Thursday 17 November 2011

ये क्या है राष्ट्रपति जी...

चित्र देखकर आप हैरान होंगे, हालाकि ये तस्वीर घिनौनी जरूर दिख रही है, लेकिन इसके पीछे मकसद बहुत ही साफ सुथरा है। दरअसल चीन जिस तरह से लगातार अपनी ताकत बढा रहा है उससे अमेरिका का चिंतित होना स्वाभाविक है। मेरा मानना कि भविष्य में अगर अमेरिका को किसी दूसरे देश से चुनौती मिली तो शायद वो चीन ही होगा। इसी तरह दुनिया के कई और देशों के भी अपने पड़ोसी से या फिर दूसरे देशों संबंध सही नहीं है। इसी तरह की नफरत और घृणा को खत्म करने के लिए "अनेहेट कैंम्पेन" के नाम से एक अनोखा प्रचार शुरू किया है जानी मानी कंपनी बेनेटन ने।
आपको याद होगा कि 1990 के दशक में एक पादरी और नन के लिपलाक ( चुंबकीय संबंध) की तस्वीर जारी कर ये कंपनी दुनिया भर में छा गई थी। इस कंपनी एक बार फिर कुछ ऐसी तस्वीरें जारी की हैं जिसने पूरी दुनिया में बखेडा़ खड़ा कर दिया है। बेनेटन द्वारा जारी एक तस्वीर ब्लाग पर दे रहा हूं।  इस तस्वीर में अमेरिका के राष्ट्रपति  बराक ओबामा औरचीन के राष्ट्रपति जिनताओ हैं जो एक दूसरे से लिपलांक करते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि कपनी ने सावधानी बरतते हुए इस बार तस्वीर जारी की है। उसका मकसद भले ही इस तस्वीर के जरिए विवाद खड़ा करना हो, लेकिन कंपनी ने इसका नाम "अनहेट कैंपेन" रखा है, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे।
वेनेटन ने इस कैंपेन के तहत लिपलाक करती कुल छह तस्वीरे जारी की हैं। इनमें फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सरकोजी, जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल, इस्राइल के बेंजामिन नेतान्याहू समेत कुछ और लोग शामिल हैं। एक तस्वीर में तो पोप को अल-अजहर मस्जिद के सेख अहमद-अल-तैयब से लिपलॉक करते दिखाया गया है। हांलाकि ये तस्वीरें सच नहीं हैं, इन सभी  तस्वीरों में छेड़छाड़ कर ऐसा किया गया है।
इस कैंपेन को शुरू करते हुए बेनेटन के इक्ज्क्यूटिव डिप्टी चेयरमैन ने पैरिस में कहा कि ये तस्वीरें 'नफरत खत्म' करने के विचार से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा कि इसे सेक्शुअल नजरिए से नहीं देखना चाहिए। उन्होंने ये भी साफ किया कि ये तस्वीरें थोड़ी सख्त जरूर हैं, लेकिन इसके पीछे का संदेश भी कड़ा है। अब आप इस तस्वीर को देखें और बताएं कि इस तस्वीर सै कैसे अंतर्राष्ट्रीय संबंध मजबूत होते हैं।

एक खबर और...

एक राष्ट्रीय चैनल पर कल से लगातार ड्रग माफिया, भगोडा इकबाल मिर्ची का इंटरव्यू चल रहा है। सरकार ने इसे 1994 में भगोड़ा घोषित कर दिया था। संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की एक  रिपोर्ट में तो उसे दुनिया के खूंखार ड्रग माफियाओं की सूची में शामिल किया गया है। इसके अलावा  इंटरपोल ने उसके खिलाफ 1994 में रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था।
इसके इंटरव्यू को जितनी प्राथमिकता के साथ प्रसारित किया जा रहा है, इसका कारण मेरी समझ से तो परे है। सच में मैं नहीं समझ पा रहा हूं इससे ये चैनल क्या संदेश देना चाहता है। दावा किया जा रहा है कि माफिया का ये पहला इंटरव्यू है। आज तक उसने किसी समाचार पत्र या टीवी चैनल को इंटरव्यू नहीं दिया। मैं तो ये देख कर हैरान हूं। मैं वैसे भी जानना चाहता हूं कि कौन सा भगोड़ा किसी को इंटरव्यू देता हैं। फिर क्या ऐसे लोगों का इंटरव्यू इसी तरह चलाया जाना चाहिए, जैसे चलाया जा रहा है।
मुझे तो लगता है कि इकबाल मिर्ची मीडिया के जरिए ये देखना चाहता है कि क्या अभी भारत वो आए या ना आए। क्योंकि लंदन में अगले साल फरवरी तक ही रहने का उसका वीजा है। इसके बाद उसे लंदन छोडना ही होगा। मेरा सवाल है कि 15 साल से लंदन में छिपे मिर्ची को अब देश के कानून में आस्था क्यों नजर आ रही है। सच ये है कि मिर्ची लंदन में बैठ कर इंटरव्यू के बाद देश में होने वाले रियेक्शन को देख रहा है कि अब सीबीआई का रुख क्या है। अगर सीबीआई रुख उसे सख्त लगा तो वो किसी और देश में शरण ले लेगा।
अहम सवाल ये है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने मीडिया पर सख्त टिप्पणी की थी। उन्होंने यहां तक कहा कि अब पढने लिखने की आदत मीडियाकर्मी भूल चुके हैं। मीडिया को नियंत्रित करने की बात भी चल रही है, जिसका पुरजोर विरोध हो रहा है और होना भी चाहिए।
बहरहाल अब वक्त आ गया है कि हम खुद आत्ममंथन करें और क्या सही है क्या गलत, इसे जाने। वरना जिस तरह से मीडिया की छवि समाज में लगातार गिर रही है, उससे हमारी विश्वसनीयता और ईमानदारी पर भी सवाल खड़े होने लगेंगे। इस इंटरव्यू में गंदगी की बू आ रही है। अन्ना और मिर्ची दोनों एक साथ नहीं हो सकते ना। जय हो....

(दोनों तस्वीरें गुगल से साभार)

13 comments:

  1. खबरों की ख़बर.. लेकिन मीडिया तंत्र पर से विश्वास ऐसा उठ गया है कि जो दिखाया जा रहा है और जो उसके पीछे के हकीकात है उनमें बहुत फर्क है!!

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  2. अब तो जो दिखता है उसे भी भ्रम ही माना जाता है..... यही इमेज रह गयी है मीडिया की भी.....

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  3. तस्वीर कमाल का है!

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  4. आत्ममंथन ही ज़रूरी है...

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  5. मीडिया का भंवर , बाप रे !

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  6. jo sabhi ne kaha wahi men bhi kahnaa chaahti hoon media par se ab sabhi ka bharosa lagbhag utgayaa hai... jo dikhaten hain usmen "raee ka pahaad" bana hotaa hai... yahi image reh gai hai media ki.. saarthak prastuti abbhar samay mile kabhi to aaiyega meri post par aapka savagat hai ...

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  7. मीडिया का रोल जैसा भी रहा है ....फिर भी वो हमारे समाज का आईना है .....उस से बढ कर आपके लेख है ....जो कुछ नया घटित होता है ...वो आपके लेखो के माध्यम से पढने और समझने को मिलता है ....आपका ये लेख भी वैसा ही है ...आभार

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  8. महेंद्र जी
    मीडिया को मसाला चाहिए जो बाजार में बिक सके
    समाज में उसका क्या असर पड़ रहा है, मतलब नही.
    पोस्ट पसंद आया ...

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  9. महत्वपूर्ण मुद्दे का बेबाक विश्लेषण।

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  10. मेरे नए पोस्ट भोजपुरी भाषा का शेक्शपीयर- भिखारी ठाकुर पर आपका इंतजार करूंगा । धन्यवाद

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  11. बहुत खूब विश्लेषण ...और फोटो भी खूब..

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जी, अब बारी है अपनी प्रतिक्रिया देने की। वैसे तो आप खुद इस बात को जानते हैं, लेकिन फिर भी निवेदन करना चाहता हूं कि प्रतिक्रिया संयत और मर्यादित भाषा में हो तो मुझे खुशी होगी।