देश की घटिया राजनीति और बाबाओं की नंगई तो आप हमारी नजर से काफी समय से देखते और पढ़ते आ रहे हैं, चलिए आज आपको ऐसी जगह ले चलते है, जहां जाने के बाद कोई वापस नहीं आया। अगर कोई वापस आया भी तो उसे पहचानना मुश्किल हो गया। मसलन वो वहां गया तो मनुष्य शरीर में लेकिन वापस किस शरीर में आया, इस बारे में गारंटी के साथ कुछ भी नहीं कहा जा सकता। शायद मैं दुनिया का पहला आदमी हूं जो जिस शरीर में गया, उसी में वापस भी आया। मुझे पता है कि आपको भरोसा नहीं होगा, इसीलिए मैं कुछ ऐसी जानकारी जुटा कर लाया हू, जिससे आपको पता चल जाए कि मैं वाकई ऊपर होकर आया हूं।
बहरहाल ऊपर काफी अफरा-तफरी मची हुई है। मुझे लगता था कि बढती आबादी से सिर्फ नीचे ही मुश्किल हो रही है, पर ऐसा नहीं है, ऊपर तो और बुरा हाल है। ऊपर के नियम कायदे सब खत्म हो चुके हैं, खूब मनमानी चल रही है। चित्रगुप्त महराज का अपने ही महकमें के कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं रह गया है, लिहाजा लोगों के छोटे मोटे काम भी आसानी से नहीं हो पा रहे हैं। अच्छा वहां मुझे ना जाने लोग क्या समझ रहे थे कि मैं जैसे ही ऊपर पहुंचा, फूलों के गुलदस्ते से मेरी आगवानी हुई और मेरा यमराज के गेस्ट रूम में रुकने का इंतजाम कर दिया गया। यहां अभी चाय का प्याला उठाया ही था कि कमरे में चित्रगुप्त महराज आ धमके। दुआ सलाम की सामान्य शिष्टाचार के बाद बात घर परिवार की शुरू हो गई। हमारी बात चीत चल ही रही थी कि बाहर से काफी तेज शोर शराबे की आवाज आने लगी। मैं हैरान रह गया, मुझे लगा कि धरतीलोक और परलोक में ज्यादा फर्क नहीं है।
बहरहाल चित्रगुप्त महराज ने मुझसे कहाकि आइये आपको परलोक दिखाते हैं। उन्होंने आंख बंद कर मन में कुछ पढ़ा और बंद मुट्ठी मेरे चेहरे की ओर करके खोल दी, अब हम दोनों अदृश्य हो चुके थे, यानि मैं और चित्रगुप्त महराज तो सबको देख सकते थे, परंतु हम दोनों को कोई नहीं देख सकता था। अब हम काफी ऊंचाई से इस परलोक को देख रहे थे। मैने देखा कि एक ओर भव्य स्वर्ग की इमारत दिखाई दे रही है, दूसरी ओर नर्क। हालाकि नर्क की बिल्डिंग भी सामान्य नहीं थी। स्वर्ग और नर्क के सामने ही एक बहुत बड़ा मैदान दिखाई दे रहा है, यहां करोडो लोग बैठे भजन कीर्तन कर रहे हैं। यहीं इन सबके बीच एक आदमी जोर जोर से शोर शराबा कर रहा है, कहां है यमराज, चित्रगुप्त कहां बैठे हैं, जब काम नहीं कर सकते तो चले जाएं यहां से। क्यों वो जनता को परेशान कर रहे हैं।
मुझसे रहा नहीं गया, तब मैने चित्रगुप्त से कहाकि आप अपना काम देखिए, मैं थोड़ी देर अकेले यहां समय बिताना चाहता हूं। उन्होंने कहा हां क्यों नहीं, जाइये घूमिये। सच तो ये है कि मुझे ये जानने की उत्सुकता थी कि आखिर ये आदमी देखने से काफी शरीफ और पढा लिखा लग रहा है, लेकिन उसे ऐसी क्या तकलीफ है जो शोर मचा रहा है। मै सीधे उसी के पास पहुंचा और पूछ लिया कि क्या हो गया है आपको, क्यों शोर मचा रहे हैं। उसने बताया कि मेरा नाम पंडित योगराज है। जीवन में मैने आज तक कोई गल्ती नहीं की। बहुत ही सादा जीवन जीता रहा हूं, मंदिर का पुजारी रहा हूं, दिन भर कथा कीर्तन करता रहा। कुछ दिन पहले मैं एक सड़क दुर्घटना में घायल हुआ और धरती पर गाजियाबाद के सरकारी अस्पताल में भर्ती हुआ। इलाज के दौरान मेरी मौत हो गई और अब मैं यहां हूं। मैने आज तक कोई गलत काम नहीं किया, इसलिए लगा कि मुझे तो स्वर्ग मे ही रखा जाएगा, मैने स्वर्ग के काउंटर पर पता किया तो बताया गया कि मेरा नाम तो यहां दर्ज ही नहीं है। फिर मैने सोचा कि कई बार आदमी से अनजाने में गल्ती हो जाती है।
कहीं ऐसा तो नहीं कि अनजाने में हुई गल्ती के लिए मुझे कुछ दिन नर्क में रहना हो, उसके बाद मुझे स्वर्ग में जगह मिले। इसके लिए मैने नर्क के काउंटर पर पता किया, लेकिन वहां भी मेरा नाम नहीं है। यहां कोई कुछ सुनता ही नहीं है। दो दिन हो गए हैं मुझे यहां आए हुए पानी तक नहीं पूछा जा रहा है। मुझे पंडित जी की बात में दम लगा और मैने उनसे कहा आप घबराइये नहीं, मैं कुछ करता हूं। अब पत्रकारिता की ऐंठ एक-दम से तो जाती नहीं है, वो तो जाते जाते ही जाएगी। बस मैने तुरंत अपना विजिटिंग कार्ड निकाला और इसे यमराज को देने को कहा। यमराज दफ्तर में पहली बार मीडिया को देख सब हैरान रह गए, किसी के समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। सब एक दूसरे का चेहरा ताकने लगे। मैने देखा कि सब डर रहे हैं तो मैं एक कदम और आगे बढ़ा और बोला देख क्या रहे हो, कार्ड पहुंचाओ और बताओ कि महेन्द्र श्रीवास्तव आए हैं।
मन ही मन सोच रहा था कि आज अगर यमराज मिल गए तो ब्रेकिंग न्यूज तय है। ये कोई छोटी बात थोड़े थी कि धरतीलोक से मौत के बाद आदमी यहां आया हो और दो दिन से उसे खाना तो दूर पानी तक नसीब नहीं हुआ हो। वैसे भी हमारे चैनल में इमोशनल स्टोरी ज्यादा पसंद भी की जाती है, फिर ये तो एक्सक्लूसिव स्टोरी भी थी। बहरहाल पांच मिनट में ही मैं यमराज के साथ बैठा था और पंडित योगीराज मेरे बगल में खड़े थे। मैने यमराज से कहा कि वैसे तो मैं यहां बस यूं ही घूमने आ गया था, मुझे लगता था कि यहां एक आदर्श सिस्टम के तहत काम धाम चल रहा होगा, पर क्या कहूं, मै तो हैरान हूं, यहां का हाल देखकर। यमराज मेरे सवाल और तेवर से पसीने पसीने नजर आए। उन्होंने रुमाल से अपना चेहरा साफ किया और तुरंत चित्रगुप्त को तलब कर लिया। चित्रगुफ्त आए तो यमराज ने उनसे पूछा, ये सब क्या हो रहा है, आप आजकल कुछ लापरवाह होते जा रहे हैं, लगातार शिकायतें मिल रही हैं। बेचारे चित्रगुफ्त खामोश खड़े रहे। यमराज बोले अब देख क्या रहे हैं, योगीराज का रिकार्ड चेक कीजिए और मुझे पूरी जानकारी दीजिए।
चित्रगुप्त ने पहले स्वर्ग का रिकार्ड देखा, यहां वाकई उनका नाम शामिल नहीं था, नर्क के रिकार्ड में भी योगीराज नहीं थे। परेशान चित्रगुप्त ने कहा कि योगीराज का जन्म से लेकर पूरा रिकार्ड चेक किया जाए। यहां मामला पकड़ में आ गया। दरअसल योगीराज की उम्र 70 साल तय की गई थी और वो 40 साल में ही ऊपर आ गए। ऐसे मे भला उनका नाम स्वर्ग या नर्क में कैसे आ सकता था। बस फिर क्या था, तमाम अभिलेखों के साथ चित्रगुप्त यमराज के पास पहुंचे, जहां मैं भी योगीराज के साथ मौजूद था। चित्रगुप्त ने कहाकि गल्ती धरतीलोक पर होती है और आप बिना कुछ जाने हुए हमारे काम काज पर उंगली उठाते हैं। देखिए योगीराज की उम्र 70 साल थी और ये यहां 30 साल पहले यानि 40 साल की उम्र में ही आ गए। इसके पहले की यमराज कुछ बोलते, पं. योगीराज चिल्लाने लगे, अब इसमें हमारी क्या गल्ती है। मैं तो दुर्घटना के बाद सरकारी अस्पताल में भर्ती भी हुआ था, इलाज के दौरान मेरी मौत हुई है। मैं यहां कोई अपनी मर्जी से तो आया नहीं हूं।
चित्रगुप्त ने समझाया, देखिए गल्ती तो सरकारी अस्पताल के डाक्टर की है, उसने आपका इलाज ठीक से नहीं किया। योगीराज पूरी बात सुने बिना बीच में ही बोलने लगे, जब आपको पता चल गया कि मेरी गल्ती नही है और गल्ती डाक्टर की है तो उसे सजा दीजिए, मुझे स्वर्ग में रहने की इजाजत दी जानी चाहिए। चित्रगुप्त बोले, धरतीलोक और परलोक में कुछ तो अंतर रहने दीजिए। यहां नियम कायदे से ही सब काम होंगे। ये सही है कि आप वाकई एक अच्छे इंसान हैं, आप पर किसी तरह का कोई दाग धब्बा नहीं है, और आपको स्वर्ग में ही रहना है। लेकिन हम आपको अभी स्वर्ग में जगह नहीं दे सकते। अभी तो 30 साल बाहर मैदान में आपको बीतना होगा। 30 साल बाद आपको स्वर्ग में जगह मिल जाएगी। उन्होंने कहाकि आप बाहर मैदान में देख रहे है ना, करोडों लोग भजन कीर्तन कर रहे हैं, इसमें से 80 फीसदी ऐसे ही केस हैं, जो यहां अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। और हां रही बात डाक्टर की तो उसे तो नरक में भी जगह नहीं मिल पाएगी।
मैं और यमराज ये बातें सुन रहे थे। यमराज बोले श्रीवास्तव जी, आपने देखा धरतीलोक पर क्या क्या हो रहा है। हम यहां की व्यवस्था देखें या फिर धरतीलोक की। यमराज ने घर में आवाज दी और दो कप चाय लाने को कहा। योगीराज से कहा कि ठीक है ना, आपकी बात हो तो गई, अब क्या देख रहे हैं, जाइये मैदान में कथा कीर्तन कीजिए। मैं भी कुछ नहीं बोल पाया, मेरी तो ब्रेकिंग न्यूज भी मारी गई। अब बेचारे योगीराज चुपचाप कमरे से बाहर चले गए। चित्रगुफ्त को भी यमराज ने जाने को कहा। कमरे में सिर्फ हम और यमराज रह गए। उन्होंने अपने लैपटाप पर मुझे स्वर्ग और नर्क के कमरे दिखाए और कहा कि यहां स्वर्ग और नर्क में ज्यादा फर्क नहीं है, दोनों ही जगह लगभग एक सी ही सुविधा है। लेकिन धरतीलोक पर इतना पाप बढ़ गया है कि व्यवस्था बनाने में बहुत मुश्किल हो रही है। उन्होंने मैदान में कथा कीर्तन कर रहे करोडों लोगों की ओर इशारा करते हुए कहाकि बताइये इन बेचारों की कोई गल्ती नहीं है, फिर भी यहां इन्हें खुले मैदान मे सोना पड़ रहा है। इतना ही नहीं इन करोड़ों लोगों का अतिरिक्त भार भी हमारे ऊपर आ गया है। इतनी बड़ी संख्या में लोगों के लिए रोज का भोजन पानी का इंतजाम कोई छोटा काम थोड़े ही है।
बात-बात में यमराज ने खुलासा किया कि यहां होने वाली भीड़ को रोकने के लिए ही धरतीलोक पर तमाम अस्पताल खुलवाए गए हैं। दरअसल अस्पताल भी नर्क की ही ब्रांच हैं। मकसद ये था कि बड़े बड़े पापी वहीं अपने पापकर्मों को भोगें। लेकिन बेईमान डाक्टरों ने इस व्यवस्था को चौपट कर दिया है। जिनकी उम्र पूरी हो गई है, वो अस्पताल के वीआईपी वार्ड में मौज कर रहे हैं, जिन्हें जिंदा रखना है, वो सही इलाज ना मिलने से यहां आ जाते हैं। यमराज ने एक हैरान कर देने वाली जानकारी भी दी, कहने लगे कि 95 प्रतिशत डाक्टर अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रहे हैं, लिहाजा उनका नाम नर्क की सूची में शामिल कर दिया गया है।
वापस लौटने के दौरान उन्होंने कहाकि आप नीचे जा रहे हैं तो लोगों को एक बात जरूर सब को बताइयेगा। मैने पूछा वो क्या। बोले कि अगर कोई आदमी खुद अच्छा काम कर रहा है, ये पर्याप्त नहीं है, उसे सोसाइटी को भी बेहतर करने में योगदान देना होगा। उन्होंने कहाकि आप सड़क पर जा रहे हैं, आप तो गाड़ी सही चला रहे हैं, लेकिन सामने से आ रहा आदमी अगर गाड़ी सही नहीं चला रहा तो भी दुर्घटना हो जाएगी, इसमें किसी की भी जान जा सकती है। लिहाजा खुद ठीक से ड्राइव करें और लोगों को भी सही तरह गाड़ी चलाने को प्रेरित करें।
( नोट: अगली कड़ी में बताऊंगा कि वहां नेताओं और आतंकवादियों का जीवन स्तर कैसा है, लोग क्या कर रहे हैं, कितने ऐसे लोग हैं जिनकी उम्र पूरी हो चुकी है, लेकिन वो धरतीलोक पर ही रहने को क्यों मजबूर हैं ? )
आपने कहा ''
ReplyDeleteकि मैं जैसे ही ऊपर पहुंचा, फूलों के गुलदस्ते से मेरी आगवानी हुई और मेरा यमराज के गेस्ट रूम में रुकने का इंतजाम कर दिया गया। यहां अभी चाय का प्याला उठाया ही था कि कमरे में चित्रगुप्त महराज आ धमके। दुआ सलाम की सामान्य शिष्टाचार के बाद बात घर परिवार की शुरू हो गई''
यकीन हो गया कि आप सच कह रहे हैं क्योंकि आप मीडिया से हैं और ऐसे उथल पुथल मचाने वालों का ही वहां इतनी गर्मजोशी से स्वागत होता है.रोचक प्रस्तुति.आभार
.नारी के तुल्य केवल नारी
हाहहाहाहहाहा
Deleteपता नहीं प्रशंसा है फिर कुछ और
धरतीवासियों ने यमराज की व्यवस्था को भी अस्त -व्यस्त कर दिया .
ReplyDeleteयह तो होना ही था ,आखिर कलयुग ऐसे ही थोड़े कहा गया है इस युग को!
यह ब्रेकिंग न्यूज़ रोचक लगी.
आप की एक पत्रकार की हैसीयत की एंट्री इतनी आसान रही!!
वैसे मिडिया कर्मियों के बारे में भी खबरें पहुँच ही रही होंगी उनके बारे में यमराज जी के क्या विचार हैं ?
क्योंकि जनता के मनोविज्ञान को हेंडल करने में मीडिया की अहम भूमिका रहती है.
हां जी,
Deleteइससे तो मैं सहमत हूं
रोचक प्रस्तुति !!
ReplyDeleteआभार
Deleteशोर-शराबे शोरबे, व शराब का नाम |
ReplyDeleteसुरा जहाँ पर ढेर हो, होती चाय हराम |
होती चाय हराम, बड़ा ही चांय - चांय है |
भाषा का यह भेद, रहे तुम क्यूँ बकाय है |
मन मोहन भी गए, लौट कर आये लेकिन |
चन्द्रगुप्त हो गये, सोनिया के बहुरे दिन ||
शुक्रिया रविकर भाई
Deleteयमराज का गेस्ट रूम - :) कैसा था ?
ReplyDeleteअस्पताल भी नर्क की ही ब्रांच हैं। - यह तो मैं जानती हूँ :)
महेंद्र भाई ..... आप तो सुपरमैन हो गए - वाह
हाहाहहहाहा
Deleteजी लैपटाप पर वहां का चित्र है, लेकिन उसे समझना मुश्किल होगा
यम राज के भैसे की आधुनिकीकरण हुयी है या नहीं ? चार पहिया कब आएगा ?
ReplyDeleteओह इस पर तो ध्यान नहीं गया, अगली बार
Deleteवाह ... बहुत ही बढिया ...
ReplyDeleteआभार
बहुत बहुत शुक्रिया
Deleteआभार।
ReplyDeletePlease see
"पवित्रता : जीवन का मूल उददेश्य"
http://vedquran.blogspot.com/2012/08/blog-post.html
शुक्रिया डाक्टर साहब
Deleteरोचक...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deleteब्रेकिंग न्यूज़ के लिए,पहुचे महेंद्रजी यमलोक
ReplyDeleteभ्रष्टाचार वहाँ कम नही,जैसे यहाँ धरती लोक,,,,,
RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
RECENT POST ...: प्यार का सपना,,,,
जी, सच है
Deleteमहेंद्र भाई
ReplyDeleteआपकी पत्रकारिता आज अलग अंदाज में है
बड़ा मजा आया अगली कड़ी का इंतजार है
आभार ....
जी, बहुत बहुत आभार
Deleteजल्दी ही अगली कड़ी भी..
बहुत अच्छी पोस्ट भाई महेंद्र जी आभार |
ReplyDeleteशुक्रिया सर
Deleteबहुत बहुत आभार
शुक्रिया संगीता दी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार दिलबाग जी
ReplyDeletebahut hi rochak.....
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार
Deleteधरतिवासी धरती की ही नहीं यमलोक की व्यवस्था भी चौपट किए जा रहे हैं ..... अस्पताल नरक की ब्रांच हैं ...सहमत
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार
Deleteरोचकता से भरपूर आज की सच्चाई पर व्यंग कसती
ReplyDeleteकहानी ....!!!
लगे रहो महेंद्र भाई ....
शुभकामनायें!
जी, आपका स्नेह और आशीर्वाद इसी तरह बना रहना चाहिए...
Deleteबहुत बहुत आभार
श्रीवास्तव जी नमस्कार...
ReplyDeleteआपके ब्लॉग 'आधा सच' से लेख भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 23 अगस्त को 'ब्रेकिंग न्यूज: यमलोक में हंगामा!' शीर्षक के लेख को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव
शुक्रिया नीति
Deleteबहुत बढ़िया रोचक ढंग से धरती पर पसरा यम के राज का जीता जागता चित्रण...बहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति
बहुत बहुत आभार कविता जी
Deleteअच्छा और रोचक व्यंग्य है ........
ReplyDeleteशुक्रिया उपासना मैम
Deleteभोलाराम का जीव ( हरिशंकर परसाई ) कहानी से मिलता-जुलता लेकिन उससे कुछ ही कम है आपका आलेख । व्यंग्यपूर्ण रोचक ।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार
Deleteजय हो महेंद्र भाई और बधाई यमलोक से
ReplyDeleteसही सलामत लौट आने के लिए.
पर भाई गाज़ियाबाद का नाम
वहाँ भी बदनाम.
राम रे राम.
हाहाहाहहाह
Deleteसर आपकी दुआ है
रोचक व्यंग्य ....
ReplyDeleteथैंक्स
Deleteआधा सच के न्यूज़ रूम से एक ओर सच का भांडा फोड ....इस देश की राजनीति ,राजनेता ओर याहं के सरकारी अस्पताल और उनकी व्यवस्था एवं वहाँ के डॉ भी आपकी रिपोर्टिंग का एक बार फिर से हिस्सा बन गए ...खूबसूरती से इन सबका भांडा फोड़ा हैं आपने .....ब्रेकिंग न्यूज : यमलोक में हंगामा ! एक करारे व्यंग्य के साथ साथ हास्य भी लिए हुए हैं ....बहुत खूब ...मज़ा आ गया पढ़ कर :))))
ReplyDeleteआप सबको जब कोई बात अच्छी लगती और आप खुल कर प्रशंसा करती हैं तो संतोष तो होता ही है, लिखने का मन करता है और ताकत भी मिलती है।
Deleteअस्पताल भी नर्क का ही ब्रांच हैं। मकसद ये था कि बड़े बड़े पापी वहीं अपने पापकर्मों को भोगें। लेकिन बेईमान डाक्टरों ने इस व्यवस्था को चौपट कर दिया है। जिनकी उम्र पूरी हो गई है, वो अस्पताल के वीआईपी वार्ड में मौज कर रहे हैं, जिन्हें जिंदा रखना है, वो सही इलाज ना मिलने से यहां आ जाते हैं। यमराज ने एक हैरान कर देने वाली जानकारी भी दी, कहने लगे कि 95 प्रतिशत डाक्टर अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रहे हैं, लिहाजा उनका नाम नर्क की सूची में शामिल कर दिया गया है।
ReplyDeleteआपकी यमलोक की यात्रा-वृत्तांत करारा तमाचा हैं ,समाज के मुहं पर |
अगर कोई आदमी खुद अच्छा काम कर रहा है, ये पर्याप्त नहीं है, उसे सोसाइटी को भी बेहतर करने में योगदान देना होगा | सहमत हूँ आपसे |
बहुत बहुत आभार विभा दी.. आपका स्नेह और आशीर्वाद यूं ही बना रहना चाहिए.
Deleteइतना रोचक व्यंग मैंने आज तक नहीं पढ़ा बहुत मजेदार है दो बार पढ़ चुकी हूँ कल भी पढ़ा था कमेन्ट के वक़्त नेट कट गया था आज फिर दुबारा पढ़ा बस शब्द नहीं हैं मेरे पास जो आपकी कल्पना शक्ति की भरपूर तारीफ कर सकें सिम्पली ग्रेट
ReplyDeleteओह... ये आशीर्वाद हमेशा बना रहे
Deleteइसपर क्या कहा जाए..बहुत बढ़िया.
ReplyDeleteआभार
ReplyDeletebehtreen prastuti .........vyang satya se upja hua ........
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
Deletebehtreen prastuti......
ReplyDeleteशुक्रिया
Delete