Friday, 15 February 2013

बदबू आ रही है मनमोहन सरकार से ...


बात शुरू कहां से करूं ये ही समझ नहीं पा रहा हूं। जब बात होती है प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की और लोग उन्हें ईमानदार बताते हैं तो सच कहूं, मुझे तो गुस्सा आता है। सरकार कैसी है ये चर्चा तो बाद में करुंगा पर ये बात मेरी समझ में नहीं आ रही कि आखिर मनमोहन सिंह देश के बारे में कब सोचेंगे ? कब तक कुर्सी से चिपके रह कर देश को गर्त में जाते अंधों की तरह देखते रहेंगे। अब देश ने देख लिया कि वो बीमार ही नहीं अपंग प्रधानमंत्री साबित हो रहे हैं। उनकी कोई सुनता नहीं, उन्हें ही सबकी सुनना उनकी मजबूरी है। मेरा मानना है कि कम से कम वो सोनिया और राहुल से तो ज्यादा दिमाग रखते ही हैं, लेकिन बेचारे करें क्या ! 10 जनपथ के रहमोंकरम पर कब तक 10 जनपथ की रखवाली करते रहेंगे? ये बात मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं आज भी कहूंगा कि आज जो हालात हैं, उससे तो यही लगता है कि केंद्र सरकार चोरों की जमात है और प्रधानमंत्री चोरों की जमात के सरदार हैं। प्रधानमंत्री जी कभी सोने के पहले एक बार सोचिएगा जरूर कि देश आपकी अगुवाई में किस हद तक गर्त में जा चुका है, फिर अगर दो पैसे का ईमान बचा हो तो देश से माफी मांगिए और प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़कर घर जाइए।

मनमोहन सिंह की जो तस्वीर सामने आ रही है, उससे ये भी साफ हो जाता है कि वो नौकरशाह कैसे रहे होंगे ? वैसे तो उनके बारे में कई बातें आम जनता के बीच में है कि वो अच्छी पोस्टिंग के लिए कैसे नेताओं के पैरों में गिरे रहते थे। तमाम ऊंचे पदों पर पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत दरबार बाजी की है, चाहे वो समय स्व. प्रधानमंत्री चंद्रशेखर जी का रहा हो या फिर प्रणव मुखर्जी के वित्तमंत्री रहने के दौरान ऊंची कुर्सी के लिए मनमोहन सिंह की बेचैनी रही हो। नौकरशाह रहे मनमोहन सिंह को हमेशा अच्छी कुर्सी का लालच बना रहा है, कुर्सी उनकी एक ऐसी कमजोरी है जिसके लिए वो देश की मान मर्यादा को भी ताख पर रख सकते हैं। मैं आज तक नहीं समझ पाया कि आखिर अब मनमोहन सिंह का मकसद क्या है ? सरकार चला नहीं पा रहे हैं, उनकी अगुवाई में देश कमजोर हो रहा है, आधे से अधिक मंत्री भ्रष्ट साबित हो चुके हैं, प्रधानमंत्री होते हुए आपकी पार्टी में भी दो पैसे की पूछ नहीं है। नौ साल से प्रधानमंत्री हैं, फिर भी ऐसा कुछ नहीं कर पाए जिससे देश के किसी भी हिस्से से चुनाव जीत सकें। आप ही नहीं पूरा देश जानता है कि आप अपनी काबिलियत पर प्रधानमंत्री बिल्कुल नहीं है, आप प्रधानमंत्री है सोनिया गांधी के रहमोकरम पर, राहुल के कृपा पर और सीबीआई की वजह से। वरना आप एक दिन प्रधानमंत्री नहीं रह सकते।

वैसे कांग्रेसी आपको ईमानदार बताते हैं, निकम्मे हैं जो ऐसा कहते हैं। कोल ब्लाक आवंटन में प्रधानमंत्री कार्यालय की भूमिका पर उंगली उठी। गलत ढंग से कोल ब्लाक का आवंटन हुआ और देश को हजारों करोड का नुकसान हुआ। टूजी के मामले में भले ए राजा ने जेल काटा हो, लेकिन मेरा मानना है कि अगर ए राजा को साल भर जेल में रहना पड़ा है तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दो साल के लिए जेल भेजा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री से एक सवाल है, क्या ये सही नहीं है कि यूपीए दो में आप ए राजा और टीआर बालू को मंत्री नहीं बनाना चाहते थे। लेकिन बालू को मंत्रिमंडल में ना लेने के लिए करुणानिधि राजी हो गए, पर राजा के मामले में आप की एक नहीं चली और आपने ये जानते हुए कि राजा बेईमान है,  इसके बाद भी उसे मंत्री बनाया और लूटने के लिए टेलीकम्यूनिकेशन विभाग का मंत्रालय भी आपको मजबूरी में देना पड़ा। मतलब साफ है कि आपने देश का सौदा किया। मनमोहन जी कभी आपको लगता है कि ऐसे ही आप चोरों के सरदार कब तक बने रहेंगे?

वैसे सब भूल गए होंगे, इसलिए एक बार याद दिलाना जरूरी है। आपके राज में सीमा पर मारे गए लोगों के परिवार के लिए प्रस्तावित आदर्श सोसायटी में कैसे बंदरबाट हुई। कामनवेल्थ गेम में तो आपकी सरकार, दिल्ली की सरकार और कांग्रेसी नेता सुरेश कलमाणी सबका असली चेहरा सामने आ गया। प्रधानमंत्री जी थोरियम घोटाला तो अभी जनता की नजर में ठीक से आया ही नहीं है, वरना पता चल जाए कि आपकी सरकार पर कितनी और कैसी पकड़ है। मन में एक सवाल है वो आपसे पूछना चाहता हूं। मैं देखता हूं कि कई बार अगर मेरी वजह से आफिस का कोई काम लेट हा जाए या फिर उसमें कोई गडबड़ी हो जाए तो सच कहूं खाना पीना कुछ भी अच्छा नहीं लगता, कई दिन तक नींद उड़ी रहती है। आपको कभी ऐसा लगा कि आपकी अगुवाई में देश की जितनी दुर्दशा हो रही है,  दुनिया भर में देश की साख को बट्टा लग रहा है, कभी लगा कि अब बहुत हो गया, मुझसे देश नहीं संभल रहा है, चमचागिरी करके किसी सरकारी विभाग में एक कुर्सी का काम निपटाया जा सकता है, पर देश की जिम्मेदारी नहीं निभाई जा सकती। अंदर का इंशान कभी आपसे सवाल नहीं करता है प्रधानमंत्री जी ?

अब नया घोटाला ! देश की मीडिया और विपक्ष साल भर से चीख रहा है कि हेलीकाप्टर की खरीद में बड़ा घोटाला हुआ है। बीजेपी नेता ने तो इस घोटाले को संसद मे भी उठाया। सरकार की ओर से जवाब आया सब ठीक है। अब इटली की जिस कंपनी ने हेलीकाप्टर की सप्लाई की उसी का सीईओ जेल भेज दिया गया। उस पर आरोप ये है कि इस सौदे के लिए उसने भारत के अधिकारियों को घूस दिया। अब ये हमारे ही देश में हो सकता है कि जिसने घूस दिया वो बेचारा तो जेल पहुंच गया, लेकिन भारत में जिसने घूस लिया उसके बारे में अभी कोई अता पता ही नहीं है। शिकायतें हुई, आरोप लगे, अखबारों में खबरें छपीं, संसद में सवाल पूछा गया पर अपने मनमोहन सिंह मौन रहे। मुझे लगता है कि मनमोहन सिंह जांच करा लेते, लेकिन इसमे इटली का नाम देखकर उनके पसीने छूट गए। इसलिए खामोश रहे, अब क्या करें, अब तो बोलने लायक ही नहीं रहे।

थोड़ा इस मामले को समझ भी लीजिए । अगस्टा वेस्टलैंड कम्पनी से भारत सरकार ने 12 वीआईपी हेलीकाप्टर खरीदने की डील पर हस्ताक्षर किये थे। मामले की शुरुवात 2000 से हुई थी। कहा तो ये जा रहा है कि हेलीकाप्टर की कीमत इतनी अधिक थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे खरीदने से इनकार कर दिया। लेकिन भारत भला कैसे पीछे रहता। सच कहूं तो शक भी तभी हुआ कि जो हेलीकाप्टर मंहगे होने की वजह से अमेरिका खरीदने से इनकार कर सकता है, भला भारत उसे खरीदने की हिम्मत कैसे जुटा सकता है? एक बार तो ऐसा भी लगा कि निर्माता कंपनी इटली की है, इटली का नाम आते ही हमारे कांग्रेसी नेताओं के पसीने छूट जाते हैं, कहीं इसी वजह से तो आर्डर नहीं दिए गए ? लेकिन बाद मे पता चला कि ये सौदा तो एनडीए की सरकार में हुआ था, बस इस सरकार में तो दलाली ली गई है।

खैर बड़ी बड़ी बातें छोडिए। प्रधानमंत्री जी मैं एक काम के लिए तो आपका शुक्रिया जरूर अदा करना चाहूंगा कि आपने कम से कम गांधी परिवार से बदला तो ले लिया। उन्होंने अगर आपका शोषण किया तो आपने भी देश को ऐसी जगह पहुंचा दिया जहां से ना देश अपने पैर पर आसानी से खड़ा हो सकता है और ना ही कांग्रेस अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है। आपने देश और कांग्रेस दोनों को लंगड़ा यानि अपाहिज बना दिया। आपको गांधी परिवार ने अगर अपनी उंगली पर नचाया तो आपने भी ऐसा कर दिखाया कि अब कांग्रेस का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता, मसलन कांग्रेस की अब वो स्थिति नहीं रहेगी कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकें। चलिए कोई बात नहीं, कुछ तो देशहित में आपने काम किया ही है।

29 comments:

  1. कुलमिलाकर जहाँ आ पहुंचे हैं उसका खामियाजा देश को, देशवासियों को ही है..... जो हर हाल में दुखद है, दुर्भाग्यपूर्ण है ....

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  2. खैर बड़ी बड़ी बातें छोडिए। प्रधानमंत्री जी मैं एक काम के लिए तो आपका शुक्रिया जरूर अदा करना चाहूंगा कि आपने कम से कम गांधी परिवार से बदला तो ले लिया। उन्होंने अगर आपका शोषण किया तो आपने भी देश को ऐसी जगह पहुंचा दिया जहां से ना देश अपने पैर पर आसानी से खड़ा हो सकता है और ना ही कांग्रेस अपने पैरों पर खड़ी हो सकती है। आपने देश और कांग्रेस दोनों को लंगड़ा यानि अपाहिज बना दिया।
    ye to badi door ki koudi nikaal kar laye hai aap.... khair ant bhala to sab bhala..bas chunav tak is post ko congresiyon ki nazar se bachaye rakhiyega..

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    1. हाहाहहाहाहा मैं तो चाहता हूं कि वो पढे और सबक लें..

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  3. बात तो सही है पर देश समझे तब तो...

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    1. एक दिन देश के भी समझ में आ जाएगी बात

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  4. लेकर बैठा मौनव्रत, हालत बड़ी विचित्र |
    वीर आज तस्वीर के, असरदार इक चित्र |
    असरदार इक चित्र , करे जनता नित थू थू |
    करता है बर्दाश्त, घुटालों की क्यूँ बदबू |
    बोलो तो सरदार, बता आखिर क्या चक्कर |
    पड़े रोज ही मार, मौनव्रत बैठा लेकर ||

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    1. क्या कहने, आपका अंदाज
      बहुत बहुत आभार

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  5. बहुत खरी बातें कह दीं ,अच्छी लगीं ........

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  6. देश को वाकई बैसाखियों की ज़रूरत पड़ रही है और देशवासी त्रस्त- हैं ही!

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  7. रक्षा सौदों का रहा ,क्यों काला सा इतिहास ।
    सब भूले बोफोर्स को ,हेलीकाप्टर की है बात।
    हेलीकाप्टर की है बात,आग इटली से लगती ।
    जलता भारत देश ,आँच लाखों - करोड़ की ।
    कहते कवि लोकेश ,सत्य का सूर्य अस्त है ।
    घाल मेल का खेल ,दलाली जबरजस्त है ।

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  8. कैसे भी रहा हो मामला देश हित में ही है ,,

    recent post: बसंती रंग छा गया

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    1. यही तो दिक्कत है कि नेताओं को देशहित की चिंता नहीं है..

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  9. मनमोहन सिँह हमेँ कभी इमानदार लगे ही नहीँ ।

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  10. क्या बात है, एक बार फिर अच्छा विश्लेषण...

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  11. मनमोहन सिंह को मैं वाकई एक बेदाग़ छवि का नेता मानता था और काफी हद तक पहली सरकार में ये छवि बरकरार भी रही | लेकिन यू.पी.ए.२ में न सिर्फ मनमोहन बल्कि राहुल समेत पूरी कांग्रेस की छवि की जैसी धज्जियाँ उडी हैं उससे तो लगता है कि इनकी कुंडली में ही कोई गृह दोष है |
    अगर आप ज़रा ध्यान से देखें तो यू.पी.ए.२ बनी ही शायद इसलिए जिससे कि यू.पी.ए.१ के बुरे कर्मों की सजा उसको मिल सके | इसमें तो कोई दोराय नहीं कि मनमोहन ने अपनी छवि एक बेहद कमजोर पालतू जैसी बना ली है लेकिन देश को कितना घाटा हुआ ये बहुत सोचनीय है और निराशाजनक भी |
    अभी हाल ही में मैंने कहीं एक खबर पढ़ी थी (याद नहीं कहाँ) कि जितना एक विकसित देश का साल भर का बजट होता है उतना तो अपने देश में घोटाला हो गया|
    ईश्वर करे कि मनमोहन और कांग्रेस का चाहे जो भी हो लेकिन भारत का आने वाला भविष्य सुरक्षित हाथों में हो |

    सादर

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    1. बिल्कुल सही बात है आकाश जी
      आपने गंभीरता से लेख को पढ़ा, शुक्रिया

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    2. सर , मुझे हमेशा आपके नए लेख का इन्तजार रहता है और हर बार उस लेख को गंभीरता से पढता हूँ :)
      (मुझे एक और ताजा विषय पर आपके विचार जानने की इच्छा थी , शायद आप उस पर कुछ लिखना पसन्द करें - "अफजल गुरु की फांसी के बाद का कश्मीर:सच्चाई और सियासत")
      और प्लीज मुझे सिर्फ आकाश कहिये , जी की कोई जरूरत नहीं है , मैं उम्र और तजुर्बे दोनों में आपसे बहुत छोटा हूँ |
      शुक्रिया

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  12. behad dukhad,"man ke adhro pr ghotala,yah kaisa durbhagy likha hai,satta ke galiyare me ghotale ka bhoot chupa hai..."

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  13. हर घोटाले के बाद तार-तार होती सरकार ..मनमोहन सरकार अपने हाथों से अपनी छवि बिगाड़नेमें लगी हैं...इसके लिए कौन कितना दोषी है ये वो लोग बहुत अच्छे से जानते हैं ...नुकसान देश और हम लोगों का हो रहा है :(

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  14. क्या सच कहा है..

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।