Monday 21 November 2011

चार जेपी और दो अन्ना पैग...

मित्रों दो दिन पहले मैं कुछ दोस्तों के साथ यहां पांच सितारा होटल के बार में था। हमारा मित्र आस्ट्रेलिया से आया हुआ था, उसे वापस जाने के लिए रात तीन बजे की फ्लाइट पकड़नी थी, हम सबको साथ मिले भी काफी समय हो गया था, तो तय हुआ कि यहीं बार में  बैठकी कर ली जाए । सो हम सब  वहां जमा हो गए। वैसे " बार "में   अक्सर आना जाना रहता है, पर आज यहां  मुझे कुछ नई चीज देखने को मिली।

सच बताएं, मैं तो  समझता था कि देश का अमीर तपका बाकी देश और लोगों से पूरी तरह कटा हुआ है। उसे कोई मतलब नहीं कि देश में हो क्या रहा है। लेकिन मेरा ये भ्रम इस पांच सितारा होटल के बार में टूट गया। मैन महसूस किया कि देश का अमीर तपका भी इस गंदगी से उतना ही त्रस्त है, जितना आम आदमी।

पांच सितारा  बार में अंग्रेजी में गिट पिट करने वालों के मुंह से  देश, ईमानदारी, भ्रष्टाचार, अनशन, रथयात्रा, जेल, रामलीला मैदान,  जंतर मंतर, जेपी, अन्ना   जैसे शब्द सुनकर मै हैरान था। हुआ ये कि  पास  की ही  टेबिल पर कुछ नौजवान अपनी गर्ल फ्रैंड का  बर्थडे  सेलीबिरेट कर रहे थे। इस दौरान उनकी बात चीत का विषय जेपी आंदोलन बनाम अन्ना  का आंदोलन था। मुझे लगा कि इस इंडिया ( यानि बार ) में भी भारत की चर्चा होती है, मैं वाकई हैरान था। हांथ मे वाइन का गिलास थामें  लड़कियों का  कहना था कि जेपी के आंदोलन के मुकाबले अन्ना का आंदोलन बहुत बड़ा है,  जबकि इसी टेबिल पर बैठे  कुछ लोगों का कहना था कि नहीं नहीं जेपी के आंदोलन का कोई मुकाबला हो ही नहीं सकता।

जो यहां सबसे ज्यादा समझदार नजर आ रहा था, उसने फैसला दिया कि भाई आप लोगों ने जेपी आंदोलन को तो किताबों में पढ़ा है और अन्ना के आंदोलन को देख रहे हैं। इस लिए भावनात्मक रुप से आप अन्ना के साथ जुड़े हैं। वैसे भी जेपी की लड़ाई आसान नहीं थी, वो  अब तक की सबसे मजूबत  प्रधानमंत्री स्व. श्रीमति इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ रहे थे और अन्ना अब तक के सबसे मजबूर प्रधानमंत्री से संघर्ष  कर रहे हैं। इसलिए इस पर तो विवाद  तो होना ही नहीं  चाहिेए कि कौन सा आंदोलन बड़ा था,  और कौन सा छोटा है।

बहरहाल ये बात चल  ही रही थी कि  इस बीच उनके टेबिल पर वेटर आ गया। वेटर को  एक नौजवान आर्डर नोट कराने लगा।  बोला चार जेपी पैग और दो अन्ना पैग के साथ  सींक कबाब लाना मत भूलना। हालाकि  वेटर के चेहरे से साफ लग रहा था कि वो जेपी पैग और अन्ना पैग समझ नहीं पा रहा है, लेकिन दोबारा पूछ लिया तो फिर पांच  सितारा के वेटर की काबीलियत पर  सवाल नहीं खड़ा हो जाएगा। लिहाजा वो चुपचाप  अपने सुपरवाईजर के पास गया और बताया कि ऐसा आर्डर किया गया, जो उसकी समझ में ही नहीं आ रहा है। काफी देर तक पूरे बार में तैनात अधिकारी कर्मचारी परेशान रहे, लेकिन ये आर्डर किसी के समझ में नहीं आया। लिहाजा उनका सुपरवाईजर खुद टेबिल पर आया और पूछा कि जेपी पैग और अन्ना पैग को लेकर हम सब कुछ कनफ्यूज हैं।  कुछ और बताइये । टेबिल पर बैठे लडकों ने ठहाका लगाया और सुपरवाईजर से पूछा देश में जेपी  का आंदोलन बडा था या फिर अन्ना का। उसने  जवाब दिया कि सर जेपी का आंदोलन बड़ा था। युवकों कहा सिम्पल फिर क्या बात आपकी समझ में नहीं आ रही है। जेपी मतलब बडा़ यानि पटियाला पैग 60 एमएल और अन्ना मतलब छोटा 30 एमएल का पैग दो।

सुपरवाईजर मुस्कुराया और आर्डर की तैयारी में लग गया। बहरहाल नौजवानों की ये बात सुनकर पहले तो थोडा मुझे भी हंसी आई, पर मुझे इस बात का संतोष था कि देश  का युवक भी कम से कम आम आदमी के सरोकारों से जुडा तो हैं। भले ही उसका अंदाज कुछ भी हो।

बहरहाल मित्रों देश मे एक बार फिर लड़ाई की बिसात बिछ चुकी है। कल यानि 22 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होना है। इसमे फैसला हो जाएगा कि सरकार वाकई भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर है या नहीं। संसद में टीम अन्ना के मनमाफिक जनलोकपाल बिल लाया जाता है, या फिर महज खानापूरी की जाती है, इस पर  सभी की निगाह टिकी हुई है। लेकिन इतना तो तय है कि देशवासी इस मसले को लेकर गंभीर  हैं, उन्हें भी टीम अन्ना की तरह ही खाते पीते सोते जनलोकपाल बिल की चिंता सताए जा रही हैं।

ऐसे में मुझे लगता है कि सरकार किसी तरह का रिस्क लेने को तैयार नहीं होगी, क्योंकि विपक्ष भी इस मामले को लेकर  गंभीर है। आडवाणी जी ने अपनी यात्रा के जरिए देश को जगाने का काम किया है, पता नहीं वो कांग्रेस नेताओं को जगाने में कामयाब हो पाए या नहीं, ये तो संसद में बिल पेश किए जाने पर ही पता चलेगा।

10 comments:

  1. नशे के साथ देश की बात .... ये बात कुछ हजम नहीं हुई . यह सब मेरी दृष्टि में एक टाइम पास है

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  2. प्रिय महेंद्र श्रीवास्तव जी अभिवादन ...बहुत सुन्दर समझाया आप ने जे पी और अन्ना पैग का अंदाज चाहे जो हो चाहे नौजवान पैग में ही लगे डूबे रहें लेकिन देश के बारे में सोच तो रहे ...भला तो होगा ऐसे ही न देश का
    भ्रमर ५
    बाल झरोखा सत्यम की दुनिया

    पर मुझे इस बात का संतोष था कि देश का युवक भी कम से कम आम आदमी के सरोकारों से जुडा तो हैं। भले ही उसका अंदाज कुछ भी हो।

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  3. Dear Shriwastva Ji

    J.P. moment was a real moment with complete program but Anna moment is a project. We should understand this basic difference between both.This time media is controlling many things that time the voice of media was crushed.At J.P. time there was no well establish media especially electronic. No, 24x7 time new coverage, No social networking sites like Face book etc. No funds, No foreign money, no allegation seeking foreign money from the “Corporates, Leh Man brother or Ford foundation etc.” J.P. Image was more clear. No favour was required from any kind of media. Even yet after passing 40 years not a single finger raised by any leader or public against JP. This time 3.3 million NGOs registered in India means one NGO on less than on every 400 people. That time People sacrifice their time, valuables even lives etc. on JP’s voice. J.P. was against the system, against the strong Government and a powerful leader. Thousands booked to jail and faced police harassment and cruelty. But this time people enjoyed the event. That time people were convinced with their harsh goal. This time majority of people only knew only a title as “JAN LOKPAL” but not aware with the main theme. This time people were frustrated from the “Mehngai” and well known CWG, 2G spectrum corruption. Poor people were more confused they were thinking that after Lokpal “Mehngai will be reduced and there will be no corruption in every day life”. That time no “BAR” no Wine shop, was to discuss the moment. Students, farmers, social leaders, politicians used the College Canteens, “Chopals”, Tea shops to share the views of JP. But this time I had seen an activist from Anna moment at the right time of “Ram lila fast” in August 2011, eating “Rousted Chicken and drinking wine” after evening at a private place with their colleagues.

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  4. ये तो कमाल हो गया ....पांच सितारा होटल में जाने वाले भी ....अन्ना और जे.पी आन्दोलन को जानते है ......भले ही शराब के नशे में ....अद्भुत है भाई.....यहाँ कुछ भी हो सकता है ...

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  5. कहाँ -कहाँ से रोचक समाचार खोज कर ले आयें हैं आप. कमाल...

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  6. मजेदार वाक्‍या।

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  7. वाह पोस्ट पढ़कर तो आनन्द आ गया!

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  8. vakai...har bat me yuva peedhi ko galat samjhne ke agar satark ho kar avlokan kiya jaye to inke samajik sarokaron se jude hone ka ehsas hota hai....ha unke tareeke alag ho sakte hai..sundar post...

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  9. Cool read, I am grateful for this posting.

    From everything is canvas

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।