मित्रों काफी दिनों से सोच रहा था कि ब्लाग जगत में खेलों की चर्चा बहुत ही कम हो रही है, जबकि देश का एक बडा तपका इससे जुड़ा हुआ है। इसलिए खेल और खिलाड़ियों के बारे में भी कुछ बात कर ली जाए। सच कहूं तो हिम्मत नहीं हो रही है, कि पता नहीं इस लेख को कितना समर्थन मिलेगा, लेकिन अब चर्चा करना जरूरी हो गया है, क्योंकि पानी सिर के ऊपर हो चुकाहै। बहरहाल छोटी छोटी सिर्फ दो चार बातें कर लेते हैं। बात खेल की हो तो इसकी शुरुआत क्रिकेट से होती है और क्रिकेट से ही खत्म हो जाती है। इसलिए मैं भी क्रिकेट पर ही ज्यादा बात करूंगा, लेकिन दूसरे खिलाड़ियों को यहां याद करना जरूरी है, जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है।बैडमिंटन- सायना नेहवाल, गोपीचंद फुलेला, मुक्केबाजी- विजेन्दर सिंह, कुश्ती, डिस्कस थ्रो- कृष्णा पूनिया, एथलीट- आशीष कुमार, टेनिस- साइना मिर्जा, शूटिंग- गगन नारंग, अभिनव बिन्द्रा के साथ तमाम और लोग भी हैं, जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है। इनके प्रयासों को मैं सलाम करता हूं।
चलिए अब बात करते हैं भारतीय क्रिक्रेट और उसके बद्तमीज़ों की...। विश्वकप में जब भारत ने जीत हासिल की तो देश ने क्रिकेटरों को सिर पर बैठा लिया और कई दिन तक उनके जयकारे लगाए। क्रिकेटर जहां भी जाते उनके फैंस उन्हें घेर लेते। क्योंकि इस टीम ने देश का नाम रोशन किया था। लेकिन ये क्रिकेटर बद्तमीज़ होते जा रहे हैं। आज हालत ये हो गई है कि पैसे के लिए ये देश के मान सम्मान की भी चिंता नहीं करते। इसके लिए एक हद तक तो बीसीसीआई भी कम जिम्मेदार नहीं है। आइये देश को शर्मशार करने वाली कुछ घटनाओं की याद दिलाते हैं।
पिछले साल खेल में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए महेन्द्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह को पदमश्री से सम्मानित करने का फैसला किया गया, लेकिन गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक धोनी और हरभजन ने राष्ट्रीय सम्मान पद्मश्री लेने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। इसके बाद भी जब उनको पुरस्कार दिया गया तो वे इसे लेने नहीं पहुंचे। आपको हैरत होगी कि इन दोनों ने इस पुरस्कार को इतना असम्मानित किया कि इन्होंने अपना बायोडाटा तक गृहमंत्रालय को नहीं भेजा। यहां तक कि धोनी ने तीन महीने तक गृहमंत्रालय के फोन का जवाब तक नहीं दिया। सम्मान समारोह के कुछ दिन पहले हरभजन ने एसएमएस किया कि वो पद्मश्री लेने नहीं आ सकते, लेकिन धोनी ने तो आखिरी समय तक कोई जवाब नहीं दिया। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने जब इन दोनों को आठ-दस बार फोन किया तो इनके घरवालों से ये जवाब सुनने को मिला कि वो सो रहे हैं।
धोनी के बारे में एक और जानकारी दे दूं, पिछली बार उन्हें खेल जगत का सर्वोच्च सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड दिया गया। उस दौरान वे श्रीलंका में सीरीज खेल रहे थे। केंद्र सरकार ने उन्हें ऑफर दिया गया कि यदि वे आने को तैयार हों तो उनके लिए विशेष विमान की व्यवस्था की जा सकती है, लेकिन धोनी से आने से मना कर दिया।
ये तो कुछ पुरानी बातें हैं। अभी टीम इंडिया इंगलैंड में टेस्ट सीरीज खेल रही है। टीम के सम्मान में लंदन में भारतीय उच्चायोग ने एक डिनर पार्टी का आयोजन किया। इसमें इंगलैंड के साथ ही दुनिया के दूसरे देशों के राजदूतों को भी आमंत्रित किया गया था। प्रोटोकाल के अनुसार इस आयोजन मे शामिल होने से कोई इनकार नहीं कर सकता है। लेकिन बेहूदे क्रिकेटरों ने इस आयोजन में शामिल होने से साफ इनकार कर दिया। बाद में पता चला कि उच्चायोग के डिनर में जाने से क्रिकेटरों ने इस लिए इनकार किया कि धोनी की पत्नी के नाम वाले साक्षी फाउंडेशन का एक कार्यक्रम था। इसमें विश्वकप के दौरान जिस बल्ले से धोनी ने खेला था उसकी नीलामी थी। धोनी का बल्ला यहां 71 लाख रुपये में नीलाम हुआ। पैसा जब क्रिकेटरों के लिए देश से बडा हो जाए, तो हमें आपको इस पर जरूर सोचना चाहिए। सच तो ये है कि अगर बीसीसीआई ने समय रहते इन पर लगाम नहीं लगाया तो ये देश की साख को पैरों तले रौंद देंगे।
यहां आपको ये बताना जरूरी है देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न खिलाडियों को भी दिया जा सके, इसके लिए संविधान में संशोधन किया जा रहा है। देश भर से मांग उठ रही है कि सचिन तेंदुलकर को ये सम्मान मिलना चाहिए। इसके मद्देनजर सरकार इस सम्मान के प्रावधानों को बदलने भी जा रही है। लेकिन बडा सवाल ये कि क्रिकेट ये बदतमीज देश के सम्मान को कब तक ठोकर मारते रहेंगे।
बात खत्म करूं इसके पहले कल के मैच में हुई भारत की हार की चर्चा जरूरी है। खेल में हार जीत एक सामान्य बात है, होती रहती है, लेकिन इनके हास्यास्पद तर्क से कई सवाल खडे हो जाते हैं। टेस्ट मैंच में हार के बाद धोनी ने कहा कि वेस्टइंडीज के दौरे के बाद उनकी टीम को आराम नहीं मिला, जिसकी वजह से प्रदर्शन निराशाजनक रहा। अब धोनी से कौन पूछे कि विश्व कप के थकान भरे मैच के दो दिन बाद ही आईपीएल खेलने के समय ये शिकायत क्यों नहीं की। क्योंकि यहां उन्हें और खिलाडियों को पैसा दिख रहा था। इतना ही नहीं आईपीएल के बाद वेस्टइंडीज दौरे में तमाम खिलाडियों ने आराम के लिए टीम से नाम वापस ले लिया। अगर इन्हें देश की फिक्र होती तो ऐसा नहीं करते। आईपीएल में तो विरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर घायल होने के वाबजूद खेलते रहे।
खैर अब जरूरी हो गया है कि क्रिकेटरों पर लगाम लगाया जाए, क्योंकि देश के मान सम्मान से समझौता नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वो कितना ही बडा खिलाडी क्यों ना हो। समय रहते ऐसा नहीं किया गया तो ये क्रिकेट के बद्तमीज देश की नाक कटवा देगें।
khulker likha hai...
ReplyDeleteसही विश्लेषण ||
ReplyDeleteलगाम लगाना जरुरी ||
aapki yeh kalam isi tarah nishpaksh aur nirvighn bhaav se chalti rahe yahi meri shubhkamnayen hain.
ReplyDeleteहमने आपने सर आँखों पर बिठाया है।
ReplyDeleteबहुत सही कहा है आपने। अब मान सम्मान का प्रश्न सामने आ गया है।
ReplyDeleteबैडमिंटन- सायना नेहवाल, गोपीचंद फुलेला, मुक्केबाजी- विजेन्दर सिंह, कुश्ती, डिस्कस थ्रो- कृष्णा पूनिया, एथलीट- आशीष कुमार, टेनिस- साइना मिर्जा, शूटिंग- गगन नारंग, अभिनव बिन्द्रा के साथ तमाम और लोग भी हैं, जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है। इनके प्रयासों को मैं सलाम करता हूं।...................
ReplyDeleteबहुत सही कहा आपने महेंद्र जी ....आज क्रिकेट के सामने किसी खेल का कोई महत्व नहीं नज़ार आता
और ये क्रिकेटर .......देश का सर गर्व से ऊँचा करने के स्थान पर ....अपनी बदमिज़ाजी से देश का सर नीचा कर रहे है
आभार आपका ....इतना खुला सच सबके सामने रखने के लिए ........
मुझे इस बारे में अधिक जानकारी नहीं थी पर आपने बड़े सुन्दरता से सच्चाई को विस्तारित रूप से लिखा है जो प्रशंग्सनीय है! बेहतरीन प्रस्तुती !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
सार्थक ,विश्लेष्णात्मक आलेख बधाई भाई महेंद्र जी
ReplyDeleteachchha vishleshan hai .inka dimag bhi ham hi kharab karte hain.kaer baat koi bhi ho inhone ko galtiyan ki hain usko nakara nahi ja sakta
ReplyDeleterachana
Ek sahi vishleshan ke saath aapne apne is blog me likha hai... badhai...
ReplyDeleteAakarshan
Do you know in world cup 2011 indian crickters given 3 crore for each player.......
ReplyDeletebut India army jawan who died fighting against Naxal vaadi is given only promise to pay 1 lakh ruppes by indian Goverment.
Being an Indian i feel ashamed for this........ i feel proud for my army Jawan....... becouse of them we are safe and secured in our country.Pass this message to each and every indian citizen to wake up our Goverment.....
bilkul sahi kha aapne ek sarthak lekh :)
सबसे पहले तो मैं आपसे यह कहूँगा की जो आपको सही लगता हो,बेख़ौफ़ होकर लिखें,बिना किसी संकोच के !एक कलमकार का संकोच बहुत महंगा पड़ता है. रही बात पुरस्कारों की तो इसे देने वाले और लेने वाले दोनों की नियत आजकल साफ़ नहीं है और न ही गंभीरता से इसे लिया जाता है.आपने सही मुद्दा उठाया है,ये खेल के प्रेमी या देश-प्रेमी नहीं पैसों के प्रेमी हैं !
ReplyDeleteसार्थक आलेख..आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
ekdam sahi kaha aapne
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ReplyDeleteरंजन जैदी जी बाबा रामदेव के लेख पर कमेंट करना चाहते थे, गल्ती से उन्होंने यहां कर दिया था। उनका कमेंट बाबा रामदेव के लेख के साथ शामिल कर दिया गया है।
ReplyDeletebadhiya lekh ke liye aabhar...
ReplyDeleteagree with meenakshi pant ji and like ur post
ReplyDeleteसार्थक आलेख..आभार.
ReplyDeleteसादर,
सच कहा महेंद्र जी ब्लॉग में खेलों के विषय में कम लिखा जा रहा है. जहाँ तक बात क्रिकेट की हो तो खिलाडियों का उश्रंखल व्यवहार सचमुच दिल को कष्ट पहुंचाता है. सार्थक आलेख. धन्यबाद.
ReplyDeletejanab apne jo likha satya hai aur in bato ki jitni bhartsna ki jaye kam hai
ReplyDeletewell yeh nai sudhrenge kyunki inko sudharne wali sansta yani ki bcci hi bigdi hui hai
ओह ! ये क्रिकेट तो नाक में दम कर दिया है . अब लगाम लगना ही चाहिए.
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