो चुके थे, क्योंकि पहले दिन कह रहे थे कि वो किसी पार्टी के खिलाफ नहीं है, फिर पल्टी कैसे मार गए। कहने लगे कि आज कालेधन पर सदन मे चर्चा हो जाए तो सरकार गिर जाएगी। अरे बाबा जैसा की आप दावा है कि आपके मुद्दे पर सभी आपके साथ हैं, तो वो खुद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को गिरा सकते हैं।
बडबोले बाबा यहीं नहीं रुके कहने लगे कि मैं अगर चाह लूं तो कल प्रधानमंत्री झंडा नहीं फहरा सकते। पता नहीं बाबा को किस बात पर इतना घमंड है। आजकल गोली तो बहुत कम चलानी पड़ती है,पुलिस की लाठी से ही बड़े से बडा आंदोलन टूट जाता है। अब बात स्व. लोकनायक जय प्रकाश की मत करने लगिएगा, क्योंकि लोकनायक बनने का माद्दा ना रामदेव में है और ना ही अन्ना में। ये आंदोलन के फुटकर दुकानदार है, फिर अन्ना ने जिस तरह से अपना आंदोलन खत्म किया है, उससे सामाजिक आंदोलनों को गहरा झटका लगा है। बहरहाल कुछ वैसा ही हाल रामदेव के आंदोलन का भी रहा। भन्नाए रामदेव ने कहा कि अब भूखे रह कर नहीं खा पीकर आंदोलन करेंगे। हाहाहहाहाह। कौन जाने आप भूखे थे खा पीकर आंदोलन कर रहे थे, कोई डाक्टरी जांच तो चल नहीं रही थी। बहरहाल रामदेव 2014 में कांग्रेस का विरोध करने का संकल्प लेकर यहां से हरिद्वार के लिए रवाना हो गए, लेकिन सपोर्ट किसका करेंगे, ये पत्ते अभी नहीं खोले। वैसे रामदेव के मंच पर जिस तरह से बीजेपी अध्यक्ष नीतिन गडकरी और शरद यादव दिखाई दिए, उससे इतना तो साफ है कि बाबा की पसंद एनडीए ही है। बहरहाल ये आंदोलन अब न सिर्फ भटक गया है, बल्कि बाबा के साथ आंदोलन भी पटरी से उतर गया है।
हां एक नई बात मुझे जरूर दिखाई दी। इस बार बाबा थोड़ा नंगई पर उतारू दिखे। भाषा की मर्यादा की तो उन्हें कत्तई फिक्र थी ही नहीं। कहने लगे कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर उन्हें शर्म महसूस होती है और फर्जीवाड़े में फंसे अपने चेले बालकृष्ण पर उन्हें गर्व होता है। हैरानी तो इस बात की कि बालकृष्ण की तुलना वो शहीदों से करते रहे और कहा कि जेल जाना तो आंदोलनकारियों का सपना होता है। अरे बाबा कम से कम ऐसी बातें करो जिससे लोगों में तुम्हारी विश्वसनीयता बनी रहे। अभी भी नहीं मान रहे हैं कि बालकृष्ण फर्जीवाडे में फंसा है। वो पढा लिखा नहीं है, गलत ढंग से खुद को आचार्य बता रहा है। गलत नागरिकता बताकर उसने ना सिर्फ पासपोर्ट हासिल किया है, बल्कि इसी पासपोर्ट से कई बार विदेशों की यात्रा भी की है, और अब उसी फर्जीवाड़े के पकड़े जाने के बाद वो जेल की सजा काट रहा है। सच तो ये है कि ऐसे आदमी से तो बाबा को अलग हो जाना चाहिए था, लेकिन कैसे अलग हो सकते हैं। कहावत है ना चोर- चोर मौसेरे भाई। दरअसल इसके पीछे कुछ दूसरे ही राज है। आपको पता होगा कि अगर बालकृष्ण चाहे तो रामदेव को पतंजलि आश्रम से बेदखल कर सकता है, क्योंक आश्रम, विश्वविद्यालय से लेकर सभी कंपनियां उसी के नाम से है। बस यही वजह है कि बालकृष्ण कितना बड़ा अपराध क्यों ना कर लें, बाबा उसका साथ नहीं छोड़ सकते।
अब देखिए ना आंदोलन स्थल यानि रामलीला मैदान में तमाम ऐसे बैनर लगाए गए जिसमें शहीदे आजम भगत सिंह, चंद्रशेखर समेत अन्य के चित्र छोटे थे और बीच में फर्जीवाडे में फंसे बालकृष्ण की तस्वीर और वो भी शहीदों से बड़ी साइज में लगा दी गई। इतना ही नहीं इसी बैनर में हत्या के आरोप में जेल जा चुके जयेन्द्र सरस्वती की तस्वीर भी लगाई गई थी। इस बैनर को जो भी देखता वही हैरान हो जाता था। सब को लगने लगा कि अब बाबा अपने चेले को लेकर कुछ ज्यादा ही संवेदनशील हो रहे हैं। कुछ भी हो बालकृष्ण ने अपराध किया है और वो किसी राजनीतिक या सामाजिक आंदोलन में जेल नहीं गया है, बल्कि फर्जीवाडा यानी 420 में जेल गया है। ऐसे में शहीदों की तरह सम्मान करना बचकानी हरकत है। लेकिन भाई बाबा की मजबूरी है, वो अपराधी ही क्यों ना हो, बाबा गले लगाए रखेंगे और ईमानदारी पर भाषण भी देंगे। बाबा को अपने इस दोहरे चरित्र पर शर्म नहीं आती, बालकृष्ण की पैरवी करने पर भी उन्हें शर्म नहीं आती, शर्म आती है मनमोहन सिंह पर।
वैसे इस बार बाबा डरे हुए थे। हालांकि उसकी वजह खुद बाबा है। पिछली बार दिल्ली की पुलिस ने बाबा को पीटा नहीं था, बस धक्का मुक्की कर उन्हें जीप में डाल दिया था। लेकिन बाबा ने पूरे देश में हल्ला मचाया कि पुलिस ने उन्हें खूब पीटा। इतना ही नहीं उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पुलिस के जरिए उनकी हत्या कराना चाहती थी। बाबा ये अनाप शनाप बोल तो गए, अब एक बार फिर वो दिल्ली पुलिस के पास थे। रामदेव को खुद ये लग रहा था कि कही पुलिस वाले उनकी पिछली गल्तियों का बदला ना लें और इस बार सच मे ही ना लठिया दें। यही वजह थी कि पहले तीन दिन बाबा सरकार के सामने याचक की भूमिका में थे। आप भी सुनिए क्या कहते थे बाबा.. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाधीं को पूज्यनीया माता जी और राहुल गांधी को आदरणीय भाई राहुल गांधी का संबोधन देकर अपने मंच पर आमंत्रित कर रहे थे। बार बार कहा कि वो यहां किसी पार्टी या सरकार के खिलाफ उपवास नहीं कर रहे हैं। सरकार बाबा के प्रति आक्रामक ना हो जाए, इसलिए पहले ही घोषणा कर दी कि इस बार उनका आंदोलन सांकेतिक है, इसलिए महज तीन दिन उपवास रखा जाएगा। सरकार के करीब आने के लिए यहां तक कहा कि सरकार लोकपाल बिल पास करें और उसमें जो कमियां रह जाएंगी, उसे बाद में संशोधित कर लिया जाएगा। प्रधानमंत्री को अन्ना के सहयोगी बेईमान बता रहे थे, लेकिन रामदेव खुले मंच से उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे रहे थे।
इन सबके बावजूद कांग्रेस और सरकार ने तय कर लिया था कि रामदेव से बात करनी ही नहीं है, क्योंकि ये आदमी विश्वसनीय नहीं है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बातचीत मे बताया कि हम रामदेव के योग और उनके संत होने की वजह से उनका आदर करते थे। यही वजह है कि पहले आंदोलन के दौरान उनसे मिलने एयरपोर्ट पर प्रणव दा जैसे वरिष्ठ मंत्री भी गए। लेकिन ये बाबा दूसरे राजनीतिक दल और संगठन के लिए काम कर रहे हैं,लिहाजा इनसे बात करने का कोई मतलब ही नहीं है। तीन दिन तक लगातार बाबा अपनी चिकनी चुपड़ी बातों से सरकार को लुभाने की कोशिश करते रहे, लेकिन सरकार ने तय कर लिया था कि इनसे कोई बात नहीं की जाएगी, इनसे जो भी बात होगी वो सिर्फ और सिर्फ पुलिस करेगी। वही हुआ भी, वर्दीधारी ही रामदेव के पास जाते रहे और उन्हें याद दिलाते रहते कि उन्हें पुलिस से किया हुआ वादा याद रखना चाहिए। दरअसल बाबा से जब कोई बात करने नहीं आया, तो बाबा को लगा कि देश को जवाब क्या दें, फिर उन्होंने माहौल थोड़ा गरमाने की साजिश रची और तय किया कि संसद का घेराव करने का ऐलान करते हैं। ये तय है कि पुलिस वहां तक जाने नहीं देगी और सभी को हिरासत में ले लिया जाएगा। जहां हिरासत में लिया जाएगा, हम वहीं धरना देखर बैठ जाएंगे और फिर शोर शराबे के बीच कार्यक्रम का समापन कर दिया जाएगा।
लिखी हुई स्क्रिप्ट की तरह कल सोमवार को बाबा लोगों के साथ संसद की ओर निकले, फिर रास्ते में रोक लिए गए और रामलीला मैदान से निकल कर अंबेडकर पार्क में आ गए। अब पार्क में भी उन्होंने पूरा माहौल खराब करने की कोशिश की, वो चाहते थे कि यहां भी हल्का फुल्का पुलिस सीन क्रिएट करे, इसके बाद यहां से रवानगी हो। पहले उन्होंने मांग रखी कि सभी आंदोलनकारियों को खाना और पानी दें। सवाल ये है कि हिरासत में लेने के आधे घंटे बाद जब पुलिस ने सभी को मुक्त कर दिया तो किस बात का खाना पानी ? फिर बाबा जी आप तो अनशन करने आए हो, आपकी मांग कालेधन को वापस लाने की है, लेकिन ये क्या सारी मांगे पीछे छोड़ आप खाना पानी की मांग पर अड़ गए। खैर पुलिस को ना देना था ना ही दिया गया। बाद में बाबा के चेलो ने ही कुछ इंतजाम किया, फिर भारी मच्छरों के बीच किसी तरह रात बीती।
आज सुबह बाबा पूरी तरह पटरी से उतरे नजर आए। वजह सरकार की ओर से पुलिस के अलावा कोई उनसे बात करने को तैयार ही नही था। एक मंत्री से तो जब पूछा गया कि रामदेव की मांग पर कोई विचार हो रहा है तो मंत्री ने उल्टा पत्रकारों से ही पूछा कौन रामदेव। आप समझ सकते हैं कि जब मंत्री ये पूछने लगे कि कौन रामदेव, तब ये जान लेना चाहिए कि सरकार इनसे कोई बात करने वाली नहीं है। जैसे जैसे समय बीत रहा था रामदेव की खिसियाहट बढ़ती जा रही थी,जो उनके चेहरे पर दिखाई दे रही थी। जब उन्हें लगा कि कांग्रेस या फिर सरकार से कोई बात नहीं करने वाला तो उन्होंने सुर बदल लिया। अब उनकी पूज्यनीय सोनिया गांधी पूज्यनीय नहीं रह गईं। मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री होने पर उन्हें शर्म आती है। फिर उन्होंने नारे लगवाए कि कांग्रेस हराओ और देश बचाओ। यानि अब ये बाबा पूरी तरह बेनकाब हो चुके थे, क्योंकि पहले दिन कह रहे थे कि वो किसी पार्टी के खिलाफ नहीं है, फिर पल्टी कैसे मार गए। कहने लगे कि आज कालेधन पर सदन मे चर्चा हो जाए तो सरकार गिर जाएगी। अरे बाबा जैसा की आप दावा है कि आपके मुद्दे पर सभी आपके साथ हैं, तो वो खुद सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को गिरा सकते हैं।
बडबोले बाबा यहीं नहीं रुके कहने लगे कि मैं अगर चाह लूं तो कल प्रधानमंत्री झंडा नहीं फहरा सकते। पता नहीं बाबा को किस बात पर इतना घमंड है। आजकल गोली तो बहुत कम चलानी पड़ती है,पुलिस की लाठी से ही बड़े से बडा आंदोलन टूट जाता है। अब बात स्व. लोकनायक जय प्रकाश की मत करने लगिएगा, क्योंकि लोकनायक बनने का माद्दा ना रामदेव में है और ना ही अन्ना में। ये आंदोलन के फुटकर दुकानदार है, फिर अन्ना ने जिस तरह से अपना आंदोलन खत्म किया है, उससे सामाजिक आंदोलनों को गहरा झटका लगा है। बहरहाल कुछ वैसा ही हाल रामदेव के आंदोलन का भी रहा। भन्नाए रामदेव ने कहा कि अब भूखे रह कर नहीं खा पीकर आंदोलन करेंगे। हाहाहहाहाह। कौन जाने आप भूखे थे खा पीकर आंदोलन कर रहे थे, कोई डाक्टरी जांच तो चल नहीं रही थी। बहरहाल रामदेव 2014 में कांग्रेस का विरोध करने का संकल्प लेकर यहां से हरिद्वार के लिए रवाना हो गए, लेकिन सपोर्ट किसका करेंगे, ये पत्ते अभी नहीं खोले। वैसे रामदेव के मंच पर जिस तरह से बीजेपी अध्यक्ष नीतिन गडकरी और शरद यादव दिखाई दिए, उससे इतना तो साफ है कि बाबा की पसंद एनडीए ही है। बहरहाल ये आंदोलन अब न सिर्फ भटक गया है, बल्कि बाबा के साथ आंदोलन भी पटरी से उतर गया है।
बड़े बेआबरू हों करे तेरे कूचे से निकले ...(लौट के बुद्धू घर को आए )
ReplyDelete:)))
हाहाहहाहाहा
Deleteबिल्कुल सही कहा
बहुत सुन्दर...स्वतन्त्रतादिवस की पूर्व संध्या पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआभार सर
Deleteआपने जो लिखा है वो एक सटीक विश्लेषण तो कतई नहीं कहा जा सकता है आपने इस आंदोलन में किसकी हार हुयी इस पर तो कुछ सच ही लिखा है कि यह हार उन आंदोलनकारियों और जनता की ही हुयी है लेकिन उसके आगे तो आपने केवल अपनी भड़ास ही निकाली है विश्लेषण नहीं किया है आपने बालकृष्ण को दोषी ही ठहरा दिया जबकि इस देश का बच्चा बच्चा जानता है कि सीबीआई का कैसा दुरूपयोग किया जाता है और इस मामले में भी वही हो रहा है ,कई दिनों ( तारीख तो मुझे याद नहीं है )पहले दैनिक जागरण के मुख्यपृष्ठ पर उन सब लोगों के नाम छपे है जो बालकृष्ण के साथ पढ़े थे तो कौन झूठा है और कौन सच्चा इसका फैसला अदालत में होगा !
ReplyDeleteहाहाहहाहाहहा... ये आंदोलन तो आज शुरू हुआ है। पर लगभग ढाई साल पहले मैने ही इनके फर्जीवाडे का खुलासा किया था। चैनल पर पूरी स्टोरी चली थी। बालकृष्ण का बयान भी उसमें था। अगर ये सही होते तो उसी समय हमारे खिलाफ मुकदमा करते। लेकिन नोटिस तक नहीं भेजा, हां देहरादून में बीजेपी की सरकार थी, तो पुलिस रिपोर्ट अपने मनमाफिक लगवा ली, क्योकि जब मैने इस मामले में डीजीपी उत्तराखंड से बात की तो बेचारे हक्का बक्का सा दिखा, और इनडायरेक्ट में दबाव को स्वीकार किया।
Deletebaba to khair vaise bhi apne pahle aandolan fir anna se virodh ke chalte apni vishvashniyata kho chuke hai .fir anna ke aandolan ke fail hone ke bad kisi doosare aandolan par bharosa karne me logo ko samy lagega.khair unhone bada tamasha kar logo ko jaroor bharmaye rakha..
ReplyDeletesateek aalekh
ये तो संभव ही नहीं है कि किसी के हारे बगैर किसी की जीत हो जाए ....
ReplyDeleteबहुत लोगो की आँखे खुलवा देगा आपका ये आलेख .... शुभकामनाएं ....
जी आभार
Deleteकिसी की हार के बगैर कैसी जीत. ये बड़ा सवाल है
अन्ना के गन्ना का, निकल गया सब रस
ReplyDeleteरामदेव बाबा को देखिये, क्या होता है बस,,,,
वे क़त्ल होकर कर गये देश को आजाद,
अब कर्म आपका अपने देश को बचाइए!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,,
RECENT POST...: शहीदों की याद में,,
हाहाहहाहाह
Deleteबहुत बहुत आभार
फिर कहे इतना शोर मचाया? सही कहा है आपने ये बाबा... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteशुक्रिया संध्या जी
Deleteरामदेव बाबा के आंदोलन का सही विश्लेषण । स्वतंत्रता दिवस पर शुभ कामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteमुझे तो दोनों बाबा जाहिल और जोकर ही प्रतीत होते हैं !
ReplyDelete-
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सरकार को मुर्दाबाद कहो ...... सरकार को गालियाँ दो ... और सरकार तुम्हारे लिए पूड़ी और पराठा बनवाये :)
अरे नाश्ता-पानी की व्यवस्था तो मुलायम सिंह, मायावती जैसे समर्थकों को करना चाहिए था !
बिल्कुल सही
ReplyDeleteमन की बात कही आपने
क्षमा करें ,अच्छाई में भी बुराई खोज लेना तर्कों के आधार पर अपनी बात सिद्ध करना और केवल आलोचक बन कर तमाशा देखना ...शायद अब यही बौद्धिकता की निशानी है ।
ReplyDeleteआपके विचारों का भी स्वागत....
Deleteये बात तो सभी पर लागू हो सकती है..
bada mushkil daur chal raha hai sabko apni chinta hai desh ke liye koi nahi soch raha hai 66 sal me hi aisee halat pta nahi aage kya hoga ....
ReplyDeleteजी आपकी चिंता बिल्कुल जायज है।
ReplyDeleteश्रीवास्तव जी नमस्कार...
ReplyDeleteआपके ब्लॉग 'आधा सच से' लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 18 अगस्त को 'ये बाबा बड़बोला है' शीर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaksarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
शुक्रिया नीति
Deleteमजेदार 'आधा सच'..
ReplyDeleteशुक्रिया अमृता जी
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