Sunday, 8 April 2012

जी हां ! आज है मेरा जन्मदिन ...


जी हां ! आज मेरा जन्मदिन है। सोचा तो था कि धूमधाम से जन्मदिन मनाऊंगा, खूब हंगामा बरपाऊंगा, कोशिश करुंगा कि पूरा परिवार मेरी इस खुशी में शिरकत करे, क्योंकि ये जन्मदिन कुछ खास है। लगता है कि आप सब घबरा गए कि एक और खर्च बढ गया, गिफ्ट लेने जाएं। फिर कोरियर करें, इतनी जहमत मत उठाइये । चलिए मैं पहले ही आपको बता दूं कि जन्मदिन मेरा नहीं, बल्कि मेरे ब्लाग " आधा सच " का है। ठीक साल भर पहले आज के ही दिन आठ अप्रैल को मैने अपना पहला लेख लिखा, जिसमें मैने अन्ना को जनता की असल दिक्कत बताने की कोशिश की। यानि देश की जनता के असल मुद्दे हैं क्या ? सच बताऊं देश की जनता भ्रष्टाचार से बिल्कुल नाराज नहीं है। उसकी  तो मांग भी अन्ना से बिल्कुल अलग है, जनता चाहती है कि देश में भ्रष्टाचार को ईमानदारी से लागू किया जाए। इससे कम से कम काम हो जाने की तो गारंटी रहेगी।

देश में लोगों ने कभी भ्रष्टाचार का विरोध किया ही नहीं, ना आज करना चाहते है। उनकी मुश्किल ये है कि भ्रष्टाचार में ईमानदारी नहीं रह गई है। नेताऔ इसर अफसर पैसे ले लेते हैं और काम भी नहीं करते हैं। अन्ना के सामने जितनी भीड़ खड़ी होकर बोलती है कि मैं भी अन्ना तू भी अन्ना, इसमें 99 फीसदी वही लोग हैं जो चाहते हैं कि नेता और अफसर पैसे लें और काम तुरंत काम कर दें, बेवजह की किच किच ना करें। बहरहाल ब्लाग में मेरी शुरुआत इसी दर्शन के साथ हुई थी। मेरा भी मानना है कि देश भ्रष्टाचार कभी खत्म नहीं हो सकता। हमें आंदोलन का रुख इस ओर मोडना चाहिए कि भ्रष्टाचार में ईमानदारी हो।

मुझे भी जाने क्या हो गया है, जन्मदिन पर भी ऐसी वैसी बातें याद आ रही हैं। लेकिन करें क्या गंदा है, पर धंधा है ना। छोड़िए दूसरी बातें, आइये मुद्दे की बात करें। वैसे आपने ये नहीं  पूछा कि जब जन्मदिन पर  हमने धमाल मचाने का मन बना लिया था, फिर क्या हुआ कि पूरे दिन खामोश रहे और रात में लोगों को बता रहे हैं कि आज मेरा जन्मदिन है। सच बताऊं ब्लाग परिवार से मन बहुत खट्टा है। तकलीफ ये है कि जिन लोगों का काम ब्लाग परिवार के नाम पर धब्बा जैसा है, वो सभी परिवार के बहुत सीनियर हैं। मैं उनके बारे में कुछ कह नहीं सकता। हम लोग जब बहुत गुस्से में होते हैं तो कहते हैं ना कि आप लक्ष्मण रेखा पार मत कीजिए। मतलब ये कि जब धैर्य जवाब दे जाए तो भी हम दूसरों को लक्ष्मण रेखा की याद दिलाते हैं। पर सच कहूं आज कुछ लोगों ने ना सिर्फ लक्ष्मण रेखा पार कर चुके हैं, बल्कि वो इससे इतनी दूर आ चुके हैं कि चाहें तो चेहरे पर लगे दाग मिटा नहीं सकते।

हां आज कल परिवार में लोग जिस तरह से एक दूसरे से बातें कर रहे हैं, वो देखकर हैरानी होती है। पता नहीं आप सब को इसका आभास है या नहीं लेकिन सच तो यही है कि हिंदी ब्लागर्स को आज भी लोग डाउन मार्केट टाइप समझते हैं। अब लगता है कि अगर लोग हमें अच्छी निगाह से नहीं देखते तो इसके लिए हम ही जिम्मेदार हैं। पिछले दिनों एक रचना ब्लाग पर आई, लोग आज तक नहीं समझ पाए कि आखिर ये रचना क्यों लिखी गई और इसके जरिए ब्लागर्स को क्या संदेश देने की कोशिश की गई है। अच्छा उस रचना पर कमेंट रचना के गुण दोष के आधार पर नहीं दिए गए, बल्कि जिसने लिखा है, उनके मित्र उस रचना के साथ खड़े हो गए, जो  उन्हें नहीं पसंद करते हैं, वो रचना के खिलाफ हो गए। हम जैसे लोग की भूमिका शून्य हो गई, क्योंकि हम रचना के साथ तो बिल्कुल नहीं खड़े थे, लेकिन रचनाकारा का मैं सम्मान करता हूं। लिहाजा मेरे लिए मुश्किल था कुछ भी कहना। मै मानता हूं कि मुझे अपनी राय सबके साथ शामिल करनी चाहिए थी,  पर मैं इतना ईमानदार नहीं हूं।

अच्छा इस रचना ने एक नया मोड़ तब ले लिया जब रचना के एक प्रबल विरोधी के खिलाफ कुछ खास लोगों ने मोर्चा खोल दिया। एक साझा ब्लाग का जिक्र मैं नहीं करना चाहता, पर इस ब्लाग का चरित्र आज तक मेरी समझ में नहीं आया। ब्लाग का इस्तेमाल अपनी थोथी राय सबको मानने के लिए मजबूर करने जैसे लगती है। हद तो तब हो गई, जब एक लेख और उसमें प्रकाशित चित्र से नाराज होने पर मां बहन की गाली पर उतर आए। दस दिन से जो कुछ देख रहा हूं, सच कहूं तो मन इतना दुखी है कि लोगों को ये बताना भी अच्छा नहीं लग रहा कि आज मेरे ब्लाग को पूरे साल भर हो गए। वैसे सच तो यही है कि हिंदी ब्लागिंग में जो कुछ चल रहा है, उसमें कुछ भी ऐसा नहीं है जिस पर हम सब गर्व कर सकें।

वैसे हां अगर मैं व्यक्तिगत रूप से अपने साल भर के इस सफर का मूल्यांकन करता हूं तो खुद को लकी मानता हूं। खासतौर पर कुछ ऐसे लोग यहां पर मेरे दोस्त के रुप में रहे जो किसी ना किसी खास विचारधारा से जुड़े हुए थे। ऐसे लोगों से आपकी जितनी जल्दी दूरी हो जाए वो ठीक है, क्योंकि ऐसे लोग ब्लागिंग नहीं करते, बल्कि स्वदेशी के नाम पर यहां तेल साबुन बेचने वालों की तरफदारी करते हैं।

मित्रों मेरा मानना है कि ब्लाग पर गृहणियों का एक बड़ा तपका सक्रिय है। ये या तो अपनी कविताओं की जरिए अपनी सोच दुनिया के सामने रखती हैं या फिर टीवी और न्यूज चैनल के जरिए मिलने वाली खबरों से देश की राजनीतिक हालातों के बारे में अपनी राय बनाती हैं। पुरुष तपका खुद को इतना विद्वान समझता है कि उसे किसी पर यकीन नहीं है। वो अपनी जानकारी को अंतिम समझता है, उसका मानना है कि जो उसकी जानकारी है, उसके बाद दुनिया का अंत हो जाता है, वही अंतिम सत्य है। खैर ऐसे लोगो का कोई इलाजा नहीं है और इलाज करने की कोशिश भी  बेकार है। ऐसे लोग धक्के खाने के बाद ही सभलते हैं। हां अक्सर बहुत सारे मित्र मुझसे जानना चाहते हैं कि आप आखिर हैं किसके साथ। मेरा सीधा सा जवाब है कि मैं अपने मन के साथ हूं, जो मुझे सही लगता है, उसे सही मानता हूं, जो मुझे ठीक नहीं लगता, उसे गलत ठहराने से पीछे नहीं हटता। यही वजह है कि मेरे ब्लाग पर आपको अन्ना, रामदेव, राहुल गांधी, सुषमा स्वराज, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव,  मायावती यहां तक की कोई भी गलत काम करता है तो वो मेरे निशाने पर होता है।

अच्छा जब ब्लाग  परिवार में इतने मतभेद हों तो आप ही बताइये क्या अच्छा लगेगा कि मैं अपने ब्लाग का जन्मदिन मनाऊं। बिल्कुल नहीं, यही वजह है कि आज पूरे दिन मैं खामोश रहा, घर की और ब्लाग की बत्ती बंद किए अंधेरे में सोचता रहा कि आखिर सुबह कब होगी ? वैसे मेरा मन कहता है कि ब्लाग परिवार की सुबह तो होगी, पर कब ये मैं नहीं कह सकता। इस परिवार में सबसे बड़ी खामी यही है कि अगर कोई गल्ती करता है तो वो मानने को तैयार नहीं है कि उससे गल्ती हो गई। आइंदा ध्यान रखेगा, वो उस गलती को सही साबित करने के लिए इतना नीचे गिर जाता है, जहां से वो  दोबारा उठने की कोशिश भी करे तो लोग उसे उठने नहीं देंगे।

बहरहाल मैं जानता हूं कि साल भर के ब्लागर्स की यहां कोई हैसियत नहीं है। फिर भी अच्छा बुरा तो वो समझता ही है ना। प्लीज रचना ऐसी ब्लाग पर होनी चाहिए कि हर आदमी को सुकून दे। ओह ! कितनी बातें करूं, हम तो भाषा की मर्यादा भी भूल गए हैं। हम सबसे घटिया भाषा के बारे में कहते हैं कि गंवारो की भाषा यानि गांव का सबसे घटिया आदमी, उसकी भाषा। लेकिन आज ब्लाग पर जो भाषा दिखाई दे रही है, वो गवारों से भी सौ गुनी घटिया है। हम जानवरों से बदतर होते जा रहे हैं। भला बताइये इस माहौल मे क्या जन्मदिन की पार्टी की जा सकती है। बिल्कुल नहीं। मैं तो पार्टी नहीं कर सकता। अगर सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल देखूंगा। बहरहाल कुछ अपने ही लोगों ने मेरे जन्मदिन की पहली ही सालगिरह की बाट लगा दी।

इनसे भी मिल लीजिए... 


इनका नाम है ममता गुप्ता। फेसबुक पर हैं, पर मेरे फ्रैंडलिस्ट में नहीं है। इनके परिचय में लिखा है कि ये लखनऊ विश्व विद्यालय में हैं। वहां की कर्मचारी हैं या छात्रा कहना मुश्किल है। वैसे पहनावे से तो लगता है कि पढती होंगी। लेकिन इससे आप सबको सावधान रहना चाहिए। मुझे तो पता भी  नहीं चलता अगर मेरे किसी अभिन्न मित्र में ने मुझे बताया ना होता। ये लोगों के ब्लाग से लेख चुराती है और अपने वाल पर डाल देती है। जिस किसी के ब्लाग से लेती है, उसका जिक्र तक नहीं करती। मुझे जब बताया गया कि इसने ब्लाग से लेख की चोरी की है तो मैने इन्हें एक मैसेज भेजा कि आपको ऐसा नहीं करना चाहिए, लेकिन इस पर कोई असर नहीं हुआ। बाद में पता चला कि ये इसकी फितरत है।
चूंकि मैं लखनऊ से बहुत अच्छी तरह वाकिफ हूं और ये उसी शहर से हैं। मैने सोचा कि पता करुं इसके बारे में। इसके वाल पर ही कई दोस्तों को मैने मैसेज भेजा कि आपकी सहेली दूसरों के लेख चुराकर अपने वाल पर डालती है, फिर इसके दोस्तों का जवाब आया, सर, हम सब जानते हैं इसे, हम लोग तो बस फ्रैंडलिस्ट में है, इसके रिक्वेस्ट पर कमेंट करते रहते हैं। हम सबको पता है कि लिखना पढना तो इसके बस की बात ही नहीं। आप सोच रहे होंगे कि आखिर मैं इसकी तस्वीर के साथ इसके लिए ऐसा क्यों लिख रहा हूं, तो आप इस लिंक पर जाएं जहां इसने मेरे लेख को अपने नाम पर छाप रखा है। मेरा लेख.. http://aadhasachonline.blogspot.in/2012/04/blog-post.html#comment-form  आप इस ब्लाग पर देख सकते हैं। जिसे मैने दो अप्रैल को पोस्ट किया है। इसने इसे ही अपने फेसबुक पर डाल दिया है। इस लिंक पर..
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=113132385485306&set=at.106173829514495.7964.100003656353018.100002843162047.100003602945962&type=1&ref=nf हां चोरी भी करती है और मानती भी नहीं कि इससे कोई गल्ती हुई है। चूंकि मेरे ब्लाग का सालगिरह है इसलिए मैं अपनी ओर से इसे यहीं क्षमा कर देता हूं।

बाबा रामदेव ना बाबा ना ना....

ये तस्वीर बाबा रामदेव की है या नहीं, मैं विश्वास के साथ नहीं कह सकता। फेसबुक से मैने ये तस्वीर ली है। यहां तमाम लोग कुछ तिकडम के जरिए तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। अगर इसमें छेड़छाड़ की गई है तब तो मुझे कुछ नहीं कहना है, लेकिन तस्वीर सही है तो ये बाबा का असली रूप देखकर मैं क्या दुनिया हैरान हो जाएगी।
इस चित्र को देखने से साफ है कि बाबा अपने किसी मित्र के साथ चार्टड प्लेन में हैं। बाबा के हाथ में एक गिलास है, जिसमें देखने से तो लग रहा है कि ये व्हिस्की है, वैसे तो आजकल कई तरह के जूस भी मार्केट में है। इसलिए मैं दावे के साथ नहीं कह सकता कि बाबा के हाथ में क्या है। लेकिन ये तस्वीर जिसने भी फेसबुक डाली है, उसका मकसद तो यही साबित करने का है कि हम बाबा को जो समझते हैं, वो हमारी भूल है। दरअसल बाबा ऐसे हैं नहीं। सच क्या है, क्या बाबा ड्रिंक्स करते हैं या इस तस्वीर की हकीकत क्या है, ये सब हम बाबा पर ही छोड़ देते हैं।


57 comments:

  1. महेंद्र जी,आपके विचारों सहमत हूँ,...फिर भी आपके ब्लॉग"आधासच"को एक साल पूरा करने की बहुत२ बधाई,शुभकामनाए,....

    RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
    RECENT POST...फुहार....: रूप तुम्हारा...

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  2. दिली ताल्लुक़ न जुड़ा हो किसी से तो उसका निरादर देखकर आदमी ‘हुंह‘ कहकर आगे बढ़ ही जाता है। जिसकी मां होगी वह तो लड़ेगा ही।
    आपके ब्लॉग का एक साल पूरा हुआ,
    मुबारक हो।
    ब्लॉगर्स मीट वीकली में आपका स्वागत है।

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    1. अनवर भाई,
      आपकी भावनाओं की मैं कद्र करता हूं। लेकिन गुस्सा निकालने का मतलब गाली निकालने को कत्तई जायज नहीं ठहराया जा सकता।

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  3. आपको ब्लॉग की पहली वर्षगांठ बहुत बहुत मुबारक हो ! बाकी बातें फिर कभी !

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    1. शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया

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  4. निश्चित रूप से आपकी पोस्ट ऑंखें खोलने वाली है ........ब्लॉगिंग का यह पहलू हमेशा मेरे मन को कचोटता है ....! आज फिर आपको हमारा सलाम ...!

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  5. आप तो इतना सकारात्मक कार्य कर रहें हैं वोही करते चलें ....!आपके ब्लॉग की पहली वर्ष गाँठ के लिए हार्दिक बधाई !!इस तरह की बातें पढ़ कर ...देख कर ...मन बहुत उदास होता है ....!बस प्रभु से प्रार्थना करती हूँ ...सभी को सद्बुद्धि दें ...!!
    पुनः शुभकामनायें ...!!

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    1. जी मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं।

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. मैं अपने मन के साथ हूं, जो मुझे सही लगता है, उसे सही मानता हूं, जो मुझे ठीक नहीं लगता, उसे गलत ठहराने से पीछे नहीं हटता। chori theek nahi magar kaafi saari baaton ka uttar isi me hai....nahi kya!!?.
    aur sab chhodiye ...aapko ,aapke blog ko ek saal hone par badhai.:)

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  8. आधा सच की सच्चाई बरक़रार रहे .
    और ये तो बहुत गलत है ..... कि पोस्ट चोरी करें . अच्छा लगा तो नाम के साथ लिखिए न . क्षमा करके बड़े बनें पर मूर्ख नहीं

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    1. बिल्कुल
      अब क्या कहूं, चोरी करना कुछ लोगों की आदत होती है।
      मुझे तो पता भी नहीं चलता, किसी मित्र ने मुझे ये जानकारी दी।

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  9. महेंद्र जी ब्लॉग की सालगिरह के लिए बधाई |
    आशा

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  10. महेंद्र जी,आपके विचारों सहमत हूँ,..ब्लॉग की सालगिरह के लिए बधाई |

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  11. blog ki salgirah ki bahut bahut badhai..ummed hai rojnamacha fir shuru karenge aur uski salgirah ka jashn bhi manega...

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    1. हां जी रोजनामचा के साथ तो वाकई न्याय नहीं हो पा रहा है

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  12. आपकी बातों से पूर्णत: सहमत हूं ... 'आधा सच' को जन्‍मदिन की बधाई के साथ अनंत शुभकामनाएं ।

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  13. कल शहर से बाहर थी तो आज आपको शुभकामनाएं दे रही हूं, आप ऐसे ही निर्लिप्‍त भाव से लिखते रहें और हम बेसब्री से आपकी पोस्‍ट की इंतजार करते रहें। दुनिया में किसी भी बवाल को गम्‍भीरता में मत लीजिए। प्रकृति तक एक सी नहीं रहती तो मनुष्‍य भला एक सा व्‍यवहार कैसे करेंगे? कोई तूफान आया है आज मुझे भी आभास हुआ। दुनिया को समझने के लिए अच्‍छा और बुरा दोनों ही का ज्ञान आवश्‍यक है।

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    1. जी,
      सही कहा आपने
      आपका बहुत बहुत आभार

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  14. blog ki saalgirah pr bahut bahut badhaai...sir
    chori pr itna hi kahungi...aiso ka safar aade par hi khatm ho jaata hai...

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  15. आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई

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    1. शुक्रिया प्रवीण जी
      वैसे जन्मदिन मेरे ब्लाग का है।

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  16. aadha sach blog ko uski pratham varshganthh par badhai .chori rokne ke liye koi sakht kadam to uthhaya hi jana chahiye .



    LIKE THIS PAGE AND WISH OUR INDIAN HOCKEY TEAM FOR LONDON OLYMPIC

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  17. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर की गई है।
    चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं....
    आपकी एक टिप्‍पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......

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  18. महेंद्र जी ब्लॉग की सालगिरह के लिए बधाई.

    सच से रूबरू कराते रहें इसी तरह,

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  19. शुभकामनाएं ..खरी- खरी कहने के लिए भी ..

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    1. अरे खरी खरी नहीं
      ये तो मेरा निवेदन है।

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  20. शुभकामनायें !
    'कलमदान '

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  21. महेंद्र जी आपको ब्लॉग की पहली वर्षगांठ पर बहुत बहुत बधाई...चोरनी को अच्छा पकड़ा....बधाई..

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  22. आधा सच कहते हो
    झूट बोलते हो
    ये तो पूरा सच हैं
    हम सच बोलते हैं
    आधा सच भी नहीं
    बोलते हैं ।

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  23. मान गए महेन्द्रे जी ....ब्लॉग के जन्मदिन के अवसर पर आपने सबको लपेटे में ले लिया ....लिखने का अंदाज़ कोई आपसे सीखे ....पर हम ये ही कहेंगे कि हर सिक्के के २ पहलू होते हैं .......आपके ब्लॉग का जन्मदिन ८ अप्रैल को था .. उसकी शुभकानाएँ आज दे रहे हैं .....आप ऐसे ही आगे बढते रहे ....ब्लॉग जगत का सुधार कब होगा ये तो यहाँ के दिग्गज ही बता सकते हैं .....

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  24. आधा सच को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाइयाँ...और सुदर प्रस्तुति के लिए महेंद्र जी का हार्दिक धन्यवाद!

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  25. ************************************************
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    विलंब से ही सही

    *आदरणीय महेन्द्र श्रीवास्तव जी*

    आधा सच की पहली वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं !
    हार्दिक बधाई !



    आपके आलेख पढ़ते रहते हैं …
    ईश्वर आपकी लेखनी की ताकत बनाए रखे !

    शुभकामनाओं-मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
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  26. aadha sach vakai bahut hi dilchasp blog laga ....lekh ke sath hi apke janmdin pr hardik badhai

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  27. महेंद्र जी ब्लॉग की सालगिरह के लिए बधाई |
    आपके लेखन का बहुत आदर करते हैं हम... इसे ऐसे ही जारी रखें... शुभकामनायें

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  28. बहुत बहुत आभार संध्या जी

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  29. आपको सालगिरह की बहुत - बहुत बधाई | बहुत सी जानकारियां इसके लिए बहुत २ शुक्रिया |

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  30. मेरा सीधा सा जवाब है कि मैं अपने मन के साथ हूं, जो मुझे सही लगता है, उसे सही मानता हूं, जो मुझे ठीक नहीं लगता, उसे गलत ठहराने से पीछे नहीं हटता।

    जी हाँ,'तोरा मन दर्पण कहलाये',बस मन का दर्पण स्वच्छ होना चाहिए.
    क्यूंकि मन ही मुक्ति का द्वार भी है.
    अच्छी झांकी प्रस्तुत की है आपने अपने मन की.
    ब्लॉग की प्रथम वर्ष गाँठ की हार्दिक बधाई.

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।