Sunday, 15 April 2012

खुद कृपा के लिए लाचार है निर्मल बाबा ...


निर्मल बाबा मुश्किल में हैं, भक्तों के लिए ईश्वर की कृपा का रास्ता खोलने वाले बेचारे बाबा अब खुद कृपा के लिए लाचार हैं। हालत ये हो गई है कि अब उन्हें अपने ही भक्तों की जरूरत पड़ रही है। उनसे कहा जा रहा है कि वो टीवी चैनलों को फोन करके खुद बताएं की बाबा के समागम में आने के बाद उनके जीवन में कैसा बदलाव आया है। बहरहाल यहां आपको एक एक छोटी सी खबर भी बताता चलूं, जब बाबा ने ट्वीट कर भक्तों से इस बात की अपील की तो टीवी चैनलों को लगा कि अब तो देश और दुनिया भर से इतने फोन आएंगे कि आफिस का काम प्रभावित होगा, इसलिए आफिस काम ठीक से चलता रहे, इसके लिए 10 -15 अलग से टेलीफोन लाइनें ली जाएं। लेकिन कहते हैं ना जब आदमी का दिन खराब हो तो ऐसा ही होता है, आदमी हाथी पर बैठा होता है, फिर भी कुत्ता काट लेता है। कुछ ऐसा ही हाल अब बेचारे निर्मल बाबा का हो गया है, क्योंकि उनकी अपील के बाद इक्का दुक्का फोन ही टीवी चैनल्स के दफ्तरों में पहुंचे, जो बाबा के गुण गा रहे हैं। बल्कि बाबा की ठगी के शिकार  भक्त ज्यादा फोन कर रहे हैं। खैर ये काम पुलिस और जांच एजेंसियां करेंगी, मैं तो अपना काम करुंगा।

दरअसल निर्मल बाबा की महत्वाकांक्षा उन्हें इस हाल में ले आई है। निर्मल बाबा यानि निर्मल जीत सिंह पहले झारखंड में सड़कों की ठेकेदारी करता था, यहां फ्लाप हुआ तो धर्म की ठेकेदारी करने लगा। यहां मिली कामयाबी को ये पचा नही पाया। चलिए मैं आपको बताता हूं कि ये बाबा पकड़ा कैसे गया। दरअसल इसमें कुछ तो इसके कार्यकर्ताओं की बेवकूफी थी और कुछ बाबा का बड़बोलापन। अब आप खुद सोचें की टीवी चैनल पर बाबा का जो समागम दिखाया जाता है, उसके आखिर में दस पंद्रह तारीखें उन समागमों की बताई जाती है,  जिसकी बुकिंग बंद कर दी गई है। लेकिन जो समागम होने को है, उसका कहीं जिक्र नहीं किया जाता। अब ऐसे विज्ञापन दिखाओगे तो पकड़े ही जाओगे ना। दरअसल हो ये रहा था कि आप यहां फोन करें और बताएं की मैं बहुत परेशानी में हूं, मेरा समागम मे आना बहुत जरूरी है। तब परेशान भक्त को बताया जाता था कि आपको इसके लिए फास्ट ट्रैक बुकिंग करानी होगी। मतलब रेलवे जैसी तत्काल सेवा बाबा के समागम में भी मौजूद है। हां इसके लिए पैसा ज्यादा खर्च करना पड़ता है।

इस बात से ही लोगों का शक गहराया कि बाबा के समागम में कुछ झोल जरूर है। फिर बाबा जब तक लोगों को उनके घर के मंदिर में कौन कौन से देवी देवता होने चाहिए, उनका स्थान कैसा होना चाहिए, किस भगवान के चित्र कहां मौजूद होने चाहिए, पूजा की विधि क्या होनी चाहिए, कब कहां जगह दर्शन करने जाना चाहिए, समस्या सुन कर बाबा जब तक भक्तों को ये बताते रहे कि माता वैष्णों देवी के दर्शन करो या फिर साईं राम के दर्शन करने जाओ। ऐसे कुछ और पीठ हैं, जहां दर्शन करने को बाबा कहते थे। ये बात तो समझ में आती है और मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि अगर हम सच्चे मन से माता वैष्णो देवी या फिर साई राम के धाम में मत्था टेकते है, तो मुश्किल कम होती ही हैं। पर नोटों की गड्डियों पर बैठकर निर्मल ने तो धर्म की ऐसी तैसी करनी शुरू कर दी। ये खुद भगवान बन गया और लोगों से उल्टी सीधी बातें करके उनका इलाज बताने लगा। ऐसे मे भगवान को इसका भी इलाज करना जरूरी हो गया।

बताओ कोई भक्त मुश्किल में है, उससे ये बाबा पूछता है कि तुम्हारे सामने मुझे आलू की टिक्की क्यों दिखाई दे रही है। भक्त कहता है कि बाबा हमने तो कई साल हो गए आलू की टिक्की खाई ही नहीं। तो बाबा फिर पूछता है, तुमने आखिरी बार आलू की टिक्की देखी कब ? अरे बेवकूफी की हद है ना..। किसी भी रास्ते से गुजर जाओ, तमाम चाट ठेले वाले दिखाई पड़ जाएंगे । जाहिर है नजर पडेगी ही। भक्त कहता है कि समागम में आ रहा था तो रास्ते में एक ठेले पर देखा था। बाबा कहता है तो तुम्हारी खाने की इच्छा नहीं हुई। भक्त भला क्या जवाब दे, कहता है हां हुई तो..। फिर खाया क्यों नहीं.। जाओ समागम से निकलते ही खुद भी आलू की टिक्की खा लेना और कुछ टिक्की गरीबों को खिला देना कृपा आनी शुरू हो जाएगी।

वैसे मैं इस लाफ्टर शो (समागम) को इतनी बार देख चुका हूं कि अक्सर मैं खुद को बाबा महसूस करता हूं। मुझे लगता है कि मैं बाबा बनकर समागम की व्यवस्था बदल रहा हूं। और मेरे सामने हांथ जोड़कर खुद निर्मल खड़ा है। मुझसे कह रहा है कि बाबा जी आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम। मैं पूछता हूं तू पूरे मन से मुझे प्रणाम कह रहा है या मुश्किल में है इसलिए ऐसा कह रहा है। निर्मल कोई जबाव नहीं देता है। मैं पूछता हूं कि मुझे  तुम्हारे सामने ये कोटि कोटि प्रणाम क्यों दिखाई दे रहा है? तुमने अपने मां बाप के चरणों में कब सिर झुकाया था। ये फिर खामोश रहता है। बहरहाल मैं इससे कहता हूं जाओ पहले मां बाप के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करो और फिर अपने घर के पांच बड़े सद्स्यों को प्रणाम करो। और हां याद रखना तुम्हारे पास जो धन है, उससे कभी भंडारा मत कराना, ऐसा किया तो तुम्हारा सर्वनाश हो जाएगा, क्योंकि ये धन ईमानदारी का नहीं है, लोगों की मजबूरी से वसूला गया ऐसा धन है, जिसका लाभ तुम नहीं पाओगे और इसकी वजह से तुम्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। इसलिए जितनी जल्दी हो इस धन से छुटकारा पा जाओ। हैरान तो मैं इस बात पर हुआ कि मेरी इतनी कड़ी कड़ी बात सुनने के बाद भी निर्मल जाते समय हमें यानि नए बाबा के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम करके गया। मुझे लगता है कि वो आत्मा की शुद्धि के लिए काम कर रहा है।

जब मैने निर्मल को सही राह दिखाई तो मुझे लगता है कि अब मैं किसी को भी अच्छा रास्ता बता सकता हूं। आप जानते  हैं कि ये बाबा लोगों को दवसंद पूजा के लिए प्रेरित करता है। मतलब आदमी जो कुछ भी कमाई करे,उसका दवसां हिस्सा इसके दरवार में चढा दे। मुझे तो ये फीस अधिक लगती है। इसलिए मैं एकवंद पूजा का हिमायती हूं।  यानि सौ रुपये कमाओ तो एक रुपये मेरा बनता है ना। मैं अपनी पूजा की फीस के बारे  में सोच ही रहा था कि यही निर्मल वेष बदल कर फिर आ गया मेरे सामने और कहने लगा कि मुझे नरक में जाने से बचने का रास्ता बताएं बाबा, जिससे स्वर्ग का रास्ता भी प्रशस्त हो, मुझ पर ऐसी कृपा करें। हालाकि मेरी फीस इतनी कम है, फिर भी इसने एकवंद पूजा नहीं कि और ना ही चढावा चढ़ाया। मुझे मालूम  है कि जब इसकी दुकान बंद हुई तो इसने अपने ही बाऊंसरों को मेरे यहां नीचे के लोगों से मिलकर नौकरी दिला दी और हमारे ही बाऊंसर इसे मेरे सामने सवाल पूछने का बार बार गलत ढंग से मौका दे देते हैं। मुझे लगा कि अगर इसकी चालाकी को रोकना है तो इसका हुलिया बदलना होगा। वरना तो ये और किसी को मौका ही नहीं देगा। मैने कहा कि भाई निर्मल आप पर कृपा  तब तक नहीं आ सकती,  जब तक आप अपनी मूंछे पूरी तरह नहीं कटवा देते हैं। निर्मल ने कहा मैं कटवा दूंगा, मैने बताया कि ऐसे वैसे नाई के यहां मत कटवाना, जाओ किसी अच्छे सैलून में कटवाना कृपा आनी शुरू हो जाएगी और स्वर्ग का रास्ता भी खुद जाएगा। बहरहाल निर्मल बाबा को अपने शरण में पाकर  मैं बहुत खुश था, लेकिन इसी बीच मेरी नींद खुल गई। लेकिन मुझे लगता है कि ये काम मैं कर सकता हूं और मैं अपनी फीस भी कुछ कम ही रखूंगा।

मुझे पता है कि आप चटखारे लेकर इस लेख को पढ़ रहे हैं, पर मैं आपको जगाना चाहता हूं कि ऐसे धोखेबाज बाबाओं से खुद भी बचें और लोगों को भी बचाइये। अभी तक आपको सिर्फ ये पता चला है कि इस बाबा ने दिल्ली में करोडों का होटल खरीदा है। इंतजार कीजिए होटल के भीतर की करतूतें भी जल्दी ही सामने आएंगी। वैसे इसे बाबा कहना भी गलत है, इसे पूजा पाठ का कोई ज्ञान नहीं है। सच कहूं तो इसका धर्म कर्म से दूर दूर तक कोई वास्ता ही नहीं है। चूंकि आज देश की मीडिया खासतौर पर टीवी चैनल के गाइड लाइन तय नहीं है, ये विज्ञापन के पैसे के लिए कुछ भी कार्यक्रम चला सकते हैं। देश की जनता को जो चूना इस बाबा ने लगाया है उसमें बाबा के साथ मीडिया को भी बराबर का जिम्मेदार ठहराया जाए तो गलत नहीं होगा। वैसे हां आपको हैरानी होगी, टीवी चैनल्स आधे घंटे का कोई प्रोग्राम तैयार करते हैं, उसमें लाखों रूपये खर्च होते हैं, फिर भी उसकी टीआरपी बाबा के विज्ञापन की आधी भी नहीं होती है। ऐसे में इसे टीआरपी बाबा कहना भी गलत नहीं होगा।

चलते चलते..

मित्रों आपको याद होगा कि मैने 20 दिन पहले इस बाबा की हकीकत से आपको रुबरू कराने का प्रयास किया था, उस समय मुझे लग रहा था कि सभी लोग बाबा का इतना गुण गाते हैं, मेरे लेख से कहीं आप सब को दुख ना पहुंचे। पर जिस तरह से मुझे आप सबके समर्थन का कमेंट मिला और टीवी न्यूज चैनल्स ने हमारे ब्लाग के लेख से मसाला लेकर स्टोरी बनाई, उससे मुझे लगा कि गलत बात कचोटती तो सब को है, पर सच बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है। अरे भाई अभिव्यक्ति की स्वंत्रता है, अपनी बात तो हम रख ही सकते हैं। मैं सभी का आभारी हूं,  जिसने मेरी रिपोर्ट को आगे बढाया।

एक नजर इस पर भी डालिए, जो मैने दो अप्रैल को ही आप सबके लिए लिखा था..

http://aadhasachonline.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

आखिर में इस खबर पर भी नजर डालिए, इस बाबा ने क्रिकेटर युवराज को कैसे लगाया चूना।


51 comments:

  1. jab janta bevakoof ho to koi bhi baba ban kar unhe loot sakta hai.sundar v sarthak prastuti.नारियां भी कम भ्रष्ट नहीं.

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    1. जी मैं आपकी बातों से सहमत हूं, जनता को जागरूक होना पडेगा

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  2. aap ne to nirmal baba ka baind hi baja diya hai .

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    1. ऐसा मत कहिए, पता चला बाबा ने हमारी ओर आने वाली कृपा ही रोक दी..

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  3. महेन्द्र जी , हा हा हा ,आधा बाबा तो हम भी हो गए ! याद है आपको .मैंने तब टिप्पणी
    कर्री थी .बाबा जी अब महेन्द्र जी से कृपा आने का उपाए पूछे .....
    अब महेंद्र जी कह रहे हैं मैंने बाबा जी को कृपा का उपाय बताया ,पर शायद उन्होंने सुना नही
    और आज बाबा जी पर कृपा रुक गयी .....
    ये तो होना ही था महेन्द्र जी .....
    मुबारक हो ,आप के इस कदम पर |
    शुभकामनाएँ!

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    1. मुझे तो अपनी कृपा रुकने की फिक्र सता रही है..

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  4. जो लोग किसी भी तीर्थ स्थान पर शांति की उम्मीद लगाए बैठे हैं उनके लिए ये लुटेरे ही भले हैं। ब्रह्मा कुमारी वाला भी तो कलकत्ता का हीरा व्यापारी था पहले। जब आप ढोंग-पाखंड को मानेंगे तो ठगे जाने पर घबराहट क्यों?

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  5. जब तक लोग ढोंग-पाखंड को मानते रहेगें निश्चित रूप से हम ठगे जायगें,इसी का फायदा
    निर्मल बाबा जैसे लोग उठा रहे र्हं...पाखण्ड को उजागर करती लाजबाब प्रस्तुति,...

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  6. बाबाओ को पैदा आखिर करता कौन है ?
    मेरे ख्याल से इसको पैदा करने वाले भी हम ही हैं क्योंकि अगर हम ऐसे लोगों के झांसे में नहीं आयेंगे तो यह पनप ही नहीं पायेंगे पर क्या करें हम भारतीयों कि सबसी बड़ी कमजोरी है अंधविश्वास और ईश्वर के प्रति आस्था जिसका ऐसे ढोंगी बाबा लोग खूब लाभ उठाते हैं, ऐसे पाखंडी बाबाओं का खात्मा तभी होगा जब हम अपने अंदर के अंधविश्वास को खतम करेंगे अन्यथा कोई भी कभी भी इस तरह के बाबा फिर से अपना फन उठा कर हमारे आस्था पर डंक मारेगा...

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    1. बात तो सही है, जनता को जागरूक होना पडेगा..

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  7. ऐसे मे भगवान को इसका भी इलाज करना जरूरी हो गया।

    Hun.... Bilkul Sahi Kaha Apne....., Par Aamjan ko bhi Satark rahana chahiye....

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  8. ऐसे हर बाबा को कानून की सच्ची कृपा मिलनी चाहिए....

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    1. देखते रहिए आगे आगे क्या होता है..

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  9. आखिर आपकी शुरुआत रंग लाई और देश में हल्‍ला मच गया। इस देश में न जाने कितने ढोंगी इसी प्रकार से जनता को लूट रहे हैं, लेकिन मीडिया खामोश है। आपको शुभकामनाएं।

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  10. लोग ऐसी बातें देख धर्म से भी दूर हो जाते हैं इसीलिए हमने सदा ही ऐसे लोगों का विरोध किया है लेकिन हरेक बाबा के भक्त अपने बाबा को ठीक मानते हैं।
    ईश्वर के स्वरूप और मनुष्य के लिए उसकी योजना और आदेश को जब तक न जाएगा तब निर्मल बाबा टाइप के व्यापारियों से बचना असंभव है।

    $#$ ब्लॉगर्स मीट वीकली में आपका स्वागत है।

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  11. जय निरमा बाबा

    (१)
    शौचो दायें हाथ से, मुँह के बल अब लेट ।
    नाक रगड़ ले तख़्त पर, ढीली कर दे टेट ।

    ढीली कर दे टेट, थूक कर फिर से चाटे ।
    गड्डी पटरी आय, पाट देगी सब घाटे ।

    निर्मल को सन्देश, भक्त को ऐसा नोचौ ।
    मिट जाए तकलीफ, आज से दहिने शौंचो ।।

    (२)
    धर्म और विज्ञान का, उड़ा रहा उपहास |
    चांदी कूटे रात दिन, बन माया का दास |

    बन माया का दास, धरे निर्मल- शुभ चोला |
    अंतर लालच-पाप, ठगे वो रविकर भोला |

    करे ढोंग पाखण्ड, धरे वेश इंसान का |
    मिलना निश्चित दंड, अंत बुरा शैतान का ||

    (३)
    साला निर्मल न सुने, इन्दर का उपदेश ।
    चले चार सौ बीस का, इस साले पर केस ।
    इस साले पर केस , नामधारी सब माने ।
    टूटेगा विश्वास, हुवे जो भक्त दिवाने ।
    खंडित होते आस, बदल लेंगे वे पाला ।
    पत्नी दे हड़काय, जेल काटे क्यूँ साला ।

    (४)
    चोट्टे चौगोषा लखें, चमचे चुप चुबलांय ।
    चौगोषा मिष्ठान भर, चाट-चूट के खांय ।

    चाट-चूट के खांय, हरेरी सबके छावे ।
    अफसरगन उकताँय, जान जोखिम में पावे।

    फिफ्टी-फिफ्टी होय, चलाचल चक दे फ़ट्टे ।
    व्यर्थ हुवे बदनाम, आज मौसेरे चोट्टे ।।

    (५)
    इ'स्टेटस सिम्बल बना, नवधनाढ्य का एक ।
    मस्त दुकानें चल रहीं, बाबा बैठ अनेक ।

    बाबा बैठ अनेक, दलाली करते आधे ।
    फँसते ग्राहक नए, सभी को बाबा साधे ।

    सपना मिडिल क्लास, देखता कैसे कैसे ।
    चाहत बने अमीर, लुटा के अपने पैसे ।।


    (६)
    लल्लो-चप्पो चाहता, यह अदना इंसान ।
    मठ-मंदिर में जा फंसे, इसी हेतु भगवान् ।

    इसी हेतु भगवान्, मिले न उनको फुर्सत।
    बन जाते मेहमान, चढ़ाए जो भी रिश्वत ।

    है नजरों का खेल, भेंट करिए नजराना ।
    बढे हमेशा मेल, रहेगा आना जाना ।।

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  12. अपने लिए लाचारी ही होती है !

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  13. बधाई .. आपने पहले ही पोल खोल दी थी..

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    1. हां ये बात तो सही है कि मैने काफी पहले बताया था लोगों को कि ये बाबा फर्जी है।

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  14. Nice post.

    मज़े की बात तो यह है कि ज्योतिषी लोग भी अंधविश्वास से लड़ने के दावे कर रहे हैं।

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  15. पोल खुल गई है अब तो लाचार होंगे ही बाबा

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  16. hahhaa bechare nirmal baba aapke sapne me mahendra baba ki sharn me gaye aur un par "AISI"krupa aana shuru ho gayee...savdhan rahna hoga ab to...
    vaise aap aisi krupa drushti sabhi ponga panditon par rakhen...

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    1. ओह...
      मैने ऐसा तो ना सोचा, ना कहा

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  17. एक काला कुत्ता
    टीवी चेनल आया
    उसने लोगो को यह कहकर
    भहकाया और फुसलाया
    की काली चीजों से किरपा आती है
    दस हजार बेंक में जमा करने से दरिद्रता जाती है |
    अब मिडिया की मेहरबानी से काले कुत्ते पर कृपा रुक गयी है
    साथ साथ जनता भी जागरूक हो गयी है |
    अब काला कुत्ता भोक रहा है
    मुझ पर किरपा कहा से रुकी
    इस बात पर चौक रहा है |
    पर उसको कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है
    नाम का निर्मल और मन उसका काला है |

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  18. आदमी हाथी पर बैठा होता है, फिर भी कुत्ता काट लेता है। कुछ ऐसा ही हाल अब बेचारे निर्मल बाबा का हो गया है

    ओह! अब तो कुत्ता काटे का इलाज करवाना पड़ेगा जी.
    रविकर जी ने अच्छे इंजेक्शन लगाए हैं.
    कहते हैं समय पर इलाज न हो तो पागल कुत्ते का काटा भी
    पागल होकर मर जाता है.

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  19. अंधविश्वास ले डूबता है ... परेशानियों से निजात पाने की चाह ही ऐसे बाबाओं को सिर पर चढ़ाती है ...

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  20. अंधविश्वास ही ऐसे बाबाओं को अपना स्वार्थ पूरा करने की अनुमति देता है ...

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  21. andhavishvaas aakh rahate huye bhii andha bana deta hae,

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  22. ऐसे लोगों को इतनी ऊंचाई तक पहुँचाने का काम भी जनता ही करती और जब तक इनकी पोल खुलती है सब कुछ लुटा चुकी होती है. जागरूकता और सतर्कता की आवश्यकता है... आपने पहले ही आगाह किया था...आभार आपका

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    1. धर्म के प्रति अंधविश्वास का नतीजा है ये

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  23. ये तो सच है जब इंसान भगवान बनने की कोशिश करता है तो आइना उसे ऐसे ही दिखता है....अब युवराज की हालत देखकर भी कोई सबक न ले तो क्या कहेंगे?

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    1. बिल्कुल सहमत
      युवराज की चर्चा करने का मकसद ही यही था, लोग समझें

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  24. भाईसाहब ,कभी हरिद्वार में बैठे कुछ दुष्ट बाबाओं की पोल भी खोलिए जो अवैध काम, धर्म की आड़ में करते करवाते हैं....इनके आश्रमों और काण्ड बारे में बहुत सारी बातें निकलती हैं (स्थानीय लोगों के बीच ) मगर सरकारी तंत्र कुछ नहीं करता....क्यूंकि सुना जाता है की इनकी पंहुंच देश के सुप्रीमोस तक में है...
    "निर्मल बाबा "के जैसा इन ढोंगी बाबाओं का भंडाफोड़ कोई मीडिया हॉउस कर पायेगा????!!!

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    1. हां ये सही आइडिया है
      कुछ करता हूं...

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  25. सही कहा हैं आपने ......युवराज की खबर को दबा दिया गया था ...


    पर कल की न्यूज़ के मुताबिक ...निर्मल बाबा को साधू समाज से निष्काषित कर दिया गया हैं ...वो आने वाले कुम्भ का हिस्सा नहीं बन पायंगे

    आपकी रिपोर्ट पढ़ कर मज़ा आ जाता हैं ........धज्जियाँ उड़ा देते हैं आप महेंद्र जी...बहुत खूब

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।