टीम अन्ना को देश के युवाओं ने पहले सिर पर बैठाया, अब यही नौजवान अन्ना की टीम के अहम सहयोगियों के साथ मारपीट कर रहे हैं। आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि इन पर हमले किए जा रहे हैं और हमला करने वाले कोई और नहीं देश के नौजवान ही हैं। रामलीला मैदान में 12 दिन के अनशन के बाद केंद्र की सरकार को घुटनों पर लाने वाले अन्ना हजारे अपने गांव पहुंचते ही आक्रामक हो गए और उन्होंने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे पर हमला बोल दिया। ठाकरे ने चेतावनी दी कि वो गांधीवादी नहीं है, ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं, बस अन्ना खामोश हो गए। इसके बाद प्रशांत भूषण ने कश्मीर को लेकर ऐसा जहर उगला कि पूरे देश में इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई।
मैने देखा कि कुछ नौजवानों ने प्रशांत भूषण पर हमला कर दिया। हालाकि मैं मारपीट का कत्तई समर्थन नहीं करता हूं, लेकिन मेरा मानना है कि ये नौजवान अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाए और ऐसी हरकत कर बैठे। पर इस बात से शुकून जरूर है कि देश के खिलाफ बात करने वालों को जवाब देने के लिए देश का युवा तैयार है। प्रशांत पर हमले का मामला अभी ठंडा भी नहीं पडा था कि लखनऊ में अरविंद केजरीवाल पर एक युवक ने जूते से हमला कर दिया। अरविंद केजरीवाल बाल बाल बच गए। ईश्वर का मैं धन्यवाद करना चाहता हूं, क्योंकि वैचारिक मतभेद में कभी भी ऐसी घटनाओं का समर्थन नहीं किया जा सकता।
लेकिन लगातार हो रही इन घटनाओं के बाद जरूरी है कि टीम अन्ना भी आत्ममंथन करे, कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि जो नौजवान कल उन्हें सिर माथे पर बैठाए हुए था वही आज हमलावर हो गया है। टीम अन्ना के ही सहयोगी क्यों उनके खिलाफ मैदान में आ गए हैं। हिसार में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने के मामले में जस्टिस संतोष हेगडे ने टीम अन्ना को आडे हाथ लिया। कश्मीर के मामले में विवादित बयान देने पर टीम अन्ना के अहम सहयोगी एक चिकित्सक ने प्रशांत को टीम से बाहर करने की खुलेआम मांग की।
हद तो ये हो गई है कि अब टीम अन्ना पर चंदे के पैसों पर में गडबडी के आरोप भी लगने लगे हैं। कल तक जो युवा "मैं भी अन्ना" कि टोपी पहन कर रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन में सहयोग कर रहे थे, आज उन्हीं युवाओं ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। इन युवाओं का आरोप है कि यहां मनमानी हो रही है और पैसों का हिसाब किताब सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। इसके लिए तमाम युवा जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। आखिर ये सब क्यों हो रहा है। टीम अन्ना पर हमला करने वालों को एक बार कहा जा सकता है कि विरोधी ऐसा करा रहे हैं, लेकिन टीम अन्ना के भीतर से ही जब नेतृत्व के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है तो टीम अन्ना को भी आत्ममंथन तो करना ही चाहिए।
भ्रष्टाचार को लेकर देश की जनता आग बबूला थी, इसी लिए टीम अन्ना की मामूली पहल को भी लोगों ने हाथों हाथ लिया और 74 साल के नौजवान अन्ना के पीछे देश का युवा पूरी ताकत के साथ जुट गया। युवाओं को कुछ उम्मीद थी कि अब कुछ हद तक भ्रष्टाचार से निजात मिलेगी। लेकिन ये क्या, जनलोकपाल बिल की आड में टीम अन्ना के कुछ लोगों ने सियासत शुरू कर दी। देश में कई स्थानों पर उप चुनाव हो रहे थे, लेकिन कांग्रेस का विरोध सिर्फ हिसार में किया गया। आपको बता दूं कि अरविंद केजरीवाल इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कहीं अरविंद यहां अपनी राजनीतिक जमीन तो नहीं तैयार कर रहे हैं।
वैसे भी आप हिसार चले जाएं और निष्पक्ष रूप से जानकारी करें, तो वहां जीतने वाले और दूसरे नंबर पर रहने वाले दोनों ही उम्मीदवारों के खिलाफ तमाम आरोप हैं। जिस उम्मीदवार का टीम अन्ना विरोध कर रही थी, वो ही एक मात्र ऐसा उम्मीदवार था, जिसके ऊपर फिलहाल भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। ऐसे में टीम अन्ना किस तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लडने की बात कर रही है, ये वही बता सकते हैं। बहरहाल अन्ना जी साफ सुथरे सामाजिक कार्यकर्ता हैं उन्हें इस मामले को खुद देखना चाहिए।
चलते चलते एक बात और। आज अन्ना के गांव के सरपंच कुछ लोगों के साथ राहुल गांधी से मिलना चाहते थे। इन लोगों ने कांग्रेस सांसद के जरिए खुद राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताई थी। यहां वडा सवाल ये भी है कि क्या अन्ना अपनी टीम से नाखुश हैं, क्यों उन्होंने अपने गांव के लोगों को सीधे राहुल के पास भेज दिया, टीम के अहम सहयोगी अरविंद केजरीवाल और अन्य लोगों को इस मुलाकात से दूर रखा। बहरहाल इसका जवाब तो अन्ना ही दे सकते हैं। लेकिन राहुल गांधी इस बात से नाराज हो गए कि अन्ना के गांव के सरपंच ने मीडिया के सामने गलत बयानी की और कहा कि राहुल ने मिलने की इच्छा जताई है, जबकि राहुल से इन लोगों ने खुल मिलने के लिए पत्र लिखा था। राहुल को लगा कि जब मुलाकात के पहले ही ये गलत बयानी कर रहे हैं तो बाद में और कुछ भी उल्टा पुल्टा बोल सकते हैं, लिहाजा उन्होंने इनसे दूरी बना ली। हो सकता है कि सियासी तौर पर इसका नुकसान राहुल को हो, लेकिन मैं राहुल गांधी के इस कदम की सराहना करता हूं। अब लोग कह रहे हैं कि राहुल ने अन्ना का अपमान किया, तो कहते रहें, राहुल ने ठीक किया। मैं उन्हें पूरे 10 में 10 नंबर देता हूं।
मैने देखा कि कुछ नौजवानों ने प्रशांत भूषण पर हमला कर दिया। हालाकि मैं मारपीट का कत्तई समर्थन नहीं करता हूं, लेकिन मेरा मानना है कि ये नौजवान अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाए और ऐसी हरकत कर बैठे। पर इस बात से शुकून जरूर है कि देश के खिलाफ बात करने वालों को जवाब देने के लिए देश का युवा तैयार है। प्रशांत पर हमले का मामला अभी ठंडा भी नहीं पडा था कि लखनऊ में अरविंद केजरीवाल पर एक युवक ने जूते से हमला कर दिया। अरविंद केजरीवाल बाल बाल बच गए। ईश्वर का मैं धन्यवाद करना चाहता हूं, क्योंकि वैचारिक मतभेद में कभी भी ऐसी घटनाओं का समर्थन नहीं किया जा सकता।
लेकिन लगातार हो रही इन घटनाओं के बाद जरूरी है कि टीम अन्ना भी आत्ममंथन करे, कि आखिर ऐसा क्या हो गया कि जो नौजवान कल उन्हें सिर माथे पर बैठाए हुए था वही आज हमलावर हो गया है। टीम अन्ना के ही सहयोगी क्यों उनके खिलाफ मैदान में आ गए हैं। हिसार में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने के मामले में जस्टिस संतोष हेगडे ने टीम अन्ना को आडे हाथ लिया। कश्मीर के मामले में विवादित बयान देने पर टीम अन्ना के अहम सहयोगी एक चिकित्सक ने प्रशांत को टीम से बाहर करने की खुलेआम मांग की।
हद तो ये हो गई है कि अब टीम अन्ना पर चंदे के पैसों पर में गडबडी के आरोप भी लगने लगे हैं। कल तक जो युवा "मैं भी अन्ना" कि टोपी पहन कर रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन में सहयोग कर रहे थे, आज उन्हीं युवाओं ने विरोध का बिगुल फूंक दिया है। इन युवाओं का आरोप है कि यहां मनमानी हो रही है और पैसों का हिसाब किताब सही ढंग से नहीं किया जा रहा है। इसके लिए तमाम युवा जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। आखिर ये सब क्यों हो रहा है। टीम अन्ना पर हमला करने वालों को एक बार कहा जा सकता है कि विरोधी ऐसा करा रहे हैं, लेकिन टीम अन्ना के भीतर से ही जब नेतृत्व के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है तो टीम अन्ना को भी आत्ममंथन तो करना ही चाहिए।
भ्रष्टाचार को लेकर देश की जनता आग बबूला थी, इसी लिए टीम अन्ना की मामूली पहल को भी लोगों ने हाथों हाथ लिया और 74 साल के नौजवान अन्ना के पीछे देश का युवा पूरी ताकत के साथ जुट गया। युवाओं को कुछ उम्मीद थी कि अब कुछ हद तक भ्रष्टाचार से निजात मिलेगी। लेकिन ये क्या, जनलोकपाल बिल की आड में टीम अन्ना के कुछ लोगों ने सियासत शुरू कर दी। देश में कई स्थानों पर उप चुनाव हो रहे थे, लेकिन कांग्रेस का विरोध सिर्फ हिसार में किया गया। आपको बता दूं कि अरविंद केजरीवाल इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कहीं अरविंद यहां अपनी राजनीतिक जमीन तो नहीं तैयार कर रहे हैं।
वैसे भी आप हिसार चले जाएं और निष्पक्ष रूप से जानकारी करें, तो वहां जीतने वाले और दूसरे नंबर पर रहने वाले दोनों ही उम्मीदवारों के खिलाफ तमाम आरोप हैं। जिस उम्मीदवार का टीम अन्ना विरोध कर रही थी, वो ही एक मात्र ऐसा उम्मीदवार था, जिसके ऊपर फिलहाल भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। ऐसे में टीम अन्ना किस तरह से भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लडने की बात कर रही है, ये वही बता सकते हैं। बहरहाल अन्ना जी साफ सुथरे सामाजिक कार्यकर्ता हैं उन्हें इस मामले को खुद देखना चाहिए।
चलते चलते एक बात और। आज अन्ना के गांव के सरपंच कुछ लोगों के साथ राहुल गांधी से मिलना चाहते थे। इन लोगों ने कांग्रेस सांसद के जरिए खुद राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताई थी। यहां वडा सवाल ये भी है कि क्या अन्ना अपनी टीम से नाखुश हैं, क्यों उन्होंने अपने गांव के लोगों को सीधे राहुल के पास भेज दिया, टीम के अहम सहयोगी अरविंद केजरीवाल और अन्य लोगों को इस मुलाकात से दूर रखा। बहरहाल इसका जवाब तो अन्ना ही दे सकते हैं। लेकिन राहुल गांधी इस बात से नाराज हो गए कि अन्ना के गांव के सरपंच ने मीडिया के सामने गलत बयानी की और कहा कि राहुल ने मिलने की इच्छा जताई है, जबकि राहुल से इन लोगों ने खुल मिलने के लिए पत्र लिखा था। राहुल को लगा कि जब मुलाकात के पहले ही ये गलत बयानी कर रहे हैं तो बाद में और कुछ भी उल्टा पुल्टा बोल सकते हैं, लिहाजा उन्होंने इनसे दूरी बना ली। हो सकता है कि सियासी तौर पर इसका नुकसान राहुल को हो, लेकिन मैं राहुल गांधी के इस कदम की सराहना करता हूं। अब लोग कह रहे हैं कि राहुल ने अन्ना का अपमान किया, तो कहते रहें, राहुल ने ठीक किया। मैं उन्हें पूरे 10 में 10 नंबर देता हूं।
थामस माफ़ी मांगते, राहुल हैं चुपचाप |
ReplyDeleteझंडे काले अलीगढ़ , भगे रास्ता नाप |
भागे रास्ता नाप, लगाने सेंध लग गए |
अन्ना का अब गाँव, गाँव के भाग जग गए |
रहिये पर ख़ुब साफ़, बांटते घूमे टाफी |
कर देंगे वे खेल, मांग लेंगे फिर माफ़ी ||
जूता हमारा देश और हमारे नेता ....वाह ! क्या बात है ! जब देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन टीम अन्ना के द्वारा शुरू किया गया था तो एक आस जगी थी और देश के युवा उन्हें अपनी जान हथेली पर रखकर समर्थन कर रहे थे ....लेकिन अभी 2 महीने भी नहीं हुए हैं की हालात क्या हैं . जिन लोगों को हमने सर आँखों पर बिठाया था , उन्ही लोगों को अब जुटे से पीटा जा रहा है ....! बहुत गहरे में उतरकर हर किसी को विश्लेषण करना चाहिए ....!
ReplyDeleteआपकी बातों से पूरी तरह सहमत।
ReplyDeleteआखिर भेड चाल कब तक एक ही दिशा में रहेगी.... कभी तो रास्ता बदलना ही था.....
प्रशांत भूषण के बाद केजरीवाल। अभी भी वक्त है.... वरना अन्ना की टीम में और भी लोग हैं और बकौल टीम अन्ना देश की युवा पीढी जाग गई है तो फिर आप भी सर्तक रहें इस जागी पीढी से.....
Anna aur teem anna ko apne asli mudde se bhatakna nahi chahiye varna saari koshishon par pani fir jaayega.ek badhiya aalekh.
ReplyDeleteदुखद घटना.
ReplyDeletekabhi dhoop to kabhi chhanw...
ReplyDeleteaapaki ek ek baat se sahamat hoon. shubhakamanayen.
ReplyDeleteअन्ना-टीम के लोग अपने दुष्कृत्यों के ऊपर पर्दा ढाँकने हेतु अपने ही लोगों से खुद पर हमले करा कर झूठी सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश कर रहे हैं। ये सब अमेरिका के इशारे पर हमारे देश की आंतरिक राजनीति मे दाखल देने हेतु हो रहा है। बुद्धिजीवियों को भटके बगैर निर्भीकतापूर्वक सम्पूर्ण अन्ना-टीम की भर्तस्ना करनी चाहिए ,यही देश-हितकी मांग है।
ReplyDeleteमैं भी राहुल के अन्ना टीम से न मिलने के कदम की सराहना करता हूँ और १० में से पुरे १० नंबर देता हूँ इस उम्मीद के साथ कि राहुल इस तरह की बेवकूफियां आगे भी करते रहेंगे|
ReplyDeleteआखिर इस तरह के क़दमों से ही किसी नेता की असलियत का पता चलता है कि वो आम जन के प्रति कितना संवेदनशील है|
Mujhe pura yakin hai ki aap congress ke supporter hai...rahi baat anna ki cogress virodh ki to kya bjp ya anya party janlokpal bill pass kar sakti hai? Nahi kyoki wo sarkar me bahumat me nahi hai...sirf congress hi is bill ko pass kar sakti hai...isliye congress par pressure dalne ke liye hi congress ko harane ki baat ho rahi hai.... hame garv hona chahiye ki anna aur arvind kejriwal jaise log bharat me aaj bhi hai...jo is desh ke garib tabke ke bare me sochte hai...aur un logo ko srm aani chahiye jo aalochna ke siva kuch bhi nahi kar sakte...
ReplyDeleteमहेंद्र जी , अन्दर की बातों का पता आपको पढ़कर ही चलता है. नहीं तो जिसके मुंह में राम दिखता है उसी को सच मान लेते हैं.
ReplyDeletedear Anonymous...
ReplyDeleteमुझे तकलीफ होती है जब लोग बगैर परिचय के किसी चर्चा में शामिल होते हैं और बात अज्ञानता की करते हैं।
मित्रों ज्यादातर लोग संसदीय प्रणाली में काम कैसे होता है उसकी जानकारी नहीं रखते और अनाप शनाप कुछ भी कहीं भी बोलते रहते हैं। लोगों को लगता है कि कांग्रेस के नेतृत्व में केंद्र सरकार है, इसलिए कांग्रेस चाहे तो यहां कोई भी बिल पास करा सकती है। मित्रों ऐसा बिल्कुल नहीं है।
वरना तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही महिला आरक्षण बिल के समर्थक हैं, ये बिल कब का पास हो चुका होता है। लेकिन इस बिल को राज्यसभा में पेश किए जाने के दौरान जो हंगामा हुआ, उसे देखते हुए कांग्रेस की हिम्मत नहीं पड रही कि वो इसे लोकसभा में पेश करे।
जनलोकपाल बिल भी बिना विपक्ष की सहमति के नहीं पास हो सकता। इसलिए इसबिल के लिए जितनी जिम्मेदार कांग्रेस है, उससे कम जिम्मेदारी बीजेपी की नहीं है। जनलोकपाल बिल को जिस स्थाई समिति में है, वहां सिर्फ कांग्रेस के ही सदस्य नहीं है, वहां सभी दलों की भागेदारी है।
रही बात मेरे कांग्रेसी होने की तो मेरे ब्लाग पर ही जिस तरह कांग्रेस नेताओं की जीभ खींची जाती है, उससे ही साफ है कि मैं कितना कांग्रेसी हूं। खैर
बूता है तो आइये, कर लें दो-दो हाथ |
ReplyDeleteछापामारी कला का, लेते हो क्यूँ साथ ?
लेते हो क्यूँ साथ, पोल-पट्टी सब खुलती |
हमला करके आज, करी है भैया गलती |
कहे केजरीवाल, माफ़ है तेरा जूता |
भ्रष्टाचारी लोग, सामने आ गर बूता ||
उफ्फफ्फ्फ़ .... ये राजनीति का ऊंट कल किस करवट बैठेगा...ये कोई नहीं जानता
ReplyDeleteMahendra ji aap jis sansadiya pranali ki baat kar rahe hai...usi sansad me aaj apradhi baithe hai...aur wo kis tarah sansad tak pahuchte hai ye to apko pata hai ....aur sansadiya pranali ke hisab se hi congress 'jokepal bill' easily lane ko taiyar hai magar ek majboot lokpak bil lane se kyo dar rahi hai...anna to kah rahe hai ki aap ek majboot bil pahle sansad me pesh to karo...fir ham live dekhenge ki kaun kaun iska virodh karta hai.....aur aap jis arvind kejriwal ko rajniti me apni dhuspaith karne ki kosis karne wala bata rahe hai......unke bare me aap apni jankari fir se durust kare...
ReplyDeleteAnna aur arvind ke sath pure desh ki janta hai...aur aaj janta itni bewkuf bhi nahi ki har kisi ke piche chal de....
Anna aur arvind kisi party ko badlne ki baat nahi kar rahe hai...wo system ko badlne ki baat kar rahe hai....jo kisi bhi rajnitik party ko manjoor nahi hai kyoki isse unki desh ko lootne ki aajadi khatm ho jayegi aur wo jail me honge.....aaj sabhi minister ke pas karodo ki sampatti hai...aur janta bhookh se mar rahi hai........
ReplyDeleteसहमत हूँ आपसे महेंद्र जी
ReplyDeletedear Anonymous...
ReplyDeleteमैं नहीं समझ पा रहा हूं कि आखिर मेरी बात किससे हो रही है। फिर भी दोस्त आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि कांग्रेस चाहे भी तो अन्ना के मुताबिक बिल नहीं रख सकती।
यही बात मैं आपको समझाने की कोशिश कर रहा हूं, क्योंकि जिस स्टैंडिग कमेंटी में इस बिल का प्रारूप तैयार होना है, वहां सभी राजनीतिक दलों की भागेदारी है। वहां आमसहमति बनाना आसान नहीं है। आपको पता है कि लालू समेत कई नेता इस बिल का विरोध कर रहे हैं और ये सभी उस स्टैंडिग कमेटी में शामिल हैं।
बहरहाल आपकी निष्ठा अरविंद में है, वो बनाए रखें। यहां मैने अपना विचार रखा है, अगर इस विचार के आधार पर मैं कांग्रेसी हो गया तो मुझे आपके आरोप पर कोई सफाई नहीं देनी हैं, मैं स्वीकार कर लेता हूं।
रही बात संसद में अपराधियों के आने की तो ये तो जनलोकपाल बिल से भी नहीं रुकने वाला। आपको ये जानना जरूरी है कि जनलोकपाल बिल से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, इस कानून के बनने से भ्रष्ट लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकेगी।
लेकिन मित्र आपको समझना चाहिए कि देश में हत्यारे को फांसी तक देने का प्रावधान है, पर क्या हत्या रुक गई, देश में हत्या नहीं हो रही है।
मेरा मानना है कि हमें देशवासियों में नैतिकता का पाठ पढाना होगा, 121 करोड की आबादी को आप कानून के बल पर नियंत्रित नहीं कर सकते।
rajniti to bas rajniti hai aapko padh kar sada hi ek nai disha me sochne lagti hoon aapka abhar
ReplyDeletesaader
rachana
महेंद्र जी नमस्कार
ReplyDeleteआपके बोल हमेशा बिंदास होते हैं बधाई हो आपको
आपको धनतेरस और दीपावली की हार्दिक दिल से शुभकामनाएं
MADHUR VAANI
MITRA-MADHUR
BINDAAS_BAATEN
अच्छी जानकारी के लिए आभार.
ReplyDeleteराजनीति बहुत बुरी बला है,महेंद्र भाई.
परदे के पीछे की आप सब जानते हैं.